बादरायन के ब्रह्मसूत्र, छांदोग्य उपनिषद व्यास गिता के अनूसार शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है। जिव्हा इंद्रिय है।जिससे परमात्मा का अनुभव नहीं हो सकता। गीता अध्याय 8:28 के अनुसार ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव प्राप्त हो सकता है,यही ब्रह्मासूत्र में और उपनिषद में है,ॐ से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। क्योंकि ॐ के उच्चारण में जिव्हा की आवश्यकता नहीं होती।ॐ ही प्राण है, इसलिए बाराखडी में भी ॐ समाविष्ट नहीं है। हा मैं यह मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रप्त ता होती है,क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद। लोगों को ग़लत मत सिखाओ अपने फायदे के लिए।सनातन धर्म बहूत ही पवित्र है, शास्त्रों को पढ़ो । म्लेच्छ ओ के जैसे व्यवहार करना छोड़ दो क्योंकि ओ भी ऐसे ही रटते है।
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
Yes , Buddha Ek hai , but jese hamare hindu dharm me Ek Dev ki pooja ki alag alag vidhiya hoti hai , usi tarah Bodh Dharm me bhi unke apne kuchh tarike hote hai Pooja or upasna ke Or ye bhi sach hai ki vo kalyug ke sabse santipriya Mahatma the and still they have a big place in our hearts because they have a great relation with Hindu Dharma 😍😊 Jai Budhha 🙏💖
There are different practices people follow while serving God/ Guru all over the world . So by korean Buddhism, he was referring to the Buddhism practices followed in Korea.
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
This is true.... When you start to dance by doing hare Krishna. . . Ek alag hi energy apko attract krti ha like you are dancing in nidhivan with Radha Krishna ...... Everyone should do .. . Believe me stress, depression with anxiety, all health issues will remove and your soul will vibrate with positive energy ...... Also , unique thing you will feel energy of divine love is coming towards you heavily ❤️ Must try please 🙏🏻 I do when I feel myself stress really 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
यही तो भ्र्म है जो मनुष्य को ध्यान मे बाधा उत्तपन करता है। मन को जिस ओर रस मिल जाता है उस ओर मूड जाता है। ओर जँहा रस मिलता है वँहा मन लगाने से आनंद तो मिलता है परन्तु ईश्वर ओर सत्य नहीं मिलता 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
यही तो आपका भी भ्रम है। ध्यान से मन शांत होता है और इंद्रियां काबू में अति है। परंतु ईश्वर की प्राप्ति केवल और केवल भक्ति से ही प्राप्त होती है। और कीर्तन, जप तथा हरि के दिव्य रूप पर ध्यान जो कि साधारण शुन्यवादी ध्यान से लाखो गुना अधिक शक्तिशाली होता है ये सब भक्ति योग का परम अंग हैं। ध्यान केवल प्रथम चिड़ी है आत्मा के उत्थान का, सर्वस्व नही हैं।
किसी को कभी भी ईश्वर को प्राप्ति नही होती ,स्वयं के भीतर ही ईश्वर जाग्रत हो जाता है वो वही प्रकृति से एकाकार हो जाता है ।यानी ,तेरी कृपा कोई क्या पहचाने ,जो तुझसा हो वो तुझे जाने ।।यानी स्वयं ईश्वर हो जाना ही ईश्वर को प्राप्ति है । जो ध्यान और योग से संभव है ।किसी एक आकार को ईश्वर मानकर उसकी भक्ति करते रहना एक कुत्ते का सुखी हड्डी चबाने से ज्यादा कुछ नहीं 🙃🙃🙃🙃
Workout time same 30 min kr leti hu spritual song n thn motivation song thn 2 hour ho jate h achutyam keshvam Ramnarayanam ..........Hare Krishna Krishna Krishna.... N even study time every 2 lines bad hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare 😊🔥🙏🙌😍
@@pppppppphrhdj ha dear main pdhti hu nd donate bhi krti hu every month friends nd relatives me 🙂😔 bs aim hai family vale bhi pdh le mere family me kisine nahi padhi nahi vo interested hai vo dadaji k bad bdi mummy ne to rddi me dal di thi tb main nly 9 th me thi main khud ko lucky smjhti hu ki kanhaji ne mujhe choona but jb pata chala k Radha Rani ma jinko pukarti unhiko vo khinch ke late tb to aansu aaye dadaji main 2 sal k thi tbhi gye but ha main keh skti unke sanskar bs mujhme aye but meri family mujhe bahot bura bhala kehte h it's hurt mere samne mans khate h hindu hoke bhi god ko kuch bhi kehte didi hr sal k may me ek hi Tarikh ko kuch bura hota h but nhi sunte but main dhirya rkhti ki shyd universe kanhaji ne meri lado ne isiliye mujhe chuna 😍 🙌 Radhe Radhe
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
@@MrAarsan Arey agar aisa hota toh Sri Krishna hi Gita mein bol dete ki yeh hare krishna karo. But Gita mein Sri Krishna ne aisa nahi bola tha, unhone pranayam , dono ankho ke bich wali space mein focus karne bola tha😏😏😏
@@Rishi_2456 ok esa krke dikha do tum is kalyug mai itni distractions mai and monkey mind ke sath kro na fir rok kon rha hai usko liye bhi sharte thi mere bhai ki ekant mai bethke kisi jungle mai zammeen se jyada upar ni na jyada niche and tiger skin was needed vo bhi jo pehle ka mara ho krke dikhao na yeh yog yeh possible nhi hai bhuddi lgao apni. krsna came as chaitanya mahaprabhu and gave us simple technique to clean ourself and come back to him that is chanting hare krsna
Prabhuji aapka goal ye nahi hona chahiye ki kisi ko shunyawad se hatakar hare krishna pe le aaye balki ye hona chahiye ki usko shunyawad me hi hare krishna ka sukoon mile... hari bol.
Radhe radhe Jay shree Krishna 🌹🌹🙏🌹🌹🙏🌹🌹🙏🌹🙏🙏🙏🙏 aanand mei hai parmanand 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare hare rama hare rama rama rama hare hare 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹💞🦋
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
Us tarh ki meditation bahot higher stage h. Sabke bas ki baat ni. Bade bade tapsvi, sadhu jan hi kar paate h. Kirtan, bhajan ki khoobsurti ye h ki ham jaise maya me rah rahe log bhi isase asani se prabhu se jud sakte h.
Krishna says in Gita " abandon all religious practices and just surrender unto me. I will take care of the rest." Kaliyug mai meditation kam nai karta it's only harinam
Krishna says in Geeta- "main hi parmatma hoon saare devi devta mere bhitar hai aap kisi bhi roop mai God ko puja kare aayega to mere hi pass" , bas iske baad aur kuchh nehin hota 😊, Jai shree Krishna ❤🙏
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
Please do not critizise MEDITATION..... There are various types of meditation and every individuals gets result in different meditation.... Every mediation and every kirtan is good .. Plz do not critisize.
Actually prabhu ji don't get me wrong not criticising but i read somewhere in srimad bhagvatam that yoga may give us the control of our desire and lust but it cannot completely satisfy our soul, it can only be satisfied by bhakti. Srimad Bhagvatam is the paramhans puran that is above all 3 gunas sato rajo tamo this to be read by paramhans and those who want to be paramhans. Hope you understand. Radhe Radhe❤❤
@@deepchak35 The vedas and upanishads are superior to puranas and geeta as they are shruti and have more archaic and perfect knowlegde of satyuga. When will the society for asur dhonginess realise this
@Dyaus Is God Srimad Bhagvatam 1.4.20 states that the itihas(ramayan and mahabharat) and puranas together constitute the fifth veda therefore vedas are not superior but equal to puranas and in them srimad bhagvatam is topmost, it is the scripture read by paramhansas and those who want to be paramhansas that is people who are above all the three gunas sato, rajo, tamo. In srimad bhagvatamstates srila vyasdeva ji states how this purana was formed upon insisted by sri narad muni who was his guru and when he asked his guru why he is not finding peace after dividing one yajur veda into four veda to simplify for everyone,writing mahabharat which includes geeta and writing all purananas then his guru srila narad muni said that he wrote everything except the supreme lord's pastimes which is the reason for his distress so he should write a sole purana dedicated to lord's pastimes so he wrote the bhagvat purana which includes only the lord's pastimes and after writing it, it gave him relief from distress and mental peace. So, by common sense, it could be told that the scriptures that couldn't satisfy the author aur the writer , so how could it give satisfaction to the reader that too when the writer is Srila Vyasdeva. I hope you understand my point. Thank you for reading this. Radhe Radhe❤️❤️
In this age of kaliyug it's not everyone's cup of tea to do meditation and even other practices therefore chaitanya mahaprabhu spread Hari Naam by which with no efforts people can connect to God. Krishna says in bhagwat git, "abandon all religious practices and just surrender unto me.I will take care of the rest."
Please do not misguide 🙏.... Every single person has a particular way of sadhna.... Kirtan is good and great but dhyan is not dry..... Depends on what a person prefer..... Bhakti or dhyan or both are respectable.... Praising one is good but do not degrade the other
Phele bat BHAGWAN bs ek he hai vo SHREE HARI ❤️🧿🙏🚩✨ pr vo sirf ek reality bta re h ki us admi ko dhyan rukha sukha lga to usme disrespect kha hui Bhai mtlb kuch bhi 😶 or koi misguide nhi hora hai apke or 2 apke jeso k alva
Jai shri krishna jai shri sankar jai shri rama jai shri ganesh jai shri krishna govind ❤
बादरायन के ब्रह्मसूत्र, छांदोग्य उपनिषद व्यास गिता के अनूसार शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है। जिव्हा इंद्रिय है।जिससे परमात्मा का अनुभव नहीं हो सकता। गीता अध्याय 8:28 के अनुसार ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव प्राप्त हो सकता है,यही ब्रह्मासूत्र में और उपनिषद में है,ॐ से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। क्योंकि ॐ के उच्चारण में जिव्हा की आवश्यकता नहीं होती।ॐ ही प्राण है, इसलिए बाराखडी में भी ॐ समाविष्ट नहीं है। हा मैं यह मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रप्त ता होती है,क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद। लोगों को ग़लत मत सिखाओ अपने फायदे के लिए।सनातन धर्म बहूत ही पवित्र है, शास्त्रों को पढ़ो । म्लेच्छ ओ के जैसे व्यवहार करना छोड़ दो क्योंकि ओ भी ऐसे ही रटते है।
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमःकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमःकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमःकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमःकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमःकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमःकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः
hare krishna 🙏
Hare Krishna 🙏🙏🌹🌹
Accha to aapne ye mantra siddh karliya?
@@geetanshupreti4625 nahi bhai..... Mein to murkh hun..... Mein kese sidhh kar sakta hun.... Bina bhagwan k kripa se kese sidh kar sakta hun
Hare krishna
❤ हरे कृष्ण हरे रामा ❤ जय श्री राधेकृष्ण❤
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
I do hare Krishna and om namah shiva ya. .both Krishna and Shiva are an integral part of life.. they are like 2 flavours of the same energy ...
Nope
True right
Wrong
True.
They are same
@@gamerzortex6400 why?
Hare Krishna Hare Rama 🙏🙏🌹🌹
Hare Krishna 🌼🙏
Surprised to listening u just swami ji I am in California new to & chanting to hare krishana hare rama hare krishana 😊🤗👏👏🙏🙏
ruclips.net/user/liveLbewTr0LHzk?si=XeBb43PB7pmCOO7j
HARE KRSNA HARE KRSNA KRSNA KRSNA HARE HARE 🌸 HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAMA HARE HARE🙏✨
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
First of all there is nothing like "Korean" Buddhism second of all ,yesss Hare Krishna mahamantra is the best medicine for every soul😇🥹
Yes , Buddha Ek hai , but jese hamare hindu dharm me Ek Dev ki pooja ki alag alag vidhiya hoti hai , usi tarah Bodh Dharm me bhi unke apne kuchh tarike hote hai Pooja or upasna ke
Or ye bhi sach hai ki vo kalyug ke sabse santipriya Mahatma the and still they have a big place in our hearts because they have a great relation with Hindu Dharma 😍😊 Jai Budhha 🙏💖
There are different practices people follow while serving God/ Guru all over the world . So by korean Buddhism, he was referring to the Buddhism practices followed in Korea.
buddha bhi 2 hai. 🙏🏽
@@loveisallweneed8517 yesss 👍
@@bhaktiprasadvedickendra6809 can you explain me 😊
Radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe 🙏🏻🌼🙏🏻
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
🙏हरे कृष्ण🙏🙂
ओम नमो भगवते वासुदेवाय 🙇📿🕉️🌺
This is true.... When you start to dance by doing hare Krishna.
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. Ek alag hi energy apko attract krti ha like you are dancing in nidhivan with Radha Krishna ......
Everyone should do ..
. Believe me stress, depression with anxiety, all health issues will remove and your soul will vibrate with positive energy ......
Also , unique thing you will feel energy of divine love is coming towards you heavily ❤️
Must try please 🙏🏻
I do when I feel myself stress really 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
हरे कृष्ण हरे राम जय श्री राधेश्याम जय श्री राधे राधे जय श्री सीताराम
यही तो भ्र्म है जो मनुष्य को ध्यान मे बाधा उत्तपन करता है। मन को जिस ओर रस मिल जाता है उस ओर मूड जाता है। ओर जँहा रस मिलता है वँहा मन लगाने से आनंद तो मिलता है परन्तु ईश्वर ओर सत्य नहीं मिलता 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Sahi kaha🙏
Shunyawad se ishwar nahi par moksha ke bad shunya me atma vilin ho jati hai
यही तो आपका भी भ्रम है। ध्यान से मन शांत होता है और इंद्रियां काबू में अति है। परंतु ईश्वर की प्राप्ति केवल और केवल भक्ति से ही प्राप्त होती है। और कीर्तन, जप तथा हरि के दिव्य रूप पर ध्यान जो कि साधारण शुन्यवादी ध्यान से लाखो गुना अधिक शक्तिशाली होता है ये सब भक्ति योग का परम अंग हैं। ध्यान केवल प्रथम चिड़ी है आत्मा के उत्थान का, सर्वस्व नही हैं।
किसी को कभी भी ईश्वर को प्राप्ति नही होती ,स्वयं के भीतर ही ईश्वर जाग्रत हो जाता है वो वही प्रकृति से एकाकार हो जाता है ।यानी ,तेरी कृपा कोई क्या पहचाने ,जो तुझसा हो वो तुझे जाने ।।यानी स्वयं ईश्वर हो जाना ही ईश्वर को प्राप्ति है । जो ध्यान और योग से संभव है ।किसी एक आकार को ईश्वर मानकर उसकी भक्ति करते रहना एक कुत्ते का सुखी हड्डी चबाने से ज्यादा कुछ नहीं 🙃🙃🙃🙃
True bro ...but people not understand these ..from where you got these knowledge?@@Voiceoffrealty
Jai Shree Krishna ❤
Harekrishna Harerama
Hare krishna Dandwat pranam Amogh Lila Prabhujiki
Hare krishna hare krishna ,
Krishna Krishna hare hare ,
Hare ram hare ram ,
Ram ram hare hare ,
Workout time same 30 min kr leti hu spritual song n thn motivation song thn 2 hour ho jate h achutyam keshvam Ramnarayanam ..........Hare Krishna Krishna Krishna.... N even study time every 2 lines bad hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare 😊🔥🙏🙌😍
didi aap Bhagvad Geeta vi padha kijiye
Very Good sister
@@pppppppphrhdj ha dear main pdhti hu nd donate bhi krti hu every month friends nd relatives me 🙂😔 bs aim hai family vale bhi pdh le mere family me kisine nahi padhi nahi vo interested hai vo dadaji k bad bdi mummy ne to rddi me dal di thi tb main nly 9 th me thi main khud ko lucky smjhti hu ki kanhaji ne mujhe choona but jb pata chala k Radha Rani ma jinko pukarti unhiko vo khinch ke late tb to aansu aaye dadaji main 2 sal k thi tbhi gye but ha main keh skti unke sanskar bs mujhme aye but meri family mujhe bahot bura bhala kehte h it's hurt mere samne mans khate h hindu hoke bhi god ko kuch bhi kehte didi hr sal k may me ek hi Tarikh ko kuch bura hota h but nhi sunte but main dhirya rkhti ki shyd universe kanhaji ne meri lado ne isiliye mujhe chuna 😍 🙌 Radhe Radhe
@@pppppppphrhdj
Hare Ram hare Ram Ram Ram hare hare hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare.
Bhagwat Gita pura hua.
@@kriyal_kris. Keep Going sister, krishna is a secret friend of yours He ll show you the path
कृष्णम् वंदे जगद्गुरुम्
JAY JAY JAY CHAITNYA MAHAPRABHUJIKI
Hare Krishna ❤️
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
Radheradhe
Hare Krishna Radhe Radhe🚩🙏🏻
बात तो सही है .❤. इस की हरे कृष्ण की अपनी ऊर्जा है
Swami ji i am in California to just know here krishana hare rama 😊🤗🤗👏👏🙏🙏
Hare Krishna Hare Ram Hare Krishna Hare Ram Hare Krishna Hare Ram❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare
Exercise ke baad pranyam mai om ka dhyan karta hu last mai saari thakavat chali jaati hai shanti milti hai
Sahi hai par wo purn yog nahi hai
Bas yog ka part hai
HARE Krishna 💖 राधे
जय श्री राम 🚩🚩
🙏
Hare krishna❣️❣️❣️❣️ hare krishna❣️❣️❣️❣️
ध्यान, सनातन धर्म दर्शन का एक महत्त्वपूर्ण अंग है, इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। अष्टांग योग ध्यान भी आवश्यक है,।।
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
🙏Radha♥️Radha 🙏
Jai shree Ram 🛕
🌸 Hare ❤️ Krishna 🌸❤️❤️🌸
Radhe ❤️ Radhe 🌸 Krishna 🌸❤️❤️
हरे कृष्णा...........
Radhe Radhe 🙏🙏🙏 Jay Sri Krishna 🙏🙏🙏
Ram Ram ji
RADHE RADHE❤️🙏
hare krishna
Hare Krishna 🙏🏻
Radhe Radhe 🙏🏻🙏🏻
Hare Krishna 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Hare Krishna hare Rama Jai shree Krishna Jai shree Ram ❤❤❤❤❤
🤗♥️🙏✨Jay Shree RaDHe RaDHe KrishNa Ji✨🙏♥️🤗
Radhe Radhe hare Krishna ❤
🙏🚩Jai Shree Radhe Krishna Mohan Manohar Murari Mukunda Govind Gopal Keshav Kishor Kishan Narayan Vasudev Vishnuve Namah 🚩 🙏
Sachi kaha...
Literally I started chanting hare Krishna from last week it make me feel like just peace 😌❣️
Hare Krishna 🙏
Hari bol❣️☺️
True that.
Haribol
Chant the maha mantra: "Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna, Krishna, Hare, Hare" Best Mantra❤🎉
@@MrAarsan Arey agar aisa hota toh Sri Krishna hi Gita mein bol dete ki yeh hare krishna karo.
But Gita mein Sri Krishna ne aisa nahi bola tha, unhone pranayam , dono ankho ke bich wali space mein focus karne bola tha😏😏😏
@@Rishi_2456 ok esa krke dikha do tum is kalyug mai itni distractions mai and monkey mind ke sath kro na fir rok kon rha hai usko liye bhi sharte thi mere bhai ki ekant mai bethke kisi jungle mai zammeen se jyada upar ni na jyada niche and tiger skin was needed vo bhi jo pehle ka mara ho krke dikhao na yeh yog yeh possible nhi hai bhuddi lgao apni. krsna came as chaitanya mahaprabhu and gave us simple technique to clean ourself and come back to him that is chanting hare krsna
Hari bol 🎉
hare Krishna hare rama🙏🙏🙏
Jay Shree Sita Raam Hanumaan Jay Shree Radhe Krishna Jay Shree Sita Raam Hanumaan Jay Shree Prabhu Ji
JAY JAY JAY GAUR NITAI MAHAPRABHUJIKI
Radhe radhe
Radhe Krishna Radhe ❤❤
😅😅sahi me prabhu ji may dance bhi krti hu hare Krishna mahamantra ke sath i can injoy my life with krsna bhakti ❤❤hare Krishna
Prabhuji aapka goal ye nahi hona chahiye ki kisi ko shunyawad se hatakar hare krishna pe le aaye balki ye hona chahiye ki usko shunyawad me hi hare krishna ka sukoon mile... hari bol.
Hare Krishna 🙏
Hare Krishna Prabhuji 🙏 💙
I Am A Hindu And I Love And Respect Buddhist Religon too Hare Krishna Namho Buddhay
Hare Krishna prabhuji 🙏😇😊❤️
Radhe Krishna 🙏🙏
Hare Krishna. Hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare hare ram hare ram ram ram hare hare is mahamantra.
Radhe radhe Jay shree Krishna 🌹🌹🙏🌹🌹🙏🌹🌹🙏🌹🙏🙏🙏🙏 aanand mei hai parmanand 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare hare rama hare rama rama rama hare hare 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹💞🦋
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
Amogh prabhu ji.. Respect all religion..Gautam buddha lord krishna ke hi avtar hai..Aur Vipassana unki hi sikayi gayi शिक्षा हैं...
No! That Buddha swaroop is different from that Siddharth guy of Nepal.
Nope Siddharta Gautam Buddha is not same same Bhagwan Buddha(Vishnu avatar)
Jal gayi na tumhari sach sunke😂
Yahi sach hai bhakti yog sabse mahan hai
Hari kirtan is the 2ay to godhead in kalyug
Wo kisi ko disrespect ni kar rahe hai
RADHEY🧡🌎
Hare Krishna 🌸
आपके पृवचन सुनकर कृष्ण भक्ति मे डूब जाती हूँ । हरे कृष्णा 🙏🙏
Us tarh ki meditation bahot higher stage h. Sabke bas ki baat ni. Bade bade tapsvi, sadhu jan hi kar paate h. Kirtan, bhajan ki khoobsurti ye h ki ham jaise maya me rah rahe log bhi isase asani se prabhu se jud sakte h.
हरे कृष्ण
Hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare hare Rama hare Rama Rama Rama hare hare 🙏🙏🙏🙏
हरे कृष्णा❤ हरे कृष्णा💖
सत्य हमेसा निरश ही होता हैँ... मौज और निम्न अधिक आकर्षक होता ही हैँ..
Bewkuf tatva ni samaj sakte
हरे कृष्ण🙏
Dandavat pranam prabhuji 🙏🙏🙏 hari hari 🙏 param vijayate Sri Krishna sankirtanam 🙏🙏🙏 Hare Krishna Hari bol 👍🙏😀
'✨🙏✨ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।'✨🙏✨
Hare krishna 😊
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤HareKrishna❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
I agree, but the way of knowing yourself is the Sadhna-meditation the path of Lord Mahadev 🕉️🙏🏻
Swayam Shivji bhi Hari ke hi dhyan mein lene rehte hain.
Jai shree radhe krishna 🙏
Arey vo ladka me BHI hu it really happened to me😂
And now all I do is "saaso ki maala pe simru me krishna naam"
App apnan kar raha hai
Krishna says in Gita " abandon all religious practices and just surrender unto me. I will take care of the rest." Kaliyug mai meditation kam nai karta it's only harinam
Matlb kuchh bhi.
Hare Krishna japna apni jagah hai aur dhyan apni jagah.
Aur wastav me rookhi aur kathor Marg hi sahi hota hai.
🚩🚩🚩
Aisa nhi h ki rookhi or kathor marg hi sahi ho
Jai Shri radhe Krishna Ji ❤❤❤🎉🎉🎉
Shunyavad shunya hi hogaya😂
Galat interpret mat karo bhai, shunyawad doesnt means shunya.It actually means ultimately everything we perceive disappears over the period..
Jai shree radhe radhe jiiiii❤
Meditation is very powerful, aur ye bat aap nahi samjhoge😂😂
I was actually looking for a comment like this
Krishna says in Geeta- "main hi parmatma hoon saare devi devta mere bhitar hai aap kisi bhi roop mai God ko puja kare aayega to mere hi pass" , bas iske baad aur kuchh nehin hota 😊, Jai shree Krishna ❤🙏
बाद्रायण जी के ब्रह्मसूत्र और छांदोग्य उपनिषद और वेदव्यास जी के गीता में कहां है, शब्द तो केवल जिव्हा का व्यवहार है, जिव्हा इंद्रिय है ओर इंद्रियों से परमात्मा का अनुभव नहीं किया जा सकता। और उपरोक्त ब्रह्मसूत्र,उपनिषद और गीता में कहा है की ॐ के उच्चारण से ही परमगति प्राप्त हो सकती है। ॐ ही उदगाता है मतलब ध्यान में ॐ का उच्चारण प्राण ओर अपान के साथ। भगवदगीता अध्याय 8:28 में है की ॐ के उच्चारण से ही परमात्मा का अनुभव होता है और परमगति प्राप्त होती है। ॐ ही प्राण है, इसलिए ॐ बाराखडी में भी समाविष्ट नहीं है। हा! मैं ये बात मान सकता हूं की संगित से इंद्रियों की त्रिप्तता की जा सकती है। क्योंकि संगित ही साम है मतलब सामवेद है। इसलिए महाराज आप अपने फायदे के लिए लोगों को ग़लत मत सिखाओ। नहीं तो आप में ओर उन म्लेच्छ लोगों में जो पांचों वक्त रटते है कोई फर्क नहीं रहेगा।
Please do not critizise MEDITATION.....
There are various types of meditation and every individuals gets result in different meditation....
Every mediation and every kirtan is good ..
Plz do not critisize.
Actually prabhu ji don't get me wrong not criticising but i read somewhere in srimad bhagvatam that yoga may give us the control of our desire and lust but it cannot completely satisfy our soul, it can only be satisfied by bhakti. Srimad Bhagvatam is the paramhans puran that is above all 3 gunas sato rajo tamo this to be read by paramhans and those who want to be paramhans. Hope you understand. Radhe Radhe❤❤
Chanting is meditation. Kirtan means singing and dancing and chanting means taking continuous name of god without stopping
No no no you're confusing dhyan with meditation.
@@deepchak35 The vedas and upanishads are superior to puranas and geeta as they are shruti and have more archaic and perfect knowlegde of satyuga. When will the society for asur dhonginess realise this
@Dyaus Is God Srimad Bhagvatam 1.4.20 states that the itihas(ramayan and mahabharat) and puranas together constitute the fifth veda therefore vedas are not superior but equal to puranas and in them srimad bhagvatam is topmost, it is the scripture read by paramhansas and those who want to be paramhansas that is people who are above all the three gunas sato, rajo, tamo. In srimad bhagvatamstates srila vyasdeva ji states how this purana was formed upon insisted by sri narad muni who was his guru and when he asked his guru why he is not finding peace after dividing one yajur veda into four veda to simplify for everyone,writing mahabharat which includes geeta and writing all purananas then his guru srila narad muni said that he wrote everything except the supreme lord's pastimes which is the reason for his distress so he should write a sole purana dedicated to lord's pastimes so he wrote the bhagvat purana which includes only the lord's pastimes and after writing it, it gave him relief from distress and mental peace. So, by common sense, it could be told that the scriptures that couldn't satisfy the author aur the writer , so how could it give satisfaction to the reader that too when the writer is Srila Vyasdeva. I hope you understand my point. Thank you for reading this. Radhe Radhe❤️❤️
Hare krishna
Afva Mt felao dhyan ko km na smjo sadhk yesi bate kre ho
In this age of kaliyug it's not everyone's cup of tea to do meditation and even other practices therefore chaitanya mahaprabhu spread Hari Naam by which with no efforts people can connect to God. Krishna says in bhagwat git, "abandon all religious practices and just surrender unto me.I will take care of the rest."
Jai jai pandurang hari
App jhoot bole Raha hai
Please do not misguide 🙏....
Every single person has a particular way of sadhna.... Kirtan is good and great but dhyan is not dry..... Depends on what a person prefer.....
Bhakti or dhyan or both are respectable.... Praising one is good but do not degrade the other
Phele bat BHAGWAN bs ek he hai vo SHREE HARI ❤️🧿🙏🚩✨ pr vo sirf ek reality bta re h ki us admi ko dhyan rukha sukha lga to usme disrespect kha hui Bhai mtlb kuch bhi 😶 or koi misguide nhi hora hai apke or 2 apke jeso k alva
Param vijayate sri krishna sankirtanam
@@Dimpleshah27 too phir allah, waheguru, shiv shakti ganpati kon hai
@@vivek8580 sb Hari ke rachaye hue hai🔱🔱🧡
Or apko batadu shree hari or Mahadev ❤️ ko bhe alg nhi mnna chiye ve dno ek he haii 💕🚩✨
Radhe Radhe❤
Kaisi kaisi kahaniya bnakar dhandha chalata hai ye amogh
Radhe radhe radhe krishna
🙏❣️Hare Krishna ❣️🙏
Hari Krishna Hari Ram ♈♈♈
Hare krishna❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Jai shree ram
हरि बोल🙏🌷🙏