जो jain मार्ग को छोड़कर, जो इतना मुश्किल से लिया हुआ संयम आत्मा के कल्याण के लिए महावीर प्रभु की शरण में जाकर जिसने संयम को पालने का निश्चय किया था जो करेमिभंते के पाठ से दीक्षा अंगीकार करके इतना अच्छा ज्ञान दिया सबको बताया कि जैन धर्म ही एकमात्र मोक्ष जान का रास्ता है वह खुद ही आज भटक गए इसीलिए प्रभु महावीर ने कहा था पंचम और में साधु साध्वी से धर्म विचलित हो सकता है जो आज हो ही रहा है शायद वैभव श्री जी के के संसार में और 84 लाख जीव योनी मैं भटकने के कर्म कुछ बाकी रह गए हैं इसीलिए संयम जीवन को छोड़कर भटक गए हैं भगवान आपको सद्बुद्धि दे😅😅
कई साधु साध्वी प्रव्रजित जीवन छोड़कर चले जाते है, गुमनाम हो जाते है, लोग भूल भी जाते है, सोसिअल मिडिया पर आने की क्या जरूरत है? एक बार गृहस्थ हो गए सो हो गए, फिर जो करना है अपने घर मे करिए.... लोगो की धार्मिक भावनाओं को आहत क्यूँ कर रहे हो....
इस लेडी का कहना हे कि इनको गुरु मिला , उनसे उनका प्रेम हे जो शारीरिक नहीं आत्मिक हे,सब प्रश्नों के जवाब दिए उस गुरु ने इनको ओर फिर उनके साथ कपड़े पहन के निकल गईं! इतना प्रेम आत्मिक था तो जहां थी वही से भी ओ प्रेम रहता ही , साथ में रहने की क्या जरूरत हे! ओ गुरु कहता हे , जब भूख लगे खाओ जब नींद आए तब सो जाओ ! अरे भाई जब जीवन में मजे ही करने हे तो करो, पर उसको भी नकली आध्यात्म के पाखंड से छुपाना हे इनको!
महावीर का मार्ग कमजोर और लाचार लोगो के लिए नही है। जो सूरज की तरफ देख नही पाता वो सूरज में ही कमी निकलता है ।।ये इस महिला कमजोरी है। अच्छा है ये खुद हट गई।
भटकाव है ये ! कठिन तप छोड़कर आसान रास्ता अपना लिया... खेर कोई बात नही, अब जहां भी हो वहां की बनकर रहना.... कौनसी प्यास थी जो आपकी बुझ नही रही थीं...? अब प्यास बुझ गई होगी!!!
बहन जी लग रहा है आपको मान सम्मान प्रतिष्ठा का लोभ का रोग लग गया है ऐसा आपको बातों से प्रतीत होता है। महावीर के मार्ग को व्यर्थ बताना मूर्खता की निशानी है। आपको बेशक जिस रास्ते पे जाना हो आप जाए, लेकिन प्रभु वीर का अपमान न करे। आप जहा पे गए है वो मार्ग आपको पसंद आया है तो किसी को भी तकलीफ नहीं होनी चहिए। आखिर आप खुश है तो किसी को कोई मतलब नहीं होना चाहीए। व्यर्थता शब्द आपको वापस लेना चाहीए आपको थोड़ा भी महावीर के प्रति रिस्पेक्ट हो तो। हैंबल रिक्वेस्ट 🙏
जैन धर्म को समझने में आपने बहुत बड़ी ग़लती गलती की है।जिसे जैन धर्म समझ में आ जाए,वह उसको कभी नहीं छोड सकता है।और ये जो ओशो का नाम बोल रही है, उन्होंने जैन धर्म का ही अध्ययन करके अपना नया पंथबनाया है, अपने नाम के लिए।
साधु जीवन ही लोक कल्याण के लिए होता है। 24 तीर्थकर का इतिहास पढ़े तो पता चलता है की कर्मो की निर्जरा करने के लिए उन्होंने साधु जीवन को अपनाया, कठोर तपस्या की, बहोत सारे जीवो की मोक्ष मुक्ति के आधार बने। खुद का भी भला किया साथ में जीवंत रूप हर आत्मा का भी भला किया।
त्याग ही जिनशाशन् है आपने त्याग किया साधवी बन गायी फिर लागा की कुछ मिला नाहीन तोह पाथ् बदल लिया येही सनातन की खूबसूरती है साधू को मरणे के बड प्रतिष्ठा प्राप्त होती है जीवन तो शरिअर को दुख देणे पर ही शुद्ध आत्मा की प्राप्ती होती है समाज के लॉग कुछ भी समझाईन उनको दिखाने के लिये आप ताप करते हैं क्या, अपनी आत्मा की शुद्धी के लियेकर्ते हैं अगर आप सात्विक विचार राखते हैं और सत्य की खोज करते हैं तोह आप संत हैं. वर्णा तोह फोल्लोव करणे के लिये तोह इस्लाम और इसाई हैं ही. समय और परिस्थिती बदलणे के करण व्योवस्था बदलणी चाहिये जिनशासन क्षत्रियों का धर्म था टाकतवार लॉग के दिल मेन दया जागी वैराग्या उत्पन्न हुआ ,वो साधू हुये लेकिन उन्होने ग्रहस्थ को नियम दिये ये नाहीन कहा की आओ साधू बनो या मेरे बाद मुझे मंदिर बना कर पूजा कारणा लोगों ने मंदिर बनाया राजा ने भी मूर्ती रूप मेन उनको दिखाया धीरे धीरे पूजा और पद्धती बढती गाई काम करोध् मद लोभ मोह छोडने की कोशिश करते राहणी है येही जिन धर्मा है मेरी नजर मेन हम साधू से ज्ञान लेने जाते हैं लेकिन जाईन धर्म मै जो असली ज्ञान है उसकी बाजाय् चमत्कार और भक्ती से होने वाले लाभ की चर्चा है ,ईश्वर दर्शन होगा लेकिन उनके एक कर्म को आपणाओ बाकी खुद ही हो जायेगा काम छोडो सोचो शादी से बहार सोचना नाही क्रोध छोडो,दुश्नमन्न का प्रेम प्राप्त होगा मद छोडो,साब अपने लगेंगे लोभ छोडो किसी का हक् नाहीन मार पाओगे संचाय ना कर पाओगे मोह भी इसकी उन्नत रूप है अपने परिवार से ब्लाइंड प्रेम या अपने द्वारा या अपने द्वारा भी अर्जित संपदा के प्रती अति मोह ना हो येही जाईन धर्म है अगर कोई बुरा माने तोह उनकी मर्जी साधू हर हाल मेन पूज्या है लेकिन साधू को आपकी पूजा नाहीन चाहिये छप्पण भोग भी नाहीन चाहिये सिर्फ भूख मिटाने को जो चाहिये जिस प्रकार से चाहिये वो उनको मिल ही जायेगा,,,
भेष देख मत पूछिए, पूछ लीजिए ज्ञान, बिना कसोटी होती नहीं, कंचन की पहचान।। मात्र भेष बदलने से साधु नहीं बन जाता। साधु वो होता है जो ज्ञान के साथ आचरण भी उसी के अनुकूल करता हो।।
मैडम श्वेताम्बर समाज में यही गलती होती है आपने कहा मेरी इनर्जी खत्म होती जा रही थी। अरे जिस जड़ शरीर की आप चिंता कर रहीं थीं वह जड़ शरीर है मैं चेतन आत्मा हूं और मेरी इनर्जी अनादि से है अनादि तक रहेगी । शरीर तो मैंने अनन्तों बार पाया। लेकिन मोक्ष नहीं पा पाया । मेरे शरीर की इनर्जी,मान प्रतिष्ठा इन संसारी सुखों की ओर ध्यान रहना। वैराग्यता के अभाव को दर्शाता है आपकी बातों से सिद्ध हो रहा कि आपने इतना समय निकाल जरूर दिया लेकिन ग्रहस्थ जिंदगी के सुख आपको ध्यान में रहकर काटते रहे।
@@aakhashaakhash7828 हां अच्छा है ये भगोड़ी को सही समय पर संघ से बाहर fek Diya aur acha hua isme sadhu ke kapde khud utar diye. Ye fraud aurat us layak nahi
दिक्षा निभती नहीं तो लेना ही नहीं चाहिए। ऐसै जैन विचारोंपर ऊंगली उठाकर कंलकित किया है खुद को।तु क्या जानती है? साधुजिवण क्या होता है? विहार में आनेवाले परिषह क्या आते हैं? मैंने आंखों से देखा हैं साधु सतियाजी को।तुम ने अपने माता पिता परिवार समाज इन सब का नाम खराक किया है। तुमको तो सिर्फ और सिर्फ नरक गती की यातनाओं से बचायें बस
કપડી બદલય્ પણ અંતરગ માં સંસાર હોય કોઈ ને કહી ના શકો ખાલી તપ કે ક્રિયા થી મોક્ષ હોય તો હજુ સુધી પરિભ્રમણ ચાલું કેમ છે ,અનંતવાર દિક્ષા લઈ મેરુ શિખ જેટલી મુહપતિ ના ઢગલા કર્યા તો પણ મોક્ષ કેમ નથી થયો સાધુ ના ત્યાગ ને વંદન,પણ સંસાર સારો કેમ કરવો એજ વાત કરે છે બધા સંસાર દિક્ષા માં પણ છે માન્યતાના નામે ઘણી જગ્યાએ શોષણ થાય છે
Aap ke video ko dekhkar bahut sare anya bhaiyo bahno ko prerna milegi. Saty ke path par badhte raho. Andhvishwas aur paramparao ka gulam Bane rahne ki jarurat nahi hai.
आदरणीया मैं तो आपके प्रवचनों से बहुत प्रभावित थी. मुझे तो आपकी वाणी में एक ओज दिखता था. अपने परिवार में आपके प्रवचनों को discussion में शामिल करती थी. लेकिन हो सकता है जैन संतों की कठिन दिनचर्या आपको असुविधा दे रही होगी जिसे आपने परंपरा का नाम दे दिया. जिसके लिए वे हमारे पूजनीय होते हैं. 😊
उनका शारीरिक शोषण हुआ हैं, वैभव श्री विराट चेनल पर वीडियो के थंबनेल देखिए, चराममंगल पर देखिए, उनके चेहरे की रेखाएं देखिए, उनका हास्य देखिए, ये सब बनावटी है.. वो कितना भी करें सच्चाई छुप नही सकेगी, लोग समझते नही है, क्या जरूरत है यूट्यूब पर सोसिअल मीडिया पर आने की? कई साधु साध्वी प्रवज्या छोड़कर चले जाते है, गुमनाम होकर सुख शांति भरा जीवन व्यतीत करते है, हंगामा करने की जरूरत ही नही है
मोक्ष प्राप्त करने के लिए किसी प्रकार के भेष की जरूरत नहीं होती है आप समाज में रहते हुए सभी सामाजिक परंपराओं का निर्वाह करते हुए एक सच्चे सद्गुरु जी के शरण में जाकर ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर ज्ञान के मार्ग पर चलकर इसी जीवन में सभी बंघनो से मुक्त होकर जीते जी मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है यानी ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है
वैभव जी आपको तथस्त रहना था,जो आपको चाहिए वह आप के ही पास है सिर्फ अपने में खोजने का purshart करना होगा, जड़ जीव का भेद, विभाव स्वभाव , स्व पर ,ये सब कर्मो के अधीन समय काल पकता us samay साधना शासन devo ki कृपा से रास्ता मिलता हे,लेकिन उसके पुरुशार्थ बहुत करना होगा, Esme प्यास जगाना होगा,दुनिया पुदगल हैं सम जना होगा, आत्मा का हर पल अनुभव करना होगा,अगर आपको विधि चाहिए,तो ध्यान से स्टार्ट करना होगा,शास्त्र तो आगे बढ़ने का एक सपोट हैं उसका स्पॉट लेकर आगे स्वयं बढ़ सकते हैं ,आगे की यात्रा के लिए हमे कॉन्ट्रैक्ट करावे, मनुष्य भव सफल हो जाएगा,आत्म ज्ञानीगुरुजी से मिलाऊंगा,तीर्थनकरो की जो साधना शिवारो के मध्यम से एकांत में करते हैं वही,अब ज्यादा नहीं लिख सकता,
संत बनना, संत का तात्पर्य बनने से नहीं है, संत विचार होते हैं संत धार्मिक स्वाभाव होते हैं संत ही अपने सहित जन जन का कल्याण करते हैं, संत ही परमात्मा कारूप है।
Vaibhavshri itnee saral sawbhav ke hai .. koi Chanchal nahi jo bhi feslaaaa liyaaa kuch unki intaratma ka Aadesh raha hi hogaaa tab hi liya hogaaa kisi k kahene se nahi too kuch achhe k liye hi huwa hai ye sochakeee chale sab aur Vaibhavshri ji ke Anubhav ko ham samje aur ham pr to wo nitay hi aaj bhi ghankiii dharaaa barsaaaa hi rahe hai.. kapde badle guru nahi jai ho 🙏
आपका यह कहना संग रहने के रंग चुना यह बहुत विरोधाभाषी है। में जैन नही हूं। न ओशो का न जैन धर्म का अनुयायी हु।अगर इतना ज्ञान या आत्मशाक्षत होता तो आप यहां भी नही होती चिंतन जरूर करना इसे स्वार्थ सिद्धी और शारीरिक संतुष्टि कहते हैं।आत्मसंतुष्टि हेतु क्या करें
भगवान् बनने की परंपरा, काम क्रोध माया लोभ आदि त्यगाने की तपस्या, मूल गुणों का पालन, भोग विलास्ताओ से दूर रहने की तपस्या सब व्यर्थ है। भगवान् आदिनाथ से लेकर महावीर स्वामी तक बताये गए संयम के मार्ग सब व्यर्थ है। शर्म कीजिये आपके अपने जीवन की तपस्या को शून्य कर लिया।
Aapne swayam ko pahchana nahi.aap aapni adhyatmik unnati vaha bhi kar sakti thi.kyonki sab marg purene jarur hai,llekin vaha khoj khudki khud ne karani hoti hai.yaha vaha bhatknese kuch hathme nahi aata hai.vaise jain marg smrudh aur vishal hai,aapko ye bat samajme nahi aayi.swayam adhyan kam pad gaya,guruke prati jo bhav hona chie tha usme aap kam pad gai.❤
I respect Osho a lot but Osho ko bhi kevalya Gyan hua tha.I have seen a video of him saying that I like bitches but I make a point that I don’t make relation with my secretary.Probabaly he was talking abt Sheila when he left his ashram.If he was completely enlightened like Mahavir and Buddha why didn’t he has Samta bhav?Also in the last years of his life he realised that probably he is not completely enlightened and that’s why he changed his name from bhagwan to Osho which means in Japanese learning master
समाज से माला पानी धन भवन बना लिए अब मौज मस्ती करो, और अब ऐसा बोलो वह सब गलत है अब मुझे ज्ञान हुआ की अब माला पानी काफी है अब मौज करो खुद ने अपनी सिक्योरिटी बना ली अब ज्ञान दे रहे है
आप जैसा सभी साध्वी निर्णय लेना चाहिए तो ही मुक्त होंगे जैनी कम्पाऊंन्ड से और विश्व व्याप सर्व धर्म समभाव बनेंगे बसुदैव कुटुंबकम ॥ जैन जेल Life से मुक्ति का सबसे बडा आनंद है खुशी है ॥ सबसे अच्छा निर्णय लिया आपने । सभी विश्व ही अपना परिवार है और उसके साथ रहके ही मुक्त होना चाहिए ॥
Mai inki baat se sehmat hu.Inhone bhagwan mahavir ya tirthankar ki koi bhi bura nahi kaha.Mai bhi manta hu jain dharm me Bhot adambar ho gaye hai lekin bhagwan ki wani koi nahi samajhna chahta
मैडम परंपरा भी जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग है..... जैन धर्म को बहुत गहराई से समझ पाती तो शायद तुमको विज्ञान का सार पता चलता और ये भी पता चलता की विज्ञान जैन शास्त्रों से ही निकला है
@@daulatprakash7041 Spritual science is above science. Sprituality science all has came out from jainism Shraman dharam. Absolute knowlegde.. Soul atma dharam.. all this is discovered n teached n experienced n so much much more no one in this world is above tirthankers the path of liberation.
Kram satta badi vichitra hai.etna aasan nhi hai moksh ki yatra. Bhotikvadi yug me sadhupan palna bahut kathin h.jb sadhu jivan pal nhi sake to bahane to dene padenge
सच्चे मार्ग को छोड़कर भटकाव की दुनिया में प्रवेश किया....
पर अंततः पछताना पड़ेगा
आप क्या छोडो़गे, आप को तो संघ से निष्कासित किया है, जैन धर्म बहुत महान है
जो jain मार्ग को छोड़कर, जो इतना मुश्किल से लिया हुआ संयम आत्मा के कल्याण के लिए महावीर प्रभु की शरण में जाकर जिसने संयम को पालने का निश्चय किया था जो करेमिभंते के पाठ से दीक्षा अंगीकार करके इतना अच्छा ज्ञान दिया सबको बताया कि जैन धर्म ही एकमात्र मोक्ष जान का रास्ता है वह खुद ही आज भटक गए
इसीलिए प्रभु महावीर ने कहा था पंचम और में साधु साध्वी से धर्म विचलित हो सकता है
जो आज हो ही रहा है शायद वैभव श्री जी के के संसार में और 84 लाख जीव योनी मैं भटकने के कर्म कुछ बाकी रह गए हैं इसीलिए संयम जीवन को छोड़कर भटक गए हैं भगवान आपको सद्बुद्धि दे😅😅
Aapka. Darshan karna hai. Aapka Pata sent. Karave
@@kamleshjain3544 इस वैभव पागल औरत का दर्शन करके क्या करोगे, ये देखने सुनने योग्य नहीं
कई साधु साध्वी प्रव्रजित जीवन छोड़कर चले जाते है, गुमनाम हो जाते है, लोग भूल भी जाते है, सोसिअल मिडिया पर आने की क्या जरूरत है?
एक बार गृहस्थ हो गए सो हो गए, फिर जो करना है अपने घर मे करिए....
लोगो की धार्मिक भावनाओं को आहत क्यूँ कर रहे हो....
इस लेडी का कहना हे कि इनको गुरु मिला , उनसे उनका प्रेम हे जो शारीरिक नहीं आत्मिक हे,सब प्रश्नों के जवाब दिए उस गुरु ने इनको ओर फिर उनके साथ कपड़े पहन के निकल गईं!
इतना प्रेम आत्मिक था तो जहां थी वही से भी ओ प्रेम रहता ही , साथ में रहने की क्या जरूरत हे!
ओ गुरु कहता हे , जब भूख लगे खाओ जब नींद आए तब सो जाओ !
अरे भाई जब जीवन में मजे ही करने हे तो करो, पर उसको भी नकली आध्यात्म के पाखंड से छुपाना हे इनको!
महावीर का मार्ग कमजोर और लाचार लोगो के लिए नही है। जो सूरज की तरफ देख नही पाता वो सूरज में ही कमी निकलता है ।।ये इस महिला कमजोरी है। अच्छा है ये खुद हट गई।
भटकाव है ये !
कठिन तप छोड़कर आसान रास्ता अपना लिया...
खेर कोई बात नही, अब जहां भी हो वहां की बनकर रहना....
कौनसी प्यास थी जो आपकी बुझ नही रही थीं...?
अब प्यास बुझ गई होगी!!!
@@SanjayKumar-by5fp fraud aurat hai ye
बहन जी लग रहा है आपको मान सम्मान प्रतिष्ठा का लोभ का रोग लग गया है ऐसा आपको बातों से प्रतीत होता है। महावीर के मार्ग को व्यर्थ बताना मूर्खता की निशानी है। आपको बेशक जिस रास्ते पे जाना हो आप जाए, लेकिन प्रभु वीर का अपमान न करे। आप जहा पे गए है वो मार्ग आपको पसंद आया है तो किसी को भी तकलीफ नहीं होनी चहिए। आखिर आप खुश है तो किसी को कोई मतलब नहीं होना चाहीए। व्यर्थता शब्द आपको वापस लेना चाहीए आपको थोड़ा भी महावीर के प्रति रिस्पेक्ट हो तो। हैंबल रिक्वेस्ट 🙏
जैन धर्म को समझने में आपने बहुत बड़ी ग़लती गलती की है।जिसे जैन धर्म समझ में आ जाए,वह उसको कभी नहीं छोड सकता है।और ये जो ओशो का नाम बोल रही है, उन्होंने जैन धर्म का ही अध्ययन करके अपना नया पंथबनाया है, अपने नाम के लिए।
साधु जीवन ही लोक कल्याण के लिए होता है।
24 तीर्थकर का इतिहास पढ़े तो पता चलता है की कर्मो की निर्जरा करने के लिए उन्होंने साधु जीवन को अपनाया, कठोर तपस्या की, बहोत सारे जीवो की मोक्ष मुक्ति के आधार बने। खुद का भी भला किया साथ में जीवंत रूप हर आत्मा का भी भला किया।
त्याग ही जिनशाशन् है
आपने त्याग किया साधवी बन गायी
फिर लागा की कुछ मिला नाहीन
तोह पाथ् बदल लिया येही सनातन की खूबसूरती है
साधू को मरणे के बड प्रतिष्ठा प्राप्त होती है जीवन तो शरिअर को दुख देणे पर ही शुद्ध आत्मा की प्राप्ती होती है
समाज के लॉग कुछ भी समझाईन
उनको दिखाने के लिये आप ताप करते हैं क्या,
अपनी आत्मा की शुद्धी के लियेकर्ते हैं
अगर आप सात्विक विचार राखते हैं और सत्य की खोज करते हैं तोह आप संत हैं.
वर्णा तोह फोल्लोव करणे के लिये तोह इस्लाम और इसाई हैं ही.
समय और परिस्थिती बदलणे के करण
व्योवस्था बदलणी चाहिये
जिनशासन क्षत्रियों का धर्म था
टाकतवार लॉग के दिल मेन दया जागी वैराग्या उत्पन्न हुआ ,वो साधू हुये
लेकिन उन्होने ग्रहस्थ को नियम दिये
ये नाहीन कहा की आओ साधू बनो
या मेरे बाद मुझे मंदिर बना कर पूजा कारणा
लोगों ने मंदिर बनाया राजा ने भी
मूर्ती रूप मेन उनको दिखाया
धीरे धीरे पूजा और पद्धती बढती गाई
काम करोध् मद लोभ मोह छोडने की कोशिश करते राहणी है येही जिन धर्मा है
मेरी नजर मेन
हम साधू से ज्ञान लेने जाते हैं लेकिन जाईन धर्म मै जो असली ज्ञान है उसकी बाजाय् चमत्कार और भक्ती से होने वाले लाभ की चर्चा है ,ईश्वर दर्शन होगा लेकिन उनके एक कर्म को आपणाओ
बाकी खुद ही हो जायेगा
काम छोडो सोचो शादी से बहार सोचना नाही
क्रोध छोडो,दुश्नमन्न का प्रेम प्राप्त होगा
मद छोडो,साब अपने लगेंगे
लोभ छोडो किसी का हक् नाहीन मार पाओगे संचाय ना कर पाओगे
मोह भी इसकी उन्नत रूप है
अपने परिवार से ब्लाइंड प्रेम
या अपने द्वारा या अपने द्वारा भी अर्जित संपदा के प्रती अति मोह ना हो
येही जाईन धर्म है
अगर कोई बुरा माने तोह उनकी मर्जी
साधू हर हाल मेन पूज्या है लेकिन
साधू को आपकी पूजा नाहीन चाहिये छप्पण भोग भी नाहीन चाहिये सिर्फ भूख मिटाने को जो चाहिये जिस प्रकार से चाहिये वो उनको मिल ही जायेगा,,,
भेष देख मत पूछिए, पूछ लीजिए ज्ञान,
बिना कसोटी होती नहीं, कंचन की पहचान।।
मात्र भेष बदलने से साधु नहीं बन जाता। साधु वो होता है जो ज्ञान के साथ आचरण भी उसी के अनुकूल करता हो।।
@@kailashsinghvi1934 acharan to is aurat ka kabhi shi nahi tha
मैडम श्वेताम्बर समाज में यही गलती होती है आपने कहा मेरी इनर्जी खत्म होती जा रही थी। अरे जिस जड़ शरीर की आप चिंता कर रहीं थीं वह जड़ शरीर है मैं चेतन आत्मा हूं और मेरी इनर्जी अनादि से है अनादि तक रहेगी । शरीर तो मैंने अनन्तों बार पाया। लेकिन मोक्ष नहीं पा पाया । मेरे शरीर की इनर्जी,मान प्रतिष्ठा इन संसारी सुखों की ओर ध्यान रहना। वैराग्यता के अभाव को दर्शाता है आपकी बातों से सिद्ध हो रहा कि आपने इतना समय निकाल जरूर दिया लेकिन ग्रहस्थ जिंदगी के सुख आपको ध्यान में रहकर काटते रहे।
sayam path par chalna har kisi ki bas ki baat nahi sayam veero ka marg hai
@@aakhashaakhash7828 हां अच्छा है ये भगोड़ी को सही समय पर संघ से बाहर fek Diya aur acha hua isme sadhu ke kapde khud utar diye. Ye fraud aurat us layak nahi
बड़े बड़े लच्छेदार बातें करने से आदमी आध्यात्मिक नहींहो जाता
बाते ऐसे ही नही बताई जाती, इतना अध्ययन चिंतन मनन और अंतर्मुखता भी जरूरी होती है,
ये और कुछ नहीं एक भटकी हुई साध्वी है
बिना सोचे समझे दुष्प्रचार मत करिए
जानना जिन नहीं है अपने आप को जितना जिनहै
जिस बात को आप ने समझ ही नही ,मन से स्वीकारा ही तो उसका प्रवचन केसे करती थी
ओशो को यह समझ जाती ना तो यह मार्ग परिवर्तित नहीं करते
महावीर की साधना का विनाश जैन साधु ही करेंगे। आपकीं हिम्मत की मैं प्रसंसा करता हूँ
अपने से धर्म की साधना नही हुई तो। अब सफाई देकर विलासिता की जीवन के लिए अपना रास्ता साफ कर liya😂
Jain dharm se badkar koi bhi dharm nahi hai.
कल कोई ओर गुरु मिल गया तो? आज की फिलॉसॉफी भी गलत लगणे वाली है,ये परिपक्वता नहीं चंचलता है...
Aap ek Prerna ho logical logo ke liye.
दिक्षा निभती नहीं तो लेना ही नहीं चाहिए।
ऐसै जैन विचारोंपर ऊंगली उठाकर कंलकित किया है खुद को।तु क्या जानती है? साधुजिवण क्या होता है? विहार में आनेवाले परिषह क्या आते हैं? मैंने आंखों से देखा हैं साधु सतियाजी को।तुम ने अपने माता पिता परिवार समाज इन सब का नाम खराक किया है।
तुमको तो सिर्फ और सिर्फ नरक गती की यातनाओं से बचायें बस
કપડી બદલય્ પણ અંતરગ માં સંસાર હોય કોઈ ને કહી ના શકો
ખાલી તપ કે ક્રિયા થી મોક્ષ હોય તો હજુ સુધી પરિભ્રમણ ચાલું કેમ છે ,અનંતવાર દિક્ષા લઈ મેરુ શિખ જેટલી મુહપતિ ના ઢગલા કર્યા તો પણ મોક્ષ કેમ નથી થયો
સાધુ ના ત્યાગ ને વંદન,પણ સંસાર સારો કેમ કરવો એજ વાત કરે છે બધા
સંસાર દિક્ષા માં પણ છે
માન્યતાના નામે ઘણી જગ્યાએ શોષણ થાય છે
Jinko TYAAG ka rasta pasand nahi wo aisa hi karega.OSHO rajneesh ki vichar dhara india main accept nahi hui hain.
Aap ke video ko dekhkar bahut sare anya bhaiyo bahno ko prerna milegi. Saty ke path par badhte raho. Andhvishwas aur paramparao ka gulam Bane rahne ki jarurat nahi hai.
😢😢😢
आपकी स्वयं आत्मा में जागृति है, इसलिए आपको किसी के सहारे की या किसी को दिखाने की जरूरत ही नहीं है कि मैं कौन हूं। ❤🙏
आप स्वयं enlightened soul हो।🎉
ओशो ने उनके बायबल मे ये बात कही है दुनिया के पास दो ही ऑप्शन है एक तो महावीर या महाविनाश इसलीए सोचना चाहिए की महावीर की दुनीया को कितनी जरूरत है
आदरणीया मैं तो आपके प्रवचनों से बहुत प्रभावित थी. मुझे तो आपकी वाणी में एक ओज दिखता था. अपने परिवार में आपके प्रवचनों को discussion में शामिल करती थी. लेकिन हो सकता है जैन संतों की कठिन दिनचर्या आपको असुविधा दे रही होगी जिसे आपने परंपरा का नाम दे दिया. जिसके लिए वे हमारे पूजनीय होते हैं. 😊
थोडे दिन बाद ओशो की राह भी बकवास लगेगी।😀😀😀
भगवंन महावीर स्वामी के सयंम पथ पर चलना इस मैडम के बस मे नहीं,
Ek baat sahi samji, pahele khud ko samje, kalyan kare, parivartan kare, automatic jan kalyan, vishwa kalyan, vishwa parivartan ho jayega.
Ye sab diksha ke pahle sochana chahiye...
E unki jindgi he, she has right to find her own ways. We should respect.
@@rajushah1459
बिल्कुल सही बात, सब अपनी मर्जी के मालिक हैं, कोई किसी रोक टोक नही सकता।
@@mangalaaswal2202 tere baap ko kaash kisine rok diya hota
🌹🌹🌹🙏🙏
20 साल तक महावीर परमपरा समझ नही आई और इतने साल बाद महावीर का धर्म सीमित लगने लगा
Samaj keval bhagwan Badal sakta hai..Manushya nahi....
वैभवश्री एक सरल और नेकदिल व्यक्ति है.., उसने जो मार्ग चुना है वह सही है, वो अपने अनुभवों से समझे है, बाकी लोग तो भलाबुरा बोलते रहते है
ये रजनीश को पढ़कर भटक गई है
रजनीश को इसने समझा hi नहीं है
उनका शारीरिक शोषण हुआ हैं, वैभव श्री विराट चेनल पर वीडियो के थंबनेल देखिए, चराममंगल पर देखिए, उनके चेहरे की रेखाएं देखिए, उनका हास्य देखिए, ये सब बनावटी है.. वो कितना भी करें सच्चाई छुप नही सकेगी,
लोग समझते नही है, क्या जरूरत है यूट्यूब पर सोसिअल मीडिया पर आने की? कई साधु साध्वी प्रवज्या छोड़कर चले जाते है, गुमनाम होकर सुख शांति भरा जीवन व्यतीत करते है, हंगामा करने की जरूरत ही नही है
good desigin ॥ आप जैसे सभी साध्वी ( पाणी के डबके से बेडूक बाहर आयेगा तभी ही दुनियासे connect हो सकता )
Power politics only. Like lolesh muni. She wants to open her shop
संजय सनम जी आप जैन है क्या, यदि आप जैन है तो ऐसे लोगों को प्रमोट करना छोड़िए
मोक्ष प्राप्त करने के लिए किसी प्रकार के भेष की जरूरत नहीं होती है आप समाज में रहते हुए सभी सामाजिक परंपराओं का निर्वाह करते हुए एक सच्चे सद्गुरु जी के शरण में जाकर ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर ज्ञान के मार्ग पर चलकर इसी जीवन में सभी बंघनो से मुक्त होकर जीते जी मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है यानी ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है
Bahut bahut sundar
वैभव जी आपको तथस्त रहना था,जो आपको चाहिए वह आप के ही पास है सिर्फ अपने में खोजने का purshart करना होगा, जड़ जीव का भेद, विभाव स्वभाव , स्व पर ,ये सब कर्मो के अधीन समय काल पकता us samay साधना शासन devo ki कृपा से रास्ता मिलता हे,लेकिन उसके पुरुशार्थ बहुत करना होगा, Esme प्यास जगाना होगा,दुनिया पुदगल हैं सम जना होगा, आत्मा का हर पल अनुभव करना होगा,अगर आपको विधि चाहिए,तो ध्यान से स्टार्ट करना होगा,शास्त्र तो आगे बढ़ने का एक सपोट हैं उसका स्पॉट लेकर आगे स्वयं बढ़ सकते हैं ,आगे की यात्रा के लिए हमे कॉन्ट्रैक्ट करावे, मनुष्य भव सफल हो जाएगा,आत्म ज्ञानीगुरुजी से मिलाऊंगा,तीर्थनकरो की जो साधना शिवारो के मध्यम से एकांत में करते हैं वही,अब ज्यादा नहीं लिख सकता,
Ye kahti hai ke jain dharm me kuch aur chal raha hai to kya dikshit hui tab ye nahi chal raha tha ..ab paramparaye jhuti ho gai
Viraat guru fraud no 1
Vaibhav Shri dramabez fraud no 2
आपके साथ इन्होने क्या फ्रॉड किया है
@@prithvirajjain632
😂😂😂😂😂
Sahi
@@prithvirajjain632 समाज के साथ फ्रॉड किया है इस पागल औरत ने
@@mangalaaswal2202 आप भी फ्रॉड में सामिल थी क्या
Inke pass kuch gyan nahi tha...
Osho ko padkar pagla gayi hai
Jainam jayati Shasanam.Jain Dharmaki Jai Ho.
1 नदी किनारे के अनुशासन को तोड़ दे तो विनाश का कारण ban sakti h is koi Anushashan to jaroori h
ध्यान का तो एक ही अर्थ होता है l
ध्यान
मगर प्रेम के ते बहुत से अर्थ निकलते हैं l
जैसी दृष्टी वैसा अर्थ l
Dhyan ka bhi anek arth hote hai
संत बनना, संत का तात्पर्य बनने से नहीं है, संत विचार होते हैं संत धार्मिक स्वाभाव होते हैं संत ही अपने सहित जन जन का कल्याण करते हैं, संत ही परमात्मा कारूप है।
Bhagwan shiv muniji ka jay ho
Shraman sangh jay ho
Ye marg in jaisi madam ke buska nahi hai
दीक्षा के बारे में वैभवश्रिजी की सोच समाजको चिंतन करणे की स्थिती हैं l
Vaibhavshri itnee saral sawbhav ke hai .. koi Chanchal nahi jo bhi feslaaaa liyaaa kuch unki intaratma ka Aadesh raha hi hogaaa tab hi liya hogaaa kisi k kahene se nahi too kuch achhe k liye hi huwa hai ye sochakeee chale sab aur Vaibhavshri ji ke Anubhav ko ham samje aur ham pr to wo nitay hi aaj bhi ghankiii dharaaa barsaaaa hi rahe hai.. kapde badle guru nahi jai ho 🙏
Mam अपने जैन धर्म को समझा ही नहीं, संयम पालन हर किसी के बसकी बात नहीं है
ऐसा नही है सर जी, वो समझदार और ज्ञानी है, जो मार्ग चुना है वह सो ह समझकर चुना था लेकिन, लोगो ने उनको गलत समझा है, वो एक साजिश का शिकार हो गयी है
आपका यह कहना संग रहने के रंग चुना यह बहुत विरोधाभाषी है।
में जैन नही हूं। न ओशो का न जैन धर्म का अनुयायी हु।अगर इतना ज्ञान या आत्मशाक्षत होता तो आप यहां भी नही होती चिंतन जरूर करना इसे स्वार्थ सिद्धी और शारीरिक संतुष्टि कहते हैं।आत्मसंतुष्टि हेतु क्या करें
भगवान् बनने की परंपरा, काम क्रोध माया लोभ आदि त्यगाने की तपस्या, मूल गुणों का पालन, भोग विलास्ताओ से दूर रहने की तपस्या सब व्यर्थ है।
भगवान् आदिनाथ से लेकर महावीर स्वामी तक बताये गए संयम के मार्ग सब व्यर्थ है। शर्म कीजिये आपके अपने जीवन की तपस्या को शून्य कर लिया।
उनका जीवन संयम का ही था, वो जैनिज़्म के विरुद्ध नही है, मज़बूरीमे उन्होंने कदम उठाया था
Bade bade acharyo se gyani ye hai
साध्वी जी वास्तविक मुमुक्षु हैं। इनके विचार अति उन्नत, परिष्कृत एवं विराट हैं। यथा नाम तथा गुण।
Aapne swayam ko pahchana nahi.aap aapni adhyatmik unnati vaha bhi kar sakti thi.kyonki sab marg purene jarur hai,llekin vaha khoj khudki khud ne karani hoti hai.yaha vaha bhatknese kuch hathme nahi aata hai.vaise jain marg smrudh aur vishal hai,aapko ye bat samajme nahi aayi.swayam adhyan kam pad gaya,guruke prati jo bhav hona chie tha usme aap kam pad gai.❤
Osho ki jyada philosophy padne ka prabhaav hai... kher sadhviji pehle se hi chanchal swabhavi thi
Shame shame, don't send this type of video
I respect Osho a lot but Osho ko bhi kevalya Gyan hua tha.I have seen a video of him saying that I like bitches but I make a point that I don’t make relation with my secretary.Probabaly he was talking abt Sheila when he left his ashram.If he was completely enlightened like Mahavir and Buddha why didn’t he has Samta bhav?Also in the last years of his life he realised that probably he is not completely enlightened and that’s why he changed his name from bhagwan to Osho which means in Japanese learning master
सत्य ही शिव हैं
आप दोनों के पास माइक होना कितना जरूरी है ये वार्तालाप देख कर समझ में आ रहा है। प्रश्न तो सुनाई ही नहीं दे रहे हैं।
Ji...aap sahi kah rahe ho
उम्मीद है कि इसमें सुधार होगा।@@DIGITALFIRSTNEWS
Sahi
संजय सनमजी आपने जो प्रश्न किये है सुनाई नही देते. आप फिर edit करेंगे ऐसा वाश्वास है.
वाह वाह,
मोज फकीरी,
फकीरी ही मौजहै, बाकी सब बोझ है।।
Too much chanchalta very flat knowledge. No depth only accepting easy way only
जय सच्चिदानंद
Abhi konsi sampdray me ho
परंपरा से कभी कोई मुक्त हुआ ही नहीं है
एक परंपरा छोड़कर दूसरी परंपरा में जुड़ गई
वेष पहले बदला था
तब बड़ी घटना थी
या अब?
समाज से माला पानी धन भवन बना लिए अब मौज मस्ती करो, और अब ऐसा बोलो वह सब गलत है अब मुझे ज्ञान हुआ की अब माला पानी काफी है अब मौज करो
खुद ने अपनी सिक्योरिटी बना ली अब ज्ञान दे रहे है
Vaibhav shree ji aap ko sunkar sant mira bai ji aur sant kabir ji ki jakhi dhikhati hai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 jo atmarthi hai use rasta milta hi hai
Inke galat acharan ke karan humare bhagwan shiv muniji ne inko sangh bahar kiya tha...
गलत दुष्प्रचार मत करो, शिवमुनि को उनके प्रति बहोत आदर सन्मान और प्रेम था,
Sanyam aapke bas ka nhi h jain jesa dharm ni h
Shi bolo na to aapke bass ka ni h itna hard dharm palan karna .....jai jinshashan
Sanjayji aapki aawaj bhi to aani chahiye.samajh nahi aa raha kiska jawab diya ja raha he
जी...आपकी बात सही है...माइक उनके हाथ में था इसलिए आवाज का वॉल्यूम नही पकड़ा गया...फिर भी आप earbds लगाकर सुनेंगे तो आपको सवाल समझ में आ ही जाएंगे
आप जैसा सभी साध्वी निर्णय लेना चाहिए तो ही मुक्त होंगे जैनी कम्पाऊंन्ड से और विश्व व्याप सर्व धर्म समभाव बनेंगे बसुदैव कुटुंबकम ॥ जैन जेल Life से मुक्ति का सबसे बडा आनंद है खुशी है ॥ सबसे अच्छा निर्णय लिया आपने । सभी विश्व ही अपना परिवार है और उसके साथ रहके ही मुक्त होना चाहिए ॥
Mai inki baat se sehmat hu.Inhone bhagwan mahavir ya tirthankar ki koi bhi bura nahi kaha.Mai bhi manta hu jain dharm me Bhot adambar ho gaye hai lekin bhagwan ki wani koi nahi samajhna chahta
Jayjinered
KALPANA Shah Gpo Ahmedabad
Jin. Dharm. Palna. Bada. Kathin. Hai. Jisme. Vashnae. Nahi. Hoti. Vohi. Dharm. Palne. Me. Samrth. Hote. Hai. Moha. Tiyag. Karna. Padata. Hai. Jai. Jin. Shashan. Jai. Sabhi. Tirthankarparbhu. Ji
Aap duniya k samne soch samaj kr bolna dharam ki ninda na ho iss baat ka aap jarur dhyan rakhegi yehi request hai aap se
Naambhi badlo na
Yaha bhi aap nahi rah sakti jain dharm Ko barbad kiya hai shame shame
आपसे पुणे में कहां मिल सकते हैं?
मैडम परंपरा भी जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग है.....
जैन धर्म को बहुत गहराई से समझ पाती तो शायद तुमको विज्ञान का सार पता चलता और ये भी पता चलता की विज्ञान जैन शास्त्रों से ही निकला है
Bilkul sahi kaha 👍
विज्ञान कोई वस्तु थोड़ी ही है जो किसी निकलता है।
@@daulatprakash7041 Spritual science is above science. Sprituality science all has came out from jainism Shraman dharam. Absolute knowlegde.. Soul atma dharam.. all this is discovered n teached n experienced n so much much more no one in this world is above tirthankers the path of liberation.
श्रद्धा किसे कहते है
Kram satta badi vichitra hai.etna aasan nhi hai moksh ki yatra. Bhotikvadi yug me sadhupan palna bahut kathin h.jb sadhu jivan pal nhi sake to bahane to dene padenge
एक नया दृष्टिकोण नयी गहराई लिये आपने सामने लाया धन्यवाद।
लेकिन समाधान नहीं हुआं।
और जानने की उत्सुकता जगी।
इंतजार रहेगा।
धन्यवाद।
apa ko aisho aaram chahiye tha swachhd ta jivan jina chahte ho to jiye ab apa ko jain dharm par bolne ka koi adhikar nahi
Do Mike to rakho,aap bolte ho,vo sunai nhi deta.
कमैंट्स देकर किसीके बारे में दुष्प्रचार मत करिए..
अकेले चलते रहो.तुम्हारी बात भी मेरी क्यों है मनु?
Inhone Osho ko bhi theek se nahin samjha hai
Don't good