@@yoogeebly अरे वह कमाल कर दिया। परमात्मासतहै यह संसार असतहै परमात्माचेतन है यह संसार जड़ है परमात्मा आनंदस्वरूप है यह संसार दुःख रुप है। सच्चिदानंद सत्य है संसार असद है। वेद कह रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेद ज्ञान है। संसार से अलग ही पूर्णब्रह्म सच्चिदानंद है। वह वेदों से नहीं मिलेगा। क्योंकि वेदों में केवल संसार का हीज्ञान है। वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।। भागवत बिना कोई पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद को जान नहीं सकता। भागवत में पूर्ण वर्ग का नाम श्री कृष्णा बताया है लेकिन श्री कृष्णा भी तीन है। ब्रह्मांड भी तीन है क्षर परात अक्षर अक्षर परात पर: वेद वाक्य।। ला इलाहा इल्लल्लाह।। कुरान।। पुरुष भी तीन है क्षर पुरुष अक्षर पुरुष और उत्तम पुरुष। हव्वा नूर और नूरतजलला। सृष्टि भी तीन है ब्रह्म सृष्टि ईश्वर सृष्टि जीव सृष्टि। हवाई खलक फरिश्ते और मोमिन। कृष्णाकृष्णा सब कोई कहे भेद न जाने कोए एक कृष्णा बैकुंठ का दूजा हैगोलोक तीजो अखंड धाम को जहां जाएं सब शौक़।।
@@munnalal-ui6lb आपने जो कहा वह तो समझ में आ गया। पर मेरा भ्रम यह है कि ईश्वर को निराकार कहते हैं और निराकार ईश्वर का गुण है आप कह रहे हो निराकार माया है सत्य तो ईश्वर और उसका एक गुण आनन्द है और भी बहुत सारे गुण हैं लेकिन ईश्वर को जानने के लिए अगर ईश्वर में गुण ही नहीं हों तो उसे जान भी तो नहीं सकते
@@yoogeebly मैं नहीं कह रहा ईश्वर निराकार नहीं है वेद कह रहे हैं कि निराकार और सरकार माया है। परमात्मा सच्चिदानंद स्वरुप है पुणे निराकार कहना अपराध है। जो सत्य है चेतन है और आनंद स्वरूप है उसे निराकार कैसे कह सकते हैं? साकार का मतलब है हाड मांस हड्डी का पुतला। लेकिन परमात्मा वह भी नहीं है। दिव्य स्वरूप नूरी मुखड़ा हाड मांस का नहीं। लेकिन उसे स्वरूप को जानने के लिए आर्मी की तरह टारगेट लेना होगा। तभी तो दिव्य स्वरुप मिलेगा। वह जुगल किशोर है सच्चिदानंद। सत अंग अक्षर ब्रह्म है चिद और आनंद जुगल किशोर किशोरी है। सबसे सुंदर अवस्था किशोर स्वरूप होती है। इस प्रकार समझना होगा।
आर्यसमाज ही सर्वश्रेष्ठ समाज है।
आर्य समाज वेद पर आधारित हैं इसलिए अनंत काल से है और रहेगा🎉❤
@@ashwanikumarmittal5512 yes
@@user-xh1ff7df5s dhanyavaad
विनय आर्य जी को सादर नमस्ते ।🙏
100% सत्य वचन
ओउम आचार्य जी यह हमारे प्रारब्ध है कि हम महर्षि दयानंद जी के अनुयाई है
नमस्ते आचार्य जी
सादर नमस्ते आचार्य जी। अति उत्तम जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।। आर्य पुत्र।।
सादर चरणस्पर्श पूज्यपाद गुरुवर 🙏🙏
आर्य समाज वेदों का अनुयाई है और सभी कार्य प्रमाण से कार्य करता है
आप सभी सुधी श्रोताओं का हार्दिक आभार डॉ विनय विद्यालंकार 🎉।❤❤
धन्यवाद
अति सुंदर
आर्य समाज दुनियों की सर्वश्रेष्ठ संस्थाहै
नमस्ते 🙏
Namaste ❤❤
आर्य समाज तार्किक बनाने की एक बढ़िया शुरुआतती संस्था है
नमस्ते आचार्य जी आर्य समाज संसार का श्रेष्ठ धर्म है
सभी महानुभावों से निवेदन ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
धन्यवाद आचार्य जी 🙏
नमस्ते आचार्य जी 🙏
🚩🚩🚩🚩🚩🚩💥
Nama👌💕
आर्य समाज मुरादाबाद से जुड़ने के लिए सम्पर्क सूत्र बताऐ ।
विनय जी आप जिस प्रकार भाषण दे रहे हैं उसे लगता है आर्य समाज मैं झूठ ज्यादा सच्चाई कम है
ईशद्रोही आर्यसमाज अवैध
क्या है आर्य समाज? यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है लेकिन यह लोग परमात्मा मानते है ये है आर्य समाज।
सब माया है तो सत्य क्या है आप ही बता दो
@@yoogeebly अरे वह कमाल कर दिया। परमात्मासतहै यह संसार असतहै परमात्माचेतन है यह संसार जड़ है परमात्मा आनंदस्वरूप है यह संसार दुःख रुप है।
सच्चिदानंद सत्य है संसार असद है।
वेद कह रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेद ज्ञान है।
संसार से अलग ही पूर्णब्रह्म सच्चिदानंद है। वह वेदों से नहीं मिलेगा। क्योंकि वेदों में केवल संसार का हीज्ञान है।
वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।
भागवत बिना कोई पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद को जान नहीं सकता। भागवत में पूर्ण वर्ग का नाम श्री कृष्णा बताया है लेकिन श्री कृष्णा भी तीन है। ब्रह्मांड भी तीन है क्षर परात अक्षर अक्षर परात पर: वेद वाक्य।।
ला इलाहा इल्लल्लाह।। कुरान।।
पुरुष भी तीन है क्षर पुरुष अक्षर पुरुष और उत्तम पुरुष। हव्वा नूर और नूरतजलला।
सृष्टि भी तीन है ब्रह्म सृष्टि ईश्वर सृष्टि जीव सृष्टि। हवाई खलक फरिश्ते और मोमिन।
कृष्णाकृष्णा सब कोई कहे भेद न जाने कोए एक कृष्णा बैकुंठ का दूजा हैगोलोक तीजो अखंड धाम को जहां जाएं सब शौक़।।
@@munnalal-ui6lb आपने जो कहा वह तो समझ में आ गया।
पर मेरा भ्रम यह है कि ईश्वर को निराकार कहते हैं और निराकार ईश्वर का गुण है आप कह रहे हो निराकार माया है
सत्य तो ईश्वर और उसका एक गुण आनन्द है और भी बहुत सारे गुण हैं लेकिन ईश्वर को जानने के लिए अगर ईश्वर में गुण ही नहीं हों तो उसे जान भी तो नहीं सकते
@@yoogeebly मैं नहीं कह रहा ईश्वर निराकार नहीं है वेद कह रहे हैं कि निराकार और सरकार माया है।
परमात्मा सच्चिदानंद स्वरुप है पुणे निराकार कहना अपराध है। जो सत्य है चेतन है और आनंद स्वरूप है उसे निराकार कैसे कह सकते हैं? साकार का मतलब है हाड मांस हड्डी का पुतला। लेकिन परमात्मा वह भी नहीं है। दिव्य स्वरूप नूरी मुखड़ा हाड मांस का नहीं।
लेकिन उसे स्वरूप को जानने के लिए आर्मी की तरह टारगेट लेना होगा। तभी तो दिव्य स्वरुप मिलेगा। वह जुगल किशोर है सच्चिदानंद। सत अंग अक्षर ब्रह्म है चिद और आनंद जुगल किशोर किशोरी है। सबसे सुंदर अवस्था किशोर स्वरूप होती है। इस प्रकार समझना होगा।