क्या मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा हो सकती है? सत्यार्थ प्रकाश ग्यारहवाँ समुल्लास। आचार्य अंकित प्रभाकर

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  • Опубликовано: 15 окт 2024
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Комментарии • 529

  • @adityasrivastava7849
    @adityasrivastava7849 8 месяцев назад +3

    अंकित प्रभाकर जी आप की जानकारी बहुत साधारण भाषा है जो आसानी से समझा जा सकता है पर आपसे प्रार्थना है कि मंदिरों में बैठ कर पाखंड अन्धविश्वास दूर किये बिना ये सब बंद नहीं करवा सकते हैं अतः आप सभी खुले प्रांगण में मैदान में आयोजन किया जाना चाहिए ताकि लोगों इकट्टा कर ने के लिये जगह जगह हर वार्ड में आयोजन करना होगा दयानंद सरस्वती जी सब जगह जा कर पताका गाड़ कर शास्त्रार्थ करते थे तभी लोगों को इतना बडा आर्य लोगों को इकट्ठा करके समाज बनाया 🙏🙏

  • @manjulata1676
    @manjulata1676 Год назад +32

    जब तक लोग वेद को नहीं समझेंगे तब तकईश्वर को नहीं समझेंगे

    • @Bhaskar12338
      @Bhaskar12338 Год назад +1

      जी भाई जी बिलकुल ❤

    • @aparyan9992
      @aparyan9992 Год назад

      Eeshwar samajh (arthaat Tark) Nahin Anubhav ka Vishay hai.

    • @sitaramsahani4541
      @sitaramsahani4541 8 месяцев назад

      Jo ved padhe aur bhed kare ,jitna gyan kahe lekin phir bhi bhagwan ko nahi pa sakate

  • @shivajigiri113
    @shivajigiri113 2 месяца назад +2

    बहुत अच्छी तरह समझ मे आया
    (लेकिन कुछ लोगो को समझ मे नही आता है हजारो किलोमीटर जाते भगवान को ढूंढने के लिए अपने अंदर के भगवान को नही देखते है हो तो अविनाशी परमात्मा हमारे अंदर ही है)

  • @NzjsjsjsjshJsjsjsjss
    @NzjsjsjsjshJsjsjsjss 10 месяцев назад +5

    वाह वाह, बहुत ही शानदार संदेश है👌आपको सादर प्रणाम 🙏

  • @vijendraverma799
    @vijendraverma799 10 месяцев назад +3

    प्रभाकर जी आपने बहुत अच्छे ढंग से बताया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आप इसी तरह जिज्ञासुओं की शंकाओं का समाधान करते रहें। पत्थर की मूर्ति मे किसी भी तरह से प्राण प्रतिष्ठा नही हो सकती। यदि पत्थर,धातु या लकडी की मूर्ति में प्रतिष्ठा हो जाती तो मृत मनुष्यों को प्राण प्रतिष्ठा (प्राण डाल कर ) करके जीवित कर लेते। घर में रखे कुत्ते, बिल्ली, चिडिया, गुड्डे, गुडियों के खिलौनो, जगह जगह नेताओं, विद्वानों के स्टेचुओं मे प्राण डालकर जीवित कर लिया जाता। जो लोग प्राण प्रतिष्ठा करते हैं वे बताएं कि क्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद जड मूर्ति जीवित हो जाती है अर्थात् खाने पीने, बोलने, देखने, सुनने , चलने, स्वांस लेने लगती है , अगर नही तो कैसे कहा जाता है/ माना जाता है कि जड मूर्ति मे प्राण प्रतिष्ठा हो गयी।

  • @DigitalCreator-m8p
    @DigitalCreator-m8p 5 дней назад

    बहुत ही सुंदर विषलेषण

  • @smarttech4452
    @smarttech4452 Год назад +11

    बहुत बढ़िया ब्याख्या आपके द्वारा दिया गया। बिल्कुलआँखे खोलने वाली।

  • @Bhaskar12338
    @Bhaskar12338 Год назад +32

    यही लोग बोलते हैं कि कण कण में नारायण का बास है, लेकिन जब वास पहले से है तो प्राणप्रतिष्ठा की क्या आवश्यकता 😂😂😂😂

    • @mckashyap4443
      @mckashyap4443 Год назад +8

      अगर प्राण प्रतिष्ठा मुरति में करते हैं तो वह वोलती क्यों नही

    • @Bhaskar12338
      @Bhaskar12338 Год назад +2

      @@mckashyap4443 सही बात है । न बोलती न खाती,

    • @GovindKumar-pb7op
      @GovindKumar-pb7op 10 месяцев назад +1

      😂😂😂

    • @Athato_Brahmajijnasa
      @Athato_Brahmajijnasa 10 месяцев назад

      वास तो सर्वत्र है, लेकिन जैसा परब्रह्म साकार है और जैसे साकार ब्रह्म की उपासना है, वैसी निराकारवत् फैले हुए अंतर्यामी ब्रह्म की उपासना नहीं हो सकती, इसलिए उन साकार ब्रह्म की उपासना के लिए मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।

    • @veda-vaani_aacharya-vijay
      @veda-vaani_aacharya-vijay 9 месяцев назад

      ​​​@@Athato_Brahmajijnasa
      👉 ब्रह्म वा परमात्मा तो निराकार ही है, साकार नहीं। आत्मा की तरह, परमात्मा भी न जन्म लेता है, न मरता है, सदा से है और सदा रहेगा। यह दोनों ही स्वरूप से अविनाशी, नित्य हैं; इन्हें किसी ने बनाया नहीं, साकृत (साकार) नहीं किया। साकार होना तो प्राकृतिक वा भौतिक शरीरादि वस्तुओं में होता है, जो कि प्रकृति के परमाणुओं के योग से बनते हैं। इसके विपरीत आत्मा और परमात्मा दोनों अभौतिक, रचना और विनाश से पृथक्, निराकार ही हैं। अधिकतर साकार वस्तु स्थूल होते हैं और नेत्रों से दिखते हैं अथवा सूक्ष्मदर्शी यंत्रों से भी देखे जा सकते हैं। परंतु परमात्मा अणु से भी अणुतम अथवा सूक्ष्म से भी सूक्ष्मतम है, इसलिए यह अव्यक्त वा निराकार परमात्मा नेत्रों वा सूक्ष्मदर्शी यंत्रों की पकड़ में नहीं आता, परंतु ध्यानयोग रूपी आंतरिक दृष्टि से देखा जाता है।
      👉 शास्त्रों में इसी निराकार सूक्ष्म ब्रह्म वा परमात्मा की उपासना और साक्षात्कार ध्यानयोग द्वारा करने बताये गये हैं -
      *सूक्ष्मतां चान्ववेक्षेत योगेन परमात्मनः।* - विशुद्ध मनुस्मृति ६/६५
      - (च) और (योगेन परमात्मन: सूक्ष्मताम्) योगाभ्यास से परमात्मा की सूक्ष्मता को (अवेक्षेत) प्रत्यक्ष करे।
      *उच्चावचेषु भूतेषु दुर्ज्ञेयां अकृतात्मभिः। ध्यानयोगेन संपश्येद्गतिं अस्यान्तरात्मनः॥* - विशुद्ध मनुस्मृति ६/७३
      - (उच्चावचेषु भूतेषु) बड़े-छोटे प्राणी-अप्राणियों के भीतर (अस्यान्तरात्मनः गतिम्) इस अन्तर्यामी परमात्मा की गति को संन्यासी (ध्यानयोगेन संपश्येत्) ध्यानयोग से सम्यक्ता देखा करे, (अकृतात्मभिः दुर्ज्ञेयाम्) जो कि अशुद्धात्माओं से जानने वा देखने के अयोग्य है।
      👉 महाभारत गीताप्रेस, शांतिपर्व, अध्याय २३९ के निम्न श्लोकों में ईश्वर-प्राप्ति के लिए महर्षि व्यास द्वारा अपने पुत्र शुकदेव को योगसाधना के उपदेश का वर्णन है -
      *एवं सप्तदशं देहे वृतं षोडशभिर्गुणैः। मनीषी मनसा विप्रः पश्यत्यात्मानमात्मनि ॥ १५ ॥*
      - इस प्रकार बुद्धिमान् ब्राह्मण इस शरीर में पाँच इन्द्रिय, पाँच विषय, स्वभाव, चेतना, मन, प्राण, अपान और जीव - इन सोलह तत्त्वों से आवृत सत्रहवें परमात्मा का मन के द्वारा आत्मा में साक्षात्कार करता है।
      *न ह्ययं चक्षुषा दृश्यो न च सर्वैरपीन्द्रियैः। मनसा तु प्रदीपेन महानात्मा प्रकाशते ॥ १६ ॥*
      - इस परमात्मा का नेत्रों अथवा सम्पूर्ण इन्द्रियों से भी दर्शन नहीं हो सकता। यह महान् आत्मा विशुद्ध मनरूपी दीपक से ही बुद्धि में प्रकाशित होता है।
      *अशब्दस्पर्शरूपं तदरसागन्धमव्ययम्। अशरीरं शरीरेषु निरीक्षेत निरिन्द्रियम् ॥ १७ ॥*
      - वह आत्मतत्त्व यद्यपि शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गन्ध से हीन, अविकारी तथा शरीर-रहित और इन्द्रियों से रहित है, तो भी शरीरों के भीतर ही इसका अनुसंधान करना चाहिये।
      *अव्यक्तं सर्वदेहेषु मर्त्येषु परमाश्रितम्। योऽनुपश्यति स प्रेत्य कल्पते ब्रह्मभूयसे ॥ १८ ॥*
      - जो इस विनाशशील समस्त शरीरों में अव्यक्त (निराकार/सूक्ष्म) भाव से स्थित परमेश्वर का ज्ञानमयी दृष्टि से निरन्तर दर्शन करता रहता है, वह मृत्यु के पश्चात् ब्रह्मभाव को प्राप्त होने में समर्थ हो जाता है।

  • @visheshredewal677
    @visheshredewal677 9 месяцев назад

    Bahut satty bat he me aap se sahamat hun satyarth Parkash me sabkuch sahi he

  • @skbedi6644
    @skbedi6644 Год назад +16

    इंसान उस प्रभु की जीती जागती मूर्ति है।इंसानों से प्यार करो उससे प्यार हो जायेगा।

  • @pritamroy1391
    @pritamroy1391 11 месяцев назад +2

    बहुत ही अच्छा लगता है नमस्कार गुरुजी

  • @MdAbdullah-om7qx
    @MdAbdullah-om7qx 22 дня назад

    इतना अच्छा तरह से वेद में लिखा है कि एक ईश्वर की पूजा करें उसका प्राण प्रतिष्ठा नही किया जा सकता है मगर आज पूरा हिंदुस्तान इस बुराई का शिकार है और और इसको शौक से करते हैं और उसको अपना बहुत बढ़ा पूज समझते हैं

  • @chandradutt1854
    @chandradutt1854 11 месяцев назад +3

    क्रान्तिकारी विचार।

  • @raviyadavmusicaljourney4019
    @raviyadavmusicaljourney4019 Год назад +11

    ओम् शांति ओ३म् सबको सादर नमस्ते जी 🕉️🚩😊🙏

  • @rajeshtiwari8377
    @rajeshtiwari8377 Год назад +4

    जो हम देख पाते है सुन पाते है सुंघ पाते है जो हम छु पाते है स्वाद ले पाते है सोच समझ पाते है वो सब कुछ इश्वर है और जिसके द्वारा ये सब कुछ होता है वो इश्वर है

    • @stock.92
      @stock.92 11 месяцев назад

      Ok

    • @BahadurAli-hh4wj
      @BahadurAli-hh4wj 11 месяцев назад

      Kyon na hum maan le ki prakrity hi Ishwar hai kyonki wohi Nirakaar hai Surya se hi sarasti ka nirmaan hua uske taap se hur prani mein pran hai woh bhi Nirakaar hai baaki sub vyarth hai dharmon ki soch kewal kalpnik hai koi bhi dharm ho andhviswas se bhara pada hai dharma taran ka yahi mukhya kaaran hi jise samaj nakarta hai.

  • @Crazy10290
    @Crazy10290 2 месяца назад +1

    Har Har Mahadev❤

  • @Munna-yq4gf
    @Munna-yq4gf 11 месяцев назад +10

    महर्षि दयानंद अमर रहे सत्यार्थ प्रकाश जिंदाबाद

  • @AyodhyaP-z1h
    @AyodhyaP-z1h Год назад +3

    अति,सुन्दर,ऐसा,ही,होना,चहिये

  • @arvindsahu752
    @arvindsahu752 4 месяца назад +1

    पाखंड वाद पर बेहतरीन प्रहार भाई 👍👍👍🙏🙏

  • @joshimahesh-pd8nx
    @joshimahesh-pd8nx 11 месяцев назад +1

    Thank you for great knowledge

  • @anirudhprasad6890
    @anirudhprasad6890 Год назад +2

    Namaste Guruji correct logic correct topic I like your answer thank u for good guidance Vande Mataram Jay Hind Jay Bharat

  • @kasturpatel9911
    @kasturpatel9911 Год назад +1

    Namaste mahasy satya bol ne ke liye danyavad

  • @kamleshmahli8345
    @kamleshmahli8345 Год назад +3

    Aacharya ji dhanywad ponga pandito ki jankari dene ke liye

  • @jaiprakashdahiya1448
    @jaiprakashdahiya1448 Год назад +5

    अद्भुत ,वास्तव में।

  • @mohitkumararya8392
    @mohitkumararya8392 Год назад

    ओउम्💐
    सादर नमस्ते आचार्य जी👏👏

  • @seemaarya1927
    @seemaarya1927 Год назад +1

    Om ATI sundar pravachan

  • @amarsinghsaini6688
    @amarsinghsaini6688 8 месяцев назад +1

    Guruji pranam
    Pran Partistha ke bad , kaya murti jivit ho jati h, ya fir man hi man kush hota h.

  • @guptaprasadpadhy9860
    @guptaprasadpadhy9860 Год назад +1

    Pranaam prabhuji prabhuji

  • @rajendraprasad2321
    @rajendraprasad2321 Год назад +1

    सत्यमेव जयते।

  • @DelightfulBakedBread-gy6mo
    @DelightfulBakedBread-gy6mo 9 месяцев назад +1

    गजब का का प्रश्न किया है अपने सुनकर बहुत बहुत ही जानकारी मिला आप का धन्यवाद यैसे ही ज्ञान वर्धक जानकारी इस मुर्ख समाज को देते रहिए सायद भांग का नशा उतर जाय लेकिन ये नशा बहुत ही घोट घोट कर पीला रखा है तो बहुत समय लगेगा लेकिन एक एक दिन उतरेगा जरूर क्यो की आज का पीढी शिक्छित हे

  • @SriRam-ye4ym
    @SriRam-ye4ym 11 месяцев назад +3

    आप बाकई में सत्य की खोज में लगे हुए हैं .

  • @reshusinha7838
    @reshusinha7838 10 месяцев назад

    Fantastic information,

  • @KalpanaSaxena-k6m
    @KalpanaSaxena-k6m Год назад +23

    आचार्य जी को प्रणाम🙏 बहुत ही सुन्दर ढंग से समझाया आपने प्राण प्रतिष्ठा के बारे में।

    • @rameshwarprasadbinwal6553
      @rameshwarprasadbinwal6553 Год назад +1

      आचार्य जी शत शत नमन।आप सुन्दर ढ़ंग से समझाते हैं।

    • @rameshwarprasadbinwal6553
      @rameshwarprasadbinwal6553 Год назад +1

      क्या वेद भगवान के द्वारा लिखे गये है।

    • @aparyan9992
      @aparyan9992 Год назад

      Ved Gyanmykosh se Chidakaash me Paravaani VA swaran akshron me prakat hue jo Divya'drishti se Mahrishion ne Suna (shruti) aur Padha.

  • @ushamalik6229
    @ushamalik6229 Год назад +5

    सुप्रभातम् शुभकामनाएं ओ३म् 🙏🏼🚩 हार्दिक धन्यवाद कृण्वनतो ‌विश्वार्यम । जय आर्य जय आर्यव्रत । वन्देमातरम् वन्देमातरम् वन्देमातरम् ...... 🇮🇳

  • @sureshparikh2610
    @sureshparikh2610 Год назад +4

    अति सुंदर

  • @dalbirsinghchahal6932
    @dalbirsinghchahal6932 Месяц назад

    नमस्ते आचार्य जी

  • @j.vnarayanrao5493
    @j.vnarayanrao5493 11 месяцев назад

    Thank you so much 🙏👌

  • @durgeshkashyap6
    @durgeshkashyap6 8 месяцев назад

    अति उत्तम विचार sir

  • @bhojveerthakur3045
    @bhojveerthakur3045 2 месяца назад

    Bilkul sahi baat hai bhai

  • @mithleshsharma3096
    @mithleshsharma3096 5 месяцев назад

    Guru dev g sty ktha jey ho

  • @adityaprakashjaiswal8775
    @adityaprakashjaiswal8775 20 дней назад

    ।। सत्यमेव जयते।। महोदय जी आपकी बात लगभग सात मिनट तक सुना जिसमें आपने अमोघ लीला प्रभु जी का तर्क प्रस्तुत किया कि नोट गवर्नर प्रधानमंत्री इतनी सत्य कथा से एक सत्य यह समझ में आ रहा है कि,,,जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी,, अर्थात प्रभु अमोघ लीला जी ने जो तर्क प्रस्तुत किया है प्राण प्रतिष्ठा के पक्ष में वह तर्क आपने अत्यन्त सहजता से काट दिया है आगे हर कोई समझदार है जय संविधान हर हर महादेव जय श्रीराम शेष आगे की बात सुनने पर कुछ कहा जायेगा।। सत्यमेव जयते।।

  • @SiyaRam-oi3qc
    @SiyaRam-oi3qc Год назад +3

    बहुत अच्छा और तर्कपूर्ण ब्याख्यान

  • @sunilmaitri8783
    @sunilmaitri8783 Год назад +1

    GoodNews

  • @shivalalghimiray6996
    @shivalalghimiray6996 Год назад +2

    Jai ho Gurudev.

  • @dhanadasmanikpuri2042
    @dhanadasmanikpuri2042 Год назад +3

    Outstanding sir

  • @sajidsajid5674
    @sajidsajid5674 8 месяцев назад

    You are right sir

  • @rajubawa4372
    @rajubawa4372 Год назад +5

    ओम्। नमस्ते अचार्य जीं जय आर्यावर्त

  • @sandeepyadav5000
    @sandeepyadav5000 Год назад +1

    अध्याय 12 : भक्तियोग
    श्लोक 5
    क्लेशोSधिकतरस्तेषामव्यक्ता सक्तचेतसाम् |
    अव्यक्ता हि गतिर्दु:खं देहवद्भिरवाप्यते || ५ ||
    जिन लोगों के मन परमेश्र्वर के अव्यक्त, निराकार स्वरूप के प्रति आसक्त हैं, उनके लिए प्रगति कर पाना अत्यन्त कष्टप्रद है | देहधारियों के लिए उस क्षेत्र में प्रगति कर पाना सदैव दुष्कर होता है |

    • @qwerty.002
      @qwerty.002 Год назад

      Pehle Gyan fir bhakti 😊
      Bina Gyan ki bhakti Andhvishwas ko badhawa deti hai 🙏

  • @sangeetasaxena6056
    @sangeetasaxena6056 10 дней назад

    Maharshi Dayanand Saraswati ki Jay Vaidik Dharm ki Jay

  • @MdAbdullah-om7qx
    @MdAbdullah-om7qx 23 дня назад

    आप से निवेदन है कि वेद की रोशनी में बताएं की प्राण प्रतिष्ठा सही है

  • @harigovindshastri967
    @harigovindshastri967 Год назад +4

    अति सुन्दर विवेचन, धन्यवाद।

  • @PkSingh-bs5vh
    @PkSingh-bs5vh 11 месяцев назад +2

    प्रणाम आपको बहुत र्ताकिक सुझाव दिया🙏🙏

  • @pratapchandrasahoo-xd8zj
    @pratapchandrasahoo-xd8zj 11 месяцев назад

    Sir very good analaise

  • @adityaprakashjaiswal8775
    @adityaprakashjaiswal8775 20 дней назад

    ।। सत्यमेव।। महोदय जी, आप सत्य की खोज में स्थित है और जो कुछ भी सत्य आप अपने विवेक से सत्य समझते हैं उसे समझाने का प्रयत्न करते हैं जो अच्छी बात है लेकिन जैसा कि आप स्वयं वेद से चलकर माननीय संविधान तक पहुंचे जो यह सिद्ध करता हैं कि आप इस सत्य से भली-भांति परिचित हैं कि देश संविधान से चलता है और भारत का संविधान भारत के हर नागरिक को अपनी-अपनी ईश्वरीय आस्था के अनुसार संविधान के अनुसार अपनी पूजा पाठ मनौती इत्यादि कर सकते हैं यह उचित समझा है संविधान निर्माताओं ने तभी यह व्यवस्था प्रदान करता है इसलिए किसी की ईश्वरीय आस्था का अपमान करना या फिर उपहास करना या फिर अनुचित कहना संविधान के अनुसार गैरकानूनी कृत्य है आगे हर कोई समझदार है जय संविधान हर हर महादेव जय श्रीराम।। सत्यमेव जयते।।

  • @abhimanyupatel9403
    @abhimanyupatel9403 9 месяцев назад +1

    प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ होता है श्रीमान जी की हम जिस किसी का भी प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं उसके आदर्श को जीवंत कर रहे हैं ना की मूर्ति के अंदर हम प्राण डाल रहे हैं उसके आदर्श को जीवंत करके हम अपने अंदर आत्मसात करने की कोशिश कर रहे हैं और करना भी चाहिए जैसे आप भी दयानंद सरस्वती के आदर्शों को आत्मसात कर रहे हैं आपकी मर्जी है हमारी मर्जी है हम राम के आदर्शों को जीवंत करके अपने अंदर धारण करेंगे क्या आप दयानंद सरस्वती के चित्रों का अपमान सहेंगे प्राण तो उनमें भी नहीं है लोगों को भरमाया नहीं सही रास्ता दिखलाइए

    • @DunammapayaTiwari
      @DunammapayaTiwari 20 дней назад

      Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree Ram Jay shree

  • @abhimanyupatel9403
    @abhimanyupatel9403 9 месяцев назад

    आप राष्ट्र के जीवंत पुरोहित हो सकते हैं परंतु हम राष्ट्र को जागृत और जीवंत बनाए रखने वाले पुरोहित हैं

    • @avinashtiwari1787
      @avinashtiwari1787 3 месяца назад

      Bhaiya jabhi to hamre sath mazak chal raha hai

  • @ushagupta9103
    @ushagupta9103 Год назад +2

    very nice and very very right and useful topic for all.

  • @SajalRoy-tm7vr
    @SajalRoy-tm7vr Год назад +1

    जय हो

  • @jaybhavani8416
    @jaybhavani8416 Год назад +1

    Aadya Shankaracharya ke literature me
    For ex.
    Vivekchudamani
    Aprokshanubhuti
    Aatmabodh
    jo avastaye sadhak ko prapta hoti hai , aisi avastaye kisi Arya Samaji sadhak ko prapta huvi hai kya ?

  • @shyamjangid7171
    @shyamjangid7171 11 месяцев назад +1

    हमारे देश में सभी धार्मिक कहलाने वाले लोग एक ही सोच के हैं सभी को दान चाहिए बात चाहे कैसी ही करे

  • @pahalvatipandram5473
    @pahalvatipandram5473 Год назад +1

    Very nice and like your aansar ( dindori vikrampur)

  • @jaikishan3728
    @jaikishan3728 9 месяцев назад

    Namo Nameh Guru Ji

  • @TejpalSingh-bv8ff
    @TejpalSingh-bv8ff Год назад +1

    सूकशम शरीर और कारण शरीर होता है क्या? बिना साधना के सूकशम शरीर के दर्शन कराया जाता है क्या?

  • @shankarshaw5439
    @shankarshaw5439 6 дней назад

    Dhyan mulam guru murti....yah Satya hai ya ashtya hai

  • @MdAbdullah-om7qx
    @MdAbdullah-om7qx 22 дня назад

    आपने इस्लाम की तालीम आज दिया है इसी तरह से ईश्वर के बारे में कुरान में बतलाया गया है अगर आज सब लोग इन बातो को मन लें तो कोई मूर्ति पूजा नही करे गा।

  • @CharanSingh-fh2hs
    @CharanSingh-fh2hs Год назад +3

    यदि ब्राह्मण पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा कर सकते हैं , तो अपने परिवार के दिवंगत लोगों की प्राण-प्रतिष्ठा क्यों नहीं कर पाते हैं । यदि दम है तो करके दिखाएं , अन्यथा पाखंड बंद करें ।

  • @avinashtiwari1787
    @avinashtiwari1787 3 месяца назад

    Aise video aap banate raho roz ek video

  • @RamChandra-m2v
    @RamChandra-m2v Год назад

    Very fine sirji

  • @motivational_411
    @motivational_411 11 месяцев назад

    Sahi Vichar

  • @stunterboy7293
    @stunterboy7293 Год назад +4

    पेहली तो बात कोई मंत्र में इतनी शक्ति ने कि वह प्राण प्रतिष्ठा कर दे दूसरी बात वेदों के ज्ञाता हजारों इकट्ठे हो जाए परंतु मरे हुए मानव को कोई प्राण प्रतिष्ठित नहीं कर सकता जहां फिर वेद पुराण झूठे हो गए मंत्र भी झूठे हो गए मरे हुए को कोई जीवित करके बताएं फिर माने की प्राण प्रतिष्ठा होती है

    • @dayaramrohit2247
      @dayaramrohit2247 11 месяцев назад

      अति सुन्दर तर्क है और यथार्थ भी है

  • @satishvishwakarma5327
    @satishvishwakarma5327 2 месяца назад

    लगता है एक अलग संप्रदाय है

    • @shivajigiri113
      @shivajigiri113 2 месяца назад

      नही ये सही बात कर रहे है वेदो मे ऐसा ही लिखा है

  • @jaybhavani8416
    @jaybhavani8416 8 месяцев назад

    ' Praan tattwa ' - granth
    Swami Vishanu Tirth
    Narayan Kuti Sanyaas Ashram , Devas , M.P.
    *
    Ram Mandir Praan Pratishta
    Deh Mandir Praan Jagruti
    Nath Guru Parampara
    praan tattwa ke sahare se chalne wali Sadhan Padhati
    Kundalini yoga
    Ramlal ji Siyag siddhayoga .

  • @bipadbhanjanarya4482
    @bipadbhanjanarya4482 11 месяцев назад

    ओम् य़ेन द्योरुग्रा पृथ्वी च दृढ़ा य़ेन स्बह स्तभितं य़ेन नाकह। यों अन्तरिक्षे रजसो बिमानह कस्मै देबाय़ हबिषा विधेम। यजु ३२/६
    इस मंत्र से अनंत आकाश में ईश्वर असंख्य सूर्य चंद्र पृथ्वी नक्षत्र बनाया। यही उदाहरण दे सकते थे।

  • @Babu-l7u
    @Babu-l7u 3 месяца назад

    सही ज्ञान किसी के पास नहीं है बस दावे ही दावे हैं और बहस हैं l
    हाँ ज्ञान विज्ञान जो भी उपलब्ध है आज मानव समाज के पास वो सच की दिशा मे उठाया गया मजबूत कदम है l
    ज्ञान बिल्कुल सही हो ये जरूरी शर्त नहीं है - सच तो यह है कि गलत ज्ञान भी सही ज्ञान की तलाश मे मिलने वाला हीरा ही है l तो दुनिया गलत ज्ञान और सही ज्ञान के आधार का सहारा लेकर के ही सच के प्रकाश को पाने की दिशा मे बढ़ता है l
    ज्ञानी और अज्ञानी दोनों ही ज्ञान की बात करते हैं l

  • @sunilaggarwal3363
    @sunilaggarwal3363 Год назад +1

    आचार्य जी ओम मैं आपके पास एक वीडियो लिंकउसके बारे में अपनी राय दीजिए

  • @ShivKumar-ml8vo
    @ShivKumar-ml8vo Год назад

    Aacharya ji Sadar pranam om shanti om

  • @shankarchandramahato8378
    @shankarchandramahato8378 10 месяцев назад

    ऋषि दया नन्द सरस्वती दर्शनीक नही थे । वे विचारक थे । देव -देवी ईश्वर तथा धर्म के
    दर्शन नही किया था । अबतारी पुरुषो भी प्राण कर देवता पुजा अर्चना किया था ।
    इसके उदाहरण है भगवान् राम ने तामिल नाडु मे

  • @ramkrishandhakad1033
    @ramkrishandhakad1033 Год назад +6

    यदि मूर्ति में प्राण स्थापित किये जा सकते हैं तो मरे ब्यक्ति में पुनः प्राण क्यों नहीं डाले जाते।

    • @harishankarpathak9673
      @harishankarpathak9673 Год назад

      Ram krishna ji aap k nam k mutabik aap ka saval gambhir nahi hai

    • @rajendramishra7423
      @rajendramishra7423 Год назад +1

      मैने तो आज तक परमाणु,इलेक्ट्रॉन,प्रोटान भी नही देखा|
      आपने नहीं देखा लेकिन किसी ने देखा समझा उपकरण कार्य कर रहे हैं प्रत्यक्ष है| जो प्रत्यक्ष का विषय है प्रत्यक्ष होगा जो अनुभव का विषय है अनुभव होगा |
      मन की गति किमी/घंटा में मापने का प्रयास कैसा रहेगा?

    • @rajendramishra7423
      @rajendramishra7423 Год назад +1

      परमहंस रामकृष्ण मूर्ति से बात करते थे भोजन कराते थे|
      रसखान,बिन्दु ,बैजू कितना नाम गिनाएं|

    • @rajendramishra7423
      @rajendramishra7423 Год назад

      योगी कथामृत (योगानंद जी) पुस्तक पढ़ें सब उत्तर मिल जायेगा | महीनों तक शव (बिना किसी भौतिक लेप आदि के)से जरा भी दुर्गन्ध नहीं आया| दो तीन बार दिल से पुरा पढ़ें| योगी कथामृत|

    • @anukumari835
      @anukumari835 6 месяцев назад

      ​@@rajendramishra7423😂😂😂😂

  • @अरविन्दकुमारतिवारीअरविन्दतिवा

    यदि आपकी बात पूरी तरह सही है,तो वेदों में देवताओं का आवाहन करने के लिए मंत्र कहां से आए।

    • @Adityapl841
      @Adityapl841 11 месяцев назад +2

      वेदों में एक मंत्र हैओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुतानि परासुव यद भद्दम तनासुव यहां पर देव का अर्थ ईश्वर है संपूर्ण विश्व का देवता अर्थात ईश्वर

  • @dolmayaneopane8519
    @dolmayaneopane8519 11 месяцев назад

    गुरुजी को धन्यवाद ,ईसिलिए बुध्दने मुर्ति बनानेको रोकाथा?

  • @prasadlalbabu8271
    @prasadlalbabu8271 Год назад +2

    गायत्री परिवार के सम्बन्ध मै आप के क्या बिचार हू।

  • @pramodsharma5995
    @pramodsharma5995 Год назад +8

    जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी।

  • @babulalmeena9601
    @babulalmeena9601 6 месяцев назад

    Sanyog Rashi ka kya karoge Guruji

  • @amritdasdewan3081
    @amritdasdewan3081 Год назад

    😊 बहुत अच्छा लगा

  • @PralaahChandra-eb2xm
    @PralaahChandra-eb2xm Год назад +2

    कण कण में है पर स्वामी जी को शायद ही मिला हो

  • @premkumarmerupo
    @premkumarmerupo 11 месяцев назад

    Logic Sahi hai

  • @yagyarajgyawali9853
    @yagyarajgyawali9853 Год назад +2

    भगवान तो अदृष्य है । मुझे उनसे कुछ लेना है अर्थात कुछ प्राप्त करना है इसिलिए मैने उनको प्रसन्न करना चाहता हुँ । इसिलिए उनको प्रसन्न करनेके लिए उनके संझनाके लिए शास्त्रमे बतए गए आकारके अनुसार मुर्ती कुदाक्र स्थापित करके उस्मे मन्त्रोके शक्तिके अनुसार उनको उस मुर्तिमे बिराजमा होनेके लिए आमन्त्रण करते है तब उस स्थुल शरीर पर हम अपना विधि अनुसार उनको पूजा आरधना करते है । इसपर आँप क्या कहसक्ते है ।

    • @anukumari835
      @anukumari835 6 месяцев назад

      Bhai man me kalpana karna hai n ki pathar ki murti bna le a hai

    • @yagyarajgyawali9853
      @yagyarajgyawali9853 6 месяцев назад

      @@anukumari835 तबतो पूजाभि मन्मेही किजिए !

    • @anukumari835
      @anukumari835 6 месяцев назад

      @@yagyarajgyawali9853bhagwan ka dhyan andar hi hota n ki bahar dikhawa karo

    • @anukumari835
      @anukumari835 6 месяцев назад

      @@yagyarajgyawali9853 aapne aap ko jaan loge to bhagwan ka anubhav ho jayega

  • @sidheshwarverma5016
    @sidheshwarverma5016 22 часа назад

    Aachary ji pran nikale par kanha jata hai

  • @shrikrishnayadav2130
    @shrikrishnayadav2130 Год назад

    उस ईश्वर का स्वरूप क्या है जिसने वेदों को बनाया है? 🙏

  • @gayaramtandon9298
    @gayaramtandon9298 Год назад +2

    आचार्य जी एक बार साइंस जर्नी से डिबेट कर लो।

  • @Athato_Brahmajijnasa
    @Athato_Brahmajijnasa 10 месяцев назад

    यदि अश्वमेध यज्ञ में अश्व में प्रजापति की प्रतिष्ठा की जाती है जिसका संपूर्ण वैदिक आधार हो, तो पाषाण में विष्णु की प्रतिष्ठा क्यों नहीं हो सकती?

    • @Athato_Brahmajijnasa
      @Athato_Brahmajijnasa 7 месяцев назад

      @@Confucianism03030 पंचभूतों में प्राण निःसृत करने की शक्ति तप और मंत्र में है। है बिलकुल, हठ योग से मृत देह में भी पुनः प्राणों का समावेश हो सकता है। यह मंत्र से भी संभव है, जैसा शुक्राचार्य ने मय दानव आदि असुरों को भी मृत संजीवनी विद्या से जीवित किया था।
      उसी प्रकार मंत्रों और तप के प्रभाव से मूर्ति में भी प्राण प्रसरित होतें हैं।
      श्रीमद् भागवत आदि पुराणों में कालिका की मूर्ति से देवी का प्रदुर्भाव होना और जडभरत की रक्षा करने का प्रसंग मिलता है। अन्य भक्ति साहित्यों में भी भगवान जगन्नाथ और द्वारकाधीश की मूर्तियों का चलना, बोलना और भोजन करना रूप वर्णन मिलता है।
      बड़े बड़े आचार्यों ने भी मूर्ति प्रतिष्ठा को स्वीकृति दी है और पांचरात्र आदि आगम भी मूर्ति पूजा और कैंकर्य सेवा का स्पष्ट और विषद वर्णन करती है।
      शास्त्र के सैंकड़ों प्रमाण और अकाट्य तर्क हमारे पास है, परंतु मूर्ख नमाजी क्या समझे?

  • @sukantadas3889
    @sukantadas3889 Год назад +2

    Namaste

  • @janaknimavat2988
    @janaknimavat2988 Год назад +10

    हमारी आखे इतनी दिव्य नहीं है की हम कंन कंन मे भगवान् को देख सके
    संजय और अर्जुन जैसे भगवान् दिव्य चखसु दे तो हम देख शकते है
    हमारा अज्ञात मन चित्र और साकार वस्तु पकड़ शकता है इसलिए ऋषि मुनि ओ ने मूर्ति की अनमोल भेट दी है
    दयानंद सरस्वती ज्ञानी और समाज सुधारक थे लेकिन भक्त नहीं
    पत्थर मे भगवान् देखने के लिए भक्त हृदय चाहिए
    श्री कृष्ण भगवन ने भी गोवर्धन पूजा की थी
    तो क्या वो गलत थे?
    हा चोक्कस कुछ पंडा ओके कारण पाखंड आ गया था
    राम ने रामेश्वर शिव लिंग् की स्थापना की क्या वह गलत है
    हमारी दयानंद सरस्वती जी जैसी साधना नही है की हम निराकार की उपासना कर शके
    सभी जीव k G मे अभ्यास कर रहे है
    जब p H D banege तब मूर्ति पूजा छोड देगे

    • @nareshpalaya1170
      @nareshpalaya1170 Год назад

      सही कहा है.तर्क से शक्ति अनुभव नही
      मिलता है.

    • @VIRENDRAKUMAR-ym4xg
      @VIRENDRAKUMAR-ym4xg Год назад

      Bhai Aastha aur tark hi to do paar hain jissae sadhak tatav ka shakshat kartae hain. Aap log Aastha to rakhtae ho tark ki avaelhna kartae ho is karan parmatma ki prapti sae door hon. OM TAT SAT.

    • @nirmalasiwach4118
      @nirmalasiwach4118 Год назад +2

      बहुत सुन्दर लिखा भाई ने धन्यवाद

    • @h.l.diwakar4845
      @h.l.diwakar4845 Год назад

      मूर्ति में कभी प्राण नहीं आ सकते हैं

    • @omchauhan1821
      @omchauhan1821 11 месяцев назад

      Sahi kha aap ne ye apne aap bahot bade 😅gyaani samaj ke dusro ko nicha bata ke apne gyaan ka pardsan kar rahe hai😅

  • @richagera4170
    @richagera4170 Год назад +3

    🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @ravindernathsharma3925
    @ravindernathsharma3925 Год назад +3

    दयानंद की तस्वीर क्यों टांगते हो क्या दयानंद तस्वीर में है ?
    कुतर्क कर रहा है महामूर्ख

  • @hemaaggarwal-o8w
    @hemaaggarwal-o8w 9 месяцев назад

    मूर्ति पूजा कर के अगर मन को शांति मिले फिर भी नहीं करनी चाहिए क्या प्राण प्रतिष्ठा एवं मूर्ति पूजा🙏

  • @राहुलप्रेमीमेरठ

    सादर प्रणाम 🙏कुछ वीडियो ऐसी सामने आई प्राण प्रतिष्ठा के समय मूर्ति की आंखों से पट्टी हटाने से शीशा टूट जाता है कृपया मार्गदर्शन करे जी।

    • @madhurgeeth
      @madhurgeeth 11 месяцев назад

      शीशा अपने आप नहीं टूटता! प्राण-प्रतिष्ठा के समय बहुत कमजोर पतले शीशे का आइना पुजारी अपने दोनों हाथों से मूर्त्ति कू सामने लाता है और सूक्ष्म रूप से आइने के शीशे पर दोनों हाथों के मध्य में किञ्चित तिर्यक दबाव देता है जिसपर उपस्थित पुजारी और भक्तजन ध्यान नहीं देते। कभी भी पुजारी इस अनुष्ठान के समय एक हाथ से आइने को नहीं पकड़ता है!

  • @kaushalkumaragrawal2496
    @kaushalkumaragrawal2496 11 месяцев назад

    Yes

  • @acharyahariprasad6
    @acharyahariprasad6 8 месяцев назад

    सत्यार्थ प्रकाश आज हम मूर्ति पूजा करने वाले लिखते हैं कि
    मूर्ति पूजा करने वाले की इज्जत पूरी दुनिया में है, जबकि
    मूर्ति पूजा नहीं करने वाले की इज्जत मिट्टी में मिल गई है कोई इज्जत नहीं है ऐ बाद हमारी नयी पुस्तक की प्रथम पंक्ति है

    • @sitaramsahani4541
      @sitaramsahani4541 8 месяцев назад

      Amerika,Briten,France jarmany to murty Puja nahi karate, is per kya kahna hai ?which are devloped countries

  • @rajeshshrivastava242
    @rajeshshrivastava242 Год назад +1

    निराकार ब्रह्म की उपासना