देवी मच्छ रे रुप तु शंख मारी, देवी शंखवा रुप तु वेद हारी. देवी वेद शुध वार रुपे कराया, देवी चारणा वेद ते वार पाया.(देवीयाण) रचना-चारण महात्मा ईशरदासजी ली.प्रविण गियड (चारण) गुजरात
"चवमुख सो जल चारण हि दयायुक्त लै दिन, प्रिति सहित तिहि पान किय बाढत बुद्धि प्रवीन" रचना-चारण महात्मा नरहरदासजी (अवतार चरित्र-मच्छअवतार) ली.प्रविण गियड (चारण )
यह खुनवाली पीने वाली बात कहां से उठा लाए ? किसी भी ग्रंथ में इसका उल्लेख नहीं मिलता । आज भी अगर चारण पूर्ण शाकाहार का पालन करते है एवं मां भगवती का पाठ करते है तो तब तो वे सत्य युग के परम चारण थे वे भला खून का एसे ग्रहण कैसे कर लेते ? वे देव थे दानव नहीं जो खुन मिले पानी का ग्रहण करते और रही बात चारणो की वाणी में दिव्य शक्ति या उनके शक्ति के पीछे के कारणों की तो पहले पूरे इतिहास जानले । चारणो की उत्पत्ति भगवान शिव द्वारा हुई है चारणों की गिनती मनुष्य जाति (ब्राह्मण /क्षत्रिय/वैश्य या शुद्ध ) में नहीं होती । जब भगवान गरुड़ द्वारा नागलोक के नाग का मारण किया जा रहा था तब उसने बिनती की के मेरे पास जो ज्ञान है वे व्यर्थ चला जाएगा कृपाये पहले मुझे मेरा ज्ञान किसी को दे देने दो तब उसने चारण यानी शिव के गण को सारा ज्ञान दे दिया इस तरह चारण को संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ मगर चारण तो शिव के गण थे अगर इस चारण की शादी नहीं होती तो यह ज्ञान भी सिमित रह जाता लिहाज़ा नागोने अपनी कन्या अवरी जिसे आदी आवड भी कहा जाता है इसकी चारण के साथ शादी कर दी । इस तरह चारण का वंश चला एवं चारणो के शिव दादा एवं शेषनाग नाना हुए। नागलोक यानी पाताल में चारणो के रिश्तेतारी 40 पीढ़ी तक चली एवं चारण वहीं रहे,इसके बाद चारणने विविध क्षेत्रो मे विस्तार किया। यहां पूरी बात को ही ग़लत ढंग से रखी गईं है जो बिल्कुल ग़लत है । अगर जानकारी ना हो तो किसी भी समाज के बारे में कुछ भी ना बोले,भले ही वे समाज आपका खुद का ही क्युं ना हो ! जय माताजी री , अगर किसी को दिक्कत हो तो मेरे email address bmgadhavi3535@gmail.com पर संपर्क करें ।
Hukm aawar Mata to hinglaj Mata ka avtar he thta mamdji ke gar sath bhno ke rup me avtrit hue aur aajivan bhrmcharaya ka palan kiya to ..ap unnki shadi kese kra rhe ho
समाज सेवक है ? समाज सेवक होकर भी ग़लत बात में हा में हा भरे जा रहे हो ? आप को समाज सेवक होने के नाते समाज के बारे में जानकारी होना खुब आवश्यक है इस बात को कृपया कर ध्यान में ले । जय माताजी री
I belong to kshtriya vanjari caste and my anceestors are from chittor but in 1500 my anncestors migrated on large scale in maharashtra. Please any one give me information about my caste VANJARI
कोई वेद निगल रहा है कोई सूर्यनिगल रहा है कोई समुद्र निगलरहा है कोई सूर्य से पैदा हो रहा है कोई चंद्रमा से पैदा हो रहा है कोई चूहे से पैदा हो रहा है कोई शेर से पैदा हो रहा है यह हो क्या रहा है
देवी मच्छ रे रुप तु शंख मारी,
देवी शंखवा रुप तु वेद हारी.
देवी वेद शुध वार रुपे कराया,
देवी चारणा वेद ते वार पाया.(देवीयाण)
रचना-चारण महात्मा ईशरदासजी
ली.प्रविण गियड (चारण) गुजरात
"चवमुख सो जल चारण हि दयायुक्त लै दिन,
प्रिति सहित तिहि पान किय बाढत बुद्धि प्रवीन"
रचना-चारण महात्मा नरहरदासजी (अवतार चरित्र-मच्छअवतार)
ली.प्रविण गियड (चारण )
Bahot Achhi Jankari hukam🙏🏻🙏🏻🙏🏻
यह खुनवाली पीने वाली बात कहां से उठा लाए ? किसी भी ग्रंथ में इसका उल्लेख नहीं मिलता । आज भी अगर चारण पूर्ण शाकाहार का पालन करते है एवं मां भगवती का पाठ करते है तो तब तो वे सत्य युग के परम चारण थे वे भला खून का एसे ग्रहण कैसे कर लेते ? वे देव थे दानव नहीं जो खुन मिले पानी का ग्रहण करते और रही बात चारणो की वाणी में दिव्य शक्ति या उनके शक्ति के पीछे के कारणों की तो पहले पूरे इतिहास जानले । चारणो की उत्पत्ति भगवान शिव द्वारा हुई है चारणों की गिनती मनुष्य जाति (ब्राह्मण /क्षत्रिय/वैश्य या शुद्ध ) में नहीं होती । जब भगवान गरुड़ द्वारा नागलोक के नाग का मारण किया जा रहा था तब उसने बिनती की के मेरे पास जो ज्ञान है वे व्यर्थ चला जाएगा कृपाये पहले मुझे मेरा ज्ञान किसी को दे देने दो तब उसने चारण यानी शिव के गण को सारा ज्ञान दे दिया इस तरह चारण को संपूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ मगर चारण तो शिव के गण थे अगर इस चारण की शादी नहीं होती तो यह ज्ञान भी सिमित रह जाता लिहाज़ा नागोने अपनी कन्या अवरी जिसे आदी आवड भी कहा जाता है इसकी चारण के साथ शादी कर दी । इस तरह चारण का वंश चला एवं चारणो के शिव दादा एवं शेषनाग नाना हुए। नागलोक यानी पाताल में चारणो के रिश्तेतारी 40 पीढ़ी तक चली एवं चारण वहीं रहे,इसके बाद चारणने विविध क्षेत्रो मे विस्तार किया। यहां पूरी बात को ही ग़लत ढंग से रखी गईं है जो बिल्कुल ग़लत है । अगर जानकारी ना हो तो किसी भी समाज के बारे में कुछ भी ना बोले,भले ही वे समाज आपका खुद का ही क्युं ना हो ! जय माताजी री , अगर किसी को दिक्कत हो तो मेरे email address bmgadhavi3535@gmail.com पर संपर्क करें ।
Hukm aawar Mata to hinglaj Mata ka avtar he thta mamdji ke gar sath bhno ke rup me avtrit hue aur aajivan bhrmcharaya ka palan kiya to ..ap unnki shadi kese kra rhe ho
@@lokeshcharan9494 आदी आवड और मामड जी पुत्री आवड दोनों अलग हैं ।
@@BHAVESH_GADHAVI700 awad mata ka time period kya tha?
Unhone Kuchh galat jankari nhi di he
जय श्री मां करणी
"कया मारु कया गुजरा कया परज और तुंबेल ,
सबकी जननी ऐक है कयो राखो मतभेद"
ली.प्रविण गियड (चारण)
Very nice gulab ji kakosa jab tak y samaj ho ga aap ka naam raspacted hi hoga ✍️🙋♀
पालावत साहब आपके काको सा का नंबर मिल सकता है ? जय माताजी री
चारण समाज से 🙏🙏🙏🙏
Jai Mata ji re SA aap sabhi ko
Jai jai maa karni sonal
जय माँ करणी
Jai maa karni 🙏🏻❤️😘🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
❤Jai karni g
Jay Maa karani Maa
VERY nice
समाज सेवक है ? समाज सेवक होकर भी ग़लत बात में हा में हा भरे जा रहे हो ? आप को समाज सेवक होने के नाते समाज के बारे में जानकारी होना खुब आवश्यक है इस बात को कृपया कर ध्यान में ले । जय माताजी री
Jai ho
Bahut badia hkm
Uttam
ऐतिहासिक विचार ही मानय है
Ye bilkul Sach he
Jay mataji💥💥💥💥💥💥💥
હાં ગઢવી હાં
I belong to kshtriya vanjari caste and my anceestors are from chittor but in 1500 my anncestors migrated on large scale in maharashtra. Please any one give me information about my caste VANJARI
Thanks for
0:10
👆👌👌👌👏👏👏👏
वेद कागज के बने के थे या पत्थर का
अगर पानी से धोया तो कागज गले क्यो नहीं
किसी भी जाति के बारे में जानकारी देने से पहले इतिहास की जानकारी होना आवश्यक हैं। मनन गढ़त टिप्पणियों से वृद्धावस्था में बचना चाहिए।
👌👌👌🤗🤗🤗
jor
Nice hukam
Charan bhe brahmn he hote h
जो भी उदाहरण है
वो सब भाटों से मेल खाता हैं
जब तक कोई पूरी जानकारी नही हो तब तक तुकको सै काम नही चलाना नही चाहियै ।
कोई वेद निगल रहा है कोई सूर्यनिगल रहा है कोई समुद्र निगलरहा है कोई सूर्य से पैदा हो रहा है कोई चंद्रमा से पैदा हो रहा है कोई चूहे से पैदा हो रहा है कोई शेर से पैदा हो रहा है यह हो क्या रहा है
Aap kehna kya chahte hai
Jhooti baate kardi hkm facts nahi hain
गुलाब सिंह जितना झूठा आदमि समाज मे हि न्हि हे