प्राचीन श्री सिद्धबली धाम कोटद्वार | हनुमान मंदिर | संकट मोचन | उत्तराखंड | 4K | दर्शन🙏

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 10 сен 2024
  • “अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता अस वर दीन जानकी माता“. अर्थात आठ सिद्धियों एवं नौ प्रकार की विशिष्ट निधियों को प्रदान करने का माता जानकी से वरदान प्राप्त , सदैव अजर अमर हनुमान जी महाराज अपने भक्तों के सभी कष्टों को क्षण मात्र में दूर करने वाले हैं. कहा जाता है जहाँ राम कथा होती है वहां हनुमान जी अवश्य किसी न किसी रूप में उस कथा को सुनने आते हैं. भक्तों, हनुमान जी ने एक रक्षक तथा एक परम भक्त के रूप में जो चरित्र निभाया है उसको सुनके हर कोई भाव विभोर हो उठता है. अपने आराध्य श्री राम के आदेश का पालन ही तो है की बजरंगबली कलयुग में स्वयं भक्तों के कष्टों को दूर कर उनकी सभी कामनाओं को पूर्ण करते हैं. अपने वचन को सर्वोपरि रखने वाले हनुमान जी महाराज ने ऐसा ही एक वचन कई वर्षों पूर्व एक भक्त को भी दिया था. जिसके फलस्वरूप हनुमान जी को स्वयं उस स्थान पर पहरी के रूप में विराजित होना पड़ा.
    हमारे कार्यक्रम से जुड़े सभी भक्तों को तिलक परिवार की ओर से हार्दिक अभिनन्दन. भक्तों आज हम आपको दर्शन करवाने जा रहे हैं उसी स्थान के जहाँ हनुमान जी वचनबद्ध होकर स्वयं आज भी विराजित हैं, और वो स्थान है उत्तराखंड स्थित सिद्धबली धाम मंदिर.
    मंदिर के बारे में:
    उत्तराखंड के पौड़ी क्षेत्र में कोटद्वार नगर से करीब ढाई किमी. दूर, नजीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर खोह नदी के तट पर स्थित श्री सिद्धबली हनुमान मंदिर एक अति प्राचीन एवं महत्वपूर्ण मंदिर है। जो पौराणिक सिद्ध पीठ के रूप में मान्यता प्राप्त है. माना जाता है, इस पवित्र धाम में जो साक्षात् भगवान् शिव जी द्वारा धारण, जिस पर स्वयं शिव जी निवास किया है अपने आप में पूजनीय है. लगभग 40 मीटर ऊँचे टीले पर स्थित होने के कारण इस मंदिर में आने वाले श्रधालुओं को धार्मिकता के साथ आस पास फैले प्राक्रतिक सौन्दर्य की भी सुखद अनुभूति होती है. यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, जिन भक्तों की भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, वे भक्त मंदिर में भंडारा करवाते हैं। हनुमानजी के इस मंदिर की मान्यता इतनी प्रसिद्ध है, की अभी से मंदिर में भंडारा करवाने के लिए 2025 तक बुकिंग हो चुकी है। बजरंग बली जी के इस पौराणिक मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में भी है। श्री सिद्धबली बाबा के दर्शन को देश, विदेश से आने वाले श्रधालुओं की यहाँ भारी भीड़ होती है. मंदिर में प्रसाद के रूप में गुड़, बताशे और नारियल विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। मंदिर के पास ही स्थित भोग - प्रसाद, पूजा सामग्री की छोटी छोटी दुकानों से पूजा सामग्री लेकर मंदिर की ओर जाने वाली सीढियां चढ़कर श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश करते हैं.
    मंदिर का गर्भग्रह:
    मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार से अंदर प्रवेश करते ही सामने मंदिर के सुंदर गर्भग्रह के दर्शन होते हैं. जहाँ हनुमान जी महाराज की प्राचीन, सुंदर एवं भव्य प्रतिमा विराजमान है. बजरंगबली की यह प्रतिमा इतनी जीवंत प्रतीत होती है, कि संकटमोचन के इस रूप के दर्शन कर भक्त भाव विभोर हो उठते हैं. तथा अपने सभी दुःख एवं कष्टों को बाबा के समक्ष प्रकट कर उनकी कृपा दृष्टि एवं सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं. गर्भग्रह की सुंदर चमकीली दीवारों पर हनुमान जी एवं भगवान् श्री राम की लीलाओं का सुंदर चित्रण किया गया है.
    मंदिर परिसर:
    मंदिर परिसर की दीवारों एवं छत पर आकर्षक रंगीन चित्रकारी की गयी है. चारो ओर भगवान् भोलेनाथ एवं श्री राम जी की विभिन्न लीलाओं को दीवारों पर सुंदर चित्रों द्वारा सजाया गया है. परिसर चरों ओर से खुला हुआ है. जिससे नीचे की ओर देखने पर आस पास के प्राक्त्रिक सौन्दर्य का दृश्य बड़ा ही लुभावना प्रतीत होता है.
    परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी विराजित हैं. जहाँ एक ओर महादेव का मंदिर बना हुआ है. भक्तगण यहाँ भगवान् भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूरे श्रधा भाव से उनकी पूजा अर्चना करते हैं तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यहीं पर एक तरफ नाथ संप्रदाय द्वारा स्थापित धुनी भी वर्षों से आज भी निरंतर जलती रहती है.
    परिसर में एक स्थान पर पीपल के वृक्ष साथ भगवान् शनि देव को भी विराजित किया गया है. जहाँ हर शनिवार श्रद्धालु शनिदेव को तेल चढाने व उनकी पूजा अर्चना करने के लिए भारी भीड़ में आते हैं. इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में दुर्गा माता का मंदिर भी है. तथा कुछ अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी विराजित हैं जिनकी भक्तों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है. मंदिर परिसर में एक अतिसुन्दर उद्द्यान भी है. जहाँ लगे फव्वारे शाम को रंग बिरानी बत्तियों के साथ गिरते हुए अति रमणीय प्रतीत होते हैं. उद्द्यान में कुछ साधू संतों की सुंदर प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है. सिद्धबली बाबा के इस प्राचीन मंदिर की छटा को देखकर प्रतीत होता है कि यहाँ आकर किसी की भी आत्मा यहाँ की धार्मिक, अध्यात्मिक एवं प्राक्रतिक सुन्दरता से ओत प्रोत हो जाती है.
    श्रेय:
    लेखक - याचना अवस्थी
    Disclaimer: यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
    #devotional #hinduism #sidhbalimandirkotdwar #hanuman #uttrakhand #tilak #travel #vlogs

Комментарии • 6