@@shishutiwari3263 हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है. आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है. अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए. आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है। ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है? E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं? आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है?? आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा?? "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए। "जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
50 लाख देने से अच्छा है कि उस 50 लाख की एफडी कर दो और 14 साल के लिए जेल चले जाओ जब वापस आओगे आपके खाते में लगभग डेढ़ करोड़ रूपया होगा उसी के ब्याज से अपना जीवन गुजार लो।
सबसे सार्थक कदम,मै क्यू तुम्हे मरने दु,जान से,,,पुरुष को सरकार,न्यायालय दोनो मिलके मरने का अधिकार,कुलच्छन प्रतिभा की धानी,लड़की और उश्के ,माता को, साला सादी ही, बैन करवादो, नहीं करेगा,नाहि मरजायेगा!, 98%युवा ईश्मे बर्बाद हो रहे है,और उश्के परिवार,,#शरम् करो#
अबला नारी को 50 लाख से कैसे काम चलेगा? आशिकों को पालने में भी तो खर्चा लगेगा। अबला नारी को 50000000 पांच करोड़ माँगना चाहिए। अधेड़ माँ बाप को भी जीवन में ऐय्याशी की जरूरत है।
@@PushpaKumari-vl2it ab gheraav kro judiciary ka, judiciary k ghr ka, unke pariwar ka, tb hi inko samjh aayega, kitne patiyo ko jail me dalenge, kishan andolan ki tarz pr taake dheele kr do ek tarfa faisle k,
श्री मान इस कानून में संशोधन करने का विचार करें सरकार,,वरना आने वाले समय में सब लडक़े शादी करना हि बंद कर देंगे,, क्यों कि अब लड़कियों ने शादी को व्यापर बना लिया है
@@ShilpiBhola-r5vक्या सभी लड़की के साथ गलत होता है। आदमी पसंद नही तलाक दे भीख क्यों मांग रही। आदमी औरत बराबर होते है न खुद कमाए । भीख में कोई भिखारी औरत को 50 लाख थोड़ी देगा। भीख मांगने के लिए शादी krti है ऐसी बदचलन औरत लोग।
@@ShilpiBhola-r5v सब महिलाओं के साथ गलत नही होता है जिन्हे अपनी मनमानी करनी होती है ,और जो लड़कियां मायके से मजबूत होती हैं ,वो ही ये सब ज्यादा करती हैं। बादबाकी जो लड़कियां मायके से कमजोर होती हैं वे सब अपना घर ले चलती हैं। हां कुछ ऐसी लड़कियां हैं जिनके साथ वास्तव में अत्याचार होता है।लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है।ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है।
Sabhi ne apni sister ko aise sanskar nhi diye hote ki ladke ko loot lo shadi ke bad. Ashe ghar ki ladkia adjust krti hai hmesha. Gande khandaan ki ladki hi paise mangti hai. Agar ladka nhi sahi to divorce lelo muh fad ke paise kis baat ke?
शादी करने का मतलब घर बसाना होता है। लड़के का तो घर उजड़ गया पैसे भी जा रहे हैं। ये कैसा कानून है। बहुत से पति इस हरासमेंट से आत्महत्या कर रहे हैं। पत्नी या तो साथ रहे या तो पैसे नहीं मिलने चाहिए।🙏🙏
@@Pragya-f8w कोई सबूत है उसके पास दहेज देने का जो 5 रुपए भी नहीं देती है वह 25 लाख मांगती हैं दहेज से एल्युमनी से कोई मतलब नहीं है जो लड़के एक रुपया भी नहीं लेते उन्हें भी तलाक का टाइम लड़की को हराम पैसा देना पड़ता है
@@Pragya-f8w दहेज देकर शादी करने में शर्म क्यू नहीं आती है ? बिना दहेज की शादी नहीं होती है तो नहीं करो। काम करने के लिए हाथ पर है ना। अच्छा धंधा है शादी करो पति के पैसे से माँ बाप और आशिकों के साथ ऐश करो।
@@mlprajapat1416 हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है. आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है. अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए. आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है। ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है? E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं? आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है?? आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा?? "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए। "जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
@@mlprajapat1416 हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है. आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है. अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए. आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है। ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है? E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं? आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है?? आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा?? "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए। "जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
लड़की भी झूठ बोली की पौने दो लाख किराया आता है, फिर लड़की दोषी क्यू नही, वाह जज साहब, एकतरफा फैसला, इतना घमंड ठीक नही, अरे जज साहब ईश्वर से डरो, बुढ़ापा आ चुका है आपका ,कही बेड रेस्ट में ना चले जाओ
बहुएं चाहे कोठे खोले या धंधा करे वकील समाज पुलिस फिर भी उनके साथ खड़ी मिलेंगी , बहुएं सास ससुर को चाहे रोटी ना दे ना दे दवाई फिर भी कानून बहुओं के साथ , अरे मुसलमान धर्म ही सही ह जो राजनीति नही करता ।
@@arunenduranjan7794 हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है. आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है. अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए. आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है। ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है? E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं? आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है?? आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा?? "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए। "जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
@@Rahulsingh-me4jt how much maintenance if husband gross earnings around 2lac , wife lives for 40 days then living strangely from last 5 years. No child ,. Any suggestions
एसी महिलाएं ससुराल में लक्षमी नहीं दरीद्रता आती है रिश्ते करते बखत लड़की🙆 का खानदान देख लो पति👨 नहीं चाहिए संपत्ति चाहिए इस पति को पत्नी👰 के साथ जो राते बिताई होगी बो हद से ज्यादा मंहगी पड़ गई साथियों🙏
दहेज़ लेना महापाप है लेकिन खुद भूखा नंगा परिवार होकर अमीर लड़के से शादी करके तलाक मांगना, उसके बाद 50 लाख रुपए गुजरा भत्ता मांगना क्या पाप नहीं है..?? जबकि लड़की खुद बेरोजगार है..
शादी कर पति को छोड़ हर महीने मेंटेनेंस लूटो, पति को जेल भेजो करोड़ों रुपये alimony लूटो I फर्जी मुकदमे की आड़ में पुराने यार संग adultry में रहने की आजादी I पति के बचाव के कानूनी रास्ते बन्द I
Uske bad wo bf se sadi ...ai kanoon kya sirf aurto ka hai ..en galat kanoon ke wajah se kitne admi suicide kar rhe hai...Maine abhi 4 case dekhe known me sabka yhi hal hai
Jaj sahab ko ai samjhna chahiye ki Aaj kal ki ladki koi phle ki tarah nhi hai pati saman izzat...sidhe kehti hai izzat my foot....plz inme dhyan digiye
कानून में संशोधन होना चाहिए ताकि महिलाओं के गलत इल्जाम की पहले जांच हो फिर किसी को दोषी करार दिया जाए आज कल महिलाएं कानून का फायदा उठाकर निर्दोष से पैसे लूटने की शाजिश रच रही हे
ऐसी स्थिति में माँ बाप को चाहिए की सबसे पहले बेटे को पूरी जायदाद से बेदख़ल कर दे और घर से निकल दे तभी इन जैसी छिनारों से निपटा जा सकता है । ख़ुद तो किसी लायक हैं नहीं पति इनका सारा खर्चा उठाये यही चाहती है
@@ठाकुरशिवम्सिंह-ह2व हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है. आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है. अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए. आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है। ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है? E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं? आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है?? आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा?? "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए। "जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
Kanoon Sab sahi hai per Jo Baithe Hain Kanoon ke rakhvale vah andhe Hain Jo Shuru Mein report lag Jaati Hai Usi ke Aadhar per case chalta hai bechare ladke Pareshan Hote
बेटी🙎 पढाओ बेटी🙎 बचाओ साली कमाई तो पति की ही खाएगी ए है भारत🇮🇳 सरकार की लाडली बेटीयाँ जो पति👨 का घर🏡 परिवार लुट कर भुखे माँ बाप का पुरा कर रही है इसलिए लड़के आब शादी नहीं कर रहे हैं❌ भारत🇮🇳 का कानून पुरुष पे भारी है। इस लिए हालात को देखते हुए भारत🇮🇳 सरकार कानून बदले जो पुरुष के👉 हक में भी हो जय🇮🇳 भारत जय🇮🇳 हिन्द🇮🇳 🙏🙏
बहुत गलत कानुन है हमारे देश में एक आदमी कों अपनी पुरी कमाई देनी पड़ती है एसे ही तों लड़कीयों कुछ भी करें उनके लिए कोई कानून नहीं है यें कांनुन आदमी के लिए हीं बनें हैं बहुत ग़लत है
@@ASHOKKUMAR-bi2nj Our Ladke Ke Puri Family Walo Ka Adhikar Hona Chahiye Ki O Kisi Ki Beti Lakar Kamwali Bna De Our Usko Saririk Our Mansik Rup Se Prtadit Kre Kyon ? Kadki Apni Izzat Daw Pe Lga Deti Hai Uska Kya ?
झूठे मेंटेनेंस केस में पति को जेल भेजना कानूनी व्यापार है I पत्नी को झूठे दहेज केस करने पर सजा नहीं I धारा 497 हटने से पत्नी की सेक्स adultry और वेश्यावृत्ति अपराध नही है, पत्नी कों सजा नहीं है I
जो औरत पैसै के लालच में अपने पति कि नही हुई तो किसी और की केसै हो जाएगी।जज साहब आप किसी को धमका नही सकते ये कानून के खिलाफ है ।मां-बाप की प्रोपर्टीज में किसी का कानून हक नही बनता ।वो जिस मर्जी को दे,सास ससुर कि सेवा नही करनी बस 5000000 लाख चाहिए। जय हिंद जय भारत
ऐ औरत, तुमने अपने माता पिता की संपति के बारे में क्यु नहीं बता रही हो? बेटी का अधिकार भी तो है, माता पिता की संपति में। अय्याशी करने के लिए इसे पैसे चाहिए। अच्छा धंधा करती हो तुम जैसी औरतें। शादी करो। परिवार को इतना तकलीफ दो कि पति तलाक़ के लिए कोर्ट जाए। जहाँ जम कर पैसे की उगाही करो।
जब लड़की पढ़ी लिखी है तो कुछ तो कर सकती है क्यों लड़के की प्रॉपर्टी में हिस्सा लड़की के भी तो प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलना चाहिए उसकी मायके के भी प्रॉपर्टी में दामाद को हिस्सा मिलना चाहिए
Shame on the #indianjudiciary system. A girl not want to continue the marriage, but this dirty minded so called judges are interested in boys money and his property. Shame on the court.
जज साहब ये क्या ट्रायल है 50 लाख देने के लिए शादी किया था। धारा 09 लगाया, बता रहा है आपको विवेकाधिकार है। 50 लाख में तो औरत का जीवन मजा मजा से कट जायेगा। क्या कानून है, क्या जज हैं
मत रख भाई वो तुझे नहीं तेरी संपत्ति से प्यार है। मैडम की औकात 10हजार कमाने की नहीं और मांग रही है 50लाख पैसा कमाने में आदमी की कमर टूट जाती है। और ये साहब लोग ऑडर पे ऑडर लिखा रहे है। कानून में बदलाव की जरूरत है
पति पसंद नहीं pr पति का पैसा पसंद है
😂😂😂😅😅
तुमको मालूम hai क्या kuch to दीदी पे गुजरी hogi
Dekho inko pata kya gujri h
Paisa lekar dusre ke sath settle ho jayegi..fasta to pati hai na..pariyar se bhi gaya aur paisa se bhi..
पुरुषों के लिए न्याय की मांग करता हूं , प्रताड़ित पुरुषों के लिए पुरुष आयोग बने ,,,,,
Bilkul sahi
Immediately बनना चाहिए ..
और जब पुरुष और उसका परिवार पत्नी और बहु को तंग करता है ,मरता पीटता है तब उसका क्या??
Supreme Court mein pil dal do
@@shishutiwari3263 हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है.
आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है.
अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए.
आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है।
ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है?
E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं?
आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है??
आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा??
"मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए।
"जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
जब खुद रहना नहीं चाहती तो फिर पैसा क्यों। वह आदमी पसंद नहीं है लेकिन उसका धन दौलत पसंद है। इस मामले में भारत का कानून बेकार है😢😢
Yesa patni ko keya korna sabse atcha hota hai batao
लड़कियों का नया बिजनेस शादी करो और दो महीना के बाद दहेज प्रथा केश करो जज तो है ही मोटी रकम दिलवाने के लिए फिर अपने आशिक के साथ ऐश करो तगड़ा धंधा है
Nai baat to sahi hai
Right 👍
50 लाख देने से अच्छा है कि उस 50 लाख की एफडी कर दो और 14 साल के लिए जेल चले जाओ जब वापस आओगे आपके खाते में लगभग डेढ़ करोड़ रूपया होगा उसी के ब्याज से अपना जीवन गुजार लो।
Jel nhi hoto ab
आदमी रखने को बोल रहा है पर उस पर सुनवाई नहीं हो रही ,
सुनवाई केवल पैसे की इनकम पर हो रही है वाह मेरे देश के कानून 😊
इसलिए न्याय पालिका पर भरोसा नहीं है
@@hemantkumarjangid5564 दो दो न्यायकर्ता बैठे हैँ पर कान पर जू तक ना रेंगी... बहुत ही पक्षपात पूर्ण है
50 lakh dene se achha hai ki 2-3 lakh ki supari qo na de di jaye
Satya vachan
सबसे सार्थक कदम,मै क्यू तुम्हे मरने दु,जान से,,,पुरुष को सरकार,न्यायालय दोनो मिलके मरने का अधिकार,कुलच्छन प्रतिभा की धानी,लड़की और उश्के ,माता को, साला सादी ही, बैन करवादो, नहीं करेगा,नाहि मरजायेगा!, 98%युवा ईश्मे बर्बाद हो रहे है,और उश्के परिवार,,#शरम् करो#
Sahi😂😂😂😂😂
भाई लोग ये कमाई का जरिया बन गया है ...बाप दादा ने भी कभी 50लाख देखा क्या सुना भी नहीं होगा पर इनको चाहिए
😂😂😂😂😂😂😂
अबला नारी को 50 लाख से कैसे काम चलेगा?
आशिकों को पालने में भी तो खर्चा लगेगा।
अबला नारी को 50000000 पांच करोड़ माँगना चाहिए।
अधेड़ माँ बाप को भी जीवन में ऐय्याशी की जरूरत है।
@@PushpaKumari-vl2it ab gheraav kro judiciary ka, judiciary k ghr ka, unke pariwar ka, tb hi inko samjh aayega, kitne patiyo ko jail me dalenge, kishan andolan ki tarz pr taake dheele kr do ek tarfa faisle k,
जब पति के दौलत में पत्नी हक होता है
तो पत्नी के मायके के दौलत में भी पति
का हक होना चाहिए समय उसका भी तो
बर्बाद की है इसलिए एक समान न्याय हो
@@Ashwanicomedyan उसके मायके में जाके काम करो बहा रहकर बच्चे पैदा करो अपना सब कुछ छोड़ के रहो जाके तब कानून बनेगा आपके लिए भाई
श्री मान इस कानून में संशोधन करने का विचार करें सरकार,,वरना आने वाले समय में सब लडक़े शादी करना हि बंद कर देंगे,, क्यों कि अब लड़कियों ने शादी को व्यापर बना लिया है
Aapki sister ke sath agar kuch galat ho tab bhi aap aisa bolo ge bhaiya ji
@@ShilpiBhola-r5vक्या सभी लड़की के साथ गलत होता है। आदमी पसंद नही तलाक दे भीख क्यों मांग रही। आदमी औरत बराबर होते है न खुद कमाए । भीख में कोई भिखारी औरत को 50 लाख थोड़ी देगा। भीख मांगने के लिए शादी krti है ऐसी बदचलन औरत लोग।
@@ShilpiBhola-r5v सब महिलाओं के साथ गलत नही होता है जिन्हे अपनी मनमानी करनी होती है ,और जो लड़कियां मायके से मजबूत होती हैं ,वो ही ये सब ज्यादा करती हैं। बादबाकी जो लड़कियां मायके से कमजोर होती हैं वे सब अपना घर ले चलती हैं। हां कुछ ऐसी लड़कियां हैं जिनके साथ वास्तव में अत्याचार होता है।लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है।ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है।
Sabhi ne apni sister ko aise sanskar nhi diye hote ki ladke ko loot lo shadi ke bad. Ashe ghar ki ladkia adjust krti hai hmesha. Gande khandaan ki ladki hi paise mangti hai. Agar ladka nhi sahi to divorce lelo muh fad ke paise kis baat ke?
Bhola-r5v ससुर की कमाई और मकान पर बहू का अधिकार नहीं होना चाहिए जब तलाक़ हो
एक तरफा न्याय, थू ऐसे कोर्ट पर
जब शादी के समय दहेज लेना अपराध है फिर तलाक के समय एलिमनी लेना कैसे सही हो सकता है।
Shi bat h bhai
100% right
Bilkul sahi bole aap
@@SurajPal-gp4sg dono galat hai
@@Sushmayaduvanshi44 दोनो गलत है तो फिर हम लड़के दहेज लेना बंद कर देंगे और औरते एलिमनी लेना बंद कर दे।
लडके के माँ बाप ने कितना दुख सहकर घर दुकान बनाया होगा अब सब को परेशान कर के 50 लाख चाहिये
जब से मै कोर्ट का live देख रही हूँ, तब से कुछ औरतों के राक्षसी रूप को देखकर लगता है, इन्हे सख़्त सजा मिलनी चाहिए।
शादी करने का मतलब घर बसाना होता है। लड़के का तो घर उजड़ गया पैसे भी जा रहे हैं। ये कैसा कानून है। बहुत से पति इस हरासमेंट से आत्महत्या कर रहे हैं।
पत्नी या तो साथ रहे या तो पैसे नहीं मिलने चाहिए।🙏🙏
❤
जैसे दहेज लेना गैर कानूनी है वैसे ही जो मुंह फाड़ती है लड़कियां 10 लाख 50 लाख यह भी गैर कानूनी नहीं होना चाहिए इसका बाप दे गया 50 लाख जो मांग रही है😢
Bilkul sahi bole
Jo itnA sampan hai bo jarur dahej liya hoga bo apna hi dahej diya hua maag rahi hai .kyuki bina dahej liye to saadi kiya hi nhi hoga bhai sahab ne
@@Pragya-f8w
कोई सबूत है उसके पास दहेज देने का जो 5 रुपए भी नहीं देती है वह 25 लाख मांगती हैं
दहेज से एल्युमनी से कोई मतलब नहीं है
जो लड़के एक रुपया भी नहीं लेते उन्हें भी तलाक का टाइम लड़की को हराम पैसा देना पड़ता है
@@Pragya-f8w दहेज देकर शादी करने में शर्म क्यू नहीं आती है ?
बिना दहेज की शादी नहीं होती है तो नहीं करो।
काम करने के लिए हाथ पर है ना।
अच्छा धंधा है शादी करो पति के पैसे से माँ बाप और आशिकों के साथ ऐश करो।
Better not to get married.aise hi chlega .. This is India...
रति शंकर शुक्ला की बात याद रखना
"हम भी पेले गए थे, तुम भी पेले जाओगे"
पुरुष मंडल - आवाज दो, हम एक है
कोर्ट हमेशा लड़की ke पक्ष में बोलता है आगर लड़का झूठ बोलता है उस pr criminal case laga देते our लड़की झूठ बोले तो कुछ नही
@@mlprajapat1416 हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है.
आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है.
अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए.
आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है।
ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है?
E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं?
आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है??
आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा??
"मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए।
"जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
@@mlprajapat1416 हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है.
आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है.
अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए.
आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है।
ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है?
E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं?
आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है??
आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा??
"मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए।
"जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
लड़की भी झूठ बोली की पौने दो लाख किराया आता है, फिर लड़की दोषी क्यू नही, वाह जज साहब, एकतरफा फैसला, इतना घमंड ठीक नही, अरे जज साहब ईश्वर से डरो, बुढ़ापा आ चुका है आपका ,कही बेड रेस्ट में ना चले जाओ
बहुएं चाहे कोठे खोले या धंधा करे वकील समाज पुलिस फिर भी उनके साथ खड़ी मिलेंगी , बहुएं सास ससुर को चाहे रोटी ना दे ना दे दवाई फिर भी कानून बहुओं के साथ , अरे मुसलमान धर्म ही सही ह जो राजनीति नही करता ।
तलाक ले रही है महिला और भरन पोषण देगा पति। हाय रे कानून। एक बार औरत यह नहीं बोला गया कि तलाक आप ले रही हो तो भरन पोषण पति क्यों देगा।
@@arunenduranjan7794 हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है.
आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है.
अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए.
आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है।
ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है?
E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं?
आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है??
आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा??
"मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए।
"जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
बेचारे लड़के की जिंदगी खराब हो गई ।
😢😢😢😢
Ladki ki bhi hui hai zindgi kharab
Kya kharab hue lalchi aurat rupey ki bhukhi@@ShilpiBhola-r5v
Khud kr ri wo apni zindgi kharab parde ke samne sb kuch dikh jata hai logo ko parde ke piche kya chal ra ye kbi nhi dekhenge@@ShilpiBhola-r5v
Kyu sirf ladke hi lalchi ho sakte hai kya @@shiv4961
1 लाख सुपारी का और 1 लाख पुलिस को
48 बच भी जाएगा, दूसरी शादी कर लो मस्ती करो😂😂😂
आज का नया business है एक बार में करोड़पति हो जाती है बिना कुछ किए और मांगने में शर्म भी नहीं आता 😢
can husband show wife also have parents land , house also . please reply
@remrem6681 yes why not
Government say women have equal property rights to parents property but it's depends on court how to judge
@@Rahulsingh-me4jt how much maintenance if husband gross earnings around 2lac , wife lives for 40 days then living strangely from last 5 years. No child ,. Any suggestions
@@remrem6681
Talk to lawyer he suggests better in your case
ये 1857 का कानून है तब महिला अबला थी आज पति तबला है जिको पुलिस समाज कोर्ट और बीवी सब बजाते
वाकई में इस कानून की समीक्षा होनी चाहिए
एसी महिलाएं ससुराल में लक्षमी नहीं
दरीद्रता आती है रिश्ते करते बखत
लड़की🙆 का खानदान देख लो पति👨
नहीं चाहिए संपत्ति चाहिए इस पति को
पत्नी👰 के साथ जो राते बिताई होगी
बो हद से ज्यादा मंहगी पड़ गई साथियों🙏
दहेज़ लेना महापाप है लेकिन खुद भूखा नंगा परिवार होकर अमीर लड़के से शादी करके तलाक मांगना, उसके बाद 50 लाख रुपए गुजरा भत्ता मांगना क्या पाप नहीं है..??
जबकि लड़की खुद बेरोजगार है..
शादी कर पति को छोड़ हर महीने मेंटेनेंस लूटो, पति को जेल भेजो करोड़ों रुपये alimony लूटो I फर्जी मुकदमे की आड़ में पुराने यार संग adultry में रहने की आजादी I पति के बचाव के कानूनी रास्ते बन्द I
Uske bad wo bf se sadi ...ai kanoon kya sirf aurto ka hai ..en galat kanoon ke wajah se kitne admi suicide kar rhe hai...Maine abhi 4 case dekhe known me sabka yhi hal hai
Jaj sahab ko ai samjhna chahiye ki Aaj kal ki ladki koi phle ki tarah nhi hai pati saman izzat...sidhe kehti hai izzat my foot....plz inme dhyan digiye
इसीलिए कहते है सारी बाते पत्नी को नही बताई जाती
Koi moorkhon ko samjhaye bhi.
इतनी संपत्तिदेख कर
पहले दहेज देकर शादी करते हैं फिर डिवोस लेकर 10 गुना से लेकर 50 गुना तक वसूली करते हैं
कितना बढ़ियाआइडिया है
Good business idea
सभी जज अपनी मनमानी इसलिए करते है
इनका भी हिस्सा होता है
अलोमनी ओर खर्चे पति को मिलना चाहिए, पत्नी से फिर देखना पत्नी कभी तालक की माँग नहीं करेगी
एक तरफा मामला कर दिया कोर्ट ने।
कानून में संशोधन होना चाहिए ताकि महिलाओं के गलत इल्जाम की पहले जांच हो फिर किसी को दोषी करार दिया जाए आज कल महिलाएं कानून का फायदा उठाकर निर्दोष से पैसे लूटने की शाजिश रच रही हे
कौन करेगा... पुलिस? कभी fmly court में जा के देखो पति की कोई सुनवाई नहीं है मुझे मेरी बीवी के कहने पर 5 घण्टे थाने आये दिन बिठाते थे
Judge साहब भी एकतरफ़ा ही सोचते हैं l मर्द होना गुनाह है भाई l
औरत को आच्छा रस्ता है जबान बदलो पैसा ही पैसा 50 लाख बाप का माल है 😁
Overall, it is becoming difficult for a man to survive in this country. First work hard and get a job and then feed the women of the world.😢😢
सभी लड़कियां ऐसी ही हैं 😂
जो कुछ नही करती हैं, वो सब कुछ लेने के चक्कर में रहती है। आज के जमाने में
ऐसी स्थिति में माँ बाप को चाहिए की सबसे पहले बेटे को पूरी जायदाद से बेदख़ल कर दे और घर से निकल दे
तभी इन जैसी छिनारों से निपटा जा सकता है । ख़ुद तो किसी लायक हैं नहीं पति इनका सारा खर्चा उठाये यही चाहती है
हमारे देश का कानून झंड है प्रताड़ित और प्रताड़ित होता है शोषण महिलाओं का नही बल्कि पुरुषो का हो रहा कानून का दुर्पयोग हो रहा है
@@ठाकुरशिवम्सिंह-ह2व हम एक अनोखा देश हैं, जिसमें महिलाओं, बच्चों, जंगलों, पशुओं, मछलियों के लिए मंत्रालय या सरकारी विभाग है, लेकिन पुरुषों के लिए ऐसा कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जो अपने आप में विडंबना है। आजकल कोई भी अखबार या न्यूज़ चैनल देख लीजिये, आपका यह भ्रम दूर हो जाएगा की अपराध सिर्फ पुरुष ही करते है. आजकल से समय में महिला अपराधियों की संख्या कम नहीं है.
आज कल प्रेम-प्रसंगों में बाधा बन रहे पतियों की हत्याएं तक हो रही हैं। सैक्स रैकेट से ड्रग्स के धंधे में भी महिलाएं लिप्त हैं इसलिए यह विश्वास कैसे किया जा सकता है कि घरेलू हिंसा में केवल पुरुष ही दोषी होंगे। फिर भी यह समझना की महिलाये नीरीह प्राणी है, कोई अपराध नहीं कर सकती, कुछ गलत नहीं कर सकती ठीक नहीं है.
अब महिलाओं को भी पूरे अधिकार हैं। इसके बावजूद महिलाएं जब चाहें तब खुद को शक्तिशाली कहती हैं और जब चाहे तब बेचारी दिखाने लगती हैं। उदाहरण के तौर पर लिव इन में रहने वाली महिलाएं, जो रिश्ता टूटने पर दुष्कर्म का आरोप लगा देती हैं। जबकि अदालतें सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं मानतीं। घरेलू हिंसा, दहेज, सेक्सुअल हैरेसमेंट, ब*****र, तलाक जैसे मामलों में महिलाओं की ज्यादा सुनी जाती है. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह कानून जरूरी है, लेकिन बेगुनाह पुरुषों पर इन्हें थोपना भी ठीक नहीं है. इसलिए पुरुषों के न्याय और उनके हितों पर भी बात होनी चाहिए.
आज लालची औरते इन कानूनों का दुरूपयोग करके न्यायपालिका के मुह में तमाचा मार रही है।
ipc 498A-अनुसार दहेज़ देना भी एक जुर्म है। फिर भी उन लडकियों को सज़ा क्यों नहीं दी जाती जो खुद ही अदालत में ये चिल्ला चिल्ला कर कहती है की हमने दहेज़ दिया क्या उन लडकियों को सजा मिलीती हैं जो दहेज़ देती है?
E) Ipc saction 497 के तहत अगर शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है। लेकिन इसमें शादीशुदा महिला के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। इस सेक्शन में सबसे कमाल की बात ये है कि विवाहित महिला का पति भी अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा सकता है। समझ में नहीं आता की किस तरह की न्यायव्यवस्था है ये। चरित्रहीन पत्नी को सज़ा क्यों नहीं?
आज अगर किसी पुरुष पर झूठा दहेज़, बलात्कार, घरेलू हिंसा का केस लग जाए तो क्या हम उसको ये कहेंगे की तुझे इन्साफ नहीं मिलेगा क्युकी महिलाओं पर बहुत जुल्म हो रहे है, तू अभी शांत बैठ, ये पुरुष प्रधान समाज है अभी तुझको इंसाफ नहीं मिलेगा।।।क्या हम उसको ये कहे?? क्या न्याय आज चुनाव बन गया है कि जिसको बहुमत मिलेगा उसी की सरकार बनेगी, जैसे कुछ लोग कहते है की महिलाओं पर जुल्म ज्यादा है इसीलिए उनको इन्साफ मिलना चाहिए।। क्या न्याय भी बहुमत पर निर्भर करता है। या फिर न्याय के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले है जो पीड़ित है....??? क्या सच में भारत की न्यायपालिका की नज़र में आज स्त्री पुरुष बराबर है??
आज के टाईम भारत में लगभग 45 से भी अधिक कानून है जो महिलाओं के पक्ष में है लेकिन एक भी कानून पुरुष हित में आज तक नहीं बना। फिर पुरुष को इंसाफ कैसे मिलेगा??
"मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक 'मंच' होना चाहिए।
"जब तक पुरुष अपना दर्द व्यक्त करना नहीं सीखते, तब तक हर कहानी में महिलाओं को हमेशा पीड़ित के रूप में दिखाया जाएगा।"
right
Kanoon Sab sahi hai per Jo Baithe Hain Kanoon ke rakhvale vah andhe Hain Jo Shuru Mein report lag Jaati Hai Usi ke Aadhar per case chalta hai bechare ladke Pareshan Hote
देखा गयाहै कि जज भी अधिकतर महिलाओं का साथ ही देते है ऐसे मे पुरूषो के पास खुदकुशी के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
Marne se achchha supari 5 ;alh me ho jata hai😅sarkar ko kanoon me sudhar ki jarurat hai
बेटी🙎 पढाओ बेटी🙎 बचाओ साली कमाई
तो पति की ही खाएगी ए है भारत🇮🇳 सरकार
की लाडली बेटीयाँ जो पति👨 का घर🏡
परिवार लुट कर भुखे माँ बाप का पुरा कर रही
है इसलिए लड़के आब शादी नहीं कर रहे हैं❌
भारत🇮🇳 का कानून पुरुष पे भारी है। इस लिए
हालात को देखते हुए भारत🇮🇳 सरकार कानून
बदले जो पुरुष के👉 हक में भी हो
जय🇮🇳 भारत जय🇮🇳 हिन्द🇮🇳 🙏🙏
दोनों जज की आधी आधी सम्पत्ति महिला को दे दो
❤❤❤
बहुत गलत कानुन है हमारे देश में एक आदमी कों अपनी पुरी कमाई देनी पड़ती है एसे ही तों लड़कीयों कुछ भी करें उनके लिए कोई कानून नहीं है यें कांनुन आदमी के लिए हीं बनें हैं बहुत ग़लत है
जो पत्नी पति के साथ नहीं रहना चाहती है उसे किसी तरह का अधिकार प्राप्त नहीं होनाचाहिए।
@@ASHOKKUMAR-bi2nj Our Ladke Ke Puri Family Walo Ka Adhikar Hona Chahiye Ki O Kisi Ki Beti Lakar Kamwali Bna De Our Usko Saririk Our Mansik Rup Se Prtadit Kre Kyon ? Kadki Apni Izzat Daw Pe Lga Deti Hai Uska Kya ?
झूठे मेंटेनेंस केस में पति को जेल भेजना कानूनी व्यापार है I पत्नी को झूठे दहेज केस करने पर सजा नहीं I धारा 497 हटने से पत्नी की सेक्स adultry और वेश्यावृत्ति अपराध नही है, पत्नी कों सजा नहीं है I
भारत अब रहने लायक नहीं रहा इन भ्रष्ट न्यायपालिका के कारण
क्यों देना पड़ेगा जब वो साथ ही नहीं रहना चाहती है तो और ना रहती है साथ में,
ये तो अन्याय हुआ माननीय न्यायाकर्ता भी पक्षपात कर रहे हैँ 😢😢
गुजारा भत्ता पुरुषों को भी मिलना चाहिए केवल महिलाये को नही
सारे कानून वैसे भी महिलाओं के लिए है।
मतलब लड़की इसीलिए शादी करके alomony मांगती है वो केवल amount lene ke liye. वाह री दुनिया कैसे कैसे riste aur मांगने वाले।
Iske baap ne Kama kar de rakhi hai kya sampatti jis per 50 lakh mange
Dahej kya ldke ke bap kama ke rakhta hai jo magata hai
@@ravitaparashar7467 ladka ladki ko jhel sake uske liye liya hai
@gabbarnarayanfilms 50 lakh dahaj 😂 uski shakl se lagta hai diya hoga jo mang rhi hai
गुजर बसर के लिए 50 लाख मांग रही है ???????????
जज भैया और जज दिदिया !
पुरुषों की जिंदगी अब हराम हो गई है देश के कानून को अब मसला समझना होगा आखिर कब तक पुरुष या तो जिंदगी बर्बाद कर ले या गलत कदम उठा ले
औरत की नजर सिर्फ पैसे पर है.
औरत kamayegi कुछ नहीं लेकिन पैसे चाहिए पूरे
Correct.
शकल तो 5रु जैसे है और 50L चाहिए 😂😂😂😂😂
Hhaaa😂😂😂😂
जो औरत पैसै के लालच में अपने पति कि नही हुई तो किसी और की केसै हो जाएगी।जज साहब आप किसी को धमका नही सकते ये कानून के खिलाफ है ।मां-बाप की प्रोपर्टीज में किसी का कानून हक नही बनता ।वो जिस मर्जी को दे,सास ससुर कि सेवा नही करनी बस 5000000 लाख चाहिए। जय हिंद जय भारत
ये कोट नही कोठा है वहा पे 1अंधी औरत रहती है जो पुरुष के साथ अन्याय करती हैं 😂😂😂😂
इतना धन सुन के ज भी मन ही मन में सोच रहा होगा कि अगर 50 लाख दिलाएंगे तो 10 15 लाख तो हमारी तरफ भी आएगा क्या ऐसा ही सोचताhoai batao?
Randi khana kanoon bhibastta hai desh main mhila Jo kre sab shi
आंखों पे पट्टी और हाथ में तराजू का यही मतलब है ? वाह रे जजमेंट ! कमाने वाले से शादी और फिर तलाक और फिर मोटी रकम ! यह बिजनेस भी बुरा नहीं है !
तू क्या जाणता है... तुझे माँ भहेन nahi kya
Bhai Purush sirf ab Janganna k liye hi bache hai baaki kuchh nahi h purusho k liye
पती को 50 lakh दो और इसे divorce
ऐ औरत,
तुमने अपने माता पिता की संपति के बारे में क्यु नहीं बता रही हो?
बेटी का अधिकार भी तो है, माता पिता की संपति में।
अय्याशी करने के लिए इसे पैसे चाहिए।
अच्छा धंधा करती हो तुम जैसी औरतें।
शादी करो। परिवार को इतना तकलीफ दो कि पति तलाक़ के लिए कोर्ट जाए।
जहाँ जम कर पैसे की उगाही करो।
Bilkul sahi baat hai
Aise india me bekar awrte bhare pade hai isliye sadi karna hi ghar me kanooni musibat palne ke barabar hai.i hate marriage
हमारे देश के नेता कानून बनाकर बुरी महिलाओं को रोके क्यों नहीं
Jitne bhi family court h sab mahilao kai fewar mai h courts nhi kothe h sab dhandha chl rha h😢😢😢
50 lakh leke kisi dushre ke saath sadi karegi.
जब लड़की पढ़ी लिखी है तो कुछ तो कर सकती है क्यों लड़के की प्रॉपर्टी में हिस्सा लड़की के भी तो प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलना चाहिए उसकी मायके के भी प्रॉपर्टी में दामाद को हिस्सा मिलना चाहिए
अपने अंडर में कुछ रखो ही नहीं सब मां बाप के नाम करवाओ
Bhai aisi taim ma bap dikhaw kar ke apne jaijat se be dakhal kar de qch nahi mi le ga ma bap ki paropati me
पैसे नहीं है पत्नी भाग जायेगी
और पैसा है तो भी पैसा लेकर भाग जायेगी 6:15
😂😂😂😂
😂😂 50 लाख चाहिए ?? और सामान किसका चाहिए ??।ये भी तो बता?
Shame on the #indianjudiciary system. A girl not want to continue the marriage, but this dirty minded so called judges are interested in boys money and his property. Shame on the court.
बेटी की शादी में 50 लाख खर्च करने की बात को कोर्ट में कहना क्या कानूनी हैं,
Poor guy
Koi nahi dobara petition file Karo.iske against. Nyay zaroor milega.
All the best.
कानून के पट्टी नही बंधी है बल्कि अंधी है
हमारे देश के कानून पर अब शर्म आने लगी है
Badiya kamai chal rhi he court ki vakilo ki
जज का भी हिस्सा होता है इसमें
दहेज देना गुनाह बोलते हैं और खुद हर्जाना लेना कहा का न्याय
तेरी कोई नही सुनेगा भाई 😢 शादी की कीमत तो चुकानी पड़ेगी भाई😢 तेरे खानदान ने जो कमाया और बनाया है वो यह कानूनी लूट से छीन लेगी😊
Court Judge instead of questioning the Women on asking 50Lakh, Court clearly favours the Greedy Women. If Dowry is wrong then Alimony is also wrong
दुल्हन मांगे दहेज, विवाह के समय पंडित कि दक्षिणा से ज्यादा, तलाक पर वकील कि फीस
गन्दा है पर धंधा है ये ✌️
Same for जज sahab
तुम्हारे पति के पास बहुत पैसा है तो इसका क्या मतलब है। ये औरत इस आदमी से शादी क्या सिर्फ इसकी संपत्ति झटकने के लिए की थी? 5:05
Hau
Husband rakhna chahta but Judge Husband ko hi jail bhejne ki baat kr raha h. Wah kya judgement h.
अगर इतना सब कुछ है पास में और 65 हजार महीना तनख्वाह भी है।
बंदा स्वभाव से भी विनम्र लग रहा है साथ में रखना भी चाहता है
इन औरतों को क्या चाहिए और
Money bhai
इस लड़की का अपने पिता की सम्पत्ति में बराबर का हक है, उसको भी जोड़ा जाए
क्या इस तरह के जो कार्य हो रहे हैं तो आने वाले समय में औरत की कोई इज्जत रह जाएगी समाज में?
Bilkul nahi abhi से लोग महिलाओं की मदद से कतराने लगे
जब औरत तलाक दे रही है तो उसे क्यों पैसा देने की जरूरत आप लोग गलत फैसला सुनाते हो
इसको तो बेवड़ा मांगता है यार
❤❤ बहुत भारी है बाप
देश के बहुत से घटिया कानून में से एक कानून यह भी है
Bhagwan kare inn dono jhag sahab ka devorce ho jaye
और जज साहब की बीवी एक करोड मांगे
fir dahej lena kis angle se galat hai????
Open demand 50 lacs extortion business in courts
This is pure business deal
बहुत ही गलत कानून है आदमी की जिंदगी भर की कमाई क्यों देगा उसे 50 लाख,, जब तलाक़ होता है तो आदमी पैसा क्यों दे
आंदोलन होना चाहिए
Andolan hona bahut jaruri aise ghatia mahilaye pursu ko barbad kar rahi hai
बात सही है रिश्ता खत्म तो सब कुछ खत्म
पत्नी सब ऐसा ही पति को मानसिक तनाव देती हैं पति बेचारा क्या करे
Very wrong decision by the judge
50 lakh ka FD karo monthly 33-34 K interest paao, kisi ko lena na dena mast idea hai, saala ladka hona paap ho gaya ho jaise😂
जज साहब ये क्या ट्रायल है
50 लाख देने के लिए शादी किया था। धारा 09 लगाया, बता रहा है
आपको विवेकाधिकार है। 50 लाख में तो औरत का जीवन मजा मजा से कट जायेगा।
क्या कानून है, क्या जज हैं
मत रख भाई वो तुझे नहीं तेरी संपत्ति से प्यार है। मैडम की औकात 10हजार कमाने की नहीं और मांग रही है 50लाख पैसा कमाने में आदमी की कमर टूट जाती है। और ये साहब लोग ऑडर पे ऑडर लिखा रहे है। कानून में बदलाव की जरूरत है