शब्द भी कम हैं आपके इस प्रयास को धन्यवाद देने के लिए। अपने सामने ही इस शहर को वीरान होते देखा, जबकि एक समय कहते थे की पौड़ी में हर दिन मेला होता था। इस शहर से एक अलग रिश्ता है और आज मैं जहां भी हूं, वो इसकी ही देन है। टीस भी है दिल में की अपने इस खूबसूरत शहर के लिए कुछ कर पाएं कभी तो ...
बहुत सुंदर लगा बचपन याद आ गया,पौड़ी की बात ही निराली थी,तब अपर बाजार में बहुत चहल पहल रहती थी,पहले पहले जब गढ़वाल स्वीट हाउस खुला था नजारा ही कुछ और था, मॉल रोड,धारा रोड,बूचड़ गली, कंडोल्या रोड पैदल ही घूमना बहुत अच्छा लगता था,एक पुरानी कथा भी थी पौड़ी वालों की कि आई बेट्टा मेरी पौड़ी भला ही वो मजाक में कही जाती थी किंतु भावना पौड़ी में बुलाने की होती थी,विकास बहुत हुआ किंतु पौड़ी निरंतर उपेक्षित होती गई,आप ने इस वी डी ओ के माध्यम से एक अच्छी पहल की है साधुवाद,Siton suin का नाम भी भी सीतावन के कारण ही पड़ा था,और वहां पर कोट महादेव के ऊपर बाल्मिकी ऋषि का मंदिर भी था सायद अब भी अवशेष बचे हों,फिर भी अच्छी जानकारी है,आभार ।
बहुत ही भावनात्मक टिप्पणी की है आपने, दिल को छू गई।पता नहीं पहाड़ों में संतुलित विकास की शुरुआत कब होगी।कभी कभी लगता है कि सब कुछ खत्म होने के बाद ही क्या लोग जागेंगे। आभार🙏
इतनी सुन्दर डाक्यूमेंट्री बनाने के लिए आपका हार्दिक आभार। यदि इसी प्रकार इस क्षेत्र का प्रचार हो तो निश्चित ही यहां आने के लिए लोगों की जिज्ञासा बढ़ेगी। प्रकृति की सुंदरता समेटे पौड़ी।
आपने पौड़ी की संरचना के साथ साथ पुरतान संस्कृति से भी हमें अवगत कराया है, ख़ास तौर से सितोन्स्यूँ घाटी का जो सीता माता के नाम से ही विख्यात है वहाँ का पौराणिक महत्व बताया और जो दृष्य आपने दिखाये उसके लिये आपको हृदय से आभार.
बहुत ही सुन्दर पौड़ी के बारे में आपके द्वारा दी गई जानकारी बहुत ही बढिया है। आपके द्वारा दिया गया वाचन बहुत ही अच्छा लगा। तथा साथ ही वीरेन्द्र भाई व डा. धस्माना जी से काफी जानकारी मिली।
तुम मुझे भूल न पाओगे यात्रा कथा का इतना सुंदर वीडियो चित्रांकन छायांकन और संवाद पटकथा जो आपने तैयार की, इसके लिए बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद l और जो साँस्कृतिक धार्मिक पौराणिक ऐतिहासिक संदर्भ को आपने शोध में समेटा है, अतुलनीय है, सरकार का ध्यान ईश्वर आकृष्ट होना चाहिए ऐसे पौराणिक मंदिरों का पुनरुद्धार होना चाहिए और शोध छात्रों की इस ओर आकर के अपने इतिहास को समझना चाहिए और यह हमारा धार्मिक सांस्कृतिक और पर्यटक की दृष्टि से कॉरिडोर के रूप में पौड़ी गढ़वाल का जो स्थान है बहुत महत्व रखता है l इस पर और आगे शोध की जरूरत है और आप जैसे इतिहास कार और धार्मिक पर्यटन से जुड़े हुए लोग पहाड़ के गर्भ के मर्म को समझ सकते हैं, इस मुहिम को जो आपने छेड़ा है निश्चित रूप से युवा पीढ़ी को एक मार्ग मिलेगा और सरकार के लिए गौरव का स्थान मिलेगा, इस पर और काम हो पर्यटक भी आए l बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत अच्छा शोध हम लोगों के सामने आया है निश्चित रूप से यह ऐसे स्थान है जो विलुप्त होते नजर आ रहे थे और आपकी वजह से यह सरकार तक उनकी जानकारी पहुंचेगी और आने वाले वक्त में इस पर काम हो सकेगा l डॉक्टर साहब आपको विशेष धन्यवाद वीरेंद्र जी और राजेश जी आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे और समस्त टीम को बहुत-बहुत शुक्रिया धन्यवाद मेरी ओर से l
Very nice 👍 great work...this place is my birth place..or sch kha apne pauri ko kbhi nhi bhula payenge....aj ye dekh k apna bachpan ka vo tym yaad aa gya jb kbhi ma papa k sath hm aaya krte thye vhan hmara bzaar hi pauri hua krta tha ...i miss ma birth place ❤❤❤❤❤
पौड़ी हमारे बचपन में वाकई बहुत सुंदर कस्बा था जो हमारे गांव की बाजार भी था ।कंडोलिया में घना जंगल था। उस जंगल में डीएम की कोठी थी। एक देवता का छोटा सा मंदिर था जिसमे सिगरेट चढ़ाते थे। बढ़िया जानकारी व पौड़ी कवर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
पौडी और श्रीनगर दोनों ही किसी जमाने मे महान सांस्कृतिक केंद्र थे/रामलीला दोनों जगह बहुत कलात्मक और रागात्मक होती थी/सन् 1976 से हम भी इन दोनों शहरों से बहुत दिन जुडे रहे
महोदय,आपने सितोनस्यू पट्टी के देवल और phalswadi गांव का उल्लेख किया कि महिलाएं सीता माता के लिए कलेवा लाती हैं किन गावों की महिलाएं लाती हैं नहीं बताया। सीता माता मेले का आयोजन कौन। सा गांव करता है? नही बताया यहां के adhtees गावों में रावण की पूजा होती है? इनमे से किस गांव में रावण के प्रति आस्था है? आप इतिहासकार है तो बताने का कष्ट करे। अन्यथा पौराणिक कथाओं को गलत तरीके से लोगों को बताकर इस पट्टी के लोगों का अपमान न करें और जरूर बताएं की किस गांव में रावण की पूजा होती है। शायद हम भी कुछ ऐसे ही ज्ञानी बन जाएं।
न जाने आपने इसे अपमान क्यों समझा । सितोंसू घाटी तो गढ़वाल की गौरवशाली संस्कृति का चमकता अध्याय है। मेले का नाम मनसार है। यही नहीं इस पट्टी को उत्तराखंड सरकार सीता माता टूरिस्ट सर्किट बनाने का प्लान कर रही है।जहां तक बात रावण के प्रति आस्था की है तो कनेक्टिविटी के बाद सब जगह का कल्चर एक सा होता जा रहा है, जो बहुत दुखद है । दरअसल रावण इतना विद्वान था कि श्रीराम रावण वध के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त होने के लिए देवप्रयाग आए थे और वशिष्ठ कुंड में स्नान कर उन्होंने तपस्या की थी। संयोग देखिए की देवप्रयाग से ही सितोंसु घाटी शुरू होती है ।कोटसाड़ा गांव से कलेवर लाने की बात की पुष्टि के लिए पिछले मेले की राज्य समीक्षा की रिपोर्ट कॉपी पेस्ट कर रहा हूं...... गढ़वाल: यहां माता सीता ने ली थी भू समाधि, जमीन खोदने की है अद्भुत परंपरा देवभूमि की परंपरा कितनी समृद्ध है कि महाभारत और रामायण काल की कहानियों के अंश भी यहां मिलते हैं। क्या आप जानते हैं कि देवभूमि में एक स्थान ऐसा भी है, जहां माता सीता ने भू समाधि (Sita Mata Pauri Garhwal Mansar mela) ली थी? जी हां पौड़ी गढ़वाल के कोटसाड़ा, फलस्वाड़ी और देवल में ये मान्यता प्रचलित है। माना जाता है कि तबसे यहां मनसार मेले का आयोजन होता आ रहा है। इस बार भी कोट ब्लॉक के फलस्वाड़ी गांव में इस वर्ष आयोजित हो रहे मनसार मेले को भव्य रूप से मनाया जा रहा है जिसको लेकर मंदिर समिति की ओर से सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। मंदिर के पुजारी की ओर से बताया गया है कि आज लक्ष्मण मंदिर देवल से देव निशान फलस्वाड़ी गांव के लिए गए साथ ही कोटसाड़ा गांव से ग्रामीण बबले (घास) की रस्सी व दूण-कंडी (मिठाई की टोकरी) लेकर पहुंचे। जिसके बाद कोटसाड़ा व देवल के ग्रामीण फलस्वाड़ी गांव में पहुंचकर माता सीता की आराधना कर रहे है।
Etana sunder yata sik pourd jha se agrejo ka bhi agao raha wahese bhi angrej ko pura pahardi ccheter bheheth basanth theye per.un hone bhoogolik parshithi you ke karan pahardp meion jhada khana nahikaraya es ka karan yaha bhoogolik rachana aur kubh surati ko bar kar rakhi taki jada construction nahi kiya jis aaj ke bakt meion bina soche samjhe hi yaha per thuord ford ho rahi hai kahi vikash ke nam per binash per yaha yaha ke logo ka koi faida nahi jo bhi parshan kar rahi kewal jo jagh jagh non ukd ke log ake bas gaye jo ki yaha ke liye sahi nahi hua hai aj kal jo ukd alag rajiya bane ke baad yaha per bhut matra. Meion bhari log aye aur yaha per kubh property investment ki hai jo ki ukd ke liye sahi nahi hua netao ne ukd ki kubh surati cchabi ko nash kiya hai
bhu kanoon khunni maara maari paas ma karin pehle aphri Uttaranchali (gadwali-kumaoni) bhasha thai toh bachai-lhya, shuruat ma hi khankriyal ji hindi ma bachyana chin, tab bwala, kya hwalu... yakh ham England ma angrezo thai gadwali bulnai ki training dena chon (meru naunu dhara-prwah gadwali ma bwaldu yakh ham dagadi aur angrezo thai bhi sikhandu) aur saal ma dwi baar jab ham seedha gau jando wakh log ham thai gau ku hu samjhadin... tab bal bhu kanoon toh aalu jab aalu, pehli aphri bhasha ch bhasha... baki baat aur kya buln, kuda aur kabaad ku dher jo ham lukhun lagayu yakh paudi ma, wyeka baara ma toh kya hi buln bhai
आपकि बात बिलकुल ठिक च लेकिन यो चैनल हिंदीक च। जब हम लोग आपस म बात करणा छाय त खंखरियाल जी गड्वलई म हि बुने छै। पर आपकु गड्वलई प्रेम देखकि बहुत अच्छू लाग 🙏🙏
Apka bolne ka andaj aisa hai ki jaise ap neend,(sleep) se uthkar turant bolne kag gaye hon. Kuch karm kijiye na Maharaj. Neend se jagiye, muh hath dhokar phir videos tajgi k sath banaye. Kya hal bana rakha, kuchh lete kyon nahi. Bura mat manna, balki apna atm manthan karna. Thanks.
शब्द भी कम हैं आपके इस प्रयास को धन्यवाद देने के लिए। अपने सामने ही इस शहर को वीरान होते देखा, जबकि एक समय कहते थे की पौड़ी में हर दिन मेला होता था। इस शहर से एक अलग रिश्ता है और आज मैं जहां भी हूं, वो इसकी ही देन है। टीस भी है दिल में की अपने इस खूबसूरत शहर के लिए कुछ कर पाएं कभी तो ...
सिर्फ़ टूरिस्ट डिस्टिनेशन आबाद रहते हैं अब,असली पहाड़ वीरान हो रहा है।🙏🙏
बहुत सुंदर लगा बचपन याद आ गया,पौड़ी की बात ही निराली थी,तब अपर बाजार में बहुत चहल पहल रहती थी,पहले पहले जब गढ़वाल स्वीट हाउस खुला था नजारा ही कुछ और था, मॉल रोड,धारा रोड,बूचड़ गली, कंडोल्या रोड पैदल ही घूमना बहुत अच्छा लगता था,एक पुरानी कथा भी थी पौड़ी वालों की कि आई बेट्टा मेरी पौड़ी भला ही वो मजाक में कही जाती थी किंतु भावना पौड़ी में बुलाने की होती थी,विकास बहुत हुआ किंतु पौड़ी निरंतर उपेक्षित होती गई,आप ने इस वी डी ओ के माध्यम से एक अच्छी पहल की है साधुवाद,Siton suin का नाम भी भी सीतावन के कारण ही पड़ा था,और वहां पर कोट महादेव के ऊपर बाल्मिकी ऋषि का मंदिर भी था सायद अब भी अवशेष बचे हों,फिर भी अच्छी जानकारी है,आभार ।
बहुत ही भावनात्मक टिप्पणी की है आपने, दिल को छू गई।पता नहीं पहाड़ों में संतुलित विकास की शुरुआत कब होगी।कभी कभी लगता है कि सब कुछ खत्म होने के बाद ही क्या लोग जागेंगे। आभार🙏
हमने सारी उमर पौड़ी ही रहे हमें पौड़ी की बहुत याद आती है अपर बाजार जय श्री कंडोलिया ठाकुर की जय किंग कालेश्वर महादेव की ❤
बहुत धन्यवाद 🙏
इतनी सुन्दर डाक्यूमेंट्री बनाने के लिए आपका हार्दिक आभार। यदि इसी प्रकार इस क्षेत्र का प्रचार हो तो निश्चित ही यहां आने के लिए लोगों की जिज्ञासा बढ़ेगी।
प्रकृति की सुंदरता समेटे पौड़ी।
बहुत आभार इतना समय देने के लिए🙏
आपने पौड़ी की संरचना के साथ साथ पुरतान संस्कृति से भी हमें अवगत कराया है, ख़ास तौर से सितोन्स्यूँ घाटी का जो सीता माता के नाम से ही विख्यात है वहाँ का पौराणिक महत्व बताया और जो दृष्य आपने दिखाये उसके लिये आपको हृदय से आभार.
वीडियो देखने और सुन्दर टिप्पणी के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद 🙏
Bahut Sunder दशाॅया गया है ।जय उतराखण्ड ।जय हिंद ।🙏🙏🙏
बहुत धन्यवाद सर 🙏🙏
बहुत सुंदर लगा अपना पौड़ी बचपन में बहुत उत्साहित रहते थे रामलीला देखने के लिए ❤❤
@@RG-br9tn बहुत आभार आपका 🙏
पौड़ी के इतिहास और नैसर्गिक सुंदरता को दर्शाती बहुत रोचक जानकारी।सभी सुधी जनों को साधुवाद 🙏
बहुत आभार आपका 🙏🙏🙏
बहुत आभार आपका 🙏
बहुत सुंदर पौड़ी और अच्छी जानकारी👌👋👋❤❤
बहुत आभार🌷🌷
बहुत ही सुन्दर पौड़ी के बारे में आपके द्वारा दी गई जानकारी बहुत ही बढिया है। आपके द्वारा दिया गया वाचन बहुत ही अच्छा लगा। तथा साथ ही वीरेन्द्र भाई व डा. धस्माना जी से काफी जानकारी मिली।
बहुत आभार आपका 🌷🍀🌷
बहुत सुन्दर प्रस्तुति,मेरी जन्मभूमि ,मेरी कर्म भूमि तुझे कभी भुला नहीं पाएंगे🎉❤
बहुत आभार🌷🌷🌷
Awsum and beautiful narration of my birthplace Pauri .. ❤❤❤
Thanks a lot🙏
प्रस्तुतीकरण बहुत ही शानदार आवाज करिश्माई है बहुत बहुत शुभकामनाएं
बहुत धन्यवाद आपका🙏
हृदय से आभार, पूरी टीम के लिए पौड़ी के बारे में सुन्दर प्रस्तुति देने के लिए।
आपका आभार समय देने के लिए🙏🙏🙏
Dr Sahab, पहाड़ों की सुन्दरता का वर्णन के आगे शब्द कम पड़ जाते हैं,🎉
सही कहा आपने..मुझे भी कम पड़ गए😊
Wonderful pictures video and way of narration
Pauri is really a beautiful place of uttarakhand
Thanks Wishi 🍀🌷🍀
बहुत शानदार... पौड़ी शहर और उसके आसपास के क्षेत्र को यदि विकसित किया जाए, तो युवा बेरोजगारों के लिए अच्छा खासा रोजगार पैदा हो सकता है।
आभार 🙏
तुम मुझे भूल न पाओगे यात्रा कथा का इतना सुंदर वीडियो चित्रांकन छायांकन और संवाद पटकथा जो आपने तैयार की, इसके लिए बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद l और जो साँस्कृतिक धार्मिक पौराणिक ऐतिहासिक संदर्भ को आपने शोध में समेटा है, अतुलनीय है, सरकार का ध्यान ईश्वर आकृष्ट होना चाहिए ऐसे पौराणिक मंदिरों का पुनरुद्धार होना चाहिए और शोध छात्रों की इस ओर आकर के अपने इतिहास को समझना चाहिए और यह हमारा धार्मिक सांस्कृतिक और पर्यटक की दृष्टि से कॉरिडोर के रूप में पौड़ी गढ़वाल का जो स्थान है बहुत महत्व रखता है l इस पर और आगे शोध की जरूरत है और आप जैसे इतिहास कार और धार्मिक पर्यटन से जुड़े हुए लोग पहाड़ के गर्भ के मर्म को समझ सकते हैं, इस मुहिम को जो आपने छेड़ा है निश्चित रूप से युवा पीढ़ी को एक मार्ग मिलेगा और सरकार के लिए गौरव का स्थान मिलेगा, इस पर और काम हो पर्यटक भी आए l बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत अच्छा शोध हम लोगों के सामने आया है निश्चित रूप से यह ऐसे स्थान है जो विलुप्त होते नजर आ रहे थे और आपकी वजह से यह सरकार तक उनकी जानकारी पहुंचेगी और आने वाले वक्त में इस पर काम हो सकेगा l डॉक्टर साहब आपको विशेष धन्यवाद वीरेंद्र जी और राजेश जी आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे और समस्त टीम को बहुत-बहुत शुक्रिया धन्यवाद मेरी ओर से l
आपका फीडबैक हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है सर। इतना समय देने के लिए आपका बहुत आभार 🙏🙏
सुंदर और आकर्षक विवरण पहले कभी ऐसा वीडियो नही बना बधाई
आपका ये कमेंट हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रोत्साहित करने के लिए आपका आभार🙏
Very nice 👍 great work...this place is my birth place..or sch kha apne pauri ko kbhi nhi bhula payenge....aj ye dekh k apna bachpan ka vo tym yaad aa gya jb kbhi ma papa k sath hm aaya krte thye vhan hmara bzaar hi pauri hua krta tha ...i miss ma birth place ❤❤❤❤❤
बेहद खुशी हुई जानकर की इस वीडियो ने आपको कुछ क्षणों के लिए ही सही,बचपन में लौटा दिया। कमेंट के लिए बहुत धन्यवाद🙏
बहुत सुंदर योगेश भाई जी को सादर प्रणाम
@@RajneeshDhoundiyal-i8v बहुत आभार आपका ढौंडियाल जी🙏
पौड़ी हमारे बचपन में वाकई बहुत सुंदर कस्बा था जो हमारे गांव की बाजार भी था ।कंडोलिया में घना जंगल था। उस जंगल में डीएम की कोठी थी। एक देवता का छोटा सा मंदिर था जिसमे सिगरेट चढ़ाते थे।
बढ़िया जानकारी व पौड़ी कवर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Very nostalgic memories. I wish I had met someone like you while shooting Pauri. Thanks a lot 🙏
बहुत ही सुंदर बहुत ही प्यारा नजारा 👍👌👌♥️🙏🙏
बहुत आभार आपका 🙏
जीजाजी प्रणाम , बहुत बहुत प्रस्तुति🎉
🌷🍀🌷
Bahut sunder prastuti 🙏
बहुत धन्यवाद आपका 🌷🍀🌷
Bahutt beautiful photo hai Wah pori garwaljai badri nath ki okay
@@BDkohli-pt3bo 🙏🙏🙏
Bahut bahut sundar पौढ़ी गढ़वाल जय श्री राम🙏🙏
बहुत धन्यवाद मैडम🙏🌷🙏
🙏
बहुत सुंदर I love my Pauri
It's lovely town. Thanks🙏
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏👌
Thanks 🙏🌷🍀🌷
सुंदर जानकारी, मधुर यादें
बहुत आभार 🌷🙏🌷
Beautiful Presentation Ji
Thanks a lot sir 🙏
हृदय से आभार आपका❤...मेरी जन्मभूमि 🎉
बहुत धन्यवाद 🙏🙏
Apka prastutikaran behad shaandaar hai. Content bhi achcha hai. Apki awaaz bahut achchi hai.
बहुत आभार आपका आदरणीय नेगी जी🙏
बहुत सुन्दर जानकारी, बहुत बहुत आभार 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत आभार आपका 🙏
बहुत धन्यवाद 🙏🙏
शानदार प्रस्तुति
बहुत आभार 🍀🍀🍀
शानदार वीडियो।
आभार सर आपका🙏
बहुत सुंदर प्रस्तुति🎉🎉
पानी की व्यवस्था कब होगी❤
आभार आपका🙏🙏🙏
बहुत सुंदर हम आप से जुड़े हुए हैं सब्सक्राइब के साथ❤❤
बहुत आभार आपका 🙏
Excellent presentation,nice vidio
Thanks a lot🙏
Excellent presentation and great visuals.You could have have covered the Himalaya view more!
Thanks a lot🙏you are absolutely right 👍
BAHUT Sunder ❤❤❤❤
आभार आपका 🙏
Great job on that presentation Sir!
Honestly, your videos are so really engaging. Truly admire your work ethic. Cheers.
Thanks a lot sir🙏🙏🙏
@@yatrakatha Respect 🫡
BEHAD KHOOBSURAT AWAAZ HAI AAPKI
Bahut aabhar aapka itne achhe compliment ke liye . Jude rahiyega🙏
अति सुन्दर
आभार 🙏
very impressive documentary 👍
Thanks a lot ma'am 🌷
Fantastic ❤..nostalgic
🙏 thanks 🙏
पौडी और श्रीनगर दोनों ही किसी जमाने मे महान सांस्कृतिक केंद्र थे/रामलीला दोनों जगह बहुत कलात्मक और रागात्मक होती थी/सन् 1976 से हम भी इन दोनों शहरों से बहुत दिन जुडे रहे
@@आचार्यमहिमानन्दनौगांई आभार देखने के लिए 🙏
Great 😊
🙏 thanks
मेरी जन्मभूमि, मेरी हसी खुशियो कु शहर पौडी
प्यारी जन्मभूमि🌷❤️🍀
Sunder dhasmana sahab
🙏🙏🙏🙏
प्रोडक्शन बहुत अच्छा है भाई
धन्यवाद सर 🙏आभार🙏
Great and informative 🙏
Thanks a ton 🙏
Excellent❤❤
Thanks sir❤️❤️❤️
बहुत सुंदर पौड़ी
@@ashajoshi2643 बहुत आभार आपका 🙏
रामलीला का चित्रण बहुत अच्छा लगा
बहुत आभार सर 🙏
बहुत सुंदर ❤
आभार🙏🌷
Pauri apna dil hai❤❤
Sahi hai❤️❤️
खूबसूरत ❤
🙏🙏🙏
Hum nawani sitansiun saldang se hain .Dewal hamare side wala hai .
Bahut sundar jagah se ho aap🙏
Rajdhani should be in hilly area instead of dehradun to chech migration?❤
They already have made a Vidhan Sabha Bhavan in Bharadisain..and they go there for picnic once in a year for three days 🥲
❤ ati sundar 0:49 0:51
आभार आपका🙏 लेकिन आपने 0.49 और 0.51 क्यूं लिखा नहीं समझ आया🙄
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति🙏
बहुत आभार समय देने के लिए🙏
बेहतरीन प्रस्तुति
बहुत धन्यवाद आपका 🙏
बहुत धन्यवाद आपके सहयोग के लिए🙏🙏🙏
Nice 👍👏
Thanks 🙏
Great
Thanks a ton 🙏
Greate ❤
🙏🙏🌷🌷
Sir ye choroid ka ka Shar ban gyahai
V nice post
Thanks 🙏
Very nice
Thanks a ton 🙏
Nice
🙏 thanks
ये लछमन मन्दिर है कोट बिलोक जय सियाराम ❤
आभार 🍀🌷🍀
Nostalgic ❤❤❤❤❤❤
🌷🍀🌷🍀🌷🍀🙏
Khoobsurat
🌷 shukriya 🌷
जय हो कंडोलिया देवता की
@@trilokrana2076 🙏 कृपा रहे।
👍👍👍
🙏🙏🙏🙏🙏🌷
🎉🎉🎉
Thanks ma'am 🌷
ye hamara bajar hai 😊
Lucky you 🍀🌷🍀
🙏🙏
Thanks ma'am 🌷
Paudi Se Lekar Ranchi Stadium Kaise Jaate Hain mujhe ek July jana hai
खुद की गाड़ी,टैक्सी या पैदल
@@yatrakatha taxi se
@@dhanjybhorade4467 मिल जाएगी ,अगर अकेले हैं तो बाइक भी milt जाती हैं
पौडी ब्लाक के आस-पास के गावों में चलने के रास्ते तक नही है स्थानीय विधायक समस्याओं को सुनने को तैयार नहीं होते
हम पहाड़ियों का दुर्भाग्य है।
Ransi stadium jaisa h waisa kyu nahi btaya gaya… 30 saal se main pauri me hu pr aaj tk proper bnn nahi paya…
Sir it's almost ready now🙏
👌🏻🙏🙏❤️❤️
🌷🍀🌷Thanks🌷🍀🌷
हम आपसे जुड़े हुए हैं सब्सक्राइब के साथ
🙏🙏🙏🙏👍
Thanks a lot 🙏
Britisher's knows the location benefits
That's true. Thanks 🙏
महोदय,आपने सितोनस्यू पट्टी के देवल और phalswadi गांव का उल्लेख किया कि महिलाएं सीता माता के लिए कलेवा लाती हैं किन गावों की महिलाएं लाती हैं नहीं बताया। सीता माता मेले का आयोजन कौन। सा गांव करता है? नही बताया यहां के adhtees गावों में रावण की पूजा होती है? इनमे से किस गांव में रावण के प्रति आस्था है? आप इतिहासकार है तो बताने का कष्ट करे।
अन्यथा पौराणिक कथाओं को गलत तरीके से लोगों को बताकर इस पट्टी के लोगों का अपमान न करें और जरूर बताएं की किस गांव में रावण की पूजा होती है।
शायद हम भी कुछ ऐसे ही ज्ञानी बन जाएं।
न जाने आपने इसे अपमान क्यों समझा । सितोंसू घाटी तो गढ़वाल की गौरवशाली संस्कृति का चमकता अध्याय है। मेले का नाम मनसार है। यही नहीं इस पट्टी को उत्तराखंड सरकार सीता माता टूरिस्ट सर्किट बनाने का प्लान कर रही है।जहां तक बात रावण के प्रति आस्था की है तो कनेक्टिविटी के बाद सब जगह का कल्चर एक सा होता जा रहा है, जो बहुत दुखद है । दरअसल रावण इतना विद्वान था कि श्रीराम रावण वध के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त होने के लिए देवप्रयाग आए थे और वशिष्ठ कुंड में स्नान कर उन्होंने तपस्या की थी। संयोग देखिए की देवप्रयाग से ही सितोंसु घाटी शुरू होती है ।कोटसाड़ा गांव से कलेवर लाने की बात की पुष्टि के लिए पिछले मेले की राज्य समीक्षा की रिपोर्ट कॉपी पेस्ट कर रहा हूं......
गढ़वाल: यहां माता सीता ने ली थी भू समाधि, जमीन खोदने की है अद्भुत परंपरा
देवभूमि की परंपरा कितनी समृद्ध है कि महाभारत और रामायण काल की कहानियों के अंश भी यहां मिलते हैं। क्या आप जानते हैं कि देवभूमि में एक स्थान ऐसा भी है, जहां माता सीता ने भू समाधि (Sita Mata Pauri Garhwal Mansar mela) ली थी? जी हां पौड़ी गढ़वाल के कोटसाड़ा, फलस्वाड़ी और देवल में ये मान्यता प्रचलित है। माना जाता है कि तबसे यहां मनसार मेले का आयोजन होता आ रहा है। इस बार भी कोट ब्लॉक के फलस्वाड़ी गांव में इस वर्ष आयोजित हो रहे मनसार मेले को भव्य रूप से मनाया जा रहा है जिसको लेकर मंदिर समिति की ओर से सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। मंदिर के पुजारी की ओर से बताया गया है कि आज लक्ष्मण मंदिर देवल से देव निशान फलस्वाड़ी गांव के लिए गए साथ ही कोटसाड़ा गांव से ग्रामीण बबले (घास) की रस्सी व दूण-कंडी (मिठाई की टोकरी) लेकर पहुंचे। जिसके बाद कोटसाड़ा व देवल के ग्रामीण फलस्वाड़ी गांव में पहुंचकर माता सीता की आराधना कर रहे है।
May bhot bada laga
🙏🙏🙏
Etana sunder yata sik pourd jha se agrejo ka bhi agao raha wahese bhi angrej ko pura pahardi ccheter bheheth basanth theye per.un hone bhoogolik parshithi you ke karan pahardp meion jhada khana nahikaraya es ka karan yaha bhoogolik rachana aur kubh surati ko bar kar rakhi taki jada construction nahi kiya jis aaj ke bakt meion bina soche samjhe hi yaha per thuord ford ho rahi hai kahi vikash ke nam per binash per yaha yaha ke logo ka koi faida nahi jo bhi parshan kar rahi kewal jo jagh jagh non ukd ke log ake bas gaye jo ki yaha ke liye sahi nahi hua hai aj kal jo ukd alag rajiya bane ke baad yaha per bhut matra. Meion bhari log aye aur yaha per kubh property investment ki hai jo ki ukd ke liye sahi nahi hua netao ne ukd ki kubh surati cchabi ko nash kiya hai
सही कहा आपने।पहाड़ की व्यथा आप जैसे लोगों से बेहतर कौन जान सकता है। बहुमूल्य विचारों के लिए धन्यवाद🙏
bhu kanoon khunni maara maari paas ma karin pehle aphri Uttaranchali (gadwali-kumaoni) bhasha thai toh bachai-lhya, shuruat ma hi khankriyal ji hindi ma bachyana chin, tab bwala, kya hwalu... yakh ham England ma angrezo thai gadwali bulnai ki training dena chon (meru naunu dhara-prwah gadwali ma bwaldu yakh ham dagadi aur angrezo thai bhi sikhandu) aur saal ma dwi baar jab ham seedha gau jando wakh log ham thai gau ku hu samjhadin... tab bal bhu kanoon toh aalu jab aalu, pehli aphri bhasha ch bhasha...
baki baat aur kya buln, kuda aur kabaad ku dher jo ham lukhun lagayu yakh paudi ma, wyeka baara ma toh kya hi buln bhai
आपकि बात बिलकुल ठिक च लेकिन यो चैनल हिंदीक च। जब हम लोग आपस म बात करणा छाय त खंखरियाल जी गड्वलई म हि बुने छै। पर आपकु गड्वलई प्रेम देखकि बहुत अच्छू लाग 🙏🙏
Apka bolne ka andaj aisa hai ki jaise ap neend,(sleep) se uthkar turant bolne kag gaye hon. Kuch karm kijiye na
Maharaj. Neend se jagiye, muh hath dhokar phir videos tajgi k sath banaye. Kya hal bana rakha, kuchh lete kyon nahi. Bura mat manna, balki apna atm manthan karna. Thanks.
जी बहुत शुक्रिया
बहुत सुन्दर
बहुत आभार आपका 🙏🙏