कर्म, अकर्म, विकर्म किसके लिए हैं? || आचार्य प्रशांत, अवधूत गीता पर (2020)
HTML-код
- Опубликовано: 15 сен 2024
- आचार्य जी से मिलने व ऑनलाइन सत्रों में भाग लेने के लिए यह फॉर्म भरें: acharyaprashan...
फॉर्म भरने के बाद जल्द ही संस्था आपसे सम्पर्क करेगी।
ये वीडिओ आचार्य जी की ऑनलाइन उपलब्ध 10,000 निःशुल्क वीडिओज़ में से एक है। ये निःशुल्क वीडिओज़ प्रतिदिन लाखों जीवन बदल रहे हैं। ज़रूरी है कि ये वीडिओज़ करोड़ों, अरबों लोगों तक पहुँचें।
संस्था का काम सबके लिए है। अपने काम को ताकत दें और सच के प्रचार-प्रसार हेतु आर्थिक योगदान करें। आचार्य जी के हाथ मज़बूत करें, साथ आएँ: acharyaprashan...
➖➖➖➖➖➖➖➖
आचार्य प्रशांत के साथ जीवन बदलें:
⚡ डाउनलोड करें Acharya Prashant APP: acharyaprashan...
यदि आप आचार्य प्रशांत की बात से और गहराई से जुड़ना चाहते हैं तो Acharya Prashant App आपके लिए ही है। यहाँ हैं निशुल्क, विज्ञापन-मुक्त और विशेष वीडियोज़ जो यूट्यूब पर नहीं डाले जाते। साथ में पोस्टर्स, उक्तियाँ, लेख, और बहुत कुछ!
⚡ गहराई से जीवन व ग्रंथों को समझें: acharyaprashan...
यहाँ आप पाएँगे जीवन व अध्यात्म से जुड़े विषयों पर आचार्य जी के 200+ वीडिओ कोर्सेस। यहाँ आपको गीता, उपनिषद व संतवाणी जैसे आध्यात्मिक विषयों के साथ ही निडरता, मोटिवेशन, व्यक्तित्व जैसे सामान्य विषयों को सरल भाषा में समझने का अवसर मिलेगा।
⚡ आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ें: acharyaprashan...
जीवन के हर पहलू को सरलता से समझें। राष्ट्रीय बेस्टसेलिंग सूची में गिनी जाने वाली ये पुस्तकें ईबुक व पेपर्बैक (हार्ड-कॉपी) दोनों संस्करणों में उपलब्ध हैं। आप इन्हें ऐमज़ान व फ्लिपकार्ट आदि से भी ख़रीद सकते हैं।
➖➖➖➖➖➖
⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
उनसे अन्य सोशल मीडिया पर भी जुड़ें:
फ़ेसबुक: / acharya.prashant.advait
इंस्टाग्राम: / acharya_prashant_ap
ट्विटर: / advait_prashant
➖➖➖➖➖➖
#acharyaprashant
वीडियो जानकारी:
पार से उपहार शिविर, 15.02.20, ऋषिकेश, उत्तराखंड, भारत
प्रसंग:
पुंसोऽयुक्तस्य नानार्थो भ्रमः स गुणदोषभाक् ।
कर्माकर्मविकर्मेति गुणदोषधियो भिदा ।।
भावार्थ: जिस पुरुष का मन अशांत है, असंयत है, उसी को पागल की तरह अनेको वस्तुएँ मालुम पड़ती हैं; वास्तव में यह सब चित्त का भ्रम ही है । नानात्व का भ्रम हो जाने पर ही ‘यह गुण है’‘यह दोष है’ इस प्रकार की कल्पना करनी पड़ती है । जिसकी बुद्धि में गुण और दोष का भेद बैठ गया है, जो दृढ़मूल हो गया है उसी के लिए कर्म, अकर्म और विकर्म के भेद का प्रतिपादन हुआ है ।
~अवधूत गीता (अध्याय १, श्लोक ८)
~ " बुद्धि में नानात्व का भ्रम हो जाता है " इसका क्या अर्थ है?
~ नानात्व दूर कैसे हो?
~ मन की अशांति दूर कैसे हो?
~ ज्ञान को जीवन में कैसे उतारें?
~ नानात्व को पचेड़ा क्यों कहते हैं?
~ कर्मों को गौर से देखने पर इतना ज़ोर क्यों है?
~ कर्म- अकर्म, विकर्म या निष्काम है, यह जानने पर क्यों इतना ज़ोर है?
~ कर्ता परेशान क्यों है?
संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~~~~~~~~~
आचार्य प्रशांत संग लाइव ऑनलाइन सत्रों से जुड़ें, फ्री ईबुक पढ़ें: acharyaprashant.org/grace?cmId=m00036
'Acharya Prashant' app डाउनलोड करें: acharyaprashant.org/app?cmId=m00036
उपनिषद, गीता व सभी प्रमुख ग्रंथों पर ऑनलाइन वीडियो श्रृंखलाएँ: acharyaprashant.org/hi/courses?cmId=m00036
संस्था की वेबसाइट पर जाएँ: acharyaprashant.org/hi/home
अकर्म में आपका कोई चुनाव नहीं।
कर्म में चुनाव सम्मिलित होता है।
विकर्म मे सिर्फ़ अहंकार की पूर्ति के लिए काम किया जाता हैं।
दुनिया के प्रलोभन बड़े नहीं है, अपना संकल्प और ज्ञान छोटा है।
अकर्म वो सबकुछ जो आपकी चेतना द्वारा संचालित नहीं है, फिर भी आपकी देह करती है।
अकर्म वो सबकुछ जिसको करने में वास्तव में आपका चुनाव शामिल ही नहीं।
जैसे साँसों का चलना ये दिखने में कर्म है लेकिन फिर भी अकर्म है।
जो व्यक्ति सच्चाई की ओर बढ़ना चाहता हो, शांति की ओर बढ़ना चाहता हो,
उसको समझना पड़ेगा कि उसके जीवन में अकर्म कहाँ बैठा हुआ है?
कितना बड़ा दायरा है ऐसे कर्मों का जो बस उससे हुए जा रहे हैं।
लग रहा है वो कर रहा है लेकिन वो कर नहीं रहा है।
-आचार्य प्रशांत
अकर्म जब हो रहा है तो कर्ता है- प्रकृति
विकर्म जब हो रहा है तो कर्ता है- अहंकार
निष्काम कर्म हो रहा है तो कर्ता है- आत्मा को समर्पित अहंकार।
-आचार्य प्रशांत
आत्मज्ञान का अर्थ ही यही है अपने कर्मो को जानना
Jai shree krishan
Pronam Acharyaji🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Thank you Acharya Prashant
कर्म-जहाँ आपने चुनाव करा है।
जहाँ चुनाव शामिल है सिर्फ़ उसको कर्म कहा जा सकता है।
उदाहरण के लिए- गाय घांस खाती है, शेर मांस खाता है।
लेकिन आदमी मांस खाता है- ये कुकर्म है।
-आचार्य प्रशांत
चरण स्पर्श, आचार्य जी। 🙇🏻🪔
धन्यवाद आचार्य जी
Pranaam Aachary Ji.Fine explaination.❤
ये पहली बात मानो कि दुनिया के प्रलोभन बड़े नहीं हैं अपना विवेक और अपना संकल्प छोटा है।
ये बात ज्ञान की है।
और दूसरी बात संकल्प और साधना की है।
-आचार्य प्रशांत
🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
❤❤❤❤❤
🙏🙏👌👌
Pranam acharyaji
प्रणाम आचार्य जी,इस विडियो के लिए आपका धन्यवाद और आभार है!
🌹🌹🌹🌹
Pranam acharya ji 🙏🙏🙏❤️
Mera Naam avdhut hai... Lekin mujhe Acharya ji ..se malum hua ki ... avdhut Gita bhi hai...🙏🙏
❤
Very beautifully explained ❤ Pranam Aacharya ji 🙏🙏❤️❤️💐
Naman acharya ji 🎉
आप बोलते हो न ,
जो सही है वो चुप चाप कर ।🌱🙏🌱
💯❤️🙏♥️
कर्म 2 प्रकार का होता है
1) निष्काम कर्म
2) विकर्म
1)निष्काम कर्म- निष्काम कर्म वो जिसमें आप कर्म कर रहे हो अपने सीमित सरोकारों से आगे का।
निष्काम कर्म गीता का सार है, गीता की आत्मा है।
2)विकर्म- जिसमें आप काम कर रहे हो अहंकार की तृप्ति के लिए।
-आचार्य प्रशांत
नमन आचार्य जी 🙏
Thanku sir ji gud guidance 🙏
यह स्लोक उद्धव गीता से है अवधूत गीता से नहीं।
❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏
🙏
❤❤
🙏