Bhai ram v krisn n kahakar surydev ki jay bolana bhai ense barha koi nahi hai ye Sachchat dikhyi dete hai aour to pndito ne pattha ka banay hai bhai apane khane kamane ke liy bhai badhai ho apko ❤️👌💯
Aap ne kahani ke madhym se sahi galat ki pahechan kara diye. Dhanvad aap ko . Kaun kya sikha vo jane. Aap ne kahani ke madhyam se.rrasta dikhaya . Chlne vale kya chunte h vo jane . Mujhe bhut achhi lgi baten .
दुनिया की कोई भी सभ्यता सच्ची सनातन सभ्यता का मुकाबला नहीं कर सकती।" आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में ऐसे शिव मंदिर हैं जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में बने हैं। आश्चर्य है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसा कौन सा विज्ञान और तकनीक थी जिसे हम अभी भी नहीं समझ पाए हैं? उत्तराखंड में केदारनाथ, तेलंगाना में कालेश्वरम, आंध्र प्रदेश में कालाहस्ती, तमिलनाडु में एकंबरेश्वर, चिदंबरम और अंत में रामेश्वरम के मंदिर 79 ° E 41'54 ”देशांतर की भौगोलिक रूप से सीधी रेखा में बने हैं। ये सभी मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में लिंग की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे हम आम भाषा में पंच भूत कहते हैं। पंच भूत यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष। इन पांच तत्वों के आधार पर इन पांच शिवलिंगों की स्थापना की गई है। तिरुवन्नाकवल मंदिर में जल का प्रतिनिधित्व किया जाता है, तिरुवन्नामलाई में अग्नि का प्रतिनिधित्व किया जाता है, वायु का प्रतिनिधित्व कालाहस्ती में किया जाता है, कांचीपुरम में पृथ्वी का प्रतिनिधित्व किया जाता है और अंत में चिदंबरम मंदिर में अंतरिक्ष या आकाश का प्रतिनिधित्व किया जाता है! ये पांच मंदिर वास्तु-विज्ञान-वेद के अद्भुत संगम का प्रतिनिधित्व करते हैं। भौगोलिक दृष्टि से भी इन मंदिरों में विशेषता पाई जाती है। इन पांच मंदिरों का निर्माण योग विज्ञान के अनुसार किया गया था और इन्हें एक दूसरे के साथ एक निश्चित भौगोलिक संरेखण में रखा गया है। इसके पीछे जरूर कोई विज्ञान होगा जो मानव शरीर को प्रभावित करेगा। इन मंदिरों का निर्माण लगभग चार हजार साल पहले हुआ था जब उन स्थानों के अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक उपलब्ध नहीं थी, तो पांच मंदिरों को इतनी सटीकता से कैसे स्थापित किया जा सकता था? भगवान जवाब जानता है। केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच की दूरी 2383 किमी है। लेकिन ये सभी मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा में आते हैं। आखिरकार, इन मंदिरों को समानांतर रेखा में बनाने के लिए हजारों साल पहले जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, वह आज भी एक रहस्य है। श्रीकालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक से पता चलता है कि वह वायु लिंग है। तिरुवनिक्का मंदिर के भीतरी पठार में पानी के झरने से पता चलता है कि यह जल लिंग है। अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक दर्शाता है कि वह अग्नि लिंग है। कांचीपुरम की रेत का स्वयंभू लिंग दर्शाता है कि यह पृथ्वी लिंग है, और चिदंबरम की निराकार अवस्था ईश्वर की निराकारता, यानी आकाश तत्व को प्रकट करती है। अब यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ब्रह्मांड के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच लिंग सदियों पहले एक ही पंक्ति में स्थापित किए गए हैं। हमें अपने पूर्वजों के ज्ञान और बुद्धिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास एक ऐसा विज्ञान और तकनीक थी जिसे आधुनिक विज्ञान भी भेद नहीं कर पाया है। ऐसा माना जाता है कि न केवल ये पांच मंदिर बल्कि इस रेखा में कई मंदिर होंगे जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में आते हैं। इस रेखा को "शिव शक्ति अक्ष रेखा" भी कहा जाता है। संभवत: इन सभी मंदिरों का निर्माण कैलाश को ध्यान में रखकर किया गया है जो 81.3119° ई. में पड़ता है। इसका उत्तर केवल शिवाजी ही जानते हैं। आश्चर्यजनक रूप से, "महाकाल" और शिव ज्योतिर्लिंग के बीच क्या संबंध है? उज्जैन से बचे हुए ज्योतिर्लिंगों की दूरी भी दिलचस्प- उज्जैन से सोमनाथ - 777 किमी उज्जैन से ओंकारेश्वर - 111 किमी उज्जैन से भीमाशंकर - 666 किमी काशी विश्वनाथ - उज्जैन से 999 किमी उज्जैन से, मल्लिकार्जुन- 999 किमी उज्जैन से केदारनाथ - 888 किमी उज्जैन से त्र्यंबकेश्वर - 555 किमी उज्जैन से बैजनाथ - 999 किमी उज्जैन से रामेश्वरम - 1999 किमी उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी हिंदू धर्म में बिना वजह कुछ भी नहीं होता। उज्जैन को पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। सूर्य और ज्योतिष की गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी लगभग 2050 साल पहले उज्जैन में बनाए गए थे और लगभग 100 साल पहले जब एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने पृथ्वी पर एक काल्पनिक रेखा (कर्क) की खोज की थी। जब इसे बनाया गया था, तो इसका मध्य भाग उज्जैन निकला। आज भी वैज्ञानिक सूर्य और अंतरिक्ष की जानकारी के लिए उज्जैन आते हैं।*❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
बहुत सुंदर और न्यायपूर्ण कहानी। किन्तु इस समय तो सारा संसार इससे उल्टा ही चल रहा है। व्यक्ति येन केन प्रकारेण उच्च पद प्राप्त कर लेता है और जनमानस से मुँह फेर लेता है।
Jai shurjdev Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram
हमसब मानव हमेशा से ही शिव ही हैं। हमसब अपने को ही भूल गये है, इसलिए अपने शिव को अपने ही रूप में साक्षात हरपल दिखने पर भी, हमसबो को विश्वास ही नहीं होता है कि, शिव ही हमारी अपनी ही रूप है। जब हमसब खुद ही शिव है तो, हमसब कैसे मर सकते हैं। क्या हमारा अपना शिव कभी मर सकते हैं। भगवान ने इंशानों को नहीं बनाया लेकिन इंशानों ने भगवान को ही बना दिया। किसी जमाने से किसी इंशान ने राम को भगवान, तो किसी ने जीसस को भगवान, तो किसी ने निराकार आल्हा को भगवान मानकर, तुम सभी मानवों को झूठी धर्मों में बांटकर गुलाम बना दिया गया है। तुम सब एक होकर भी, अपनी - अपनी धर्मों के और अपनी- अपनी भगवानों के गुलाम मात्र बनकर रह गये हो। जब तुम सब मानव खुद ही जीवित नहीं हो, क्योंकि तुम सब की मौत तय है। तुम सब आज मरो या दो सौ साल बाद मरो, मरना तय है। फिर तुम सब किसको बचाने के लिए, सदियों से देश और धर्म के नाम पर हत्या करते हो। तुम सब अपने को आज तक अपनी मौत से नहीं बचा पाए। फिर तुम सब क्यों युद्ध और किसकी हत्या करते हो। तुम सब राजनीतिज्ञ , धनवान, वैज्ञानिक, धर्मगुरु, पादरी, पैगम्बर, इत्यादि बनकर भी मरते गये हो। यह सिलसिला यानि मौत का यह खेल, तुम सब सदियों से खेलते आए हों। तुम सब हर बार मौत के सामने, जीवित होकर भी हारते गये हो। तुम सब अपने को ठीक से आजतक पहचान ही नहीं पाये कि, तुम सब ही सच्चे शिव हो। जबतक तुम सब दूसरे को शिव, अल्लाह, गौड़ इत्यादि मानोगे तबतक मरोगे। तुम सब मेरे पास आओ, शिव बनो और कभी भी मौत की गोद में न जाओ। सब शिव अपनी ज्ञान से बनो और मौत के उसपार सब मेरे साथ चलो। मैं तुमसबो को जीवन दे रहा हु और तुम सब मौत के साथ ही रहना चाह रहे हो। रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति दोनो एकदिन वैसे ही मर जायेंगे, फिर भी सिर्फ अपनी झूठी विचारों को मनवाने के लिए, कितनों सैनिकों की हत्या, कुछ कागज के रूपये के बल पर कर रहे हैं। यह दुनिया जब है ही नहीं तो फिर,तुम सब क्यों और कैसे सदियों से युद्ध और हत्या कर लेते हो।
द्रौपदी का कर्ज"।। अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा महल में झाड़ू लगा रही थी तो द्रौपदी उसके समीप गई उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली, "पुत्री भविष्य में कभी तुम पर घोर से घोर विपत्ति भी आए तो कभी अपने किसी नाते-रिश्तेदार की शरण में मत जाना। सीधे भगवान की शरण में जाना।" उत्तरा हैरान होते हुए माता द्रौपदी को निहारते हुए बोली, "आप ऐसा क्यों कह रही हैं माता ?" द्रौपदी बोली, "क्योंकि यह बात मेरे ऊपर भी बीत चुकी है। जब मेरे पांचों पति कौरवों के साथ जुआ खेल रहे थे, तो अपना सर्वस्व हारने के बाद मुझे भी दांव पर लगाकर हार गए। फिर कौरव पुत्रों ने भरी सभा में मेरा बहुत अपमान किया। मैंने सहायता के लिए अपने पतियों को पुकारा मगर वो सभी अपना सिर नीचे झुकाए बैठे थे। पितामह भीष्म, द्रोण धृतराष्ट्र सभी को मदद के लिए पुकारती रही मगर किसी ने भी मेरी तरफ नहीं देखा, वह सभी आँखें झुकाए आँसू बहाते रहे। सबसे निराशा होकर मैंने श्रीकृष्ण को पुकारा, "आपके सिवाय मेरा और कोई भी नहीं है, तब श्रीकृष्ण तुरंत आए और मेरी रक्षा की।" जब द्रौपदी पर ऐसी विपत्ति आ रही थी तो द्वारिका में श्री कृष्ण बहुत विचलित होते हैं। क्योंकि उनकी सबसे प्रिय भक्त पर संकट आन पड़ा था। रूकमणि उनसे दुखी होने का कारण पूछती हैं तो वह बताते हैं मेरी सबसे बड़ी भक्त को भरी सभा में नग्न किया जा रहा है। रूकमणि बोलती हैं, "आप जाएँ और उसकी मदद करें।" श्री कृष्ण बोले, "जब तक द्रोपदी मुझे पुकारेगी नहीं मैं कैसे जा सकता हूँ। एक बार वो मुझे पुकार लें तो मैं तुरंत उसके पास जाकर उसकी रक्षा करूँगा। तुम्हें याद होगा जब पाण्डवों ने राजसूर्य यज्ञ करवाया तो शिशुपाल का वध करने के लिए मैंने अपनी उंगली पर चक्र धारण किया तो उससे मेरी उंगली कट गई थी। उस समय "मेरी सभी पत्नियाँ वहीं थी। कोई वैद्य को बुलाने भागी तो कोई औषधि लेने चली गई। मगर उस समय मेरी इस भक्त ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और उसे मेरी उंगली पर बाँध दिया। आज उसी का ऋण मुझे चुकाना है, लेकिन जब तक वो मुझे पुकारेगी नहीं मैं जा नहीं सकता।" अत: द्रौपदी ने जैसे ही भगवान कृष्ण को पुकारा प्रभु तुरंत ही दौड़े गए।❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
*धर्म की परिभाषा बहुत कठिन है, गीता में वर्णाश्रम धर्म के कर्तव्य पालन को ही धर्म कहा गया है। देश की रक्षा के लिए धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए हमारा जो कर्तव्य है, शास्त्रों का जो विधान है, उसके अनुसार हम कर्म में प्रवृत्त हो, मन के अनुसार नहीं चले, मनमाना आचरण नहीं करें। यही मानवता है, यही विवेक जाग्रत होने का प्रमाण है। महाभारत की कथा में दुर्योधन मनमाने आचरण का प्रतीक है। दुर्योधन कहता है - जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्तर्जानाम्यधर्मं न च मे निवृत्तिः। केनापि देवेन हृदि स्थितेन यथा नियुक्तोऽस्मि तथा करोमि।। ( गर्ग संहिता अश्वमेध.50.36) "मैं धर्म को जानता हूंँ, पर उसमें मेरी प्रवृत्ति नहीं होती और अधर्म को भी जानता हूंँ, पर उस से मेरी निवृत्ति नहीं होती। मेरे हृदय में स्थिति कोई देव है जो मुझसे जैसा करवाता है, वैसा ही मैं करता हूंँ।" दुर्योधन ह्रदय में स्थित जिस देव की बात कह देता है, वह वास्तव में कामना ही है। पांँडव मन के अनुसार नहीं चलते थे, बल्कि धर्म के तथा भगवान् की आज्ञा के अनुसार चलते थे। आज राजनीतिक पार्टियां अपनी स्वार्थ लोलुपता के कारण जिस तरह से देश की आन बान और शान को दांव पर लगा रही हैं, एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं, देश के स्वाभिमान की रक्षा करने वाले महानायको को बेबुनियाद आरोपों के घेरे में लेकर समय खराब कर रहे हैं, देश की छवि को अंतरास्ट्रीय स्तर पर खराब कर रहे हैं, उनके लिए महाभारत में एक प्रेरणादायक प्रसंग है। जब गन्धर्वों ने दुर्योधन को बन्दी बना लिया था, तब युधिष्ठिर ने उसे छुड़वाया। वहांँ युधिष्ठिर के वचन हैं- परैः परिभवे प्राप्ते वयं पञ्चोत्तरं शतम्। परस्परविरोधे तु वयं पञ्च शतं तु ते।। (महाभारत, वन. 243) "दूसरों के द्वारा पराभव प्राप्त होने पर उसका सामना करने के लिए हम लोग एक सौ पांँच भाई हैं। आपस में विरोध होने पर ही हम पांँच भाई अलग हैं और वे सौ भाई अलग हैं।"❤️❤️❤️❤️❤️❤️
बहुत सुंदर परमार्थ प्रकाश। अच्छा लगा
Very very nice and good story 👍🏻👍🏻👌🏻👌🏻
Jay sev karke jai bhole nath 🥥🌺🍁🙏🙏🙏🍁🌺🌸🏵️🌻🌹🌷🍑
ऊं श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय हरि हरि ॐ
Bahut achchhi baat bataya apne
Thank you so much
Kahani.bahut.vadhiya.hai.aapji.ka.dhnbad..Lelewala..
Bahut hi prerna pradayak kathan hn buddhiman manav ko bade se bada sankat aane par bhi kabhi bhi injustice nhi karna chahiye
Aaj ye kahani sun kar man ko bahut sakun mela or bahot kuchh seekhne Ko mela aapko bhi meri taraf se baar baar thanks
Main bhaiya Shankar masti aap ki kahani bilkul good ATI Sundar Om shanti 😍😍😍😍😍😍
Bahut hi gyan vardhak evam katu satya , har manushya me e gun jarur hone chahiye tavi o bhagwan ki sarv sresth kriti kahlayega
Aese mahtvapurna video banane ke liye me aapaka dhnyavad karte hai
ऊ।।। मन कामेश्वर नाथ की जय हो माँ धरती महा बल जमत 🔥 की जय हो नव युग नारायण माता पिता की जय हो
सर आपकी आवाज बहुत अच्छी लगती है कहानी सुनाने का अंदाज बहुत अच्छा है आपका
Gurudev dhanybad gurudev sayad aapne sabhi sastron ka adhhyyan Kia h isly aapko itna gyan h
Bhai ram v krisn n kahakar surydev ki jay bolana bhai ense barha koi nahi hai ye Sachchat dikhyi dete hai aour to pndito ne pattha ka banay hai bhai apane khane kamane ke liy bhai badhai ho apko ❤️👌💯
ATI UTTAM
THIS IS A SUN DIE STORY
ᴠᴇʀy ɴɪᴄᴇ ꜱᴛᴏʀɪᴇꜱ ᴍᴀᴊᴀ ᴀᴀ ɢᴀyᴀ
अच्छा लगा है और कोई किस्सा बताओ
यह कहानी सुनकर बहुत अच्छा लगा भाई
Jai Mata di 🙏🙏
अति सुंदर बहुत अच्छा कथा हे सुनकर आनन्द विभोर होग्या हे। आप को आनेखो धन्यवाद जय श्री राम
Bahut achi kacha
Aapne bahut he Gyan ke baat batai he.
Chalo kuch to giyan mila 🙏🙏🙏..
Bahut bdhiya
Aap ne kahani ke madhym se sahi galat ki pahechan kara diye. Dhanvad aap ko . Kaun kya sikha vo jane. Aap ne kahani ke madhyam se.rrasta dikhaya . Chlne vale kya chunte h vo jane . Mujhe bhut achhi lgi baten .
बहुत सुन्दर बिचार।
Jai Shri Krishna
Radhe Radhe..
V. Good. Story.
ati sunder aur gyan vardhat.sadhubad
Jai Shri RadheyKrishna ❤❤🥺🤗🙏❤❤❤
Wow.aati.sunder👌👌guru.ji🙏🙏🙏🙏🙏
दुनिया की कोई भी सभ्यता सच्ची सनातन सभ्यता का मुकाबला नहीं कर सकती।"
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में ऐसे शिव मंदिर हैं जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में बने हैं। आश्चर्य है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसा कौन सा विज्ञान और तकनीक थी जिसे हम अभी भी नहीं समझ पाए हैं? उत्तराखंड में केदारनाथ, तेलंगाना में कालेश्वरम, आंध्र प्रदेश में कालाहस्ती, तमिलनाडु में एकंबरेश्वर, चिदंबरम और अंत में रामेश्वरम के मंदिर 79 ° E 41'54 ”देशांतर की भौगोलिक रूप से सीधी रेखा में बने हैं।
ये सभी मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में लिंग की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे हम आम भाषा में पंच भूत कहते हैं। पंच भूत यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष। इन पांच तत्वों के आधार पर इन पांच शिवलिंगों की स्थापना की गई है। तिरुवन्नाकवल मंदिर में जल का प्रतिनिधित्व किया जाता है, तिरुवन्नामलाई में अग्नि का प्रतिनिधित्व किया जाता है, वायु का प्रतिनिधित्व कालाहस्ती में किया जाता है, कांचीपुरम में पृथ्वी का प्रतिनिधित्व किया जाता है और अंत में चिदंबरम मंदिर में अंतरिक्ष या आकाश का प्रतिनिधित्व किया जाता है! ये पांच मंदिर वास्तु-विज्ञान-वेद के अद्भुत संगम का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भौगोलिक दृष्टि से भी इन मंदिरों में विशेषता पाई जाती है। इन पांच मंदिरों का निर्माण योग विज्ञान के अनुसार किया गया था और इन्हें एक दूसरे के साथ एक निश्चित भौगोलिक संरेखण में रखा गया है। इसके पीछे जरूर कोई विज्ञान होगा जो मानव शरीर को प्रभावित करेगा।
इन मंदिरों का निर्माण लगभग चार हजार साल पहले हुआ था जब उन स्थानों के अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए कोई उपग्रह तकनीक उपलब्ध नहीं थी, तो पांच मंदिरों को इतनी सटीकता से कैसे स्थापित किया जा सकता था? भगवान जवाब जानता है।
केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच की दूरी 2383 किमी है। लेकिन ये सभी मंदिर लगभग एक ही समानांतर रेखा में आते हैं। आखिरकार, इन मंदिरों को समानांतर रेखा में बनाने के लिए हजारों साल पहले जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, वह आज भी एक रहस्य है। श्रीकालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक से पता चलता है कि वह वायु लिंग है। तिरुवनिक्का मंदिर के भीतरी पठार में पानी के झरने से पता चलता है कि यह जल लिंग है। अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक दर्शाता है कि वह अग्नि लिंग है। कांचीपुरम की रेत का स्वयंभू लिंग दर्शाता है कि यह पृथ्वी लिंग है, और चिदंबरम की निराकार अवस्था ईश्वर की निराकारता, यानी आकाश तत्व को प्रकट करती है।
अब यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ब्रह्मांड के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच लिंग सदियों पहले एक ही पंक्ति में स्थापित किए गए हैं। हमें अपने पूर्वजों के ज्ञान और बुद्धिमत्ता पर गर्व होना चाहिए कि उनके पास एक ऐसा विज्ञान और तकनीक थी जिसे आधुनिक विज्ञान भी भेद नहीं कर पाया है। ऐसा माना जाता है कि न केवल ये पांच मंदिर बल्कि इस रेखा में कई मंदिर होंगे जो केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में आते हैं। इस रेखा को "शिव शक्ति अक्ष रेखा" भी कहा जाता है। संभवत: इन सभी मंदिरों का निर्माण कैलाश को ध्यान में रखकर किया गया है जो 81.3119° ई. में पड़ता है। इसका उत्तर केवल शिवाजी ही जानते हैं।
आश्चर्यजनक रूप से, "महाकाल" और शिव ज्योतिर्लिंग के बीच क्या संबंध है? उज्जैन से बचे हुए ज्योतिर्लिंगों की दूरी भी दिलचस्प-
उज्जैन से सोमनाथ - 777 किमी
उज्जैन से ओंकारेश्वर - 111 किमी
उज्जैन से भीमाशंकर - 666 किमी
काशी विश्वनाथ - उज्जैन से 999 किमी
उज्जैन से, मल्लिकार्जुन- 999 किमी
उज्जैन से केदारनाथ - 888 किमी
उज्जैन से त्र्यंबकेश्वर - 555 किमी
उज्जैन से बैजनाथ - 999 किमी
उज्जैन से रामेश्वरम - 1999 किमी
उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी
हिंदू धर्म में बिना वजह कुछ भी नहीं होता। उज्जैन को पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। सूर्य और ज्योतिष की गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी लगभग 2050 साल पहले उज्जैन में बनाए गए थे और लगभग 100 साल पहले जब एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने पृथ्वी पर एक काल्पनिक रेखा (कर्क) की खोज की थी। जब इसे बनाया गया था, तो इसका मध्य भाग उज्जैन निकला। आज भी वैज्ञानिक सूर्य और अंतरिक्ष की जानकारी के लिए उज्जैन आते हैं।*❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
बिल्कुल सही कहा आपने आपको कोटि-कोटि प्रणाम🌹🌹🙏🙏🌹🌹
Atee sunder Story
🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत ही बढ़िया कहानी है ।इस कहानी में मानवता एवं न्यायिकता की बातें बताई गई हैं म
👈 Mast video 👌
Is kahani ko samjhne aur video me lane ke liye aap ko bhut bhut dhniya wad kiyo ki aaj bhi is sansar me bhut murkh log Hain
Apne ko chhod ke sabhi murkh dikhte h baaki koy bhi surkh nahi h
Katha sunane ke liye bahut bahut dhanyavad bhai bahut acchi Katha aapki super 🙏🙏🌹🌹👍👍
HII SONY JII🙏
Bahut Achcha Gyan Diye
Aapka video ATI Sundar laga 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri har har mahadev har har mahadev har har 🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🍌🍌🍌🌼🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
SABKO HOSHIYAAR BANAAYE UPARVAALE JIVIT DEVAADHIDEV PRABHU YESHUPITAA SATGURUDEV
Bahut hi pyara hai 🙏🏿
Ati sundar ❤️👍🙏❤️👍🙏❤️👍👍
Aap ka sad giyan katha accha hay
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है।
Very good! HC ARORA VAISHALI GHAZIABAD UP INDIA
बहुत सुंदर और न्यायपूर्ण कहानी।
किन्तु इस समय तो सारा संसार इससे उल्टा ही चल रहा है।
व्यक्ति येन केन प्रकारेण उच्च पद प्राप्त कर लेता है और जनमानस से मुँह फेर लेता है।
Bahut achchi katha lagi, mann khush ho gya
Very good
Very very fine poitry
very good .jay shree ram
जय श्री हरि 🕉🕉🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
भाई आप बहुत अच्छी जानकारी प्रदान करते हैं
)0
Nice story 👌👌
Duniya me to sab striya hi aur purus to sirf ek hi parbramha Shri krishna
Har har mahadev ji 🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay. Shri. Ram. Jay. Shri. Krishna. Bahut. Achchhi. Very. Good. To. Woried. Rani. Tumhari. Jay. Ho
Mera. Bharat. Sada. Ke. Liye. Amar, rahe. Or. Shath. Mai. Aakash
मानवीयता का और तर्क संगत और बुद्धिमता का सुंदर प्रस्तुति
बहुत सुंदर एवम ज्ञानवर्धक बात 🌹🌹
Baht sundar
Jai shurjdev Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram hare Ram
👏👏वह बहुत सुन्दर 👌👌👌
सर आप की कहानी और आपका विवेक मुझे बहुत पसंद है इसलिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद जय श्री राधे जय जय सियाराम
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति 👌👌❤️🙏🙏🌹🌹
Jay sirikirisna jaye siriram sada Sat karmahi mahanjaye matajiki
Good peech. 👍❤️👍
अति सुन्दर कथा
जय हो प्रभु
Thank you sir जय श्री कृष्णा
जय श्री राम ज्ञान वहुत अच्छा लगा
हमसब मानव हमेशा से ही शिव ही हैं। हमसब अपने को ही भूल गये है, इसलिए अपने शिव को अपने ही रूप में साक्षात हरपल दिखने पर भी, हमसबो को विश्वास ही नहीं होता है कि, शिव ही हमारी अपनी ही रूप है। जब हमसब खुद ही शिव है तो, हमसब कैसे मर सकते हैं। क्या हमारा अपना शिव कभी मर सकते हैं। भगवान ने इंशानों को नहीं बनाया लेकिन इंशानों ने भगवान को ही बना दिया। किसी जमाने से किसी इंशान ने राम को भगवान, तो किसी ने जीसस को भगवान, तो किसी ने निराकार आल्हा को भगवान मानकर, तुम सभी मानवों को झूठी धर्मों में बांटकर गुलाम बना दिया गया है। तुम सब एक होकर भी, अपनी - अपनी धर्मों के और अपनी- अपनी भगवानों के गुलाम मात्र बनकर रह गये हो। जब तुम सब मानव खुद ही जीवित नहीं हो, क्योंकि तुम सब की मौत तय है। तुम सब आज मरो या दो सौ साल बाद मरो, मरना तय है। फिर तुम सब किसको बचाने के लिए, सदियों से देश और धर्म के नाम पर हत्या करते हो। तुम सब अपने को आज तक अपनी मौत से नहीं बचा पाए। फिर तुम सब क्यों युद्ध और किसकी हत्या करते हो। तुम सब राजनीतिज्ञ , धनवान, वैज्ञानिक, धर्मगुरु, पादरी, पैगम्बर, इत्यादि बनकर भी मरते गये हो। यह सिलसिला यानि मौत का यह खेल, तुम सब सदियों से खेलते आए हों। तुम सब हर बार मौत के सामने, जीवित होकर भी हारते गये हो। तुम सब अपने को ठीक से आजतक पहचान ही नहीं पाये कि, तुम सब ही सच्चे शिव हो। जबतक तुम सब दूसरे को शिव, अल्लाह, गौड़ इत्यादि मानोगे तबतक मरोगे। तुम सब मेरे पास आओ, शिव बनो और कभी भी मौत की गोद में न जाओ। सब शिव अपनी ज्ञान से बनो और मौत के उसपार सब मेरे साथ चलो। मैं तुमसबो को जीवन दे रहा हु और तुम सब मौत के साथ ही रहना चाह रहे हो। रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति दोनो एकदिन वैसे ही मर जायेंगे, फिर भी सिर्फ अपनी झूठी विचारों को मनवाने के लिए, कितनों सैनिकों की हत्या, कुछ कागज के रूपये के बल पर कर रहे हैं। यह दुनिया जब है ही नहीं तो फिर,तुम सब क्यों और कैसे सदियों से युद्ध और हत्या कर लेते हो।
Aapka mata pita dhanya hai..jai sri krishna
JAY DANTESVARI MATA KI JAY
Jai. Shree Krishna Jai shree ram ji👃🌹
इस प्रकृति के सन्तुलन बनाने हेतु अपनी अपनी जगह पर सभी बराबरी के मोड पर बने हुये हैं
बहुत अच्छा,,
Aapki Kahani bahut acchi hai super hai Ek Kahani Modi ji ko sunao to Achcha rahega Kyunki vah bhi mahamurkhon mein
बहुत सुन्दर शब्दों में सही बात समझ में
Jay shree radhey shyam Sita Ram
ऐसी छोटी छोटी बोधपर कहानियां ही हमें अच्छी शिक्षा देती हैं! हमें हमारा जीवन नीति एवं नियमों के आधार पर ही जीना चाहिए !
😂
@@SonuSingh-pj2ik 👍🙏🙏🙏🙏🙏🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
@@SonuSingh-pj2ik 🙏🏿
@@SonuSingh-pj2ik 🙏🏿
Jai shree krishna. Jai shri Radhe. Sundar kahani.
Jai shree krishna🙏🌺
Jai shree Radhe Krishna 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🥀🙏🙏🥀🙏🥀🙏🥀🥀🌺🌺🥀🌺❤️❤️🥀🌺❤️❤️🥀🌺❤️❤️🥀🌺❤️❤️
Suman ji jai shree radhe krishna 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🥀🙏🙏🥀🙏🥀🙏🥀🥀🌺🌺🥀🌺❤️🌺❤️❤️🌺❤️🌺🌺🌺
बहुत ही अच्छी कहानी हैं. बहुत ही बुद्धिवर्धक हैं.
Jai shree radhey Krishna ji 🙏🏼
Hello
स्वारथा सुकृत न श्रम व्यथा,
देखु विहंग बिचारि ।
बाज़ पराए पानि पर,
तू पछीनु न मारि।।
Bhai aapne bahut achchi story sunayi.Hamarey desh ke jajon ko isse seekh leni chahiye.kisi party ya neta ke dabaw,lalach me nahi aana chahiye.
Osm video 👍👍🌹
बहुत सही बात है भैया जी जय माता दी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
बुदी मान हमेशा शा.सभी पक्षो.को.सुनकर. निरणय करता.है. यही.उचित.है.
🙏🙏🙏🙏🙏जय हो प्रभु👍👍👍👍👍जय हो👌👌👌👌👌
द्रौपदी का कर्ज"।।
अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा महल में झाड़ू लगा रही थी तो द्रौपदी उसके समीप गई उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली, "पुत्री भविष्य में कभी तुम पर घोर से घोर विपत्ति भी आए तो कभी अपने किसी नाते-रिश्तेदार की शरण में मत जाना। सीधे भगवान की शरण में जाना।" उत्तरा हैरान होते हुए माता द्रौपदी को निहारते हुए बोली, "आप ऐसा क्यों कह रही हैं माता ?"
द्रौपदी बोली, "क्योंकि यह बात मेरे ऊपर भी बीत चुकी है। जब मेरे पांचों पति कौरवों के साथ जुआ खेल रहे थे, तो अपना सर्वस्व हारने के बाद मुझे भी दांव पर लगाकर हार गए। फिर कौरव पुत्रों ने भरी सभा में मेरा बहुत अपमान किया। मैंने सहायता के लिए अपने पतियों को पुकारा मगर वो सभी अपना सिर नीचे झुकाए बैठे थे। पितामह भीष्म, द्रोण धृतराष्ट्र सभी को मदद के लिए पुकारती रही मगर किसी ने भी मेरी तरफ नहीं देखा, वह सभी आँखें झुकाए आँसू बहाते रहे। सबसे निराशा होकर मैंने श्रीकृष्ण को पुकारा, "आपके सिवाय मेरा और कोई भी नहीं है, तब श्रीकृष्ण तुरंत आए और मेरी रक्षा की।"
जब द्रौपदी पर ऐसी विपत्ति आ रही थी तो द्वारिका में श्री कृष्ण बहुत विचलित होते हैं। क्योंकि उनकी सबसे प्रिय भक्त पर संकट आन पड़ा था। रूकमणि उनसे दुखी होने का कारण पूछती हैं तो वह बताते हैं मेरी सबसे बड़ी भक्त को भरी सभा में नग्न किया जा रहा है। रूकमणि बोलती हैं, "आप जाएँ और उसकी मदद करें।" श्री कृष्ण बोले, "जब तक द्रोपदी मुझे पुकारेगी नहीं मैं कैसे जा सकता हूँ। एक बार वो मुझे पुकार लें तो मैं तुरंत उसके पास जाकर उसकी रक्षा करूँगा। तुम्हें याद होगा जब पाण्डवों ने राजसूर्य यज्ञ करवाया तो शिशुपाल का वध करने के लिए मैंने अपनी उंगली पर चक्र धारण किया तो उससे मेरी उंगली कट गई थी। उस समय "मेरी सभी पत्नियाँ वहीं थी। कोई वैद्य को बुलाने भागी तो कोई औषधि लेने चली गई। मगर उस समय मेरी इस भक्त ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और उसे मेरी उंगली पर बाँध दिया। आज उसी का ऋण मुझे चुकाना है, लेकिन जब तक वो मुझे पुकारेगी नहीं मैं जा नहीं सकता।" अत: द्रौपदी ने जैसे ही भगवान कृष्ण को पुकारा प्रभु तुरंत ही दौड़े गए।❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
*धर्म की परिभाषा बहुत कठिन है, गीता में वर्णाश्रम धर्म के कर्तव्य पालन को ही धर्म कहा गया है। देश की रक्षा के लिए धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए हमारा जो कर्तव्य है, शास्त्रों का जो विधान है, उसके अनुसार हम कर्म में प्रवृत्त हो, मन के अनुसार नहीं चले, मनमाना आचरण नहीं करें। यही मानवता है, यही विवेक जाग्रत होने का प्रमाण है।
महाभारत की कथा में दुर्योधन मनमाने आचरण का प्रतीक है। दुर्योधन कहता है -
जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्तर्जानाम्यधर्मं न च मे निवृत्तिः।
केनापि देवेन हृदि स्थितेन यथा नियुक्तोऽस्मि तथा करोमि।।
( गर्ग संहिता अश्वमेध.50.36)
"मैं धर्म को जानता हूंँ, पर उसमें मेरी प्रवृत्ति नहीं होती और अधर्म को भी जानता हूंँ, पर उस से मेरी निवृत्ति नहीं होती। मेरे हृदय में स्थिति कोई देव है जो मुझसे जैसा करवाता है, वैसा ही मैं करता हूंँ।"
दुर्योधन ह्रदय में स्थित जिस देव की बात कह देता है, वह वास्तव में कामना ही है। पांँडव मन के अनुसार नहीं चलते थे, बल्कि धर्म के तथा भगवान् की आज्ञा के अनुसार चलते थे।
आज राजनीतिक पार्टियां अपनी स्वार्थ लोलुपता के कारण जिस तरह से देश की आन बान और शान को दांव पर लगा रही हैं, एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं, देश के स्वाभिमान की रक्षा करने वाले महानायको को बेबुनियाद आरोपों के घेरे में लेकर समय खराब कर रहे हैं, देश की छवि को अंतरास्ट्रीय स्तर पर खराब कर रहे हैं, उनके लिए महाभारत में एक प्रेरणादायक प्रसंग है।
जब गन्धर्वों ने दुर्योधन को बन्दी बना लिया था, तब युधिष्ठिर ने उसे छुड़वाया। वहांँ युधिष्ठिर के वचन हैं-
परैः परिभवे प्राप्ते वयं पञ्चोत्तरं शतम्।
परस्परविरोधे तु वयं पञ्च शतं तु ते।।
(महाभारत, वन. 243)
"दूसरों के द्वारा पराभव प्राप्त होने पर उसका सामना करने के लिए हम लोग एक सौ पांँच भाई हैं। आपस में विरोध होने पर ही हम पांँच भाई अलग हैं और वे सौ भाई अलग हैं।"❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Har har mahadev 🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bahut sundar pravachan
Beautiful bahut achcha
Jai shree ram ji 🙏
Acha geyan diye
Wah good jankari
Jay Shri ram Jay Shri Krishna 🙏🙏🙏🙏🌹🌹
Ati sunder katha
Pranam
Jai sri krishna
इस कहानी से अच्छी सीख मिलती है. आप पर
भगवान की किरपा बनी रहे
ऊ।।। मन कामेश्वर नाथ की जय हो नव युग वेद माता जय हिंद मन तो दिया है पावन धाम की जय हो
Bahut sundar 🙏🙏👍❤️
६
Good
Jai shree Krishna Jai rathe Ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻