हमारा अन्तर्ज्ञान ईश्वर की एक शक्ति है। ईश्वर का मुख नहीं है, फिर भी वे प्रत्येक वस्तु का रसास्वादन करते हैं। उनके हाथ या पाँव नहीं हैं, फिर भी वे समस्त ब्रह्माण्ड का अनुभव करते हैं। कैसे? अन्तर्ज्ञान से, अपनी सर्वव्यापकता से। मनुष्य साधारणतया अपने बारे में, और जिस संसार में वह रहता है उसके बारे में, ज्ञान प्राप्त करने के लिये अपनी इन्द्रियों पर निर्भर करता है। उसका मन उसकी पाँचों इन्द्रियों द्वारा उसे दी गयीं सूचनाओं के अतिरिक्त और कुछ नहीं जानता। परन्तु महामानव, ज्ञान के लिये अपनी “छठी इन्द्रिय,” अपने अन्तर्ज्ञान पर निर्भर करते हैं।
श्री परमहंस योगानंद जी महाराज को हार्दिक प्रणाम 🙏🙏👏👏
Sunder parbhu sunder varta ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
जय गुरदेव....
Jai Guruji ❤
Jai guru
Jay shri ram
🙏🏻❤🙏🏻❤🙏🏻❤️🙏🏻
Jay jay sitaram maharaj🙏🙏🙏🙏🙏
Aum....jaygurudeb sat sat pranam
He par matama i love you apki bani se ridaye pabitra ho jate he
Jai Guru ji
Jai Guru ji
Hey bhagwan
Hey bhagwan
Jai shree krishna ji
Jai Gurudave Ji 🙏🏻
🙏🙏
जय गुरुदेव 🙏🙏❤️❤️
हमारा अन्तर्ज्ञान ईश्वर की एक शक्ति है। ईश्वर का मुख नहीं है, फिर भी वे प्रत्येक वस्तु का रसास्वादन करते हैं। उनके हाथ या पाँव नहीं हैं, फिर भी वे समस्त ब्रह्माण्ड का अनुभव करते हैं। कैसे? अन्तर्ज्ञान से, अपनी सर्वव्यापकता से।
मनुष्य साधारणतया अपने बारे में, और जिस संसार में वह रहता है उसके बारे में, ज्ञान प्राप्त करने के लिये अपनी इन्द्रियों पर निर्भर करता है। उसका मन उसकी पाँचों इन्द्रियों द्वारा उसे दी गयीं सूचनाओं के अतिरिक्त और कुछ नहीं जानता। परन्तु महामानव, ज्ञान के लिये अपनी “छठी इन्द्रिय,” अपने अन्तर्ज्ञान पर निर्भर करते हैं।
Ishwar सर्व व्यापक है तो
हर कोई हर समस्या के वक्त
उससे संपर्क कर सकता है?
Jai Guru.❤🙏🏻
🙏🙏🙏
Jay Gurudev 🙏 🙏 ❤❤
🙏
Jai guru 🕉️🙏
Jai Gurudev 🌹🙏🌹