Dikhaa lena sahi hai. Es bande k face se he lag raha hai. K yeah us k liye he bana hai. Etnaa khush yr. Sahi mai bhot himmat hai . Aap mai. God bless u. Or 😔😔😌😌
I don’t know exactly what jain dharam is and so should not comment on it but it really made me sad n felt like crying with his loved ones.just wana say if this makes all who loves you cry like this then its not right.Its my view point.
इन 34 अतिशयों को बार = २ पढ़ने से मनुष्यों के नरक व पशु आदि जन्मों के द्वार बंद हो जाते हैं. फ़िर से मनुष्य बनने स्वर्ग व निर्वाण प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं व इस भव के भी अनेकों कष्ट दूर हो जाते हैं व स्थिर शान्ति प्राप्त होती है। दुष्ट आत्माएं प्रवेश नहीं करतीं, पहले से हों तो भाग जाती हैं। 34 अतिशय------ जैन धर्म में राजे महाराजे देवों इंद्रों द्वारा भी पूजनीय सभी तीर्थंकर भगवान के 34 अतिशय हुआ करते हैं अर्थात् अति विशेष जो औरों में नहीं हुआ करते :::: निश्चित अवधि के एक लम्बे काल में सदा तीर्थंकर भगवान 24 हुआ करते हैं। इसे एक चौबीसी कहा जाता है। ऐसे काल अनंत बीत चुके हैं भविष्य में अनंत होंगे। इस प्रकार अनंत चौबीसियां हो चुकी हैं आगे अनंत होती रहेंगी। वर्तमान चौबीसी के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव हुए हैं और अन्तिम भगवान महावीर । वे किसी के भेजे हुए अवतार नहीं होते हैं, स्वयं आत्मा से परमात्मा बनने व निर्वाण प्राप्ति के मार्ग पर चलते हुए तीर्थंकर बनते हैं। सभी तीर्थंकर भगवान 34 अतिशयों व वाणी के सर्व 35 गुणों से सम्पन्न होते हैं। 34 अतिशय'----- 1 ... उनके बाल अपने आप सदा मर्यादित व सुंदर शुभ रहा करते हैं। २ ... उनका मल स्थान सदा घोड़े जैसा होता है जिस पर मल का लेप नहीं लगता। शरीर पर भी मैल नहीं लगता। ३.... उनके खून का व मांस का अंदरूनी रंग सदा दूध से भी उज्जवल सफ़ेद व मधुर होता है। 4... उनके सांस व पेट की वायु सदा पदम कमल से भी अधिक सुगंध वाली होती है। 5 - _. वे आहार करते हुए दिखाई नहीं देते और न ही निहार करते हुए ॥ 6. ... भगवान जब चलते हैं तो आकाश में जोर से गरणाट शब्द करता हुआ चक्र चलता है व उनके रूकने पर रूक जाता है। 7. -- भगवान के सिर के ऊपर देवों द्वारा किए हुए एक पर एक मोतियों की झालरों वाले तीन अत्यंत शोभनीय छ्त्र हुआ करते है। 8...... देवता अपनी इच्छा से. भगवान के दोनों बगलों में सफ़ेद उज्जवल व रत्न जडित डंडी वाले चामर ड्डलाया करते हैं। ९: .. भगवान सदा पाद पीठ सहित उज्जवल स्फटिक सिंहासन पर ही विराजा करते हैं। 10. ... रत्न जडि़त हजार ध्वजाओं सहित मध्य में इंद्रध्वज सदा भगवान के आगे रहा करती हैं। 11.--. जहां - २ भगवान रूकते या बैठते हैं उनके ऊपर पत्रों व फूलों से पूर्ण सुगंधित व ध्वजाओं से शोभनीय भगवान से 12 गुणा ऊंचे अशोक वृक्ष की छाया देवता किया करते हैं । 12. . उनके सिर के पीछे सूर्य समान भामण्डल होता है जो रात्रि में सभी दिशाओं में प्रकाश करता है। 13 ..... भगवान जहां -2 जाते हैं धरती की उबड़खाबड़ सम हो जाती है। 14 --- ऊपर को उठे हुए घरती पर कांटे उल्टे नीचे मुख हो जाते हैं। 15.-.-. शीतकाल और उष्णकाल शीत या उष्ण न रह कर सुहावने हो जाते हैं। आगे और इसी को रिप्लाई में दिया है पढ़ने का कष्ट करें। 16. सभी दिशाओं में 4 - 4 कोस तक अशुचियां दूर हो जाती हैं. मंद-2 सुखकारी सुगंधित वायु चलती है। तथा I7. ---सुगंधित जल की मंद मंद वर्षा होती है जिससे धूल दब जाती है। तथा... 18--- पांच रंग के फूलों की वर्षा होती है जिनके मुख ऊपर डंढ्ल नीचे होते हैं। 19. -.-..अप्रिय वर्ण रूप रस गंध स्पर्श नष्ट होते हैं। 20-... - प्रिय वर्ण रूप रस गंध स्पर्श प्रकट होते हैं।
21-.... भगवान की वाणी को देवता सभी दिशाओं में 4--4 कोस दूर तक पहुंचाते हैं। 22... 23..... भगवान् सदा अर्धमागधी भाषा में प्रवचन फ़रमाते हैं------ जो कि सुनने वाले सभी की अपनी -2 भाषा में परिणत हो जाती है और सभी आसानी से समझ जाते हैं। 24---घर्म सुनने के लिए देव मनुष्यों के इलावा पशु पक्षी आदि भी आते हैं और 25.... सभी अपने वैर भय मिटाकर शेर बकरी सर्प नेवला बाज कबूतर बिल्ली चूहा आदि इकट्ठे बैठकर भगवान की और मुख करके प्रसन्न व शांत चित्त से धर्म सुनते है। 26--- अपने अभिमान के साथ आए हुए अन्य धर्मों के वादी उत्तर पाकर संतुष्ट हुए भगवान के चरणों को समर्पित हो जाते हैं। 27.--- भगवान की सभी दिशाओं में 100 --- 100 कोस तक टिड्डी आदि प्राणियों के उपद्रव नहीं होते हैं। तथा ---- 28---.. हैजा आदि महामारी नहीं होती है तथा .. 29...30..... - स्वदेश व परदेश के राजा व सेना के उपद्रव नहीं होते। 31.-..32... अतिवृष्टि व अनावृष्टि नहीं होते। 33.... दुर्भिक्ष नहीं होता। 34 - ... कोई भी उठे हुए कष्ट अपने आप शांत हो जाते हैं। ------------------------------------------------------------ भगवान ने अपनी साधना के द्वारा राग को पहले ही जड़ से उखाड़ दिया होता है। तभी उनका अनादि से सोया हुआ परम् सत्य एवं सम्पूर्ण ज्ञान का महा सूर्य जागृत होता है। देव अपनी इच्छा से भगवान के लिए जो -2 करते हैं उसमें उनका अंश मात्र भी राग नहीं होता है। आश्चर्य है कितनी शुद्ध, स्वच्छ, पवित्र , पावन, निर्मल, महान होती है भगवान की आत्मा । इन 34 अतिशयों को बार = २ पढ़ने से मनुष्यों के नरक व पशु आदि जन्मों के द्वार बंद हो जाते हैं. फ़िर से मनुष्य बनने स्वर्ग व निर्वाण प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं व इस भव के भी अनेकों कष्ट दूर हो जाते हैं व स्थिर शान्ति प्राप्त होती है। जैन धर्म: .. राजे महाराजे देवों इंद्रों द्वारा परम पूजनीय , अहिंसा व शान्ति के महासागर , परम् सत्य व सम्पूर्ण अनंत ज्ञान के महासूर्य भगवान महावीर स्वामी (वर्तमान चौबीसी के अन्तिम तीर्थंकर) के परम् पावन चरणों की अनंत शरण में सभी का सदा ही अनंत हित हो अनंत मंगल हो अनंत कल्याण हो । उनके चरण कमल जिसका कभी भी अंत नहीं हो ऐसा अनंत स्थायी हित करने वाले सदा ही अनंत वंदनीय पूजनीय हैं। हर किसी के परम् कल्याणकारी भगवान महावीर स्वामी सदा जयवंत हैं। मात्र नाम जपने वाले का भी सदा अनंत हित होता है। वह भी एक दिन भगवान महावीर बन जाता है। नमो नमो श्री भगवान महावीर स्वामी। श्री भगवान महावीर स्वामी की सदा ही श्रद्धा भक्ति स्तुति पूजा जय जय जय हो । ............... ---------....---...-.-....-..------------- जैन धर्म...देव मानव पशु पक्षी नर मादा तीर्थंकर भगवान के श्रद्धा से प्रवचन सुनने के लिए आते हैं। ' शेर बकरी सूअर चीता हिरण साँप नेवला बाज़ कबूतर बिल्ली चूहा आदि भी आते हैं और अपनी दुश्मनी और डर को भुलाकर एक साथ बैठते हैं और सभी भगवान के चेहरे की ओर देखते हुए शांति से घर्म सुनते हैं। I5 .... प्रवचन को सुनने के बाद कुछ लोग साधु बनते हैं और कुछ लोग व पशु पक्षी गृहशिक्षाओं का पालन करते हैं और कुछ अपनी आस्था व्यक्त करते हुए प्रशंसा गुणगान करते है।। वे सभी पशु पक्षी उम्र पूरी होने पर सुकर्म के फ़ल में देव बनते हैं और कई देवों के राजा बनकर सिंहासनों पर विराजते हैं। वहां उम्र पूरी होने पर सभी मनुष्य जन्म पाते हैं और फ़िर से जैन धर्म की साधना कर के आत्मा में अनादि से सोया ज्ञान का सूर्य जगाते हैं और जन्म मरण के सारे दुख समाप्त करके स्वर्गों से भी ऊपर आत्मा के अनंत सुखयुक्त मोक्ष को सदा के लिए प्राप्त करते हैं।
There are different path of Reaching God It can be Bhakti, Seva, Yog, karma or Sanyas. God has created a beautiful world. One can choose its own path but it should not like that if all become Sanyasi how the world will be run, it will end. There should be balance everyone cannot become sanyasi this is reason god has given different way to get Moksha. One achieve Moksha by extreme Bhakti of Lord It can also achieve by Seva of living beings which can be done physically, money or emotionally. However Sanyasi path is more tough this path is not for everyone, only one Sanyasi can change whole world and provide moksha to many people. Sanyasi can provide knowledge to whole world But if someone becomes sanyasi without proper knowledge of sanyasi then its not good for him or world. Also if all because Sanyasi then how specific community or world will run. If all becomes Sanyasi who will do social works we need Sanyasi Doctors who can do treatment for poor, we need people who can feed poor and living beings. Seva , Daya and bhakti is also devotions of God. One should choose its way in which person is feel joyful and happy with soul. Do bhakti like Meera you will reach god Do Karma Iike Argun you will Reach god Do Yogi like Swami Vivekananda you will reach god Do Seva like Hanuman you will reach God. Choose path which give you more joy. Point is Sanyas in not only path to moksh it can also achieve by good karma, seva or bhakti. It feels so pain to see her/his mother crying , question do we really need so much of Sanyasi in community. One can grow his community, world or self by taking other path, if one good person becomes doctor can provide free services to poor people this will take him to god. One can become teachers provide education to poor. Royal Person can use money for poor and do Seva. I think Sanyasi are send by god, if someone is selected by god noone can stop him. But its not necessary everyone should become Sanyasi we need to follow the teachings of Sanyasi which can enlighten us, god send Sanyasi to show us the real path and bhakti we need to follow that.
Isko chhod ke jaana nhi khte Bss apni aatma ka klyaan bola jaata hai jaana to hm sbko hai ek din prntu hm kya le kr jaate hai ye matter krta hai sansaar ke jaal me bndh kr dher saara paap yaa sb kuch tyaag kr punya ki kmaai or rhi baat vairagi abhishek ji ki family ki to parivaarik dukh unko kitna bhi ho but antr aatma se unhe khushi bhi hogi ki unka beta vir ke dikhaae raaste pr chl rhha hai or yhi jain dharm ka itihaas hai jo in sb raag davesh or sansaarik jivan ko tyaag kr sayam path pr chltaa hai vhhi vir khlata hai..
Mera dil bht dukhta h un families k liye jo bht kathor kr lete h apne dil ko ....ap muje btaiye agr last moment pe koi dikha lene se mna kr de to kya hota h
Pta nhi log esa,kaise kr lete h sbko rulata chhod jate h mere se to dekha nhi jata ye video dekh kr bhi me bht roya q,ki kisi ko rota hua nhi dekh pata,me😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭🙁🙁🙁🙁😥😥😥😥😥
Dear parents of Abhishek Oswald I am indeed so sorry for the pain that you have experienced. This was simply what you expected the your child was born. You had dreams and expectations which you fulfilled but there were vultures who grabbed such a handsome and intelligent child of such good parents. I think parents need to stand up to save their children. Protest. This is child abuse, mental and psychological abduction.
pls see my comment on video.... and if you really like to have a perspective and not judgement read below specially for you- you would find a lots of jain diksha video in which- either parents are taking diksha leaving adult or young childs, small kids seeking it with such a grace, rich single youth taking diksha, rich old taking diksha even when his entire family, though gave permission, but still crying, whole family taking diksha, family taking even after 3 years or any other duration after their son/ daughter took it (there are lot of example off record also, some witnessed by me too), topper of state board taking it, an IITian taking it, CA,MBBS,Er.,MBA and lot many, great thinkers, philanthropist, influential people a lot many people with different stories, some even did penance, some kept constant requests, some tried all rightful ways to get the permission to get that, and some tried a lot but gave up as they didn't got the permission and seek it at very higher ages when they had no bond of permission or duty. A few also took this without permission and got it later too, even today many are waiting either for permission or responsibility to end, and lot more kind of stories and situation. THE POINT IS OUR GURUJIs ARE NOT VULTURE AND NOT GRABBING ANY 1, EVERYONE HAS DIFFERENT STORY AND BACKGROUND. WHO GAVE YOU THE RIGHT AND INTELLIGENCE TO JUDGE ANY PERSON OR COMMUNITY JUST BY A SINGLE 19 MINUTES VIDEOS OF A FAMILY FUNCTION.
Today India needs strong armed forces to protect against terrorism and enemies and these young men and women are turning into beggars. Jainism should introspect whether they are really helping India. If India is safe then you will be able to practice religion. Another thought is India should not loose well trained soldiers to terrorists. Send all these sadhus and sadhvis to the border and let them be killed by the terrorists instead of our soldiers
@@laughingbirds6724 you are right. Bhakt log andhe hai. Sab jain sadhu sadhvi ko border pe bhej do. Aage peche rone wale koi nahin. Mare to jaldi moksh hoga aur hamare city ko gaanda nahin karenge
To all those raising concern of his parents- If you ever get a chance to meet his parent, ask what they think- 'Does his son was a loser or a winner?', ''had he hurt them by taking this path?''. and after hearing their answer with the expression, ask the same question to your parents. I assure you, you will get the answer in the difference of expression, no need of even words. That doesn't mean you are not a good son/ daughter, it's just that everyone's ideas and beliefs are different. The 1 who is strong enough can give up the world in front of parents and with their permission but still tears in eyes, as they have strings attached. A mother even cries when her children go out for job/ education and even at their marriages, does that indicates you are looser or running from responsibility I know this might seem very different and opposing to many of you because you have not seen, heard, learned and experienced of our preaching, and it's discussion in this platform is very inadequate. But HOW IS IT JUSTIFIED OF YOU GIVING HIM THE TITLES OF COWARD, LOOSER, PARENTS HARASSER AND ALL, DID YOU KNOW HIM, HIS VALUES, HIS PART OF STORY, HIS QUALITIES, DID HIS GAVE HIM THE PERMISSION OR NOT? etc. Such small videos are very much insufficient to describe any person, his character and values. And to the argument that he is running from though life/ this life is easy............................ take a challange from me to live 1 day as a jain saint you will know it s not a picnic. You may have a question, you can raise doubt and even put your views but don't just put your judgement. I know this might not be sufficient for some, but for those having a genuine curiosity will get some insight.
Parents are true god every thing else is showoff, leaving parents with tears is big sin. I know you understand but you are running away from your responsibilities
@@Radhapooja8439 wht bakwas Oh. Hello aap mai vo echa sakthi honi chahiyai ki ghar pariwar sab suk suvidha thyag kar dharm pat par jalo First learn about jain and their sadhu life I feel Pround to be JAIN
It's called Diksha... Ye ladka sari moh Maya tyag rha h or iske bad se wo sadhuo wala jeevan jiyega... Apni family ko hamesha k liye chod k ja rha h...
Jain darm k virudh nahi pr ye hissa deeksha ka galat hai bhagwan toh marne k bad bhi milne wale jee te jee maa k aakho me paani apne wajah se aana ye bhi paap hai
माता पिता की सेवा का हमारे यहां बहुत महत्व है। दीक्षा सब तरह के गृहस्थ जीवन से लाखों गुणा श्रेष्ठ है। कोई सेवा कर के और कोई पूरा इंतजाम करके जिम्मेदारी सौंपकर दीक्षा लेते हैं। जिनके पुण्य बहुत ऊंचे होते हैं जैन दीक्षा वे ही लेते हैं। एक परिवार छोड़कर ही पूरा देश विश्व परिवार बन जाता है। अहिंसा व शान्ति का प्रचार करते हैं अपना व औरों का भी मोक्ष कराते हैं। कई माता पिता स्वयं भी दीक्षा लेने का कहते हैं।
Diksha yani karmo ko atkana aur param sukh ki prapti karna he hai aur jab aap parents ko chod k trips jao, job karne bahar jao, ya studies k liye out of station jao tab aise questions raise kyu nai karte???
Ma bap ka dil dukha kar iswar ko ni oa sakhte Iswar to ham sbke andar h Bas use dekhne ke liy acche man ki jrurt hoti h Jo apni jemmedari se bhagta h whi sadhu bnta h Ghae ki jemmedari utho to Pta cal jayga ki sadhu bnna jyada muskil ki priwar ke jemmedari
माता पिता की सेवा का हमारे यहां बहुत महत्व है। दीक्षा सब तरह के गृहस्थ जीवन से लाखों गुणा श्रेष्ठ है। कोई सेवा कर के और कोई पूरा इंतजाम करके जिम्मेदारी सौंपकर दीक्षा लेते हैं। जिनके पुण्य बहुत ऊंचे होते हैं जैन दीक्षा वे ही लेते हैं। एक परिवार छोड़कर ही पूरा देश विश्व परिवार बन जाता है। अहिंसा व शान्ति का प्रचार करते हैं अपना व औरों का भी मोक्ष कराते हैं। कई माता पिता स्वयं भी दीक्षा लेने का कहते हैं।
Bhai diksa sari babat se jethi apan ne iswar prapt thai parnti sastra ma kidhu se ke lagan karine kutub ni jimedari bajavi ne mata pita ne vans apine gruh tyag karvo joia.aa video joi khub dhukh thai se. Jay jinendra.🙏🙏🙏
Ye pagal jaise hans kyu raha hai Sanyas lene wale bahut dhir gambhir hote hain aisi halki harkatein nahi karte na hi filmi dhuno k bhajan sun k itna khush hote hain
Isko chhod ke jaana nhi khte Bss apni aatma ka klyaan bola jaata hai jaana to hm sbko hai ek din prntu hm kya le kr jaate hai ye matter krta hai sansaar ke jaal me bndh kr dher saara paap yaa sb kuch tyaag kr punya ki kmaai or rhi baat vairagi abhishek ji ki family ki to parivaarik dukh unko kitna bhi ho but antr aatma se unhe khushi bhi hogi ki unka beta vir ke dikhaae raaste pr chl rhha hai or yhi jain dharm ka itihaas hai jo in sb raag davesh or sansaarik jivan ko tyaag kr sayam path pr chltaa hai vhhi vir khlata hai..
To all person who comments on this video first of all its jain Dhiksha Than first collect information yourself about jain community And ABOUT JAIN SADHU LIFE THEY are the really SADHU NOT SWADU
Pehle apne parents ka karz chukana chahiye, at Least jb wo iss duniya se Jaye toh nischint hokr Jaye, Jan Kalyan ke antargat parents nhi aate Kya, at last apne parents ya siblings ko rula kr kbhi koi khush nhi rha... Baki it's their life, let them to do whatever they want
Or ek last baat he is too crying, toh iska apni bhavnao pe kaboo hi nhi hai, I think first test Mei hi fail hai ye , sanyam kaha hai, PTA nhi kiske pressure ya brainwash ki wajeh se ye sab kr rhe hai
@@virbahadurjain6182 apna apna nzriya h bt muje uchit nhi lga akele bethkr aochiye jra khud se baat kijiye mnan kijiye gr heh sahi h to fir rona Q or dhrm ka palan ghr se b kiya ja skta h bt kesh lochn aap khud dekhiye kitni sundr ladkiya or baad m unka roop 😢😢😢😢
@@madhuvermavlogs माता पिता की सेवा का हमारे यहां बहुत महत्व है। दीक्षा सब तरह के गृहस्थ जीवन से लाखों गुणा श्रेष्ठ है। कोई सेवा कर के और कोई पूरा इंतजाम करके जिम्मेदारी सौंपकर दीक्षा लेते हैं। जिनके पुण्य बहुत ऊंचे होते हैं जैन दीक्षा वे ही लेते हैं। एक परिवार छोड़कर ही पूरा देश विश्व परिवार बन जाता है। अहिंसा व शान्ति का प्रचार करते हैं अपना व औरों का भी मोक्ष कराते हैं। कई माता पिता स्वयं भी दीक्षा लेने का कहते हैं। आप इन्द्रयों के सुख की रूचि वाले हैं ये त्याग कर रहे हैं। बालों का भी त्याग कर देते हैं। साधु पहचान साधु वेश से ही होती है गृहस्थ वेश से नहीं। आप बहुत हंसते हैं ये त्यागी हो गए हैं। केवल अक्सर अनुसार थोड़ा-२ धार्मिक हास्य ही होता है। प्रायः मौन रहते हैं बोलना हो तो केवल धार्मिकता ही बोलते हैं। इनिद्रयों के सुखों में चलते मोक्ष नहीं होता है। इस सुख से रहित होने के लिए बहुत त्याग तपस्या की आवश्यकता होती है।
@@madhuvermavlogsकेवल आपकी जानकारी के लिए... इन 34 अतिशयों को बार = २ पढ़ने से मनुष्यों के नरक व पशु आदि जन्मों के द्वार बंद हो जाते हैं. फ़िर से मनुष्य बनने स्वर्ग व निर्वाण प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं व इस भव के भी अनेकों कष्ट दूर हो जाते हैं व स्थिर शान्ति प्राप्त होती है। दुष्ट आत्माएं प्रवेश नहीं करतीं, पहले से हों तो भाग जाती हैं। 34 अतिशय------ जैन धर्म में राजे महाराजे देवों इंद्रों द्वारा भी पूजनीय सभी तीर्थंकर भगवान के 34 अतिशय हुआ करते हैं अर्थात् अति विशेष जो औरों में नहीं हुआ करते :::: निश्चित अवधि के एक लम्बे काल में सदा तीर्थंकर भगवान 24 हुआ करते हैं। इसे एक चौबीसी कहा जाता है। ऐसे काल अनंत बीत चुके हैं भविष्य में अनंत होंगे। इस प्रकार अनंत चौबीसियां हो चुकी हैं आगे अनंत होती रहेंगी। वर्तमान चौबीसी के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव हुए हैं और अन्तिम भगवान महावीर । वे किसी के भेजे हुए अवतार नहीं होते हैं, स्वयं आत्मा से परमात्मा बनने व निर्वाण प्राप्ति के मार्ग पर चलते हुए तीर्थंकर बनते हैं। सभी तीर्थंकर भगवान 34 अतिशयों व वाणी के सर्व 35 गुणों से सम्पन्न होते हैं। 34 अतिशय'----- 1 ... उनके बाल अपने आप सदा मर्यादित व सुंदर शुभ रहा करते हैं। २ ... उनका मल स्थान सदा घोड़े जैसा होता है जिस पर मल का लेप नहीं लगता। शरीर पर भी मैल नहीं लगता। ३.... उनके खून का व मांस का अंदरूनी रंग सदा दूध से भी उज्जवल सफ़ेद व मधुर होता है। 4... उनके सांस व पेट की वायु सदा पदम कमल से भी अधिक सुगंध वाली होती है। 5 - _. वे आहार करते हुए दिखाई नहीं देते और न ही निहार करते हुए ॥ 6. ... भगवान जब चलते हैं तो आकाश में जोर से गरणाट शब्द करता हुआ चक्र चलता है व उनके रूकने पर रूक जाता है। 7. -- भगवान के सिर के ऊपर देवों द्वारा किए हुए एक पर एक मोतियों की झालरों वाले तीन अत्यंत शोभनीय छ्त्र हुआ करते है। 8...... देवता अपनी इच्छा से. भगवान के दोनों बगलों में सफ़ेद उज्जवल व रत्न जडित डंडी वाले चामर ड्डलाया करते हैं। ९: .. भगवान सदा पाद पीठ सहित उज्जवल स्फटिक सिंहासन पर ही विराजा करते हैं। 10. ... रत्न जडि़त हजार ध्वजाओं सहित मध्य में इंद्रध्वज सदा भगवान के आगे रहा करती हैं। 11.--. जहां - २ भगवान रूकते या बैठते हैं उनके ऊपर पत्रों व फूलों से पूर्ण सुगंधित व ध्वजाओं से शोभनीय भगवान से 12 गुणा ऊंचे अशोक वृक्ष की छाया देवता किया करते हैं । 12. . उनके सिर के पीछे सूर्य समान भामण्डल होता है जो रात्रि में सभी दिशाओं में प्रकाश करता है। 13 ..... भगवान जहां -2 जाते हैं धरती की उबड़खाबड़ सम हो जाती है। 14 --- ऊपर को उठे हुए घरती पर कांटे उल्टे नीचे मुख हो जाते हैं। 15.-.-. शीतकाल और उष्णकाल शीत या उष्ण न रह कर सुहावने हो जाते हैं। आगे और इसी को रिप्लाई में दिया है पढ़ने का कष्ट करें।
It's very rare that grown up young men cry in public
guys may be his Friends crying shows there attachment for him
😢😢😭😭😭
as a Muslim i can't even see his mother crying .. god bless to every parent's :) i don't wanna debate on religion beliefs
Dikhaa lena sahi hai.
Es bande k face se he lag raha hai.
K yeah us k liye he bana hai.
Etnaa khush yr.
Sahi mai bhot himmat hai .
Aap mai.
God bless u. Or 😔😔😌😌
How one can decide to leave his family
So emotional..
Big deal we get kicked out the moment we started college
Dil dahel gaya ...yeh dekh ke mera
Literally every time I get tears after seeing it
Hats off .this is unique power given to only few people by god.normal man can't even think
I don’t know exactly what jain dharam is and so should not comment on it but it really made me sad n felt like crying with his loved ones.just wana say if this makes all who loves you cry like this then its not right.Its my view point.
This is both happiness for diksha and sadness because of attachment.
Kya jaruri h yar...muj rona aa gaya...
Itna moksh..
@@rajanverma9286 यह बहुत अच्छा है बहुत ऊंचा है।
इन 34 अतिशयों को बार = २ पढ़ने से मनुष्यों के नरक व पशु आदि जन्मों के द्वार बंद हो जाते हैं. फ़िर से मनुष्य बनने स्वर्ग व निर्वाण प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं व
इस भव के भी अनेकों कष्ट दूर हो जाते हैं व स्थिर शान्ति प्राप्त होती है।
दुष्ट आत्माएं प्रवेश नहीं करतीं, पहले से हों तो भाग जाती हैं।
34 अतिशय------ जैन धर्म में राजे महाराजे देवों इंद्रों द्वारा भी पूजनीय सभी तीर्थंकर भगवान के 34 अतिशय हुआ करते हैं अर्थात् अति विशेष जो औरों में नहीं हुआ करते ::::
निश्चित अवधि के एक लम्बे काल में सदा तीर्थंकर भगवान 24 हुआ करते हैं। इसे एक चौबीसी कहा जाता है। ऐसे काल अनंत बीत चुके हैं भविष्य में अनंत होंगे। इस प्रकार अनंत चौबीसियां हो चुकी हैं आगे अनंत होती रहेंगी। वर्तमान चौबीसी के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव हुए हैं और अन्तिम भगवान महावीर । वे किसी के भेजे हुए अवतार नहीं होते हैं, स्वयं आत्मा से परमात्मा बनने व निर्वाण प्राप्ति के मार्ग पर चलते हुए तीर्थंकर बनते हैं। सभी तीर्थंकर भगवान 34 अतिशयों व वाणी के सर्व 35 गुणों से सम्पन्न होते हैं।
34 अतिशय'-----
1 ... उनके बाल अपने आप सदा मर्यादित व सुंदर शुभ रहा करते हैं।
२ ... उनका मल स्थान सदा घोड़े जैसा होता है जिस पर मल का लेप नहीं लगता। शरीर पर भी मैल नहीं लगता।
३.... उनके खून का व मांस का अंदरूनी रंग सदा दूध से भी उज्जवल सफ़ेद व मधुर होता है।
4... उनके सांस व पेट की वायु सदा पदम कमल से भी अधिक सुगंध वाली होती है।
5 - _. वे आहार करते हुए दिखाई नहीं देते और न ही निहार करते हुए ॥
6. ... भगवान जब चलते हैं तो आकाश में जोर से गरणाट शब्द करता हुआ चक्र चलता है व उनके रूकने पर रूक जाता है।
7. -- भगवान के सिर के ऊपर देवों द्वारा किए हुए एक पर एक मोतियों की झालरों वाले तीन अत्यंत शोभनीय छ्त्र हुआ करते है।
8...... देवता अपनी इच्छा से. भगवान के दोनों बगलों में सफ़ेद उज्जवल व रत्न जडित डंडी वाले चामर ड्डलाया करते हैं।
९: .. भगवान सदा पाद पीठ सहित उज्जवल स्फटिक सिंहासन पर ही विराजा करते हैं।
10. ... रत्न जडि़त हजार ध्वजाओं सहित मध्य में इंद्रध्वज सदा भगवान के आगे रहा करती हैं।
11.--. जहां - २ भगवान रूकते या बैठते हैं उनके ऊपर पत्रों व फूलों से पूर्ण सुगंधित व ध्वजाओं से शोभनीय भगवान से 12 गुणा ऊंचे अशोक वृक्ष की छाया देवता किया करते हैं ।
12. . उनके सिर के पीछे सूर्य समान भामण्डल होता है जो रात्रि में सभी दिशाओं में प्रकाश करता है।
13 ..... भगवान जहां -2 जाते हैं धरती की उबड़खाबड़ सम हो जाती है।
14 --- ऊपर को उठे हुए घरती पर कांटे उल्टे नीचे मुख हो जाते हैं।
15.-.-. शीतकाल और उष्णकाल शीत या उष्ण न रह कर सुहावने हो जाते हैं।
आगे और इसी को रिप्लाई में दिया है पढ़ने का कष्ट करें।
16. सभी दिशाओं में 4 - 4 कोस तक अशुचियां दूर हो जाती हैं. मंद-2 सुखकारी सुगंधित वायु चलती है। तथा
I7. ---सुगंधित जल की मंद मंद वर्षा होती है जिससे धूल दब जाती है। तथा...
18--- पांच रंग के फूलों की वर्षा होती है जिनके मुख ऊपर डंढ्ल नीचे होते हैं।
19. -.-..अप्रिय वर्ण रूप रस गंध स्पर्श नष्ट होते हैं।
20-... - प्रिय वर्ण रूप रस गंध स्पर्श प्रकट होते हैं।
21-.... भगवान की वाणी को देवता सभी दिशाओं में 4--4 कोस दूर तक पहुंचाते हैं।
22... 23..... भगवान् सदा अर्धमागधी भाषा में प्रवचन फ़रमाते हैं------ जो कि सुनने वाले सभी की अपनी -2 भाषा में परिणत हो जाती है और सभी आसानी से समझ जाते हैं।
24---घर्म सुनने के लिए देव मनुष्यों के इलावा पशु पक्षी आदि भी आते हैं और
25.... सभी अपने वैर भय मिटाकर शेर बकरी सर्प नेवला बाज कबूतर बिल्ली चूहा आदि इकट्ठे बैठकर भगवान की और मुख करके प्रसन्न व शांत चित्त से धर्म सुनते है।
26--- अपने अभिमान के साथ आए हुए अन्य धर्मों के वादी उत्तर पाकर संतुष्ट हुए भगवान के चरणों को समर्पित हो जाते हैं।
27.--- भगवान की सभी दिशाओं में 100 --- 100 कोस तक टिड्डी आदि प्राणियों के उपद्रव नहीं होते हैं। तथा ----
28---.. हैजा आदि महामारी नहीं होती है तथा ..
29...30..... - स्वदेश व परदेश के राजा व सेना के उपद्रव नहीं होते।
31.-..32... अतिवृष्टि व अनावृष्टि नहीं होते।
33.... दुर्भिक्ष नहीं होता।
34 - ... कोई भी उठे हुए कष्ट अपने आप शांत हो जाते हैं।
------------------------------------------------------------
भगवान ने अपनी साधना के द्वारा राग को पहले ही जड़ से उखाड़ दिया होता है। तभी उनका अनादि से सोया हुआ परम् सत्य एवं सम्पूर्ण ज्ञान का महा सूर्य जागृत होता है। देव अपनी इच्छा से भगवान के लिए जो -2 करते हैं उसमें उनका अंश मात्र भी राग नहीं होता है। आश्चर्य है कितनी शुद्ध, स्वच्छ, पवित्र , पावन, निर्मल, महान होती है भगवान की आत्मा ।
इन 34 अतिशयों को बार = २ पढ़ने से मनुष्यों के नरक व पशु आदि जन्मों के द्वार बंद हो जाते हैं. फ़िर से मनुष्य बनने स्वर्ग व निर्वाण प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं व
इस भव के भी अनेकों कष्ट दूर हो जाते हैं व स्थिर शान्ति प्राप्त होती है।
जैन धर्म: .. राजे महाराजे देवों इंद्रों द्वारा परम पूजनीय , अहिंसा व शान्ति के महासागर , परम् सत्य व सम्पूर्ण अनंत ज्ञान के महासूर्य भगवान महावीर स्वामी (वर्तमान चौबीसी के अन्तिम तीर्थंकर) के परम् पावन चरणों की अनंत शरण में सभी का सदा ही अनंत हित हो अनंत मंगल हो अनंत कल्याण हो ।
उनके चरण कमल जिसका कभी भी अंत नहीं हो ऐसा अनंत स्थायी हित करने वाले सदा ही अनंत वंदनीय पूजनीय हैं। हर किसी के परम् कल्याणकारी भगवान महावीर स्वामी सदा जयवंत हैं।
मात्र नाम जपने वाले का भी सदा अनंत हित होता है। वह भी एक दिन भगवान महावीर बन जाता है।
नमो नमो श्री भगवान महावीर स्वामी।
श्री भगवान महावीर स्वामी की सदा ही श्रद्धा भक्ति स्तुति पूजा जय जय जय हो ।
............... ---------....---...-.-....-..-------------
जैन धर्म...देव मानव पशु पक्षी नर मादा तीर्थंकर भगवान के श्रद्धा से प्रवचन सुनने के लिए आते हैं। '
शेर बकरी सूअर चीता हिरण साँप नेवला बाज़ कबूतर बिल्ली चूहा आदि भी आते हैं और अपनी दुश्मनी और डर को भुलाकर एक साथ बैठते हैं और सभी भगवान के चेहरे की ओर देखते हुए शांति से घर्म सुनते हैं।
I5 .... प्रवचन को सुनने के बाद कुछ लोग साधु बनते हैं और कुछ लोग व पशु पक्षी गृहशिक्षाओं का पालन करते हैं और कुछ अपनी आस्था व्यक्त करते हुए प्रशंसा गुणगान करते है।।
वे सभी पशु पक्षी उम्र पूरी होने पर सुकर्म के फ़ल में देव बनते हैं और कई देवों के राजा बनकर सिंहासनों पर विराजते हैं। वहां उम्र पूरी होने पर सभी मनुष्य जन्म पाते हैं और फ़िर से जैन धर्म की साधना कर के आत्मा में अनादि से सोया ज्ञान का सूर्य जगाते हैं और जन्म मरण के सारे दुख समाप्त करके स्वर्गों से भी ऊपर आत्मा के अनंत सुखयुक्त मोक्ष को सदा के लिए प्राप्त करते हैं।
Breaks my heart with full of tears
Sbse bade bgwan maa baap hote hai unko rula ke ye sb krna bht Bada paap hai jo tm karne ja rhe ho ho khbi sfal ni ho skte
There are different path of Reaching God It can be Bhakti, Seva, Yog, karma or Sanyas.
God has created a beautiful world.
One can choose its own path but it should not like that if all become Sanyasi how the world will be run, it will end.
There should be balance everyone cannot become sanyasi this is reason god has given different way to get Moksha.
One achieve Moksha by extreme Bhakti of Lord
It can also achieve by Seva of living beings which can be done physically, money or emotionally.
However Sanyasi path is more tough this path is not for everyone, only one Sanyasi can change whole world and provide moksha to many people.
Sanyasi can provide knowledge to whole world
But if someone becomes sanyasi without proper knowledge of sanyasi then its not good for him or world.
Also if all because Sanyasi then how specific community or world will run.
If all becomes Sanyasi who will do social works we need Sanyasi Doctors who can do treatment for poor, we need people who can feed poor and living beings.
Seva , Daya and bhakti is also devotions of God.
One should choose its way in which person is feel joyful and happy with soul.
Do bhakti like Meera you will reach god
Do Karma Iike Argun you will Reach god
Do Yogi like Swami Vivekananda you will reach god
Do Seva like Hanuman you will reach God.
Choose path which give you more joy. Point is Sanyas in not only path to moksh it can also achieve by good karma, seva or bhakti.
It feels so pain to see her/his mother crying , question do we really need so much of Sanyasi in community.
One can grow his community, world or self by taking other path, if one good person becomes doctor can provide free services to poor people this will take him to god.
One can become teachers provide education to poor.
Royal Person can use money for poor and do Seva.
I think Sanyasi are send by god, if someone is selected by god noone can stop him. But its not necessary everyone should become Sanyasi we need to follow the teachings of Sanyasi which can enlighten us, god send Sanyasi to show us the real path and bhakti we need to follow that.
Very good this is real life
maa bap ko khush rakhta To bhagvan bhi khush hote
Isko chhod ke jaana nhi khte Bss apni aatma ka klyaan bola jaata hai jaana to hm sbko hai ek din prntu hm kya le kr jaate hai ye matter krta hai sansaar ke jaal me bndh kr dher saara paap yaa sb kuch tyaag kr punya ki kmaai or rhi baat vairagi abhishek ji ki family ki to parivaarik dukh unko kitna bhi ho but antr aatma se unhe khushi bhi hogi ki unka beta vir ke dikhaae raaste pr chl rhha hai or yhi jain dharm ka itihaas hai jo in sb raag davesh or sansaarik jivan ko tyaag kr sayam path pr chltaa hai vhhi vir khlata hai..
Agyanta dekhakar dukh hota hai MA bap ur agyani physhco guru jimmedar hain
Maa baap k ly bhut dukh Ka samay BHI aur Khushi Ka BHI. Pta nhi ve khud ko kaise sambhalenge.
Breaks my heart...
Mera dil bht dukhta h un families k liye jo bht kathor kr lete h apne dil ko ....ap muje btaiye agr last moment pe koi dikha lene se mna kr de to kya hota h
8th time dekh raha hi yeah video 🙄🙏
This made me cry 😢
Koi bhi Jain Bhai ya bahan ek baat bataye, ki jo bhi ladka ya ladki sanyasi hone ja rahe hai unhe roka nahi ja sakta.
Bhai sab khus he to ro keyu rahe he
Jisne Vir ka jivan chun lia usko kbhi nhi rok skte
Pta nhi log esa,kaise kr lete h sbko rulata chhod jate h mere se to dekha nhi jata ye video dekh kr bhi me bht roya q,ki kisi ko rota hua nhi dekh pata,me😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭🙁🙁🙁🙁😥😥😥😥😥
Aapke aatm Kalyan ka Marg Prabhu prashast Karen Meri Yahi Ishwar se Prathna hai
Khushboo ekdam barobar bol rahe ho agar vo ro rahe hai kyo karna hai yaar ek life milti hai achhe se jiyo khush raho khud ki life stop maat karo yaar
Ladki shadi Karti hai toh kyu rotti hai aur family bhi kyu .... It's internal emotions and cannot be explained
Dear parents of Abhishek Oswald
I am indeed so sorry for the pain that you have experienced. This was simply what you expected the your child was born. You had dreams and expectations which you fulfilled but there were vultures who grabbed such a handsome and intelligent child of such good parents. I think parents need to stand up to save their children. Protest. This is child abuse, mental and psychological abduction.
pls see my comment on video.... and if you really like to have a perspective and not judgement read below specially for you-
you would find a lots of jain diksha video in which- either parents are taking diksha leaving adult or young childs, small kids seeking it with such a grace, rich single youth taking diksha, rich old taking diksha even when his entire family, though gave permission, but still crying, whole family taking diksha, family taking even after 3 years or any other duration after their son/ daughter took it (there are lot of example off record also, some witnessed by me too), topper of state board taking it, an IITian taking it, CA,MBBS,Er.,MBA and lot many, great thinkers, philanthropist, influential people a lot many people with different stories,
some even did penance, some kept constant requests, some tried all rightful ways to get the permission to get that, and some tried a lot but gave up as they didn't got the permission and seek it at very higher ages when they had no bond of permission or duty. A few also took this without permission and got it later too, even today many are waiting either for permission or responsibility to end, and lot more kind of stories and situation.
THE POINT IS OUR GURUJIs ARE NOT VULTURE AND NOT GRABBING ANY 1, EVERYONE HAS DIFFERENT STORY AND BACKGROUND. WHO GAVE YOU THE RIGHT AND INTELLIGENCE TO JUDGE ANY PERSON OR COMMUNITY JUST BY A SINGLE 19 MINUTES VIDEOS OF A FAMILY FUNCTION.
Koti koti vandana Ho hamari har pal pal aapke charno me
dnt leave u r family
Today India needs strong armed forces to protect against terrorism and enemies and these young men and women are turning into beggars. Jainism should introspect whether they are really helping India. If India is safe then you will be able to practice religion. Another thought is India should not loose well trained soldiers to terrorists. Send all these sadhus and sadhvis to the border and let them be killed by the terrorists instead of our soldiers
Bhai aap kab ja rahai ho
Yeh aagaya bhakt
@@laughingbirds6724 you are right. Bhakt log andhe hai. Sab jain sadhu sadhvi ko border pe bhej do. Aage peche rone wale koi nahin. Mare to jaldi moksh hoga aur hamare city ko gaanda nahin karenge
Mata pita jo atlu radata hoy to ae bhagwan kyathe khoos thase
what's happening their
These r the rituals performed before taking jain diksha.
10:43
To all those raising concern of his parents- If you ever get a chance to meet his parent, ask what they think- 'Does his son was a loser or a winner?', ''had he hurt them by taking this path?''. and after hearing their answer with the expression, ask the same question to your parents. I assure you, you will get the answer in the difference of expression, no need of even words.
That doesn't mean you are not a good son/ daughter, it's just that everyone's ideas and beliefs are different.
The 1 who is strong enough can give up the world in front of parents and with their permission but still tears in eyes, as they have strings attached.
A mother even cries when her children go out for job/ education and even at their marriages, does that indicates you are looser or running from responsibility
I know this might seem very different and opposing to many of you because you have not seen, heard, learned and experienced of our preaching, and it's discussion in this platform is very inadequate. But HOW IS IT JUSTIFIED OF YOU GIVING HIM THE TITLES OF COWARD, LOOSER, PARENTS HARASSER AND ALL, DID YOU KNOW HIM, HIS VALUES, HIS PART OF STORY, HIS QUALITIES, DID HIS GAVE HIM THE PERMISSION OR NOT? etc. Such small videos are very much insufficient to describe any person, his character and values.
And to the argument that he is running from though life/ this life is easy............................ take a challange from me to live 1 day as a jain saint you will know it s not a picnic.
You may have a question, you can raise doubt and even put your views but don't just put your judgement. I know this might not be sufficient for some, but for those having a genuine curiosity will get some insight.
I don't know is this what happning koi mujhe btaega ki ye sab logg kyun ro rhe hai plz I want to know
He is leaving his family to become a monk.
Sansar tyagna bhut aasan h
Priwar ki jimmedari uthana bhut muskil h
Pagal hai admi kuch bhi bolta hai
Apne original god(Maa baap ) ko chhod Kar jaa raha hai , isi din ke liye unhone ise paal posh Kar bada Kiya tha.
anlldadlavatanearadoaabianl
Bhai koi btayga y kiya program h muje samj nhi aara
Samsar chorna asan nahi oto thakurji ke kripa se hota hay
Parents are true god every thing else is showoff, leaving parents with tears is big sin. I know you understand but you are running away from your responsibilities
Pinakini Patel wts the function
Going for high responsibilities, parents allow.
Mai bhi Apne Bai ki Sadi m bahot roi ye sonch k ki aaj se mera bhai mujhe pyar nhi krega or Wahi hua
Someone plz tell me whats thats Event ... ???
Sanyas le raha hai sab kuch tyag kr ke ye saala saadhu banne jaa raha hai maa baap ko dukhi kr ke.
Ha yr kya bkwas h....
@@Radhapooja8439 wht bakwas
Oh. Hello aap mai vo echa sakthi honi chahiyai ki ghar pariwar sab suk suvidha thyag kar dharm pat par jalo
First learn about jain and their sadhu life
I feel Pround to be JAIN
@@vikas5819 isme bura mt mano... Sorry
Very nice
Ise bhagavan ki bhakti kaise kahe ......... Jis umar ma bap k liye kuch karne ka time aaya to ye sab no
pls see my comment on video
bhai abesak sa bhat hote ha kya
Agar apno ke nahi ho paye toh kya bhagwan ka honge, yeh iski zidd hai.
Ye yongester desh ka future hai... inhe kaise jaane be de sakte hai..sanyasi hone ki liye...
A kya ho raha hy mujhe to kuchh samaja may nehi a raha hy
Yeh kya ho raha hai??? Reply plz
It's called Diksha... Ye ladka sari moh Maya tyag rha h or iske bad se wo sadhuo wala jeevan jiyega... Apni family ko hamesha k liye chod k ja rha h...
What is happening there I can't understand plz reply me kya ho rha hey waha. Aur vo ldka has bhi rha hey or ro bhi rha hey. Plz tell me.
He is becoming a monk, he's leaving his family
y kya ho rha h
Jain dixha ki vidhi haldhi rasam
Shu 6 kai samjatu nathi
Jain darm k virudh nahi pr ye hissa deeksha ka galat hai bhagwan toh marne k bad bhi milne wale jee te jee maa k aakho me paani apne wajah se aana ye bhi paap hai
Bhagwan ye nhi khte h ki tum meri pooja kro
Ma bap ki sewa karo bdo ka man smman kro
Irato ki ijjat kro coto se pyar se rho
Sbse bdi pooja whi h
माता पिता की सेवा का हमारे यहां बहुत महत्व है। दीक्षा सब तरह के गृहस्थ जीवन से लाखों गुणा श्रेष्ठ है। कोई सेवा कर के और कोई पूरा इंतजाम करके जिम्मेदारी सौंपकर दीक्षा लेते हैं। जिनके पुण्य बहुत ऊंचे होते हैं जैन दीक्षा वे ही लेते हैं। एक परिवार छोड़कर ही पूरा देश विश्व परिवार बन जाता है। अहिंसा व शान्ति का प्रचार करते हैं अपना व औरों का भी मोक्ष कराते हैं। कई माता पिता स्वयं भी दीक्षा लेने का कहते हैं।
Diksha yani karmo ko atkana aur param sukh ki prapti karna he hai aur jab aap parents ko chod k trips jao, job karne bahar jao, ya studies k liye out of station jao tab aise questions raise kyu nai karte???
Par kyu????
Ka haiy
Ma bap ka dil dukha kar iswar ko ni oa sakhte
Iswar to ham sbke andar h
Bas use dekhne ke liy acche man ki jrurt hoti h
Jo apni jemmedari se bhagta h whi sadhu bnta h
Ghae ki jemmedari utho to
Pta cal jayga ki sadhu bnna jyada muskil ki priwar ke jemmedari
I agree you
ishwar andar hai to unke gun b lao andar isse kisi ko dukh nhi unke mata pita ko garv k hai
Are ma baap se bda bhi koi bhagvan h kya prabhu simran to Ghr beth k b ho jata h
Mera ro roke Bura hal hora he gherwalo Ka to Kitna Bura hal hua Hoga ,plz ye SB thik ni he band Karo . bhagwan ko Ase ni milte
nhi chahiye jo maa baap se alg hokr r h na pde
Dixarthi amar raho
Mox kya isko narak me bhi jagah nhi milegi...maa baap ko rula rha h
माता पिता की सेवा का हमारे यहां बहुत महत्व है। दीक्षा सब तरह के गृहस्थ जीवन से लाखों गुणा श्रेष्ठ है। कोई सेवा कर के और कोई पूरा इंतजाम करके जिम्मेदारी सौंपकर दीक्षा लेते हैं। जिनके पुण्य बहुत ऊंचे होते हैं जैन दीक्षा वे ही लेते हैं। एक परिवार छोड़कर ही पूरा देश विश्व परिवार बन जाता है। अहिंसा व शान्ति का प्रचार करते हैं अपना व औरों का भी मोक्ष कराते हैं। कई माता पिता स्वयं भी दीक्षा लेने का कहते हैं।
Mata pita khud diksha le bacho ko kio dilvate ha
Shi ni lag rha ye sab😢😢😢😥
Diksarti amar raho
Kya hua
Ye jaruri h kya...
Maa baap ko tayag ke bhagwan nhi milayge jo bhagwan usay tm tyag raho or ummid krte ho ishwar milayge
Jab life me kuch karna nahi hot to Kam age me disha letter hai
Bhai us kai liyai JIGRA chahiyai
Vo es ladkai mai hai
Hai ky yh
Bhai diksa sari babat se jethi apan ne iswar prapt thai parnti sastra ma kidhu se ke lagan karine kutub ni jimedari bajavi ne mata pita ne vans apine gruh tyag karvo joia.aa video joi khub dhukh thai se.
Jay jinendra.🙏🙏🙏
Agar isi tarah Naujawan Diksha lete rahega toh inka Dharm Nasht ho jayega
Sab log ro q rahe hai bhai
Khusi k mahaul me
Best song and singer name mobli nobmer .
Yeah sb kya h
Sab roo rehe he kyun??
Wo Diksha le rha h...
Anumodna
Sadi he ki or kucha koi bataona plz
Yaar jitna mujhe pata h ye yogi banne ja rahe h... Matlab duniya ki moh maya chod ke yogi ban jana... Isko diksha lena kehte h
@@shivanisharma-dy2sy thank you
Miss u bhaiyaa 🙁
Kajal Jain please tell what is this mam
Plz batao ye kya ho rha h
@@priyankasingh-gz4yy ye apni family se air sansarik moh maya se dur ja rha he veera
Apne aap ja rhe h koi bhej rha h
@@priyankasingh-gz4yy nhi apni icha se ja rhe he ye jain dharm ka he sista
Very emotional
Ye pagal jaise hans kyu raha hai
Sanyas lene wale bahut dhir gambhir hote hain aisi halki harkatein nahi karte na hi filmi dhuno k bhajan sun k itna khush hote hain
Kya he ow kya ho raha he ye?
Mujh se kisi ka rona ni dekha jata khastor par ma bap ka
Itna ro rhe h sab bhut galt kar rho ho aap
Rula diya
bhai A kya hai
To kya ab ye kisi se bhi wapas nhi milne aayega kya....
No
Kya baat kr rhe ho yrr.... How can it possible.... It's very difficult😣😖😫😭 koi kese rah skta h apne bete ke bina....
Etna smart ladka kyu ye sb family se dur maa baap se badhe bhagwan mere liye nhi. Jinhone ye life di unko chod k jana not gud .why r u do this
Right veera
pls see my comment on video
Isko chhod ke jaana nhi khte Bss apni aatma ka klyaan bola jaata hai jaana to hm sbko hai ek din prntu hm kya le kr jaate hai ye matter krta hai sansaar ke jaal me bndh kr dher saara paap yaa sb kuch tyaag kr punya ki kmaai or rhi baat vairagi abhishek ji ki family ki to parivaarik dukh unko kitna bhi ho but antr aatma se unhe khushi bhi hogi ki unka beta vir ke dikhaae raaste pr chl rhha hai or yhi jain dharm ka itihaas hai jo in sb raag davesh or sansaarik jivan ko tyaag kr sayam path pr chltaa hai vhhi vir khlata hai..
Agar vo ro raha he...to kyu sansar tyag kar raha..he ..
Ladki shadi Karti hai toh kyu roti hai aur family bhi kyu
Exactly
Hi
rolateya
Why is he crying hugging his sister...if he has no interest left for materialistic world
To abb kya bachhe ki jaan logi kya medam
To all person who comments on this video first of all its jain Dhiksha
Than first collect information yourself about jain community
And ABOUT JAIN SADHU LIFE
THEY are the really SADHU NOT SWADU
ye kya hora h iski haldi me sab ro kyu rahe?
Wo sanyas le raha he
Ye apna ghar priwar tyag kar dhiksa le rha h
He kay ahe 😕🤨
Jain Deeksha
Isku kya boltha hai
89
Kya kar ne zara aye ladka
janani he gay he ye
Pehle apne parents ka karz chukana chahiye, at Least jb wo iss duniya se Jaye toh nischint hokr Jaye, Jan Kalyan ke antargat parents nhi aate Kya, at last apne parents ya siblings ko rula kr kbhi koi khush nhi rha... Baki it's their life, let them to do whatever they want
Tum surname se jain lagte ho fir bhi aise comments kya tumhe pata nahi diksha kyu lete hai
Please tell me how to adopt this path of moksha....I want to join jain bhikshu. Plz tell me the way to be a jain bhikshu....
dixa
Kbhi kbhi log fame pane ke liye bhi aisa krte hai, pehle kon ye itna showoff krta that, bs Ghar see nikal jate thy vairagya ke nimit
What is this all silly thing s
very bad boy
kese bete ho maa papa ro rhe hi tum hs rhe ho
Mental hospital me admit krate acha hota
Or ek last baat he is too crying, toh iska apni bhavnao pe kaboo hi nhi hai, I think first test Mei hi fail hai ye , sanyam kaha hai, PTA nhi kiske pressure ya brainwash ki wajeh se ye sab kr rhe hai
Are you not brainwashed by your parents family teachers religion guru discourses?
pagl ho gye sare.kya mil rha h aise sb ro rhe h dekhne wale b.pdhelikhe log andhe ho rhe h
यह बहुत ऊंचा है आप समझते नहीं हैं।
@@virbahadurjain6182 apna apna nzriya h bt muje uchit nhi lga akele bethkr aochiye jra khud se baat kijiye mnan kijiye gr heh sahi h to fir rona Q or dhrm ka palan ghr se b kiya ja skta h bt kesh lochn aap khud dekhiye kitni sundr ladkiya or baad m unka roop 😢😢😢😢
@@madhuvermavlogs माता पिता की सेवा का हमारे यहां बहुत महत्व है। दीक्षा सब तरह के गृहस्थ जीवन से लाखों गुणा श्रेष्ठ है। कोई सेवा कर के और कोई पूरा इंतजाम करके जिम्मेदारी सौंपकर दीक्षा लेते हैं। जिनके पुण्य बहुत ऊंचे होते हैं जैन दीक्षा वे ही लेते हैं। एक परिवार छोड़कर ही पूरा देश विश्व परिवार बन जाता है। अहिंसा व शान्ति का प्रचार करते हैं अपना व औरों का भी मोक्ष कराते हैं। कई माता पिता स्वयं भी दीक्षा लेने का कहते हैं।
आप इन्द्रयों के सुख की रूचि वाले हैं ये त्याग कर रहे हैं। बालों का भी त्याग कर देते हैं। साधु पहचान साधु वेश से ही होती है गृहस्थ वेश से नहीं। आप बहुत हंसते हैं ये त्यागी हो गए हैं। केवल अक्सर अनुसार थोड़ा-२ धार्मिक हास्य ही होता है। प्रायः मौन रहते हैं बोलना हो तो केवल धार्मिकता ही बोलते हैं।
इनिद्रयों के सुखों में चलते मोक्ष नहीं होता है। इस सुख से रहित होने के लिए बहुत त्याग तपस्या की आवश्यकता होती है।
@@virbahadurjain6182 yeh apka trk h aap apni jgh sahi h bt m fir b sehmt nhi hu sry
@@madhuvermavlogsकेवल आपकी जानकारी के लिए...
इन 34 अतिशयों को बार = २ पढ़ने से मनुष्यों के नरक व पशु आदि जन्मों के द्वार बंद हो जाते हैं. फ़िर से मनुष्य बनने स्वर्ग व निर्वाण प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं व
इस भव के भी अनेकों कष्ट दूर हो जाते हैं व स्थिर शान्ति प्राप्त होती है।
दुष्ट आत्माएं प्रवेश नहीं करतीं, पहले से हों तो भाग जाती हैं।
34 अतिशय------ जैन धर्म में राजे महाराजे देवों इंद्रों द्वारा भी पूजनीय सभी तीर्थंकर भगवान के 34 अतिशय हुआ करते हैं अर्थात् अति विशेष जो औरों में नहीं हुआ करते ::::
निश्चित अवधि के एक लम्बे काल में सदा तीर्थंकर भगवान 24 हुआ करते हैं। इसे एक चौबीसी कहा जाता है। ऐसे काल अनंत बीत चुके हैं भविष्य में अनंत होंगे। इस प्रकार अनंत चौबीसियां हो चुकी हैं आगे अनंत होती रहेंगी। वर्तमान चौबीसी के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव हुए हैं और अन्तिम भगवान महावीर । वे किसी के भेजे हुए अवतार नहीं होते हैं, स्वयं आत्मा से परमात्मा बनने व निर्वाण प्राप्ति के मार्ग पर चलते हुए तीर्थंकर बनते हैं। सभी तीर्थंकर भगवान 34 अतिशयों व वाणी के सर्व 35 गुणों से सम्पन्न होते हैं।
34 अतिशय'-----
1 ... उनके बाल अपने आप सदा मर्यादित व सुंदर शुभ रहा करते हैं।
२ ... उनका मल स्थान सदा घोड़े जैसा होता है जिस पर मल का लेप नहीं लगता। शरीर पर भी मैल नहीं लगता।
३.... उनके खून का व मांस का अंदरूनी रंग सदा दूध से भी उज्जवल सफ़ेद व मधुर होता है।
4... उनके सांस व पेट की वायु सदा पदम कमल से भी अधिक सुगंध वाली होती है।
5 - _. वे आहार करते हुए दिखाई नहीं देते और न ही निहार करते हुए ॥
6. ... भगवान जब चलते हैं तो आकाश में जोर से गरणाट शब्द करता हुआ चक्र चलता है व उनके रूकने पर रूक जाता है।
7. -- भगवान के सिर के ऊपर देवों द्वारा किए हुए एक पर एक मोतियों की झालरों वाले तीन अत्यंत शोभनीय छ्त्र हुआ करते है।
8...... देवता अपनी इच्छा से. भगवान के दोनों बगलों में सफ़ेद उज्जवल व रत्न जडित डंडी वाले चामर ड्डलाया करते हैं।
९: .. भगवान सदा पाद पीठ सहित उज्जवल स्फटिक सिंहासन पर ही विराजा करते हैं।
10. ... रत्न जडि़त हजार ध्वजाओं सहित मध्य में इंद्रध्वज सदा भगवान के आगे रहा करती हैं।
11.--. जहां - २ भगवान रूकते या बैठते हैं उनके ऊपर पत्रों व फूलों से पूर्ण सुगंधित व ध्वजाओं से शोभनीय भगवान से 12 गुणा ऊंचे अशोक वृक्ष की छाया देवता किया करते हैं ।
12. . उनके सिर के पीछे सूर्य समान भामण्डल होता है जो रात्रि में सभी दिशाओं में प्रकाश करता है।
13 ..... भगवान जहां -2 जाते हैं धरती की उबड़खाबड़ सम हो जाती है।
14 --- ऊपर को उठे हुए घरती पर कांटे उल्टे नीचे मुख हो जाते हैं।
15.-.-. शीतकाल और उष्णकाल शीत या उष्ण न रह कर सुहावने हो जाते हैं।
आगे और इसी को रिप्लाई में दिया है पढ़ने का कष्ट करें।
Asli bhgwan to ma baap hai pagal hai ye ladka