जिसने पहाड़ छोड़ दिया वापस नहीं आना चाहता || Migration in Uttarakhand

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  • Опубликовано: 10 сен 2024
  • #Uttarakhand #Migration #उत्तराखंड
    जिसने पहाड़ छोड़ दिया वापस नहीं आना चाहता || Migration in Uttarakhand
    कमजोर शरीर, झुकी कमर, झुर्रीदार चेहरे से उनके अकेलेपन के दर्द साफ झलकता है, ये हैं नब्बे बरस की बिच्छा देवी जो पिछले कई साल से अपने एक कमरे के गिरते घर में अकेले रहती हैं। बिच्छा देवी की यह हालत पहाड़ी इलाकों में बढ़ रहे पलायन की स्थिति को बयां कर रहे हैं।
    पूरी खबर पढ़ें : bit.ly/33Wrv2V
    बिच्छा देवी उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के सतपुली ब्लॉक में चारों तरफ से पहाड़ों से घिरे नदी के किनारे घाटी में बसे गाँव बिलखेत में रहती हैं। इनके बेटे और बहु रोजगार की तलाश में कई साल पहले गाँव छोड़ कर गए, फिर बेटे की मौत के बाद बहु कभी वापस नहीं लौट कर आयी। बिलखेत के साठ फीसदी लोग रोजगार और बेहतर सुविधा की तलाश में गाँव छोड़कर जा चुके हैं।
    बिच्छा देवी अपनी स्थानीय भाषा गढ़वाली में कहती हैं, "अब कोई नहीं आता, सब चले गए, घर गिर रहा कोई देखने वाला नहीं है, किसी तरह रह रही हूं।"
    उत्तराखंड सरकार के ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के कुल 16793 गाँवों में से 1048 गाँव पूरी तरह खाली हो गए हैं। जिन गाँवों में लोग बचे हैं वहां भी कुछ ही लोग अब बचे हैं।
    गाँव में कुछ परिवारों में से एक महिमानंद का भी परिवार है, जो गाँव छोड़ना तो चाहते हैं लेकिन छोड़ नहीं पा रहे हैं। अपने टूटी छत को दिखाते हुए वो गुस्से में कहते हैं, "मेरा घर टूट रहा है, एक-दो बरसात में ये घर पूरी तरह गिर जाएगा अभी इसी में रह रहे हैं हम अगर ये टूट जाएगा तो कहां जाएंगे हम, हम भी जाने वाले हैं बहुत जल्द गाँव छोड़कर, हमारे थोड़ा पैसा हो जाए बस, तो हम भी यहां से फूट जाएंगे, उस जगह पर हमारे रहने का मतलब नहीं है, जहां पर शिक्षा नहीं है रोजगार भी नहीं है तो करना ही क्या है अब यहां।"
    पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 वर्षों में 6338 ग्राम पंचायतों से कुल मिलाकर 3,83,726 लोग पलायन कर गए, जो अभी भी कभी-कभी गाँव में आते हैं। इनमें से 3946 ग्राम पंचायतों के 1,18,981 ऐसे लोग हैं जो पूरी तरह से रोजगार की तलाश में पलायन कर गए और फिर वापस लौट कर नहीं आए।
    साल 2011 की जनगणना के अनुसार सबसे कम आबादी वाले गाँव पौड़ी जिले में ही हैं। पिछले दस वर्षों में पौड़ी जिले के 112 ऐसे गाँव हैं, जहां के 50 प्रतिशत लोग गाँव छोड़कर चले गए हैं, जबकि दूसरे नंबर पर अल्मोड़ा जिला है जहां के 80 गाँवों में 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग गाँव छोड़कर चले गए हैं।
    राज्य में पलायन करने वाले कुल लोगों में से, रोजगार की तलाश में सबसे अधिक 50.16 प्रतिशत लोग पलायन कर गए, इसके बाद 15.21 प्रतिशत लोगों ने शिक्षा के लिए पलायन किया।
    बिलखेत गाँव के जिस नीले रंग के दो मंजिला मकान में मनोरमा देवी का परिवार रहता है, कुछ साल पहले तक दो परिवार और रहा करते थे, आज मनोरमा देवी अपने पति, सास और दो बच्चों के साथ रहती हैं। शिक्षा सही व्यवस्था भी न होना लोगों के पलायन का एक कारण है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के 15.21 लोग ऐसे हैं, जिन्होंने सिर्फ अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पलायन किया और पीछे छोड़ गए खंडहर।
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