Sheesh Mahal Patiala Video Punjabi Style

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  • Опубликовано: 29 авг 2024
  • पटियाला पंजाब के शीश महल का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
    शीश महल पटियाला संक्षिप्त जानकारी
    शीश महल पटियाला का संक्षिप्त विवरण
    भारतीय राज्य पंजाब में स्थित शीश महल पटियाला के महाराजा का एक बहुत ही आकर्षक आवासीय महल था। पटियाला पंजाब प्रान्त का 5वा सबसे बड़ा जिला है। इसकी सीमाएं उत्‍तर में फतेहगढ़, रूपनगर व चंडीगढ़ से, पश्चिम में संगरूर से, पूर्व में अंबाला और कुरुक्षेत्र से तथा दक्षिण में कैथल से मिलती हैं।
    देश की मुस्कराती आत्मा कहलाने वाला पंजाब बगीचों और किलों के शहरों वाला राज्य भी है। पंजाब के खूबसूरत महल, टेढ़े-मेढ़े खेत और अद्भुत मंदिर राज्य की सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं, जिसे देखने देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक हर साल यहाँ आते है।
    शीश महल पटियाला का इतिहास
    पटियाला में स्थित इस भव्य शीशा महल का निर्माण महाराजा नरेन्द्र सिंह द्वारा साल 1847 में करवाया गया था। भवन को बनाने में उपयोग हुए आकर्षक रंगीन कांच की कारण इस महल को 'दर्पणों के महल' के नाम से पुकारा जाता है।
    साल 2009 इस महल की खराब हालत को देखते हुए राज्य सरकार ने इस महल का पुनर्निमाण शुरू किया जो जाकर अप्रैल 2017 में समाप्त हुआ, इस महल को बनाने में इतना समय नहीं था, जितना इसकी मरम्मत में लगा।
    महल के बाहरी भाग के साथ ही एक लंबे अरसे से बंद पड़ी मैडल गैलरी के मैडलों और बाकी अन्य चीजे जिनमे तलवारें या राजा-महाराजाओं से संबंधित सामान है, उसे रखने के लिए नई टैक्नीक और डिजाइन में शोकेस तैयार किए गए हैं।
    शीश महल पटियाला के रोचक तथ्य
    ये आकर्षक महल मोती बाग पैलेस के पीछे ही बना हुआ है, पूर्व में यह मोती महल पैलेस का ही भाग था।
    यह महल छतों, बागीचों, फव्वारों तथा एक कृत्रिम झील के साथ जंगल में बनवाया गया था। इस झील में उत्तरी तथा दक्षिण भाग में दो निगरानी स्तंभ हैं और ये बानासर घर से जुड़े हैं जो खाल में भर कर बनाए गए जानवरों का एक संग्रहालय है।
    इस महल के सामने एक बहुत सुदर पानी की झील है जिसके ऊपर एक झूला भी है,जिसे लक्ष्मण झूला के नाम से जाना जाता है। यह झूला ऋषिकेश में स्थित लक्ष्मण झूले जैसा ही प्रतीत होता है।
    उन्होंने कांगड़ा और राजस्थान के महान चित्रकारों को बुला कर अनेक प्रकार के चित्रमय दृश्य इस शीश महल की दीवारों पर बनवाए थे, जिसमें साहित्य, पौराणिक और लोक कथाएं उकेरी गई थीं।
    इन महलों में बने भित्तिचित्र 19वीं शताब्दी में बने भारत के श्रेष्ण भित्तिचित्रों में एक हैं। ये भित्तिचित्र राजस्थानी, पहाड़ी और अवधि संस्कृति को दर्शाते हैं।
    महल की सबसे अधिक प्रशंसनीय चीज है यहां बनी हुई कांगड़ा शैली की छोटी छोटी तस्वीरें, जिनमें महान कवि रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित एक महान कविता संग्रह, गीत गोविंद के चित्र लिए गए हैं।
    महल के बिहार पंजाब की हाथी दांत पर की गई शिल्पकारी, लकड़ी से बनाये गए शाही फर्नीचर और बड़ी संख्या में बर्मा तथा कश्मीरी दस्तकारी की वस्तुएं भी प्रदर्शित की गई हैं।
    महल के भीतर एक संग्रहालय भी है, जिसमें दुनियाभर के विभिन्न भागों के पदकों का सबसे बड़ा संग्रह यहाँ मौजूद है। इस संग्रह में इग्लैंड, ऑस्ट्रिया, रूस, बेलजियम, डेनमार्क, फिनलैंड, थाईलैंड, जापान और एशिया तथा अफ्रीका के अन्य अनेक देशों के पदक शामिल हैं।
    संग्रहालय में कुछ दुर्लभ पांडुलिपियां भी शामिल हैं, जिनमे जन्म साखी और जैन पांडुलिपियों के अलावा सबसे अधिक कीमती पांडुलिपि गुलिस्तान - बोस्टन की है जिसे शिराज़ के शेख सादी ने लिखा था।
    इस भव्य किले के अन्दर भारत की पूर्व रियासतों के महाराजाओं की ओर से चलाए जाने वाले प्राचीन सिक्के बंद पड़े हैं। यहां तक कि यहां पर नानकशाही सिक्के भी मौजूद हैं।
    भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में 867 रियासतें थी, जिनके अपने-अपने सिक्के हुआ करते थे। पटियाला के इस महल के अन्दर पेटियों और शीशे के बक्सों में लगभग 29,700 सिक्के बंद पड़े हैं।
    यह महल मंगलवार से शुक्रवार तक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है। शनिवार और रविवार को सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। ये महल सोमवार को बंद रहता है। यहां आप निशुल्क प्रवेश कर सकते हैं।

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