Namaste Narasimhay

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  • Опубликовано: 7 фев 2025
  • Namaste Narasimhay ,
    नरसिंह चतुर्दशी के चार सरल व्रत
    श्री नरसिंहदेव वैशाख मास के शुक्ल पक्ष कि चतुर्दशी तिथि ( इस साल 6 मई, 2020) को अवतरित हुए ।
    नरसिंह देव का एक नाम है 'भक्त वत्सल' - अर्थात भक्तों पर कृपा दिखाने के लिए सदा आतुर । नरसिंह चतुर्दशी के पवन अवसर पर हम सरल व्रतों और नियमों का पालन करके भगवान् नरसिंह देव की परम कृपा का आह्वाहन कर सकते हैं ।
    नरसिंह चतुर्दशी व्रत का महत्व :
    पद्म पुराण में उल्लेखित है -
    वैशाखस्य चतुर्दश्यां शुक्लयं श्री नृ केसरी ।
    जातस तद् अस्यां तत्पुजोत्सवं कुर्वीत साव्रतं ॥
    इस पावन तिथि पर व्रत के नियमों का पालन करके नरसिहं देव की पूजा करना एवं उत्सव मनाना उपयुक्त है ।
    नरसिंह चतुर्दशी व्रत पालन
    1. नरसिंह चतुर्दशी के दिन एकादशी के समान ही व्रत रखा जाता है । व्रत सूर्यास्त तक रखने के बाद नियमित प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं ।
    2. भगवान् नरसिंह देव कि स्तुति में निम्नलिखित प्रार्थनाएँ अर्पण करना अत्यंत मंगलकारी होता है । भक्त को प्रतिदिन इन प्रार्थनाओं का पाठ करने का प्रण लेना चाहिए
    श्री नरसिंह प्रणाम
    नमस्ते नरसिंहाय प्रहलादाह्लाद दायिने ।
    हिरण्यकशिपोर वक्षः शीला टंक नखालये ॥
    इतो नरसिंहः परतो नृसिंहो यतो यतो यामि ततो नृसिंहः ।
    बहिर नृसिंहो हृदये नृसिंहो नृसिंहम् आदिम शरणम प्रपद्ये ॥
    मैं श्री नृसिंह भगवान् को प्रणाम करता हूँ जो प्रह्लाद महाराज को आनन्द प्रदान करते हैं तथा जिनके नाखून दैत्य हिरण्यकशिपु के पत्थर जैसे वक्षस्थल पर छेनी के समान वार करते हैं।
    नृसिंह भगवान् यहाँ विद्यमान हैं और वहाँ भी हैं। मैं जहाँ कहीं भी जाता हूँ वहीं नृसिंह भगवान् विद्यमान हैं। वे हृदय के भीतर हैं और बाहर भी हैं। मैं उन नृसिंह भगवान् के आगे शरणागत होता हूँ जो समस्त तत्त्वों के स्रोत तथा परम आश्रय हैं।
    श्री नरसिंह प्रार्थना
    तव कर कमल वरे नखम अद्भुत श्रृंगम
    दलित हिरण्यकशिपु तनु भृंगम ।
    केशव धृता नरहरि रूप जय जगदीश हरे,
    जय जगदीश हरे, जय जगदीश हरे ॥
    हे केशव! हे जगत्पते! हे हरि! आपने नर-सिंह का रूप धारण किया है। आपकी जय हो। जिस प्रकार कोई अपने नाखूनों से भृंग (ततैया) को आसानी से कुचल सकता है उसी प्रकार आपने ततैया समान दैत्य हिरण्यकशिपु का शरीर आपके सुन्दर करकमलों के नुकीले नाखूनों से चीर डाला है।
    3. 108 बार नरसिंह महामंत्र का जाप करना चाहिए । यह विघ्नविनाशक मन्त्र है, जिसके श्रद्धापूर्वक जप से भक्त संकटकाल में भगवान् नरसिंह देव कि कृपा का आह्वाहन करते हैं ।
    श्री नरसिंह महामंत्र
    ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखं ।
    नरसिम्हम भीषणं भद्रं मृत्योऱ मृत्युं नमाम्यहम् ॥
    भयानक, वीर, अग्नि के समान सभी दिशाओं में जलने वाले, प्रकोपवान, सर्वमंगलकारी नरसिंह देव को मैं प्रणाम करता हूँ जो स्वयं मृत्यु के भी मृत्यु हैं ।
    4. 108 बार हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना चाहिए । और इस महा मन्त्र का नियमित जप करने का व्रत लेना चाहिए ।
    हरे कृष्ण महामंत्र
    हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
    हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ॥
    🙏🏽
    courtesy RG media

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