राम सिया के लव कुश || कहानी लव कुश की || लव कुश का समय 🏹🏹🏹

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  • Опубликовано: 19 окт 2024
  • राम सिया के लव कुश || कहानी लव कुश की || लव कुश का समय 🏹🏹🏹
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    Your Queries :
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    राम सिया के लव कुश
    Ram siya ke luv kush
    Kahani luv kush ki
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    Video Lyrics :
    हैं विधना के खेल निराले, ये कैसे खेल दिखाती हैं,
    ये जिसे सताने पर आयें, जीवन भर उसे सताती हैं |
    जो थे राज पाठ के अधिकारी, जिनके पिता अवध के राजा हैं,
    जिनके पिता के मस्तक पर, रजमुकुट अवध का साजा हैं |
    अधिकारी थे जो महलो के, वन में था जन्म हुआ उनका,
    वाल्मीक के आश्रम में, बीता था बचपन लव कुश का |
    वन में माता संग लकड़ी चुनते, वन के कस्टो को सहते थे,
    करते माँ की आज्ञा पालन, गुरु वर की सेवा में रहते थे |
    सीखी धनु विद्या गुरुवर से, सब ज्ञान शस्त्रों का पाया था,
    सब ज्ञान मिला था वेदों का, ग्रंथो को भी गुरुवर ने पढ़ाया था |
    शस्त्र शास्त्र दोनों के ज्ञाता, वे महा वीर धनु धारी थे,
    रहते गुरुवर की सेवा में, माता के आज्ञा कारी थे |
    अश्वमेघ यज्ञ किया था रघुवर ने, छोड़ा यज्ञ का घोड़ा था,
    अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को लव कुश ने पकड़ा था |
    शत्रुग्न, लक्ष्मन और भरत, तीनों भाईओ को हराया था,
    हारी थी अयुध्या की सैना, हनुमत को भी बंदी बनाया था |
    वे शिष्य महर्षि वाल्मीक के, दिव्यास्त्रों के संचालक थे,
    एक ओर अवध की सैना थी, दूजी ओर दो छोटे बालक थे |
    जब हारी युद्ध सभी सैना, हुऐ मुर्चित तीनों भाई थे,
    ये गई खबर जब आयुध्या में, हुऐ चिंतित रघुराई थे |
    फिर लिया हाथों में धनुष बाण, था राम ने जब प्रस्थान किया,
    जब देखा दो छोटे बालको को, तब सहज़ भाव से ज्ञान दिया |
    जब ना मानें दोनों भाई, जब बाण राम पर साधा है,
    पुत्र पिता पर वार करें, इसमें खंडित मर्यादा हैं |
    आयें तुरत वहां वाल्मीक इस महा युद्ध को साधा हैं,
    राजा बालकों से युद्ध करें, इसमें न कोई मर्यादा हैं |
    मुनिवर ने समझाया लव कुश को, हे वत्स न अश्व का मोह करो,
    श्री राम हमारे राजा हैं, इनसे न करके युद्ध राजद्रोह करो |
    गुरुवर की आज्ञा मानी, लव कुश ने नीचे बाण किया,
    हाथ जोड़ कर सहज़ भाव से, श्री राम चंन्द्र को प्रणाम किया |
    श्री राम ने करी प्रसंसा लव कुश की, तुम दोनों रण निती के ज्ञाता हों,
    जिसने तुमसे महावीरों को जन्म दिया, शत शत नमन तुम्हारी माता को |
    कर गुरुवर की आज्ञा पालन, यज्ञ अश्व को लौटा दिया,
    जिन्हे बंदी बनाकर रख्खा था, उन हनुमत को भी आजाद किया |
    मर्यादा पुरुसोत्तम श्री रघुवर, जिनको ना झलक मिली शुख की,
    थे जो पुत्र पिता से अनजाने, ये कथा हैं उन्ही लव कुश की |
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    Writer - Amit Kumar
    Editor - Yogesh Kumar

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