"आचार्य प्रशांत से समझें गीता, लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022 ✨ हर महीने 30 लाइव सत्र ✨ 15,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी ✨ पिछले 200+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क ✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल"
1. दर्द में मुस्कराना आना चाहिए उसी में लगे हुए हैं आचार्य जी उसमें पथ प्रदर्शक हैं। 2. किसी भी चीज को इतना महत्व नहीं दो की वह आत्मा ही बन जाए, क्योंकि फिर जब दूर होती व खोती है तो दर्द होता है। 3. आत्मा तो आत्मा है उसकी जगह ये सांसारिक साधन, सम्पदा और हमारा शरीर नहीं ले सकते ये सब नश्वर हैं और आत्मा अजर अमर है। 4. जिसको आपने संपदा बना लिया वही तो आपदा वह तुम्हारे साथ सदा कैसे रह सकती है जो सदा साथ रहती है वही तो आत्मा है। साथ ही उसी का देना है। 5.जो भी संपदा वो खिलौना मात्र है असली संपदा तो आत्मा है बाकी सब तो प्रकृति है जो बदलती रहती है आज तुम्हारे पास कल किसी ओर के ... 6. साधन को आत्मा बना लोगे तो दर्द को सहना पड़ेगा ही क्योंकि पीड़ा तुम्हे होगी ही इसलिए रो के नहीं हंस के सहना सीखो। 7. ये सभी देवयोग प्रकृति के ही संयोग हैं हमारे जीवन में जो सत्य है वो आत्मा है उसे अहम में स्थापित कर आनंद से जीवों।
दुनिया तुम्हारे दिल के साथ खेलेगी, उसे बार- बार तोड़ेगी, उसे पैरों तले रौंदेगी, यदि तुम अपना दिल किसी ऐसी वस्तु को बनाओगे जो अपने से बाहर जा सके ! आचार्य श्री
Aacharya prashant ji ki baate me 2-4din se sun rhi hu such m adbhud muje esa lga jese meri soch ka vyakti mila ho aacharya ji apko koti naman 🙏🏻🙌 apki baate n sirf baate h balki sehed ki trh jivan ko jine ki kla he❤
आचार्य जी जब से आपकी कहीं हुई बातें जीवन में लागू की है तब से समाज में एडजस्ट ही नहीं हो पा रहे है अगर कुछ बोले तो परिवार वाले बोलने लगता है कि , इसके दिमाग में कुछ दिक्कत हो गई है हमारी हालत तो धोबी के कुत्ते जैसी हो गई है 😅
आचार्य जी इस युग के संत हैं।🙏सभी लोग केवल सुने नहीं,जीवन में भी उतारें,तभी फ़ायदा होगा। यथा संभव दान💸 करें।🫵कौन-कौन चाहता है आचार्य जी का चैनल 100✓Milion का हो।🥰
१. न वांच्छित न शोचति- न मांगते है, न रोते है। २. सम्पदा= आपदा। ३. तृप्त नित्य- भविष्य की चिन्ता, या अतीत का स्मरण नहीं रहता। समय से मुक्त। ४. पाने वाले को पाकर कुछ मिल नहीं जायेगा। और खोने वाले को खोकर कुछ खो नहीं जायेगा। ५. सम्पदा मानने से, आपदा आमन्त्रित कर ली। ६. किसी ऐसी चीज को दिल बनाओ ही नहीं, जो हमसे बाहर जा सकती हो। ७. प्रकृति में ऐसे रहो, जैसे बच्चा खिलोनों के साथ। ८. Live with absurdity- बस आज की रात है जिंदगी, कल हम कहाँ तुम कहाँ। ९. दर्द पर हस पाना ही, आनंद है। १०. दैव योग(काल)= संयोग। ११. स्वस्थ इंद्री(मन इंद्री)= मन में संसार न बैठा रहे। अहम् का आत्मा में स्थापित होना। 🙏🏻🪔
अद्भुत अद्भुत अद्भुत कितनी सुंदर व्याख्या है आज ..मन आनद से ओत प्रोत हो गया...आधुनिक युग के let go और detachment को आचार्य जी ने कितने सुंदर शब्दो मे पिरोया है जो पुरातन काल से भाषा में मोजूद है... मज़ा आ गया सुनकर ...❤❤❤
- बाहर की चीज को संपदा बताओगे तो आपदा बनेगी - न मांगते है न शोक करते हैं / रोते हैं - खिलौने हैं तोड़ेंगे भी नहीं, खेलेंगे और रख देंगे, दिल मे नहीं बनाएंगे-> जो अपने से बाहर का है उसे दिल नहीं बनाना है - साक्षी होकर छुए कैसे, बस बच्चों की तरह पूरे मन से खेलना और भूल जाना है
अद्भुत अद्भुत अद्भुत ..आज के वक्तव्य की इतनी सुंदर व्याख्या सुनकर मन आनद से ओत प्रोत हो गया..आज के युग के let go और detachment शब्दो को आचार्य जी ने कितने सुंदर शब्दो का प्रयोग करके बहुत आसान भाषा में व्याखायित कर दिया ...❤❤❤
आपदः सम्पदः काले देवादेवेति निश्चयी। तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वाञ्छति न शोचति ॥ अष्टावक्र गीता 11.3 व्याख्या: इस श्लोक में अष्टावक्र ऋषि यह बताना चाहते हैं कि एक सच्चा योगी या ज्ञानी व्यक्ति, जो यह समझ लेता है कि जीवन में आने वाले सुख-दुख, आपदाएँ और समृद्धि, सभी समय और ईश्वर की इच्छा के अनुसार होते हैं, वह व्यक्ति संतुष्ट और शांति में रहता है। उसकी इंद्रियाँ नियंत्रित और स्वस्थ होती हैं, और वह किसी भी प्रकार की इच्छा या शोक से मुक्त होता है। इस अवस्था में व्यक्ति मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्थिर और संतुलित रहता है।
आचार्य जी के अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ते देख कर बहुत बहुत बहुत अच्छा लगता है l सत्य के प्रति और सत्य से अवगत कराने वाले आचार्य जी के प्रति लोगों का रुझान बढ़ते देख कर बहुत अच्छा लगता है l नमन 🙏🙏❤️
सर कृपया आप एक वीडियो कबीर दास जी की अनुराग सागर वाणी पर भी बनाओ क्योंकि जो इसमें चौथे लोक के बारे में लिखा है क्या वे सत्य है और कबीर पंथियों का ज्ञान भी इसी आधार पर है 🙏
आचार्य जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद। जब से आप जीवन में आए हैं तब से जीवन को एक अलग ही दृश्य कोण से दिखता है। सब चीज दिखाई देते हैं कि किस तरीके से दुख हमें तोड़ने के लिए हमारे जीवन में आता है मगर हम दुख से भी काफी ज्यादा स्ट्रांग है। दुःख हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता आपने सच्चा जीवन सिखा दिया है । आचार्य जी अब यह समझ में आने लगा है कि दुख कब आता है ? क्यों आता है ? दुख की पूरी प्रक्रिया ही समझ में आने लगी है। जीवन उतना ज्यादा दुख है नहीं जितना हमें जीना सिखाया गया है समाज के द्वारा । मगर अगर आपकी बात सब लोगों तक पहुंच जाए तो हर इंसान एक बहुत अच्छा जीवन एक बहुत ऊंचा जीवन जी सकता है जिसमें मानव कल्याण तो है ही उसके अतिरिक्त अन्य जीवों का कल्याण हो रहा है और कहीं ना कहीं प्रकृति भी अपने सुचारू रूप से चल रही है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
1. किसी बाहरी चीज को संपदा मानोगे तो वो बाद में आपदा बन जायेगी 2.किसी बाहरी चीज को आत्मा नहीं बनाया जाता। 3.आपदा सम्पदा एक साथ आते हैं अलग। अलग नइ आते है 4.प्रकृति के चीज के साथ बस खेल लो उसको भीतर मन में मत बैठो 5जैसा छोटा बच्चा खिलौनों के साथ खेलकर उसको भूल जाता है वैसे ही हमें भी प्रकृति के साथ रहना चाहिए 6.केवल एक ही सम्पदा होती है आत्मा बस 7.ना वंचति ना शोचति माने ना मंगते है ना रोते है ✨ 8.संपदा आपदा के चक्कर में आनंद से वंचित रह जाते हैं हम 9प्रकृति में सब संयोग होता है इसलिए हमें बस खेलना है 10.प्रकृति में आनंद की वजह नहीं है इसलिए बेवजह मुस्कुराओ 11.बहार की चीज को आत्मा बनने वाले हमेशा दुख पाते हैं, क्योंकि आत्मा बहार नहीं हो सकती, ✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨✨
Parnam acharya ji jo maine 6 mnths se apko sunna shuru kiya. Jaisa m sochti thi to mujhe pehla person aisa mila jo mere jaisa sochta ho. Nhi to sab tarf ek jaisa hi mahol h. Thanks 🙏
"आचार्य प्रशांत से समझें गीता,
लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022
✨ हर महीने 30 लाइव सत्र
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Bsr 🌨️🌳🙏
11111❤❤❤
1. दर्द में मुस्कराना आना चाहिए उसी में लगे हुए हैं आचार्य जी उसमें पथ प्रदर्शक हैं।
2. किसी भी चीज को इतना महत्व नहीं दो की वह आत्मा ही बन जाए, क्योंकि
फिर जब दूर होती व खोती है तो दर्द होता है।
3. आत्मा तो आत्मा है उसकी जगह ये सांसारिक साधन, सम्पदा और हमारा शरीर नहीं ले सकते ये सब नश्वर हैं और आत्मा अजर अमर है।
4. जिसको आपने संपदा बना लिया वही तो आपदा वह तुम्हारे साथ सदा कैसे रह सकती है जो सदा साथ रहती है वही तो आत्मा है। साथ ही उसी का देना है।
5.जो भी संपदा वो खिलौना मात्र है असली संपदा तो आत्मा है बाकी सब तो प्रकृति है जो बदलती रहती है आज तुम्हारे पास कल किसी ओर के ...
6. साधन को आत्मा बना लोगे तो दर्द को सहना पड़ेगा ही क्योंकि पीड़ा तुम्हे होगी ही इसलिए रो के नहीं हंस के सहना सीखो।
7. ये सभी देवयोग प्रकृति के ही संयोग हैं हमारे जीवन में जो सत्य है वो आत्मा है उसे अहम में स्थापित कर आनंद से जीवों।
दुनिया तुम्हारे दिल के साथ खेलेगी, उसे बार- बार तोड़ेगी, उसे पैरों तले रौंदेगी, यदि तुम अपना दिल किसी ऐसी वस्तु को बनाओगे जो अपने से बाहर जा सके ! आचार्य श्री
संसार को छाती पर रखकर नहीं फिरना है पा लिया तो भी एक ही बात है नहीं पाया तो भी एक ही बात है -आचार्य श्री
ज़िंदगी ही टूट जाए, इससे कहीं अच्छा है
कैद की सलाखें तोड़ दो!
~Aachrya ji 🙏🏻🙏🏻❤️
अध्यात्म हमें असली जिंदगी प्रदान करता है वैसे तो जिंदगी जानवर भी जीते है❤
जिंदगी को जानिए, जीवन को गढ़िये,
अपनी सुंदरतम प्रतिमा आपको खुद ही तराशनी है।
- आचार्य जी । 💚
दर्द पर हंस पाना ही आनंद है, बिना दर्द के आनंद नहीं हो सकता। ❤
प्रणाम आचार्य जी 🙏🏾❤️
जिसने प्रकृति के क्षेत्र को संयोगिक जान लिया वह उसे आत्मिक समझकर फिर दुख नहीं पाता - आचार्य श्री
प्रकृति में मौज के लिए कोई कारण नही है,विरोधाभास में ही आनंद है.👍🙏
"नदी है तो तीर है, तृषा है तो नीर है, अर्जुन है तो कृष्ण है।"
-आचार्य प्रशांत, गीता सत्र पर, ०९ जनवरी
बीना दर्द के आनंद हो ही नहीं सकता ❤❤
सभी दर्शक को विनंती है आचार्य प्रशांत जी के विङीयो मे जो सिध्दांतीक वाक्य और सुञ गुढ बाते कमेंट मे लिखा करे धन्यवाद
दर्द पर हँस पाना ही आनंद हैं , दर्द बिना आनंद नहीं है ❤❤
जिस बात को सम्पदा मान लिया उस बात को सम्पदा मानने से ही आपदा आमंत्रित कर ली, आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏
दर्द पर हंस पाना ही आनंद है ,
बिना दर्द के आनंद नहीं हो सकता ।🍁
हमे हमेशा बस आप के साथ की जरूरत है 🪔❣️😇
Aacharya prashant ji ki baate me 2-4din se sun rhi hu such m adbhud muje esa lga jese meri soch ka vyakti mila ho aacharya ji apko koti naman 🙏🏻🙌 apki baate n sirf baate h balki sehed ki trh jivan ko jine ki kla he❤
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आचार्य जी जब से आपकी कहीं हुई बातें जीवन में लागू की है तब से समाज में एडजस्ट ही नहीं हो पा रहे है अगर कुछ बोले तो परिवार वाले बोलने लगता है कि , इसके दिमाग में कुछ दिक्कत हो गई है हमारी हालत तो धोबी के कुत्ते जैसी हो गई है 😅
same sister 😭🤣
Same here
Right ❤😅💯
😂😂😂 right
*प्रकृति को आत्मिक बनाएंगे तो,*
*दुःख, कष्ट पाएंगे।*
Osho ~तुम्हारे विचार जहर की तरह तुम्हें खोखला कर देंगे , विचारों की भीड़ से मुक्त होना है तो ध्यान करो 😊
आचार्य जी इस युग के संत हैं।🙏सभी लोग केवल सुने नहीं,जीवन में भी उतारें,तभी फ़ायदा होगा।
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मुस्कुराकर ग़म का ज़हर जिनको पीना आ गया। यह हकीक़त है कि जहाँ में उनको जीना आ गया ! Unknown
Thank you acharya ji for the valuable videos and content
तेरा साई तुझमे है जाग सके तो जाग संत कबीर
न वाञ्छति न शोचति 🙏🏻🙏🏻
आचार्य जि 🕉️🕉️🕉️🙏🙏🙏🇳🇵
प्रणाम अचार्य जी 🙏🙏🙏🙏🙏
संपदा बनाओगे प्रकृति को तो आपदा भी स्वीकार करनी पड़ेगी।
- अचार्य प्रशांत
सुप्रभातम शत् शत् नमन आचार्य श्री🙏🙏🙏 एवं समस्त श्रोतागण
Jai Hind 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
वजह तो दुख में होता है पर आनंद तो बेवजह है इसलिए मुस्कुराओ❤️👌
१. न वांच्छित न शोचति- न मांगते है, न रोते है।
२. सम्पदा= आपदा।
३. तृप्त नित्य- भविष्य की चिन्ता, या अतीत का स्मरण नहीं रहता। समय से मुक्त।
४. पाने वाले को पाकर कुछ मिल नहीं जायेगा। और खोने वाले को खोकर कुछ खो नहीं जायेगा।
५. सम्पदा मानने से, आपदा आमन्त्रित कर ली।
६. किसी ऐसी चीज को दिल बनाओ ही नहीं, जो हमसे बाहर जा सकती हो।
७. प्रकृति में ऐसे रहो, जैसे बच्चा खिलोनों के साथ।
८. Live with absurdity- बस आज की रात है जिंदगी, कल हम कहाँ तुम कहाँ।
९. दर्द पर हस पाना ही, आनंद है।
१०. दैव योग(काल)= संयोग।
११. स्वस्थ इंद्री(मन इंद्री)= मन में संसार न बैठा रहे। अहम् का आत्मा में स्थापित होना। 🙏🏻🪔
सही काम चुनने में यही आनंद है कष्ट के होते हुए भी कष्ट का एहसास नहीं होता।
जिस मरनै सै जग डरै, सो मेरे आनंद।
कब मरिहूँ कब देखिहूँ, पूरन परमानंद॥
Agr khush rhna h to Bina wjh khush rhna seekh lo ❤❤
Pranam Acharya Ji ❤
स्थितप्रगया।
पता है मेरे पास आसपास जो सब कुछ है खिलौना है उससे खेल लूंगा, पर उसको आत्मा बनाकर नहीं बैठूंगा।
खिलौना, टूट भी जाए तो क्या रोना।❤
न मांगते हैं, न रोते हैं।
आचार्य जी को सादर प्रणाम 🙏🏼
गुरूजी आपल्या ज्ञानाची तोड नाही❤❤❤ आपला हाथ धरणे नशीबवान च करू शकतो❤ आपले सामर्थ्य वर्णू किती❤ज्ञानाचा सागर🎉🎉❤🎉
अहम् का आत्मा में स्थापित होना स्वास्थ्य है 🙏🙏❤❤
चरण स्पर्श, आचार्य जी। 🙇🏻🪔
Guru dev 🙏🙏🙏🙏
अद्भुत अद्भुत अद्भुत कितनी सुंदर व्याख्या है आज ..मन आनद से ओत प्रोत हो गया...आधुनिक युग के let go और detachment को आचार्य जी ने कितने सुंदर शब्दो मे पिरोया है जो पुरातन काल से भाषा में मोजूद है... मज़ा आ गया सुनकर ...❤❤❤
Naman Acharya ji koti koti pranam.....🙏🙏❤️🌺
- बाहर की चीज को संपदा बताओगे तो आपदा बनेगी
- न मांगते है न शोक करते हैं / रोते हैं
- खिलौने हैं तोड़ेंगे भी नहीं, खेलेंगे और रख देंगे, दिल मे नहीं बनाएंगे-> जो अपने से बाहर का है उसे दिल नहीं बनाना है
- साक्षी होकर छुए कैसे, बस बच्चों की तरह पूरे मन से खेलना और भूल जाना है
"दर्द पर हँस पाना ही आनन्द है बिना दर्द के आनन्द नहीं हो सकता" 44:36 🙏🏻❤️
Aap sahi kah rahe hai aacharya ji
Pls sbhi log mil ke achrya ji k channel ko 100 million aur uske baad me 500 million tak ki subscribers hone chahiye 🎉
आचार्य प्रशांत जी के चरणों में प्रणाम गुरु जी ❤❤😊😊
न वाञ्छति न शोचति*****🌿🌿🌿
Acharya ji ko koti koti pranam 🙏🙏🙏❤️❤️❤️
दर्द है इसलिए मुस्कुराओ ❤
Shat Shat Naman Acharya Ji 🙏🙏🙏🙏
नमन गुरुवर 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Pranam Gurudev
अद्भुत अद्भुत अद्भुत ..आज के वक्तव्य की इतनी सुंदर व्याख्या सुनकर मन आनद से ओत प्रोत हो गया..आज के युग के let go और detachment शब्दो को आचार्य जी ने कितने सुंदर शब्दो का प्रयोग करके बहुत आसान भाषा में व्याखायित कर दिया ...❤❤❤
आचार्य प्रशांत के द्वारा अमृत का भंडार उपनिषद ,गीता ,अष्टावक्र गीता, बौद्ध दर्शन आदि समझाया जाता है धन्यवाद आचार्य जी
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏~~ प्रणाम आचार्य जी ~~❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏~~ प्रणाम आचार्य जी ~~❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Jay ho 🙏🧘🙏
सत्य के अलावा कोई और संपदा बनाओगे ।
तो आपदा और विपदा के अलावा कुछ नहीं पाओगे।
~आचार्य प्रशांत
खुश रहना हैं तो बेवजह खुश रहना सिखों।।।❤❤❤
Acharya ji is a great warrior,truth lover,vegan,animal activist,animal lover.salute to this great hero ❤❤
निःशब्द हूँ, निर्विकल्प हूँ, नतमस्तक हूँ सत्य के समक्ष ।
शत शत नमन गुरुदेव ❤ ❤ ❤ 🙏🏼✨🙏🏼✨🙏🏼
Man Mai संसार न बैठा हो यही स्वास्थ्य की निशानी है ❤❤❤
आपदः सम्पदः काले देवादेवेति निश्चयी। तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वाञ्छति न शोचति ॥ अष्टावक्र गीता 11.3
व्याख्या: इस श्लोक में अष्टावक्र ऋषि यह बताना चाहते हैं कि एक सच्चा योगी या ज्ञानी व्यक्ति, जो यह समझ लेता है कि जीवन में आने वाले सुख-दुख, आपदाएँ और समृद्धि, सभी समय और ईश्वर की इच्छा के अनुसार होते हैं, वह व्यक्ति संतुष्ट और शांति में रहता है। उसकी इंद्रियाँ नियंत्रित और स्वस्थ होती हैं, और वह किसी भी प्रकार की इच्छा या शोक से मुक्त होता है। इस अवस्था में व्यक्ति मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्थिर और संतुलित रहता है।
Your teachings are creative .gives resolution sustitution sublimation of mind from impurity to purity level by level transformation in character
🙏 आचार्य श्री 🙏
सादर प्रणाम आचार्य जी। 🙏
आचार्य जी के अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ते देख कर बहुत बहुत बहुत अच्छा लगता है l सत्य के प्रति और सत्य से अवगत कराने वाले आचार्य जी के प्रति लोगों का रुझान बढ़ते देख कर बहुत अच्छा लगता है l नमन 🙏🙏❤️
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Waah dhanyawad achrya ji namaste sir ❤❤
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
सत्यमेव जयते आचार्य जी इसी संदेश को आगे बढ़ा रहे हैं कृपया सभी से निवेदन है कि प्रतिदिनआचार्य जी की 5 वीडियो पर काम से कम एक कमेंट अवश्य करें
चरण स्पर्श आचार्य जी🙏🙏🙏❤❤❤
"जिसको संपदा मान लिया वो जान बन जाता है, किसी का जान बन जाना ही आपदा है"
- आचार्य प्रशांत
यहां इतना मूल्यवान कुछ भी नही है कि उसको दिल में बैठा लो, उसको केंद्र बना लो।
Badi baat Ko sankshipt me samjha Diya sar aapane, bahut kuchh Insan ke Bus me nahi hota Hai
खिलौने हैं तो उनसे खेल लो, उसे जीवन नही बना लेना, जो अपने से बाहर का हो उसे अपना दिल बनाओगे तो दिल टूटेगा ही टूटेगा ❤
आचार्य जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
जब से आप जीवन में आए हैं तब से जीवन को एक अलग ही दृश्य कोण से दिखता है। सब चीज दिखाई देते हैं कि किस तरीके से दुख हमें तोड़ने के लिए हमारे जीवन में आता है मगर हम दुख से भी काफी ज्यादा स्ट्रांग है। दुःख हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता आपने सच्चा जीवन सिखा दिया है ।
आचार्य जी अब यह समझ में आने लगा है कि दुख कब आता है ? क्यों आता है ? दुख की पूरी प्रक्रिया ही समझ में आने लगी है। जीवन उतना ज्यादा दुख है नहीं जितना हमें जीना सिखाया गया है समाज के द्वारा ।
मगर अगर आपकी बात सब लोगों तक पहुंच जाए तो हर इंसान एक बहुत अच्छा जीवन एक बहुत ऊंचा जीवन जी सकता है जिसमें मानव कल्याण तो है ही उसके अतिरिक्त अन्य जीवों का कल्याण हो रहा है और कहीं ना कहीं प्रकृति भी अपने सुचारू रूप से चल रही है।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Is Dharti per Janm Liya Hai To Kuchh acche Karm Karke Jaaye
Baki to yah Sharir nashwar hai
Aacharya Shri Ji ko Mera Sadar Prana💐🙏
कितने दिलो-जान से चाहा था हमने भी कभी इन अंधेरों को,
पर हमें क्या पता था कि ये दिल्लगी सिर्फ रौशनी न मिलने तक ही रहेगी..
Acharya Prashant Sir❤👏🏻🔥😍😍
Good morning acharya ji
न वंछती ना शोचति 🎉🎉
1. किसी बाहरी चीज को संपदा मानोगे तो वो बाद में आपदा बन जायेगी
2.किसी बाहरी चीज को आत्मा नहीं बनाया जाता।
3.आपदा सम्पदा एक साथ आते हैं अलग। अलग नइ आते है
4.प्रकृति के चीज के साथ बस खेल लो उसको भीतर मन में मत बैठो
5जैसा छोटा बच्चा खिलौनों के साथ खेलकर उसको भूल जाता है वैसे ही हमें भी प्रकृति के साथ रहना चाहिए
6.केवल एक ही सम्पदा होती है आत्मा बस
7.ना वंचति ना शोचति माने ना मंगते है ना रोते है ✨
8.संपदा आपदा के चक्कर में आनंद से वंचित रह जाते हैं हम
9प्रकृति में सब संयोग होता है इसलिए हमें बस खेलना है
10.प्रकृति में आनंद की वजह नहीं है इसलिए बेवजह मुस्कुराओ
11.बहार की चीज को आत्मा बनने वाले हमेशा दुख पाते हैं, क्योंकि आत्मा बहार नहीं हो सकती,
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Parnam acharya ji jo maine 6 mnths se apko sunna shuru kiya. Jaisa m sochti thi to mujhe pehla person aisa mila jo mere jaisa sochta ho. Nhi to sab tarf ek jaisa hi mahol h. Thanks 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जहां सम्पदा होगी वहां आपदा भी होगी। तो सम्पदा मिल भी जाए तो यह मत समझ लेना कि बहुत कुछ मिल गया। बाहर की चीज को भीतरी बना देना ही आपदा है।
आचार्य जी आपके विचार लगभग सब के अंदर उपजते है फिर मिट जाते है क्योंकि आपके जैसे सब के अंदर हिम्मत नहीं होती है कि आपके जैसे सब को जगा पाए 🙏🙏🙏
Aacharya Prashant is best❤❤
One of the best video sir thank you🙏🙏🙏
प्रणाम आचार्य जी 🙏
प्रणाम आचार्य जी ❤❤❤❤❤❤❤❤
Shamajhane ke liye bahut bahut hi dhanyawad Acharya ji 🙏🙏👌
Bahut bahut badiya Ji 🙏
Thanks acharya ji 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
Day 8 Namaste Acharya Ji❤
Adhyatma ki jai ho 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Pranam achrya ji good morning achrya ji 🎉