ishihara book | Colour Blindnes Test |colour blindness thik kaise kre | colour blind treatment
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- Опубликовано: 6 окт 2024
- वर्णांधता: रंग-बोध की अक्षमता (कलर ब्लाइंडनेस)
हमारी आंखों की वजह से ही हमारे जीवन में रंग हैं, अगर आंखें न हो तो हमारा जीवन बैरंग हो जाए।
दृष्टिहीनता, आंखों से संबंधित सबसे गंभीर समस्या है, इसमें पीड़ित कुछ भी नहीं देख पाता है, उसकी आंखों के आगे हमेशा अंधेरा छाया रहता है। लेकिन वर्णांधता से ग्रस्त लोग सब देख पाते हैं, उन्हें रंग भी दिखाई देते हैं, लेकिन वो कुछ रंगों में विभेद नहीं कर पाते हैं।
एक अनुमान के अनुसार विश्व के 8 प्रतिशत पुरूष और 1 प्रतिशत महिलाएं इसकी शिकार हैं।
काले और सांवले लोगों की तुलना में गोरे लोग वर्णांधता के अधिक शिकार होते हैं
वर्णांधता की समस्या जन्म से भी हो सकती है, और बाद में भी विकसित हो सकती है।
जानिए क्या है वर्णांधता?
जब आंखें सामान्य रूप से रंगों को नहीं देख पातीं हैं तो उसे वर्णांधता या कलर ब्लाइंडनेस कहते हैं। इसे कलर डिफिशियंसी भी कहा जाता है।
इससे ग्रस्त व्यक्ति कुछ निश्चित रंगों में अंतर नहीं कर पाता है। सामान्यता उसे हरे और लाल तथा कभी-कभी नीले रंग में भी अंतर समझ में नहीं आता है।
इसमें रोशनी का प्रभाव भी पड़ता है, जिन्हें मामूली वर्णांधता की समस्या है वो अच्छी रोशनी में रंगों को सामान्य रूप से देख पाते हैं, लेकिन धीमी रोशनी में उन्हें परेशानी आती है।
वर्णांधता का सबसे गंभीर रूप है, जब सभी चीजें ग्रे शेड्स में दिखाई देती हैं। इसके मामले बहुत कम देखे जाते हैं, लेकिन यह समस्या जीवनभर बनी रहती है और दोनों आंखों में होती है।
जिन लोगों में वर्णांधता की समस्या मामूली होती है, उन्हें सामान्य जीवन जीने में कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन समस्या गंभीर होने पर दिनचर्या प्रभावित हो सकती है।
कैसे दिखाई देते हैं रंग
रेटिना, आंखों की पुतली के पीछे की ओर स्थित एक परत होती है, जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती है। इसमें दो प्रकार की कोशिकाएं होती हैं; रॉड्स और कोन्स।
रॉड्स हल्की रोशनी में काम करती है और कोन्स तेज रोशनी में। ये दोनों रंगों के प्रति प्रतिक्रिया देती हैं। इनके संकेत ऑप्टिक नर्व द्वारा मस्तिष्क तक पहुंचते हैं, और हमें रंग दिखाई देते हैं।
रॉड्स केवल प्रकाश और अंधेरे का पता लगा पाती हैं तथा कम रोशनी के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं।
जबकि कोन्स कोशिकाएं, रंगों की पहचान करती हैं। जो कोन्स कोशिकाएं रंगों की पहचान करती हैं, वो तीन तरह की होती हैं; लाल, हरी और नीली। मस्तिष्क इन कोन्स कोशिकाओं से इनपुट्स लेकर हमारी रंगों की अवधारणा को निर्धारित करता है।
वर्णांधता, तब होती है, जब ये कोण कोशिकाएं उपस्थित नहीं होती हैं, या ठीक प्रकार से काम नहीं कर रही होती हैं या रंगों की पहचान सामान्य रूप से नहीं कर पाती हैं।
गंभीर वर्णांधता तब होती है, जब सभी तीनों कोन कोशिकाएं मौजूद नहीं होती हैं। मामूली वर्णांधता तब होती है जब तीनों कोन कोशिकाएं तो मौजूद होती हैं, लेकिन एक कोन कोशिका ठीक प्रकार से काम नहीं कर रही होती है। यह सामान्य रूप से रंग की पहचान नहीं कर पाती है।
कुछ बच्चे वर्णांधता के साथ जन्म लेते हैं। क्योंकि यह समस्या आमतौर पर माता-पिता से विरासत में मिले जींस के कारण होती है। ये जींस, कोन्स के लिए लाल, हरे और नीले रंग कैसे बनाए जाते हैं, उनके बारे में शरीर को सही निर्देश नहीं देते हैं, बिना पिग्मेंट्स के कोन्स रंगों को पहचान नहीं पाते हैं।
क्या हैं कारण:-
वर्णांधता दो तरह से होती है; एक तो विरासत में मिलती है और दूसरा जीवन के किसी भी स्तर पर विकसित हो सकती है।
अनुवांशिक कारण:-
वर्णांधता के अधिकतर मामले विरासत में मिलते हैं। जिनके परिवार के करीबी लोगों में यह समस्या होती है, उनमें इसके होने का खतरा अधिक होता है।
पुरूषों को महिलाओं की तुलना में वर्णांधता विरासत में मिलने की आशंका दस गुनी होती है।
कोई व्यक्ति जिसे वर्णांधता नहीं है, लेकिन वो अपने बच्चों में इसे पास करता है तो उसे ‘कैरियर’ कहते हैं।
बीमारियां
कुछ बीमारियां जैसे सीकल, डायबिटीज, मैक्युलर डिजनरेशन, अल्जाइमर्स डिसीज, पर्किंसन्स डिसीज़, ल्युकेमिया, मोतियाबिंद, मल्टीपल स्क्लेरोसिस आदि के कारण रेटिना या ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, जिससे रंगों को पहचानने की क्षमता प्रभावित होती है।
ऑप्टिक नर्व ही विजुअल इन्फार्मेशंस/दृश्य सूचनाओं को आंखों से मस्तिष्क तक ले जाती हैं।
हानिकारक रसायन
इन हानिकारक रसायनों में कार्बन डाय सल्फाइड तथा स्टायरेन जो कुछ प्लास्टिक में मौजूद होता है, इससे भी रंगों को देखने की क्षमता प्रभावित होती है।
कुछ निश्चित दवाईयां
हृदय रोगों, ऑटो इम्यून डिसीज़ेज, उच्च रक्तदाब, विभिन्न संक्रमणों, तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याओं, मनोवैज्ञानिक समस्याओं के उपचार के लिए ली जाने वाली दवाईयों के साइड इफेक्ट्स के कारण भी वर्णांधता की समस्या हो सकती है।
रेटिना पर चोट लगना
रेटिना या ऑफ्टिक नर्व का चोटिल हो जाना, वर्णांधता का कारण बन सकता है।
उम्र बढ़ना
उम्र बढ़ने के साथ भी रंगों को पहचानने की क्षमता प्रभावित होती है
लक्षण
वर्णांधता केवल रंगों को पहचानने से संबंधित है, इससे दृष्टिहानता या दृष्टि प्रभावित नहीं होती है। यह समस्या मामूली से लेकर गंभीर हो सकती है।
वैसे, अधिकतर लोगों को पता ही नहीं चलता है कि उन्हें वर्णांधता है, जब तक दूसरे नोटिस न करें।
लाल रंग को पहचानने में समस्या होने को प्रोटानोपिया कहते हैं, ऐसे लोगों को लाल रंगों के सभी शेड्स बहुत डल नज़र आते हैं।
उपचार:-
कलर विज़न का अभी तक कोई भी दवा नहीं बना है केवल ब्रेन मैपिंग ट्रेनिंग लेकर ही मेडिकल पास किया जा सकता हैं ब्रेन मैपिंग ट्रेनिंग में रंगों के बारे मे ट्रेनिंग दिया जाता हैं जिसके बाद व्यक्ति लाल एवं हरा रंगों में अन्तर करने लगते है और Ishihara किताब मे बने रास्ते/मैप मे देखने लगते है और अंकों को पढ़ने लगते है अगर आपको भी कलर ब्लाइंड की समस्या हैं तो आप ब्रेन मैपिंग की ट्रेनिंग ले सकते हैं संपर्क करें 7368943373
Very helpful video for colour vision person ❤❤
Glad you think so!
yhaa se kisi ne karaya hai brain mapping? please review do
Nice video
Karnataka me nhi h kya aap ka branch
Fees kitni hai sir
Kya mera bhi sahi ho sakta h
Yes
Adress kaha par hai
Address kaha hai sir Please bataeye
Add.:-
CAUTILYA C.B CENTER NEAR, BLOCK OFFICE NAUHATTA,DIST ROHTAS, BIHAR 821304
NEAR RAILWAY STATION- DEHRI ON SONE (DOS) /SASARAM(SSM)
CONTACT NO 9534796304 OR 7368943373
Course ka price kitna h
Adhik jankari ke liye aap hme call kar skte hai
Bhai tum video me filter use kr rhe ho... Kyuki me iss video me ye sab aram se pd lera hu.. Or jb dusro ki video dekhra hu tb nhi pda ja rha hai.... Plzz filter ka use mt kro.. Ise dusre bacho ko lagega unki ankhe shi hai jbki Aisa kux nhi hai
AAP ke hisab se shi hai par aap glat padh rhe hai
Galat hai . Color blindness ko hataya jaye. Mai iska virodh karta hu. Mera sabhi say nivedan hai ki colour blindness test ko band kiya jaye.
Sahi ha 😢😢😢😢😢@@sarswatitripathi093