"आचार्य प्रशांत संग लाइव ऑनलाइन सत्रों से जुड़ें, फ्री ईबुक पढ़ें: acharyaprashant.org/grace?cmId=m00022 'Acharya Prashant' app डाउनलोड करें: acharyaprashant.org/app?cmId=m00022 उपनिषद, गीता व सभी प्रमुख ग्रंथों पर ऑनलाइन वीडियो श्रृंखलाएँ: acharyaprashant.org/hi/courses?cmId=m00022 संस्था की वेबसाइट पर जाएँ: acharyaprashant.org/hi/home"
Thank you so much. You are helping in very noble cause. May God bless you.🙏😇 I hope more people will get inspired from you and will donate atleast 50-100 rupees. Our smallest contribution can make a big difference.🙌
Mera pujya Gurudev ke Amrit charano main mera koti koti pranam naman 🙏🙏🙏💐 💐💐 jiban jina app se Sikh Raha hun Acharya ji aur sahi Maine main ji Raha hun app na hote to kab ka main be nahin hota
अपना घर ख़ोज लो। और वो कृत्रिम रूप से नहीं मिलता, उसके लिए बड़ी तपस्या करनी पड़ती है। आत्मविचार के साथ बहुत समय बिताना पड़ता है। बार, बार, बार अपनेआप से पूछते रहना पड़ता है क्या बात है? क्या बात है? क्या हो रहा है? घर ये भी हो सकता है कि राह ही मेरा घर है कि निरंतर आत्मविचार ही मेरा घर है। पर कुछ तो ऐसा हो जो अकंप हो, unshakeable हो । जिसको किसी भी तरीके से हटाया, मिटाया न जा सकता हो।
आचार्य जी, हमारे लिए सत्य के प्रतीक हैं। और अगर सारे बंधन तोड़ने हैं तो एक से बंधन बाँधना ही पड़ेगा। इसका आशय ये नहीं है कि हम आचार्य जी, से चिपक गए हैं। अगर हम आचार्य जी, को सचमुच समझेंगे तो हम पायेंगे कि हम आचार्य जी ही होते जा रहे हैं।
संतो की बातें हमेशा 2 तरह की होती हैं....पहला वो जो वे हमें सिखाने के लिए बोलते हैं......और दूसरा उन्होंने जो अपने भीतर के गीत गा दिए (अपने किस्से बता दिए).....।🌿✨🙏
आत्मा से कर्म निकलता है और बीच में जो मध्यस्थ है उसे अहंकार कहते है । आत्मा | - अहंकार कर्म जैसे:- आत्मा एक सागर है जिसमें लहर उठती और गिरती है ये सागर का कर्म है मगर अहंकार (जल की बुंद) सोचती है कि लहर (कर्म) को मैं कर रही हुं। जबकि उसे खुद पता नहीं होता है ये लहरे खुद उठ (आरंभ) और खुद गिर( अंत) होती है। बस अपने को कर्ता मान बैठता है।
जो कभी न बदले ऐसा कोई मेरे लिए वो कृष्ण है उनके लिए दूसरो को बदल सकता हूं। पर कृष्ण को नही बदल सकता हु। मेने कृष्ण को चुन लिया बाकी वो अपने आप चुन लेते है। थैंक यू आचार्य जी। ❤❤❤ 😊
कुछ ऐसा बता दीजिए न जो हिल ही नहीं सकता आपके जीवन में, कुछ है ऐसा? तो समझाने वालों ने यही कहा है, कुछ एक ऐसा पकड़ लो जो हिल ही नहीं सकता फिर बाकी सबकुछ जो हिलता डुलता है उसका हिलना डुलना तुम्हारा आनंद बन जाएगा। तुम अब क्या हो गए? तुम स्थायी हो गए, तुम स्थायी हो गए बाक़ी सब हिल डुल रहा है अपना मौज करो।
आचार्य जी ने इतनी खूबसूरती से समझाया जो कि जरुरी भी है, एक ही रास्ते से अक्सर लोग ऊब जाते हैं, मतलब तरीका लेकिन लक्ष्य एक ही होता है, हर उस महापुरुष का जो में मेरा तु तेरा का भेद समझ गये हों, प्रेम सब सबसे करते हैं जिन्हें लगता है कि वह करते हैं इस संसार में, प्रेम ओर प्रीति, एक जैसा ही दिखता है, फर्क क्या है, प्रेम आपका कभी भी छिन्न भिन्न हो जायेगा, मतलब संसार का, ओर जो हमेशा होता ही है, लेकिन प्रीति में ऐसा नहीं होता, वह केवल एक से ही होती है, उसे ही अन्नय या अन्नयता कहा जाता है, वह जिसे हो जाये वह बदलती नहीं, वहां शंका का कोई स्थान नहीं होता, लेकिन यह इतनी आसानी से नहीं होती, रामायण में लिखा है मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला, तिन्हं तें पुनि उपजहिं बहु सूला. गीता में भी श्री कृष्ण ने अन्नय भक्ति के बारे में कहा है, लेकिन अर्जुन की मनोदशा जैसी है वैसी ही हमारी भी है, शंकाओं का भण्डार भरा पड़ा है, सनातन धर्म को कोई भी नकार नहीं सकता, सनातन धर्म की व्याख्या भी वही महापुरुष कर सकते हैं, जो में मेरा ओर तु तेरा का भेद समझ गये हैं, मन बुद्धि चित्त अहंकार की गुलामी करते करते मनुष्य आत्मा को तो भूल ही गया, हम सब मन को तो खुराक हर रोज हर पल देते हैं, लेकिन आत्मा को खुराक नहीं देते, खुराक का मतलब कुछ ओर मत समझ लेना, आत्म बल का जगना सबसे जरुरी है, अजीब ये कशमकश है, अजीब ही इसमें रस है, जिधर भी देखता हुं, सबमें तेरा ही अक्स है. फल को पकने का इंतजार करना भी बहुत जरुरी है, खुली आंखों से सोने में समय लगता है, आचार्य जी सभी को एक सही दिशा दे रहे हैं, लक्ष्य दूर जरुर है लेकिन इतना तो मालूम हो गया कि लक्ष्य है, ओर लक्ष्य का भेदन तब ही होता है जब आप में अन्नयता आ जाये, उदाहरण के लिए द्रोणाचार्य ने सभी से पूछा क्या दिख रहा है, एक अर्जुन ने ही कहा सिर्फ आंख दिखाई दे रही है, तो द्रोणाचार्य ने कहा लक्ष्य का भेदन कर दो, लेकिन अर्जुन को भी सिर्फ आंख को देखने में जो अन्नयता चाहिए थी उसमें भी समय लगा, अब यह मत सोच लेना सब एक ही दिन में हो गया, लेकिन लक्ष्य का पता होना जरूरी है, ओर आचार्य जी जिस लक्ष्य की ओर इशारा कर रहें हैं उसमें कोई शक नहीं,
संतो की बांटे 2प्रकार की होती हैं। 1. हमारी सच्चाई बताती हैं। 2. वो खुद हमे अपनी स्थिति बताते हैं। हमें पहली पर ध्यान देना चाहिए। प्रणाम आचार्य जी 🌹🌹🙏🙏
जीवन में क्या कुछ ऐसा है, कुछ भी, कोई एक चीज़ भी जिसपे किसी भी स्थिति में आपको संदेह आएगा ही नहीं? या कुछ ऐसा है जिसको किसी भी स्थिति में आप त्यागोगे ही नहीं, जिसके साथ आपकी अनन्यता हो, कुछ है?
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🌻💎🙏🏼❤
Thanks!
Thank you so much. You are helping in very noble cause. May God bless you.🙏😇
I hope more people will get inspired from you and will donate atleast 50-100 rupees. Our smallest contribution can make a big difference.🙌
ऊँ नमः शिवाय।
एक दूर नगर जिसका नाम है,अमरपुर है,और यदि एक डॉक्टर मिल जाए तो बात बने ,साथ में खिड़की भी तोड़े और ऐसी तोड़े की वह वापस न बन पाए
घर घर वही चिलाते है जो अंदर से बेघर होते हैं 🙏🙏
ज़िंदगी में वो एक चीज़ पा लेना जिसके बारे में अब एकदम निश्चित भरोसा है, इसको कहते हैं settle हो गए, घर मिल गया।
Mera pujya Gurudev ke Amrit charano main mera koti koti pranam naman 🙏🙏🙏💐 💐💐 jiban jina app se Sikh Raha hun Acharya ji aur sahi Maine main ji Raha hun app na hote to kab ka main be nahin hota
आप से हमे प्रकाश कि ओर अग्रसर होने का बल मिलता है प्रणाम आचार्य जी
विचार का काम है छोटे मुद्दे को निपटाना।
आपने ही life के सच दिखाए आचार्य जी 👏👏
अपना घर ख़ोज लो।
और वो कृत्रिम रूप से नहीं मिलता, उसके लिए बड़ी तपस्या करनी पड़ती है।
आत्मविचार के साथ बहुत समय बिताना पड़ता है।
बार, बार, बार अपनेआप से पूछते रहना पड़ता है क्या बात है? क्या बात है? क्या हो रहा है?
घर ये भी हो सकता है कि राह ही मेरा घर है कि निरंतर आत्मविचार ही मेरा घर है।
पर कुछ तो ऐसा हो जो अकंप हो, unshakeable हो । जिसको किसी भी तरीके से हटाया, मिटाया न जा सकता हो।
घर घर सबसे ज्यादा बही चिल्लाते है जो भीतर से बड़े बेघर होते हैं। 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
पढ़ा सब रहे पर जो आप पढ़ा रहे वो कोई नही पढ़ा रहा thank u sir life me akar dadal dene ke liye 🙏❤
Prannam sir 🙏🏼
उसको पालो जिसको चाहकर भी बेच न पाओ।
कुछ विचार ऐसे हों जो आने ही बंद हो जाएँ।
30:00 " घर घर वो ही चिल्लाते जो भीतर से बेघर होते हैं "।🙏🏻❤️
Jai shree Ram 🙏🌅
Insan Mein sacchai Aur aatmgyan Ho to sahi mayne mein Vahi insan hai... Sadar parnam Acharya Ji🙏
उनका मन शून्य में स्थित है जिसमे अपार प्रेम भरा है, इसीलिए तो हमें समझाने में लगे हैँ | 🎉🎉
Jay Shree Krishna ❤️🙏 Dear Sir ❤️🙏😊à
आपकी यात्रा पहले आपको मौन में ले जाती है फिर वही मौन आपका गीत बन जाते हैं.....।❤🙇🏻♂️
Bsr 🌨️🌱⛈️🌳🌈💞🙏🌹
Bsr 💞🙏🌹
I love you ❤❤❤
आचार्य जी, हमारे लिए सत्य के प्रतीक हैं।
और अगर सारे बंधन तोड़ने हैं तो एक से बंधन बाँधना ही पड़ेगा।
इसका आशय ये नहीं है कि हम आचार्य जी, से चिपक गए हैं।
अगर हम आचार्य जी, को सचमुच समझेंगे तो हम पायेंगे कि हम आचार्य जी ही होते जा रहे हैं।
जीवन में एक ऐसी चीज होनी चाहिए जिसके बारे में सोचना नहीं पड़ता है❤😊
उसको पा लो जिसको चाहकर भी बेच न पाओ।मुद्दा अब निपट चुका है।👌🙏🙏❤️
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय ।
जो सुख साधु संग मे ,सो बैकुण्ठ ना होय😊😊😊🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Chaho usee jise chahkr b bech na pao❤
मरो हे जोगी मरो, मरो मरण है मीठा।
उस मरनी मरो, जिस मरनी गोरख मर जीठा।।
आप तो मेरी जिंदगी बन गए हो 🙏🌹
After very days I got here this time in morning.
उसको पा लो जिसको चाहकर भी बेच ना पाओ। 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
ये तय कर लो कि मैं आत्मा की ओर की एक निरंतर यात्रा हूँ या इसमें भी कोई समस्या है?
कुछ तो जीवन में ऐसा रखो जिसमें कोई शक न बाकी हो।
💫💫💫
कुछ तो ऐसा हो जीवन में जिस पर शक न हो...✅🙏💐
आज के कबीर जी,नमन हैं
Achrya ji ko jo samjhega vo janega ❤
Om namah shivaya
❤❤❤❤❤😮ok😊
Charan sparsh gurudev 🙏😊
Aap sahi kah rahe hai aacharya ji
संतो की बातें हमेशा 2 तरह की होती हैं....पहला वो जो वे हमें सिखाने के लिए बोलते हैं......और दूसरा उन्होंने जो अपने भीतर के गीत गा दिए (अपने किस्से बता दिए).....।🌿✨🙏
🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️
Shat Shat Naman Acharya Ji 🙏🙏
Charan sparsha 🙇♂️🙇♂️🙇♂️
आत्मा से कर्म निकलता है और बीच में जो मध्यस्थ है उसे अहंकार कहते है ।
आत्मा
| - अहंकार
कर्म
जैसे:- आत्मा एक सागर है जिसमें लहर उठती और गिरती है ये सागर का कर्म है मगर अहंकार (जल की बुंद) सोचती है कि लहर (कर्म) को मैं कर रही हुं। जबकि उसे खुद पता नहीं होता है ये लहरे खुद उठ (आरंभ) और खुद गिर( अंत) होती है। बस अपने को कर्ता मान बैठता है।
आचार्य जी को सुनकर ही जीवन धन्य हो जाता है
आत्मा समुद्र है और कर्म उसकी लहर ।।
अब कर्म सीधे आत्मा से ही निकल रहा है ,बीच में अहंकार के लिए कोई जगह नही है ।।🙏🙏
ताऊ- सेटल कब हो रहे हो, मैं- पहले आप हो जाओ 😂
नमन आचार्य जी 🙏🏻🙏🏻❤️
Pranam acharya ji
आचार्य जी को सुनते रहें। और अधिक से अधिक कमेंट्स करिए, जिससे विडियो की पहुँच (Reach) बढ़ती है। ताकि अधिक लोगों तक यह बात फैल सके।👍
Thank you sir ji app har session kuch nay sikhne ko milte he or happy day 😊😊😊
धन्यवाद आचार्य जी।❤🙏
सादर प्रणाम आचार्य जी। 🙏
Jay Shree Ram ❤
नमन गुरुवर 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
❤❤❤❤❤
Kisi bhi halt me Har nhi manni h
Samne chahe jinte bhi bdi hsti khdi ho bhid jao 💪
Dhnyvad aacharya ji 🙏🙏
आचार्य जी से सीखा है , जीवन का अर्थ है सही कर्म करने का अवसर , सेवा करने का अवसर , सही कर्म करना ही अध्यात्म है। प्रणाम आचार्य जी।।🙏🙏
Naman Naman Naman Naman Naman 🙏
जो कभी न बदले ऐसा कोई
मेरे लिए वो कृष्ण है उनके लिए दूसरो को बदल सकता हूं। पर कृष्ण को नही बदल सकता हु। मेने कृष्ण को चुन लिया बाकी वो अपने आप चुन लेते है।
थैंक यू आचार्य जी।
❤❤❤
😊
Jai jagannath Swami ji pranam 🙏🙏🙏
चरण स्पर्श आचार्य जी🙏🙏🙏❤️❤️❤️
Dhanya Ho Aap
कुछ ऐसा बता दीजिए न जो हिल ही नहीं सकता आपके जीवन में, कुछ है ऐसा?
तो समझाने वालों ने यही कहा है, कुछ एक ऐसा पकड़ लो जो हिल ही नहीं सकता फिर बाकी सबकुछ जो हिलता डुलता है उसका हिलना डुलना तुम्हारा आनंद बन जाएगा।
तुम अब क्या हो गए? तुम स्थायी हो गए,
तुम स्थायी हो गए बाक़ी सब हिल डुल रहा है अपना मौज करो।
💫💫💫
Ji Acharya ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏
प्रणाम गुरुदेव 🙏💐💗
सादर प्रणाम गुरुदेव। 🙏🙏
❣️🙏🏻 Parnaam Acharya G
शत शत नमन आचार्य जी🙏🙏🙏🙏
🙏🏼जय राम जी की🙏🏼
आचार्य जी को मेरा प्रणाम 🙏
Pranaam aachary ji
On slaught of brain storming...OMG...thanks a lot for this session sir....
चरण स्पर्श, आचार्य जी। 🙇🏻🪔
शत शत नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏❣️
कमसे कम , 70 80 लाख या कल का आंकड़ा है 1 करोड़ लोग एक दिन में लोग आचार्य जी के वीडियो देखे हैं ।
आचार्य प्रशांत sir 🙏
You are Great 👍
Sat sat naman prasanta ji 🙏❤️❤️👌❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Guru guru hota sab motivation ka.
Mere bhagwan shri Acharya prashant ji🙏🙏
आचार्य जी प्रणाम ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
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Pranam gurudev 🙏 pranam 🙏🙏🙏🙏🙏
नमन आचार्य जी। 🙏
मन के बहुतक रंग है, छिन छिन बदले सोय |
एक रंग मैं जो रहे, ऐसा बिरला कोय ||
~ संत कबीर 🙏🙏
आचार्य जी को सादर प्रणाम 🙏🍁🙏
शत् शत् शत् नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Prnam aacharya ji thank you very much ❤
❤❤❤ acharya ji 🙏🙏
Koti koti pranam guruji 🙏🙏🙏
प्रणाम आचार्य जी 🌹🌹🙏🙏
शत् शत् शत् नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जिसके साथ आपकी अनन्यता हो उसको ही आत्मा बोलते हैं। 🙏🙏
आचार्य जि 🕉️🕉️🕉️🙏🙏🙏
No one in the world at present time like you acharya ji 🌹🙅🏻♂️@Raje0397🧎🏻♂️🧎🏻♂️🧎🏻♂️
आचार्य जी ने इतनी खूबसूरती से समझाया जो कि जरुरी भी है, एक ही रास्ते से अक्सर लोग ऊब जाते हैं, मतलब तरीका लेकिन लक्ष्य एक ही होता है, हर उस महापुरुष का जो में मेरा तु तेरा का भेद समझ गये हों, प्रेम सब सबसे करते हैं जिन्हें लगता है कि वह करते हैं इस संसार में, प्रेम ओर प्रीति, एक जैसा ही दिखता है, फर्क क्या है, प्रेम आपका कभी भी छिन्न भिन्न हो जायेगा, मतलब संसार का, ओर जो हमेशा होता ही है, लेकिन प्रीति में ऐसा नहीं होता, वह केवल एक से ही होती है, उसे ही अन्नय या अन्नयता कहा जाता है, वह जिसे हो जाये वह बदलती नहीं, वहां शंका का कोई स्थान नहीं होता, लेकिन यह इतनी आसानी से नहीं होती, रामायण में लिखा है मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला, तिन्हं तें पुनि उपजहिं बहु सूला. गीता में भी श्री कृष्ण ने अन्नय भक्ति के बारे में कहा है, लेकिन अर्जुन की मनोदशा जैसी है वैसी ही हमारी भी है, शंकाओं का भण्डार भरा पड़ा है, सनातन धर्म को कोई भी नकार नहीं सकता, सनातन धर्म की व्याख्या भी वही महापुरुष कर सकते हैं, जो में मेरा ओर तु तेरा का भेद समझ गये हैं, मन बुद्धि चित्त अहंकार की गुलामी करते करते मनुष्य आत्मा को तो भूल ही गया, हम सब मन को तो खुराक हर रोज हर पल देते हैं, लेकिन आत्मा को खुराक नहीं देते, खुराक का मतलब कुछ ओर मत समझ लेना, आत्म बल का जगना सबसे जरुरी है, अजीब ये कशमकश है, अजीब ही इसमें रस है, जिधर भी देखता हुं, सबमें तेरा ही अक्स है. फल को पकने का इंतजार करना भी बहुत जरुरी है, खुली आंखों से सोने में समय लगता है, आचार्य जी सभी को एक सही दिशा दे रहे हैं, लक्ष्य दूर जरुर है लेकिन इतना तो मालूम हो गया कि लक्ष्य है, ओर लक्ष्य का भेदन तब ही होता है जब आप में अन्नयता आ जाये, उदाहरण के लिए द्रोणाचार्य ने सभी से पूछा क्या दिख रहा है, एक अर्जुन ने ही कहा सिर्फ आंख दिखाई दे रही है, तो द्रोणाचार्य ने कहा लक्ष्य का भेदन कर दो, लेकिन अर्जुन को भी सिर्फ आंख को देखने में जो अन्नयता चाहिए थी उसमें भी समय लगा, अब यह मत सोच लेना सब एक ही दिन में हो गया, लेकिन लक्ष्य का पता होना जरूरी है, ओर आचार्य जी जिस लक्ष्य की ओर इशारा कर रहें हैं उसमें कोई शक नहीं,
प्रणाम आचार्य जी
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2. वो खुद हमे अपनी स्थिति बताते हैं।
हमें पहली पर ध्यान देना चाहिए।
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जय श्री कृष्ण आचार्य श्री आपको सादर चरणस्पर्श और सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🙏🙏
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