जय माँ राजराजेश्वरी माँ नंदा देवी || माँ नन्दा देवी लोकजात यात्रा 2024 स्थान- सिद्धपीठ कुरुड़, चमोली

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  • Опубликовано: 10 ноя 2024

Комментарии • 13

  • @Nandadevitemple
    @Nandadevitemple 2 месяца назад +2

    जय जय नन्दे जय जगदम्बे 👏🤗❤️

  • @aadarshm6276
    @aadarshm6276 2 месяца назад +1

    Jai Mata ji aapko sada jai ho

  • @ankuruniyal8882
    @ankuruniyal8882 2 месяца назад +1

    Verry nice❤❤❤❤❤❤❤

  • @jay_negi_chamoli
    @jay_negi_chamoli 2 месяца назад +2

    JaY MAA Nanda Devi 👏👏👏👏

  • @bindirawat395
    @bindirawat395 2 месяца назад +1

    Jai maa Nanda 🙏🏻

  • @Sanjanabishtuk11
    @Sanjanabishtuk11 2 месяца назад +1

    जय जय नंदे जय जगदम्बे 🙏😌😌

  • @Nandadevitemple
    @Nandadevitemple 2 месяца назад +2

    चमोली का नन्दा देवी सिद्धपीठ कुरुड़ एक मन्दिर है, जहां नन्दा देवी की स्वयं -भू शिला मूर्ति है, (विश्व में एक ही सिद्ध पीठ , स्वयं भू शिला मूर्ति ) जो भगवती नंदा (पार्वती) को समर्पित है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य के तटवर्ती शहर चमोली जनपद में स्थित है। नंदा शब्द का अर्थ जगत जननी भगवती होता है। इनकी नगरी ही नंदा धाम कहलाती है। इस मन्दिर को नंदा का मायका मां नंदा भगवती का मूल स्थान यहां माना जाता है। इस मन्दिर की कैलाश यात्रा नंदा देवी राजजात उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मन्दिर से नंदा देवी की दोनों डोलिया नंदा देवी डोली, उनके छोटे भाई लाटू देवता और भूम्याल भूमि के क्षेत्रपाल , दो अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर अपने मायके से ससुराल की यात्रा को निकलते हैं। श्री नंदा देवी राज राजेश्वरी कई नामों से पूरे ब्रह्मांड में पूजी जाती है । नंदा देवी राज राजेश्वरी, किरात, नाग, कत्यूरी आदि जातियों के मुख्य देवी थी। अब से लगभग 1000 वर्ष पुर्व किरात जाति के भद्रेश्वर पर्वत की तलहटी मैं नंदा देवी जी की पुजा किया करते थे । मध्य-काल से ही यह उत्सव अतीव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके साथ ही यह उत्सव उत्तराखंड के कई नंदा देवी मन्दिरों में मनाया जाता है, एवं यात्रा निकाली जाती है। यह मंदिर पहाड़ी परंपराओं से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर के मुख्य पुजारी कान्यकुब्जीय गौड़ ब्राह्मण हैं । सूरमाभोज गौड़ सर्वप्रथम यहां के पुजारी ही रहे हैं। वर्तमान में यहां पर दशोली क्षेत्र की नंदा की डोली, तथा बधाण क्षेत्र की नंदा की डोली यहां पर रहती हैं। दशोली (नंदानगर, कर्णप्रयाग, चमोली ब्लॉक) की नंदा की डोली साल भर यहां विराजमान रहती तथा बधाण की नंदा की डोली भाद्रपद में नंदा देवी जात के बाद थराली में स्थित देवराड़ा मंदिर में स्थापित हो जाती है तथा मकर संक्रान्ति में कुरुड मंदिर में पुनः आती है।

  • @AnilFarshwan
    @AnilFarshwan 2 месяца назад +1

    Jay maa bhagwati
    Jay maa rajarajeshwari
    Jay maa nanda devi
    🙏🙏🙏♥️♥️♥️♥️♥️

  • @radharawat4869
    @radharawat4869 2 месяца назад +1

    🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺💐💐💐💐🌹🌹🌹🌹🌹