बहुत ही ख़ूबसूरत और अच्छी जानकारी दी आपने । वैसे ये नज़्म साहिर लुधियानवी साहिब ने 1945 में छपी अपनी पहली किताब तल्ख़ियां में शामिल की थी । इसमें अरबी भाषा के नहीं बल्कि फ़ारसी भाषा के अल्फाज़ इस्तेमाल किए गए हैं जैसे जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां हैं की जगह सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक कहां हैं जिसका मतलब पूर्व की पवित्रता की तारीफ़ करने वाले ( those who praise the sacred of East ) पर चोट की है । कहते हैं कि एक बार अपने भाषण में जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि हमें हमारे देश पर नाज़ है इसलिए साहिर साहिब ने ये लाइन बदल दी थी । ये बात भी सच है कि साहिर लुधियानवी साहिब बेबाक और क्रांतिकारी शायर थे । 1969 में जब जब भारत सरकार ने मिर्ज़ा ग़ालिब की शताब्दी मनाई तो साहिर साहिब को आमंत्रित किया गया । वहां साहिर साहिब ने ये नज़्म पढ़ी इक्कीस बरस गुज़रे आज़ादी ए कामिल को तब जा के कहीं हम को ग़ालिब का ख़याल आया । इसमें उन्होंने देश की सरकार पर उर्दू ज़बान को ख़त्म करने का इल्ज़ाम लगाया है । इसको सुनकर इंदिरा गांधी बड़ी हैरान हुईं थीं । नज़्म काफ़ी लंबी जो पूरी पढ़ना चाहे तो रेख़्ता ऐप्स पर जा कर पढ़ सकता है ।
पुराने ज़माने के सभी गायक महान थे, कौनसे गाने में किस गायक की आवाज़ लेनी है, यह संगीतकार के अधिकार क्षेत्र में होता है। रफी साहेब की गायकी में खूबियों की विविधता होने के कारण वे, सामान्यतः, संगीतकारों की पहली पसंद होते थे। स्वयं एक संगीत अभ्यासी होने के नाते, मुझे सभी के गाए हुए गाने उनकी विशिष्टताओं के कारण अति रूचिपूर्ण लगते हैं। मन्ना दा के लिए, ऐसे हल्के विचार ने मुझे बहुत आहत किया है।
रफी साहेब जैसे अनमोल रत्न को किसी अलंकरण की आवश्यकता नहीं। ऐसे पदकों के लिए चुने जाने प्रक्रिया में बहुत राजनीति चलती है, शायद हम सभी को इसकी जानकारी नहीं। हमारे भारत वर्ष के लोगों के हृदयों के अनुपम रत्न के लिए, अब किसी को उन राजनिज्ञों से याचना करने की जरूरत नहीं, जिन्हें संगीत के मर्म की समझ ही नहीं। मगर, हां भारत रत्न पदक धारकों की सूची में रफी साहेब का नाम सम्मिलित होने से भारत रत्न पदक के मान में अभिवृद्धि होगी।
"Yes, that's absolutely right! Dilip Kumar was initially offered the role, but he turned it down. It's fascinating to think how cinema history might have been different if he had accepted it. Guru Dutt’s portrayal in Pyaasa was iconic, and the film remains a timeless classic. Thanks for sharing this interesting bit of trivia!"
To da La película anterior d año pasado le daba un mensaje sólido a los pueblos comparando la peliluca d horita es una bausar..... "PANAMA ENTRO AMÉRICA"
Rafi Sahab ki awaaz aur adayegi bemisaal Rahi hai The Great Mehdi Hassan Sahab bhi unke saamne phike lagte hain Jab ki unse bada gayak paida nahi hua jin se Rafi Saheb bhi seekhte the.
रफी जी का मार्केटिंग के लिए एक नयी काल्पनिक कथा, Great singer Manna De ji ko girane ke liye., Great Classical singer Manna De ji ye gaana gaa nahi sakate ye baat impossible hai, Rafi ji ki aavaj jaada Guru datt ji ko suit karati thi, aur ye gaana Rafi ji ki aavaj ko jaada suit karati thi, en kaaranon ke liye Rafi ji ko diya gaya. Aise aur ek video me great singer Mukesh ji ko bhi giraya tha Rafi ji ke Kalpanik kathaon se. Ye katluon ki nayi saajish hai, Hindu singers ko diplomatically girana, jhuthi kahaniya bana kar, jise Pseudo- Seculars Hindu accha saath de rahe hai.
Manna Dey is an overrated singer. But the music directors of that era knew his calibre and most of the time Manna ended up singing for character artists and not main leads.
रफी साहब हमेशा हर रंग में लाजवाब बेमिसाल अविस्मरणीय बेहतरीन बेजोड़ सदाबहार शानदार अदितीय अद्भुत कमाल
बहुत ही ख़ूबसूरत और अच्छी जानकारी दी आपने । वैसे ये नज़्म साहिर लुधियानवी साहिब ने 1945 में छपी अपनी पहली किताब तल्ख़ियां में शामिल की थी । इसमें अरबी भाषा के नहीं बल्कि फ़ारसी भाषा के अल्फाज़ इस्तेमाल किए गए हैं जैसे जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहां हैं की जगह सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक कहां हैं जिसका मतलब पूर्व की पवित्रता की तारीफ़ करने वाले ( those who praise the sacred of East ) पर चोट की है । कहते हैं कि एक बार अपने भाषण में जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि हमें हमारे देश पर नाज़ है इसलिए साहिर साहिब ने ये लाइन बदल दी थी । ये बात भी सच है कि साहिर लुधियानवी साहिब बेबाक और क्रांतिकारी शायर थे । 1969 में जब जब भारत सरकार ने मिर्ज़ा ग़ालिब की शताब्दी मनाई तो साहिर साहिब को आमंत्रित किया गया । वहां साहिर साहिब ने ये नज़्म पढ़ी
इक्कीस बरस गुज़रे आज़ादी ए कामिल को तब जा के कहीं हम को ग़ालिब का ख़याल आया । इसमें उन्होंने देश की सरकार पर उर्दू ज़बान को ख़त्म करने का इल्ज़ाम लगाया है । इसको सुनकर इंदिरा गांधी बड़ी हैरान हुईं थीं । नज़्म काफ़ी लंबी जो पूरी पढ़ना चाहे तो रेख़्ता ऐप्स पर जा कर पढ़ सकता है ।
पुराने ज़माने के सभी गायक महान थे, कौनसे गाने में किस गायक की आवाज़ लेनी है, यह संगीतकार के अधिकार क्षेत्र में होता है। रफी साहेब की गायकी में खूबियों की विविधता होने के कारण वे, सामान्यतः, संगीतकारों की पहली पसंद होते थे।
स्वयं एक संगीत अभ्यासी होने के नाते, मुझे सभी के गाए हुए गाने उनकी विशिष्टताओं के कारण अति रूचिपूर्ण लगते हैं।
मन्ना दा के लिए, ऐसे हल्के विचार ने मुझे बहुत आहत किया है।
Yes undoubtedly we are really Proud of them !We were lucky to have them in India .
Great Guru Dutt, Great Rafi, Great Sahir, Great S D Burman, Great song, Great film❤❤
Indian Kohinoor great singer Rafhi Sahab ko Bharat Ratna milna chahiye 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
रफी साहेब जैसे अनमोल रत्न को किसी अलंकरण की आवश्यकता नहीं। ऐसे पदकों के लिए चुने जाने प्रक्रिया में बहुत राजनीति चलती है, शायद हम सभी को इसकी जानकारी नहीं। हमारे भारत वर्ष के लोगों के हृदयों के अनुपम रत्न के लिए, अब किसी को उन राजनिज्ञों से याचना करने की जरूरत नहीं, जिन्हें संगीत के मर्म की समझ ही नहीं।
मगर, हां भारत रत्न पदक धारकों की सूची में रफी साहेब का नाम सम्मिलित होने से भारत रत्न पदक के मान में अभिवृद्धि होगी।
Rafi saheb is greatest singer and gurudutt saheb great talent as actor director
Rafi sahab 🙏❤️
Great song by a great singer
Great Rafi Sahab ❤
Rafi saheb ek nirala gayak the ki kisi bhi gana ku badi maje se anjam de sakte the
Fantastic picture, story, direction , music, lyrics and beautiful voice
Very interesting story,
❤❤❤❤❤
Very truly narrated
🙏🙏
Great information.
आज की हालात कुछ ऐसे ही है😔
Initially Guru Dutt sahab offered the main role to Dilip kumar sahab who refused it. But after finding the success of the film he lamented later on.
"Yes, that's absolutely right! Dilip Kumar was initially offered the role, but he turned it down. It's fascinating to think how cinema history might have been different if he had accepted it. Guru Dutt’s portrayal in Pyaasa was iconic, and the film remains a timeless classic. Thanks for sharing this interesting bit of trivia!"
आज के हालात तो उस से ही बुरे है
To da La película anterior d año pasado le daba un mensaje sólido a los pueblos comparando la peliluca d horita es una bausar..... "PANAMA ENTRO AMÉRICA"
Purane film nirmata hamisha unke film ki madhyam se samaj ko lia ek mahatya purna sandesh chood jate the
It's all lie.Mannadey asked pyarelal to ask Rafi to sing and told Rafi only can do justice to the song
Music director was S. D. Burman not pyerelal
मन्ना डे अपने स्तर के गायक हैं किसी से किसी की तुलना बेकार है
Rafi Sahab ki awaaz aur adayegi bemisaal Rahi hai The Great Mehdi Hassan Sahab bhi unke saamne phike lagte hain Jab ki unse bada gayak paida nahi hua jin se Rafi Saheb bhi seekhte the.
Why this stupid caption? Just admire the lyrics, music, singing, acting.
आपके इस भाव को नमन करता हूं।
रफी जी का मार्केटिंग के लिए एक नयी काल्पनिक कथा, Great singer Manna De ji ko girane ke liye., Great Classical singer Manna De ji ye gaana gaa nahi sakate ye baat impossible hai, Rafi ji ki aavaj jaada Guru datt ji ko suit karati thi, aur ye gaana Rafi ji ki aavaj ko jaada suit karati thi, en kaaranon ke liye Rafi ji ko diya gaya. Aise aur ek video me great singer Mukesh ji ko bhi giraya tha Rafi ji ke Kalpanik kathaon se. Ye katluon ki nayi saajish hai, Hindu singers ko diplomatically girana, jhuthi kahaniya bana kar, jise Pseudo- Seculars Hindu accha saath de rahe hai.
Manna Dey is an overrated singer. But the music directors of that era knew his calibre and most of the time Manna ended up singing for character artists and not main leads.
😂😢😅रफी जी का मार्केटिंग के लिए एक नयी काल्पनिक कथा...! 😂😢😮🤔😳😲
नेहरू जी के दौर में विरोध की आवाजों को दबाया नहीं जाता था। यदि आज के फेंकू दौर में थोड़ा भी आलोचना कर दी जाए, तो राष्ट्रद्रोही करार दिया जा सकता है।