@@nareshchander2707 ऋषि शब्द की व्युत्पत्ति ऋषि गतौ धातु से मानी जाती है, जिसका अर्थ देखना होता है. वैदिक काल में जो लोग ब्रह्मज्ञान का साक्षात्कार कर उसे लोगों के लिए सामने लाते थे, उन्हें ऋषि कहा जाता था. ऋषि को ज्ञान चक्षु की प्राप्ति होती है और सैकड़ों सालों के तप या ध्यान के कारण उनकी सोचने-समझने की शक्ति बहुत ज़्यादा होती है. ऋषि क्रोध, लोभ, मोह, माया, अहंकार, ईर्ष्या जैसी चीज़ों से दूर रहते हैं.। जबकिमुनि उन आध्यात्मिक ज्ञानियों को कहते हैं जो ज़्यादातर समय मौन धारण करते हैं या बहुत कम बोलते हैं. मुनि शब्द में मौन छुपा हुआ है. मुनियों को वेद और ग्रंथों का पूरा ज्ञान होता है और वे मौन रहने की शपथ भी लेते हैं. मुनि विचारशील व्यक्ति होते हैं और दार्शनिक की तरह सोचते-विचारते हैं कि कोई चीज़ कैसे हुई और क्यों हुई.।
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ऋषी औऱ मुनि में क्या अंतर है बताने की कृपा करें
@@nareshchander2707 ऋषि शब्द की व्युत्पत्ति ऋषि गतौ धातु से मानी जाती है, जिसका अर्थ देखना होता है. वैदिक काल में जो लोग ब्रह्मज्ञान का साक्षात्कार कर उसे लोगों के लिए सामने लाते थे, उन्हें ऋषि कहा जाता था. ऋषि को ज्ञान चक्षु की प्राप्ति होती है और सैकड़ों सालों के तप या ध्यान के कारण उनकी सोचने-समझने की शक्ति बहुत ज़्यादा होती है. ऋषि क्रोध, लोभ, मोह, माया, अहंकार, ईर्ष्या जैसी चीज़ों से दूर रहते हैं.।
जबकिमुनि उन आध्यात्मिक ज्ञानियों को कहते हैं जो ज़्यादातर समय मौन धारण करते हैं या बहुत कम बोलते हैं. मुनि शब्द में मौन छुपा हुआ है. मुनियों को वेद और ग्रंथों का पूरा ज्ञान होता है और वे मौन रहने की शपथ भी लेते हैं. मुनि विचारशील व्यक्ति होते हैं और दार्शनिक की तरह सोचते-विचारते हैं कि कोई चीज़ कैसे हुई और क्यों हुई.।