एक जमाना था... खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे... उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था, 🤪 पास/नापास यही हमको मालूम था... *%* से हमारा कभी भी संबंध ही नहीं था... 😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था... 🤣🤣🤣 किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी... ☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में... किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. .. 😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम... एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था..... 🤗 साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी.. क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम... 🤪 हमारे माताजी पिताजी को हमारी पढ़ाई बोझ है.. ऐसा कभी लगा ही नहीं.... 😞 किसी एक दोस्त को साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी.... इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे.... 🥸😎 स्कूल में मास्टर जी के हाथ से मार खाना, पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था.... सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था... 🧐😝 घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनंदिन जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी..... मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे... मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए 😀...... 😜 बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है... 😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने कभी दी भी नहीं.... .इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार दो चार बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल, गोली टॉफी खा लिया तो बहुत होता था......उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे..... 😲 छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे .. 🥱 दिवाली में लगी पटाखों की लड़ी को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा... 😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था... 😌 आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए...... और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है..किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं..क्या पता.. 😀 स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है..... वह दोस्त कहां खो गए , वह बेर वाली कहां खो गई.... वह चूरन बेचने वाली कहां खो गई...पता नहीं.. 😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है... 🙃 कपड़ों में सलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं...... सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन में अखबार में लपेट कर रोटी ले जाने का सुख क्या है, आजकल के बच्चों को पता ही नही ... 😀 हम अपने नसीब को दोष नहीं देते....जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं....और यही सोच हमें जीने में मदद कर रही है.. जो जीवन हमने जिया...उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती ,,,,,,,, 😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम , पर हमारा भी एक जमाना था
आज का आपका विडियो देखकर मुझे गर्व है कि मैं टेलीविजन खरीद सकता हूं लेकिन अभी तक खरीदा नहीं और जब बच्चा मोबाइल मांगते हैं तो डाटा की सेटिंग दूसरे सिम पर कर देता हूं जिस में रिचार्ज नहीं है इस वजह से बच्चा खुद ही मोबाइल रख देता है।
Same chij hmari beti b abhi tk phn se dur bhut.4 saal ki h but sb bache jid krte h toh hm bolte h ki wo gnde bache h pr ab bdi ho ri h toh smjh n ata age kase kya
मेरा बचपन तो छुपा छुप्पी ,भाग दौड़ , कंचे, बिंगलाशी, कबड्डी, लंगड़ी, पिट्टू गर्म, और टिल्लो मार और छुआ छुब्बल खेल कर बीता और थोड़ा बड़े हुए तो पिता जी के साथ खेत पर जाकर बीतने लगा
Sir mene padai band kardi thi 2012 mai kyoki family problem tha lekin 2.5 yer se apka har ek show ko padta hu apke padane se mai apne yaha ke logo ko achhe se samjhata hu kisi bhi topic ke bare mai or ap ese hi padate rahiye sir hmko pdna achha lgta h or kisi ko samjhana bhi achha lgta hai mene apki class to join ni ki but you tube par sikhne ko milta hai baki samay apne kam or family ko dekhne Mai laga diya hai
जी सर हम अपने बचपन में खाली समय में नए नए experiment करते रहते थे और रोचक कहानियां पढ़ते थे GK पढ़ना बहुत अच्छा लगता था। आज की इस विडंबना की सबसे बड़ी वजह govt khud hain Goverment should come and bring such rules and policies against society And should be make to park, small play ground for evening meets for सोसायटी people so that the social activities is going continuously and to make a society wellness and happinesss😊😊😊
सबसे पहले तो भारत सरकार को रील और शॉर्ट वीडियो को बंद करा देना चाहिए, जिस पर रोजाना मुजरा करती हैं लड़किया, और उसी को आजकल के लोग टैलेंट कहते फिरते हैं, इसके बाद ही मोबाइल को लोग कम use करेंगे।
भारत सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए और जैसे टिकटोक बैन किया था इंडिया से इसी प्रकार ऑनलाइन गेम भी बन कर देना चाहिए इंडिया से जिससे बच्चों के भविष्य को बचाया जा सके
बचपन याद आ गया माल दड़ी , आस पास ( छुपम छुपाई ) टा इला, गेंडा दडी , गीली डंडा , साटिया, घुमचक्करी , रेत के टिब्बे से क्लाइमिंग क्या आपने भी इनमे से कोई एक खेल खेला है तो लाइक करे
सर मैं बच्चों को क्या कहूं मेरे साथ भी ये समस्या हो रहा है सोचने समझने की सारी शक्ति जैसे हीन हो गई है। कुछ भी प्रश्न मन में उठता है तो मैं ज्यादा सोचता ही नहीं तुरंत नेट पर सर्च कर के देख मन को शांत कर लेता हूं दुबारा फिर उस प्रश्न को दुबारा देखता हूं तो लगता है जैसे पहली बार देखा हूं। एक दिन मैंने रिचार्ज फोन नहीं किया तो ऐसा लगता है जैसे आज दिन बहुत बड़ा है बहुत कुछ करना है पढ़ना है लिखना है और फिर जब रिचार्ज हो जाता है तो कौन सा लिखना है क्या पढ़ना है सब स्वाहा हो जाता है। सिर्फ यूट्यूब में क्लास या मूवी शॉर्ट ये सब ही चलता रहता है। सर अगर कोई निदान है तो बताने की कृपा करे। Note- यह मैं अपने मन की बात रखी है जो मेरे मन में चल रहा है वही मैंने प्रकट किया है इसमें कोई भी अन्यथा में या मजाक का पात्र न बनाए धन्यवाद ❤
सर स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड की जगह smart screen लग गईं है अब,बच्चो को मोबाइल से दूर रखना बहुत बड़ा चैलेंज हैं अब माता पिता k लिए।बच्चो को खेलने के लिए जगह भी नहीं है।
Bilkul sir ,i still missing my childhood days ,woh din jab hum school se aate hii shamm ko cricket khelne jaate the aur sunday ki aur festival ke holidays ka wait karte the taaki subah aur shaam dono time khel ske .. aur papao aur mummy se jyada. Khelne ke liye maar khaate the lekin khelne jaroor jaate the .Khaas koi lauta de woh mere bachpan ke din . 😢.
Right sir meri sister ki ladki bhi abhi 2 saal ki h usko mobile ki aadat padh gayi h aur us wajah sw woh chidchidi si ho gayi h khana aur milk bhi nhi khati piti h bhut jada roti h woh
अच्छी वीडियो बनाते हैं श्रीमान आप , एक वीडियो बच्चों की पढ़ाई पर भी बनाइए क्योंकि आजकल के बच्चों की पढ़ाई, बच्चों की कम और उनके माता-पिता की पढ़ाई ज्यादा हो गई है , इस बारे में आप क्या कहेंगे । मुझे ऐसा लगता है कि इस पढ़ाई में बच्चों का बचपन कहीं खो गया है और साथ में माता पिता का अपना समय भी। आजकल माता- पिता बच्चों से इस डर से, प्यार से बात नहीं करते कि अगर प्यार से बात की तो बच्चे ठीक से पढ़ाई नहीं करेंगे और इस तरह माता-पिता और बच्चों के बीच में जो एक भावात्मक लगाव होता है वह काम होता जा रहा है । सर आप एक्सप्लेन बहुत अच्छा करते हैं ,बहुत सारे लोग आपको सुनते हैं तो एक वीडियो इस पर जरूर बनाइएगा कि बच्चों की पढ़ाई कैसी होनी चाहिए ।
सर हम तो बाहर बाहर जा जा के खेलते थे ।। इससे सबके साथ आना जाना होता था और पूरा का पूरा गांव ही फ्रेंड होता हैं।। हम तो मिट्टी में खेलते थे और कभी मिट्टी से इलर्जी नही हुई ।। आज के टाइम में तो बहुत सारे बच्चों को मिट्टी एलर्जी हैं।। हम तो बचपन में जब कोई घर आता था और राम राम करते थे भाग भाग के आजकल बच्चो को कोई मतलब ही नहीं फोन में समाए रहते है बस ।। संस्कारों को भी खत्म कर दिया फोन ने।।
Sir ji iske peeche jimmedaar hamara school aur government hai sare school ke project notice notes aur vedio sab mob par ho gaye hai baccho ko na chahte hua bhi mob Dena pad jata hai bolte hai ye aaya hai vedio dekhana hai notice aaya hai tamam tarah ke cheeje bolte hai mob par hai majbooran hame haar kar na chahte hue b dena padta hai kyoki padhai ka mamla hota hai
असल बात है जब भी कोई नई चीज दुनिया में आती है, जो कॉमन लोगों के पास नहीं होती है तो जैसे ही अपनी रेंज में आता है तो prestige issue बन जाता है और मां अपने बच्चे को देकर बहुत खुश होती है कि हमारे बच्चे के पास है !
Good evening sir What ever you telling everything is right. This is the side effects of development of technology, artificial intelligence. We are feeling proud of world development. This is that side effects. Now school are promoting online education rather than offline. This is the very challenging situation to keep away mobile from children.
Main ye pahle hi samjh liya tha isliye maine kabhi apne chote bhai ko phone diya hi nahi na hi uske samne kabhi kuch dikhaya jiski vajah se uska tv aur phone me bilkul bhi man nahi lagta isiliye usse kabhi kahna nahi padta hai padayi ke liye vo khud hi school se ane ke baad padayi karta hai aur khelta hai vo abhi sirf 5 saal ka hai aur vo apni class me sabse tej aur healthy hai agar hum bacho ko mobile ki faltu chijo se dur rakhe to bache apki soch se bhi acha kar sakte hai Magar ek baat aur chote bacho ko padayi ke liye bilkul bhi marna nahi chahiye kyunki bache bahut masoom hote hai
हमारा बचपन बहुत अच्छा है 😂 बहुत लोग दौड़ करते थे।मन करता था बाहर ही खेलें घर पर नहीं।मैं तो अपने दादी बड़ों के साथ बचपन में रही, जिससे बहुत कुछ सिखने को मिला।अब सब आलसी हो गए घर पर 😂पर पढ़ाई के वजह से मोबाइल ही चलाना पड़ता है।
Hm 90s kids rhe h lekin aj hmare baccho ko in chijo ki jarurat h lyonki na ghar me khelne ki jgh h bahar bhej nhi skte crime bahut hote h sara din साथ साथ bahar khilane nhi ja skte , dada dadi भी ajkl pota poti se dur hi rhte h taki unke sukh chain me dikkt na aa jaye, father duty chle jate h bachi akeli maa ghar k kam kre baccho ko nahlaye khilaye pilaye to एक shara chahiye use bhi jo h fon
Child age 2 and above may avoid seeing mobile screen of his/her interest as cartoon, music, etc. if:- A DOGY, Cat, parrot, or robot toy etc are given to him for his entertainment for 1 hour a day will be best. I have got good result & my child prefer playing with the "above" rather than viewing mobile/TV screen.
Thank God. Maine apne bachha ko mobile tv se dur rakha hai. He is 5.5 years old and he denies to watch mobile. Because he knows the effect of mobile after use. He likes to study maths.
Tumari soch viksit nahi Hui hai bura mat manna magar yahi sach hai tum log khud bacho ke samne mobile chalate ho fir bacho ko marte ho pahle khud sudhar jao tabhi bacho ko sudhar paoge aur itne masoom bacho se kya ummid ki ja sakti hai jab Mata pita hi pagal ho😡Mera bhi Bhai hai vo kabhi phone nahi dekhta hai na hi tv dekhta hai kyunki humne khud bhi uske samne phone nahi chalaya isliye mobile uski jindagi ka hissa nahi hai magar jo log khud short videos dekhte hai unke bache bhi waise hi short videos dekhte hai maine ye khud apne reletives ke bacho ke sath aysa dekha hai aur isi chij ko dekhte hue hum sab tv aur mobile se duri bana kar rakhte hai tabhi hamara chota Bhai bhi waise hi mobile aur tv se dur rahta hai kyunki hum uske sath khelte hai isliye uska man laga rahta hai agar ek bacho ko tum Ghar me band karke rakho ge to vo kabhi normal nahi ban payega
@@manishverma9694 soch nhi meri shadi hi nhi hui h ye btao aap ki pityi ya papa apke ab ke papa ke papa h modern vese hi the kya itni pityi phir bhi ham shi direction m nhi h kya soch viksit hai par ek dar halka sa jaruri h
Sir is this possible like you can introduce RNA for week like one or two sessions in week, although session might be for 2.5 hrs or 3 hrs you can adjust the news and way of description, because of your health we also don't want to continue the session but I think this might be mid way where your health will not suffer as such, I mean you can prepare content in whole week, this is just an idea
काम जितना आसान होता जा रहा है हालात उतनी ही मुश्किल होती जा रही है (जिस उमर में बच्चे को खेलना चाहिए उस उमर मे सब को फ़ोन me होम वर्क दिया जा रहा है ऐसे में फोन तो यूज करेंगे ही)
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🙋🏻♀️🤓Guruji👍🇮🇳
❤Tq. Sirji
Aaj pta chala ky😅😅
We need a video on GAURAKSHAK TERRORISTS.
We need a video on GAURAKSHAK TERRORISTS.
Sir ek video on "religion conversation". Kyonki yah atankwad se bhi khatarnak hota ja raha hai.
एक जमाना था...
खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे...
उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था,
🤪 पास/नापास यही हमको मालूम था... *%* से हमारा कभी भी संबंध ही नहीं था...
😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था...
🤣🤣🤣
किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी...
☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में...
किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. ..
😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम...
एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था.....
🤗 साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी..
क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम...
🤪 हमारे माताजी पिताजी को हमारी पढ़ाई बोझ है..
ऐसा कभी लगा ही नहीं....
😞 किसी एक दोस्त को साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी....
इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे....
🥸😎 स्कूल में मास्टर जी के हाथ से मार खाना, पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था.... सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था...
🧐😝 घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनंदिन जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी.....
मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे...
मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए 😀......
😜 बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है...
😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने कभी दी भी नहीं....
.इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार दो चार बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल, गोली टॉफी खा लिया तो बहुत होता था......उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे.....
😲 छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे ..
🥱 दिवाली में लगी पटाखों की लड़ी को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा...
😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था...
😌 आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए......
और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है..किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं..क्या पता..
😀 स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है.....
वह दोस्त कहां खो गए , वह बेर वाली कहां खो गई....
वह चूरन बेचने वाली कहां खो गई...पता नहीं..
😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है...
🙃 कपड़ों में सलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं......
सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन में अखबार में लपेट कर रोटी ले जाने का सुख क्या है, आजकल के बच्चों को पता ही नही ...
😀 हम अपने नसीब को दोष नहीं देते....जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं....और यही सोच हमें जीने में मदद कर रही है.. जो जीवन हमने जिया...उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती ,,,,,,,,
😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम , पर हमारा भी एक जमाना था
Wow aapne bhut achha likha
बात तो सही है पर आपको नही लगता कि कुछ ज्यादा ही हो गया 😊😊😊
Bhai aapne to dil chhu liya
Bilkul shi kha apne😅
Bhai aapne to bina Jane meri kahani likh di Naman hai bhai you are great 🙏🙏🙏
आज का आपका विडियो देखकर मुझे गर्व है कि मैं टेलीविजन खरीद सकता हूं लेकिन अभी तक खरीदा नहीं और जब बच्चा मोबाइल मांगते हैं तो डाटा की सेटिंग दूसरे सिम पर कर देता हूं जिस में रिचार्ज नहीं है इस वजह से बच्चा खुद ही मोबाइल रख देता है।
Same chij hmari beti b abhi tk phn se dur bhut.4 saal ki h but sb bache jid krte h toh hm bolte h ki wo gnde bache h pr ab bdi ho ri h toh smjh n ata age kase kya
Kaise setting krte h
@@akankshaagnihotri2809 sabhi phone me alag alag system hai mera phone samsung hai usme hai.
मेरा बचपन तो छुपा छुप्पी ,भाग दौड़ , कंचे, बिंगलाशी, कबड्डी, लंगड़ी, पिट्टू गर्म, और टिल्लो मार और छुआ छुब्बल खेल कर बीता और थोड़ा बड़े हुए तो पिता जी के साथ खेत पर जाकर बीतने लगा
Hu bhai meri bhi yahi hal h graduation me phone modi diya h
Apna bhi aapki tarah hi bachpan beeta hai.
Apki mazburi ho gyi h bachho se motee fees lootna jabki fees reasonable bhi rakhi ja sakti h khan sir ki trh
बेस्ट वीडियो सर जी,,,,👍👍👍
बहुत-बहुत धन्यवाद श्रीमान
Sahi baat bol rahe hai,bachhoke electronic gadgets se dur rakhna chahiye kam se kam 10sal ke hone tak..
Sir aap sahi bol rahe hai main apne bhai bahen ko yhi batata hoon apne bachpan ka
✍️ sir aap bahut axe se koi topic samjha dete ho 😊 aapko thank you preshit kr rhi hu pahado se😊you are so wonderful sir😊😊
घर के बड़े जब खुद बच्चों के सामने सारा टाइम मोबाइल चलाएंगे तो फिर बच्चो को कैसे रोकेंगे ??
Sir mene padai band kardi thi 2012 mai kyoki family problem tha lekin 2.5 yer se apka har ek show ko padta hu apke padane se mai apne yaha ke logo ko achhe se samjhata hu kisi bhi topic ke bare mai or ap ese hi padate rahiye sir hmko pdna achha lgta h or kisi ko samjhana bhi achha lgta hai mene apki class to join ni ki but you tube par sikhne ko milta hai baki samay apne kam or family ko dekhne Mai laga diya hai
13Year ka bcchahai pdta nhi hai phone pr adheklga rhta hai
Thanks sir btane ke leye
Sir hamesha har jarori jankari har subjet ki batate hain hum ko bahut accha lagta haie aap bina roken samaj ko jagrit kate rahaen
काश दुनिया 500 साल पीछे चली जाती इंसानियत के लिए बहुत जरूरी है नहीं तो इंसान पागलों की तरह
Bilkul Bhai ka kaha hua baat 100 percent sahi hai
जी सर हम अपने बचपन में खाली समय में नए नए experiment करते रहते थे और रोचक कहानियां पढ़ते थे GK पढ़ना बहुत अच्छा लगता था।
आज की इस विडंबना की सबसे बड़ी वजह govt khud hain
Goverment should come and bring such rules and policies against society
And should be make to park, small play ground for evening meets for सोसायटी people so that the social activities is going continuously and to make a society wellness and happinesss😊😊😊
हमारे देश में तो स्कूल का काम या होमवर्क भी mobile दिया जाता है
Ye COVID ke baad hi hua hai aur other countries me to uske pahle se hi h
सही कहा,, और इसका बाहोतही जादा गुस्सा आ रहा है 😡
sbse phle school se चेंजमेंट kro
Ha❤
Usse koi side effect nhi hai... studies ke liye phone use krna se koi dikkt nhi j
सबसे पहले तो भारत सरकार को रील और शॉर्ट वीडियो को बंद करा देना चाहिए, जिस पर रोजाना मुजरा करती हैं लड़किया, और उसी को आजकल के लोग टैलेंट कहते फिरते हैं, इसके बाद ही मोबाइल को लोग कम use करेंगे।
ye massage trend me hona chahiye
@@Eshachoudhary. 🙏🙏
👍kisi ne toh pahal ki
Sahi bole
RUclips ki setting mai shorts video task bar se remove krne ka option hona chahiye
भारत सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए और जैसे टिकटोक बैन किया था इंडिया से इसी प्रकार ऑनलाइन गेम भी बन कर देना चाहिए इंडिया से जिससे बच्चों के भविष्य को बचाया जा सके
आपका निवेदन सरकार तक पहुंच गया है कल से सारे ऑनलाइन गेम बन कर दिए जाएंगे ।
बच्चो के भविष्य प्रति आपकी चिंता के लिए
धन्यवाद (सरकार)
GenZ 1998 I enjoyed my life outdoors games and now we are enjoying technology both enjoyed 😊😊😊😊
बचपन याद आ गया माल दड़ी , आस पास ( छुपम छुपाई ) टा इला, गेंडा दडी , गीली डंडा , साटिया, घुमचक्करी , रेत के टिब्बे से क्लाइमिंग क्या आपने भी इनमे से कोई एक खेल खेला है तो लाइक करे
Thanks Sir,
Too much informative video🎉🎉🎉❤❤❤❤
Great lesson thank you so much sir 🙏
बहुत अच्छा सर तेजबली
bahut badhiya sir 👌🙏
Thanks 🎉
Bilkul sahi❤
सर मैं बच्चों को क्या कहूं मेरे साथ भी ये समस्या हो रहा है सोचने समझने की सारी शक्ति जैसे हीन हो गई है।
कुछ भी प्रश्न मन में उठता है तो मैं ज्यादा सोचता ही नहीं तुरंत नेट पर सर्च कर के देख मन को शांत कर लेता हूं दुबारा फिर उस प्रश्न को दुबारा देखता हूं तो लगता है जैसे पहली बार देखा हूं।
एक दिन मैंने रिचार्ज फोन नहीं किया तो ऐसा लगता है जैसे आज दिन बहुत बड़ा है बहुत कुछ करना है पढ़ना है लिखना है और फिर जब रिचार्ज हो जाता है तो कौन सा लिखना है क्या पढ़ना है सब स्वाहा हो जाता है। सिर्फ यूट्यूब में क्लास या मूवी शॉर्ट ये सब ही चलता रहता है।
सर अगर कोई निदान है तो बताने की कृपा करे।
Note- यह मैं अपने मन की बात रखी है जो मेरे मन में चल रहा है वही मैंने प्रकट किया है इसमें कोई भी अन्यथा में या मजाक का पात्र न बनाए धन्यवाद ❤
Subah 6 bje uthkar running or excercise kro
Or saath me mobile lekar mt jana
Evening me bhi walking kro
Ghar ke bhar jagah nhi h to
Ghar ki roof pe kro
Or us tym bhi mobile saath me mt rkhna
Sir jab chote the tab phone chahiye tha per ab phone se dur rehna h lekin ab pdai karne ke liye phone chalana hi padta h 3:40
सर स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड की जगह smart screen लग गईं है अब,बच्चो को मोबाइल से दूर रखना बहुत बड़ा चैलेंज हैं अब माता पिता k लिए।बच्चो को खेलने के लिए जगह भी नहीं है।
Sir main kewal rat me 10 se 12 baje tak hi dekhta hu or wo bhi kam se kam aapka 2 video jarur dekhta hu..
Bilkul sir ,i still missing my childhood days ,woh din jab hum school se aate hii shamm ko cricket khelne jaate the aur sunday ki aur festival ke holidays ka wait karte the taaki subah aur shaam dono time khel ske .. aur papao aur mummy se jyada. Khelne ke liye maar khaate the lekin khelne jaroor jaate the .Khaas koi lauta de woh mere bachpan ke din . 😢.
Bahut sahi kiya
Such a great advice ❤❤
It's a reminder to all parents to bring back kids to physical activities!!!
❤❤❤❤❤❤❤
Thank you sir ji 😊
Thank you sir for this information
Good Topic 👍
मैं सरकार से निवेदन करता हूँ कि भारत में ऑनलाइन गेमबंद कर दे ।
Time limitations like 30 minutes
आपका निवेदन सरकार तक पहुंच गया है कल से सारे ऑनलाइन गेम बंद कर दिए जाएंगे ।
धन्यवाद (सरकार)
😂😂@@ravisaran1187
Sahi kaha
Online game to totally ban hona chahiye bhai sahi kaha
Thank you so much sir ❤❤
Nice Information sir❤❤❤❤
I appreciate for this decision of sweden ❤
बहुत बढ़िया जी
Bat to sahi hai❤❤❤❤❤
Great content sir
अरे सर बोलने पर तो आजकल के मां बाप ही गुस्सा हो जाते हैं बच्चों से ज्यादा😮😮😮😮😮😮
😂 right
💯 right
मे टीचर हु aaur एक बच्चे के माँ को बोला तो वो बोली aap पढ़ा के जईए बस😅😢
Fir aap kya kiye😂😂@@GAUTAMKUMAR-hl9tk
It is very serious@@GAUTAMKUMAR-hl9tk
Sir aap sahi bole rahe kyunki CRC centre me sabs jyada autism problem Wale child aatee hai
सही कहा है सर
Right sir meri sister ki ladki bhi abhi 2 saal ki h usko mobile ki aadat padh gayi h aur us wajah sw woh chidchidi si ho gayi h khana aur milk bhi nhi khati piti h bhut jada roti h woh
9.25 'healthy' hona to achhi baat hai sir outdoor activities ki kami ki wajah se bachche obesity/ motape ka shikar ho rahe hain yh kahiye 🙏
बच्चों से ज्यादा तो बड़े लोगों को आदत पड़ गई है इसीलिए बच्चों में फुर्सत नहीं दे रहे हैं बच्चों को मोबाइल एक पड़वा दे रहे हैं वह बच्चा देख रहा है
अच्छी वीडियो बनाते हैं श्रीमान आप , एक वीडियो बच्चों की पढ़ाई पर भी बनाइए क्योंकि आजकल के बच्चों की पढ़ाई, बच्चों की कम और उनके माता-पिता की पढ़ाई ज्यादा हो गई है , इस बारे में आप क्या कहेंगे । मुझे ऐसा लगता है कि इस पढ़ाई में बच्चों का बचपन कहीं खो गया है और साथ में माता पिता का अपना समय भी। आजकल माता- पिता बच्चों से इस डर से, प्यार से बात नहीं करते कि अगर प्यार से बात की तो बच्चे ठीक से पढ़ाई नहीं करेंगे और इस तरह माता-पिता और बच्चों के बीच में जो एक भावात्मक लगाव होता है वह काम होता जा रहा है । सर आप एक्सप्लेन बहुत अच्छा करते हैं ,बहुत सारे लोग आपको सुनते हैं तो एक वीडियो इस पर जरूर बनाइएगा कि बच्चों की पढ़ाई कैसी होनी चाहिए ।
ऐसे तो इंडिया में होना चाहिए
Bilkul sahi bol rahe.kya karu phn ka bahut zyada addiction hai
The best video till now
Not possible in our country because just watch and listen news then forget everything .
So true it's an invitation to future problems for kids as well as parents!!
🕉🙏⚘👍Ankit Sir Namskar
Sir you are Right I also having
Same Problem in my family
Jay hind vande matram 🙏
Bharat mata ki Jay...l🇮🇳 ❤
Sir Sab Dhyan se sunte Hain last mein aap theek haisa bolate ho tab jakar sukun milta hai
well explained
सर 🙈अपने बचपन की याद दिला दी 🙈
Good evening sir ❤
Everything has two way depend on us
1 used correctly
Another wise
2 it destroy us 1:00
Sir मैं 15 साल हु l पढ़ाई के अलावा मैं आपको सुनता हु l ❤❤
Me too 16 year
me 5 years 😂😂
Chhod de
सर हम तो बाहर बाहर जा जा के खेलते थे ।। इससे सबके साथ आना जाना होता था और पूरा का पूरा गांव ही फ्रेंड होता हैं।। हम तो मिट्टी में खेलते थे और कभी मिट्टी से इलर्जी नही हुई ।। आज के टाइम में तो बहुत सारे बच्चों को मिट्टी एलर्जी हैं।। हम तो बचपन में जब कोई घर आता था और राम राम करते थे भाग भाग के आजकल बच्चो को कोई मतलब ही नहीं फोन में समाए रहते है बस ।। संस्कारों को भी खत्म कर दिया फोन ने।।
हम तो बचपन में सड़क पर ही खेलते थे पहले इतनी भीड़ और गाड़ी मोटर न थी
पर आज वो समय न रह गया है
Sir ji iske peeche jimmedaar hamara school aur government hai sare school ke project notice notes aur vedio sab mob par ho gaye hai baccho ko na chahte hua bhi mob Dena pad jata hai bolte hai ye aaya hai vedio dekhana hai notice aaya hai tamam tarah ke cheeje bolte hai mob par hai majbooran hame haar kar na chahte hue b dena padta hai kyoki padhai ka mamla hota hai
Thanku sir❤
असल बात है जब भी कोई नई चीज दुनिया में आती है, जो कॉमन लोगों के पास नहीं होती है तो जैसे ही अपनी रेंज में आता है तो prestige issue बन जाता है और मां अपने बच्चे को देकर बहुत खुश होती है कि हमारे बच्चे के पास है !
समय की आंधी से बचाना नामुमकिन है
ये बात सरकार को नैतिकता के आधार पर समझाना चाहिए।
superb sir
Good motivation
कुर्बानी तो देनी पड़ेगी
नींद की या फिर सपनों की !✨❤️
Thoda sa spno ka control kro 😅or thoda nind ko bhi
Per aapki dp dekhe bina control nahi huaa😂😂😂😂😂
First of all in each colony or in residential area there should be a provision of safe playground
Good evening sir
What ever you telling everything is right.
This is the side effects of development of technology, artificial intelligence.
We are feeling proud of world development. This is that side effects.
Now school are promoting online education rather than offline. This is the very challenging situation to keep away mobile from children.
Main ye pahle hi samjh liya tha isliye maine kabhi apne chote bhai ko phone diya hi nahi na hi uske samne kabhi kuch dikhaya jiski vajah se uska tv aur phone me bilkul bhi man nahi lagta isiliye usse kabhi kahna nahi padta hai padayi ke liye vo khud hi school se ane ke baad padayi karta hai aur khelta hai vo abhi sirf 5 saal ka hai aur vo apni class me sabse tej aur healthy hai agar hum bacho ko mobile ki faltu chijo se dur rakhe to bache apki soch se bhi acha kar sakte hai
Magar ek baat aur chote bacho ko padayi ke liye bilkul bhi marna nahi chahiye kyunki bache bahut masoom hote hai
Right sir
Shi kha
We played Many games but there name was in local language but that time was fantastic
हमारा बचपन बहुत अच्छा है 😂 बहुत लोग दौड़ करते थे।मन करता था बाहर ही खेलें घर पर नहीं।मैं तो अपने दादी बड़ों के साथ बचपन में रही, जिससे बहुत कुछ सिखने को मिला।अब सब आलसी हो गए घर पर 😂पर पढ़ाई के वजह से मोबाइल ही चलाना पड़ता है।
Hm 90s kids rhe h lekin aj hmare baccho ko in chijo ki jarurat h lyonki na ghar me khelne ki jgh h bahar bhej nhi skte crime bahut hote h sara din साथ साथ bahar khilane nhi ja skte , dada dadi भी ajkl pota poti se dur hi rhte h taki unke sukh chain me dikkt na aa jaye, father duty chle jate h bachi akeli maa ghar k kam kre baccho ko nahlaye khilaye pilaye to एक shara chahiye use bhi jo h fon
Child age 2 and above may avoid seeing mobile screen of his/her interest as cartoon, music, etc. if:-
A DOGY, Cat, parrot, or robot toy etc are given to him for his entertainment for 1 hour a day will be best.
I have got good result & my child prefer playing with the "above" rather than viewing mobile/TV screen.
Wah
Thank God. Maine apne bachha ko mobile tv se dur rakha hai. He is 5.5 years old and he denies to watch mobile. Because he knows the effect of mobile after use. He likes to study maths.
Sir classes kaise audio sunege
हा sir अब govt के नए नियम कि school में पीट नही सकते पेरेंट्स पीट नही सकते उन्हें डांट नहीं सकते तो उनके अंदर थोड़ा सा भी किसी का डर नहीं है 😊😊
Tumari soch viksit nahi Hui hai bura mat manna magar yahi sach hai tum log khud bacho ke samne mobile chalate ho fir bacho ko marte ho pahle khud sudhar jao tabhi bacho ko sudhar paoge aur itne masoom bacho se kya ummid ki ja sakti hai jab Mata pita hi pagal ho😡Mera bhi Bhai hai vo kabhi phone nahi dekhta hai na hi tv dekhta hai kyunki humne khud bhi uske samne phone nahi chalaya isliye mobile uski jindagi ka hissa nahi hai magar jo log khud short videos dekhte hai unke bache bhi waise hi short videos dekhte hai maine ye khud apne reletives ke bacho ke sath aysa dekha hai aur isi chij ko dekhte hue hum sab tv aur mobile se duri bana kar rakhte hai tabhi hamara chota Bhai bhi waise hi mobile aur tv se dur rahta hai kyunki hum uske sath khelte hai isliye uska man laga rahta hai agar ek bacho ko tum Ghar me band karke rakho ge to vo kabhi normal nahi ban payega
@@manishverma9694 soch nhi meri shadi hi nhi hui h ye btao aap ki pityi ya papa apke ab ke papa ke papa h modern vese hi the kya itni pityi phir bhi ham shi direction m nhi h kya soch viksit hai par ek dar halka sa jaruri h
@@sanatan4798jab apki shadi hogi aur bachhe honge uske bad bolnaa ye baat
समझाने यदि लोग समझ जाते तो शायद महाभारत नही हुआ होता
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी❤❤❤❤🙏🙏
तो क्या अब इसपे भी महाभारत करे वैसे तो रोज घर मे होता है (सबके घर में) 😂
@@deepakgupta0401😂😂😂😂😂😂😂
True
But why mustn't lose hopes
Sir is this possible like you can introduce RNA for week like one or two sessions in week, although session might be for 2.5 hrs or 3 hrs you can adjust the news and way of description, because of your health we also don't want to continue the session but I think this might be mid way where your health will not suffer as such, I mean you can prepare content in whole week, this is just an idea
Right
Life before 2020 are beautiful 🤩❤️
Jai hind sir
Lockdown meh online classes seh mobile par Bache bigad gae aur bacho koh mobile kee laat lag gae
आटिजम वाली बात सही है।
Joint femily are best🤸🤸
Direct selling के बारे में एक वीडियो बनाईये सर🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
राम राम जी❤❤
Jai Hind
गुरुजी आपसे सच्ची बात कहने वाला मिलता कहां है
काम जितना आसान होता जा रहा है हालात उतनी ही मुश्किल होती जा रही है (जिस उमर में बच्चे को खेलना चाहिए उस उमर मे सब को फ़ोन me होम वर्क दिया जा रहा है ऐसे में फोन तो यूज करेंगे ही)