Thank you guys for your support. Please like, share, Subscribe to my channel, and check out other videos. Important Question and Answer about Sanatan Dharma: परब्रह्म क्या है? || What is Para-Brahman: ruclips.net/video/THLg0pZvmgg/видео.html ruclips.net/video/u-eyeG519bE/видео.html सृष्टि रचना के बाद श्री भगवान द्वारा कहे गए प्रथम शब्द: ruclips.net/video/scixQ09tscg/видео.html Why are we here: ruclips.net/video/eHGm9lTBm6A/видео.html What is the Significance of Liberation? ruclips.net/video/aYu_Oi6wQLU/видео.html Important things to know before starting Bhakti ruclips.net/video/0gpqThD8Ieg/видео.html
देखिए , आप जानते नही परंतु प्राचीन समय में जिनके इष्ट देव शिव और विष्णु थे उन राजाओं ने इन दो देवताओं का परमेश्वर के तौर पर प्रचार - प्रसार करवाया है जिसके प्रभाव और प्रवाह में हम आज भी बहते रहते है । आप को 33 कोटि ( प्रकार ) के देवताओं के बारे में पता होंगा उन में से 12 आदित्य देवता , 8 वसु देवता, 11 रुद्र देवता और दो अश्विनी कुमार देवता है। में कहता हूं यह 33 प्रकार (कोटि) के देवता अपनी - अपनी विशिष्टताओं के साथ पूरी तरह समान है परमेश्वर के प्रकार (रूप) है परंतु उस में से एक आदित्य देवता विष्णु और एक रुद्र देवता शिव को ही हम खास मानते है जो बिलकुल महामूर्खता है । जो 8 वसु देवताओं में से चन्द्र देव (सोम देव ) है उन्हे ही मुसलमान (मुस्लिम) अल्लाह और खुदा कहते है तो आप हम हिन्दू अपने परमेश्वर परमात्मा (महा चन्द्र या सदा चन्द्र ) के सगुण रूप ( प्रकार ) चन्द्र देव ( सोम देव ) को क्यों श्रद्धा - भक्ति के साथ नही मानते ( पूजते ), क्यों आस्था नही उन में हम हिन्दूओं को । हम सरलता से उस दूसरे धर्म से विजयी हो सकते है । 🌙🌝 ।। जय प्रभु चन्द्र ।। 🌙🌝
भाई regwade का 10 वा मंडल के 81 और 82 स्लोक में लिखा है गीता के शांति पर्व पढ़ो वहा परब्रह्म का रियल नाम विश्वकर्मा बोला है और विष्णु पुराण में भी लिखा है सही वीडियो बनाओ तुमने जो पांच सिर वाले के बारे में बताया जो परब्रह्म विश्वकर्मा के साकार रूप को बताया जो परब्रह्म का साकार रूप है ये परब्रह्म है। जो गायत्री मंत्र का देवता है परब्रह्म विश्वकर्मा है
@@amritbhaktii देखिए , आप जानते नही परंतु प्राचीन समय में जिनके इष्ट देव शिव और विष्णु थे उन राजाओं ने इन दो देवताओं का परमेश्वर के तौर पर प्रचार - प्रसार करवाया है जिसके प्रभाव और प्रवाह में हम आज भी बहते रहते है । आप को 33 कोटि ( प्रकार ) के देवताओं के बारे में पता होंगा उन में से 12 आदित्य देवता , 8 वसु देवता, 11 रुद्र देवता और दो अश्विनी कुमार देवता है। में कहता हूं यह 33 प्रकार (कोटि) के देवता अपनी - अपनी विशिष्टताओं के साथ पूरी तरह समान है परमेश्वर के प्रकार (रूप) है परंतु उस में से एक आदित्य देवता विष्णु और एक रुद्र देवता शिव को ही हम खास मानते है जो बिलकुल महामूर्खता है । जो 8 वसु देवताओं में से चन्द्र देव (सोम देव ) है उन्हे ही मुसलमान (मुस्लिम) अल्लाह और खुदा कहते है तो आप हम हिन्दू अपने परमेश्वर परमात्मा (महा चन्द्र या सदा चन्द्र ) के सगुण रूप ( प्रकार ) चन्द्र देव ( सोम देव ) को क्यों श्रद्धा - भक्ति के साथ नही मानते ( पूजते ), क्यों आस्था नही उन में हम हिन्दूओं को । हम सरलता से उस दूसरे धर्म से विजयी हो सकते है । 🌙🌝 ।। जय प्रभु चन्द्र ।। 🌙🌝
Too maha vishnu ke mukh se anant koti bramhand nikal rha h woo kya hai aur bhagwad geeta padhao oosme parbramha ke bare me mention hai ki krishna hi hai
@@Vickykumar-ep9mg वास्तव मे आदिपुरूष परमपिता श्री सदाशिव ही है ,उन्ही से अलग अलग देवों का निर्माण होता हे और वे माँ भगवती की शक्ति से ही कार्य करते है .सभी के मूल मे माँभगवती की शक्ती ही है .आदिपुरूष श्री सदाशिव जी सिर्फ साक्षी है वो इस संसार की लीला को देखते रहते है जब उनकी देखने की इच्छा खत्म हो जाती है तो वे इस सभी विश्व को अपने अंदर समा लेते है और विश्व का विलय हो जाता है इस अंतरिक्ष मे सिर्फ अंधकार होता है और वो अकेले ही रह जाते है और निद्राधीन हो जाते है .बाद मे करोडो वर्षो बाद महाशिवरात्री के दिन वो जाग जाते है और उन्हे स्रुषटी स्रुजन की इच्छा होती है फिरसे यस स्रुषटी का चक्र शुरू हो जाता है तात्पर्य उनकी इच्छा से ही स्रुषटी का निर्माण और विलय होता है यह उनका खेल है जिससे उनको आनंद मिलता है .माँभगवती उनकी शक्ती है .
@@Vickykumar-ep9mg भाई आत्मा ही परब्रह्म है पांच ब्रह्म निराकार के साकार रूप है गणपति, विष्णु, दुर्गा, सुर्य सब पुराणो में अलग अलग इष्ट देवता के रुप सबकी स्तुति है सब एक ही परमतत्व के अलग अलग रूप
Atma Parbramh ka ansh hai na ki atma parbramha hai air shiv ji kid bolte hai parbrahm ke do bhag hai jisme se ek purush aur ek prakriti purus se bramha vishnu mahesh hue aur aur prakriti se sarswati laxmi aur kali
आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है इस बारे मे कोई नही जानना चाहता लोगो को विष्णु बड़े या शिव बड़े या शक्ति बड़ी इसी बहस मे देखा है जबकि सत्य तों आत्मा है. परमात्मा के परमधाम से इन महामाया के ब्रह्माडो मे हम आत्मायेँ अनंत कल्पों पूर्व किस कारण आयी? क्यों भगवादगीता मे भगवान यह कह रहे की ना वो समय था जब मैं और तुम और सभी आत्माएँ नही थी और ना कभी ऐसा समय होगा इसका अर्थ आत्मा भी परमात्मा की तरह अजन्मा है और परमात्मा अखंड कहा गया है यानि जिसमे से कुछ अलग नही होता जहाँ तक एक परमात्मा के विभिन्न रूपों की बात हुई है वो सब माया के कारण परमात्मा के स्वप्न मे होता है.. यानि परमात्मा ने आत्मा को नही बनाया वो सदा से परमात्मा के साथ ही थी फिर किस कारण से दुख़मयी ब्रह्माडो को बना के हम आत्माओ को इसमें परमात्मा ने भेजा किसी शास्त्र मे तों इसका कारण बताया होगा?क्यों मोक्ष के बाद भी आत्मा की जन्म मरण से मुक्ति होती है यदि यह माना जाये की आत्मा स्वेच्छा से इस जगत मे आयी हैँ तों फिर मुक्त क्यों नही हो पा रही 84 के चक्र से. और शास्त्रों मे कई जगह ब्रह्मा विष्णु शिव पार्वती लक्ष्मी आदि को एक पद कहा है जो जीव ही धारण करते हैँ मूल ब्रह्मा विष्णु शिव की कलाओ को लेकर जिनको ग्रंथो मे महाब्रह्मा महाविष्णु और महाशिव या सदाशिव कहा गया है देवी महामाया ने त्रिदेवो को विमान मे बैठा के इन्ही मूल त्रिदेवो के लोक दिखाए थे सृस्टि के आदि मे फिर मनीद्वीप मे स्त्री रूप मे प्रवेश करवाया था.. और गोलोक मे परमात्मा के श्रीकृष्ण रूप से अवतार लेने की प्रार्थना के लिए त्रिदेव और धर्म देव जब प्रवेश कर रहे थे तब उनसे वहां के ईशदूतो ने ये पूछा की आप किस ब्रह्माण्ड से आये हो यानि मल्टीवर्स की बात पहले से ही पुराणों मे वर्णित है और रामचरितमानस मे तो समाननंतर ब्रह्माण्ड का भी विज्ञान विस्तार से बताया है केवल एक चौपाई मे भिन्न भिन्न देखे सब देवा चरण वंदन करत प्रभु सेवा.. और कागभूसंडी जी ने भी राम के उदर मे अनगिनत ब्रह्माडो का विचरण किया सब ब्रह्माडो मे धरती सूर्य स्वर्ग के देवता मनुष्य ही नहीं ब्रह्मा विष्णु शिव के भी प्रतिरुप देखे भौतिकी के अलग 2 नियम देखे किसी ब्रह्माण्ड मे सारे जीव स्वर्ण के जैसे थे किसी मे चांदी जैसे देवताओं और त्रिदेवो के रूप भी ब्रह्माण्ड के अनुरूप थे किसी ब्रह्मा के सौ सर थे तो किसी ब्रह्मा के हज़ार किसी के लाख 😎और यह भी बताया है ग्रंथो मे जिसपे कोई ध्यान नहीं देता इसीलिए आपस मे लड़ते मरते हैँ की हमारे ब्रह्माण्ड के ब्रह्मा विष्णु शिव के रूप मे भी साधन सिद्ध जीव ही इन पद को प्राप्त किये हैँ. तों परमात्मा सर्वशक्तिमान है वह एक साथ सभी जीवो को मुक्ति या मोक्ष क्यों नही दे रहे? किस कारण से परमात्मा ने इतनी अपूर्ण दुखमयी और भय से पूर्ण दुनिया बनाई? और किस कारण हम इन ब्रह्माडो मे 84 लाख योनियों के चककर मे फंसे हैँ कुछ ज्ञानी कहेँगे की पिछले जन्म के कर्मो के कारण लेकिन सवाल यह है की जब सृस्टि से पूर्व को कोई कर्म नहीं होगा जीव का फिर क्यों परमात्मा या प्रकृति ने इन ब्रह्माडो मे जीव को कैद किया? ऐसे जिन सवालों से आत्मकल्याण हो सकता है ये कोई नहीं पूछता अपने संतो से केवल अंधी दौड़ मे लगे हैँ की कौन बड़ा और कौन सबसे शक्तिशाली शिव या विष्णु या शक्ति इसे जानकार मिलेगा क्या हर जन्म मे तो इनकी भक्ति करते ही आये हैँ फिर भी क्यों भटक रहे जीव ?क्युकी आत्मा का ज्ञान नही जाना 😎
पूरे संसार का मालिक भगवान शिवलिंग है महादेव पूरा संसार लिंग में समाहित हो जाता है लिंग से बिंदु प्रकट होता है बिंदु से इंसान बन जाता है देवों के देव महादेव ब्रह्मा विष्णु महेश इसी का नाम है त्रिदेव यही है दुर्गा यही है काली इंसान सिर्फ भटकता रहता है और मर जाता है भगवान त्रिदेव को ही महादेव
Ye kewal shaiv dharna hai Vaishnav dharna mai bhagwan Vishnu nirakar brahm hai Shakt mai mata adishakti hi parmeshwari hai Isiliye yeh kewal tum logon ki manyata hai vastav mai sabhi bhagwan ek hi hai
आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है इस बारे मे कोई नही जानना चाहता लोगो को विष्णु बड़े या शिव बड़े या शक्ति बड़ी इसी बहस मे देखा है जबकि सत्य तों आत्मा है. परमात्मा के परमधाम से इन महामाया के ब्रह्माडो मे हम आत्मायेँ अनंत कल्पों पूर्व किस कारण आयी? क्यों भगवादगीता मे भगवान यह कह रहे की ना वो समय था जब मैं और तुम और सभी आत्माएँ नही थी और ना कभी ऐसा समय होगा इसका अर्थ आत्मा भी परमात्मा की तरह अजन्मा है और परमात्मा अखंड कहा गया है यानि जिसमे से कुछ अलग नही होता जहाँ तक एक परमात्मा के विभिन्न रूपों की बात हुई है वो सब माया के कारण परमात्मा के स्वप्न मे होता है.. यानि परमात्मा ने आत्मा को नही बनाया वो सदा से परमात्मा के साथ ही थी फिर किस कारण से दुख़मयी ब्रह्माडो को बना के हम आत्माओ को इसमें परमात्मा ने भेजा किसी शास्त्र मे तों इसका कारण बताया होगा?क्यों मोक्ष के बाद भी आत्मा की जन्म मरण से मुक्ति होती है यदि यह माना जाये की आत्मा स्वेच्छा से इस जगत मे आयी हैँ तों फिर मुक्त क्यों नही हो पा रही 84 के चक्र से. और शास्त्रों मे कई जगह ब्रह्मा विष्णु शिव पार्वती लक्ष्मी आदि को एक पद कहा है जो जीव ही धारण करते हैँ मूल ब्रह्मा विष्णु शिव की कलाओ को लेकर जिनको ग्रंथो मे महाब्रह्मा महाविष्णु और महाशिव या सदाशिव कहा गया है देवी महामाया ने त्रिदेवो को विमान मे बैठा के इन्ही मूल त्रिदेवो के लोक दिखाए थे सृस्टि के आदि मे फिर मनीद्वीप मे स्त्री रूप मे प्रवेश करवाया था.. और गोलोक मे परमात्मा के श्रीकृष्ण रूप से अवतार लेने की प्रार्थना के लिए त्रिदेव और धर्म देव जब प्रवेश कर रहे थे तब उनसे वहां के ईशदूतो ने ये पूछा की आप किस ब्रह्माण्ड से आये हो यानि मल्टीवर्स की बात पहले से ही पुराणों मे वर्णित है और रामचरितमानस मे तो समाननंतर ब्रह्माण्ड का भी विज्ञान विस्तार से बताया है केवल एक चौपाई मे भिन्न भिन्न देखे सब देवा चरण वंदन करत प्रभु सेवा.. और कागभूसंडी जी ने भी राम के उदर मे अनगिनत ब्रह्माडो का विचरण किया सब ब्रह्माडो मे धरती सूर्य स्वर्ग के देवता मनुष्य ही नहीं ब्रह्मा विष्णु शिव के भी प्रतिरुप देखे भौतिकी के अलग 2 नियम देखे किसी ब्रह्माण्ड मे सारे जीव स्वर्ण के जैसे थे किसी मे चांदी जैसे देवताओं और त्रिदेवो के रूप भी ब्रह्माण्ड के अनुरूप थे किसी ब्रह्मा के सौ सर थे तो किसी ब्रह्मा के हज़ार किसी के लाख 😎और यह भी बताया है ग्रंथो मे जिसपे कोई ध्यान नहीं देता इसीलिए आपस मे लड़ते मरते हैँ की हमारे ब्रह्माण्ड के ब्रह्मा विष्णु शिव के रूप मे भी साधन सिद्ध जीव ही इन पद को प्राप्त किये हैँ. तों परमात्मा सर्वशक्तिमान है वह एक साथ सभी जीवो को मुक्ति या मोक्ष क्यों नही दे रहे? किस कारण से परमात्मा ने इतनी अपूर्ण दुखमयी और भय से पूर्ण दुनिया बनाई? और किस कारण हम इन ब्रह्माडो मे 84 लाख योनियों के चककर मे फंसे हैँ कुछ ज्ञानी कहेँगे की पिछले जन्म के कर्मो के कारण लेकिन सवाल यह है की जब सृस्टि से पूर्व को कोई कर्म नहीं होगा जीव का फिर क्यों परमात्मा या प्रकृति ने इन ब्रह्माडो मे जीव को कैद किया? ऐसे जिन सवालों से आत्मकल्याण हो सकता है ये कोई नहीं पूछता अपने संतो से केवल अंधी दौड़ मे लगे हैँ की कौन बड़ा और कौन सबसे शक्तिशाली शिव या विष्णु या शक्ति इसे जानकार मिलेगा क्या हर जन्म मे तो इनकी भक्ति करते ही आये हैँ फिर भी क्यों भटक रहे जीव ?क्युकी आत्मा का ज्ञान नही जाना 😎
Sabhi Dev,danav or Brahma Vishnu adi Bhagwan Sadashiv or maa adishakti parashakti parameshwari Ambe Gauri ki hi upasna karte hai..or Sri Krishna ya maharishi Dadhichi adi apne Virat swaroop ko dikhane mein saksham hai.. Sadashiv Maheshwar jyotiswaroop parambraham paramatma Nirakar Ishwar hai or maa adishakti parashakti parameshwari Ambe Shiv ji ki shakti hai... sabhi Dev in dono ke upashak hai.... Jai Shri Mahakal 🙏❤️🌷 Jai maa Ambe Gauri 🙏🙏❤️❤️🌷
Mai kafi time se is question ka answer dhoond rha tha par mujhe aaj tak kabhi sahi answer ni mila tha ......par aapne is video me mere saare dout clear kar diye ❤❤❤thank u so much so for making such a video❤
कौन से पुराण मे लिखा है वो श्लोक भेजो 😎शिव पुराण अनुसार शिवलोक के गौशाला की बात कही ग्यी है वो विष्णु को भेंट किया था और वो पराव्योम के शिव लोक का वर्णन नहीं बल्कि ब्रह्माण्ड के सबसे ऊपरी भाग उमा लोक का वर्णन है जिसको सृस्टि के आदि मे भगवती उमा के लिए शिव ने बनाया था 😎 .. पुराणों मे जिस एक गोलोक का वर्णन है वो सीधे निर्गुण ब्रह्म से सृस्टि के आदि मे प्रकट हुआ था देवी भागवत ब्रह्माण्ड पुराण और वैव्रत पुराण मे भी उस सृस्टि का वर्णन है😎
आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है इस बारे मे कोई नही जानना चाहता लोगो को विष्णु बड़े या शिव बड़े या शक्ति बड़ी इसी बहस मे देखा है जबकि सत्य तों आत्मा है. परमात्मा के परमधाम से इन महामाया के ब्रह्माडो मे हम आत्मायेँ अनंत कल्पों पूर्व किस कारण आयी? क्यों भगवादगीता मे भगवान यह कह रहे की ना वो समय था जब मैं और तुम और सभी आत्माएँ नही थी और ना कभी ऐसा समय होगा इसका अर्थ आत्मा भी परमात्मा की तरह अजन्मा है और परमात्मा अखंड कहा गया है यानि जिसमे से कुछ अलग नही होता जहाँ तक एक परमात्मा के विभिन्न रूपों की बात हुई है वो सब माया के कारण परमात्मा के स्वप्न मे होता है.. यानि परमात्मा ने आत्मा को नही बनाया वो सदा से परमात्मा के साथ ही थी फिर किस कारण से दुख़मयी ब्रह्माडो को बना के हम आत्माओ को इसमें परमात्मा ने भेजा किसी शास्त्र मे तों इसका कारण बताया होगा?क्यों मोक्ष के बाद भी आत्मा की जन्म मरण से मुक्ति होती है यदि यह माना जाये की आत्मा स्वेच्छा से इस जगत मे आयी हैँ तों फिर मुक्त क्यों नही हो पा रही 84 के चक्र से. और शास्त्रों मे कई जगह ब्रह्मा विष्णु शिव पार्वती लक्ष्मी आदि को एक पद कहा है जो जीव ही धारण करते हैँ मूल ब्रह्मा विष्णु शिव की कलाओ को लेकर जिनको ग्रंथो मे महाब्रह्मा महाविष्णु और महाशिव या सदाशिव कहा गया है देवी महामाया ने त्रिदेवो को विमान मे बैठा के इन्ही मूल त्रिदेवो के लोक दिखाए थे सृस्टि के आदि मे फिर मनीद्वीप मे स्त्री रूप मे प्रवेश करवाया था.. और गोलोक मे परमात्मा के श्रीकृष्ण रूप से अवतार लेने की प्रार्थना के लिए त्रिदेव और धर्म देव जब प्रवेश कर रहे थे तब उनसे वहां के ईशदूतो ने ये पूछा की आप किस ब्रह्माण्ड से आये हो यानि मल्टीवर्स की बात पहले से ही पुराणों मे वर्णित है और रामचरितमानस मे तो समाननंतर ब्रह्माण्ड का भी विज्ञान विस्तार से बताया है केवल एक चौपाई मे भिन्न भिन्न देखे सब देवा चरण वंदन करत प्रभु सेवा.. और कागभूसंडी जी ने भी राम के उदर मे अनगिनत ब्रह्माडो का विचरण किया सब ब्रह्माडो मे धरती सूर्य स्वर्ग के देवता मनुष्य ही नहीं ब्रह्मा विष्णु शिव के भी प्रतिरुप देखे भौतिकी के अलग 2 नियम देखे किसी ब्रह्माण्ड मे सारे जीव स्वर्ण के जैसे थे किसी मे चांदी जैसे देवताओं और त्रिदेवो के रूप भी ब्रह्माण्ड के अनुरूप थे किसी ब्रह्मा के सौ सर थे तो किसी ब्रह्मा के हज़ार किसी के लाख 😎और यह भी बताया है ग्रंथो मे जिसपे कोई ध्यान नहीं देता इसीलिए आपस मे लड़ते मरते हैँ की हमारे ब्रह्माण्ड के ब्रह्मा विष्णु शिव के रूप मे भी साधन सिद्ध जीव ही इन पद को प्राप्त किये हैँ. तों परमात्मा सर्वशक्तिमान है वह एक साथ सभी जीवो को मुक्ति या मोक्ष क्यों नही दे रहे? किस कारण से परमात्मा ने इतनी अपूर्ण दुखमयी और भय से पूर्ण दुनिया बनाई? और किस कारण हम इन ब्रह्माडो मे 84 लाख योनियों के चककर मे फंसे हैँ कुछ ज्ञानी कहेँगे की पिछले जन्म के कर्मो के कारण लेकिन सवाल यह है की जब सृस्टि से पूर्व को कोई कर्म नहीं होगा जीव का फिर क्यों परमात्मा या प्रकृति ने इन ब्रह्माडो मे जीव को कैद किया? ऐसे जिन सवालों से आत्मकल्याण हो सकता है ये कोई नहीं पूछता अपने संतो से केवल अंधी दौड़ मे लगे हैँ की कौन बड़ा और कौन सबसे शक्तिशाली शिव या विष्णु या शक्ति इसे जानकार मिलेगा क्या हर जन्म मे तो इनकी भक्ति करते ही आये हैँ फिर भी क्यों भटक रहे जीव ?क्युकी आत्मा का ज्ञान नही जाना 😎
@@सत्यसनातन369 hmm bhai ye baat jaan lo atma ko hi Parmatma kha jata hai phale toh ye jaan lo aur jo maya hai vo atma ke sath mai rahti hai jise bharm kaha jata hai vo parkati hai aur in dono ko kabhi bhi algh maath samjho aur ye dono se sada ake hai 🙏 devi gita pad lo sab samj aa jayega aur parkati bhi 2 parkar ki hai .aur bahi jiv ko hi atma kha jata hai bgwath gita mai atma aur us Parmatma ke bare mai bool rakha hai 🙏aur ye parketi kha se algh huyi ye Devi gita mai likha hai Parmatma kohi bagwan nehi hai tumhaari atma hai usi ko Parmatma smjho aur jo es atma ko control kr raha hai use parkati samjho 🙏aur in dono ko jo chalta hai use tum mulparkriti ya पूर्णपारब्रह्म परआत्मा samjho esse aage kuch nehi hai aur pure bhaarmand mai ese aage Janne ke liye kuch nehi hai bass uni mulparkriti ke naame hai vohi ram hai vohi Krishn hai aur vohi shiv hai vohi Vishnu hai vohi bharma hai uni mulparkriti ka nirakar rup hamari aatma hai aur skaar rup vo bhuvaneswari hai jab Pure bhaarmando ki utpatti Hoti hai vohi mulparkriti apne sakar rup mai aa jati hai aur jab bhaarmando ka vinash hota hai vo mulparkriti apne nirankar rup mai aake sab kuch apne mai sama jati hai jisko samjhna hai samjho jisko nehi samjhana hai math samjho 🙏❤️🔥 और प्रकृति से जो उत्पन्न हुआ है उनका विनाश होता है🙏❤️🔥 जय माता दी🙏
Tank you bhagwan ki jai ho 🪔🪔🪔🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🪔🪔🪔🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🪔🪔🪔🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bahut dhanyawad bhai sach me me ye baat kitni baar keh chuka hu ki ishwar anek roop me khel rhe he Satyug ke waqt asur bhed karte the or aaj insaan koi kehta he shiv bade koi krishna
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे. ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎 हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻 इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
1 kalp mai 1000 chaturyug (4 yug) hote h... Aur ye sirf brahma ka ek din hota h... Aur itni hi bdi ek raat... Brahma ji k 24 ghante mai... 8.64 billion human years hote h... Parabrhman jo alag alag hote h wo new brhma k birth k sath decide hota h...
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे. ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎 हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻 इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
परब्रह्म का नाम विश्वकर्मा है।जो निराकार है जब साकार रूप आए जिनके पांच सिर है जो अपने बताया वो आदि ब्रह्मा विराट विश्वकर्मा है जो साकार रूप में आए। वो ही ब्रह्मा,विष्णु,महेश। को बनाया। Regwade के 10 मंडल के 81 और 82 स्लोक को पढ़ाए उसमे लिखा है परब्राम को जब जिस रूप और जीने गुण की जरूरत होती है ।तब वो अनेक रूप में आते है जिसे हम लोग राम, कृष्ण,ब्रह्मा ,विष्णु,और महेश बोलते है।regwade के 10 वे मंडल में लिखा हुआ है
Bhai aap mere channel pr ye video dekhiyo ruclips.net/video/scixQ09tscg/видео.htmlsi=ApfXAC4GbVighUvJ Isme maine ache se explain kiya h... Nirakar ka matlab
Let me try my explanation. Imagine you’re in a room and there is no light And there are 3 windows in your room. Sun arrives and you can see the sun from all 3 windows but the sun is same. So assume: Sun= parabrahman 1st window = sadashiv 2nd window = Krishna 3rd window = devi bhagwati. Now there can be infinite windows
Good question.... Iska answer multiverse k concept se btata hu.... Infinte number k universes h... Har ek universe mai first living being Brahma ji h.... Fr vishu ji aur mahesh (Or rudra Or shiv) bi h.... Toh jb bi Brahma ji k 100 brahma years (jisme 4.32 billion human years ka ek din aur ek raat 4.32 billion human years hoti h×100 times) purey hote h toh Brahma ji ki mrityu hoti h (uss universe ki death) aur sath mai vishu aur rudra ki bi.... Other perspective is.... Koi ni mrta jb smaye pura hota h toh Parabrahm mai mil jaate h.
Achha hamne sabse God Allah wahe guru vishnu ji krishna ram ji hanuman ji sarswoti ji laxmi ji parwoti ji radha ji sita ji surya dev indra dev ji sab se sapt rishi ji dev rishi narad ji samat sanchche mahan rishi muni gan bhagt gan sab se durga ji kali ji sab se jab puchhe the ki sab lar kyo rahe hai jhagra kyo kar rahe hai parmatma ke rup nam sab par ye parmatma hai kon kaise hai aur tab jo hame bataye dikhaye the wo sab is bar pure sahi tarike se sabko batayenge aap sab bataye thik hai
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे. ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎 हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻 इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है इस बारे मे कोई नही जानना चाहता लोगो को विष्णु बड़े या शिव बड़े या शक्ति बड़ी इसी बहस मे देखा है जबकि सत्य तों आत्मा है. परमात्मा के परमधाम से इन महामाया के ब्रह्माडो मे हम आत्मायेँ अनंत कल्पों पूर्व किस कारण आयी? क्यों भगवादगीता मे भगवान यह कह रहे की ना वो समय था जब मैं और तुम और सभी आत्माएँ नही थी और ना कभी ऐसा समय होगा इसका अर्थ आत्मा भी परमात्मा की तरह अजन्मा है और परमात्मा अखंड कहा गया है यानि जिसमे से कुछ अलग नही होता जहाँ तक एक परमात्मा के विभिन्न रूपों की बात हुई है वो सब माया के कारण परमात्मा के स्वप्न मे होता है.. यानि परमात्मा ने आत्मा को नही बनाया वो सदा से परमात्मा के साथ ही थी फिर किस कारण से दुख़मयी ब्रह्माडो को बना के हम आत्माओ को इसमें परमात्मा ने भेजा किसी शास्त्र मे तों इसका कारण बताया होगा?क्यों मोक्ष के बाद भी आत्मा की जन्म मरण से मुक्ति होती है यदि यह माना जाये की आत्मा स्वेच्छा से इस जगत मे आयी हैँ तों फिर मुक्त क्यों नही हो पा रही 84 के चक्र से. और शास्त्रों मे कई जगह ब्रह्मा विष्णु शिव पार्वती लक्ष्मी आदि को एक पद कहा है जो जीव ही धारण करते हैँ मूल ब्रह्मा विष्णु शिव की कलाओ को लेकर जिनको ग्रंथो मे महाब्रह्मा महाविष्णु और महाशिव या सदाशिव कहा गया है देवी महामाया ने त्रिदेवो को विमान मे बैठा के इन्ही मूल त्रिदेवो के लोक दिखाए थे सृस्टि के आदि मे फिर मनीद्वीप मे स्त्री रूप मे प्रवेश करवाया था.. और गोलोक मे परमात्मा के श्रीकृष्ण रूप से अवतार लेने की प्रार्थना के लिए त्रिदेव और धर्म देव जब प्रवेश कर रहे थे तब उनसे वहां के ईशदूतो ने ये पूछा की आप किस ब्रह्माण्ड से आये हो यानि मल्टीवर्स की बात पहले से ही पुराणों मे वर्णित है और रामचरितमानस मे तो समाननंतर ब्रह्माण्ड का भी विज्ञान विस्तार से बताया है केवल एक चौपाई मे भिन्न भिन्न देखे सब देवा चरण वंदन करत प्रभु सेवा.. और कागभूसंडी जी ने भी राम के उदर मे अनगिनत ब्रह्माडो का विचरण किया सब ब्रह्माडो मे धरती सूर्य स्वर्ग के देवता मनुष्य ही नहीं ब्रह्मा विष्णु शिव के भी प्रतिरुप देखे भौतिकी के अलग 2 नियम देखे किसी ब्रह्माण्ड मे सारे जीव स्वर्ण के जैसे थे किसी मे चांदी जैसे देवताओं और त्रिदेवो के रूप भी ब्रह्माण्ड के अनुरूप थे किसी ब्रह्मा के सौ सर थे तो किसी ब्रह्मा के हज़ार किसी के लाख 😎और यह भी बताया है ग्रंथो मे जिसपे कोई ध्यान नहीं देता इसीलिए आपस मे लड़ते मरते हैँ की हमारे ब्रह्माण्ड के ब्रह्मा विष्णु शिव के रूप मे भी साधन सिद्ध जीव ही इन पद को प्राप्त किये हैँ. तों परमात्मा सर्वशक्तिमान है वह एक साथ सभी जीवो को मुक्ति या मोक्ष क्यों नही दे रहे? किस कारण से परमात्मा ने इतनी अपूर्ण दुखमयी और भय से पूर्ण दुनिया बनाई? और किस कारण हम इन ब्रह्माडो मे 84 लाख योनियों के चककर मे फंसे हैँ कुछ ज्ञानी कहेँगे की पिछले जन्म के कर्मो के कारण लेकिन सवाल यह है की जब सृस्टि से पूर्व को कोई कर्म नहीं होगा जीव का फिर क्यों परमात्मा या प्रकृति ने इन ब्रह्माडो मे जीव को कैद किया? ऐसे जिन सवालों से आत्मकल्याण हो सकता है ये कोई नहीं पूछता अपने संतो से केवल अंधी दौड़ मे लगे हैँ की कौन बड़ा और कौन सबसे शक्तिशाली शिव या विष्णु या शक्ति इसे जानकार मिलेगा क्या हर जन्म मे तो इनकी भक्ति करते ही आये हैँ फिर भी क्यों भटक रहे जीव ?क्युकी आत्मा का ज्ञान नही जाना 😎
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे. ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎 हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻 इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
Narayan ji Ram ji, Krishna ji , Radha ji, shiv ji maa bhagwati ji sabhi para bramha hai,Vishnu puran ,shiv puran, Devi Puran sabhi sahi hai, shristi ka vinash or nirmad Kai baar hua hai ye sab kalp,or Manawantar,kanwantar,ke wajah se alag alag story hai jo sabhi sahi hai, bramha Vishnu, Mahesh,teeno hi ek parabramha hai koi antar nhi hai apni apni sradha se jisko Jo swaroop pasand hai wo usko Pooja karta hai, jai shree Laxmi Narayan ji 🚩🕉️🕉️🚩🚩 Jai Sanatan dharm 🚩🚩🕉️🕉️
Nirakarse sakar kabhi nahi ata kaya sulight se sun ata hai?ya sunse sunlight ata hai?Kaya Torchlight se tourch ati hai?ya torchse torch light?Hamesha Sakarse Nirakar ate hai naki nirakarse sakar.
Aesa khna ki saakar se hi nirakar bnta h aur iska ulta nhi ho skta.... ye limitation h bhagwan pr....bhagwan kuch bi kr skte h... jb wo iss brahmand se bahar rhte h aur hmare antar mann mai bi....toh wo nirakar roop mai rhte h....jb unhe koi kaam krna hota h toh wo saakar roop main aate h... E=mc^2 ka pta h... usme bi yahi baat khi gyi h....Energy(nirakar) se mass (saakar) bnta h aur iska ulta bi...ye baat toh einstein ne iss formula se batay tha. Aur jo example aap de bhi rhe ho....wo aadhe hi h... complete nhi h... sun se sunlight aati h toh sunlight energy hi toh h.... energy de kr sun bhi banaya ja skta... nuclear fusion k through. China toh ispe kaam bi kr ra h.... artificial sun bna rha h....
@@amritbhaktiiBhagavanme Bhoutik prakritike niyem lagu nahi hote hai.'Bhagavat Geetame' Bhagavan ne Kaha hai ki Nirakar Brahma unke upar ashrita hai.Nirakr Brahma unki angya jyotike roopme hameshase hai.Unka sakar aur nirakar roop donohi hameshase ak sath hai kuki donohi nittya hai.Sakar roopme vo apne dhamme,nirakar roopme is jagatme aur chaturbhuj paramatmake roopme sabke heartme hai.Aisa nahi ki kisi samay nirakarse sakarki utpatti hoi.Torch or sun ka example sirf unke position ko samjhaneke liye hai.Halaki unko samjhaneke liye is jagatka koibhi example perfect nahi hai kuki vaha prakritike pare hai.aur as a soul mera bhoutik akar nahi hai par adhyatmik dibya roop abashya hai.Jab kisiko mukti milti hai tav Bhagavanke dhamme jakar vo apne us roop ko abhibhyakta karta hai aur is jagatme paramanabik sfulingake roopme Bhoutik sharirme rahata hai.
Ya sahi h... Saakar se nirakar bn skta h toh iska ulta bi ho skta h... Ye toh transformation of energy h... Mai bi yahi bta ra tha... Aatma roop mai hum rhte h... Wo nirakar hi h... aur jb usse yaha sharir milta h toh wo saakar ho jata h kuch time k liye... Bs yahi baat h... Aapne bi sahi kaha ki koi bi example perfect nhi h yaha pr...
@@amritbhaktii Bhagavan sakarse nirakar ya nirakarse sakar nahi bante isse unme utpatti aur paribartanka dosh a jayega.Bhoutik energy badalti ya transform hoti hai par Bhagavan,unka roop,dham,Unki sharirki nirakar Brahma jyoti yesab kavhi nahi badalti be transform nahi hote .unme transformation ka niyam lagu nahi hota.Isiliye bhagavan ak sath Sakar aur nirakar donohi hai.Nirakarse sakar anese ya sakarse nirakar anese Brahm me Utpatti dosh a jayega.Jahapar Bhagavanko nirakar kaha jata hai waha par iska matlab hai ki unka koi Bhoutik akar nahi hai isiliye ve nirakar kahe jate hai.Lekin unka divya roop ya akar hai isiliye ve sakar hai ve sat chit ananda vigraha hai nirakar nahi hai unka vyaktitva hai aur nirgun nirakar Brahm unki sharirki jyotike roopme un sakar Bhagavanke sath hi hameshase hai.Aur atmame bhi yehi lagu hota hai isiliye Bhoutik dristise va nirakar hai kuki uska roop bhoutik padarth ka nahi hai.kintu vo divya vyaktike akar vala hai thik sakar bhagavanke taraha.Par is Jagatme vo prakat nahi hota Is jagatme vo aanabik sfuling ke roopme rahata hai aur Bhagavanke dhamme mukta hokar janeke bad uska vyaktitva prakat hota hai.App 'Adwaita' philosophy bol rahe ho aur Mai 'Achintya Bhedabheda' philosophy bol raha hu.
1 kalp mai 1000 chaturyug (4 yug) hote h... Aur ye sirf brahma ka ek din hota h... Aur itni hi bdi ek raat... Brahma ji k 24 ghante mai... 8.64 billion human years hote h... Parabrhman jo alag alag hote h wo new brhma k birth k sath decide hota h... Nirakar aur sakaar bi explain kiy ah maine apni videos pr. Channel pr jaake check kre... Dhanyavaad
Ye sab kalpa bhad h kalpa h anusar hi brahm k swaroop bde Hote h ............ Srishti k aarabh m parabrahm apne aap ko 5 roopom m vrakt krte h....... Utpatti... Surya, sthithi.... Vishnu , tirodhaan..... Shiv, nigrah..... Shakti, anugrah..... Ganpati...... Ye panch dev or unke shastrq smavat avtaar hi parabrahm h or har kalp m alag alag roop m aate h isliye kisi devi kalpa m maa lalithambika bdi hoti h to aajkl shwetvarah kalpa m bhagwan shri krishna bde hote h .............. Morya🙏
To devi ji kyo kahati hai ki jo shiv ji ka pujan karenge ya vishnu ji ka to khaskar shiv ji ka nam bhi smaran karte rahe to unka pura khyal rakhne ka koshish karengi unke pati sirf parmatma sada shiv ji hai kyo kahati hai iska jawab de
पहले मैं भी बहुत विचलित होता था की कोई कहता विष्णु परमात्मा हैँ कोई कहता शिव परमात्मा हैँ कोई कहता आदिशक्ति कोई कहता श्रीकृष्ण तों कोई कहता गणेश तों फिर अंत समय मे इनका नाम क्यों नही लिया जाता केवल राम नाम ही सत्य क्यों कहा जाता है लेकिन स्वयं शास्त्र अध्ययन किया और संत पुरुषो से शास्त्र रहस्य समझें तों उनके सानिध्य से कुछ कुछ रहस्य समझ मे आने लगा है सत्य यह है की अनन्तो कल्पों मे सृस्टि हुई है कभी सदाशिव से त्रिदेव बनते हैँ कभी महाविष्णु से तों कभी आदिशक्ति से कभी आदिसूर्य से कभी आदिग्नेश से लेकिन चाहे किसी भी देवता के पुराण हो राम नाम ही परमब्रह्म कहा गया है राम नाम ही सत्य कहा जाता है समस्त सनातन धर्म मे आत्मा की गति के लिए चाहे किसी भी रूप का उपासक हो. राम नाम से ही ॐ, ओमकार, ररंकार सोहम आदि ब्रह्माण्ड धुनें प्रकट हुई हैँ अनहद नाद तों प्रथम धुन है जो पिंड यानि शरीर मे चल रही जो इन ब्रह्मणदीय धुनो से योग कराती है इसलिए किसी भी नाम को श्रद्धा से जपो कुछ समय बाद अनहद ही सुनाई देगा फिर कुछ समय बाद अनहद भी समाप्त हो जायेगा फिर इन ब्रह्माण्ड धुनो का अनुभव होने लगेगा जो अंत मे राम नाम तक ले जाएंगी वही आनंद की परम अवस्था कही गयी है.. 🙏🏻अनहद भी तत्वों की ध्वनि है इसे परमात्मा मान के ना चलो इससे आगे बढ़ो यही कबीर भी कह गए जप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाये तब तक आगे जाना है जब तक सतनाम या राम नाम की धुन ना सुनाई दे राम नाम ही वह सोना है जिससे सब आभूषण ( राम, कृष्ण, शिव, सदाशिव, विष्णु, ब्रह्मा, महाविष्णु ) बने हैँ हिंदु धर्म की यह भी विडम्बना है लोग सभी शास्त्र को पवित्र तो मानते हैँ लेकिन अपनी आस्था अनुसार इष्ट देव अनुसार एक ही शास्त्र को सब कुछ मानकर बाकि शास्त्रों को व्यर्थ मानने की भूल कर लेते हैँ 😎 सबकी परम सत्य यदि एक शास्त्र मे व्यक्त हो पाता तों 108 उपनिषद,4 वेद 18 पुराण कई समहितायें क्यों लिखी जाती? और राम नाम को तों अवैदिक ग्रंथों जैसे कबीर बीजक, गुरू ग्रन्थ साहेब मे सभी संतो की वानियों मे भी सृस्टि का परम सत्य कहा है. राम नाम को शिव पुराण मे सकलेश्वर ( सभी ईश्वरों का ईश्वर ) कहा गया है तों विष्णु पुराण मे विष्णु के मुख्य हज़ार नामो से भी शक्तिमान कहा है, गणेश पुराण मे गणेश के प्रथम पूज्य होने का मूल कारण भी कहा है तों आदिपुराण मे कृष्ण का भी उपास्य नाम कहा है जिसको कृष्ण भी जपते हैँ राम से बड़ा राम का नाम कहा जाता है यहाँ राम का मतलब विष्णु अवतार नहीं क्योकि विष्णु से ऊपर कई अन्य महाशक्तियाँ अन्य भी हैँ जैसे महाविष्णु,सदाशिव,आदिशक्ति,गोलोकी कृष्ण यहाँ राम का अर्थ है रमन्ते योगिनः यानि योगियों का जो परम साध्य निर्गुण निराकार परमब्रह्म है उससे है जिसका राम नाम विष्णु के तीन अवतारों को दिया गया और शिव भी इसी निर्गुण राम की समाधी लगाते हैँ उस निर्गुण राम से परे राम नाम है इसीलिए अंत काल राम नाम ही सत्य है का उद्घोष किया जाता है चाहे किसी भी देवता का उपासक हो उसके लिए राम नाम ही सत्य बोला जायेगा 😎🙏🏻
There is nothing like birth / death of any leading Gods/ Demi Gods.!! They appear in respective forms as per the works given to them & vanish after completing it.!! But some incarnations get born like human beings & die after their time given.. All seen forms are equal to each other.!! Lasthly pls note that the Supreme/ Ultimate God is only One for all living creatures & Humana beings....
Haa ye pakre na ab thik se ye hi bat hai isi karn brahma puran bacha hoga to usme likha hai ki sristi ka aarmbh brahma ji se huwa hai to har mahapralay ke bad alag alag samay me sab sristi ka aarmbh karte hai ek sada shiv ji hai jinka chhay kabhi nahi hota isi liye aadi dev sada shiv ji aur aadi devi aadi shakti ji ko kaha jata hai jinka pratham pratyakchh rup sree man narayan ji vishnu ji hai aur devio me sarswoti ji
Vai par Brahma ji ka life span toh 1 universe ke saman hai jo ki lag bhag 312 trillion years hai.Par material universes toh arab o kharabo mein hai .Toh har samay parabrahman har ek universal mein hote hai??
Iska answer aapko hmare shastro mai mil jaayega.... Parabrhamn iss universe mai bi rhte h aur iske bahar bi.... Unke divya body se har time ek new universe ka janam hota rhta h... Aur waise hi har ek smaye pr har ek universe khatam hote rhte h.... Just like a Bubble in rain water. Har ek universe mai bhagwan khud brhma, vishu aur mahesh bn kr aate rhte h... Iska answer aapko bhagwat geeta aur vishu mahapuran mai mil jaayega... Aur wo ek smye pr har jagah ho skte h...
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे. ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎 हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻 इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
देवी भागवत मे स्वयं आदिपराशक्ति अम्बा देवताओं से ब्रह्म ज्ञान कहती हैँ उसको पढ़ लो पहले 🙏🏻. देवी स्वयं को गोविंद कह रही है. देवी कहती है मेरा आदिपुरुष रूप गोविंद है और मैं गोविंद का शक्ति प्रकृति रूप हूं. देवी भागवत का नवम स्कन्द मे गोविंद भगवान ही पंच ब्रह्म और पंच प्रकृति रूप मे विभाजित होके सृस्टि का विस्तार करते हुए कहे गए हैँ श्रीकृष्ण ही नित्य धाम गोलोक मे गोविंद कहे जाते हैँ वैव्रत पुराण और देवी भागवत ही नहीं ब्रह्माण्ड पुराण मे भी देवी यही कह रही हैँ जो मुर्ख मुझको और भगवान गोविंद को अलग अलग मानते हैँ वो मेरी माया द्वारा जन्म मृत्यु के चक्र मे घूमते रहते हैँ यही श्रीकृष्ण भगवदगीता मे साफ कह रहे मैं अजन्मा अविनाशी परमात्मा जब अपनी योगमाया को वश मे करके प्रकट होता हू तो मूढ़ बुद्धि लोग मुझ अजन्मा परमेश्वर को जन्म और मरने वाला समझते हैँ (जैसे दुर्योधन कर्ण दुसाशन ) इनकी बुद्धि मेरी माया द्वारा हर ली गयी होती है और देवी भागवत मे यह तक विस्तार से बताया है की मात्र विष्णु ही नहीं महाकाली भी इन्ही कृष्ण का रूप लेके कल्प कल्प मे कृष्ण अवतार की लीला करती हैँ इसीलिए काली और कृष्ण दोनों का बीज मंत्र भी एक ही है क्लीं 😎बंगाल और वृन्दावन मे कृष्ण के काली रूप मे और काली के कृष्ण रूप मे पूजा होती है आज भी 😎इसीलिए वास्तविक ज्ञान टीवी सीरियल से कभी नहीं बताया जायेगा.. हरि हर शक्ति कृष्ण एक ही हैँ 🙏🏻इसीलिए भेददृस्टि ना करें 🙏🏻
Brahma (Shrishti); Vishnu (Palanhaar), Rudra ~Shiva (Samhaar); parantu Moksha & Anugraha in total by Sadashiva; Om mantra ka sarthak artha Sadashiva se hai Shiva meditates on Samba Sadashiva (Sadashiva with Mata Mahamaya Ma Ambika). Sakar, Nirakar, Sagun, Nirguna and so on; all are Samba Sadashiva. Shiva Parvati is full reflection of Samba Sadashiva (i.e. Shiva Shakti, union of Shiva as consciousness and Shakti as energy). Without Shiva, there's no meaning of Shakti, Without Shakti there's no meaning of Shiva. All routes that you follow whether Ganesh, Tridev, Tridevi, Ram, Krishna or whatever all path leads to Samba Sadashiva at the end. Sabse bada dharm hai Paropakar, Satya Bolna, Satmarga me chalna aur Satkarma Karna. No religion matters until and unless you are a good human being and be helpful to those who are in need of some sort of help. This is all a summary of Shiva Purana on Almighty, source and everything. Parambrahma is Samba Sadashiva. Other falls in category of Bhagwan. The more we deeply study, we feel more ignorant, but no one can truly understand the meaning of Samba Sadashiva until and unless Parambrahma grace them. Shiva Shakti can be termed as Parmeshwor and Parmeshwori.
भगवान एक है उसका नाम परमपिता परमात्मा शिव निराकार है उसका रूप ज्योति बिन्दु स्वरूप है सत्यम शिवम् सुंदरम है अभी वह स्वयं धरती पर आया है इस भषटाचारी दुनिया को खत्म कर नयी श्रेष्ठाचारी दुनिया बनाने आया है भगवान शिव निराकार राजस्थान में आया है
@@arpitraj6363rajasthan mai aye ya nahi woh pata nahi lekin nirakar shakti apni ichha se sakar bhi ban shakti hai aur nirakar bhi ,jai shiv Jai par brahm
Maya jo ki swayam mayapati (shri bhagwan) ne rachi aur ussi maya se aage prakriti ne jaman liya. Isi maya se toh sansad bna h... Aur prakriti se sbhi jeevo ko ek sthul sharir mila.
Bhagwan ke kisi bhi Roop ko poochh kar aap unke programs rup ka darshan kar sakte hain per Kalyug mein aisa Sambhav Nahin Hai isiliye Koi Shiv ko bada Karke ladta rahata Hai To Koi Vishnu ko to Koi Shakti ko lekin sacchai yahi hai ki problem Mein Sabhi swarupon Mein prakat Hota Hai Aur vah Hai To problem hai
Koi nhi bhai... Yahi toh bhagwat marg h... Jo koi kuch bhul gya h... Bhatak gya h... Usko rasta mil hi jaayega... Bs chalte rhna pdta h... Iss raaste mai...
Jo log yaha kisi ak naam ko le kar shrestha bata rahe h wo log kya pandit shiromoni h,kya h wo log,tino ak h parabrahma ak jyoti h wo karya hetu sakar rup liye h jo purush rup me yaha mention do male deity h aur mata bhagavati prakriti swarup hai,,,aur ak baat ak ak puran me ak ak devta ko shrestha h,,,ye samjho logo k sab ak h isliye sab me ye hi shrestha h,,,,math k hisab se dekho to AC=BC ,A=B h,inka explanation sahi h
Are Shiv puran mei Shiv ji batate hai Vishnu ji or Bharamaji ko...ki unke uper bhi ek Shakti hai jise hum teno ki upati hui h...or devi bhagwat mei devi yahi bol rhi h Mai hi sab hu or uhnse hi sab upan hua hai.....
To aise to jb jb shrishti khtam hui or unka armbh hua to hr yug m shri Krishan ji kaho ya Ram ji ya Vishu ji unhone hi avtar liya or devi devtao nh kyu nh liya
Aesa nhi h... Iss baat ko acche se btata hu.... Satyug mai sbhi devi devta dharti pr hi the... Ya aese kaho ki unka bi life ki shuruat dharti pr hi hui... Uske baad tretayug tk toh zarurat nhi pdi.... Main baat aati h dwapar ki jisme jb krishna ji aaye uss se phle hi kitne devi devta ne avtar le liya tha phle hi... Taaki bhagwan ki leela mai help kr ske. .. Jb shribhagwan aate h toh unse phle hi devta aajate h... Whi pr khud se bi ya avtar le k bhi...
देखिए , आप जानते नही परंतु प्राचीन समय में जिनके इष्ट देव शिव और विष्णु थे उन राजाओं ने इन दो देवताओं का परमेश्वर के तौर पर प्रचार - प्रसार करवाया है जिसके प्रभाव और प्रवाह में हम आज भी बहते रहते है । आप को 33 कोटि ( प्रकार ) के देवताओं के बारे में पता होंगा उन में से 12 आदित्य देवता , 8 वसु देवता, 11 रुद्र देवता और दो अश्विनी कुमार देवता है। में कहता हूं यह 33 प्रकार (कोटि) के देवता अपनी - अपनी विशिष्टताओं के साथ पूरी तरह समान है परमेश्वर के प्रकार (रूप) है परंतु उस में से एक आदित्य देवता विष्णु और एक रुद्र देवता शिव को ही हम खास मानते है जो बिलकुल महामूर्खता है । जो 8 वसु देवताओं में से चन्द्र देव (सोम देव ) है उन्हे ही मुसलमान (मुस्लिम) अल्लाह और खुदा कहते है तो आप हम हिन्दू अपने परमेश्वर परमात्मा (महा चन्द्र या सदा चन्द्र ) के सगुण रूप ( प्रकार ) चन्द्र देव ( सोम देव ) को क्यों श्रद्धा - भक्ति के साथ नही मानते ( पूजते ), क्यों आस्था नही उन में हम हिन्दूओं को । हम सरलता से उस दूसरे धर्म से विजयी हो सकते है । 🌙🌝 ।। जय प्रभु चन्द्र ।। 🌙🌝
Shri krishna ne kah diya h ki wo rudro mai shiv h toh ek hi hue na. Kyuki sb toh ek hi tatva h maya k karan alag alag jaan pdte h. Jb ek ne keh hi diya toh farak krne wale hm kon h. Hare krishna 🙏🙏
देवी भागवत मे स्वयं आदिपराशक्ति अम्बा देवताओं से ब्रह्म ज्ञान कहती हैँ उसको पढ़ लो पहले 🙏🏻. देवी स्वयं को गोविंद कह रही है. देवी कहती है मेरा आदिपुरुष रूप गोविंद है और मैं गोविंद का शक्ति प्रकृति रूप हूं. देवी भागवत का नवम स्कन्द मे गोविंद भगवान ही पंच ब्रह्म और पंच प्रकृति रूप मे विभाजित होके सृस्टि का विस्तार करते हुए कहे गए हैँ श्रीकृष्ण ही नित्य धाम गोलोक मे गोविंद कहे जाते हैँ वैव्रत पुराण और देवी भागवत ही नहीं ब्रह्माण्ड पुराण मे भी देवी यही कह रही हैँ जो मुर्ख मुझको और भगवान गोविंद को अलग अलग मानते हैँ वो मेरी माया द्वारा जन्म मृत्यु के चक्र मे घूमते रहते हैँ यही श्रीकृष्ण भगवदगीता मे साफ कह रहे मैं अजन्मा अविनाशी परमात्मा जब अपनी योगमाया को वश मे करके प्रकट होता हू तो मूढ़ बुद्धि लोग मुझ अजन्मा परमेश्वर को जन्म और मरने वाला समझते हैँ (जैसे दुर्योधन कर्ण दुसाशन ) इनकी बुद्धि मेरी माया द्वारा हर ली गयी होती है और देवी भागवत मे यह तक विस्तार से बताया है की मात्र विष्णु ही नहीं महाकाली भी इन्ही कृष्ण का रूप लेके कल्प कल्प मे कृष्ण अवतार की लीला करती हैँ इसीलिए काली और कृष्ण दोनों का बीज मंत्र भी एक ही है क्लीं 😎बंगाल और वृन्दावन मे कृष्ण के काली रूप मे और काली के कृष्ण रूप मे पूजा होती है आज भी 😎इसीलिए वास्तविक ज्ञान टीवी सीरियल से कभी नहीं बताया जायेगा.. हरि हर शक्ति कृष्ण एक ही हैँ 🙏🏻इसीलिए भेददृस्टि ना करें 🙏🏻
Confuse hone wali toh baat hi nhi... Aapke mann pr h.. Jisko maan na h maano... Aur sbhi para brahman k hi roop h... Baaki mai sirf sanatan k related hi baat krta hu...
आप को जानकारी के लिए भागवत महापुराण पढ़ना चाहिए पहले इसे अध्ययन कर लो तुम सबसे ज्यादा भागवत पुराण होती हैं कथा सुनते होंगे सब उसके अनुसार श्री मन नारायण जो की 3 रूप में आते हैं 3 देव पता है सब को 1. निर्माण 2.पालन 3 संहार फिर 3 नौ श्री मन नारायण में जा कर समाहित होते हैं नारायण के दहिनी हाथ से दुर्गा माता की उत्पत्ति हुई है जो 9 देवी के रूप में पूजी जाती है..सारे बिस्नू सारे शिव सारे ब्राह्म हर 1 लोक के निर्माण और पालन में होते है 14 भुवन 1 पति होई रामचरित मानस से राम जी श्री मन नारायण 1 राम हो कर आए बाकी सब विष्णु के अवतार है राम जी की ही स्तुति और ध्यान शिव जी चिंतन करते हैं ध्यान योग से राम बिस्नू के अवतार नहीं है इसे समझ लो 14 भुवन के 1 पति राम जी है सुप्रीम पावर है इसलिए शिव जी उनका ही ध्यान करते हैं सती जी को शंकर जी ने इसी लिए त्याग किया कि उनके अराध्य राम जी की मना करने पर परीक्षा ली थी राम की सत्ता सबसे ऊपर है जो की वहीं श्री मन नारायण है आदि अंत मध्य 3 नौ से ऊपर श्री राम जी है अब ओरिजिनल जो है शास्त्र वेद पुराण 3 नौ यहि बोलते है जो मैंने कहा है पृथ्वी लोक में ब्राह्म बिस्नू महेश 3 मुख्य भूमिका में हैं 3 नौ बराबर के सहयोग में है और हम सब पृथ्वी पर रहते हैं तो हमारे लिए 3 ही की उपासना करना ठीक है जिनमे शंकर भगवान बिस्नू भगवान के किसी भी अवतार की पूजा करो जो आपको प्रिय हो आपके अराध्य हो देवी जी की करे या हनुमान जी की करे सब 1 शक्ति से ही संचालित होते है उदाहरण जैसे तुम्हें घर की बिजली चाहिय तो किसी अपने पास के इलेक्ट्रिक हाउस से मिले गी आपको अब उसी से आप को जुड़ना है और यही करते हैं सब अब बिजली जहा बन रहीं हैं वहां से आपको कनेक्शन नहीं मिलता है इसलिए कि आप का पूरा घर जल जाएंगे उसके उच्चतम ताप से जो कि लाखो वोल्टेज है सीधा ला कर इस्तेमाल किया तो घर का कोई यंत्र नहीं चलेगा हा जल जाए गा सब आग लग जाये गी इसलिए ही हमे छोटे बॉक्स से बिजली मिलती हैं हमे 250 की ही जरूरत होती है ना कि लाखो मेगावाट की वैसे ही विजली बन रहीं हैं श्री मन नारायण से और बाकी सब हमे सप्लाई में है. किसी भी देवी देवता जिसे पुराण वेद शास्त्र बताते हैं अराधना करनी चाहिए सब के पास बराबर की सप्लाई में 250 वोल्टेज सब देंगे और हमे उतना ही चाहिए ना कि लाखो वोल्टेज इसी प्रकार समझ लो सब
han ye bat to satya hai ki Nirgun Nirakar Parambrahm ne aneko rupon ko prakat kiya sristi ke vistaar hetu aur sarvapratham Ram ka avtar isi Nirgun Brahm ne dharan kiya tha kyuki aneko Ram avtar ho chuke hain aur aneko Shaktiyo ke Ram avtar ho chuke hain anant kalpo se jinme se adhkitar Ram avtar Vishnu ji ne hi dharan kiye hain aur kai kalpo me Bhagvati Durga aur unke alag 2 swarup se bhi Ram avtar hue hain.Kyuki Brahamand ki raksha aur dharm sthapna ka karya inhi dono ka hai isliye inka Ram aur Krishna dono rupo me avtar hue hain kalp kalp me Lekin Kalp kalp me Ram avtar keval jeevo ko ram nam se jodke mukti pradan krne ke liye vibhinn shaktiyo dwara dharan kiye jate hain Kyuki Nirgun Nirakar ko Sagun sakar rup me dekhne ki iccha hetu jab ananto kalp purv Swayambhu manu aur Shatrupa ne 21 hazar warsho tak sansar ka sabse kathor tap kiya tab Parambrahm ki divya vani unhe sunai padi jisme unse var mangne ko kaha gya tab unnhone Parabrahm ko sakar rup me dekhne k hi var mang liya tab Parabrahm ne manu aur unki patni ke hriday ke bhavo anurup hi ek Rajpurush saman Rup me unko Darshan de diye Jis rup ka varnan bhi asambhav hai fir unko vachan bhi diya isi rup me aapke putra rup me main swayam avtarit ho jaunga samay aane pr tab yahi manu shatrupa dasrath aur kaushalya banke ayodhya me Nirgun Parmatma ko putra rup me paye jiska nam Ram hua aur isi karan Parmatma ko yeh Ram nam itna priya ho gya ki unnhone sabhi bhagvadnamo ki shakti is nam me rakh di isliye vishnu ke shiv ke aur sabhi ishvaro k hazar namo se bhi shaktishali ek ram nam ko kaha gya hai chahe jis devta ka bhi puran ho. inhi Ram ki samadhi shiv lagate hain .isliye jis parmatma ka koi naam nhi koi rup nhi koi aadi ant nahi wo bhakti k karan dravit hoke naam rup akaar me aake Ram kahlaya isliye ant samy keval Ram ka nam liya jata hai aur Ram ko Vishnu ke avtar ke alawa Purn Parambrahm purushottam avtar bhi kaha jata hai aur Ram ke alawa krishna ko bhi Purn Parambrahm avtar kaha jata hai kyuki Nirgun Parbrahm ke danadak van me vicharte samay unke aant madhurya rup se akarshit hoke dandak van ke muni risihi vedo ki sruitiyo ne jab Ram ka sanidhya manga tab unhone ek anya avatr me aane ka var diya aur Yehi se shree krishna ke rup me agla avatar dharan kiya isliye aatmgyani sant Nirgun parmatma ke Ram aur Krishna nam ki hi mahima gate hain. Kyuki inhi do avtaro me Purn Parambrahm sakaar hua tha.isliye kaha gya hai कृष्णस्तु भगवान स्वयं और रामस्तु भगवान स्वयं. isiliye alag alag kalp me alag 2 devta inke Nam aur rup se avtar leke inke charit dohrate hain isliye usko leela ya khel kaha gya hai.. jab parvati ji ko shanka hui ki jo anami agochar nirgun niarakar hai wo akaar me kaise aa gya aur manav ki tarah kyu rota fir rha tab yahi shiv bhi parvati ji se kah rhe hain ki jaise jal aur ole me koi bhed nhi jal hi barf ban jata hai wase hi vastav me Nirgun parmatma anami hai anant hai lekin atoot akhand bhakti ke vash hoke wo bhi sakaar ban jata hai lekin vastav me wo hai to nirankar hai isiliye nirgun nirakar hi Mool Narayan hain mool Ram hain mool Krishna hain 🙏🏻 Narayan Ram aur Vasudev teeno ka ek hi arth nikalta hai sarvavyapi aur nirgun nirakar ke alawa aur sarvavyapi tatva aur kya ho sakta hai isiliye kaha jata hai Ramante yoginah iti ramah 🙏🏻Ram Nam satya hai. Hare Krishna Hare Ram is also denote this ultimate truth Hari means Nirgun sarvyapi anant is Ram and Krishna.. 🙏🏻
jisme aapka mann lge... Jiska bi naam lene se mann ko shanti mile... jiss kisi se bi aap sbse jyada connect krte h khud ko... naam jap kijiye baaki raaste toh khud hi khulte jaaynege.
@@amritbhaktii bhai sochne vali baat h jb har baar jesa ki. Bola h video me every time universe destroy . And Bramha ji also ,,, to fir jitni bhi knowledge hogi vo bhi khatam ho jayengi to esa kon h jo alag alag time space ki knowledge fela ra h ? Jb sb khatam ho jata h or fir se bnta h to sb kuch hi khatam hota hoga knowledge bhi to ye sari puran alag alag time. Space ke seke aai ?
Iska answer to kaafi tarike se diya ja skta h... 1. Jb universe ki age puri hoti h toh yaha sirf ek universe ki baat ho rhi h... multiverse k baare mai nhi... toh gyan toh khtam kbhi hota hi nhi h. Bhagwat geeta mai bi btaya h ki infinite universes bnte h aur khatam hote h ek ek second mai. jaise ki baarish mai bulbule. 2. universe agar khatam bi hota h toh wo fr se para brahman mai hi ja kr milta h... snatan dharm mai 2 koi hai hi nhi... Ek hi h sirf.. toh jb fr wo parabrahman universe create krna shurur krte h toh... wahi sbhi gyan dobara sb ko dete h.... phle brahma ji ko fr unse rishi sb ko... fr surya ko... fr manu ko... fr yahi gyan har ek yug k dwaparyug mai vedvyas ji iss gyan ko likhte h puran aur baaki grantho k roop mai kaliyug k liye.... confuse hone ki zarurt nhi h... fr issi marg pr chlte rho aage chal kr jb kuch pta chal jaayega....
Thank you guys for your support. Please like, share, Subscribe to my channel, and check out other videos.
Important Question and Answer about Sanatan Dharma:
परब्रह्म क्या है? || What is Para-Brahman: ruclips.net/video/THLg0pZvmgg/видео.html
ruclips.net/video/u-eyeG519bE/видео.html
सृष्टि रचना के बाद श्री भगवान द्वारा कहे गए प्रथम शब्द: ruclips.net/video/scixQ09tscg/видео.html
Why are we here: ruclips.net/video/eHGm9lTBm6A/видео.html
What is the Significance of Liberation? ruclips.net/video/aYu_Oi6wQLU/видео.html
Important things to know before starting Bhakti ruclips.net/video/0gpqThD8Ieg/видео.html
देखिए , आप जानते नही परंतु प्राचीन समय में जिनके इष्ट देव शिव और विष्णु थे उन राजाओं ने इन दो देवताओं का परमेश्वर के तौर पर प्रचार - प्रसार करवाया है जिसके प्रभाव और प्रवाह में हम आज भी बहते रहते है । आप को 33 कोटि ( प्रकार ) के देवताओं के बारे में पता होंगा उन में से 12 आदित्य देवता , 8 वसु देवता, 11 रुद्र देवता और दो अश्विनी कुमार देवता है। में कहता हूं यह 33 प्रकार (कोटि) के देवता अपनी - अपनी विशिष्टताओं के साथ पूरी तरह समान है परमेश्वर के प्रकार (रूप) है परंतु उस में से एक आदित्य देवता विष्णु और एक रुद्र देवता शिव को ही हम खास मानते है जो बिलकुल महामूर्खता है । जो 8 वसु देवताओं में से चन्द्र देव (सोम देव ) है उन्हे ही मुसलमान (मुस्लिम) अल्लाह और खुदा कहते है तो आप हम हिन्दू अपने परमेश्वर परमात्मा (महा चन्द्र या सदा चन्द्र ) के सगुण रूप ( प्रकार ) चन्द्र देव ( सोम देव ) को क्यों श्रद्धा - भक्ति के साथ नही मानते ( पूजते ), क्यों आस्था नही उन में हम हिन्दूओं को । हम सरलता से उस दूसरे धर्म से विजयी हो सकते है । 🌙🌝 ।। जय प्रभु चन्द्र ।। 🌙🌝
भाई regwade का 10 वा मंडल के 81 और 82 स्लोक में लिखा है गीता के शांति पर्व पढ़ो वहा परब्रह्म का रियल नाम विश्वकर्मा बोला है और विष्णु पुराण में भी लिखा है सही वीडियो बनाओ तुमने जो पांच सिर वाले के बारे में बताया जो परब्रह्म विश्वकर्मा के साकार रूप को बताया जो परब्रह्म का साकार रूप है ये परब्रह्म है। जो गायत्री मंत्र का देवता है परब्रह्म विश्वकर्मा है
Maja nahin aaya😊
ओम नमः भगवती परमबृमेण नमः 🛐 जय मातापिता त्रिदेव जननी 🕉️ महाशक्ति परसक्ति महामाया अनेका जगदंबिके भगवती आदिपराशक्ति ।।।♥️
Ji jagdamba maata tri dev ki maata hai
Bhagwan Shiv sarvshaktiman Parmatma Parmeshwar Om Namah Shivay Har Har Mahadev
Hari har bhedi narak gami
Bilkul sahi 👍
Jai shree hari har ⛳🙏❣️🕉️jai bhawani ⛳❣️⛳❣️
Finaly got some Mature comment 👍🏻
Jai Shree Krishna 🙏❤️
Jai Shri krishna 🕉🙏🙏
@@amritbhaktii देखिए , आप जानते नही परंतु प्राचीन समय में जिनके इष्ट देव शिव और विष्णु थे उन राजाओं ने इन दो देवताओं का परमेश्वर के तौर पर प्रचार - प्रसार करवाया है जिसके प्रभाव और प्रवाह में हम आज भी बहते रहते है । आप को 33 कोटि ( प्रकार ) के देवताओं के बारे में पता होंगा उन में से 12 आदित्य देवता , 8 वसु देवता, 11 रुद्र देवता और दो अश्विनी कुमार देवता है। में कहता हूं यह 33 प्रकार (कोटि) के देवता अपनी - अपनी विशिष्टताओं के साथ पूरी तरह समान है परमेश्वर के प्रकार (रूप) है परंतु उस में से एक आदित्य देवता विष्णु और एक रुद्र देवता शिव को ही हम खास मानते है जो बिलकुल महामूर्खता है । जो 8 वसु देवताओं में से चन्द्र देव (सोम देव ) है उन्हे ही मुसलमान (मुस्लिम) अल्लाह और खुदा कहते है तो आप हम हिन्दू अपने परमेश्वर परमात्मा (महा चन्द्र या सदा चन्द्र ) के सगुण रूप ( प्रकार ) चन्द्र देव ( सोम देव ) को क्यों श्रद्धा - भक्ति के साथ नही मानते ( पूजते ), क्यों आस्था नही उन में हम हिन्दूओं को । हम सरलता से उस दूसरे धर्म से विजयी हो सकते है । 🌙🌝 ।। जय प्रभु चन्द्र ।। 🌙🌝
Thank u sir 😊😊
Hare krishna ❤
Har Har mahadev sambhu bholenath sankar kya sundar jabab diya aapne bilkul satik sab ek hi hai sab us anant ka hi rup hai
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
Dhanyavaad... 🙏
Subscribe my channel and check out other videos...
परब्रह्म असल मे परमपिता श्री सदाशिव ही है और माँभगवती उनकी सहचारिणी है .इन दोनों के संयोग से ओंकार की उत्पत्ती हो गयी है उनसे ही इस संसार की रचना है .
SadaShiv jinka 5 mukh 10 haath hai unki utpatti Golok dham mein Bhagwan Shri Param Krishna se hua hai . Devi Bhagwat khol kar dekh lo navam skand . Aur anya purana bhi jaise Brahm Vaivart.. shiv puran ke anusaar maatra shiv ji param hai. Vishnu Puran mein vishnu ji. Shiv puran mein shiv se vishnu ki utpatti aur vishnu Puran mein vishnu se shiv ki utpatti. Phir dusre puran jaise Brahm Vaivart mein Shri Param Krishna se SadaShiv ki utpatti
Too maha vishnu ke mukh se anant koti bramhand nikal rha h woo kya hai aur bhagwad geeta padhao oosme parbramha ke bare me mention hai ki krishna hi hai
@@Vickykumar-ep9mg वास्तव मे आदिपुरूष परमपिता श्री सदाशिव ही है ,उन्ही से अलग अलग देवों का निर्माण होता हे और वे माँ भगवती की शक्ति से ही कार्य करते है .सभी के मूल मे माँभगवती की शक्ती ही है .आदिपुरूष श्री सदाशिव जी सिर्फ साक्षी है वो इस संसार की लीला को देखते रहते है जब उनकी देखने की इच्छा खत्म हो जाती है तो वे इस सभी विश्व को अपने अंदर समा लेते है और विश्व का विलय हो जाता है इस अंतरिक्ष मे सिर्फ अंधकार होता है और वो अकेले ही रह जाते है और निद्राधीन हो जाते है .बाद मे करोडो वर्षो बाद महाशिवरात्री के दिन वो जाग जाते है और उन्हे स्रुषटी स्रुजन की इच्छा होती है फिरसे यस स्रुषटी का चक्र शुरू हो जाता है तात्पर्य उनकी इच्छा से ही स्रुषटी का निर्माण और विलय होता है यह उनका खेल है जिससे उनको आनंद मिलता है .माँभगवती उनकी शक्ती है .
@@Vickykumar-ep9mg भाई आत्मा ही परब्रह्म है पांच ब्रह्म निराकार के साकार रूप है गणपति, विष्णु, दुर्गा, सुर्य सब पुराणो में अलग अलग इष्ट देवता के रुप सबकी स्तुति है सब एक ही परमतत्व के अलग अलग रूप
Atma Parbramh ka ansh hai na ki atma parbramha hai air shiv ji kid bolte hai parbrahm ke do bhag hai jisme se ek purush aur ek prakriti purus se bramha vishnu mahesh hue aur aur prakriti se sarswati laxmi aur kali
Sada Shiva or maa bhagavati parameswar parameswari
देवी भगवती इस संसार की रचना की ब्रह्मा विष्णु महेश उन्हीं के पुत्र हैं
Ji bilkul tbhi wo mata... Jagat janani parbrhman swaroop h.... Jaisa maine video mai kaha h....
Sahi bhol rahe ho. Bhai aapko bhi gayan hai es sab ka
आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है इस बारे मे कोई नही जानना चाहता लोगो को विष्णु बड़े या शिव बड़े या शक्ति बड़ी इसी बहस मे देखा है जबकि सत्य तों आत्मा है. परमात्मा के परमधाम से इन महामाया के ब्रह्माडो मे हम आत्मायेँ अनंत कल्पों पूर्व किस कारण आयी? क्यों भगवादगीता मे भगवान यह कह रहे की ना वो समय था जब मैं और तुम और सभी आत्माएँ नही थी और ना कभी ऐसा समय होगा इसका अर्थ आत्मा भी परमात्मा की तरह अजन्मा है और परमात्मा अखंड कहा गया है यानि जिसमे से कुछ अलग नही होता जहाँ तक एक परमात्मा के विभिन्न रूपों की बात हुई है वो सब माया के कारण परमात्मा के स्वप्न मे होता है.. यानि परमात्मा ने आत्मा को नही बनाया वो सदा से परमात्मा के साथ ही थी फिर किस कारण से दुख़मयी ब्रह्माडो को बना के हम आत्माओ को इसमें परमात्मा ने भेजा किसी शास्त्र मे तों इसका कारण बताया होगा?क्यों मोक्ष के बाद भी आत्मा की जन्म मरण से मुक्ति होती है यदि यह माना जाये की आत्मा स्वेच्छा से इस जगत मे आयी हैँ तों फिर मुक्त क्यों नही हो पा रही 84 के चक्र से. और शास्त्रों मे कई जगह ब्रह्मा विष्णु शिव पार्वती लक्ष्मी आदि को एक पद कहा है जो जीव ही धारण करते हैँ मूल ब्रह्मा विष्णु शिव की कलाओ को लेकर जिनको ग्रंथो मे महाब्रह्मा महाविष्णु और महाशिव या सदाशिव कहा गया है देवी महामाया ने त्रिदेवो को विमान मे बैठा के इन्ही मूल त्रिदेवो के लोक दिखाए थे सृस्टि के आदि मे फिर मनीद्वीप मे स्त्री रूप मे प्रवेश करवाया था.. और गोलोक मे परमात्मा के श्रीकृष्ण रूप से अवतार लेने की प्रार्थना के लिए त्रिदेव और धर्म देव जब प्रवेश कर रहे थे तब उनसे वहां के ईशदूतो ने ये पूछा की आप किस ब्रह्माण्ड से आये हो यानि मल्टीवर्स की बात पहले से ही पुराणों मे वर्णित है और रामचरितमानस मे तो समाननंतर ब्रह्माण्ड का भी विज्ञान विस्तार से बताया है केवल एक चौपाई मे भिन्न भिन्न देखे सब देवा चरण वंदन करत प्रभु सेवा.. और कागभूसंडी जी ने भी राम के उदर मे अनगिनत ब्रह्माडो का विचरण किया सब ब्रह्माडो मे धरती सूर्य स्वर्ग के देवता मनुष्य ही नहीं ब्रह्मा विष्णु शिव के भी प्रतिरुप देखे भौतिकी के अलग 2 नियम देखे किसी ब्रह्माण्ड मे सारे जीव स्वर्ण के जैसे थे किसी मे चांदी जैसे देवताओं और त्रिदेवो के रूप भी ब्रह्माण्ड के अनुरूप थे किसी ब्रह्मा के सौ सर थे तो किसी ब्रह्मा के हज़ार किसी के लाख 😎और यह भी बताया है ग्रंथो मे जिसपे कोई ध्यान नहीं देता इसीलिए आपस मे लड़ते मरते हैँ
की हमारे ब्रह्माण्ड के ब्रह्मा विष्णु शिव के रूप मे भी साधन सिद्ध जीव ही इन पद को प्राप्त किये हैँ. तों परमात्मा सर्वशक्तिमान है वह एक साथ सभी जीवो को मुक्ति या मोक्ष क्यों नही दे रहे?
किस कारण से परमात्मा ने इतनी अपूर्ण दुखमयी और भय से पूर्ण दुनिया बनाई?
और किस कारण हम इन ब्रह्माडो मे 84 लाख योनियों के चककर मे फंसे हैँ कुछ ज्ञानी कहेँगे की पिछले जन्म के कर्मो के कारण लेकिन सवाल यह है की जब सृस्टि से पूर्व को कोई कर्म नहीं होगा जीव का फिर क्यों परमात्मा या प्रकृति ने इन ब्रह्माडो मे जीव को कैद किया?
ऐसे जिन सवालों से आत्मकल्याण हो सकता है ये कोई नहीं पूछता अपने संतो से केवल अंधी दौड़ मे लगे हैँ की कौन बड़ा और कौन सबसे शक्तिशाली शिव या विष्णु या शक्ति इसे जानकार मिलेगा क्या हर जन्म मे तो इनकी भक्ति करते ही आये हैँ फिर भी क्यों भटक रहे जीव ?क्युकी आत्मा का ज्ञान नही जाना 😎
Om namo narayana 🌹🙏🌹
पूरे संसार का मालिक भगवान शिवलिंग है महादेव पूरा संसार लिंग में समाहित हो जाता है लिंग से बिंदु प्रकट होता है बिंदु से इंसान बन जाता है देवों के देव महादेव ब्रह्मा विष्णु महेश इसी का नाम है त्रिदेव यही है दुर्गा यही है काली इंसान सिर्फ भटकता रहता है और मर जाता है भगवान त्रिदेव को ही महादेव
Ye kewal shaiv dharna hai
Vaishnav dharna mai bhagwan Vishnu nirakar brahm hai
Shakt mai mata adishakti hi parmeshwari hai
Isiliye yeh kewal tum logon ki manyata hai vastav mai sabhi bhagwan ek hi hai
Abe Tere Gyan sunke mahakal khud Sharm se Phasi laga Lee 😂😂😂
अरे मूर्खो कबीर ही परमात्मा है कबीर ही पूर्ण ब्राह्म है 🙏🥰☝️
आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है इस बारे मे कोई नही जानना चाहता लोगो को विष्णु बड़े या शिव बड़े या शक्ति बड़ी इसी बहस मे देखा है जबकि सत्य तों आत्मा है. परमात्मा के परमधाम से इन महामाया के ब्रह्माडो मे हम आत्मायेँ अनंत कल्पों पूर्व किस कारण आयी? क्यों भगवादगीता मे भगवान यह कह रहे की ना वो समय था जब मैं और तुम और सभी आत्माएँ नही थी और ना कभी ऐसा समय होगा इसका अर्थ आत्मा भी परमात्मा की तरह अजन्मा है और परमात्मा अखंड कहा गया है यानि जिसमे से कुछ अलग नही होता जहाँ तक एक परमात्मा के विभिन्न रूपों की बात हुई है वो सब माया के कारण परमात्मा के स्वप्न मे होता है.. यानि परमात्मा ने आत्मा को नही बनाया वो सदा से परमात्मा के साथ ही थी फिर किस कारण से दुख़मयी ब्रह्माडो को बना के हम आत्माओ को इसमें परमात्मा ने भेजा किसी शास्त्र मे तों इसका कारण बताया होगा?क्यों मोक्ष के बाद भी आत्मा की जन्म मरण से मुक्ति होती है यदि यह माना जाये की आत्मा स्वेच्छा से इस जगत मे आयी हैँ तों फिर मुक्त क्यों नही हो पा रही 84 के चक्र से. और शास्त्रों मे कई जगह ब्रह्मा विष्णु शिव पार्वती लक्ष्मी आदि को एक पद कहा है जो जीव ही धारण करते हैँ मूल ब्रह्मा विष्णु शिव की कलाओ को लेकर जिनको ग्रंथो मे महाब्रह्मा महाविष्णु और महाशिव या सदाशिव कहा गया है देवी महामाया ने त्रिदेवो को विमान मे बैठा के इन्ही मूल त्रिदेवो के लोक दिखाए थे सृस्टि के आदि मे फिर मनीद्वीप मे स्त्री रूप मे प्रवेश करवाया था.. और गोलोक मे परमात्मा के श्रीकृष्ण रूप से अवतार लेने की प्रार्थना के लिए त्रिदेव और धर्म देव जब प्रवेश कर रहे थे तब उनसे वहां के ईशदूतो ने ये पूछा की आप किस ब्रह्माण्ड से आये हो यानि मल्टीवर्स की बात पहले से ही पुराणों मे वर्णित है और रामचरितमानस मे तो समाननंतर ब्रह्माण्ड का भी विज्ञान विस्तार से बताया है केवल एक चौपाई मे भिन्न भिन्न देखे सब देवा चरण वंदन करत प्रभु सेवा.. और कागभूसंडी जी ने भी राम के उदर मे अनगिनत ब्रह्माडो का विचरण किया सब ब्रह्माडो मे धरती सूर्य स्वर्ग के देवता मनुष्य ही नहीं ब्रह्मा विष्णु शिव के भी प्रतिरुप देखे भौतिकी के अलग 2 नियम देखे किसी ब्रह्माण्ड मे सारे जीव स्वर्ण के जैसे थे किसी मे चांदी जैसे देवताओं और त्रिदेवो के रूप भी ब्रह्माण्ड के अनुरूप थे किसी ब्रह्मा के सौ सर थे तो किसी ब्रह्मा के हज़ार किसी के लाख 😎और यह भी बताया है ग्रंथो मे जिसपे कोई ध्यान नहीं देता इसीलिए आपस मे लड़ते मरते हैँ
की हमारे ब्रह्माण्ड के ब्रह्मा विष्णु शिव के रूप मे भी साधन सिद्ध जीव ही इन पद को प्राप्त किये हैँ. तों परमात्मा सर्वशक्तिमान है वह एक साथ सभी जीवो को मुक्ति या मोक्ष क्यों नही दे रहे?
किस कारण से परमात्मा ने इतनी अपूर्ण दुखमयी और भय से पूर्ण दुनिया बनाई?
और किस कारण हम इन ब्रह्माडो मे 84 लाख योनियों के चककर मे फंसे हैँ कुछ ज्ञानी कहेँगे की पिछले जन्म के कर्मो के कारण लेकिन सवाल यह है की जब सृस्टि से पूर्व को कोई कर्म नहीं होगा जीव का फिर क्यों परमात्मा या प्रकृति ने इन ब्रह्माडो मे जीव को कैद किया?
ऐसे जिन सवालों से आत्मकल्याण हो सकता है ये कोई नहीं पूछता अपने संतो से केवल अंधी दौड़ मे लगे हैँ की कौन बड़ा और कौन सबसे शक्तिशाली शिव या विष्णु या शक्ति इसे जानकार मिलेगा क्या हर जन्म मे तो इनकी भक्ति करते ही आये हैँ फिर भी क्यों भटक रहे जीव ?क्युकी आत्मा का ज्ञान नही जाना 😎
@@सत्यसनातन369 Parmatma ka pharmdham kya hai jara bataoo bhai
Bhot achha trha se samjhaya aapna jya ho
Dhanyavaad... 🙏
Subscribe my channel and check out other videos...
Har Har Mahadev 🙏🙏🙏😘♥️
So Nice And Great Video.Nicely Defined .
Beautiful explanation and analysis thank you for sharing your divine knowledge i really appreciate☺️
Dhanyavaad 🙏🙏
Sabhi Dev,danav or Brahma Vishnu adi Bhagwan Sadashiv or maa adishakti parashakti parameshwari Ambe Gauri ki hi upasna karte hai..or Sri Krishna ya maharishi Dadhichi adi apne Virat swaroop ko dikhane mein saksham hai.. Sadashiv Maheshwar jyotiswaroop parambraham paramatma Nirakar Ishwar hai or maa adishakti parashakti parameshwari Ambe Shiv ji ki shakti hai... sabhi Dev in dono ke upashak hai.... Jai Shri Mahakal 🙏❤️🌷 Jai maa Ambe Gauri 🙏🙏❤️❤️🌷
MA DURGA ❤❤❤❤❤
सच में आपने अच्छी खोज की है
Please check out other videos on the channel.
Please Like, Share, and Subscribe my channel. 🙏🙏
Veriy nice explained 🙏👌👌
Thank you ❤
Mai kafi time se is question ka answer dhoond rha tha par mujhe aaj tak kabhi sahi answer ni mila tha ......par aapne is video me mere saare dout clear kar diye ❤❤❤thank u so much so for making such a video❤
Nice definition
Please check out other videos on the channel.
Please Like, Share, and Subscribe my channel. 🙏🙏
भगवान नारायण ही सत्य है ❤❤❤
HariHar bhed maha paap
Very Nice Ansar
Dhanyavaad🙏🙏🙏
Om namah shivaya sada shiv🕉️🙏
❤
ll सत्यम शिवम् सुंदरम ll
🙏🙏
Thank you for your video
Dhanyavaad 🙏🙏🙏
जयमाता दी सब जीवो की ओर से जारी
Check other videos and subscribe my channel 🙏
Thanks bro
Your welcome 🙏
सब ek ही है और जो गोलोक धाम है वो भगवान श्री कृष्ण को प्रभू महादेव शिव ने श्री कृष्ण जी को भेट स्वरूप दिया है जो कि सबसे उपर है
कौन से पुराण मे लिखा है वो श्लोक भेजो 😎शिव पुराण अनुसार शिवलोक के गौशाला की बात कही ग्यी है वो विष्णु को भेंट किया था और वो पराव्योम के शिव लोक का वर्णन नहीं बल्कि ब्रह्माण्ड के सबसे ऊपरी भाग उमा लोक का वर्णन है जिसको सृस्टि के आदि मे भगवती उमा के लिए शिव ने बनाया था 😎
.. पुराणों मे जिस एक गोलोक का वर्णन है वो सीधे निर्गुण ब्रह्म से सृस्टि के आदि मे प्रकट हुआ था देवी भागवत ब्रह्माण्ड पुराण और वैव्रत पुराण मे भी उस सृस्टि का वर्णन है😎
Isi karan to ek ka bhakti ek ka anadar sabka anadar hota hai ek ka bhakti sab ka bhakti ho jata hai
Right 👍
Thanks sir ji
Please check out other videos on the channel.
Please Like, Share, and Subscribe my channel. 🙏🙏
जय श्री राम
Har har mahadev ❤️🕉️🙏
बह्म् कृष्ण है और पारब्रह्म शिव है और पूर्णब्रह्म् मां मूलप्रकृति है ये ही सत्य है 💞 जिसको मानना है मानो 😢
आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है इस बारे मे कोई नही जानना चाहता लोगो को विष्णु बड़े या शिव बड़े या शक्ति बड़ी इसी बहस मे देखा है जबकि सत्य तों आत्मा है. परमात्मा के परमधाम से इन महामाया के ब्रह्माडो मे हम आत्मायेँ अनंत कल्पों पूर्व किस कारण आयी? क्यों भगवादगीता मे भगवान यह कह रहे की ना वो समय था जब मैं और तुम और सभी आत्माएँ नही थी और ना कभी ऐसा समय होगा इसका अर्थ आत्मा भी परमात्मा की तरह अजन्मा है और परमात्मा अखंड कहा गया है यानि जिसमे से कुछ अलग नही होता जहाँ तक एक परमात्मा के विभिन्न रूपों की बात हुई है वो सब माया के कारण परमात्मा के स्वप्न मे होता है.. यानि परमात्मा ने आत्मा को नही बनाया वो सदा से परमात्मा के साथ ही थी फिर किस कारण से दुख़मयी ब्रह्माडो को बना के हम आत्माओ को इसमें परमात्मा ने भेजा किसी शास्त्र मे तों इसका कारण बताया होगा?क्यों मोक्ष के बाद भी आत्मा की जन्म मरण से मुक्ति होती है यदि यह माना जाये की आत्मा स्वेच्छा से इस जगत मे आयी हैँ तों फिर मुक्त क्यों नही हो पा रही 84 के चक्र से. और शास्त्रों मे कई जगह ब्रह्मा विष्णु शिव पार्वती लक्ष्मी आदि को एक पद कहा है जो जीव ही धारण करते हैँ मूल ब्रह्मा विष्णु शिव की कलाओ को लेकर जिनको ग्रंथो मे महाब्रह्मा महाविष्णु और महाशिव या सदाशिव कहा गया है देवी महामाया ने त्रिदेवो को विमान मे बैठा के इन्ही मूल त्रिदेवो के लोक दिखाए थे सृस्टि के आदि मे फिर मनीद्वीप मे स्त्री रूप मे प्रवेश करवाया था.. और गोलोक मे परमात्मा के श्रीकृष्ण रूप से अवतार लेने की प्रार्थना के लिए त्रिदेव और धर्म देव जब प्रवेश कर रहे थे तब उनसे वहां के ईशदूतो ने ये पूछा की आप किस ब्रह्माण्ड से आये हो यानि मल्टीवर्स की बात पहले से ही पुराणों मे वर्णित है और रामचरितमानस मे तो समाननंतर ब्रह्माण्ड का भी विज्ञान विस्तार से बताया है केवल एक चौपाई मे भिन्न भिन्न देखे सब देवा चरण वंदन करत प्रभु सेवा.. और कागभूसंडी जी ने भी राम के उदर मे अनगिनत ब्रह्माडो का विचरण किया सब ब्रह्माडो मे धरती सूर्य स्वर्ग के देवता मनुष्य ही नहीं ब्रह्मा विष्णु शिव के भी प्रतिरुप देखे भौतिकी के अलग 2 नियम देखे किसी ब्रह्माण्ड मे सारे जीव स्वर्ण के जैसे थे किसी मे चांदी जैसे देवताओं और त्रिदेवो के रूप भी ब्रह्माण्ड के अनुरूप थे किसी ब्रह्मा के सौ सर थे तो किसी ब्रह्मा के हज़ार किसी के लाख 😎और यह भी बताया है ग्रंथो मे जिसपे कोई ध्यान नहीं देता इसीलिए आपस मे लड़ते मरते हैँ
की हमारे ब्रह्माण्ड के ब्रह्मा विष्णु शिव के रूप मे भी साधन सिद्ध जीव ही इन पद को प्राप्त किये हैँ. तों परमात्मा सर्वशक्तिमान है वह एक साथ सभी जीवो को मुक्ति या मोक्ष क्यों नही दे रहे?
किस कारण से परमात्मा ने इतनी अपूर्ण दुखमयी और भय से पूर्ण दुनिया बनाई?
और किस कारण हम इन ब्रह्माडो मे 84 लाख योनियों के चककर मे फंसे हैँ कुछ ज्ञानी कहेँगे की पिछले जन्म के कर्मो के कारण लेकिन सवाल यह है की जब सृस्टि से पूर्व को कोई कर्म नहीं होगा जीव का फिर क्यों परमात्मा या प्रकृति ने इन ब्रह्माडो मे जीव को कैद किया?
ऐसे जिन सवालों से आत्मकल्याण हो सकता है ये कोई नहीं पूछता अपने संतो से केवल अंधी दौड़ मे लगे हैँ की कौन बड़ा और कौन सबसे शक्तिशाली शिव या विष्णु या शक्ति इसे जानकार मिलेगा क्या हर जन्म मे तो इनकी भक्ति करते ही आये हैँ फिर भी क्यों भटक रहे जीव ?क्युकी आत्मा का ज्ञान नही जाना 😎
@@सत्यसनातन369 hmm bhai ye baat jaan lo atma ko hi Parmatma kha jata hai phale toh ye jaan lo aur jo maya hai vo atma ke sath mai rahti hai jise bharm kaha jata hai vo parkati hai aur in dono ko kabhi bhi algh maath samjho aur ye dono se sada ake hai 🙏 devi gita pad lo sab samj aa jayega aur parkati bhi 2 parkar ki hai .aur bahi jiv ko hi atma kha jata hai bgwath gita mai atma aur us Parmatma ke bare mai bool rakha hai 🙏aur ye parketi kha se algh huyi ye Devi gita mai likha hai Parmatma kohi bagwan nehi hai tumhaari atma hai usi ko Parmatma smjho aur jo es atma ko control kr raha hai use parkati samjho 🙏aur in dono ko jo chalta hai use tum mulparkriti ya पूर्णपारब्रह्म परआत्मा samjho esse aage kuch nehi hai aur pure bhaarmand mai ese aage Janne ke liye kuch nehi hai bass uni mulparkriti ke naame hai vohi ram hai vohi Krishn hai aur vohi shiv hai vohi Vishnu hai vohi bharma hai uni mulparkriti ka nirakar rup hamari aatma hai aur skaar rup vo bhuvaneswari hai jab Pure bhaarmando ki utpatti Hoti hai vohi mulparkriti apne sakar rup mai aa jati hai aur jab bhaarmando ka vinash hota hai vo mulparkriti apne nirankar rup mai aake sab kuch apne mai sama jati hai jisko samjhna hai samjho jisko nehi samjhana hai math samjho 🙏❤️🔥 और प्रकृति से जो उत्पन्न हुआ है उनका विनाश होता है🙏❤️🔥 जय माता दी🙏
Tank you bhagwan ki jai ho 🪔🪔🪔🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🪔🪔🪔🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🪔🪔🪔🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bahut dhanyawad bhai sach me me ye baat kitni baar keh chuka hu ki ishwar anek roop me khel rhe he Satyug ke waqt asur bhed karte the or aaj insaan koi kehta he shiv bade koi krishna
Bilkul sahi...
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है
लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे.
ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण
महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण
महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए
विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎
हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए
वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻
इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
Har EK kalp ke anusar parabrahma alag alag roop dharan karte Hain
1 kalp mai 1000 chaturyug (4 yug) hote h... Aur ye sirf brahma ka ek din hota h... Aur itni hi bdi ek raat... Brahma ji k 24 ghante mai... 8.64 billion human years hote h...
Parabrhman jo alag alag hote h wo new brhma k birth k sath decide hota h...
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है
लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे.
ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण
महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण
महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए
विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎
हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए
वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻
इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
परब्रह्म का नाम विश्वकर्मा है।जो निराकार है जब साकार रूप आए जिनके पांच सिर है जो अपने बताया वो आदि ब्रह्मा विराट विश्वकर्मा है जो साकार रूप में आए। वो ही ब्रह्मा,विष्णु,महेश। को बनाया। Regwade के 10 मंडल के 81 और 82 स्लोक को पढ़ाए उसमे लिखा है परब्राम को जब जिस रूप और जीने गुण की जरूरत होती है ।तब वो अनेक रूप में आते है जिसे हम लोग राम, कृष्ण,ब्रह्मा ,विष्णु,और महेश बोलते है।regwade के 10 वे मंडल में लिखा हुआ है
Well done aaj jaake in logo ko kisi ne sahi btaaya hai well done 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
Dhanyavaad 🙏🙏 please subscribe and check out other videos as well.
राम शिव एक ही है इनमें कोई अंतर नहीं है
Parmatma nirankar hai
Bhai aap mere channel pr ye video dekhiyo ruclips.net/video/scixQ09tscg/видео.htmlsi=ApfXAC4GbVighUvJ
Isme maine ache se explain kiya h... Nirakar ka matlab
1. Krishna - Paratper Par brahm Paremshwar
2. Vishnu , Shiva and Shakti - Brahm , Paramatma , Supreme Reality
3. Sri Rama - Supreme God
4. Ganesha - Supreme God
5. Hanuman - Supreme God
Jay Shri Krishna
Radhe Radhe
Radhe Radhe 🙏🙏
Please like, share, and subscribe my channel. Thanks 🙏🙏
Om hi parabrahma hai
I have explained this in my video. Check it out here ruclips.net/video/THLg0pZvmgg/видео.htmlsi=CjUNbXXb45xx38yA
Bahu mahan gyan hai bilkul satik hai
Please check out other videos on the channel.
Please Like, Share, and Subscribe my channel. 🙏🙏
Sri Krishna sadashiv se parey golokdham aur paramdham Mao niwas karte hai aur unka swaroop sachidananda hai
Kya Shri Krishna or sadashiv ek hi hai yaa alag alag or to abhi parabeahman kiske roop mein hai
Meri bharanti door karne ke liye sukriya
Please check out other videos and subscribe my channel 🙏
Hara gugame sadasiva tha pramabramha
Sadshiva paramthma, parameshwara
Let me try my explanation.
Imagine you’re in a room and there is no light And there are 3 windows in your room.
Sun arrives and you can see the sun from all 3 windows but the sun is same.
So assume:
Sun= parabrahman
1st window = sadashiv
2nd window = Krishna
3rd window = devi bhagwati.
Now there can be infinite windows
भाई आपने जो बताया की परब्रम लाइट और साउन्ड (परम दिव्य ज्योति ओर अनहद नाद ) है इसकी जानकारी किस पुराण या ग्रंथ मे बताई गई है मिलेगी प्लीज ये बता दो
To sree krishna vishnu ji ko kyo parnam kar ke arjun ji se bolte hai ki mera original rup ye hi mahavishnu rup hai ye bataye
Dono mai koi bhed nhi h... Aap agar mirror k saamne khde hokar pranam kroge toh na hi aap chote ho jaaoge na hi bde.... Same case....
Bharhma ji ke mirtyu ke sath Vishnu or shiv ji ka v mrityu v hota hai kya ?
Good question....
Iska answer multiverse k concept se btata hu.... Infinte number k universes h... Har ek universe mai first living being Brahma ji h.... Fr vishu ji aur mahesh (Or rudra Or shiv) bi h.... Toh jb bi Brahma ji k 100 brahma years (jisme 4.32 billion human years ka ek din aur ek raat 4.32 billion human years hoti h×100 times) purey hote h toh Brahma ji ki mrityu hoti h (uss universe ki death) aur sath mai vishu aur rudra ki bi....
Other perspective is.... Koi ni mrta jb smaye pura hota h toh Parabrahm mai mil jaate h.
Shanta Shanta koyi aawaj sonda na hai bhay galat byakhya nahi samjhe haa aage sunaye
Achha hamne sabse God Allah wahe guru vishnu ji krishna ram ji hanuman ji sarswoti ji laxmi ji parwoti ji radha ji sita ji surya dev indra dev ji sab se sapt rishi ji dev rishi narad ji samat sanchche mahan rishi muni gan bhagt gan sab se durga ji kali ji sab se jab puchhe the ki sab lar kyo rahe hai jhagra kyo kar rahe hai parmatma ke rup nam sab par ye parmatma hai kon kaise hai aur tab jo hame bataye dikhaye the wo sab is bar pure sahi tarike se sabko batayenge aap sab bataye thik hai
Bhagwan sakar hai ya nirakar vedo ke anusar is par video banaiye
Wo nirakar se sakar bhi ho sakte he or aakar se nirakar ❤
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है
लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे.
ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण
महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण
महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए
विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎
हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए
वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻
इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है इस बारे मे कोई नही जानना चाहता लोगो को विष्णु बड़े या शिव बड़े या शक्ति बड़ी इसी बहस मे देखा है जबकि सत्य तों आत्मा है. परमात्मा के परमधाम से इन महामाया के ब्रह्माडो मे हम आत्मायेँ अनंत कल्पों पूर्व किस कारण आयी? क्यों भगवादगीता मे भगवान यह कह रहे की ना वो समय था जब मैं और तुम और सभी आत्माएँ नही थी और ना कभी ऐसा समय होगा इसका अर्थ आत्मा भी परमात्मा की तरह अजन्मा है और परमात्मा अखंड कहा गया है यानि जिसमे से कुछ अलग नही होता जहाँ तक एक परमात्मा के विभिन्न रूपों की बात हुई है वो सब माया के कारण परमात्मा के स्वप्न मे होता है.. यानि परमात्मा ने आत्मा को नही बनाया वो सदा से परमात्मा के साथ ही थी फिर किस कारण से दुख़मयी ब्रह्माडो को बना के हम आत्माओ को इसमें परमात्मा ने भेजा किसी शास्त्र मे तों इसका कारण बताया होगा?क्यों मोक्ष के बाद भी आत्मा की जन्म मरण से मुक्ति होती है यदि यह माना जाये की आत्मा स्वेच्छा से इस जगत मे आयी हैँ तों फिर मुक्त क्यों नही हो पा रही 84 के चक्र से. और शास्त्रों मे कई जगह ब्रह्मा विष्णु शिव पार्वती लक्ष्मी आदि को एक पद कहा है जो जीव ही धारण करते हैँ मूल ब्रह्मा विष्णु शिव की कलाओ को लेकर जिनको ग्रंथो मे महाब्रह्मा महाविष्णु और महाशिव या सदाशिव कहा गया है देवी महामाया ने त्रिदेवो को विमान मे बैठा के इन्ही मूल त्रिदेवो के लोक दिखाए थे सृस्टि के आदि मे फिर मनीद्वीप मे स्त्री रूप मे प्रवेश करवाया था.. और गोलोक मे परमात्मा के श्रीकृष्ण रूप से अवतार लेने की प्रार्थना के लिए त्रिदेव और धर्म देव जब प्रवेश कर रहे थे तब उनसे वहां के ईशदूतो ने ये पूछा की आप किस ब्रह्माण्ड से आये हो यानि मल्टीवर्स की बात पहले से ही पुराणों मे वर्णित है और रामचरितमानस मे तो समाननंतर ब्रह्माण्ड का भी विज्ञान विस्तार से बताया है केवल एक चौपाई मे भिन्न भिन्न देखे सब देवा चरण वंदन करत प्रभु सेवा.. और कागभूसंडी जी ने भी राम के उदर मे अनगिनत ब्रह्माडो का विचरण किया सब ब्रह्माडो मे धरती सूर्य स्वर्ग के देवता मनुष्य ही नहीं ब्रह्मा विष्णु शिव के भी प्रतिरुप देखे भौतिकी के अलग 2 नियम देखे किसी ब्रह्माण्ड मे सारे जीव स्वर्ण के जैसे थे किसी मे चांदी जैसे देवताओं और त्रिदेवो के रूप भी ब्रह्माण्ड के अनुरूप थे किसी ब्रह्मा के सौ सर थे तो किसी ब्रह्मा के हज़ार किसी के लाख 😎और यह भी बताया है ग्रंथो मे जिसपे कोई ध्यान नहीं देता इसीलिए आपस मे लड़ते मरते हैँ
की हमारे ब्रह्माण्ड के ब्रह्मा विष्णु शिव के रूप मे भी साधन सिद्ध जीव ही इन पद को प्राप्त किये हैँ. तों परमात्मा सर्वशक्तिमान है वह एक साथ सभी जीवो को मुक्ति या मोक्ष क्यों नही दे रहे?
किस कारण से परमात्मा ने इतनी अपूर्ण दुखमयी और भय से पूर्ण दुनिया बनाई?
और किस कारण हम इन ब्रह्माडो मे 84 लाख योनियों के चककर मे फंसे हैँ कुछ ज्ञानी कहेँगे की पिछले जन्म के कर्मो के कारण लेकिन सवाल यह है की जब सृस्टि से पूर्व को कोई कर्म नहीं होगा जीव का फिर क्यों परमात्मा या प्रकृति ने इन ब्रह्माडो मे जीव को कैद किया?
ऐसे जिन सवालों से आत्मकल्याण हो सकता है ये कोई नहीं पूछता अपने संतो से केवल अंधी दौड़ मे लगे हैँ की कौन बड़ा और कौन सबसे शक्तिशाली शिव या विष्णु या शक्ति इसे जानकार मिलेगा क्या हर जन्म मे तो इनकी भक्ति करते ही आये हैँ फिर भी क्यों भटक रहे जीव ?क्युकी आत्मा का ज्ञान नही जाना 😎
Krishna hi parabramh parmatma aksharstit sab ka mool hai
TO ES WALE ME KOON SA PARBHARMH HAI 🤔 🥺 REPLY........🙏🏻
Kalp,manuwantar ke anusar 13 mein vishnu supreme aur 1 mein sadashiv aur adishakti supreme hain....sab kuch time ka khel hain...Hari om....
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है
लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे.
ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण
महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण
महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए
विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎
हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए
वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻
इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
Narayan ji Ram ji, Krishna ji , Radha ji, shiv ji maa bhagwati ji sabhi para bramha hai,Vishnu puran ,shiv puran, Devi Puran sabhi sahi hai, shristi ka vinash or nirmad Kai baar hua hai ye sab kalp,or Manawantar,kanwantar,ke wajah se alag alag story hai jo sabhi sahi hai, bramha Vishnu, Mahesh,teeno hi ek parabramha hai koi antar nhi hai apni apni sradha se jisko Jo swaroop pasand hai wo usko Pooja karta hai, jai shree Laxmi Narayan ji 🚩🕉️🕉️🚩🚩 Jai Sanatan dharm 🚩🚩🕉️🕉️
Bilkul sahi 👍👍🙏
Thanks koi galti ho to maaf karna 🕉️🚩 Jai shree Ram ji 🚩🚩🙏
Nirakarse sakar kabhi nahi ata kaya sulight se sun ata hai?ya sunse sunlight ata hai?Kaya Torchlight se tourch ati hai?ya torchse torch light?Hamesha Sakarse Nirakar ate hai naki nirakarse sakar.
Aesa khna ki saakar se hi nirakar bnta h aur iska ulta nhi ho skta.... ye limitation h bhagwan pr....bhagwan kuch bi kr skte h... jb wo iss brahmand se bahar rhte h aur hmare antar mann mai bi....toh wo nirakar roop mai rhte h....jb unhe koi kaam krna hota h toh wo saakar roop main aate h...
E=mc^2 ka pta h... usme bi yahi baat khi gyi h....Energy(nirakar) se mass (saakar) bnta h aur iska ulta bi...ye baat toh einstein ne iss formula se batay tha.
Aur jo example aap de bhi rhe ho....wo aadhe hi h... complete nhi h... sun se sunlight aati h toh sunlight energy hi toh h.... energy de kr sun bhi banaya ja skta... nuclear fusion k through. China toh ispe kaam bi kr ra h.... artificial sun bna rha h....
@@amritbhaktiiBhagavanme Bhoutik prakritike niyem lagu nahi hote hai.'Bhagavat Geetame' Bhagavan ne Kaha hai ki Nirakar Brahma unke upar ashrita hai.Nirakr Brahma unki angya jyotike roopme hameshase hai.Unka sakar aur nirakar roop donohi hameshase ak sath hai kuki donohi nittya hai.Sakar roopme vo apne dhamme,nirakar roopme is jagatme aur chaturbhuj paramatmake roopme sabke heartme hai.Aisa nahi ki kisi samay nirakarse sakarki utpatti hoi.Torch or sun ka example sirf unke position ko samjhaneke liye hai.Halaki unko samjhaneke liye is jagatka koibhi example perfect nahi hai kuki vaha prakritike pare hai.aur as a soul mera bhoutik akar nahi hai par adhyatmik dibya roop abashya hai.Jab kisiko mukti milti hai tav Bhagavanke dhamme jakar vo apne us roop ko abhibhyakta karta hai aur is jagatme paramanabik sfulingake roopme Bhoutik sharirme rahata hai.
Ya sahi h... Saakar se nirakar bn skta h toh iska ulta bi ho skta h... Ye toh transformation of energy h... Mai bi yahi bta ra tha... Aatma roop mai hum rhte h... Wo nirakar hi h... aur jb usse yaha sharir milta h toh wo saakar ho jata h kuch time k liye... Bs yahi baat h... Aapne bi sahi kaha ki koi bi example perfect nhi h yaha pr...
@@amritbhaktii Bhagavan sakarse nirakar ya nirakarse sakar nahi bante isse unme utpatti aur paribartanka dosh a jayega.Bhoutik energy badalti ya transform hoti hai par Bhagavan,unka roop,dham,Unki sharirki nirakar Brahma jyoti yesab kavhi nahi badalti be transform nahi hote .unme transformation ka niyam lagu nahi hota.Isiliye bhagavan ak sath Sakar aur nirakar donohi hai.Nirakarse sakar anese ya sakarse nirakar anese Brahm me Utpatti dosh a jayega.Jahapar Bhagavanko nirakar kaha jata hai waha par iska matlab hai ki unka koi Bhoutik akar nahi hai isiliye ve nirakar kahe jate hai.Lekin unka divya roop ya akar hai isiliye ve sakar hai ve sat chit ananda vigraha hai nirakar nahi hai unka vyaktitva hai aur nirgun nirakar Brahm unki sharirki jyotike roopme un sakar Bhagavanke sath hi hameshase hai.Aur atmame bhi yehi lagu hota hai isiliye Bhoutik dristise va nirakar hai kuki uska roop bhoutik padarth ka nahi hai.kintu vo divya vyaktike akar vala hai thik sakar bhagavanke taraha.Par is Jagatme vo prakat nahi hota Is jagatme vo aanabik sfuling ke roopme rahata hai aur Bhagavanke dhamme mukta hokar janeke bad uska vyaktitva prakat hota hai.App 'Adwaita' philosophy bol rahe ho aur Mai 'Achintya Bhedabheda' philosophy bol raha hu.
Mera question hai ki shri Chetnya mhaprabhu kon the kiska awtar the wo. Unki puri जीवनी ke वारे m ap jarur btana.
Bilkul..
Oo krishna ki avtar hain,,
@@manishasarkar1050sachi muchi 🙄🥺
Jay Shri Ram Jay Krishna bhagwan ki Jay Jay bolo bholenath baba ki Jay bageshwar Dham Balaji Maharaj ki
Jai shri Ram 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
Supriya brahmand mein sabse pahle Shri Krishna hai Param Param❤❤ FIR Narayan ka utpati Hui Apne baen hath se❤
alag alag kapl k anusar har kalp me parbrahm alag alg hote he , nirakar swarup me, lalitamba ko kaha jata he.
1 kalp mai 1000 chaturyug (4 yug) hote h... Aur ye sirf brahma ka ek din hota h... Aur itni hi bdi ek raat... Brahma ji k 24 ghante mai... 8.64 billion human years hote h...
Parabrhman jo alag alag hote h wo new brhma k birth k sath decide hota h...
Nirakar aur sakaar bi explain kiy ah maine apni videos pr. Channel pr jaake check kre...
Dhanyavaad
Bhai angreji ki awasyakta hai ?
Angreji easy kr deti h communication.
Ye sab kalpa bhad h kalpa h anusar hi brahm k swaroop bde Hote h ............ Srishti k aarabh m parabrahm apne aap ko 5 roopom m vrakt krte h....... Utpatti... Surya, sthithi.... Vishnu , tirodhaan..... Shiv, nigrah..... Shakti, anugrah..... Ganpati...... Ye panch dev or unke shastrq smavat avtaar hi parabrahm h or har kalp m alag alag roop m aate h isliye kisi devi kalpa m maa lalithambika bdi hoti h to aajkl shwetvarah kalpa m bhagwan shri krishna bde hote h .............. Morya🙏
To devi ji kyo kahati hai ki jo shiv ji ka pujan karenge ya vishnu ji ka to khaskar shiv ji ka nam bhi smaran karte rahe to unka pura khyal rakhne ka koshish karengi unke pati sirf parmatma sada shiv ji hai kyo kahati hai iska jawab de
Bhai is kalp ka puran konsa hai
18 puran jo h... Wo isi kalyug k liye h...
पहले मैं भी बहुत विचलित होता था की कोई कहता विष्णु परमात्मा हैँ कोई कहता शिव परमात्मा हैँ कोई कहता आदिशक्ति कोई कहता श्रीकृष्ण तों कोई कहता गणेश तों फिर अंत समय मे इनका नाम क्यों नही लिया जाता केवल राम नाम ही सत्य क्यों कहा जाता है
लेकिन स्वयं शास्त्र अध्ययन किया और संत पुरुषो से शास्त्र रहस्य समझें तों उनके सानिध्य से कुछ कुछ रहस्य समझ मे आने लगा है सत्य यह है की अनन्तो कल्पों मे सृस्टि हुई है कभी सदाशिव से त्रिदेव बनते हैँ कभी महाविष्णु से तों कभी आदिशक्ति से कभी आदिसूर्य से कभी आदिग्नेश से लेकिन चाहे किसी भी देवता के पुराण हो राम नाम ही परमब्रह्म कहा गया है राम नाम ही सत्य कहा जाता है समस्त सनातन धर्म मे आत्मा की गति के लिए चाहे किसी भी रूप का उपासक हो. राम नाम से ही ॐ, ओमकार, ररंकार सोहम आदि ब्रह्माण्ड धुनें प्रकट हुई हैँ अनहद नाद तों प्रथम धुन है जो पिंड यानि शरीर मे चल रही जो इन ब्रह्मणदीय धुनो से योग कराती है इसलिए किसी भी नाम को श्रद्धा से जपो कुछ समय बाद अनहद ही सुनाई देगा फिर कुछ समय बाद अनहद भी समाप्त हो जायेगा फिर इन ब्रह्माण्ड धुनो का अनुभव होने लगेगा जो अंत मे राम नाम तक ले जाएंगी वही आनंद की परम अवस्था कही गयी है.. 🙏🏻अनहद भी तत्वों की ध्वनि है इसे परमात्मा मान के ना चलो इससे आगे बढ़ो यही कबीर भी कह गए जप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाये तब तक आगे जाना है जब तक सतनाम या राम नाम की धुन ना सुनाई दे राम नाम ही वह सोना है जिससे सब आभूषण ( राम, कृष्ण, शिव, सदाशिव, विष्णु, ब्रह्मा, महाविष्णु ) बने हैँ हिंदु धर्म की यह भी विडम्बना है लोग सभी शास्त्र को पवित्र तो मानते हैँ लेकिन अपनी आस्था अनुसार इष्ट देव अनुसार एक ही शास्त्र को सब कुछ मानकर बाकि शास्त्रों को व्यर्थ मानने की भूल कर लेते हैँ 😎 सबकी परम सत्य यदि एक शास्त्र मे व्यक्त हो पाता तों 108 उपनिषद,4 वेद 18 पुराण कई समहितायें क्यों लिखी जाती? और राम नाम को तों अवैदिक ग्रंथों जैसे कबीर बीजक, गुरू ग्रन्थ साहेब मे सभी संतो की वानियों मे भी सृस्टि का परम सत्य कहा है. राम नाम को शिव पुराण मे सकलेश्वर ( सभी ईश्वरों का ईश्वर ) कहा गया है तों विष्णु पुराण मे विष्णु के मुख्य हज़ार नामो से भी शक्तिमान कहा है, गणेश पुराण मे गणेश के प्रथम पूज्य होने का मूल कारण भी कहा है तों आदिपुराण मे कृष्ण का भी उपास्य नाम कहा है जिसको कृष्ण भी जपते हैँ राम से बड़ा राम का नाम कहा जाता है यहाँ राम का मतलब विष्णु अवतार नहीं क्योकि विष्णु से ऊपर कई अन्य महाशक्तियाँ अन्य भी हैँ जैसे महाविष्णु,सदाशिव,आदिशक्ति,गोलोकी कृष्ण यहाँ राम का अर्थ है रमन्ते योगिनः यानि योगियों का जो परम साध्य निर्गुण निराकार परमब्रह्म है उससे है जिसका राम नाम विष्णु के तीन अवतारों को दिया गया और शिव भी इसी निर्गुण राम की समाधी लगाते हैँ उस निर्गुण राम से परे राम नाम है इसीलिए अंत काल राम नाम ही सत्य है का उद्घोष किया जाता है चाहे किसी भी देवता का उपासक हो उसके लिए राम नाम ही सत्य बोला जायेगा 😎🙏🏻
There is nothing like birth / death of any leading Gods/ Demi Gods.!! They appear in respective forms as per the works given to them & vanish after completing it.!! But some incarnations get born like human beings & die after their time given.. All seen forms are equal to each other.!! Lasthly pls note that the Supreme/ Ultimate God is only One for all living creatures & Humana beings....
Haa ye pakre na ab thik se ye hi bat hai isi karn brahma puran bacha hoga to usme likha hai ki sristi ka aarmbh brahma ji se huwa hai to har mahapralay ke bad alag alag samay me sab sristi ka aarmbh karte hai ek sada shiv ji hai jinka chhay kabhi nahi hota isi liye aadi dev sada shiv ji aur aadi devi aadi shakti ji ko kaha jata hai jinka pratham pratyakchh rup sree man narayan ji vishnu ji hai aur devio me sarswoti ji
But mahadev ka dankavhar kal me har kalp me 27 kalpo me aye hai bhai
Vai par Brahma ji ka life span toh 1 universe ke saman hai jo ki lag bhag 312 trillion years hai.Par material universes toh arab o kharabo mein hai .Toh har samay parabrahman har ek universal mein hote hai??
Iska answer aapko hmare shastro mai mil jaayega.... Parabrhamn iss universe mai bi rhte h aur iske bahar bi.... Unke divya body se har time ek new universe ka janam hota rhta h... Aur waise hi har ek smaye pr har ek universe khatam hote rhte h.... Just like a Bubble in rain water. Har ek universe mai bhagwan khud brhma, vishu aur mahesh bn kr aate rhte h... Iska answer aapko bhagwat geeta aur vishu mahapuran mai mil jaayega... Aur wo ek smye pr har jagah ho skte h...
Baaki aap mere channel pr baaki videos bi dekhiye usme bi mai ne explain kiya h... Please subscribe, like and share...
Thank you
Shri krishna came in Dwapara. Adiparashakti is Parabrahma.
पराव्योम मे निर्गुण परमब्रह्म सगुन रूप से नित्य आदिवैकुंठ मे आदिनारायण और महासूर्य रूप से शिव लोक मे सदाशिव, दुर्गा और महागणपति रूप से और गोलोक मे श्रीकृष्ण रूप से नित्य स्थित रहते हैँ प्राकृतिक प्रलय के समय ये सभी रूप निर्गुण निराकार होके एकीकृत हो जाते हैँ निर्गुण निराकार ही इनका मूल रूप है योगमाया के आवरण मे निर्गुण निराकार परमब्रह्म ही इन अलग अलग रूपों और अलग 2 लोको मे स्थित दीखते हैँ और कालमाया के आवरण मे यही अंश रूप से विष्णु शिव शक्ति गणेश सूर्य आदि रूप मे प्रत्येक ब्रह्माण्ड मे प्रवेश करके सृस्टि संचालन करते हैँ इसीलिए उपनिषद कहते हैँ जिस तरह सूर्य एक है लेकिन अलग 2 घडो मे अलग 2 ही दीखता है वैसे एक ही परमात्मा जब योगमाया या महामाया के आवरण मे होता है तब अलग अलग रूपों मे प्रतीत होता है सनातन धर्म का विज्ञान बहुत जटिल है यहाँ सुप्रीम गॉड वाली कोई बीमारी नहीं थी बल्कि सर्वाव्यापी ईश्वर का ज्ञान था जिसे विदेशी धर्मों के प्रभाव मे सम्प्रदाय वादियों ने दूषित कर दिया इसीलिए लोग आत्मा की मुक्ति का ज्ञान पाने की जगह इसी बहस मे उलझ के रह गए की सबसे बड़ा कौन सबसे शक्तिशाली और इसी तुलना मे ईश्वर को ये सीमित खुद ही कर देते हैँ जबकि सभी पुराण उपनिषद समहिताये एक ही सत्य को अलग अलग रूपों नामो से समझा रहे हैँ ताकि जीव का बंधन छूटे क्युकी जब तक भेददृस्टि या द्वैत का भाव शेष है मुक्ति असम्भव है
लेकिन विडंबना देखो जो लोग तुच्छ ज्ञान के अहंकार मे ईश्वर के रूपों मे भेदभाव करते फिर रहे वो जीवो और संसार मे समभाव कैसे प्राप्त करेंगे जब हम ईश्वर के एक रूप को दूसरे रूप से शक्तिशाली या महत्वपूर्ण समझने का भ्रम रखते हैँ तभी माया घेर लेती है हम उस ईश्वर को सीमित कर देते हैँ जिसके विषय मे कहा गया है पूर्णमिदम अर्थात वो इतना पूर्ण है की उसका अंश भी उसी के समान पूर्ण ही होगा 😎ये वेद वाक्य है लेकिन कुछ लोग केवल सदाशिव केवल नारायण केवल आदिशक्ति केवल कृष्ण इन शब्दों से खुद ही सिद्ध कर देते हैँ की ये वेदो के परमेश्वर नहीं हैँ क्युकी वेदो का परमात्मा तो सब रूपों मे समान कहा गया है 😎🙏🏻कल्प कल्प मे ब्रह्मा विष्णु शिव एक दूसरे से प्रकट होते हैँ और विभिन्न लीलाये करते है वास्तव मे तीनो एक ही हैँ इनकी वास्तविक उतपत्ति एक साथ हुई थी महाकल्प के आरम्भ मे.
ओमकार ॐ मे अ से ब्रह्मा उ मे से विष्णु म से शिव उतपन्न हुए - शिव पुराण
महेश्वर सदाशिव के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से शिव और मध्य हृदय भाग से विष्णु उतपन्न हुए - लिंग पुराण
महाविष्णु के दाएं भाग से ब्रह्मा वाम भाग से विष्णु और मध्य हृदय भाग से शिव उतपन्न हुए
विराट पुरुष के वाम मध्य और दाएं भाग से ब्रह्मा विष्णु शिव उतपन्न हुए - ब्रह्म वैव्रत पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण और देवी भागवत पुराण 😎
हर पुराण मे महाकल्प मे एक अन्य तीसरी शक्ति द्वारा ब्रह्मा विष्णु शिव की उतपत्ति और हर कल्प मे एक दूसरे को प्रकट करने की लीला बताई गयी है जिससे ज्ञानी भी भ्रम मे पढ़ गए
वास्तव मे ये सनातन रूप से अनंत ब्रह्माडो से परे पराव्योम मे नित्य रूप मे महाविष्णु सदाशिव और महाब्रह्मा रूप से स्थित हैँ 🙏🏻जो एकीकृत रूप मे निर्गुण निराकार राम कहे गए हैँ ॐ कहे गए हैँ प्रणव कहे गए हैँ तारक ब्रह्म कहे गए हैँ इसीलिए हर मंत्र ॐ से शुरू होता है और अंत मे राम नाम सत्य है बोला जाता है अर्थात परमब्रह्म 🙏🏻
इसीलिए शिव की आरती मे भी कहा गया है ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका (मूर्खता ) प्रणव अक्षर के मध्य ही ये तीनो एका ( परब्रह्म )😎अर्थात ॐ. 🙏🏻
देवी भागवत मे स्वयं आदिपराशक्ति अम्बा देवताओं से ब्रह्म ज्ञान कहती हैँ उसको पढ़ लो पहले 🙏🏻. देवी स्वयं को गोविंद कह रही है. देवी कहती है मेरा आदिपुरुष रूप गोविंद है और मैं गोविंद का शक्ति प्रकृति रूप हूं. देवी भागवत का नवम स्कन्द मे गोविंद भगवान ही पंच ब्रह्म और पंच प्रकृति रूप मे विभाजित होके सृस्टि का विस्तार करते हुए कहे गए हैँ श्रीकृष्ण ही नित्य धाम गोलोक मे गोविंद कहे जाते हैँ वैव्रत पुराण और देवी भागवत ही नहीं ब्रह्माण्ड पुराण मे भी देवी यही कह रही हैँ जो मुर्ख मुझको और भगवान गोविंद को अलग अलग मानते हैँ वो मेरी माया द्वारा जन्म मृत्यु के चक्र मे घूमते रहते हैँ यही श्रीकृष्ण भगवदगीता मे साफ कह रहे मैं अजन्मा अविनाशी परमात्मा जब अपनी योगमाया को वश मे करके प्रकट होता हू तो मूढ़ बुद्धि लोग मुझ अजन्मा परमेश्वर को जन्म और मरने वाला समझते हैँ (जैसे दुर्योधन कर्ण दुसाशन ) इनकी बुद्धि मेरी माया द्वारा हर ली गयी होती है
और देवी भागवत मे यह तक विस्तार से बताया है की मात्र विष्णु ही नहीं महाकाली भी इन्ही कृष्ण का रूप लेके कल्प कल्प मे कृष्ण अवतार की लीला करती हैँ इसीलिए काली और कृष्ण दोनों का बीज मंत्र भी एक ही है क्लीं 😎बंगाल और वृन्दावन मे कृष्ण के काली रूप मे और काली के कृष्ण रूप मे पूजा होती है आज भी 😎इसीलिए वास्तविक ज्ञान टीवी सीरियल से कभी नहीं बताया जायेगा.. हरि हर शक्ति कृष्ण एक ही हैँ 🙏🏻इसीलिए भेददृस्टि ना करें 🙏🏻
परब्रह्म परमात्मा राम है जो निराकार है और साकार रूप मेंभी है
Shastr manusya ne likhe hai
Manusya adhura hai shadtr v adhure hai
Sat asat sirf parmatma janta hai.
Jab paramaatma avtar lete h manushya k roop mai... Tb whi shastr likhte h. So many examples are there.
Brahma (Shrishti); Vishnu (Palanhaar), Rudra ~Shiva (Samhaar); parantu Moksha & Anugraha in total by Sadashiva; Om mantra ka sarthak artha Sadashiva se hai
Shiva meditates on Samba Sadashiva (Sadashiva with Mata Mahamaya Ma Ambika).
Sakar, Nirakar, Sagun, Nirguna and so on; all are Samba Sadashiva. Shiva Parvati is full reflection of Samba Sadashiva (i.e. Shiva Shakti, union of Shiva as consciousness and Shakti as energy). Without Shiva, there's no meaning of Shakti, Without Shakti there's no meaning of Shiva.
All routes that you follow whether Ganesh, Tridev, Tridevi, Ram, Krishna or whatever all path leads to Samba Sadashiva at the end.
Sabse bada dharm hai Paropakar, Satya Bolna, Satmarga me chalna aur Satkarma Karna. No religion matters until and unless you are a good human being and be helpful to those who are in need of some sort of help.
This is all a summary of Shiva Purana on Almighty, source and everything.
Parambrahma is Samba Sadashiva. Other falls in category of Bhagwan. The more we deeply study, we feel more ignorant, but no one can truly understand the meaning of Samba Sadashiva until and unless Parambrahma grace them. Shiva Shakti can be termed as Parmeshwor and Parmeshwori.
भगवान एक है उसका नाम परमपिता परमात्मा शिव निराकार है उसका रूप ज्योति बिन्दु स्वरूप है सत्यम शिवम् सुंदरम है अभी वह स्वयं धरती पर आया है इस भषटाचारी दुनिया को खत्म कर नयी श्रेष्ठाचारी दुनिया बनाने आया है भगवान शिव निराकार राजस्थान में आया है
agar aapke anusar shiv nirakar h toh wo kis roop mai rajasthan mai aaya h?
@@arpitraj6363rajasthan mai aye ya nahi woh pata nahi lekin nirakar shakti apni ichha se sakar bhi ban shakti hai aur nirakar bhi ,jai shiv
Jai par brahm
Hag hag .......
फिर माया और प्रकृति क्या है महापुरुष?
Maya jo ki swayam mayapati (shri bhagwan) ne rachi aur ussi maya se aage prakriti ne jaman liya.
Isi maya se toh sansad bna h... Aur prakriti se sbhi jeevo ko ek sthul sharir mila.
Bhagwan ke kisi bhi Roop ko poochh kar aap unke programs rup ka darshan kar sakte hain per Kalyug mein aisa Sambhav Nahin Hai isiliye Koi Shiv ko bada Karke ladta rahata Hai To Koi Vishnu ko to Koi Shakti ko lekin sacchai yahi hai ki problem Mein Sabhi swarupon Mein prakat Hota Hai Aur vah Hai To problem hai
Yehi problem hai hum hinduo me.isliye log confuse hai ki hum maane to kisko.
Koi nhi bhai... Yahi toh bhagwat marg h... Jo koi kuch bhul gya h... Bhatak gya h... Usko rasta mil hi jaayega... Bs chalte rhna pdta h... Iss raaste mai...
Jo log yaha kisi ak naam ko le kar shrestha bata rahe h wo log kya pandit shiromoni h,kya h wo log,tino ak h parabrahma ak jyoti h wo karya hetu sakar rup liye h jo purush rup me yaha mention do male deity h aur mata bhagavati prakriti swarup hai,,,aur ak baat ak ak puran me ak ak devta ko shrestha h,,,ye samjho logo k sab ak h isliye sab me ye hi shrestha h,,,,math k hisab se dekho to AC=BC ,A=B h,inka explanation sahi h
Are Shiv puran mei Shiv ji batate hai Vishnu ji or Bharamaji ko...ki unke uper bhi ek Shakti hai jise hum teno ki upati hui h...or devi bhagwat mei devi yahi bol rhi h Mai hi sab hu or uhnse hi sab upan hua hai.....
To aise to jb jb shrishti khtam hui or unka armbh hua to hr yug m shri Krishan ji kaho ya Ram ji ya Vishu ji unhone hi avtar liya or devi devtao nh kyu nh liya
Aesa nhi h... Iss baat ko acche se btata hu....
Satyug mai sbhi devi devta dharti pr hi the... Ya aese kaho ki unka bi life ki shuruat dharti pr hi hui... Uske baad tretayug tk toh zarurat nhi pdi.... Main baat aati h dwapar ki jisme jb krishna ji aaye uss se phle hi kitne devi devta ne avtar le liya tha phle hi... Taaki bhagwan ki leela mai help kr ske. .. Jb shribhagwan aate h toh unse phle hi devta aajate h... Whi pr khud se bi ya avtar le k bhi...
देखिए , आप जानते नही परंतु प्राचीन समय में जिनके इष्ट देव शिव और विष्णु थे उन राजाओं ने इन दो देवताओं का परमेश्वर के तौर पर प्रचार - प्रसार करवाया है जिसके प्रभाव और प्रवाह में हम आज भी बहते रहते है । आप को 33 कोटि ( प्रकार ) के देवताओं के बारे में पता होंगा उन में से 12 आदित्य देवता , 8 वसु देवता, 11 रुद्र देवता और दो अश्विनी कुमार देवता है। में कहता हूं यह 33 प्रकार (कोटि) के देवता अपनी - अपनी विशिष्टताओं के साथ पूरी तरह समान है परमेश्वर के प्रकार (रूप) है परंतु उस में से एक आदित्य देवता विष्णु और एक रुद्र देवता शिव को ही हम खास मानते है जो बिलकुल महामूर्खता है । जो 8 वसु देवताओं में से चन्द्र देव (सोम देव ) है उन्हे ही मुसलमान (मुस्लिम) अल्लाह और खुदा कहते है तो आप हम हिन्दू अपने परमेश्वर परमात्मा (महा चन्द्र या सदा चन्द्र ) के सगुण रूप ( प्रकार ) चन्द्र देव ( सोम देव ) को क्यों श्रद्धा - भक्ति के साथ नही मानते ( पूजते ), क्यों आस्था नही उन में हम हिन्दूओं को । हम सरलता से उस दूसरे धर्म से विजयी हो सकते है । 🌙🌝 ।। जय प्रभु चन्द्र ।। 🌙🌝
Kya shiv puran me ye kaha hai ki Vishnu mai mai shree krishn hu nahi na shree krishn ne kaha hai rudro me mai shiv hu hare krishn
Shri krishna ne kah diya h ki wo rudro mai shiv h toh ek hi hue na. Kyuki sb toh ek hi tatva h maya k karan alag alag jaan pdte h. Jb ek ne keh hi diya toh farak krne wale hm kon h.
Hare krishna 🙏🙏
@@amritbhaktii 🙏🏻
देवी भागवत मे स्वयं आदिपराशक्ति अम्बा देवताओं से ब्रह्म ज्ञान कहती हैँ उसको पढ़ लो पहले 🙏🏻. देवी स्वयं को गोविंद कह रही है. देवी कहती है मेरा आदिपुरुष रूप गोविंद है और मैं गोविंद का शक्ति प्रकृति रूप हूं. देवी भागवत का नवम स्कन्द मे गोविंद भगवान ही पंच ब्रह्म और पंच प्रकृति रूप मे विभाजित होके सृस्टि का विस्तार करते हुए कहे गए हैँ श्रीकृष्ण ही नित्य धाम गोलोक मे गोविंद कहे जाते हैँ वैव्रत पुराण और देवी भागवत ही नहीं ब्रह्माण्ड पुराण मे भी देवी यही कह रही हैँ जो मुर्ख मुझको और भगवान गोविंद को अलग अलग मानते हैँ वो मेरी माया द्वारा जन्म मृत्यु के चक्र मे घूमते रहते हैँ यही श्रीकृष्ण भगवदगीता मे साफ कह रहे मैं अजन्मा अविनाशी परमात्मा जब अपनी योगमाया को वश मे करके प्रकट होता हू तो मूढ़ बुद्धि लोग मुझ अजन्मा परमेश्वर को जन्म और मरने वाला समझते हैँ (जैसे दुर्योधन कर्ण दुसाशन ) इनकी बुद्धि मेरी माया द्वारा हर ली गयी होती है
और देवी भागवत मे यह तक विस्तार से बताया है की मात्र विष्णु ही नहीं महाकाली भी इन्ही कृष्ण का रूप लेके कल्प कल्प मे कृष्ण अवतार की लीला करती हैँ इसीलिए काली और कृष्ण दोनों का बीज मंत्र भी एक ही है क्लीं 😎बंगाल और वृन्दावन मे कृष्ण के काली रूप मे और काली के कृष्ण रूप मे पूजा होती है आज भी 😎इसीलिए वास्तविक ज्ञान टीवी सीरियल से कभी नहीं बताया जायेगा.. हरि हर शक्ति कृष्ण एक ही हैँ 🙏🏻इसीलिए भेददृस्टि ना करें 🙏🏻
Aur Ganesh g keh rhe m hi sbse bda hu .kuch nhi pta lga sakta manushya.bible k according yahowa hi h parmeshwar.
Confuse hone wali toh baat hi nhi... Aapke mann pr h.. Jisko maan na h maano... Aur sbhi para brahman k hi roop h... Baaki mai sirf sanatan k related hi baat krta hu...
गोलोकि श्री कृष्णा जी है
आप को जानकारी के लिए भागवत महापुराण पढ़ना चाहिए पहले इसे अध्ययन कर लो तुम सबसे ज्यादा भागवत पुराण होती हैं कथा सुनते होंगे सब उसके अनुसार श्री मन नारायण जो की 3 रूप में आते हैं 3 देव पता है सब को 1. निर्माण 2.पालन 3 संहार फिर 3 नौ श्री मन नारायण में जा कर समाहित होते हैं नारायण के दहिनी हाथ से दुर्गा माता की उत्पत्ति हुई है जो 9 देवी के रूप में पूजी जाती है..सारे बिस्नू सारे शिव सारे ब्राह्म हर 1 लोक के निर्माण और पालन में होते है 14 भुवन 1 पति होई रामचरित मानस से राम जी श्री मन नारायण 1 राम हो कर आए बाकी सब विष्णु के अवतार है राम जी की ही स्तुति और ध्यान शिव जी चिंतन करते हैं ध्यान योग से राम बिस्नू के अवतार नहीं है इसे समझ लो 14 भुवन के 1 पति राम जी है सुप्रीम पावर है इसलिए शिव जी उनका ही ध्यान करते हैं सती जी को शंकर जी ने इसी लिए त्याग किया कि उनके अराध्य राम जी की मना करने पर परीक्षा ली थी राम की सत्ता सबसे ऊपर है जो की वहीं श्री मन नारायण है आदि अंत मध्य 3 नौ से ऊपर श्री राम जी है अब ओरिजिनल जो है शास्त्र वेद पुराण 3 नौ यहि बोलते है जो मैंने कहा है पृथ्वी लोक में ब्राह्म बिस्नू महेश 3 मुख्य भूमिका में हैं 3 नौ बराबर के सहयोग में है और हम सब पृथ्वी पर रहते हैं तो हमारे लिए 3 ही की उपासना करना ठीक है जिनमे शंकर भगवान बिस्नू भगवान के किसी भी अवतार की पूजा करो जो आपको प्रिय हो आपके अराध्य हो देवी जी की करे या हनुमान जी की करे सब 1 शक्ति से ही संचालित होते है
उदाहरण जैसे तुम्हें घर की बिजली चाहिय तो किसी अपने पास के इलेक्ट्रिक हाउस से मिले गी आपको अब उसी से आप को जुड़ना है और यही करते हैं सब
अब बिजली जहा बन रहीं हैं वहां से आपको कनेक्शन नहीं मिलता है इसलिए कि आप का पूरा घर जल जाएंगे उसके उच्चतम ताप से जो कि लाखो वोल्टेज है सीधा ला कर इस्तेमाल किया तो घर का कोई यंत्र नहीं चलेगा हा जल जाए गा सब आग लग जाये गी इसलिए ही हमे छोटे बॉक्स से बिजली मिलती हैं हमे 250 की ही जरूरत होती है ना कि लाखो मेगावाट की वैसे ही विजली बन रहीं हैं श्री मन नारायण से और बाकी सब हमे सप्लाई में है. किसी भी देवी देवता जिसे पुराण वेद शास्त्र बताते हैं अराधना करनी चाहिए सब के पास बराबर की सप्लाई में 250 वोल्टेज सब देंगे और हमे उतना ही चाहिए ना कि लाखो वोल्टेज इसी प्रकार समझ लो सब
han ye bat to satya hai ki Nirgun Nirakar Parambrahm ne aneko rupon ko prakat kiya sristi ke vistaar hetu aur sarvapratham Ram ka avtar isi Nirgun Brahm ne dharan kiya tha kyuki aneko Ram avtar ho chuke hain aur aneko Shaktiyo ke Ram avtar ho chuke hain anant kalpo se jinme se adhkitar Ram avtar Vishnu ji ne hi dharan kiye hain aur kai kalpo me Bhagvati Durga aur unke alag 2 swarup se bhi Ram avtar hue hain.Kyuki Brahamand ki raksha aur dharm sthapna ka karya inhi dono ka hai isliye inka Ram aur Krishna dono rupo me avtar hue hain kalp kalp me
Lekin Kalp kalp me Ram avtar keval jeevo ko ram nam se jodke mukti pradan krne ke liye vibhinn shaktiyo dwara dharan kiye jate hain Kyuki Nirgun Nirakar ko Sagun sakar rup me dekhne ki iccha hetu jab ananto kalp purv Swayambhu manu aur Shatrupa ne 21 hazar warsho tak sansar ka sabse kathor tap kiya tab Parambrahm ki divya vani unhe sunai padi jisme unse var mangne ko kaha gya tab unnhone Parabrahm ko sakar rup me dekhne k hi var mang liya tab Parabrahm ne manu aur unki patni ke hriday ke bhavo anurup hi ek Rajpurush saman Rup me unko Darshan de diye Jis rup ka varnan bhi asambhav hai fir unko vachan bhi diya isi rup me aapke putra rup me main swayam avtarit ho jaunga samay aane pr tab yahi manu shatrupa dasrath aur kaushalya banke ayodhya me Nirgun Parmatma ko putra rup me paye jiska nam Ram hua aur isi karan Parmatma ko yeh Ram nam itna priya ho gya ki unnhone sabhi bhagvadnamo ki shakti is nam me rakh di isliye vishnu ke shiv ke aur sabhi ishvaro k hazar namo se bhi shaktishali ek ram nam ko kaha gya hai chahe jis devta ka bhi puran ho. inhi Ram ki samadhi shiv lagate hain .isliye jis parmatma ka koi naam nhi koi rup nhi koi aadi ant nahi wo bhakti k karan dravit hoke naam rup akaar me aake Ram kahlaya isliye ant samy keval Ram ka nam liya jata hai aur Ram ko Vishnu ke avtar ke alawa Purn Parambrahm purushottam avtar bhi kaha jata hai aur Ram ke alawa krishna ko bhi Purn Parambrahm avtar kaha jata hai kyuki Nirgun Parbrahm ke danadak van me vicharte samay unke aant madhurya rup se akarshit hoke dandak van ke muni risihi vedo ki sruitiyo ne jab Ram ka sanidhya manga tab unhone ek anya avatr me aane ka var diya aur Yehi se shree krishna ke rup me agla avatar dharan kiya isliye aatmgyani sant Nirgun parmatma ke Ram aur Krishna nam ki hi mahima gate hain. Kyuki inhi do avtaro me Purn Parambrahm sakaar hua tha.isliye kaha gya hai कृष्णस्तु भगवान स्वयं और रामस्तु भगवान स्वयं.
isiliye alag alag kalp me alag 2 devta inke Nam aur rup se avtar leke inke charit dohrate hain isliye usko leela ya khel kaha gya hai.. jab parvati ji ko shanka hui ki jo anami agochar nirgun niarakar hai wo akaar me kaise aa gya aur manav ki tarah kyu rota fir rha tab yahi shiv bhi parvati ji se kah rhe hain ki jaise jal aur ole me koi bhed nhi jal hi barf ban jata hai wase hi vastav me Nirgun parmatma anami hai anant hai lekin atoot akhand bhakti ke vash hoke wo bhi sakaar ban jata hai lekin vastav me wo hai to nirankar hai isiliye nirgun nirakar hi Mool Narayan hain mool Ram hain mool Krishna hain 🙏🏻 Narayan Ram aur Vasudev teeno ka ek hi arth nikalta hai sarvavyapi aur nirgun nirakar ke alawa aur sarvavyapi tatva aur kya ho sakta hai isiliye kaha jata hai
Ramante yoginah iti ramah
🙏🏻Ram Nam satya hai. Hare Krishna Hare Ram is also denote this ultimate truth Hari means Nirgun sarvyapi anant is Ram and Krishna.. 🙏🏻
Bhai to Mai kisko manu ?
jisme aapka mann lge... Jiska bi naam lene se mann ko shanti mile... jiss kisi se bi aap sbse jyada connect krte h khud ko... naam jap kijiye baaki raaste toh khud hi khulte jaaynege.
@@amritbhaktii bhai sochne vali baat h jb har baar jesa ki. Bola h video me every time universe destroy . And Bramha ji also ,,, to fir jitni bhi knowledge hogi vo bhi khatam ho jayengi to esa kon h jo alag alag time space ki knowledge fela ra h ?
Jb sb khatam ho jata h or fir se bnta h to sb kuch hi khatam hota hoga knowledge bhi to ye sari puran alag alag time. Space ke seke aai ?
Try to understand what is say plz I am very confused
Iska answer to kaafi tarike se diya ja skta h...
1. Jb universe ki age puri hoti h toh yaha sirf ek universe ki baat ho rhi h... multiverse k baare mai nhi... toh gyan toh khtam kbhi hota hi nhi h. Bhagwat geeta mai bi btaya h ki infinite universes bnte h aur khatam hote h ek ek second mai. jaise ki baarish mai bulbule.
2. universe agar khatam bi hota h toh wo fr se para brahman mai hi ja kr milta h... snatan dharm mai 2 koi hai hi nhi... Ek hi h sirf.. toh jb fr wo parabrahman universe create krna shurur krte h toh... wahi sbhi gyan dobara sb ko dete h.... phle brahma ji ko fr unse rishi sb ko... fr surya ko... fr manu ko... fr yahi gyan har ek yug k dwaparyug mai vedvyas ji iss gyan ko likhte h puran aur baaki grantho k roop mai kaliyug k liye....
confuse hone ki zarurt nhi h... fr issi marg pr chlte rho aage chal kr jb kuch pta chal jaayega....
@@amritbhaktii ok brother but till I am not satisfied.
Krishnaji vishnuji ka avtar hai naa ki vishnuji joker
कबीर दास जी पूर्ण परमात्मा है?
नहीं पूर्ण संत थे
@@सत्यसनातन369 thik hai😚💋