यही तो वेद कहता है कि सब स्वार्थ के साथी है इस जगत मे...आत्मा का सिर्फ परमात्मा से ही ऐक संबंध है। बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय 2 ब्राह्मण 4 मन्त्र 5 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 स होवाच याज्ञवल्क्यो न वा अरे पत्युः कामाय पतिः प्रियो भवत्यात्मनस्तु कामाय पतिः प्रियो भवति न वा अरे जायायै कामाय जाया प्रिया भवत्यात्मनस् तु कामाय जाया प्रिया भवति। न वा अरे पुत्राणां कामाय पुत्राः प्रिया भवन्तियात्मनस्तु कामाय पुत्राः प्रिया भवन्ति। न वा अरे वित्तस्य कामाय वित्तं प्रियं भवत्यात्मनस्तु कामाय वित्तं प्रियं भवति। न वा अरे ब्रह्मणः कामाय ब्रह्म प्रियं भवत्यात्मनस्तु कामाय ब्रह्म प्रियं भवति। न वा अरे क्षत्रस्य कामाय क्षत्रं प्रियं भवत्यात्मनस्तु कामाय क्षत्रं प्रियं भवति। न वा अरे लोकानां कामाय लोकाः प्रिया भवन्त्यात्मनस्तु कामाय लोकाः प्रिया भवन्ति। न वा अरे देवानां कामाय देवाः प्रिया भवन्ति। आत्मनस्तु कामाय देवाः प्रिया भवन्ति। न वा अरे भूतानां कामाय भूतानि प्रियाणि भवन्ति आत्मनस् तु कामाय भूतानि प्रियाणि भवन्ति। न वा अरे सर्वस्य कामाय सर्वं प्रियं भवत्यात्मनस्तु कामाय सर्वं प्रियं भवति। आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः श्रोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्यो मैत्रेय्यात्मनो वा अरे दर्शनेन श्रवणेन मत्या विज्ञानेनेद सर्वं विदितम्॥ Then Yajnavalkya said: "Verily, not for the sake of the husband, my dear, is the husband loved, but he is loved for the sake of the self which, in its true nature, is one with the Supreme Self. "Verily, not for the sake of the wife, my dear, is the wife loved, but she is loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the sons, my dear, are the sons loved, hut they are loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of wealth, my dear, is wealth loved, but it is loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the brahmin, my dear, is the brahmin loved, but he is loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the xatriya, my dear, is the xatriya loved, but he is loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the worlds, my dear, are the worlds loved, but they are loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the gods, my dear, are the gods loved, but they are loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the beings, my dear, are the beings loved, but they are loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the All, my dear, is the All loved, but it is loved for the sake of the self. "Verily, my dear Maitreyi, it is the Self that should be realized-should be heard of, reflected on and meditated upon. By the realization of the Self, my dear-through hearing, reflection and meditation-all this is known.
दो साल के बाद पुनः कमेंट लिखने से खुद को रोक नहीं पा रहा हूँ। शाबास प्यारी गुड़िया,हिन्द की दुलारी,भोजपुर की कोकिला-किशोरी--- तुम्हरी गायिकी सीधे हिया में प्रवेश कर जाती है।
नानक नाम जहाज हैजो चड़े सो उतरे पार नाम वो जो जीवित सतगुरु समाधी लगाकर (जीवित मरकर) ईश्वर तत्व से मिल लेता है उनके द्वारा शिष्य के सर पर हाथ रखकर ईश्वर तत्व का ध्यान लगाकर दिया जाता है उसके प्रभाव से चौरासी लाख योनिओ का जन्म मरण का चक्र समाप्त होने लगता है सतगुरु मधु परमहंस जी
Agr tm is sentence ko likh ya bol rhe ho ki ( hindu dharm me janma ye garv ki baat hai ) to av v tm sant kabir ko thik se nhi smjhe bro...qki sant kabir kisi v dharm ko garv ya nich ke bhawna se nhi dekhe kv
माया से काया हुई ,काया से सब भोग! भोगो से सबको लगा,जन्म मरण का रोग!! कबीर चिंता क्या करै,चिंता से क्या होय ! मेरी चिंता हरि करै,चिंता मोहि ना कोय!! चिंता खा गई जगत को, चिंता जग की पीर! जो चिंता को मेट दे ,ताका नाम कबीर ! ! ! !सप्रेम साहेब बंदगी साहेब!!
कबीर साहिब जी ने संतमत स्थापित किया कबीर साहिब जी ने रामानंद जी को नाम दान दिया रामानंद जी ने रविदास जी को दीक्षा दी कबीर साहिब जी ने गुरु नानकदेव जी और कई संतो को दीक्षा दी 32 संतो ने कबीर साहिब को फॉलो किया गुरु नानक देव जी के बाद केवल दो गुरु ही सत्पुरुष को जानते थे असली संत कौन है वो जो इस निरंजन शरीर यानि मन को जीतकर इसमें से निकलकर उस परमपुरुष सत्यपुरुष तक पहुंचते है वही असली संत होते है मन ही निरंजन मन ही ओमकार मन ही है करतारा तीन लोक में मन ही विराजी ताहि न चिन्हत पंडित काजी नानक देव जी ने कहा है जीवित मरिए, भवजल तरीऐ, कबीर साहिब जी ने कहा है मरते मरते जग मुआ मरण न जाना कोई ऐसी मरनी न मरे जो बहुर न मरना होय यानि समाधी लगाकर यानि जीवित मरकर उस परमपुरुष सत्पुरुष यानि अमरलोक, यानि सतलोक तकआत्मा पहुँचती है तब इस शरीर यानि मन यानि दिमाग यानि काल निरंजन पर पूरा नियंतरण हो जाता है सतगुरु कबीर साहिब जी सतगुरु मधुपरम हंस जी
मिथीला जी। बहुत धन्यवाद आपको! अगर कमेंट बॉक्स देखते होंगे तो कृपया गुरु नानक देव जी महाराज का निम्नलिखित भजन ही गाने का कष्ट करें। प्रीतम जानि लेहु मन माहीं। अपने सुख में सब जग बाॅध्यो, कोउ काहू को नाहीं।। सुख में आनि बहुत मिलि बैठत, रहत चहूँ दिसि घेरे। बिपति पड़े सबही संग छाड़त कोई न आवत नेरे।। घर की नारि बहुत हित जासों, रहत सदा संग लागी। जब या हंस तजी है काया, प्रेत-प्रेत कर भागी।। ऐसो जग व्योहार बन्यो है, तासो नेह लगायो। अंतकाल नानक बिनु सतगुरु, कोऊ काम न आयो।।
समाज को सत्कर्म के लिए प्रेरित करने वाले और संसार की वास्तविकता का संदेश देने वाले संतों का भजन अधिक से अधिक गायन कर सोशल मीडिया में अपलोड करें मैथिली बहन, इससे नई पीढ़ी धर्म का मर्म समझ पाएगी।
ऐसा अलौकिक गायन सुनकर मन और आत्मा आनन्द विभोर हो गये. करोड़ों में कोई विरला ही होता है जो इतना मधुर स्वर में गायन कर सकता हो और वो आप हो बहन. आपको कोटि कोटि वंदन very hearttouching song 😭😭🙏🙏🙏🙏
मैथिली देवी स्वरूप के कंठ में जो स्वर देवी निवास करती है उनको हेमंत सैनी का प्रणाम स्वीकार हो हे अम्बे ऐसी संगीत की कृपा हो जाए अति कृपा ऐसे ही बने रही अम्बाजी 🙏🚩🔱
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे, कैसा नाता रे, जग़त में कैसा नाता रे, मन फूला फुलां फिरे, ज़गत में कैसा नाता रे, कैसा नाता रे, जग़त में कैसा नाता रे, माता कहे यह पुत्र हमारा, बहन कहे बीर मेरा, भाई कहें यह भुजा हमारी, नारी कहे नर मेरा, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे,, पेट पकड़ के माता रोवें, बाँह पकड़ के भाई, लपट झपट के तीरिया रोवे, हँस अकेला जाएँ, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे जब लग जीवे माता रोवे, बहन रोवे दस मासां, तेरह दिन तक तिरिया रोवे, फ़िर खोजे घर वासां, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे, चार गडे चार गजी मँगाया, चढ़ा काठ की घोड़ी, चार कौनों आग लगाके, फूँक दियो जस होरी, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे, हाड़ जले जस बन की लकड़ियाँ, केश जले जस घासां, सोने जैसी काया जल गई, कोइ न आयो रे पासां, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे, घर की तिरिया देखण लागी, ढुंडी फिरि चहुँ देशा, कहत कबीर सुनो भाई साधों, छोड़ो जगत की आशा, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे कबीर जी
बेटी की सोच बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति लाजवाब प्रभु आपको बहुत दूर तक ले जाएगा गुरुदेव की बहुत बड़ी कृपा माता पिता का आशीर्वाद हम सब का आशीर्वाद और प्यार बना रहेगा
आपके सुर संगीत और भाव की त्रिवेणी ने कबीर दास जी के इस निर्गुण को इतना सुन्दर बना दिया है कि इसे सुन कर मन में सहज ही वैराग्य उत्पन्न हो गया. धन्य हैं आप और धन्य हैं आप के माता पिता के संस्कार. आप इसी प्रकार गाती रहें और भारतीय लोक संगीत को अपनी सुर साधना से नित नयी ऊँचाई पर ले जाने का कार्य करती रहें.
नानक नाम जहाज हैजो चड़े सो उतरे पार नाम वो जो जीवित सतगुरु समाधी लगाकर (जीवित मरकर) ईश्वर तत्व से मिल लेता है उनके द्वारा शिष्य के सर पर हाथ रखकर ईश्वर तत्व का ध्यान लगाकर दिया जाता है उसके प्रभाव से चौरासी लाख योनिओ का जन्म मरण का चक्र समाप्त होने लगता है सतगुरु मधु परमहंस जी
बहुत सुन्दर गाया व कबीर दास जी नें जैसे यथार्थ का चित्रण किया वैसे ही आपने अपने दर्दनाक स्वरों से रुलाने का कार्य किया,लाजवाब गीत व तबला भी सुपर्ब,जान डाल दिया ♥️🌹🌷👌👍🙏
जब कोई भी आत्मा वापिस अपने मूल स्थान अमरलोक में नहीं पहुंची और यही चौरासी लाख योनियों में भटक रही थी तब परमपुरुष ने अपने को मथ कर कबीर साहिब को निकाला और धरती पर जाकर आत्माओं को चेतन करने के लिए कहा, इसके लिए अनुराग सागर वाणी को पड़ने की ज़रूरत है जिसमे कबीर साहिब ने यह सृष्टि किसने बनाई पांच तत्वों का संसार और शरीरों की रचना कैसे हुई अपने प्रिय शिष्य सेठ धरम दास जी को बताया
Maithili thakur ji ki aawaj bahut satik avam atyant madhur hai. Mai unke ujjawal bhavishya ki kamana karata hun. Rishav thakur ko bhi bahut- bahut shubhakamanayen.Sant kabeer ji ko naman.
बेटा आपकी आवाज मे मन फुला फुला यह भजन बहोत अच्छा लगा / आप तीनो भाई बहन को परमात्मा हमेशा सुखी रखे / आपने बहुत अच्छी कला हसील कीई हुई है नाम तो बढेगा हि साथ साथ मे भक्त गन के दिलो मे भी बस जावोगे / सतनाम साहिब बंदगी
इस भजन को मेरे पिताजी भी गाया करते थे, लेकिन अब वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन आज इस मधुर आवाज में उनके दर्शनों की अनुभूति हो गयी। मानवता के लिए मार्मिक संदेश भी है।
मेरी माताजी अंतिम समय मे आप ही के गाए भजन सुन रहीं थीं, ये भजन भी, आप साक्षात देवी का अवतार हो, ऐसा मेरी माँ कहती थी, मेरी माँ को अंतिम समय में सुकून देने के लिए आपका कोटि कोटि धन्यावाद
इस भजन काे कितनाे ने गाया.पर जिस भावपूर्ण रुप से मैथली ने गाया सचमुच भावविभाेर हाे गये धन्य हाे बहन जुग जुग तुम्हारी आवाज लाेगाें के दिलाें पर गुंजती रहें। शुभ आशिर्वाद 👌💗✌
यही तो वेद कहता है कि सब स्वार्थ के साथी है इस जगत मे...आत्मा का सिर्फ परमात्मा से ही ऐक संबंध है।
बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय 2 ब्राह्मण 4 मन्त्र 5
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
स होवाच याज्ञवल्क्यो
न वा अरे पत्युः कामाय पतिः प्रियो भवत्यात्मनस्तु कामाय पतिः प्रियो भवति न वा अरे जायायै कामाय जाया प्रिया भवत्यात्मनस् तु कामाय जाया प्रिया भवति। न वा अरे पुत्राणां कामाय पुत्राः प्रिया भवन्तियात्मनस्तु कामाय पुत्राः प्रिया भवन्ति। न वा अरे वित्तस्य कामाय वित्तं प्रियं भवत्यात्मनस्तु कामाय वित्तं प्रियं भवति। न वा अरे ब्रह्मणः कामाय ब्रह्म प्रियं भवत्यात्मनस्तु कामाय ब्रह्म प्रियं भवति। न वा अरे क्षत्रस्य कामाय क्षत्रं प्रियं भवत्यात्मनस्तु कामाय क्षत्रं प्रियं भवति। न वा अरे लोकानां कामाय लोकाः प्रिया भवन्त्यात्मनस्तु कामाय लोकाः प्रिया भवन्ति। न वा अरे देवानां कामाय देवाः प्रिया भवन्ति। आत्मनस्तु कामाय देवाः प्रिया भवन्ति। न वा अरे भूतानां कामाय भूतानि प्रियाणि भवन्ति आत्मनस् तु कामाय भूतानि प्रियाणि भवन्ति। न वा अरे सर्वस्य कामाय सर्वं प्रियं भवत्यात्मनस्तु कामाय सर्वं प्रियं भवति। आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः श्रोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्यो मैत्रेय्यात्मनो वा अरे दर्शनेन श्रवणेन मत्या विज्ञानेनेद सर्वं विदितम्॥
Then Yajnavalkya said: "Verily, not for the sake of the husband, my dear, is the husband loved, but he is loved for the sake of the self which, in its true nature, is one with the Supreme Self. "Verily, not for the sake of the wife, my dear, is the wife loved, but she is loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the sons, my dear, are the sons loved, hut they are loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of wealth, my dear, is wealth loved, but it is loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the brahmin, my dear, is the brahmin loved, but he is loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the xatriya, my dear, is the xatriya loved, but he is loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the worlds, my dear, are the worlds loved, but they are loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the gods, my dear, are the gods loved, but they are loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the beings, my dear, are the beings loved, but they are loved for the sake of the self. "Verily, not for the sake of the All, my dear, is the All loved, but it is loved for the sake of the self. "Verily, my dear Maitreyi, it is the Self that should be realized-should be heard of, reflected on and meditated upon. By the realization of the Self, my dear-through hearing, reflection and meditation-all this is known.
मैथिली साक्षात माता सरस्वती की अवतार हैं आप। धन्य हैं आप और आपके माता पिता।
दो साल के बाद पुनः कमेंट लिखने से खुद को रोक नहीं पा रहा हूँ।
शाबास प्यारी गुड़िया,हिन्द की दुलारी,भोजपुर की कोकिला-किशोरी--- तुम्हरी गायिकी सीधे हिया में प्रवेश कर जाती है।
गायन दिल पर छा कर मन प्रसन्न हो गया।
आपके माता पिता और आपको नमन 🎉❤
शाबाश बिटिया बिहार का नाम रोशन कर दिया ❤❤❤❤
साहेब कबीर ना होते इस जगत में तो मेरा इस जगत में रहना मुश्किल था। कबीर साहेब की वाणी, प्राण है मेरे...🥲❤
नानक नाम जहाज हैजो चड़े सो उतरे पार नाम वो जो जीवित सतगुरु समाधी लगाकर (जीवित मरकर) ईश्वर तत्व से मिल लेता है उनके द्वारा शिष्य के सर पर हाथ रखकर ईश्वर तत्व का ध्यान लगाकर दिया जाता है उसके प्रभाव से चौरासी लाख योनिओ का जन्म मरण का चक्र समाप्त होने लगता है सतगुरु मधु परमहंस जी
संत कबीर की वाणी और मैथिली की गायकी का ऊच्चतम मिलाफ. दैवी संयोग .
Bahut.sundar.aavaj.mery.shubh.kamanaye.maedhali.ke.sadh
Bahut nic,Aashirbad bauwa
बहुत गर्व महसूस हो रहा है में हिंदु धर्म में जन्मा हू और ऐसे निर्गुण भजन सुनने को मिला 😊😊😊
Agr tm is sentence ko likh ya bol rhe ho ki ( hindu dharm me janma ye garv ki baat hai ) to av v tm sant kabir ko thik se nhi smjhe bro...qki sant kabir kisi v dharm ko garv ya nich ke bhawna se nhi dekhe kv
@@vedkashyap1335😊😊😊
यदि आप ईसाई धर्म में जन्म लेते तो वहां कोई इस भजन को सुनने से मना कर सकता था क्या मैथिली जी का यह भजन सुनने के लिए आपको कोटि कोटि धन्यवाद
मैथिली जी आपको सुबह का नमस्कार आप दर्शकों को कबीर मय कर देती है साहब आपको ऊंचाइयों पर ले जाएं यही मेरी कामना है
Hindu janm nahin hota janm chhinnana padta hai
माया से काया हुई ,काया से सब भोग!
भोगो से सबको लगा,जन्म मरण का रोग!!
कबीर चिंता क्या करै,चिंता से क्या होय !
मेरी चिंता हरि करै,चिंता मोहि ना कोय!!
चिंता खा गई जगत को, चिंता जग की पीर!
जो चिंता को मेट दे ,ताका नाम कबीर ! !
! !सप्रेम साहेब बंदगी साहेब!!
सप्रेम साहेब बंदगी साहेब 🙏😊
St saheb bht badhya ❤️🙏
मन को शांति प्रदान करने वाली मधुर वाणी नमन
कबीर साहिब जी ने संतमत स्थापित किया कबीर साहिब जी ने रामानंद जी को नाम दान दिया रामानंद जी ने रविदास जी को दीक्षा दी कबीर साहिब जी ने गुरु नानकदेव जी और कई संतो को दीक्षा दी 32 संतो ने कबीर साहिब को फॉलो किया गुरु नानक देव जी के बाद केवल दो गुरु ही सत्पुरुष को जानते थे असली संत कौन है वो जो इस निरंजन शरीर यानि मन को जीतकर इसमें से निकलकर उस परमपुरुष सत्यपुरुष तक पहुंचते है वही असली संत होते है मन ही निरंजन मन ही ओमकार मन ही है करतारा तीन लोक में मन ही विराजी ताहि न चिन्हत पंडित काजी नानक देव जी ने कहा है जीवित मरिए, भवजल तरीऐ, कबीर साहिब जी ने कहा है मरते मरते जग मुआ मरण न जाना कोई ऐसी मरनी न मरे जो बहुर न मरना होय यानि समाधी लगाकर यानि जीवित मरकर उस परमपुरुष सत्पुरुष यानि अमरलोक, यानि सतलोक तकआत्मा पहुँचती है तब इस शरीर यानि मन यानि दिमाग यानि काल निरंजन पर पूरा नियंतरण हो जाता है सतगुरु कबीर साहिब जी सतगुरु मधुपरम हंस जी
वाह वाह वाह
मिथीला जी।
बहुत धन्यवाद आपको!
अगर कमेंट बॉक्स देखते होंगे तो कृपया गुरु नानक देव जी महाराज का निम्नलिखित भजन ही गाने का कष्ट करें।
प्रीतम जानि लेहु मन माहीं।
अपने सुख में सब जग बाॅध्यो, कोउ काहू को नाहीं।।
सुख में आनि बहुत मिलि बैठत, रहत चहूँ दिसि घेरे।
बिपति पड़े सबही संग छाड़त कोई न आवत नेरे।।
घर की नारि बहुत हित जासों, रहत सदा संग लागी।
जब या हंस तजी है काया, प्रेत-प्रेत कर भागी।।
ऐसो जग व्योहार बन्यो है, तासो नेह लगायो।
अंतकाल नानक बिनु सतगुरु, कोऊ काम न आयो।।
Bhai ye 9ve nanak ji ka shabad hai jani k guru teg bhadur ji a likha hua 🙏
@dilpreetsingh2478 जी! ठीक कहा आपने।
अमोह की अवस्था ।❤
Pragati ki dhal rahi, jayein aage nahin pakad rahi 🚀💫
सीख कर ही प्रेरणा मिली है,🙏🙏
कबीर साहेब ने अपने अनमोल विचारों से संसार मे दृगभर्मित लोगों का सटीक मार्गदर्शन किया है.
Beti, tumhari awaaz me wo Jadu hai jo gayaki ko ek nai disha de sakti hai, karunic awaaj ke liye dhanyavad!
सुपर कबीर भजन जीवन से सम्बन्धित गायिका को धन्यवाद।❤
बहुत ही सुन्दर जीवन का परम सत्य
यह जगत आसक्ति और विरक्ति दोनों का खेल है सम्बन्धो मे आसक्ति से ही तो सृष्टि चलती है पर ईश्वर से आसक्ति से ही परमानन्द प्राप्त होता है।
दाेवारा कमेन्ट करता हुँ आपहि सरस्वती है धन्य है आएका कला सदा अमर रहे ।
समाज को सत्कर्म के लिए प्रेरित करने वाले और संसार की वास्तविकता का संदेश देने वाले संतों का भजन अधिक से अधिक गायन कर सोशल मीडिया में अपलोड करें मैथिली बहन, इससे नई पीढ़ी धर्म का मर्म समझ पाएगी।
Pyari sada prasann raho ishwar ka marg bhut uttam tumne chuna chakachaundh se doori sarvada tumhein bhut sukh degi
महान प्रतिभा को प्रणाम👏👏👏👏
अति उत्तम
जय श्री कृष्णशरणम्
जयहो माँ सरस्वतिका स्वरुप 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 धन्यहो
कबीर के इस भजन से आनंद और वैराग्य दोनों ही जागृत हो जातें हैं बहुत बहुत धन्यवाद बधाई।
आपसब बहुत अच्छे हो।
नमन आप दोनों को🙏❤
बहुत सुन्दर भजन जीवन तथ्य छुपा है जय श्री कृष्णा 👏
यथार्थ सत्य जिसे स्वीकार करने को कोई तैयार नहीं।
यही है माया मोह।
आनंद स बिभोर भगेलू मैथिली ठाकुर जी 🪔🌹🙏
शानदार गायन ।
एक तू ही भरोसा एक तू ही सहारा.. राम
जीवन का कटु सत्य है इस गीत में 😢
ऐसा अलौकिक गायन सुनकर मन और आत्मा आनन्द विभोर हो गये. करोड़ों में कोई विरला ही होता है जो इतना मधुर स्वर में गायन कर सकता हो और वो आप हो बहन. आपको कोटि कोटि वंदन very hearttouching song 😭😭🙏🙏🙏🙏
🙏🙏
❤❤मधुरता है...वियोग है ...इनकी आवाज़ में
शाबाश ! अति मधुर गायिकी।बहुत ही सुंदर सुर लगता है और कंठ बहुत ही कर्ण प्रिय हैं।भोजपुरी गायिकी की शान है यह बिटिया।वाह क्या बात है।
Jay ho sant Kabeer Ji ki jay jaykar
Maithili Thakur ki Aawaj atyant Madhur hai bahut hi sundar hai ❤❤❤❤❤
बहुत ही सुंदर निर्गुण ईश्वर गान।मैथिली ठाकुर जी को मेरा सदर नमस्ते।
भला हो इश देश का मैथिली बिटिया जैसी भारत भूमि में जन्म ली जिसके मखाबिंद से निकली हर बाणीं मन को बिभोर कर देती है
आवाज में भी इतना निर्गुण भाव परोसा हैं आपने की पूरा भजन एकदम परमात्मा की प्रसादी जैसा बन जाता हैं। . अद्भुत।
Vary vary good Mathilee ji
Aapko pranam pranam pranam pranam pranam pranam pranam
कबीर दास के भजन को गाने से पुण्य मिलता है। ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहे।🌻🌻
एक सुंदर फूल है,मैथिली
सुंगंध बिखेरती,प्रीति महकती,
माता,पिता को प्रणाम;मैथिली,
धन्य धन्य,शुभाशीष और प्यार🌹
Ua
नमन है आपके माता पिता को जिन्होंने ऐसे हीरे जैसे bachhe इस संसार को दिए 🙏
वेलकम मैथीली जी
इतना मीठा स्वर में निर्गुण मैं आंसू नहीं रोक पाया
बहुत ही सुंदर गाया है बेटी आपने हृदय से आपको बहुत बहुत धन्यवाद बेटी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐💐💐
वाह, लाजवाब! जीवन की सच्चाई पर पूर्ण प्रकाश डालती हुई निर्गुण भजन l
धन्यवाद, मैथिली ठाकुर❤
मैथिली देवी स्वरूप के कंठ में जो स्वर देवी निवास करती है उनको हेमंत सैनी का प्रणाम स्वीकार हो
हे अम्बे ऐसी संगीत की कृपा हो जाए अति कृपा ऐसे ही बने रही अम्बाजी 🙏🚩🔱
Saheb bandagi saheb...
Jai Satyanaam
Mithila ji apne to bohot sunder Gaya hi he ...par Tabla bhi apratim bajaye he bhayya... Bohot sunder... Parmatma ki Krupa he apke parivar par 🙏❤
जय जय श्री सीताराम । आपके बाणी बहुत मिठी है , भजन बहुत अच्छा लगा । बेटी बहुत बहुत धन्यवाद ।
बहुत सुंदर आपकी कंट्री में सरस्वती माता विराजमान है
कहने को कुछ नहीं इतना प्यारा गायो कि हृदय की तार झनक उठी 🎻🎻🎻 आपको खूब सारा प्यार ।
अब जीतना अच्छा कहें उतना कम । भगवान आपको खूब लम्बी उम्र दें ❤️🙏❤️
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे,
कैसा नाता रे, जग़त में कैसा नाता रे,
मन फूला फुलां फिरे, ज़गत में कैसा नाता रे,
कैसा नाता रे, जग़त में कैसा नाता रे,
माता कहे यह पुत्र हमारा, बहन कहे बीर मेरा,
भाई कहें यह भुजा हमारी, नारी कहे नर मेरा,
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे,,
पेट पकड़ के माता रोवें, बाँह पकड़ के भाई,
लपट झपट के तीरिया रोवे, हँस अकेला जाएँ,
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे
जब लग जीवे माता रोवे, बहन रोवे दस मासां,
तेरह दिन तक तिरिया रोवे, फ़िर खोजे घर वासां,
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे,
चार गडे चार गजी मँगाया, चढ़ा काठ की घोड़ी,
चार कौनों आग लगाके, फूँक दियो जस होरी,
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे,
हाड़ जले जस बन की लकड़ियाँ, केश जले जस घासां,
सोने जैसी काया जल गई, कोइ न आयो रे पासां,
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे,
घर की तिरिया देखण लागी, ढुंडी फिरि चहुँ देशा,
कहत कबीर सुनो भाई साधों, छोड़ो जगत की आशा,
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे,
मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे
कबीर जी
धन्यवाद धीरज जी❤
Sansar ki antar Saanch yea bhajan guruji kabir baanch jatey hai. Bandagi sahib.
5:04
❤😂
@@nikhilkumar1950bu bu bu bu bu bu CT Ani Zee union ni ni TFT ni BB bu bu CT ji ni ni BB bu pp s r
Iss bhjan ko sun kar ❤❤danhye ho gye 😊😊 shanti bhut mili
संत कबीर की वाणी मैथिली के स्वर निर्गुण सगुण का अद्भुत संगम। अप्रतिम।
बेटी की सोच बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति लाजवाब
प्रभु आपको बहुत दूर तक ले जाएगा
गुरुदेव की बहुत बड़ी कृपा
माता पिता का आशीर्वाद
हम सब का आशीर्वाद और प्यार बना रहेगा
कबीर का ये भजन सूनके. जरुर वैराग्य प्राप्त होगा. ❤️❤️
जीवन के अंतिम सत्य के दर्शन कराती हुई रचना की शानदार सुमधुर प्रस्तुति।
इस भजन को बहुत से गायकों ने गाया है मगर आपकी बात तो कुछ और ही है। सचमुच आपके कंठ में मां सरस्वती का वास है। बिहार कोकिला को मेरा बहुत बहुत प्यार !!
आपके सुर संगीत और भाव की त्रिवेणी ने कबीर दास जी के इस निर्गुण को इतना सुन्दर बना दिया है कि इसे सुन कर मन में सहज ही वैराग्य उत्पन्न हो गया. धन्य हैं आप और धन्य हैं आप के माता पिता के संस्कार. आप इसी प्रकार गाती रहें और भारतीय लोक संगीत को अपनी सुर साधना से नित नयी ऊँचाई पर ले जाने का कार्य करती रहें.
Aapka bhajan ati sunder laga aapko dhanyabad
Knit baba Ki Rachana bhut sahi hai
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहिब को मेरा कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
कबीर साहेब के भजन को जिसने भी उसकी बहुत ही परसिद्धि प्राप्त हुई
Teeno Bhai bahin ko bhagvan lambi aayu de
नानक नाम जहाज हैजो चड़े सो उतरे पार नाम वो जो जीवित सतगुरु समाधी लगाकर (जीवित मरकर) ईश्वर तत्व से मिल लेता है उनके द्वारा शिष्य के सर पर हाथ रखकर ईश्वर तत्व का ध्यान लगाकर दिया जाता है उसके प्रभाव से चौरासी लाख योनिओ का जन्म मरण का चक्र समाप्त होने लगता है सतगुरु मधु परमहंस जी
नए कलाकारों में आप ही वो एकमात्र गायिका हो जिसकी आवाज़ मेरी माता श्री को पसंद आई है।
“छोड़ो जग की आशा”
संत कबीर साहब जी महाराज के चरणों में कोटि कोटि नमन्।
Vare va kabira he kasa mathate mai thle ki shath, 🥶😭
ẞßßsßsßsßßssxxßssßsßxsß3sssßßsßsßsssßwsssssßßsßssssssssßsssssßssßssssßßssßsßsssssßßssxsßssssßßsxsßsßßssßsßssßsss
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सुमधूर
Chhoro jag ki aasa
बहुत सुन्दर गाया व कबीर दास जी नें जैसे यथार्थ का चित्रण किया वैसे ही आपने अपने दर्दनाक स्वरों से रुलाने का कार्य किया,लाजवाब गीत व तबला भी सुपर्ब,जान डाल दिया ♥️🌹🌷👌👍🙏
बेटी तुम कोई दैवीय शक्ति हो।
सुंदर. जिसका हृदय निर्गुण निराकार तत्त्वज्ञान से भरा हो वही ऐसी गायकी कर सकती है.मन प्रसन्न हुवा.
जब कोई भी आत्मा वापिस अपने मूल स्थान अमरलोक में नहीं पहुंची और यही चौरासी लाख योनियों में भटक रही थी तब परमपुरुष ने अपने को मथ कर कबीर साहिब को निकाला और धरती पर जाकर आत्माओं को चेतन करने के लिए कहा, इसके लिए अनुराग सागर वाणी को पड़ने की ज़रूरत है जिसमे कबीर साहिब ने यह सृष्टि किसने बनाई पांच तत्वों का संसार और शरीरों की रचना कैसे हुई अपने प्रिय शिष्य सेठ धरम दास जी को बताया
ऐसा निर्गुण भजन सुनकर दिल छु गया आपको कोटी कोटी धन्यवाद मैथिली बेटा
Maithili thakur ji ki aawaj bahut satik avam atyant madhur hai. Mai unke ujjawal bhavishya ki kamana karata hun. Rishav thakur ko bhi bahut- bahut shubhakamanayen.Sant kabeer ji ko naman.
शाबाश !
तबले में भी कमाल किया है!!
❤❤❤❤❤ਵਾਹ ਵਾਹ ਜੀ ਵਾਹ
यही संसार की सत्यता है अत्यंत मधुर भजन है
बेटा आपकी आवाज मे मन फुला फुला यह भजन बहोत अच्छा लगा / आप तीनो भाई बहन को परमात्मा हमेशा सुखी रखे / आपने बहुत अच्छी कला हसील कीई हुई है नाम तो बढेगा हि साथ साथ मे भक्त गन के दिलो मे भी बस जावोगे / सतनाम साहिब बंदगी
आपके भजन बहुत दिन से स्नेहा हू। अब आपकी गायकी मे ठहराव आ गया है जो दिल को सुकून देती है। ईश्वर आपको बहुत ऊंचाई तक ले जाय ।
लाजवाब निर्गुण गाया है आपने। माँ सरस्वती की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे। (सत्य वचन)
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Bahut सुन्दर lagal
It is quite greatness of yours brother to appreciate
Akdam sahi kaha.. maithili aap pr eshwar ki apar krupa rahe.. beta 🙌🏻👌🏻👍🏼❤️❤️❤️❤️❤️
@@pawanjha9288 p0p0
जिवन कि सच्चाई है इस भजन को सुनने से अन्दर की आत्मा झकझोर हो गयी
यह सुखद संयोग ही है कि जब-जब मैं "इस लड़की" को सुनता हूं बरबस ही "आंसू", मेरी आंखों का "श्रृंगार" बन जाती है...
गायिकी को नमन बाबू।
बहुत अच्छा,मैंने बचपन से सौ से उपर इस गाना को सुना पर आज तुम्हारी आवाज़ ने घायल कर दिया।अनन्त शुभकामनाएं
Sach kaha aapne❤
बधाई।
बहुत सुन्दर निर्गुन भजन।
उससे भी अधिक सुन्दर गायन।
यशस्वी भव बिटिया।
आपके जैसा निर्गुण अपने जीवन में पहली बार सुना आंखों में आंसू आ गए.
निर्गुण के एक-एक शब्द आज के जीवन को चरितार्थ करते हैं....
Prakash gandhi k dwara gaya gya suniye fir aur bhi khengi 👌👌
इस भजन को मेरे पिताजी भी गाया करते थे, लेकिन अब वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन आज इस मधुर आवाज में उनके दर्शनों की अनुभूति हो गयी।
मानवता के लिए मार्मिक संदेश भी है।
Ab Tak ki sabse Best
बहुत-बहुत धन्यवाद ! कबीर के भजन मन को छू जाते हैं, आशा है आगे को कबीर के भजन सुनने को मिलेंगे . 🙏
वाह! क्या बात है मैथिली जी कितना प्यारा भजन सुनाया है बहन बहुत सुन्दर ❤❤❤❤❤
बहुत ही भावपूर्ण गाया। निर्गुण निराकार रूप में कबीर को विश्व पटल पर पहुँचाने में सतत् प्रयासरत ।
शाबाश मैथिली ठाकुर।
मेरी माताजी अंतिम समय मे आप ही के गाए भजन सुन रहीं थीं, ये भजन भी, आप साक्षात देवी का अवतार हो, ऐसा मेरी माँ कहती थी, मेरी माँ को अंतिम समय में सुकून देने के लिए आपका कोटि कोटि धन्यावाद
मैथिली ठाकुर बेटी तुम्हें कोटि-कोटि नमन
इस भजन काे कितनाे ने गाया.पर जिस भावपूर्ण रुप से मैथली ने गाया सचमुच भावविभाेर हाे गये धन्य हाे बहन जुग जुग तुम्हारी आवाज लाेगाें के दिलाें पर गुंजती रहें। शुभ आशिर्वाद 👌💗✌
तुम भाई बहन की जितनी भी तारीफ़करें उतनी हीं कम है तुम लोग सर्व गुण सम्पन्न हो
धन्यवाद
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 बहुत अच्छी प्रस्तुति
मन फुला फुला फ़िरे जगत में, कैसा नाता रे
Happy birthday gudiya Rani bahi are mom dad happy raho
जब आप शब्दों के भावार्थ को महसूस करते हुए गाते हो तो हृदय द्रवित हो जाता है।