चंपारण में महात्मा गाँधी -डॉ. राजेंद्र प्रसाद

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  • Опубликовано: 9 окт 2024

Комментарии • 10

  • @virendrasahu2978
    @virendrasahu2978 8 дней назад +1

    बहुत-बहुत शुक्रिया इस नायाब किताब की सार -संक्षिप्त समीक्षा से रूबरू कराने के लिए। आपने इस समीक्षा के माध्यम से पाठकों को जानने का अवसर प्रदान किया कि गाँधी ने नीलहरों द्वारा स्थानीय किसानों पर अजीबोगरीब और अमानवीय करों की व्यवस्था और किए जा रहे उत्पीड़न से छुटकारा दिलाने के लिए जिस सत्याग्रह का बिगुल फूंका उससे स्थानीय पाठकों के साथ-साथ भारतीय जनमानस का परिचित होना बेहद ज़रूरी है। श्रोता इस समीक्षा के उपरांत निश्चित ही चंपारण सत्याग्रह का भारतीय जनता पर पड़े प्रभाव को जानने के लिए उत्सुक होंगे साथ ही साथ पाठकों को इतिहास में इस महत्वपूर्ण घटना का राजनीतिक एवं सामाजिक परिवर्तन के दिशा निर्धारण और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को गति प्रदान करने में चंपारण सत्याग्रह और गाँधी के अद्वितीय योगदान को जानने का मौक़ा मिलेगा। इस साहित्यिक श्रम हेतु हृदय से बहुत-बहुत आभार । आशा है इसी तरह आप हिन्दी साहित्य की महत्वपूर्ण एवं कालजयी पुस्तकों की सारगर्भित समीक्षा से हम सभी पाठकों एवं श्रोताओं को लाभांवित करते रहेंगे। 🙏

  • @ABHIGYAN-s9e
    @ABHIGYAN-s9e  8 дней назад

    धन्यवाद, वीरेंद्र जी!

  • @priyadarshinitimes
    @priyadarshinitimes 8 дней назад +3

    आपको सुनना हर बार स्वयं को समृद्ध करना होता है। पटना के बुद्धिजीवियों की सूची आपके नाम के बिना पूरी नहीं हो सकती, ऐसा मेरा मानना है। अगले विडियो का इंतेजार रहेगा भइया।

  • @mdroushan3299
    @mdroushan3299 6 дней назад

    शानदार सर👌

  • @drshipramishra8682
    @drshipramishra8682 5 дней назад

    आपने बहुत महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है..बहुत महत्त्वपूर्ण पुस्तक है ये.. अत्यंत शोधपरक.. हार्दिक आभार 🌹🌹

  • @azamsheikh760
    @azamsheikh760 7 дней назад

    आप शानदार वक्ता है भैया जी

    • @ABHIGYAN-s9e
      @ABHIGYAN-s9e  7 дней назад

      शुक्रिया 🙏🙏🙏