चर्चा चैतन्य की, माँ के साथ-1 ।। मिथ्यात्व को दूर करने का उपाय।

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  • Опубликовано: 13 янв 2025

Комментарии • 16

  • @meenajain6349
    @meenajain6349 9 дней назад +1

    Jai jinendra

  • @alkajain8424
    @alkajain8424 27 дней назад

    जय जिनेंद्र नोएडा बहुत सुंदर बहुत अनुमोदना

  • @gunmalagadkar8876
    @gunmalagadkar8876 24 дня назад +2

    बहुत सुंदर चर्चा 🙏

  • @nirmalajain7639
    @nirmalajain7639 28 дней назад +5

    बहुत बहुत ही सुंदर 🙏🙏

  • @dishavakharia9737
    @dishavakharia9737 27 дней назад +1

    Sadar Jai jinendra ji 🙏
    Antar k chitanya ki mahima ka nirdosh Swarup dikhaya h ... bahot hi sunder charcha.. sada hi me .. nirpexsh Swarup ... .. 🙏👍👏👏👌

  • @shailyjain2962
    @shailyjain2962 29 дней назад +1

    Bhaut sundr 🙏🙏🙏

  • @pravinsanghvi3383
    @pravinsanghvi3383 28 дней назад +1

    Jai jinedra surat

  • @ChidanandJain-p4l
    @ChidanandJain-p4l 29 дней назад +1

    Ati sunder charcha

  • @SeemaJain-w3f
    @SeemaJain-w3f 28 дней назад +2

    Bhout sunder charcha 🙏hai

  • @munnalaljain5342
    @munnalaljain5342 29 дней назад +2

    Shahgarh sagar Jai jinendra bahut bahut sundar charcha hai 🙏🙏🙏

  • @gonugoyal1097
    @gonugoyal1097 29 дней назад +2

    Bahut bahut anumodna.. Naman aisi maa ko

  • @shailujain5006
    @shailujain5006 27 дней назад +1

    बहुत ही बढ़िया चर्चा कौन किसके साथ कर रहा है ये बताएँगे 🙏

    • @AatmanOverseas
      @AatmanOverseas 26 дней назад

      Ye yugal ji babuji ki charcha hai Jo kuch स्वाध्याई जीवों ने उनके साथ की थी। उसकी चर्चा यहां चल रही है।

  • @sndprasadprasad3738
    @sndprasadprasad3738 29 дней назад +1

    Jaijinendra SN Dharmaprasad Shuddhatma Bangalore Karnataka.

  • @FrustratedMan-x3d
    @FrustratedMan-x3d 27 дней назад +1

    Charcha sunder hai yadi bhaav bhaasan ho jaye to

  • @स्वाध्यायपरमंतप

    चर्चा तो अच्छी है, मगर चर्चा से मिथ्यात्व का एक भी अंश दूर नही होगा। मात्र गाल बजाना है, इतने वर्षों से सुनकर भेदग्यान नही हुआ। अब तक हकीकत में स्वीकार ही नही किया। कितना अनुभव में आया इसका भान ही नही, हां निश्चयाभासी अवश्य बन गये। परभावों से मोह का त्याग नही हुआ। ग्वाले ने तो सिर्फ एक बार ही भेदग्यान की बात सुनी थी जो आगे कुंदकुंदाचार्य बन गये, हम कितने वर्षों से चर्चा कर रहे, सुन रहे हैं, अभी तक अभ्यास में नही आया। गजकुमार, शिवभूति मुनि से भी प्रेरणा लेना चाहिए।
    स्वसंवेदन होने से अभिप्राय की भूल मिटती है, और सम्यक्त्व होता है।
    जय जिनेन्द्र