ये बरगद का पेड़ हमारे पड़ दादोसा और उनके बड़े भाई जखतराज सिंह जी राजपुरोहित और अनोप सिंह जी राजपुरोहित ने लगाया कितने ही वर्षो की सेवा के बाद यह बड़ा पेड़ बना, जो देव माना जाता हैं यह गांव हमारे पुर्वज राजगुरु-पुरोहित श्री मूलराज कुंपावत सेवड़ को सांसण मिला था विक्रम संवत 1611 में मारवाड़ के राव मालदेव ने चरण धोकर इस गांव का ताम्र पत्र हमारे बड़ेरों को सौंपा था, जो आज भी हमारे पास उपलब्ध हैं राजपुरोहितों का पाटवी परिवार ही इस गांव का सही मायनों में ठाकुर हैं।
Jaitaran ki avaj ko dhanyawad
ये बरगद का पेड़ हमारे पड़ दादोसा और उनके बड़े भाई जखतराज सिंह जी राजपुरोहित और अनोप सिंह जी राजपुरोहित ने लगाया
कितने ही वर्षो की सेवा के बाद यह बड़ा पेड़ बना, जो देव माना जाता हैं
यह गांव हमारे पुर्वज राजगुरु-पुरोहित श्री मूलराज कुंपावत सेवड़ को सांसण मिला था
विक्रम संवत 1611 में मारवाड़ के राव मालदेव ने चरण धोकर इस गांव का ताम्र पत्र हमारे बड़ेरों को सौंपा था, जो आज भी हमारे पास उपलब्ध हैं
राजपुरोहितों का पाटवी परिवार ही इस गांव का सही मायनों में ठाकुर हैं।