पुतना वध और कान्हा के मुख में ब्रह्मांड | श्री कृष्ण बाल लीला | श्री कृष्ण महिमा
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- Опубликовано: 27 янв 2025
- कंस को शक होता है की कृष्ण देवकी का वही पुत्र है जो उसका वध करने के लिए जनम है तो कंस कृष्ण को मारने के लिए पुतना को भेजता है। पुतना कृष्ण को मारने के लिए गोकुल आती है और एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर के नंदराय के घर में कान्हा को आशीर्वाद देने के बहाने से घुस जाती है। पुतना कान्हा हो अपना विषैला दूध पिलाती है तो कान्हा उसे काटने लगता है। पुतना दर्द से चिल्लाने लगती है और अपने असली रूप में आकर कान्हा को साथ लेकर हवा में उड़ जाती है कान्हा पुतना का वध कर देते हैं और ज़मीन पर आकर पुतना के साथ गिरते हैं कान्हा को खरोंच तक नहीं आती। यशोदा यह सब देख कर कान्हा के लिए चिंतित होने लगती है की उस के साथ ये सब क्यों हो रहा है। यशोदा एक दिन कान्हा को अपने साथ नदी किनारे ले जाती है तो कान्हा वहाँ मिट्टी खाने लगते हैं तो धरती माँ प्रकट होकर उन्हें प्रणाम करती है। कान्हा को मिट्टी खटे देख यशोदा आती है और कान्हा को मुँह खोलने के लिए कहती हैं। कान्हा जैसे ही मुँह खोलते हैं तो यशोदा को कान्हा के मुँह में ब्रह्मांड दिखाई देता है तो यशोदा ये सब देख स्तब्ध रह जाती है। श्री हरी यशोदा को दर्शन देते हैं और उसे उसके पुनर जन्म के बारे में बताते हैं।
कान्हा अपनी बाल लीला से मैया यशोदा को तंग करते हैं और उनकी माखन की मटकी तोड़ देते हैं तो मैया यशोदा उन्हें औखल से बांधने की कोशिश करती हैं लेकिन उनकी रस्सी को कान्हा बार बार छोटी कर देते हैं। यशोदा मैया को हारा देख कर कान्हा खुद को औखल से बांध देते हैं। यशोदा मैया पानी लेने चली जाती है तो कान्हा उस औखल को अपने साथ खिंच कर दो पेड़ों के बीच में फँसा लेते हैं जिस से वो पेड़ टूट जाते हैं और दो यक्ष प्रकट होते हैं। श्री हरी उन्हें अपने स्वरूप के दर्शन देते हैं तो वो यक्ष उन्हें बताते हैं की उन्हें नारद मुनि जी ने श्राप दिया था और हम वृक्ष बनकर यहाँ बहुत लम्बे समय से थे आज आपने उन्हें मुक्त कर दिया। यक्ष श्री हरी को प्रणाम कर चले जाते हैं। कान्हा अपने मित्रों के साथ माखन चुराते थे लेकिन गोपियाँ उन्हें बहुत प्रेम करती थी। एक दिन सभी गोपियाँ उन्हें माखन चुराते हुए पकड़ लेती हैं और कान्हा के साथ नृत्य करने के लिए कहती हैं। कान्हा उनके साथ नृत्य करते हैं और उनके पिछले जन्म की इच्छा को पूर्ण करते हैं। कान्हा के दोस्त मिलकर ग्वालिनों की मटकियाँ फोड़ देते हैं तो ग्वालिन कान्हा को पकड़ कर उसकी शिकायत यशोदा को लगाती हैं। यशोदा कान्हा को दंड देती है। कान्हा और उसके मित्र गोपियों को सबक सिखाने के लिए योजना बनाते हैं। ग्वालिन जब स्नान करने के लिए नदी में जाती हैं तो कान्हा उनके के कपड़े उठा लेते हैं और पेड़ पर जाकर बैठ जाते हैं ग्वालिन कान्हा से कपड़े माँगती हैं तो कान्हा उन्हें मना करते हैं और उनसे अपनी बात मनवाते हैं की वो कभी कान्हा कोई शिकायत यशोदा को नहीं करेंगी और उन्हें खाने को माखन देंगी। ग्वालिन कान्हा की शर्त मान लेती हैं।
श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी 2020 में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर किया जा रहा है, TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा।
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