BALKAND PAGE 34 - 36 KI HINDHI SAHIT JANKARI |बालकाण्ड पृष्ठ संख्या 34 - 36 की हिन्दी सहित जानकारी

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  • Опубликовано: 8 фев 2025
  • ॐ श्री गणेशाय नमः
    श्रीरामचरितमानस (बालकाण्ड ) पृष्ठ संख्या 34 - 36 की हिन्दी सहित जानकारी। माघमास शुल्कपक्ष तृतीया तिथि दिन शनिवार विक्रम संवत 2081
    BALKAND PAGE 34 - 36 KI HINDHI SAHIT JANKARI SHRI RAMCHARIT MANAS SE | 01/02/2025 MAGHMASH SUKLAPAKSHA TITHI DIN SHANIVAR VIKRAM SAMVAT 2081
    जय श्रीराम
    आप सब को मेरे द्वारा प्रत्येक दिन सुबह ६ बजे श्रीरामचरितमानस के ग्रन्थ से २ पृष्ठ की जानकारी हिंदी सहित देने की पूर्ण कोसिस करूँगा। मेरे द्वारा पढ़ने में हुयी भूल चूक को आप सहज प्रेम से छमा करने की कृपा करें।
    आज दिनक 01/02/2025 - माघमास शुल्कपक्ष तृतीया तिथि दिन शनिवार विक्रम संवत 2081 को श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड के पृष्ठ संख्या 34 - 36 को श्रवण किये होंगे।
    में आप सब से एक विनती करना चाहता हूँ की आप खुद भी एक श्रीरामचरितमानस की ग्रन्थ को अपने घर में लेकर आवें और प्रत्येक दिन एक नियम से कुछ पेज को निष्ठा पूर्वक पढ़े। आपको में विस्वास दिलाता हूँ के आपने जीवन में में १ साल होते होते बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।
    आप अगर श्रीरामचरितमानस का पी डी ऍफ़ में अपने मोबाइल में लेना चाहते है तो हमें आप कमेंट करें। अथवा मेरे मेल आईडी पर मेल करें ajaymishramishraajay@gmail.com
    जय श्री राम
    श्री रामचंद्र भगवन की जय। हनुमान महाराज की जय। तुलसीदास जी महाराज की जय। गुरु रंजन जी महाराज की जय।
    एक बार सप्रेम कहिये
    दुर्गा माता की जय , काली माता की जय , सरस्वती माता की जय , लक्ष्मी माता की जय , राधा माता की जय , सीता माता की जय , मैया पार्वती की जय , शिव शंकर भोले नाथ की जय , पंचमुखी हनुमान की जय , सब देवता की जय , पृथ्वी जल वायु अग्नि आकाश की जय , कर्म अस्थान की जय , अस्थान देवता की जय , जो माता की जय , भारत माता की जय , उमापति महादेव की जय , हर हर महादेव
    जय जय जय श्री सीता राम की जय।
    जय श्री राम , राम चंद्र भगवन की जय, राम कथा, कथा श्री हनुमान जी की, दोहा, बालकाण्ड ,अयोध्या राम लला की जय ,ॐ गणेशाय नमः ,जय शिव शंकर,छंद ,रोज भजन ,पूज्य रंजन जी महाराज, श्री हरी की जय, राधे राधे, माँ सीता की जय, माँ पारवती जी की जय, माँ काली की जय, माँ लक्ष्य की जय, धरती माता की जय , वाल्मीकि जी की जय, सांडिल्य मुनि की जय.

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