agar ped bhi chalte hote class 3 | अगर पेड़ भी चलते होते कविता

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  • Опубликовано: 21 окт 2024
  • #agarpedbhi #hindipoem #primary
    Agar ped bhi chalte hote kavita sunao
    शीर्षक- अगर पेड़ भी चलते होते कविता
    अगर पेड़ भी चलते होते
    कितने मजे हमारे होते
    बांध तने में उसके रस्सी
    चाहे जहाँ कहीं ले जाते
    जहाँ कहीं भी धूप सताती
    उसके नीचे झट सुस्ताते
    जहाँ कहीं वर्षा हो जाती
    उसके नीचे हम छिप जाते
    लगती भूख यदि अचानक
    तोड मधुर फल उसके खाते
    आती कीचड-बाढ क़हीं तो
    झट उसके उपर चढ ज़ाते
    अगर पेड भी चलते होते
    कितने मजे हमारे होते
    ∼ डॉ. दिविक रमेश
    Agar ped bhi chalte hote Kavita ka Saransh
    एक अबोध बालमन यह कल्पना करता है कि पेड़ हमारे लिए किस प्रकार से लाभकारी हो सकते हैं ।
    बालक कल्पना करता है कि जब हमें कड़ी धूप लगती है तब हम पेड़ के नीचे सुस्ताने के लिए बैठ जाते हैं और जब हमें भूख लगती है तो हम पेड़ पर चढ़कर उसके फल तोड़कर खा लेते हैं और हमारी भूख मिट जाती है इसके बाद वह और भी कल्पना करता है कि जब हमारे आसपास बाढ़ आ जाती है और अधिक बारिश होती है तो हम पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचा सकते हैं इस प्रकार से बच्चा पेड़ के साथ कई कल्पनाओं को बांधता है और वही कल्पना करता है कि यदि पेड़ इतना बहुमूल्य है तो क्यों ना हम इसे रस्सी से बांधकर इधर उधर ले जा सकते।
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