✍️""""जब मनुवादी केवल एक साइंस् ज़र्नी सर् से इतना भयभीत हैं और इतना बिलबिला रहे हैं, जिस दिन हर बहुजन (मूलनिवासी) के घर से साइंस् ज़र्नी सर् जैसे निकलेंगे, उस दिन मनुवादियों का क्या हाल होगा...??? "सत्य्"(बुद्ध) को अधिक समय तक छिपाया नहीं जा सकता है...!!!""""✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️🌺🌺🌺🌺🌺💐💐💐💐💐"जयभीम!नमो बुद्धाय!!बाबा साहेब अमर रहें!!!"💐💐💐💐💐💐💐💐✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙
मेरे भाइयों हम सबको मिलकर हमेशा रहना होगा एक साथ रहना होगा साथ में हर एक व्यक्ति को साइन जर्नी बना होगा और अपनी बातों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रस्तुत करना होगा ताकि यह बात सभी तक पहुंच सके
कल मैंने भी आवाज़ की समस्या देखि थी। आज की तारिख में आप और कुछ चुनिंदा लोग ही हैं जो ज्ञान का संचार फैलाये हुए हैं। मैं यही कहूंगा की आप रुकिए नहीं और इस संचार को जारी रखिये। ये लड़ाई आपको जीतनी है।
SJ सर आप ने हम बहुजनों को जगाने के लिए जिस दीपक को प्रकाशित किया है हम लोग उसको बुझाने नहीं देंगे चाहे कितना भी जोर लगा ले पोंगा पंथी उर्फ भो वादी लोग, हम लोग स्वतंत्रता, न्याय और समता की लड़ाई के साथ साथ अपने पुरखों की विरासत को हासिल कर के ही रहेंगे..✍️ # जय विज्ञान जय संविधान जय भीम 🙏
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म। कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम- ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) । भावार्थ हिंदी भाषा - नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।विश्व के शिक्षित द्विजनो (स्त्री-पुरुषो)! ऊंची नीची जाति होने का मतलब क्या और क्यों ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें । ऊंची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं। चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। 1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन। 2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय। 3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण। 4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य । पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं। यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है। जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा? शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
मेरे प्रश्न के उत्तर दो। निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर - बताओ दस इंद्रिया जन्म हरएक मानव जन के अंदर होती हैं या नहीं ? बताओ मुख, बांह, पेट और चरण जन्म से हरएक मानव जन के होती हैं या नहीं? बताओ समाज में कम से कम चार वर्ण कर्म विभाग जैसे की शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उद्योगण-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए जीविकोपार्जन हो सकता है क्या? बताओ ज्ञान ब्रह्म वर्ण कर्म शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म मुख के बिना हो सकता है क्या? बताओ ध्यान चौकीदार कर्म क्षत्रम वर्ण कर्म सुरक्षण कार्य बांह बिना होता है क्या? बताओ उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म शूद्रम वर्ण कर्म ब्लड संतान उत्पन्न निर्माण उद्योग कर्म पेट के बिना होता है क्या? बताओ व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य चरण पांव चलाए बिना होता है क्या? बताओ राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन बिना वेतन भोजन दिये होता है क्या? सवालो के जवाब दाखिल करें जो चार वर्ण पांचजन सामाजिक प्रबन्धन का मतलब समझने में नाकाम साबित हो रहे हैं? धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) ! धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए। पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हित की करनी चाहिए। समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने वर्ण व्यवस्था प्रबंधन पर क्या कहा ? और हमने इस पोस्ट में क्या कहा? दोनो की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर पोस्ट कर सकते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग का अंतर मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। चार वर्ण = चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार । चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम। ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान । क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान। शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान। वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान। राजसेवक = दिल राजन्य समान। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। 1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन 2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय 3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन 4- वितरक वणिक = वैश्य इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन ह्वदय दिल राजन्य समान। यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था। सबजन को किसी भी वर्ण कर्म विभाग को मानकर नामधारी और कर्मधारी वर्ण वाला बनकर बताकर जीने का समान अवसर उपलब्ध है । जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
आप मनुस्मृती अच्छा तरह से पढना चाहिए भविष्य पुराण मे अकबर और उनके नवरत्न दरबार के लोग पिछले जन्म मे शंकराचार्य गोत्र के मुकुंद ब्राह्मण, उनके शिष्य थे यह सब मरने के बाद स्वर्ग मे पौछ गये लेकीन आजतक एक भी बहुजन समाज का आदमी शंकराचार्य के गोत्र मे क्यों नहीं पैदा हुआ है ऐसा क्यों मुष्किल है इससे समजना चाहिए की एक मुघल अकबर ब्राह्मण बनता है मगर छत्रपती शिवाजी महाराज संभाजी महाराज तुकाराम महाराज जोतिबा सावित्रीबाई फुले शाहू महाराज डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ऐसे महान हस्ती भारत देश मे पैदा हुए भारत देश में सुधारणा किए मगर यह लोग ब्राह्मण नहीं बने या इनको कोई भी ब्राह्मण वादी लोगोने ब्राह्मण गोत्र क्यों नहीं दिया औरंगजेब ने जब जिझिया कर लगाया तक सब ब्राह्मण उस के दरबार मे जाकर कहते हैं की ब्राह्मण लोग विदेशी है आप भी विदेशी है इसलीए हिंदू ओ पर जिझिया कर लगाओ मगर ब्राह्मण पर मत लगाना ऐसा कहकर उसके चाटुकार बन कर अल्लाह उपनिषद लिखकर अपनी चाटुकारी बरकरार रखे आज ब्राह्मण लोग किसी मनुस्मृती श्लोक को सही ठहराने के लिये अर्थ बदलकर भारतीय जनता को गुमराह कर फसा रहे है आज भारत मे संविधान लागु है इसलीए ब्राह्मण अपना वेद पढना पढाना के धंदा छोडकर सभी तरह के कामधंदा कर रहे है जो मनुस्मृती के अनुसार करना नहीं चाहिए वह काम ब्राह्मण होकार करना गलत है फिर पैसा मिलता है तो सभी काम जायाज हो सकते हैं आज भारतीय लोगोको पाखंडी ज्ञान बाट रहे है आप ब्राह्मण है तो मनुस्मृती मे जो लिखा वही काम करना चाहिए नहीं ब्राह्मण वर्ण गलत होता है ज्ञान जय भारत जय संविधान
@@maharudrahiremath7089 महर्षि मनु महाराज की धर्मशास्त्र किताब के एक ओरिजिनल श्लोक के अनुसार धर्म का मतलब कर्तव्य नियम समझ कर ज्ञानवर्धन करें। 1. हिंसा नही करना , 2. सत्य बोलना , 3. चोरी नही करना , 4. स्वच्छता रखना , 5. दस इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना , 6. श्राद्धकर्म करना (पूर्वज सम्मान करना ), 7.अतिथि सत्कार करना , 8. दान / कर देना , 9. न्याय कर्म से धन लेना , 10. विनम्र भाव रखना , 11.पत्नी से ही सम्बंध संतान प्राप्त करना , 12. दूसरे के शुभ कर्म से द्वेष नही करना l संक्षेप में चारो वर्ण (वर्ग विभाग) जैसे कि - 1- ब्रह्म वर्ण ( ज्ञानसे शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग ) + 2- क्षत्रम वर्ण (ध्यानसे सुरक्षण न्याय बल वर्ग) + 3- शूद्रम वर्ण ( तपसे उत्पादण निर्माण उद्योग वर्ग ) + 4- वैशम वर्ण ( तमसे वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट वर्ग ) । इन्ही चारो वर्णो/वर्गों/विभागों में स्वमं के कार्य करने वाले मालिक कर्मीक जन एवं चारो वर्णों (विभागों) में वेतन पर कार्यरत जनसेवक दासजन ( सेवकजन/नौकरजन ) को इन सनातन दक्ष धर्म लक्षण नियमों को प्रतिदिन स्मरण कर पालन कर अपना अपराध मुक्त जीवन प्रबंधन कर निर्वाह करना चाहिए l मनु महाराज का ओरिजिनल संस्कृत श्लोक - ॐ अंहिसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह: l श्राद्धकर्मातिथेयं च दानमस्तेयमार्जवम् l प्रजनं स्वेषु दारेषु तथा चैवानसृयता l एतं सामासिकं धर्मं चर्तुवण्र्येब्रवीन्मनु: ll वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म। कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम- ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) । भावार्थ हिंदी भाषा - नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।विश्व के शिक्षित द्विजनो (स्त्री-पुरुषो)! ऊंची नीची जाति होने का मतलब क्या और क्यों ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें । ऊंची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं। चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। 1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन। 2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय। 3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण। 4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य । पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं। यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है। जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा? शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
मेरे प्रश्न के उत्तर दो। निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर - बताओ दस इंद्रिया जन्म हरएक मानव जन के अंदर होती हैं या नहीं ? बताओ मुख, बांह, पेट और चरण जन्म से हरएक मानव जन के होती हैं या नहीं? बताओ समाज में कम से कम चार वर्ण कर्म विभाग जैसे की शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उद्योगण-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए जीविकोपार्जन हो सकता है क्या? बताओ ज्ञान ब्रह्म वर्ण कर्म शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म मुख के बिना हो सकता है क्या? बताओ ध्यान चौकीदार कर्म क्षत्रम वर्ण कर्म सुरक्षण कार्य बांह बिना होता है क्या? बताओ उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म शूद्रम वर्ण कर्म ब्लड संतान उत्पन्न निर्माण उद्योग कर्म पेट के बिना होता है क्या? बताओ व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य चरण पांव चलाए बिना होता है क्या? बताओ राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन बिना वेतन भोजन दिये होता है क्या? सवालो के जवाब दाखिल करें जो चार वर्ण पांचजन सामाजिक प्रबन्धन का मतलब समझने में नाकाम साबित हो रहे हैं? धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) ! धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए। पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हित की करनी चाहिए। समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए। जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने वर्ण व्यवस्था प्रबंधन पर क्या कहा ? और हमने इस पोस्ट में क्या कहा? दोनो की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर पोस्ट कर सकते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग का अंतर मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। चार वर्ण = चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार । चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम। ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान । क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान। शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान। वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान। राजसेवक = दिल राजन्य समान। चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। 1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन 2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय 3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन 4- वितरक वणिक = वैश्य इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन ह्वदय दिल राजन्य समान। यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था। सबजन को किसी भी वर्ण कर्म विभाग को मानकर नामधारी और कर्मधारी वर्ण वाला बनकर बताकर जीने का समान अवसर उपलब्ध है । जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म। कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) । भावार्थ हिंदी भाषा - नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म। कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम- ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) । भावार्थ हिंदी भाषा - नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।विश्व के शिक्षित द्विजनो (स्त्री-पुरुषो)! ऊंची नीची जाति होने का मतलब क्या और क्यों ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें । ऊंची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं। चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। 1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन। 2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय। 3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण। 4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य । पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं। यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है। जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा? शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! जब एसी ,एसटी और बीसी कहना लिखना हो तो इसके साथ इडब्लुएस और जनरल कहना बोलना लिखना चाहिए। ये शब्द आजकल के संविधान लोकतंत्र युग काल आरक्षण अनुसार कुछ समय के लिए निर्मित हैं। लेकिन जब पौराणिक वैदिक शब्द ब्रह्मण को बोलना लिखना प्रयोग करना हो तो इसके साथ अन्य वैदिक शब्द जैसे कि राजन्य, क्षत्रिय, शूद्रण, वैश्य और दास शब्द चयन कर प्रयोग करने चाहिए । ये वैदिक शब्द सदा शाश्वत रहने वाले हैं। पौराणिक वैदिक सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय विधि-विधान नियम अनुसार हैं। एक समय काल के शब्द एक स्थान पर प्रयोग करने चाहिए । शिक्षित मनुष्यों को व्यर्थ अन्धविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच छोड़कर निष्पक्ष सोच रखकर पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त शब्दों का सही चयन वार्तालाप बातचीत के लिए प्रयोग करना चाहिए।
विश्व के शिक्षित द्विजनो (स्त्री-पुरुषो)! ऊंची नीची जाति होने का मतलब क्या और क्यों ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें । ऊंची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं। चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। 1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन। 2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय। 3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण। 4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य । पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं। यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है। जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा? शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
जय भीम, नमो बुद्धाय। sir, आप ने ब्राह्मणवाद का जितना postmortem किया है-बहुत ही सराहनीय है।हम आप को नमन करते हैं।ब्राह्मणवाद को जानने का शायद यह सबसे बड़ा source है।सभी बहुजनो को इसके साथ जुड़ना चाहिए।
Namo buddhaye Jai Bhim Jai Bharat sathio keep it up and Up for the mission AMBEDKARBAAD evm jaativaad and collegiam system hatao brahmanbadion ko sataa se bhagao SAMBIDHAN Of INDIA KO LAAGU KARVAO🙏🙏🙏🙏🙏
SJ सर आपके साथ हम भी अपने सामर्थ्य से ..अपनों में ..यार दोस्तों वह अन्य मिलने वालों को जागृत कर रहे हैं. जिसके धीरे धीरे परिणाम भी मिलने लगे हैं..जय भीम नमो 🙏🏻बुद्धाय ☸️
सकारात्मक सोच के बगैर सत्य की खोज नहीं की जा सकती है। रूकावट करने से तर्क शक्ति को किल करने जैसा है। बायस नहीं होना चाहिए । प्रोग्रेसिव सोच होना चाहिए।
Namo Buddhay Jai Bhim Jai Bharat sathio keep it up and up for the mission AMBEDKARVAAD EVM JAATIVAAD and COLLEGIAM SYSTEM HATAO BRAHMANVADION KO SATAA SE BHAGAO SAMBIDHAN OF INDIA KO LAAGU KARVAO 🙏🙏🙏🙏
आप भी स्वस्थ रहिये मस्त रहिये समृधि पाये!कृपया नेक्स्ट पॉडकास्ट लाये वेग्स नर्व पे ताकी जानकारी पुर्ण हौ सके !आप को और आप की टीम को बहुत बहुत धन्यवाद! ❤❤❤
Thanks a lot to science journey sir.let your stream go continuously.i want you to rewrite true India history and propagate around the world. I'm from Nepal.
इसमय आवाज आ रही है हम आपके नियमित दर्शक है जयभीम नमो बुद्धाय
✍️""""जब मनुवादी केवल एक साइंस् ज़र्नी सर् से इतना भयभीत हैं और इतना बिलबिला रहे हैं, जिस दिन हर बहुजन (मूलनिवासी) के घर से साइंस् ज़र्नी सर् जैसे निकलेंगे, उस दिन मनुवादियों का क्या हाल होगा...??? "सत्य्"(बुद्ध) को अधिक समय तक छिपाया नहीं जा सकता है...!!!""""✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️🌺🌺🌺🌺🌺💐💐💐💐💐"जयभीम!नमो बुद्धाय!!बाबा साहेब अमर रहें!!!"💐💐💐💐💐💐💐💐✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙
मेरे भाइयों हम सबको मिलकर हमेशा रहना होगा एक साथ रहना होगा साथ में हर एक व्यक्ति को साइन जर्नी बना होगा और अपनी बातों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रस्तुत करना होगा ताकि यह बात सभी तक पहुंच सके
Right 👍
SCIENCE JOURNEY JI 😎😎ZINDABAAD💪💪
कल मैंने भी आवाज़ की समस्या देखि थी। आज की तारिख में आप और कुछ चुनिंदा लोग ही हैं जो ज्ञान का संचार फैलाये हुए हैं। मैं यही कहूंगा की आप रुकिए नहीं और इस संचार को जारी रखिये। ये लड़ाई आपको जीतनी है।
इन्हें बांग्लादेश में जो चीज गलत लग रही है।
वही चीज अपने देश में अच्छी लगती है।
इसे ही राजनीति कहते हैं
बहुत सुन्दर
अत्यन्त सही जाणकारी सबुत के साथ सर जयभीम जयसंविधान
ये देश उनका है जिनके पूर्वज बौद्ध और बौद्ध अनुयायि थे
before buddha its all islamic in india.. greec(rig)veda mentions dianosus(renamed to divodas) killed hyder king in 300bc ...
💯👌👌
Tum kab budhist bne bhai 2 sal phle ya 3 sal
@@rahulmishra573 tum to tanatani last 1year se ban baithe .. sabko maarne ke liye ,.. haa ki naa
Right
SJ सर आप ने हम बहुजनों को जगाने के लिए जिस दीपक को प्रकाशित किया है हम लोग उसको बुझाने नहीं देंगे चाहे कितना भी जोर लगा ले पोंगा पंथी उर्फ भो वादी लोग, हम लोग स्वतंत्रता, न्याय और समता की लड़ाई के साथ साथ अपने पुरखों की विरासत को हासिल कर के ही रहेंगे..✍️
# जय विज्ञान जय संविधान जय भीम 🙏
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म।
कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार।
संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम-
ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) ।
भावार्थ हिंदी भाषा -
नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है।
जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।विश्व के शिक्षित द्विजनो (स्त्री-पुरुषो)!
ऊंची नीची जाति होने का मतलब क्या और क्यों ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें ।
ऊंची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं।
चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन।
2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय।
3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण।
4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य ।
पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं।
यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है।
जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
मेरे प्रश्न के उत्तर दो।
निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर -
बताओ दस इंद्रिया जन्म हरएक मानव जन के अंदर होती हैं या नहीं ?
बताओ मुख, बांह, पेट और चरण जन्म से हरएक मानव जन के होती हैं या नहीं?
बताओ समाज में कम से कम चार वर्ण कर्म विभाग जैसे की शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उद्योगण-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए जीविकोपार्जन हो सकता है क्या?
बताओ ज्ञान ब्रह्म वर्ण कर्म शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म मुख के बिना हो सकता है क्या?
बताओ ध्यान चौकीदार कर्म क्षत्रम वर्ण कर्म सुरक्षण कार्य बांह बिना होता है क्या?
बताओ उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म शूद्रम वर्ण कर्म ब्लड संतान उत्पन्न निर्माण उद्योग कर्म पेट के बिना होता है क्या?
बताओ व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य चरण पांव चलाए बिना होता है क्या?
बताओ राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन बिना वेतन भोजन दिये होता है क्या?
सवालो के जवाब दाखिल करें जो चार वर्ण पांचजन सामाजिक प्रबन्धन का मतलब समझने में नाकाम साबित हो रहे हैं?
धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) !
धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए।
पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हित की करनी चाहिए।
समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए।
जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने वर्ण व्यवस्था प्रबंधन पर क्या कहा ? और हमने इस पोस्ट में क्या कहा? दोनो की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर पोस्ट कर सकते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग का अंतर मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
चार वर्ण = चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार ।
चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान।
शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान।
वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान।
राजसेवक = दिल राजन्य समान।
चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम।
1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
4- वितरक वणिक = वैश्य
इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन ह्वदय दिल राजन्य समान।
यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था।
सबजन को किसी भी वर्ण कर्म विभाग को मानकर नामधारी और कर्मधारी वर्ण वाला बनकर बताकर जीने का समान अवसर उपलब्ध है ।
जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
आप मनुस्मृती अच्छा तरह से पढना चाहिए भविष्य पुराण मे अकबर और उनके नवरत्न दरबार के लोग पिछले जन्म मे शंकराचार्य गोत्र के मुकुंद ब्राह्मण, उनके शिष्य थे यह सब मरने के बाद स्वर्ग मे पौछ गये लेकीन आजतक एक भी बहुजन समाज का आदमी शंकराचार्य के गोत्र मे क्यों नहीं पैदा हुआ है ऐसा क्यों मुष्किल है इससे समजना चाहिए की एक मुघल अकबर ब्राह्मण बनता है मगर छत्रपती शिवाजी महाराज संभाजी महाराज तुकाराम महाराज जोतिबा सावित्रीबाई फुले शाहू महाराज डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ऐसे महान हस्ती भारत देश मे पैदा हुए भारत देश में सुधारणा किए मगर यह लोग ब्राह्मण नहीं बने या इनको कोई भी ब्राह्मण वादी लोगोने ब्राह्मण गोत्र क्यों नहीं दिया औरंगजेब ने जब जिझिया कर लगाया तक सब ब्राह्मण उस के दरबार मे जाकर कहते हैं की ब्राह्मण लोग विदेशी है आप भी विदेशी है इसलीए हिंदू ओ पर जिझिया कर लगाओ मगर ब्राह्मण पर मत लगाना ऐसा कहकर उसके चाटुकार बन कर अल्लाह उपनिषद लिखकर अपनी चाटुकारी बरकरार रखे आज ब्राह्मण लोग किसी मनुस्मृती श्लोक को सही ठहराने के लिये अर्थ बदलकर भारतीय जनता को गुमराह कर फसा रहे है आज भारत मे संविधान लागु है इसलीए ब्राह्मण अपना वेद पढना पढाना के धंदा छोडकर सभी तरह के कामधंदा कर रहे है जो मनुस्मृती के अनुसार करना नहीं चाहिए वह काम ब्राह्मण होकार करना गलत है फिर पैसा मिलता है तो सभी काम जायाज हो सकते हैं आज भारतीय लोगोको पाखंडी ज्ञान बाट रहे है आप ब्राह्मण है तो मनुस्मृती मे जो लिखा वही काम करना चाहिए नहीं ब्राह्मण वर्ण गलत होता है ज्ञान जय भारत जय संविधान
@@maharudrahiremath7089 महर्षि मनु महाराज की धर्मशास्त्र किताब के एक ओरिजिनल श्लोक के अनुसार धर्म का मतलब कर्तव्य नियम समझ कर ज्ञानवर्धन करें।
1. हिंसा नही करना , 2. सत्य बोलना , 3. चोरी नही करना , 4. स्वच्छता रखना , 5. दस इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना , 6. श्राद्धकर्म करना (पूर्वज सम्मान करना ), 7.अतिथि सत्कार करना , 8. दान / कर देना , 9. न्याय कर्म से धन लेना , 10. विनम्र भाव रखना , 11.पत्नी से ही सम्बंध संतान प्राप्त करना , 12. दूसरे के शुभ कर्म से द्वेष नही करना l
संक्षेप में चारो वर्ण (वर्ग विभाग) जैसे कि -
1- ब्रह्म वर्ण ( ज्ञानसे शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग ) +
2- क्षत्रम वर्ण (ध्यानसे सुरक्षण न्याय बल वर्ग) +
3- शूद्रम वर्ण ( तपसे उत्पादण निर्माण उद्योग वर्ग ) +
4- वैशम वर्ण ( तमसे वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट वर्ग ) ।
इन्ही चारो वर्णो/वर्गों/विभागों में स्वमं के कार्य करने वाले मालिक कर्मीक जन एवं चारो वर्णों (विभागों) में वेतन पर कार्यरत जनसेवक दासजन ( सेवकजन/नौकरजन ) को इन सनातन दक्ष धर्म लक्षण नियमों को प्रतिदिन स्मरण कर पालन कर अपना अपराध मुक्त जीवन प्रबंधन कर निर्वाह करना चाहिए l
मनु महाराज का ओरिजिनल संस्कृत श्लोक -
ॐ अंहिसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह: l श्राद्धकर्मातिथेयं च दानमस्तेयमार्जवम् l प्रजनं स्वेषु दारेषु तथा चैवानसृयता l एतं सामासिकं धर्मं चर्तुवण्र्येब्रवीन्मनु: ll वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र ।।
जय विश्व राष्ट्र सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
Thank you sir , stay healthy
आदरणीय साइंस जर्नी जी मैं विश्वकर्मा जी कैसे हिन्दू धर्म में आ टपके हैं और कैसे विश्वकर्मा जाति से जोड़ दिया गया ।
अब इनकी पोल खुल रही है। तो इनके पेट में दर्द उठ रहा है। जय भीम नमो बुद्धाय साइंस जर्नी सर हम आपके साथ हैं । 💪💪
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म।
कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार।
संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम-
ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) ।
भावार्थ हिंदी भाषा -
नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है।
जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।विश्व के शिक्षित द्विजनो (स्त्री-पुरुषो)!
ऊंची नीची जाति होने का मतलब क्या और क्यों ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें ।
ऊंची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं।
चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन।
2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय।
3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण।
4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य ।
पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं।
यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है।
जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
मेरे प्रश्न के उत्तर दो।
निष्पक्ष सोच अपनाकर दिमाग सदुपयोग कर -
बताओ दस इंद्रिया जन्म हरएक मानव जन के अंदर होती हैं या नहीं ?
बताओ मुख, बांह, पेट और चरण जन्म से हरएक मानव जन के होती हैं या नहीं?
बताओ समाज में कम से कम चार वर्ण कर्म विभाग जैसे की शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उद्योगण-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए जीविकोपार्जन हो सकता है क्या?
बताओ ज्ञान ब्रह्म वर्ण कर्म शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म मुख के बिना हो सकता है क्या?
बताओ ध्यान चौकीदार कर्म क्षत्रम वर्ण कर्म सुरक्षण कार्य बांह बिना होता है क्या?
बताओ उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म शूद्रम वर्ण कर्म ब्लड संतान उत्पन्न निर्माण उद्योग कर्म पेट के बिना होता है क्या?
बताओ व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य चरण पांव चलाए बिना होता है क्या?
बताओ राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन बिना वेतन भोजन दिये होता है क्या?
सवालो के जवाब दाखिल करें जो चार वर्ण पांचजन सामाजिक प्रबन्धन का मतलब समझने में नाकाम साबित हो रहे हैं?
धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले द्विजनो (स्त्री-पुरुषो) !
धर्म संस्कार विषय पर वार्तालाप करते समय - धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचो विषय पर बातचीत करनी चाहिए।
पांचो परिस्थिति धर्म, अधर्म, आप्तधर्म, पुराणिक इतिहास और समय काल इन पांचविषय पर निष्पक्ष सोच रखकर विधान विज्ञान सम्मत मानव हित की करनी चाहिए।
समय समय पर पैदा हुए साम्प्रदायिक पन्थगुरुओ का फालोअर भक्त होकर मत परिवर्तन करने जीने वालो को इन पांचो विषयों पर विश्लेषण करना चाहिए।
जय विश्व राष्ट्र राज प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ।।
डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने वर्ण व्यवस्था प्रबंधन पर क्या कहा ? और हमने इस पोस्ट में क्या कहा? दोनो की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर पोस्ट कर सकते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग का अंतर मतलब समझकर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
चार वर्ण = चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार ।
चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान वर्ग मुख समान ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान वर्ग बांह समान।
शूद्रम वर्ण = तपस वर्ग पेट समान।
वैशम वर्ण = तमस वर्ग चरण समान।
राजसेवक = दिल राजन्य समान।
चार आश्रम = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम।
1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
4- वितरक वणिक = वैश्य
इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = राजसेवक/दासजन/ सेवकजन/नौकरजन ह्वदय दिल राजन्य समान।
यही है चतुरवर्ण कर्म विभाग वर्ण व्यवस्था।
सबजन को किसी भी वर्ण कर्म विभाग को मानकर नामधारी और कर्मधारी वर्ण वाला बनकर बताकर जीने का समान अवसर उपलब्ध है ।
जो मानव जन वर्ण कर्म विभाग जीविका प्रबन्धन विषय को लेकर दुविधाग्रस्त रहते हैं वे बतायें कि चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम, वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
जय भीम नमो बुद्धाय आदरणीय SJ सर 💙💙🙏🙏⚛️
जयभिम नमो बुद्धाय सरजी
ग्रेट Sj सर
सारे बहुजन मूलनिवासी मिलकर आज़ादीकी लड़ाई लड़नी होंगी.
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म।
कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार।
संस्कृत श्लोक विधिनियम-
ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) ।
भावार्थ हिंदी भाषा -
नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है।
जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
राष्ट्र राज धर्म - सनातन दक्षधर्म।
कृतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार।
संस्कृत भाषा श्लोक विधिनियम-
ॐ एव नित्यस्नायी स्यात्। स्नातश्च पवित्राणि यथाशक्ति जपेत् । विशेषत: सावित्री त्ववश्यं जपेत् पुरूषसूक्तश्च । नैताभ्यामधिकमस्ति। (महर्षि विष्णु स्मृति धर्मशास्त्र) ।
भावार्थ हिंदी भाषा -
नित्य ही स्नान करने वाला रहे । स्नान करके पवित्र मंन्त्रो का यथा शक्ति और यथा समय जप भी नित्य करना परम आवश्यक है। विशेषकर सावित्री का जप अवश्य करना चाहिए और पुरूष सूक्त मंत्र जप तथा पाठ अवश्य करना चाहिए। इस कर्म से श्रेष्ठ उत्तम और अधिक महत्वशाली अन्य कुछ भी नहीं है।
जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्षधर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।विश्व के शिक्षित द्विजनो (स्त्री-पुरुषो)!
ऊंची नीची जाति होने का मतलब क्या और क्यों ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें ।
ऊंची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं।
चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन।
2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय।
3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण।
4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य ।
पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं।
यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है।
जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
शिक्षित विद्वान द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) !
जब एसी ,एसटी और बीसी कहना लिखना हो तो इसके साथ इडब्लुएस और जनरल कहना बोलना लिखना चाहिए। ये शब्द आजकल के संविधान लोकतंत्र युग काल आरक्षण अनुसार कुछ समय के लिए निर्मित हैं।
लेकिन
जब पौराणिक वैदिक शब्द ब्रह्मण को बोलना लिखना प्रयोग करना हो तो इसके साथ अन्य वैदिक शब्द जैसे कि राजन्य, क्षत्रिय, शूद्रण, वैश्य और दास शब्द चयन कर प्रयोग करने चाहिए । ये वैदिक शब्द सदा शाश्वत रहने वाले हैं। पौराणिक वैदिक सतयुग सनातन वर्णाश्रम प्रबन्धन जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय विधि-विधान नियम अनुसार हैं।
एक समय काल के शब्द एक स्थान पर प्रयोग करने चाहिए । शिक्षित मनुष्यों को व्यर्थ अन्धविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच छोड़कर निष्पक्ष सोच रखकर पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त शब्दों का सही चयन वार्तालाप बातचीत के लिए प्रयोग करना चाहिए।
LOVE YOU😎😎 SJ SIR JI💙💙
Jai Bhim Namoh Buddhay
आवाज आ रही है ये आवाज अब आकाश पाताल तक गुंजेगी
SABHI DOSTON KO NAMO BUDDA JAI BHIM JAI SAMRAAT ASOK🙏🙏
🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤🎉❤ बुद्धम नमामि धम्मनमामि संघम नमामि
In solidarity with you SJ sir! Jay Bheem Namo Buddhay
Jai Bhim 💐 Jai Bharat 💐 Jai Savidhan
💐💐💐💐Namo Buddhaya💐💐💐💐
Sabhi bodh sthalo par sirf or sirf bodho ka hi adhikar hona chahiye
"A lie needs protection. Truth needs none."
~A.S Rana
*Jay bheem*
आवाज शानदार है तर्क शानदार है काम दमदार है sj sir
🙏🙏🙏🙏🙏
जय भीम, नमो बुध्दाय 🌹
☸️ लम्बा तिलक और मधुरी बानी,,
☸️ दगा बाज की पहल निशानी,,
#Jaibhim SJ ji ✊💐
Jai Bhim Nammo Budhaye
Jai Bheem SJ Sir...bahujano ko ek hone se jyada din roka nhi ja skta hai
सर जी साइंस जर्नी चैनिल पुरी दुनिया में देखा जाए सुना जाऐ ईस के लिऐ किया करें के आपको कोई रोक ना पाऐ
विश्व के शिक्षित द्विजनो (स्त्री-पुरुषो)!
ऊंची नीची जाति होने का मतलब क्या और क्यों ? इस पोस्ट को पढ़कर समझकर जानें ।
ऊंची नीची जाति मानने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है। महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । चरण पांव चलाकर ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म करते हैं इसलिए चरण समान वैश्य हैं।
चार वर्ण = चार कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
1- ब्रह्म वर्ण में -अध्यापक वैद्यन पुरोहित संगीतज्ञ = ज्ञानसे शिक्षण कर्म करने वाला ब्रह्मन/ विप्रजन।
2- क्षत्रम वर्ण में - सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड = ध्यानसे सुरक्षा न्याय कर्म करने वाला क्षत्रिय।
3- शूद्रम वर्ण में- उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार = तपसे उद्योग कर्म करने वाला शूद्रण।
4- वैशम वर्ण में - वितरक वणिक वार्ताकार ट्रांसपोर्टर क्रेता विक्रेता व्यापारीकरण = तमसे व्यापार वाणिज्य कर्म करने वाला वैश्य ।
पांचवेजन चारो वर्ण कर्म विभाग में राजसेवक जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन वेतनमान पर कार्यरत हैं।
यह पांचजन्य चार वर्णिय कार्मिक वर्ण कर्म व्यवस्था है।
जो इस पोस्ट को पढ़कर समझने में नाकाम हैं वे यह बताएं कि चार वर्ण कर्म जैसे शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादण-शूद्रण और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किये बिना समाज में जीविकोपार्जन प्रबन्धन कैसे होगा?
शूद्रं, क्षुद्र, अशूद्र तीनो वैदिक शब्दों के अलग अलग अर्थ हैं, लेकिन लेखक प्रकाशक इन शब्दों के सही अर्थ अंतर को नहीं समझ कर एक ही शब्द शूद्रं लिखते हैं उन्ही के लिखे प्रिंट को पढ़कर सामन्य जन भी शब्दो के सही मतलब नहीं समझते हैं।
SJ sir you are great 🙏 ❤ and sound is crystal clear Jai bheem namo buddhae
Namo Buddhay 🙏 Jay Bhim 💙Jay Savidhan 🙏 Jay Mulnivasi 🙏🇮🇳🙏
Yes I can hear you 🙏
BHAVATU SABBA MANGALAM 🙏 🙏🙏
सर जी कान पकड पकड के हिलाय वो जल भून रहे है l धन्यवाद सर नमोबुध्दाय जयभीम सर l
जय भीम, नमो बुद्धाय। sir, आप ने ब्राह्मणवाद का जितना postmortem किया है-बहुत ही सराहनीय है।हम आप को नमन करते हैं।ब्राह्मणवाद को जानने का शायद यह सबसे बड़ा source है।सभी बहुजनो को इसके साथ जुड़ना चाहिए।
Science journey jindabad aapko Sadar Mera Pranam
Excellent sir 👍
Jai Bheem namo Buddhay❤❤❤❤❤❤
Jay bhim sir 🙏 namo buddha ❤
Sir jaibhim aap bahut achha kaam kar rahen hain
❤ science journey Jay Bheem sir 💙🙏👍
Sabhi Sathiyo Ko 🔥💙🐯Jai Bhim🐯💙🔥 📚Jai Samvidhan📚 ☸️Namo Budhay☸️ 🏹Jai Johar🏹
Jai Jai Bheem.
SJ Bhai jab tak apne log media, judge nahi banege tab tak esa hi hoga 😢😢❤
Aa Rahi hai ❤
आपका बहुत बहुत हार्दिक साधुवाद ☸️💐👌👍🌹🙏❤️☸️💐👌👍🌹🙏❤️☸️💐👌👍🌹🙏❤️
Thank you so much sir💙☸️🙏😊😊
बहुत खुब sj sir..
नमो बुद्धाय🙏🙏🙏
SJ & RW Subscribe Comment Like Share Karte Rahe Dosto 🙏💐
Sj sir bht logical bate bht achi video
नमो बुद्धाय 🎉
Great 👍 initiative 👍❤❤❤❤
Namo buddhaye Jai Bhim Jai Bharat sathio keep it up and Up for the mission AMBEDKARBAAD evm jaativaad and collegiam system hatao brahmanbadion ko sataa se bhagao SAMBIDHAN Of INDIA KO LAAGU KARVAO🙏🙏🙏🙏🙏
Sir jaibhim
JayBhim NamoBudha JaySavidhan JayBharat 💙💙💙🙏🙏🙏
Jai Bheem Namo Buddhay jai savidhan Bahut sahi kam kar Rahe ho
SJ सर आपके साथ हम भी अपने सामर्थ्य से ..अपनों में ..यार दोस्तों वह अन्य मिलने वालों को जागृत कर रहे हैं.
जिसके धीरे धीरे परिणाम भी मिलने लगे हैं..जय भीम नमो 🙏🏻बुद्धाय ☸️
NAMO BUDHAYA JAI BHIM 🙏 ✨️ 🙏
JAY BHIM NAMO BUDDHAY SJ SIR🙏
जय भीम नमो बुद्धा ❤🙏🙏सर जी जागो भारत जागो🙏🙏 जी पंजाब
Jay Bheem namo budday sir
Thankyou sj sir जय भीम
जय भीम नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏
Science of Journey ❤❤❤
Aj saund🎉🎉Aa rahi h SJ sr jii
सकारात्मक सोच के बगैर सत्य की खोज नहीं की जा सकती है। रूकावट करने से तर्क शक्ति को किल करने जैसा है। बायस नहीं होना चाहिए । प्रोग्रेसिव सोच होना चाहिए।
💙 JAI BHIM 💙 NAMO BUDDHAY 💙
Jai Bhim Namo Buddhaya 🙏
Jaibhim namobuddhay SJ SIR
Sj sir nice work
Jai Bheem Sir ❤ Namo Buddhaay
Jai Bhim Namo Buddhaya SJ Sir
Namo Buddhay Jai Bhim Jai Bharat sathio keep it up and up for the mission AMBEDKARVAAD EVM JAATIVAAD and COLLEGIAM SYSTEM HATAO BRAHMANVADION KO SATAA SE BHAGAO SAMBIDHAN OF INDIA KO LAAGU KARVAO 🙏🙏🙏🙏
आप भी स्वस्थ रहिये मस्त रहिये समृधि पाये!कृपया नेक्स्ट पॉडकास्ट लाये वेग्स नर्व पे ताकी जानकारी पुर्ण हौ सके !आप को और आप की टीम को बहुत बहुत धन्यवाद! ❤❤❤
SJ Sir Ko Jay Jay Bhim Namo Budhay ❤❤❤❤❤
Jai bhim namo budhay jai savidhan Jai Bharat sj sir jindabad jindabad jindabad
जय भीम नमो बुद्धाय जय संविधान जय पेरियार जय जोहार 🌹🌹🌹💐💐💐🌷🌷🌷🌿🌿🌿🌺🌺🌺🪴🪴🪴🥀🥀🥀🎋🎋🎋
एस जे सर आप मेरी जान है सर जी
Right SJ Sir 😺😺 Aapka Boone Ka Tareeka Itna Mast Hai Ki Pure Din Mood Off Tha Abhi Theek Ho Gaya ❤️
Khani word bht shi kha apne sir sab jhut bolke khud ko ucha samjhte h or bki dhrmo ko gali dete h nafrat falite h
Clear hai sir
Love you sj sir 🎉
Sj sir u r hero n all brahminisms r villain
Nice sound❤
Jay Bhim Jai vigyan Jay samvidhan
Yes sir aa rehi aa💙💙💙💙💙💙
Great sir ji 👍 selute Jai bhim jai sambidhan jai johar namo budhay
Jay Bhim Namo Buddhay sir...
Bilkul sahi kaha aapne Sir 🙏🙏🙏
Ok ❤❤
Aaj aa rahi hai❤
Very informative video SJ sir 🔥🔥
Science journey sir जिंदाबाद ❤
Lots of love from Chattisgarh ☸️💙
Namo Budhaya Jai Bhim Jai Bharat Jai Sanvidhan Jai Moolnivasi Jai Loktantra Jai Vigyan
Namo buddhay jai bheem jai samvidhan🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Thanks a lot to science journey sir.let your stream go continuously.i want you to rewrite true India history and propagate around the world. I'm from Nepal.
क्या बात है सर💯❤