हिन्दी के लिए ये क्या बोल गए ? || Arya Samaj
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- Опубликовано: 8 ноя 2024
- हिन्दी के लिए ये क्या बोल गए ? || Arya Samaj
भारतवर्ष के इतिहास में महर्षि दयानन्द पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पराधीन भारत में सबसे पहले राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के लिए हिन्दी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकर मन, वचन व कर्म से इसका प्रचार-प्रसार किया। उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि हिन्दी शीघ्र लोकप्रिय हो गई। यह ज्ञातव्य है कि हिन्दी को स्वामी दयानन्द जी ने आर्यभाषा का नाम दिया था। स्वतन्त्र भारत में 14 सितम्बर 1949 को सर्वसम्मति से हिन्दी को राजभाषा स्वीकार किया जाना भी स्वामी दयानन्द जी के इससे 77 वर्ष पूर्व आरम्भ किए गये कार्यों का ही सुपरिणाम था। प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार विष्णु प्रभाकर हमारे राष्ट्रीय जीवन के अनेक पहलुओं पर स्वामी दयानन्द का अक्षुण प्रभाव स्वीकार करते हैं और हिन्दी पर साम्राज्यवादी होने के आरोपों को अस्वीकार करते हुए कहते हैं कि यदि साम्राज्यवाद शब्द का हिन्दी वालों पर कुछ प्रभाव है भी, तो उसका सारा दोष अहिन्दी भाषियों का है। इन अहिन्दी-भाषियों का अग्रणीय वह स्वामी दयानन्द को मानते हैं और लिखते हैं कि इसके लिए उन्हें प्रेरित भी किसी हिन्दी भाषी ने नहीं अपितु एक बंगाली सज्जन श्री केशवचन्द्र सेन ने किया था।
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