Reason why I quite showbiz film industry, islam saharafsha bangalore

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  • Опубликовано: 11 окт 2024

Комментарии • 1,2 тыс.

  • @SAMIR_KHAN1
    @SAMIR_KHAN1 2 года назад +165

    May Allah give hidayah to all the brothers and sisters ❤️🇮🇳

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @aasifmalik4637
      @aasifmalik4637 2 года назад

      @@Prodigy427 kab tak jinda rahega ek din marna to padega ye b ek sach h Or ye allah ne bataya h Tu kya bolta h is baat par apni mot ko rok sakta h tu

    • @arshisaba4833
      @arshisaba4833 2 года назад +1

      Beshak Allah sbko nek hidayah de

    • @prawejalam301
      @prawejalam301 Год назад

      aamin

    • @mehkhan8070
      @mehkhan8070 Год назад

      Ameen

  • @aahrar4146
    @aahrar4146 2 года назад +27

    Allah hm sab musalman ko sacche raste pe chane ki taufiq aata farmaye ❤️

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @BSKCOMPARE
    @BSKCOMPARE 2 года назад +15

    Main musalman to nahi hu lekine aap ne Jo sikhaya hai vo bahut hi achhi baat hai main aap ki aane wali zindagi ke liye subh kamnaye deta hu 🙂☺️😊

  • @AAok4db
    @AAok4db 2 года назад +14

    Mashallah congratulations ❤️
    Allah tamam Musalmano ko hidayat de!

  • @KakakAbdullah
    @KakakAbdullah 2 года назад +104

    बहुत important बात कही अपने, अल्लाह हमे हिदायत अता फरमाए।

    • @jamiasiddiqiyaasadululoomo8673
      @jamiasiddiqiyaasadululoomo8673 2 года назад +2

      Ji Beshak

    • @meradeeneislamloveislam
      @meradeeneislamloveislam 2 года назад +1

      Aameen summa Aameen ❤

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад +2

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад +1

      @@jamiasiddiqiyaasadululoomo8673
      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @Daawarshorts
      @Daawarshorts 2 года назад

      @@Prodigy427 wah gyani baba aapa kaha they aaj tak lagta hai aaj hi aasmano se prithvi par utrey hai 😂😂😂😂😂

  • @izhartechnical5664
    @izhartechnical5664 Год назад +1

    Allah ka bahut bahut sukar hai jo aap ko der se hi lekin samajh to aaya. Allah aap ko is filmi duniya se dur kare or Islam ko dil se Qubool karne ke ata faramaye. Ameen.

  • @Sarwar_757
    @Sarwar_757 2 года назад +44

    Everyone should have mindset like her. May Allah fulfill all dreams of her life 💕, always

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @sadiyaumarvoice7413
    @sadiyaumarvoice7413 2 года назад +1

    Beshak Appi...Allah pak Aap ki baton mai bhaut bhaut taseer paida karey...bhaut khub btaya hai Aap ne

  • @arjunraj2011
    @arjunraj2011 2 года назад +25

    Bas aise hi sari heroines industry chhor de to maza aa jaye 🙏 ishwar se kripa mangta hu in sabhi k liye

  • @naiem9519
    @naiem9519 Год назад +1

    Seeing her first time
    But still feel connected may Allah(swt) bless her ❤️❤️❤️

  • @official_athar09
    @official_athar09 2 года назад +4

    میری پیاری بہن اللہ آپ کو ہمیشہ سلامت رکھے ہمیشہ دین ایمان پر قائم رکھے ۔ اھدنا الصراط المستقیم پر چلنے کی ہم سب کو توفیق عطا فرمائے آمین ❤️❤️❤️❤️

  • @firojalam1510
    @firojalam1510 2 года назад +1

    اللہ جانے شانہو سے میری دلّی آرزو ہے کی تمام لوگوں کی ایمان کو حفاظت فرمائے اور اپنے حفزو اعمال میں رکھے آمین

  • @ashrafulhoque3808
    @ashrafulhoque3808 2 года назад +7

    اللہ آپکو ہمیشہ صراط مستقیم پر قائم رکھے

  • @kaniajander
    @kaniajander 2 года назад +2

    ماشاءاللّٰه .یہ اللہ کا فضل ہے اللہ پاك جس کو چاہتے ہیں عطا کرتے ہیں_اللہ پاک آپ کو صبر واستقامت عطا فرمائے آمین اورجتنے گنہگار ہیں سب کو سچی اور پکی توبہ کرنے کی توفیق عطا فرمائے آمین اور جتنے بھی بے ایمان ہیں سب کو ایمان کی دولت عطا فرمائے آمین

  • @ehteshamansati8649
    @ehteshamansati8649 2 года назад +10

    Asslamu alaikum bahut achchi baat bataye ap allh taala her muslman ko sahi raste m chalne ki toufeek de ameen

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @ahsanofficial2
      @ahsanofficial2 2 года назад

      अल्लाह इस दुनिया में है या नहीं
      यह अपनी चलती हुई सास से पूछो
      जब यह सांस रुक जाएगी तो पता चल जाएगा

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      @@ahsanofficial2
      मेरी सांस 150 वर्ष अधिक चल ही नहीं सकती और मेरी सांस 150 से अधिक चले ऐसा काल्पनिक अल्लाह कर भी नहीं सकता।

  • @umardiwan72
    @umardiwan72 Год назад

    ماشاءاللہ بہت خوب بهن الله دنیا و آخرت کی کامیابی دے آمین

  • @muhammadaarifshahabuddinkh4508
    @muhammadaarifshahabuddinkh4508 2 года назад +29

    Masha Allah
    Allah hum musalmano ko seedhe raste pe chalne ki taufeeq ata farmaye!

    • @meradeeneislamloveislam
      @meradeeneislamloveislam 2 года назад +2

      Aameen summa Aameen ❤

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      @@meradeeneislamloveislam क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад +1

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @afrojaalam2920
      @afrojaalam2920 2 года назад +1

      @@Prodigy427 Are bhai aap Allah ko samjhne ke liye aap hm logo ke paas aao

    • @190mohammedyasin6
      @190mohammedyasin6 2 года назад

      Ameen

  • @anmolkhan8558
    @anmolkhan8558 2 года назад

    Masha Allah masha Allah...bahot khushi hui dekh k..allah hmsbko hidayat de..aameen..waqai ye duniya fani hai sbki ye bat smjh ajati

  • @Gareeb-Sewa
    @Gareeb-Sewa 2 года назад +6

    Well done dear sister 😘😘😘
    Allah Hum sab ko hidayat de Namaz parne ki taufik de Amin 🤲😘

  • @sohailawanUK
    @sohailawanUK Год назад

    Wo bhot khush kismat hy jo gunahon me doba ho or ALLAH usy hidayat dy ❤❤

  • @MdOwais78631
    @MdOwais78631 2 года назад +3

    Masha Allah bahut achi baat ki hai aap ne
    Allah hum sabko hedayet ata farmaye ameen summa ameen

  • @smshah7851
    @smshah7851 2 года назад +1

    sister Allah pak ap ko sabit qadam rakain din e islam pr .

  • @chandkhankhan7369
    @chandkhankhan7369 2 года назад +10

    Allah Pak hamesha aapko khush rakhe🤗🤗🤗🤗🤗

  • @Aasansari34
    @Aasansari34 2 года назад

    Allah swt ki rehmate ho ap par hame khushi huyi dekh kar apne ek sahi fesla kiya jistere zayira waseem ne bollywood Film industry chokar ek sahi fesla kiya ❤️😊

  • @SJ-wu9gx
    @SJ-wu9gx 2 года назад +13

    Is dunya ki qeemat Allah ke samne kuch b nahi hai.... Such a true lines😍

    • @wadiamaryam2383
      @wadiamaryam2383 Год назад

      Be shak.
      Allah inko qaim rakhy apny dain py.
      ماشاءاللّٰه

  • @shaikhshoib8399
    @shaikhshoib8399 2 года назад +1

    ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه السلام علیکم بین😊 Allah aapko yah Dena sheratal Mustakim ke Raste chala

  • @anaushad355
    @anaushad355 2 года назад +4

    MashaAllah sis you looks so beautiful and cute in hijab allha always bless you my dear sister 🤲❤️

  • @merajbhaia2z814
    @merajbhaia2z814 2 года назад +1

    Mashaallah bahut achha kaam kiya hai aap ne hame aap jaisi momin sister pe naaz hai 🧕 I proud of you

  • @mohammadtaufiqansari8229
    @mohammadtaufiqansari8229 2 года назад +4

    Great my sister well done Allah rewards you with heaven insha Allah🤲🤲🤲

  • @naveedahmed5803
    @naveedahmed5803 2 года назад

    Masha Allah zbrdast fesla Kya he ap bilkul shy bol rhe he Allah pak kre ap ko dekh kr dosro bhe women or insan zat ko hidyat ka zarya bnae 💖

  • @mohtashimalam4010
    @mohtashimalam4010 2 года назад +5

    Mashallah sister aajkal har Insan Daulat shohrat ke piche bhage ja raha hai unko yah nahin pata ki aaj hai cal nahin

  • @noshadansariofficial3335
    @noshadansariofficial3335 2 года назад

    आपने बहुत ही अच्छा काम किया है मेरी बहन + हदीस में आता है कि + गुनाहों से तौबा करने वाला इन्सान ऐसा होता है जैसा की उसने गुनाह किया ही नहीं

  • @022aamir
    @022aamir 2 года назад +45

    अल्लाह ने आपके दिल को साफ कर दिया,दिखावे की दुनिया से आप असल दुनिया में आ चुकी हैं अल्लाह आपको हमेशा ईमान पर चलाए।

    • @zakariyaahmad2863
      @zakariyaahmad2863 2 года назад +2

      Aap.jahannam.ka.aazab.sa.baj.gai

    • @ayshakhan2381
      @ayshakhan2381 2 года назад +2

      Ameen

    • @meradeeneislamloveislam
      @meradeeneislamloveislam 2 года назад +1

      Aameen summa Aameen ❤

    • @imransiddique8794
      @imransiddique8794 2 года назад

      @@zakariyaahmad2863 Allah also says, women shouldn’t expose her self publicly, now to wear makeup and eyebrows threading.
      Koi maaldar Mufti isko bhi mil gaya ho 😂

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @f.j.9473
    @f.j.9473 2 года назад +1

    Masha Allah
    Allah ka karam huwa he aap pe
    Aap bahot lakki ho gunah se bahar aa gai Allah nabi sadke me AAP ki duwa kabul kare 🌹

  • @saqlainkhader649
    @saqlainkhader649 2 года назад +5

    Mashaa Allah may Allah give you success in this world and hereafter

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @mk_music1282
    @mk_music1282 2 года назад

    Masallah aapki esh faisale bahut hi logo hedayet mile humsabko aameen

  • @withanjali4470
    @withanjali4470 2 года назад +69

    As a Christian who likes to act but doesn't like the nepotism and loss of ethics in Showbiz , I respect u

    • @pqrrst7537
      @pqrrst7537 2 года назад +3

      How u became christian? By ricebag or some other method

  • @Shayeris2264
    @Shayeris2264 2 года назад

    Aap ne bahot hi badi qurbani di hai Allah ke liye aaj ke zamane me Allah se itni mohabbat karne wale bahot kam log hai, allah aap ki har tarah se madad farmae aor deen par qayam rakhe, aor himmat de, har azmaish me aap ko kamyab kare, aor aap ke liye bahot sare rizk ka gaib se intezaam kare. Aameen summa aameen

  • @meradeeneislamloveislam
    @meradeeneislamloveislam 2 года назад +4

    ALLAH jise Hidayat De use koi Gumrah Nahi kar sakata jise ALLAH Hi Hidayat Hi Naa De use koi Hidayat Dene wala Nahi Pahoge
    SURAH KAHAF ❤

  • @adhilbasha6752
    @adhilbasha6752 2 года назад

    Masha allah d way u compared allah as a mom subhan allah, but allah loves us 70times more than a mom. D path u r going nw wil lead u to jannah in sha allah ameen.

  • @Fogofwar99
    @Fogofwar99 2 года назад +4

    I think Sana khan inspired her. God bless both of them

  • @saifyazdani2069
    @saifyazdani2069 Год назад

    ماشاءالللہ
    آپ نے بہت اچھا قدم اٹھایا
    الللہ آپ کو استقامت عطا فرماے آمین
    اور ساتھ پردے اہتمام لازمی کریں 💞

  • @Akramkhan-cq4ow
    @Akramkhan-cq4ow 2 года назад +10

    Beshaq 💯 allah hum savi ko seedhe raste pe chalne ki tofik de ❤️❤️

    • @akramkhan7265
      @akramkhan7265 2 года назад

      Ya of course bro 🙏🙏

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      @@akramkhan7265 क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @SkinCareHubb
    @SkinCareHubb Год назад

    Niyat Achi ho manzil mil he jati hai Allah ham Sab ko seedha raasta dikhaye ameen.

  • @mdsohrabakhtaremam9555
    @mdsohrabakhtaremam9555 2 года назад +5

    Masha Allah..Allah har mor pe apki hifazat farmaye

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @ladlyparween61
    @ladlyparween61 2 года назад +1

    Beshak Allah jise chahe use apna mahbub bana le...Allah sabko nek hidayat de ameen summa yarabbul alamin

  • @muzammil2600
    @muzammil2600 2 года назад +5

    Heart touching and motivational speech respect you sister😭😭😭😭🤲😭🤲😭🤲 Allah Pak har bahan ko film industry ki gandagi se bachaye

  • @abuzarusmani4716
    @abuzarusmani4716 2 года назад

    بہت خوب میری پیاری بہن
    آپنے بالکل سچ کہا اللہ کو وہ بندے بہت پسند ہیں جو گناہ کرکے توبہ کر لیتے ہیں اللہ ایسے بندوں سے بہت خوش ہوتا ہے اور اللہ بہت معاف کرنے والا اور بہت رحم کر نے والاہے ۔
    ہم دعا گو ہیں کہ اللہ آپکو دین کے راستے میں ثابت قدم رکھے اور ہمیشہ خوش رکھے اور دنیا کے تمام مسلمانوں کو گناہوں سے بچنے کی توفیق عطا فرماۓ اور پانچوں وقت کی با جماعت نماز پڑھنے کی توفیق عطا فرماۓ آمین یا رب العا لمین ۔۔۔۔۔

  • @TeluguIslamofficial
    @TeluguIslamofficial 2 года назад +4

    Sister aap ke baat sun kar rona aya hai allah aap ku nazar bad se hifazat farma de ameen summa ameen 😭

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @abdulrahman2654
      @abdulrahman2654 2 года назад

      @@Prodigy427 He who has left such a big industry, because of what he left it, everything was on it, it is well-educated, it is also health, then what happened that it left such a big film industry. It knows that there is Allah and it is Allah who is running this whole Nizam.

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      @@abdulrahman2654
      There is no Allah.
      Allah is only imaginary.

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      @@abdulrahman2654 मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई मुस्लिम लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। और खुश भी हूं।
      तो मैं उस काल्पनिक, डरपोक,कायर,निकम्मा और जाहिल अल्लाह को क्यों मानूं?

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      @@abdulrahman2654 अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      अब बताओ मैं उस काल्पनिक डापोक अल्लाह को क्यों मानूं?

  • @hafeezbhi322
    @hafeezbhi322 2 года назад

    Beshak Allah sabat qadam rakhe over dunya ahirat main bulayi ata farmaye Ameen

  • @syedwaqasahmad4538
    @syedwaqasahmad4538 2 года назад +9

    MashaAllah...great inspiration...great feelings...great and pure thoughts...Allah ny apni muhabat atta ki...ye boht bari nemat

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @muzaffarhussain3814
    @muzaffarhussain3814 2 года назад

    Most welcome. Alhumdulliaha aap ko sabse bada daulat iman mil gya hai. Dilo ka sukoon jikre khuda me hai. Allaha aap ko salamat rkhe.

  • @abdullahazzam3470
    @abdullahazzam3470 2 года назад +6

    Alhamdulillah the One who Guided you on the Right Path ❤

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @mdtafseerqaisar9460
      @mdtafseerqaisar9460 2 года назад +2

      @@Prodigy427 tu h kon duniya me bade bade scientist ne ALLAH paak ko except kiy h or islam Qobul kiy h or insan qud inteligent h use koi bewaquf nahi banane wala h Insan aya kaha se aya to aya uske body kisne diya or mind kisne diya or chand suraj kaha se aye crona bimari kaha se aya socho

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      @@mdtafseerqaisar9460
      किस वैज्ञानिक ने इस्लाम(कट्टरपंथी विचारधारा) को अपनाया है?
      दस बारह का नाम बताओ?

    • @mdtafseerqaisar9460
      @mdtafseerqaisar9460 2 года назад

      @@Prodigy427 me ku batao tere paas knowledge nahi h kiy sarch karo pata karo kisne chand par azan sunkar islam qobul kiy kisne boxing karte karte islam qobul kiy kisne singing karte islam qobul kiy ALLAH paak ko except karne wale top me h tu kitne nomber par h pata kar or mere swal k jwab to diya nahi phir question

    • @Mariya-hu5fr
      @Mariya-hu5fr 2 года назад

      @@Prodigy427 no one cares ki tum kyon nhin mante.....jab maroge tab khud dekhlena apne aaap kon kya hai kya nhin

  • @RKTENTMviews
    @RKTENTMviews 2 года назад

    Sweet sister thanx.
    Islam ki shehzadi.
    Luv 4m Karnataka

  • @aayjaypeepee1837
    @aayjaypeepee1837 2 года назад +8

    Hats off to you sister and brotherly love from Kashmir!

  • @mdabidhussain3737
    @mdabidhussain3737 2 года назад

    Sister Allah aapko hidayat ke raah pe Istiqimat ke sath akhiri sans tak chalate rahe or
    Har kisi ki buri nazar se aapko bachaye Aameen ya Rabal Aalameen

  • @worldfacts3988
    @worldfacts3988 2 года назад +8

    माशाल्लाह सिस्टर बस दिखावे के लिए मत करना कुछ भी वरना सारा नेकी बेकार जायेगी
    अल्लाह मेरी बहन को सलामत रखे

    • @WRInfo
      @WRInfo 2 года назад +1

      Bilkul sahi baat bola aapne

    • @tanzeemjahan1681
      @tanzeemjahan1681 2 года назад

      Lgta h bhai tum jyada nek ho ..jo neki ka fesla kr rha h

    • @WRInfo
      @WRInfo 2 года назад

      @@tanzeemjahan1681 usne konsa galat kaha kya Sahar afsa aur Sana Khan ko malum nahi tha ki yah sab hamlog gunah ka kaam karrahe hain agar wah sachche dil se touba ki hoti to social media per parde ke saath aati ok sister

    • @worldfacts3988
      @worldfacts3988 2 года назад

      @@tanzeemjahan1681 जोश में कुछ भी मत बोलो
      एक कतरा भी दिखावा अगर इंसान करता है तो आला उसकी नेकी जाया कर देता
      बाकी मैने ये नही कहा की वो दिखावा कर रही बस ये बोला की मत करना बहन

  • @zubair_shorts91
    @zubair_shorts91 Год назад

    آپ کو سب مسلمانوں کی اور سے بہت بہت مبارکباد کہ آپ جنت کے حقدار دنیا میں ہیں بن چکے ہو..

  • @shakirnissar
    @shakirnissar 2 года назад +3

    May Allah guide our sisters and to us all ❤

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @naeemabbas1876
    @naeemabbas1876 Год назад

    MashAllah Allah Behad Lambi Zindgi dy Or Humy b Ap Ki Batain sunny k bad Hadayat dy Love My Beautiful sister ❤❤❤❤❤❤❤

  • @022aamir
    @022aamir 2 года назад +6

    I respect you sister

  • @MohdIrfan-po1tf
    @MohdIrfan-po1tf 2 года назад

    Us daldal se nikalkar apne zabardast kaam kiya hai
    Allah apki qurbaniyon ko qubool farmaye or apko sehat tandurusti or lambi zindagi ATA FARMAYE

  • @MohsinKhan-ql7ef
    @MohsinKhan-ql7ef 2 года назад +7

    Keep good deed sis. It makes you more happier. May Allah bless and give hidaya to all mankind. 🤲🤲

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

    • @190mohammedyasin6
      @190mohammedyasin6 2 года назад

      Ameen

  • @ikhlasahsheeri7580
    @ikhlasahsheeri7580 2 года назад +1

    Ma Sha Allah.Allah hum sab ko hidayat de aur imaan par rakhay.Aameen.
    🤲🤲🤲💞💞

  • @alkafi494
    @alkafi494 2 года назад +3

    Alhamdulillah, sister, Allah gives u the right path of Islam, love from❣️👑🇧🇩

  • @baghbanibaghbani3733
    @baghbanibaghbani3733 2 года назад

    Ma Shallah ..
    Allah Tala Apko Hidayat Par Qayam Wa Dayam Rakhe..
    Aur Ummat Wo Millat Ki Islah Farmae .
    Asa...

  • @mdmaazkhan5845
    @mdmaazkhan5845 2 года назад +15

    Mashallah

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @bhelahitimes
    @bhelahitimes 2 года назад +1

    Masha Allah bahot khub Allah aap ko seedhey rastey pe banaye rakhe aamin

  • @zakariafuzail9691
    @zakariafuzail9691 2 года назад +6

    Appreciate ur thoughts.
    The coming days will not be easy for you sister ,May Allah protect u and cement ur faith.

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @kaniajander
    @kaniajander 2 года назад +1

    ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰهماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه ماشاءاللّٰه

  • @iffu799
    @iffu799 2 года назад +6

    Alla aapko salamat rakhe

  • @cookingsoking844
    @cookingsoking844 2 года назад

    I m Muslim I from Nepal main apko aj he jaan paya hun ki ap sahar ho yani ki apko hidayat milne se pahle main apko nahi janta thaa so mujhe bahut dilee Khushi huyi ki meri ek sister Allah ke bataye huye raste pe agai hae Allah apko hamesh Khush rakhe is duniya me bhi Aur aakhirat me bhi

  • @chandkhankhan7369
    @chandkhankhan7369 2 года назад +7

    Mashallah subhanallah ❤️❤️💓💓💓💓💓

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @mohammadzishanraza9536
    @mohammadzishanraza9536 2 года назад

    mashaallah bohot achi baat hai
    beshq allah tauba karne walo ko pasand karta hai allah tala sahara baji ki tauba kabool farmaye unke sadke tufel hame bhi maaf farmaye
    sahara afsha ko meri taraf se mubarak mubarak ho

  • @new-india007
    @new-india007 2 года назад +4

    May Almighty Allah Azzawajal bless you sister. Thanks for sharing your story with us on quitting showbiz industry. May Almighty *Allah (ﺳﺒﺤﺎﻧﻪ ﻭﺗﻌﺎﻟﻰ),* reward you for this in this world and Hereafter. Aameen Ya Rabbul Alameen. 👍👌👏

    • @Prodigy427
      @Prodigy427 2 года назад

      क्या इस दुनिया में‘अल्लाह’ है? या नहीं?
      और
      ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
      * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
      * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे अपनी गुलामी करवा सकता है।
      * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना अधिक ज्ञानी हूं।
      * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं, और न ही मुझे जन्म देने में अल्लाह का कोई सहयोग रहा।
      * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
      * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
      * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना श्रेष्ठ हूं।
      * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं अल्लाह से कई गुना ज्ञानी हूं।
      * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
      इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
      * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
      * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
      * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
      * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
      * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
      ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
      ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
      * अल्लाह आया कैसे?
      * अल्लाह को माना क्यों गया?
      * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
      तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
      इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
      लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
      तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
      और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
      यदि आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।

  • @iqbalhalai5164
    @iqbalhalai5164 Год назад

    Mene Zinda Waliyo Ko Pehle Kabhi Nahi Dekha Tha Lekin Jab Se Mene Sana Khan Aur Sahar Afsha G Ko Alllah Se Hidayat Milte Huwe Dekha To Dil Me Yakin Ho Gaya K Allah K Zinda Wali Bhi Hai Is Duniya Me Jo Aurto Ki Sakal Me Bhi Hoti Hai.
    Afsha G Mera Naam Iqbal Memon Hai
    Aapse Guzaris Hai Ek Baar Hath Utha K MERI Magferat Ki Duwa Kar Dena Allah Se.
    Allah Apko Duniya Aur Akherat Me Kamyab Kare. AAMIN

  • @Ahsanhafiz87
    @Ahsanhafiz87 2 года назад +4

    अल्लाह आप की हिफाजत करें और हिदायत पर कायम रखें अल्लाह हम सबको ईमान पर खात्मा नसीब फरमाएं आमीन

  • @emacwakeup
    @emacwakeup 10 месяцев назад

    Allah hu akbar. Allah hum sab ko Hidayat de just like you and Sana. Allah protect you both

  • @inamulkhan8102
    @inamulkhan8102 2 года назад +3

    Sister As slam alaikum, I am glad to know that you accepted truth & converted self to the straight path of Allah.Ever you should be know that Allah doesn't lose your any deed.Whoever has done the smallest particle of good will sure found it one day.

  • @naureenhayat3830
    @naureenhayat3830 Год назад

    Allah apko Islam k rasty pe sabit qadam rakhe Ameen

  • @thanos9258
    @thanos9258 2 года назад +4

    Subhanallah Sister aapko sunke Rona aagya 😭😭😭

  • @samsularefinkhan8672
    @samsularefinkhan8672 2 года назад

    Allah aapku deen ki shahi samajh de aur deen ki rah me aur v taraqqiyat se nawaze aur taqwah parhezgari yahantak k lillahiyat ataa kare, riyaah se puri puri hifaazat kare (aameen)

  • @fariyaahmad3486
    @fariyaahmad3486 2 года назад +4

    Kya rishta h apka sana khan k sath plz batayee n

  • @malikfayaz9611
    @malikfayaz9611 2 года назад +1

    Good job seher Ji Unconditional Love And Respect For You From Kashmir

  • @munawwarhussain4711
    @munawwarhussain4711 2 года назад

    Mashaallah alhamdulillah Allah tabla aap ko aakhree sans tak Jaree rakhe

  • @umarfaruk8931
    @umarfaruk8931 2 года назад

    Bahut accha baji bahut garb huwa aap ko ishal me dekh ke mai ek hafiz hun allah aapko ayesi hi rakhe

  • @nooruddeen5869
    @nooruddeen5869 2 года назад

    ماشاءاللہ मैरी प्यारी बहन ने बहुत अच्छा फैसलह लिया

  • @Ubaid-pm
    @Ubaid-pm 2 года назад

    Duniya mukaddar hai !! Jitna mukaddr mein hai wo zaroor milega lekin Aakiram mukaddr nahi hai us kelie mihnat karna padta hai

  • @tahurraushan
    @tahurraushan 2 года назад +2

    ya allah tamam musalnano ko namaz padhne ki taufik ata farma aameen summa aameen

  • @mdsharique2110
    @mdsharique2110 2 года назад

    mashallah bahut khoob Allah Aap ki umar me barkat de aur nek kaam kar ne ki taufiq aata farmaye

  • @mobeenashraf8433
    @mobeenashraf8433 2 года назад +1

    Masha Allah
    Allah pak hm sabko sachchi taubah naseeb farmae Aameen

  • @jamiasiddiqiyaasadululoomo8673
    @jamiasiddiqiyaasadululoomo8673 2 года назад

    Dil Ki Gahraaiyo se aapke liye dua hai ki allah pak aapki tauba qabool farmaaye aur nek raasto par chalne ki raaahe aasaan farmaye

  • @abdulraheem8685
    @abdulraheem8685 2 года назад

    MashaAllah Allah Aap ki duniya Aur Akhirat behtar karey

  • @saadislamicchannel.8327
    @saadislamicchannel.8327 2 года назад +1

    اللہ تعالیٰ آپ کو دین پر استقامت عطاء فرمائے آمین یا رب العالمین

  • @shienasyed7860
    @shienasyed7860 Год назад

    Alhamdullilah mashaAllah many congratulations we are all with u my sister from Pakistan

  • @AsmaBegum-g2e
    @AsmaBegum-g2e Год назад

    گناہ گار توبہ کرنے والا،
    عبادت کرکے اکڑ نے والے سے کہی زیادہ بہتر ہوتا ہے۔۔۔۔
    اور انسان ہمیشہ گنہگار نہیں ہوتا،
    توبہ و استغفار اسکے گناہوں کو مٹا دتے ہیں۔
    جیسے اسنے کبھی گناہ کیا ہی نہیں۔۔۔
    اسی لئے کسی کو حقیر نہ سمجھے۔۔۔
    "کیونکہ ہدایت اللہ کے ہاتھ میں ہوتی ہے۔۔۔

  • @mdsl606
    @mdsl606 2 года назад +2

    💐💐💐माशा अल्लाह.💐💐💐
    अल्लाह आपको हिदायत का जरिया बनाएं

  • @haqkomano4175
    @haqkomano4175 2 года назад +1

    Very well said, Masha Allah, I don't know who she is or who she was before, but what she is saying is very true. May Allah gives us Hidayat and good deeds with all truthness.

  • @sailentsir4735
    @sailentsir4735 Год назад

    Masaallah right sister allah pak app imaan aur izzat ki hifazat farmayee

  • @MdAbdullah-fg9zc
    @MdAbdullah-fg9zc 2 года назад

    Mobarak ho meri pyari bahan aap ne sahi rasta chuna Allah ne aap ko taofiq diya
    ❤️❤️❤️