आरक्षण का निर्णय लिख जस्टिस गवई डॉ आंबेडकर से भी आगे निकल गए
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- Опубликовано: 21 окт 2024
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हां तो कराओ न जातिगत जनगणना, पता चले कौन सी जाति के लोग कितना हिस्सा पा रहे। जमीन सबसे ज्यादा स्वर्णों के पास, नौकरी सबसे ज्यादा स्वर्णों के पास, भारत के 90% साधन संसाधन स्वर्णों के पास और सब क्लासिफिकेशन करना है SC ST की। ये आपस में फूट डालकर राज करना चाहते हैं। लेकिन हम ऐसा किसी भी कीमत पर होने नहीं देंगे, याद रहे अगर हमे इसके लिए खून भी बहाना पड़ा तो हम बहाएंगे।
पुरा ढक्कन हो क्या या मानसिक गुलाम हो किस पर निर्णय आया है इसका ज्ञान बर्धन कर लो
@@subhashchaurasiya2392 तू बता किस पर आया है???
बाबासाहेब से आगे तो भगवान भी नहीं निकाल पाए जस्टिस तो बहुत दूर की बात है बाबासाहब के बराबर क्या खाक करेंगे 😂😂😂
Tere jaise log ki wajah se aaj desh is haal me hai
@@anilrana2056 मेरे वजह से नहीं तुम जैसे पाखंडी और अंध भक्तों की वजह से
@@anilrana2056 देश की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण पाखंड है और पाखंडी है
@@Sarbjeetjatavoffcialprayagrajbaba sahb ke bare mai tum jante kya ho be bs wo tumko isi liye acha lagta hai ki tumahre liye arkshan 10 saal tak lagu kiya baki ab tak to rajneeti chl rahi hai gadhe😂😂😂
भगवान, ईश्वर, खुदा, जीसस से बड़ा कोई नहीं हो सकता । डॉ आंबेडकर को भी भगवान ने मृत्युलोक में भेजा , कुछ भेजे में बैठा क्या ??
देश को जरूरत है ये जानने की कि देश के सरकारी विभाग एव अन्य सस्थानो पर किस जाति का कब्जा है ।
भाई आपके मन का हो गया। अभी तक तो जस्टिस गवई की आपने कभी तारीफ नही की। रही बात उनके ज्ञान की तो वे होशियार हैं लेकिन कृपया डॉक्टर बाबासाहेब से उनकी तुलना न करें।आप जस्टिस बेला त्रिवेदी की तारीफ नही करेंगे।
देश के और भी साधनों पर क्रीमी लेयर होना चाहिए,क्या सभी सहमत हैं।
@@maheshbairwa6992 बशर्ते की काॅमन सिवील कोड हो. और ये अगर 2ही बच्चे होते तो कौनसी लेयर मे आता. अन्यथा ना भैरवा ना जाटव को इसका फायदा मिलेगा
E.w.s.or..n.f.s.kya.ha
Pl go through my views in comment
Manubhai Parmar
हम गवाई साहेब का फैसला अनुचित है।cji बनना है और आरएसएस की कृपा हुई सांसद भी बनेंगे।
6 जजों ने मनुवादी सोच को ध्यान में रख कर फैसला दिया है। बेला त्रिवेदी जी का फैसला न्याय संगत है, बाकी धोखा है।
Bela trivedi manu badi nahi hai, justice BR gabai manubadi hai. Wah kya baat hai
Bharat mata ki jai sir Ji
डॉक्टर गवाही और दुबे जी से निवेदन है कि यह नियम मंदिरों में भी होना चाहिए क्योंकि ब्राह्मण का बेटा ही मंदिर में पुजारी क्यों बनता है उसमें न एससी एसटी ओबीसी क्यों नहीं होते हैं 95% ब्राह्मण ही क्यों लाभ ले रहा है
@@Saurabh-jatav345 ये गलत धारणा है. कम से कम हमारे महाराष्ट्र मे शिव मंदिर, देवी मंदिर और कई मंदिर पुजारी ब्राह्मण नही. पंढरपूर मे बाकायदा परीक्षा होती है. खैर जो मंदिर पहले से है, ऊन्हे छोडो. नये बनवाओ और अपने पुजारी रखो. इतना साधारण समाधान आपको नही सुझा.
Dhoorth esh par nahi bolege
@@shriramkulkarni2644yahi beimani or dhoortta hai
आपकी जानकारी के लिए बता दूं आप लोग पहले तो भगवान और मंदिर का बहिष्कार करके अंबेडकर और बुधा को भगवान मानते हो। फिर किस पुजारी की बात करते हो। अब हमारे पास भी तर्क हैं। मेरे गांव के मंदिर में एक SC कास्ट का बंदा पूजा करता है। General caste का बंदा एक SC मिस्त्री के पास मजदूरी करता है। जमाना बदल गया है। मानसिक गुलामी से बाहर आओ। प्रूफ दिखा सकता हूं ग्राउंड पे
कॉलेजियम प्रणाली के जजों से कोई उम्मीद नहीं है ।
टपरी सोच
आपको कटोरा में सजा के मिलना चाहिए.
@@manojgedam4410 मेरा देश बदल रहा है आगे बढ़ रहा है
@@manojgedam4410सही बोला है।
Yahi Manuwadi dhoortta hai
दूबे जमीन पर ध्यान देना चाहिए। किसी को 1000बीघा किसी 1 कट्टा तक नहीं। यह कब लागू होगा
Udyamen hi siddhyanti karyani n manorathaihi
Bahut kam log pass bacha hai 100 bigha sabke pass barabar ho gaya hai
गांजा पीकर कुछ भी बोलेगा टोटल जमीन स्वर्णों के पास है।लगभग 60% जमीन
@@harishankarpathak9673😢
जिनको नहीं उनको भी देनी चाहिए।
आरक्षण अगर गरीब हटाव का कार्यक्रम होता तो बाबासाहेब आंबेडकरजीने इतना बड़ा संघर्ष किया नहीं होता, एक बार आरक्षण लाभ मिलने के बाद वो परीवार अगर पिछड़ेपणसे उपर उठकर संवर्ण समाज के बराबरी मे आता है तो क्या वो परीवार,व्यक्ति से साथ संवर्ण समाज रोटी बेटी व्यवहार करेंगे? आज भी शुद्र समाज की आर्थिक स्थिती अच्छे होने के बाद भी संवर्ण लोग उसे निच समझते हैं और उसके हाथ का पानी भी नही पिते है।इसलिये आरक्षण को गरीबी खत्म करने के लिए निर्माण किया नहीं गया। आरक्षण प्रतिनिधित्व है। जो सदियों से नकारा गया। कोर्ट के फैसले को दलित आदिवासी समाज कभी मानेगे नही. फिर उसके लिए संघर्ष भी करेगे. गवई भी आरक्षण के तहत यहां तक आये हैं। पेट भरने के बाद अक्ल ज्यादा आ गयी. यही अब अमरावती मे गवई के खिलाफ बोलेगे.
हर वर्ग को एक ही बार आरक्षण मिलना चाहिए जिस जिनको नहीं मिल रहा है उनको आरक्षण मिलेगा और वह आगे बढ़ेंगे
दुबे जी - नमस्कार ।
कितने भी निर्णय आ जाये , आज के राजनैतिक लोगों में फैसला लेने की क्षमता नहीं है ।
agar gareeb reserved people avaj udhaye to neta log ikkatha hokar rato rat kardenge.
हा मुद्दा लक्षात यायला इतकी वर्षे लागली. न्यायालय धन्य धन्य आणि बुद्धिमान आहे.
अभी भी एससी एसटी के साथ भेदभाव होती है
आर्थिक आधार पर भेदभाव नहींहोती है
जाति के आधार पर भेदभाव होतीहै
इसीलिए आरक्षणजरूरी है
आर्थिक आधार पर सभी जाति के लोगों को 10% alag se आरक्षण होना चाहिए
पढ़ाई पूरी करने तक आरक्षण हो किंतु सरकारी नौकरी में प्रतिभावान Dr,Er, आर्मी, वकील, जज , टीचर आदि ही समाज, मानव राष्ट्र हित मे रखे जाने चाहिए। आदरणीय गवाई जी कासामाजिक निर्णय हम सभी को एक ऊंची सोच दिखाता है।
Sc st ka उत्थान नहीं तुम लोग तोड़ने की बात कर रहे हो एससी जाति की एकता को
आरक्षण पूरे में 100%होना चाहिये औऱ समान्य वालो को 15% से कम ही मिलना चाहिए साथ ही साथ प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण लागू करना चाहिए
सबसे पहले तो सुप्रीम कोर्ट में जो कॉलेजियम सिस्टम चल रहा है उसको बंद करना चाहिए
न्यायपालिका मैं भी आरक्षण लागु कर देना चाहिये
कोलेजियम सिस्टम लाकर तुम लोग ओ बी सी का जज बनने का अधिकार ही खा गए हो
दलित और आदिवासी वर्गीकरण मांगा नहीं और यह जज साहब बैठे हुए अपना फैसला सुना रहे हैं कितने दलित आदिवासी उद्योगपति हो गए हैं, आज भी देश के बड़े बड़े संस्थानों में दलित आदिवासी नगण्य है और आज यह वर्गीकरण रस की मनोदशा है
राजस्थान में भील जनजाति के बच्चो ने केस डाला है कि सिर्फ मीणा जाति जो st का सबसे ज्यादा आरक्षण मिल रहा है उसके विरुद्ध केस दायर किया है कि मीणा जाति को st से बाहर करो। sc st की वो जातियाँ जो सबसे ज्यादा आरक्षण मिलता है वो ही जातियाँ के लोग समाज मे जातिगत आधार पर जहर घोल रहे हैं। sc की सिर्फ 3 -4 जातियाँ ही आरक्षण का फायदा उठाया है ऐसे ही st का आरक्षण बहुत सी जनजाति को मिल ही नही रहा है, जैसे मध्यप्रदेश में सहरिया, बैगा, भारिया अति पिछड़ी है। उन्हें st आरक्षण में आरक्षण मिलना चाहिए।
गवई साहेब चुनावी चंदा पर फैसला कब सुनाएंगे।
Justice BR Gawai is a real patriot. Salute to him.
अम्बेडकर साहेब विश्व स्तर पर वन टू फाइव में है। गवैय उससे भी आगे है। वाह जज कठपुतली सरकार की है।
धन्यवाद । अब राहुलजी के जज्मेंट का इन्तजार रहेगा ।
सामान्य वर्ग में तो ब्राह्मण ही 90 % से ज्यादा सीटें लेते आया है वहां भी सभी सामान्य वर्ग में आनेवाली जातियों को भी % के हिसाब से सीटें मिलनी चाहिए
जस्टिस गवई को यह ध्यान देना चाहिए अति दलित बहुत पिछड़े सरकार ने उनकी पढ़ाई लिखाई का ध्यान नहीं दिया है इस कारण पढ़ाई की कोई डिग्री नहीं है इसलिए इनको चपरासी के सिवाय और कोई नौकरी नहीं मिली सकती अधिकारी पद पर कभी नहीं पहुंच सकते सरकार को इन अति दलितों को फिरी अच्छी शिक्षा एवं अच्छी रोजगार कोचिंग की व्यवस्था करनी चाहिए तभी अति दलित आगे बढ़ सकता है लेकिन सरकार ऐसा नहीं करेगी क्योंकि यह मनुवादी जातियां समझती है कि ये पढ़ लिख जायेंगे तो अपने हक अधिकार के लिए लड़ाई करेंगे सत्ता पर आसीन होंगे इस लिए मनुवादी सरकार इनकी पढ़ाई-लिखाई में कोई ध्यान नहीं दे रही है प्राथमिक सरकारी विद्यालय धीरे धीरे समाप्त की ओर जा रहे हैं। प्राईवेट विद्यालयों को सरकार बढ़ावा दे रही है तो गरीब बालक कैसे पढ़ पायेंगे क्रीमीलेयर का नियम सामान्य वर्ग में होना चाहिए जिनके पास जमीनें है अधिक पूंजी वाले है उनको सरकारी पद का लाभ न दिया जाए सामान्य वर्ग में जिनके पास जमीनें नहीं है उनको सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए लेकिन सामान्य वर्ग में भी जो पैसे वाले हैं वही आगे बढ़ रहे हैं जस्टिस गवई को यह भी ध्यान देना चाहिए जस्टिस गवई को जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है
इस फैसले को देश को आवश्यकता नही थी बल्कि मनु वादियों के लिए के लिए आवश्यक था यह फैसला मनुवादी और मनुवादी मानसिकता जैसे समाजिक संगठन की इच्छा पूरी की गयी क्यों दुबे जी मेरा यह कहना है कि समान्य वर्ग जिनके परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी सरकारी प्रशानिक सेवा न्याय पालिका पर कब्जा करके बैठे क्या समान्य वर्ग में भी वही परिवार के लिए सरकारी सेवा रहेगा क्यों सुप्रीम कोर्ट के जज फिर उनका बेटा फिर उनका बेटा हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट मे जज बनेगा देश में और परिवार,और जातियां,और प्रबुद्ध वर्ग नहीं है जो जज बन सके इस पर रोक लगना चाहिए अगर एक बार एक परिवार का कोई एक। व्यक्ति न्यायपालिका में आ गया है तो उसके परिवार को पुनः किसी व्यक्ति को न्याय पालिका सेवा बैन होना चाहिए 140करोड में से दुसरे किसी परिवार को मौका मिलना चाहिए और यह तभी होगा जब कोलेजियम व्यवस्था खत्म होगी नहीं तो जजों के परिवार के लोग न्याय पालिका में बने रहेंगे मिस्टर दुबे जस्टिस माननीय गंवई जी के फैसले की बड़ी तारीफ कर रहे हैं दुबे जी आप के माध्यम से यह पूछना चाहता हूं कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में किरमीलेयर की अभी व्यवस्था नहीं है इसके बाद भी आरक्षित कोटे के पद(नाट फार सुटेबल) यानि इस वर्ग में योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण पद रिक्त करके उसी रिक्त पदों को समान्य /स्वर्ण वर्ग पद भरे लिया जाता है अब जब एस सी,एस टी के आरक्षण क्रीमीलेयर वाले बाहर हो जायेंगे तो उस स्थिति में तो आरक्षित कोटे की लगभग सभी सीटें (एन एफ एस या यह कहिए योग्य अभ्यर्थी के अभाव में,) आरक्षित पदे रिक्त कर दी जाएगी और उस रिक्त पद पर समान्य वर्ग भर लिया जायेगा जैसा कि अभी तक हो रहा है इस फैसले से यही खेल होगा यह एन एफ एस के खेल पर सुप्रीम कोर्ट भी अनदेखी किया गया है इस एन एफ एस के खेल से एस सी एस टी के अन्तिम व्यक्ति तक आरक्षण का लाभ सुप्रीम कोर्ट कैसे दिला पाता है
जातिगत छुआछूत,वर्ण व्यवस्था, मनुस्मृति को रिव्यूव कब करोगे? केवल आरक्षण में बदलाव की बात करना आदिवासी/दलित समाज के साथ अन्याय होगा।वर्ण व्यवस्था स्वयं एक आरक्षण है। स्वर्ण समाज के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी पंडित, ठाकुर, पुजारी कहलाने का सदियों से फायदा उठा रहे हैं।इस पर आपका क्या दृष्टिकोण है। मंदिरों में पुजारी का बेटा पुजारी क्यों बन जाता है?इस पर भी डिबेट हो।
एकबार जस्टिस गवई जी का पूरा जजमेंट पढ़िए!केवल राजनीतिक नारेबाजी में लगकर अपने ही नीचे दबे समाज का भारी नुकसान न करें
Very nice step sir Ji
Jab tak caste rahegi tab tak reservation
यदि बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने संविधान ने बनाया होता और उसमें sc/st के लिए आरक्षण का प्रावधान ना किया होता और इस कारण दलित समाज की जो थोड़ी बहुत आर्थिक स्थिति सुधरने के कारण बोलना ना सिखा होता तो गंबई कभी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नहीं बन पाते।
महोदय, सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आ गया है, समानता के सिध्दांत के अनुसार केवल एससी, एसटी ही क्यों, अनारक्षित ५०% की ओपन जगहों पर भी यहीं निर्णय लागू करना चाहिए। इन ५०% अनारक्षित लोगों में जो गरीब लोग है उनके लिए १०% ही नहीं तो समाज में व्याप्त आर्थिक गैर बराबरी को भी न्यायालय का निर्णय लगाना होगा। अभी तो शुरुआत है सर जी, देखो आगे क्या होता है। जनरल कैटेगरी में तो एससी के लोग आना तो चाहते है लेकिन क्या हिन्दू धर्म के लोग इसे स्वीकार करेंगे?
बहुत दिनों के बाद हिम्मत दिखाई दी । अगर इसके साथ जज साहब एक बात और जोड़ देते कि गरीब सवर्ण को भी किस स्तर पर आरक्षण देना चाहिए। क्या गरीब सवर्ण का सामाजिक न्याय-उत्थान के हक नहीं है । वो किस प्रकार आगे आ सकते हैं ।
क्या गरीब सवर्ण का दोष सवर्ण का गरीब होना है ?
गरीब सवर्णों का मामला इसमें नहीं शामिल था
10%EWS
10 % Awadi me 10% EWS Aarakshan le Rahe ho Ab kya Sab tumbi log ko de de😂😂😂😂😂😂
10% से बढ़ा कर 100% EWS चाहिए क्या ?
8 lakh vala ews se arakshan le rha hai vo kis angle garib hai bhai.
ज़ब बी आर गवई ने दलीत के फेवर का ज़ज़मेंट लिखा होता तो सब हिंदू या सवर्न वाले कहतेथे ,की गवई उस समाज़ से आते है,इसलीए उनोने ऐसा ज़ज़मेंट लिखा है।
अगर आपने डॉ अम्बेडकर को पढ़ा होता तो पता होता जन्मजात आरक्षण क्या होता है जिसे सवर्ण लेते है
Sawarn brahamnoka bhi aarakshan band karana chiye pujaribhi dusare jatati ka ho ye bhi nirniya cort ne lena chahiye
भारत देश में आरक्षण लेने वाले अन्य वर्ग भी वह ब्राह्मण वर्ग है, यदि किसी में दम है तो मन्दिरों में बैठे ब्राह्मण पुजारियों का आरक्षण खत्म करने की हिम्मत दिखाये|
वकील साहेब! गवई साहेब, जज हैँ और वो भी सुप्रीम कोर्ट के इस लिये ये वो सच्चाई लिख सके और किसि माई के लाल मेँ हिम्मत नहीँ है कि चूँ भी कर सके। यही बात इससे भी नर्म लहजे मेँ भागवत जी ने कही तो बीजेपी की लगभग 70 सीटोँ पर असर पड़ गया। यही बात बीजेपी के किसि नेता ने कह दी होती तो अभी सारी राजनैतिक पार्टियाँ उसके खून की प्यासी हो जाती और बीजेपी वाले सफाई देते घूम रहे होते, और उस बयान देने वाले की हालत तो नुपुर शर्मा से भी बदतर होती।
Bhai gavai sahab bhi Dalit hi hai isliye yah nirnay le sake augar koi forward judge kart to fatva nikal gaya hota
@@VanossGaming465 भाई मन तो कर रहा है कि अपने कमेंट को एडिट करके ये बात जोड़ दूँ। एक दम सही कहा आपने, किसि अगड़े जज ने भी कहा होता तो अभी उस पर महाअभियोग चलाने की माँग हो जाती। संभव है गवई साहेब पर भी सवाल उठेँ और उनके पिछड़ी जाति के होने पर संदेह व्यक्त करते हुये जाँच की माँग उठ जाये।
दुबे जी अपने आका को खुश करने के लिए गवई जी ने ऐसा जजमेंट लिखा है।
यह इतनी सी बात आगे आने के लिये 74 वर्ष लग गये जब समृद्ध परिवार वालोने लूट लिया देश के संसाधनो को और उनके ही जाति बांधवो को लाभ मिलने नहीं दिया!
आने वाले दिनों में जस्टिस गवई साहब को चीफ बनाया जायेगा।
Kaafi Saalo k baad Supreme court ne koi sensible baat karee hai
आरक्षण नहीं प्रतिनिधित्व चाहिए याने जिसकी जितनी जनसंख्या उतनी भागीदारी और सबसे महत्वपूर्ण सबके लिए शिक्षा फ्री व एक समान होना चाहिए ।
ब्राम्हण को सदियों से आरक्षण पीढ़ी दर पीढ़ी मिलते रहना चाहिए ।
राम नाथ कोविद ने भी यही बात कही लेकिन उस समाज के लाभार्थी वर्ग क्यों चाहेगे। दूसरा एक मेंटल कांग्रेस में है उसे ऐसे ही मुद्दे चाहिए सरकार पर सवाल करेंगे लाभार्थी की बात एससी एसटी वाले सुनते हैं सच नहीं सुनते। लागू करना कठिन है।
High caste ke garibon ke liye kya bola hai
और उसी रामनाथ कोविंद को तथाकथित सवर्णों ने मंदिर प्रवेश नहीं करने दिया ... ये मत भूलिए कि आक्षण कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है कि कुछ लोग लंबी व कड़ी संघर्ष के बदौलत आगे आने लगे है तो उनके साथ जातिगत भेद भाव और प्रतारणा खत्म हो गया .. और उन्हें आरक्षण के दायरे से बाहर कर देना चाहिए . . पहले ऑकड़े तो पेश करना चाहिए कितने प्रतिशत अनुसूचित जाति सवर्णों की तरह जीवन यापन करने लगे हैं और आज जब लगभग प्रत्येक क्षेत्रों में निजीकरण हो रहा है सरकारी क्षेत्र नामत्र बची उसमें इनकी (sc /st ) की कितनी भागीदारी है । प्रमोशन में रिजर्वेशन का लाभ अभी तक कितने लोगों को मिला दशकों से अभी तक माननीय उच्चतम न्यायालय कभी बात ही नहीं की । जमीनी हकीकत जाने बगैर ,बिना प्रमाणिक आँकड़े के इस तरह आनन-फानन में फैसला सूना देना संविधान सम्मत एवं न्यायसंगत बिल्कुल नहीं है । यह सिर्फ और सिर्फ अनुसूचित जति में मुखर हो रहे कुछ लोगों पर अंकुश लगाने तथा उन्हें अपने ही लोगो के बीच बंटवारा करने व उन्हें कमजोर करने वाला फैसला है । इसपर माननीय न्यायलय को पुनर्विचार कर निरस्त करने की आवश्कता है । तथा अनुसूचित जाति या जनजाति के प्रत्येक लोगों को विकास के मुख्य धारा मे लाने के लिए सरकारें अधिक से अधिक विद्यालय खोले, उन्हें स्वस्थ, आवास , रोजगार उचित प्रबंध हो ,उन्हें निजी क्षेत्रों में भागेदारी हो ऐसे कानून का पहल करे या पूर्व में जो कल्याणकारी योजनाएं चल रहीं है उसका ठिक से क्रियान्वयन हो ऐसे कानूनी प्रावधान की पहल माननीय सर्वोच्च न्यायालय को करना चाहिए न कि उन्हें तोड़ने का ।
भैया मुझे चतुर्वेदी बनना है केसे बनूंगा आप केसे बने थे 😠😠
@@Raosahab0704द्विवेदी जी थे वो वो पांच बेदी बनने गए वो चतुर्वेदी बन गए।
😂😂😂
जो नेता लोग करोड़ों के मालिक हैं क्या वे रिजर्व्ड सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे?
बिलकुल सही लिखा है माननीय जी ने।जिसको जरूरत है उसको कभी लाभ नहीं मिलता है।यही बात हम बहुत समय से मीडिया मे कह रहे है।जिसे एक बार लाभ मिल गया,उसका आरक्षण बंद किया जाना चाहिए....
Kitne sc st cm pm cji chief sachiv h jo unko bahar kroge reservations se btaiye jra
Sabse pahle tum clojium system se jo bante aa rha h wo band krwao or,,, ham sc agar mera resevtion band kroge to hme mandir ke kursi pr baithne do
@@Jaibhim93045aarakshan garibi k aadhar pr hona chahiye
जो SC ST समाज में सुखी संपन्न हो गये हैं उन्हें समाज के किस वर्ग में रखा जाएगा ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र?
क्या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एवं तृतीय श्रेणी कर्मचारी अपने एक भी बच्चे को दूध पब्लिक स्कूल में पढ़ा सकता है ? शायद नहीं तो फिर न्याय संगत कहां है पहले समान शिक्षा भी विचार होना चाहिए तथा और जातियों की भी समीक्षा होनी चाहिए जो सदियों से काबिज हैं सिर्फ जाति के नाम पर। धन्यवाद
अनुसूचित जाति जनजाति के गरीब व मध्यम वर्ग महंगी शिक्षा के कारण उच्च पदों को प्राप्त नहीं कर पायेंगे और इन वर्गों पर क्रीमी लेयर लागू कर इन वर्गों के जो कुछ सक्षम लोग हैं वे आरक्षण की परिधि से बाहर हो जायेंगे तो फिर न्याय कहां मिला यह तो इन वर्गों के बृहद हितों का दमन है
एक बार आरक्षण मिलने वाले परिवार को आरक्षण से बाहर निकाल दिया जाए। क्योंकि ये लोग दूसरे आरक्षित श्रेणी के लोगों का हिस्सा खा जाते हैं।
बीजेपी to पूरे देश ke muslim समुदाय को ही अपनी election list se हटा चुकी hai kyonki inka koi resevation nahi hota . कल ko resevation hatne par SC/ST ko bhi इसी हिसाब se hatne ko tayear rahna hoga. कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिला बडा सीधा सा जवाब होगा.
Resevation ke naye kanoon ko sabse pahle पार्लियामेंट/विधानसभा के चुनाव पर लागू करना चाहिए . Baki ki janta par bad में.
माननीय दूबे सर प्रणाम।
इसके लिए हर नागरिक का और विजिटर का हिस्ट्री कार्ड बनना अति आवश्यक है। विकसित देश कि तरह।
इसमे पुरा हिस्ट्री को हर लाभ के साथ लींक करना चाहिए। एआइ का फायदा त्वरित उठाए।
संसद, मे और विधानसभा में, एक बार चुन के आने के बाद दुबारा उसके जनरेशन के किसी भी व्यक्ति को इलेक्शन के लिए खडे रहने की अनुमती नही चाहिये. ताकि दुसरो को भी संसद और विधानसभा मे जाने का अवसर मिलेगा. यह सही इक्वलिटी होगी.
नमस्ते सर
मैं पहली बार आपके चैनल पर आया हु ।
आपके तर्क से बिलकुल सहमत हु। में खुद शेड्यूल कास्ट से आता हु मेरे परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी में नही है ।पिताजी मजदूर है । रिमोट एरिया से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हु । परंतु हमारे ही समाज से इसे लोग है जिनके माता पिता आईएएस आईपीएस स्टेट सर्विसेज में है वो लोग पैसे के बल पर महंगी कोचिंग करके सर्विसेज में आ रहे है और मेरे जैसे लोग सिर्फ घर पे ही गरीबी से लड़ते हुए तैयारी कर रहे हैं अभी तक स्तिथि सुधारी ही नहीं हमारी ।।
कोर्ट का सराहनीय फैसला है जल्द इसे लागू करना चाहिए ।।
Bhai apna mobile number do
आप sc मे किस जाति में आते हैं क्योंकि अगर आप गरीब हैं लेकिन जाति में बड़े हैं तो आरक्षण से बाहर होंगे
किसी भी जज ने यह बात नहीं लिखी कि आरक्षण कोटे से बाहर जाने वाले की जाति , ब्राह्मण-क्षत्रिय- वैश्य में से क्या मानी जायेगी ? जब तक इस समस्या का समाधान नहीं होगा तब तक सामाजिक असमानता विद्यमान रहेगी ।
आरक्षण 50% से ऊपर नहीं होना चाहिए।
क्यू भाई मेहन्त ओर टेलेन्ट के आदार पर होना चाहिए आज हर जादी में करीब लोग हैं क्या जाती अची हो पर परिवार दो वक्त की रोटी भी नहीं खाता हो इस सोच से बाहर आना चाहिए अम्बेडकर
50 ,,,%bhi kyu ?
Reservesation should be 100%
@@vinodmanda2952kyu be jati hatoo pehle sala munawaad
Fir e.w.s.kya hai ye bakwas kar raha hai
Koti koti naman sir Ji
जस्टिस गंवई स्वयं कितनी बार आरक्षण का फायदा उठाया है , उसकी पड़ताल करने की आवश्यकता है
बोहोत महत्वपूर्ण जानकारी दि हैं नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि
Honourable Justice BR Gawai should be congratulated for his judgement. Thank you sir.
Why not justice bela trivedi should be appreciated for not in favor of sub- classification....
@@Aesthetic_fighter appreciate karo... lekin judgement me 6 judges ki overwhelming majority se subclassificaton ko support kiya... matlab almost all the judges...aur yahi sahi h...yahi democracy h...yahi justice h
Why justice Gavai agreed to become High court and supreme court judge when his father has been member lok sabha, rajya sabha and governor of many states. His economic condition has very much improved.
यह निर्णय से गवई का मुख्य न्यायाधीश बल ना तय है
सर जाती का नेरेटीव तोड़ना है तो सरकार को सरनेम के पिछे गोत्र लिखने का कानून बनाना चाहीये क्यों कि राम राज्य कि स्थापना के लिए अपनी भारतीय ऋषी परंपरा पर अभिमान होगा
सरकारी रेकार्ड से जातीयां हटा देना चाही ये।
❤❤ good thoughts ❤
एक बार आरक्षण लेने वालों को दुबारा आरक्षण नहीं देना चाहिए कहने वालो सदियोंसे जो पुजारी बनने का आरक्षण ले रहे हो छोड दो। और दुसरी जातियोंको पुजारी बना दो।
पुजारी गवर्मेंट जॉब नहीं है।
अब समय आ गया है कि भारत हर भारतीय को narrative बनाना चाहिए कि ' में हिन्दू हूँ ' । यही parliament में भी होना चाहिए ।
Right
Par hindu kya hai
@@mrperfect2733 hindu EK chutiyapa
Sindhu hota hai bhaiyo, hindu ek gali ke taur pe bigada Gaya tha, Hindu matlab kala and chor, research kariye please
Uncle issue kya hai aur baat kya kr rahe hai ye watsp nhi hai yaha aapke baat ka log jawab dete hai😂
Mr देश के सभी मंदिरों में , जो सदियों से आरक्षण ब्राह्मणों को मिला हुआ है उसके खिलाफ कब बोलोगे ,
सुप्रीम कोर्ट कुछ ही घरों को या परिवारों को या जातियों को जो आरक्षण मिला हुआ है उसके खिलाफ कब बोलोगे
उम्मीद है आपकी आत्मा आपको इन विषयों पे बोलने के लिए भी कहेगी
स्वर्णों में भी गरीब स्वर्ण हैं उनकी भी कैटेगरी सुप्रीम कोर्ट ओर सरकार को बनानी चाहिए
सारे जस्टिस का फैसला गलत होता है का कलंक मिटा दिया है ईस आरक्षण वाला फैसला देने वाले चार जज ने ।।
This is a fantastic judgment. I loved justice Mittal's judgment. I strongly believe that one Family must get one once only.
किसी व्यक्ति को एसटी का लाभ मिल चुका है वह परिवार सम्बध् हो चुका है गाड़ी बगला आदि प्राप्त कर चुका है उसके परिवार अर्थात बच्चो को पुनः एसटी कोटे का लाभ दिया जाता है यह व्यवस्था बंद होना चाहिए
Advocate sahab our judg sahab ye klimiliyar mandir men our supreme court mein our jitni jameen hai our jitne sarkari sansthan hai sab per lagoo hona chahiye samanya cast men her ghar men pure Doctor /Engineer Advocate teacher police/military En sabhi mein klimiliyar lagoo hona chahiye
गवई साहब को साधुवाद भाई जिसमें एक बार आरक्षण ले लिया उसकी स्थिति तो सुधर गई दूसरों को भी मिलना चाहिए इसलिएएक बार ही मिलना चाहिए
Reservation nokri aur sikhya mai milta hai aur har reseve category ku milta hai jo padhai karta hai onku milta.ta kya jo nahi padhaya karte hai onku reservation mil jayega.are ea reservation wale ku rokne ki kosis hai.supose reserve categary ki beta padhay nahi karega ta onku kaise reservation milega.
Creamy layer लागु है तो आरक्षण 50% से अधिक नही होना चाहिए, बाकि बचे sc,st,bcको कैसे मिलेगा,यह सच्चाई है आरक्षण का लाभ पिढी दर पिढी लिया जा रहा समर्थ लोगों द्वारा,
आने वाले दिनों में यह जजमेंट मोदीजी का काम बड़ा आसान कर देगा।
OBC में भी ऐसी जातियों को जो समृद्ध हो चुके हैं उनको भी OBC कैटेगरी से बाहर करना चाहिये तभी इस कैटेगरी के दूसरे कमजोर लोगों को उपर आने का मौका मिलेगा ।
गवई ने अपने पद को बचाने के लालच मे इस फैसले का समर्थन किया है
फिर तो जातिय गणना होना चाहिए ।
Esame beiman. Dhoort nahi karvate hai
Advocate sahab our judg sahab SC/St. BC. Samanya cast En sabhi ko milakar klimiliyar lagoo hona chahiye.
गरीब सवर्ण से जो भी stsc और ओबीसी ऊपर आ चुका है उसको आरक्षण छोड़ देना चाहिए क्यो की अब सामान्य बर्ग में आ चुका है
Chhod nahin dena chahiye balki usse le liya Jana chahiye. Apne aap 'chahiye' ke arth mein koi karya nahin karta ab itni jagi huyi aatma kisi ki nahin
Ews ko le rahei ho
@@nitishkumarchaudhary5316economic hai tum bhi economic lelo bura lg Raha hai to
Bilkul sahi hai..sale peedi der peedi reservation ka fayda lete hain.aur Ameer hote chale ja rahe hain.aur baki log muh talte rahte Hain.
Bahut sahi judgement hai ye.
सससी एसटी से पहले 2016 में विकलांगों को मोदी ने bantkarआज पैरों से विकलांगों को बेरोजगार बना दिया है मोदी ने इतना बड़ा अन्याय किया है लेकिन किसी ने आवाज नहीं उठाई आज सब भगतत रहे हैं मोदी की आत्मा को कभी शांति नहीं मिलेगी यह मेरी दुआ है विकलांगों के बाद दुआ उनको लगेगी
राजकारणात में कितने मंत्री sc,st के है.कितने जज कोर्ट में sc,st के है.
व्हा अलग टाईप का आरक्षण है. जैसे काँग्रेस मे अध्यक्षपद एवं प्रधानमंत्री गांधी परिवार हेतु आरक्षित है.
ऐसा कोई कानून अगर सुप्रीम कोर्ट स्वयं बना सकता है तो ठीक है अन्यथा जब आज वर्तमान मोदी सरकार ही आरक्षण के मुद्दे पर नतमस्तक है तो फिर और किसी अन्य दलों में ऐसी ताकत हिम्मत और इच्छाशक्ति की उम्मीद वैसे ही नहीं है क्योंकि ये आज की राजनीति के वोटबैंक को बहुत सुहाता है तो पंगा लेगा कौन ?
Bjp को अवसर देखकर आरक्षण के लाभार्थी sc st और जिसको लाभ नही मिल रहा है वो sc st दोनों के बीच मे बहस छिडवाकर विपक्ष की sc st की पॉलिटिक्स को विभाजित करके एक बड़ा वोटबैंक अपनी तरफ खीचना चाहिए ।
Esa nahi hai bhai obc orr scst bjp ko support karte hai tabhi toh pura muslim vote ek taraf hone ke bawjud bjp satta mai hai...mai khud hu orr muje pata hai ye india gatbandhan ki party dalito per kitna anyyaye karti hai tustikaran ke chalte delhi mai sakshi ko mara sab chup the esi saikdo ghatnaye hai
करेक्ट
हॉनरेबल जस्टिस गवाई का फैसला ऐतिहासिक फैसला है।
बहुत गलत है क्या यह बदलाव ews में होना चाहिए यह बहुत शर्मनाक है यह फैसला मोदी सरकार के ताबूत की कील साबित होगी यह फैसला इनके बर्बादी का कारण बनेगा
@@ARVINDKUMAR-hj9hg 1. इसमे मोदी या सरकार का क्या निर्णय है.
2. इससे आरक्षण कम नही होगा, केवल जिन्हे नही मिला, ऊन्हे मिलेगा.
3. आप जरूर आरक्षण से मालदार बने होते अगर अगली पिढीयों के लिए व्यवस्था जारी रखना चाहोगे.
Jahilo lose motion hone par bhi modi hi dosi hai
बाबा साहेब ने समाज के वंचित वर्ग के लिए आरक्षण दिया था ना कि सम्पन आईएएस या नेता के औलाद के लिए
आरक्षण पर सही फैसला सही आया ,गवयी को साधुवाद, जस्टिस बेला त्रिवेदी की समझ ?
सर बाबासाहेब आंबेडकर के सामने कोई भी नही है भगवान को भी न्याय देने वाले डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर है
गवई साब ने रिजर्वेशन पॉलिसी मे रिवीव करने के लिए एक कदम बढ़ाया, जो रिजर्वेशन समाज के लोअर तबके के बारे मे बात करता है, अब बारी समाज /भारत मे जो मंदिरो मे अघोषित रिजर्वेशन लगा हुआ है इसपे भी सवाल उठना चाहिए, किसी कम्युनिटी के संस्था मे जो 50% रिजर्वेशन उस कम्युनिटी के लोगो के लिए है वो भी ख़तम होना चाहिए |
जस्टिस गवई हजार बार भी जन्म लें तौभी डाक्टर अंबेडकर के बराबर नहीं हो सकते।
बहुत बढिया बात कही आपने 👌🏽👌🏽👌🏽
बिल्कुल सही
आरक्षण मतलब प्रतिनिधित्व कोई गरीब निर्मला कार्यक्रम नहीं है जब तक जात रहेगी तब तक प्रतिनिधित्व रहेगा आरक्षण रहेगा और रहना चाहिए
मेरे को लगता है आरक्षण इकोनॉमी का बेस पर होना चाहिए ।
Aur jatibhed bhaw ka sikar sc st OBC ho na
बिल्कुल सही
This judgment will surely uplift the SC/ST category. I salute all the judges from the core of the heart.
Koi agar reservation hata sakta hai to supreme court in future... no gov can do this...
आज जिस प्रकार से शिक्षा को महंगा कर दिया गया है क्या उसे संस्थान में गरीब दलित आदिवासी जा सकते हैं, यह सोची समझी साजिशहै, आज देश में दलित और आदिवासियों की सामाजिक स्थिति आज भीखराब है। वह कितना भी बड़ा अधिकारी बनजाए
आरक्षण गरिबी हटाव का हत्यार नही हें।सुप्रीम कोर्टने संविधान बद्दलनेकीं सुरुवात की हें। खुद्द जज इन लीगल हें।कॉलॉजियम से।
Supreme court se jise fashi ki Saja mili thi wah sahmat tha nhi fir Bhi fashi per latkaya gaya supreme Faisla nyay sangat tha hain or rahega
#स्वच्छ भारत मिशन कामयाब हो रहा है जय हो साधु जी सीताराम राष्ट्र सर्वोपरि विश्लेषण 🙏🌷🌷🙏 #शुभकामनाएं 🙏🌞🙏
Bhaiji ram ram bahut achcha fesla h samaj me bahut fark padega dusra mathura par fesle ki badhai Jai shree ram
सतमेय।जयते
This is the best judgement in independent Bharat in relation to reservation
माननीय न्यायालय के पास कोई भी अधीकृत आंकड़े नहीं थ फिर किस आधार पर फैसला किया गया , पड़ताल की जरूरत है
यह कैवल फैसला है, न्याय नही....!
Faisla nhi bhai school court ko adikar nhi atikramn kr rhe