दोपहर का भोजन" अमरकांत

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  • Опубликовано: 20 ноя 2024
  • "दोपहर का भोजन" अमरकांत की एक मार्मिक कहानी है, जो भारतीय समाज में व्याप्त गहरी सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को उजागर करती है। यह कहानी एक साधारण भोजन के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें नायक, जो निम्न वर्ग से है, भूख, गरीबी और अपमान जैसी कठिन सच्चाइयों का सामना करता है। कहानी में अमरकांत ने अमीरी-गरीबी के बीच की खाई को बड़े ही संवेदनशील ढंग से चित्रित किया है। कहानी के माध्यम से वे यह दर्शाते हैं कि किस प्रकार आर्थिक तंगी एक व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाती है और उसे समाज में हाशिए पर धकेल देती है।

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