जानिए मंगसीर बग्वाल की पूरी कहानी ||
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- Опубликовано: 20 сен 2024
- जानिए मंगसीर बग्वाल की पूरी कहानी || #uttarakhand #uttarkashi #festival #diwali #story #bagwal @NewsNetra
Historic Mangsir Bagwal festival kicks off in Uttarkashi
The historic Mangsir Bagwal festival kicked off on Monday at Ramleela Ground of Uttarkashi district, as Congress leader and former chief minister inaugurated the festivities. The two-day event, organized by Angha Mountain Association, included traditional dance and music performances and even sports activities. In an effort to promote traditional cuisine and artifacts of Garhwal region, which are on the verge of extinction, the organizers also had made Gad Bhoj (Garhwali cuisine) and Gad Sangrahalay (Garhwali museum) a part of the event.
वर्ष 1632 में गढ़वाल नरेश राजा महिपत शाह के शासनकाल में तिब्बत के दावा घाट में गढ़वाल और तिब्बत की सेना के बीच युद्ध हुआ था। गढ़वाल की ओर से सेनापति लोदी रिखोला और माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना युद्ध लड़ने गई थी। युद्ध लंबा चलने पर सेना दीपावली तक घर नहीं लौट पाई थी। तब सेनापति माधो सिंह भंडारी ने संदेश भिजवाया था कि तिब्बत पर विजय हासिल कर लौटने के बाद ही बग्वाल मनाई जाएगी। गढ़वाल की सेना दीपावली के ठीक एक माह बाद तिब्बत पर विजय हासिल कर लौटी थी। तभी से मंगसीर की बग्वाल मनाने की परंपरा चली आ रही है।
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#anchor : Sapna Pandey
#video Edited By : Deepak Bharti
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बहुत ही सुन्दर आयोजन, अनघा फाउंडेशन को कोटि कोटि साधुवाद ❤
Shandaar . Mesmerizing
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद न्यूज़ नेत्रा ❤
अति सुंदर प्रस्तुति, न्यूज़ नेत्रा का बहुत धन्यवाद
वह क्या बात है बहुत सुंदर
बहुत ही सुंदर यादगार पल
Mesmerizing
ॐ नमः शिवाय 🙏
❤ bahut achcha
You guys are doing a fantastic job .
👍👍👌
Great work team news netra
जय देव भूमी उत्तराखंड ❤❤
💐🙏🙏
Jai ho
🙏🏻
Congratulations Dr Mahendra Rana sir for this informative video
Jai Kashi Vishwanath 🙏
वीर भड माधो सिंह भण्डारी जब तिब्बत युद्ध में विजय होने के बाद जब अपने घर लोटे तब मलेथा जो की माधोसिंह भण्डारी का गांव है तब ग्रामीणों ने उनके आने की खुशी में गांव के लोगो ने भेलो जलाकर रासो तांदी नाच गान करके उनका स्वागत किया उसी दिन से ये दिन मंगशीर बग्वाल के नाम से प्रसिद्ध हो गया
माधो सिंह भण्डारी इतने बीर पुरुष थे की जब एक बार गांव में सिचाई के लिए पानी सूख गया था और गांव वाले लोग पीने के पानी तथा सिंचाई के पानी के लिए परेशान हो गए थे किसी के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि पानी केसे लाया जाय गांव तक तब माधो सिंह भण्डारी ने अकेले ही दिन रात मेहनत करके अलकनंदा नदी से अपने गांव तक कुल या नी नहर बनाने का अकेले निश्चय किया इस कार्य के लिए उन्हें देवी मां को अपने पुत्र का बलिदान करना पड़ा कहानी तो बहुत लम्बी है लेकिन मेने संक्षिप्त में वर्णन किया है ,, ऐसे महान पुरूष अब ,,,, न भूतो ना भविष्यते 🙏❤️
उत्तराखंड में कई बीर योद्धाओं ने जन्म लिया ,, माधोसिंह भंडारी ,जीतू बगड़वाल , राणा घमेरू, नरु बिजुला तीलू रोंतेली, गोरा देवी ,, गोरा देवी के नाम से उत्तराखंड में गरीब लड़कियों को 12 बी पास होने पर शादी के लिए गोरा देवी कन्या धन योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा 51000 की धनराशि है तथा वर्तमान में लड़कियों के लिए नंदा गोरा योजना के अंतर्गत 11000 की धनराशि दी जाती गौरा देवी ने उत्तराखंड में चिपको आंदोलन भी चलाया था