बाबाजी कुछ ऊटपटांग बातें करना पसंद करते है ऐसा लगा। ईरानीयों से पूछा जाए तो वे भारतीयों से क़तई कोई भी नाता न जताएँगे । और यहाँ बाबाजी लगे हैं उन्हें भारतीयों जैसा बताने में। उसी प्रकार इस्कॉन वालों को खिंचने का कोई कारण था नहीं लेकिन खिंच लाए। ईरानी मज़दूर कवी की कविता दिल को छू गई । लेकिन ये कहना ग़लत होगा, सरदार भाई, के वे शायद दुनिया के इकलौते ऐसे कवि हों जिन्होंने मज़दूरी की हो। मराठी में नारायण सुर्वे साहब की कविता मिल मज़दूरों के दुःख और व्यथा से उभरकर ही तो आई थी।
I disagree with some of the opinions. But still a very beautiful conversation.
बाबाजी कुछ ऊटपटांग बातें करना पसंद करते है ऐसा लगा। ईरानीयों से पूछा जाए तो वे भारतीयों से क़तई कोई भी नाता न जताएँगे । और यहाँ बाबाजी लगे हैं उन्हें भारतीयों जैसा बताने में। उसी प्रकार इस्कॉन वालों को खिंचने का कोई कारण था नहीं लेकिन खिंच लाए।
ईरानी मज़दूर कवी की कविता दिल को छू गई । लेकिन ये कहना ग़लत होगा, सरदार भाई, के वे शायद दुनिया के इकलौते ऐसे कवि हों जिन्होंने मज़दूरी की हो। मराठी में नारायण सुर्वे साहब की कविता मिल मज़दूरों के दुःख और व्यथा से उभरकर ही तो आई थी।
Aajkl binge watch chal rha hai ❤
Baba sahi bol rahe hey
❤Gazab
love u guyz..
Baba road fighter ki bat kr rhe hai