उत्तराखंड के लोक पर्व हरेला के साथ सावन की शुरुआत।
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- Опубликовано: 17 окт 2024
- हरेला देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) का लोकपर्व है, जोकि प्रकृति से जुड़ा है. खासतौर पर हरेला पर्व उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है. जब सूर्य देव कर्क राशि में प्रवेश (Surya Gochar in kark Rashi) करते हैं तो हरेला का पर्व मनाया जाता है.
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उत्तराखंड में बड़े ही धूमधाम के साथ हरेला पर्व मनाया जाता है. लोकपर्व हरेला सावन (Sawan 2024) के आगमन का संदेश है. हरेला देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) का लोकपर्व है, जोकि प्रकृति से जुड़ा है. खासतौर पर हरेला पर्व उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मनाया जाता है
कैसे मनाया जाता है हरेला पर्व
हरेला पर्व की तैयारियों में लोग 9 दिन पहले से ही जुट जाते हैं. 9 दिन पहले घर पर मिट्टी या फिर बांस से बनी टोकरियों में हरेला बोया जाता है. हरेला के लिए सात तरह के अनाज, गेहूं, जौ, उड़द, सरसो, मक्का, भट्ट, मसूर, गहत आदि बोए जाते हैं. हरेला बोने के लिए साफ मिट्टी का प्रयोग किया जाता है. हरेला बोने के बाद लोग 9 दिनों तक इसकी देखभाल भी करते हैं और दसवें दिन इसे काटकर अच्छी फसल की कामना की जाती है और इसे देवताओं को समर्पित किया जाता है.
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Happy harela🎉