kd palaceb ujjain||कालियादेह महल उज्जैन||बावन कुंड उज्जैन||
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- Опубликовано: 20 окт 2024
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#kd_palace #कालियादेह_महल #ujjain_tourism #bavan_kund #सूर्यकुण्ड #sun_temple #जलमहल इसके निर्माण की कहानी को लेकर कई अलग अलग लेख मौजूद है,सबसे पहले इस स्थान का वर्णन मालवे के सूबा होशंगशाह और गुजरात के अहमदशाह की लड़ाई सन् 1418 के समय मिलता है।इस भवन पर एक शिलालेख से ज्ञात होता है कि इस स्थान का निर्माण महमूद खिलजी के जमाने मे किया गया था। लेकिन अधिक विश्वस्त यह है कि 400 वर्ष पूर्व मांडू के सुल्तान नसरुद्दीन खिलजी ने मुख्य हिन्दू मंदिर को भंग करके इस शाही महल को बनाया। अगर आपने पढ़ा हो तो कवि ने ऋतुसंहार काव्य में ग्रीष्म को आतप शांत करने के लिए पूर्ण रूप से जिन स्थानों का वर्णन किया है यह महल वही प्रतीत होता है। इस महल के एक शिलालेख से यह भी ज्ञात होता है कि दक्षिण को फतह करने के इरादे से यात्रा करते हुए सम्राट यहां ठहरे थे। अबुल फजल ने 'अकबरनामा' में लिखा है कि दुनिया के निहायत फरहत बख्श मुकामों में से यह भी एक मुकाम है। ठीक इसी तरह 'आईने अकबरी' और 'तवारीख फरिश्ता' में भी इस जल-महल की बड़ी तारीफ की गई है। सम्राट जहांगीर के साथ सन् 1616 में सर टॉमस रो ने भी इस जल-महल में निवास किया था। अपनी डायरी में उन्होंने इसकी सुंदरता का खूब वर्णन किया है। इसी तरह बादशाह जहांगीर को यह महल बहुत ही पसंद था। वह अक्सर इस महल में आकर रहता था।पिंडारियों के जमाने में यह महल नष्ट हो गया था। बाद में सन् 1700 में पुन: जल-यंत्रों और कुशकों की मरम्मत करवाई गई। बाद में बीच में किसी की दृष्टि इस महल ओर नहीं गई। हां, सन् 1920 में स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की नज़र इस महल पर पड़ी ओर स्वयं महाराजा ने अपने निवास के लिए इसे पसंद किया था ।स्वर्गीय महाराजा ने कई बार यहां सपरिवार निवास किया। बाद में उनके चिरंजीव स्व. महाराज श्रीमंत जयाजीराव सिन्धे महोदय भी अपनी पूज्या जननी के साथ यहां इस रम्य महल में आकर निवास किया।