हम कौन हैं और कहां से आएं?🙏 क्या बोल रही है कबीर साहेब की वाणी || Satsang Nitin das ji Maharaj ♥️
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- Опубликовано: 14 окт 2024
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साहिब बंदगी सतनाम जी तत्व दशी सन्त नितिन दास जी के चरणों में अनंत कोटि प्रणाम ❤️🌺🌹🌺🌹🌺🙏🙏🙏🙏🙏
साहेब बंदगी सतनाम जी🙏
साहेब बंदगी सत्य नाम
Sahib bandgi guru ji
Saheb Bandagi satyam guru ji
Sahib bandgi satnam ❤
साहेब बंदगी सतनाम नितिन साहेब जी के चरणों में सदा ही जय सतनाम साहेब बंदगी 🌹🌺♥️🙏
Sat Saheb ji
ham saab surya ke bache hai, saab ko ghar wapass janaa hai .... one and only truth ...! Dhune hi eka hi rashta hai sahib ji ..... sabad guru ki jay .
Kabir is GOD ❤🙏🙏Tatavdarshi sant sant Rampal Ji Maharaj he hai aur koi nahi 🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅🙅
 
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रागु गउड़ी पूरबी बावन अखरी कबीर जीउ की
ੴ सतिनामु करता पुरखु गुरप्रसादि ॥
बावन अछर लोक त्रै सभु कछु इन ही माहि ॥ ए अखर खिरि जाहिगे ओइ अखर इन महि नाहि ॥१॥
पद्अर्थ: बावन = 52, बावन। अखरी = अक्षरों वाली। बावन अखरी = बावन अक्षरों वाली वाणी। अक्षर = अक्षर। लोक त्रै = तीन लोकों में, सारे जगत में (वरते जा रहे हैं)। सभु कछु = (जगत का) सारा वरतारा। इन ही माहि = इन (बावन अक्षरों) में ही। ए अखर = ये बावन अक्षर (जिस से जगत का वरतारा निभ रहा है)। खिरि जाहिगे = नाश हो जाएंगे। ओइ अखर = वह अक्षर (जो ‘अनुभव’ अवस्था बयान कर सकें, जो परमात्मा के मिलाप की अवस्था बता सकें)।1।
अर्थ: बावन अक्षर (भाव, लिपियों के अक्षर) सारे जगत में (प्रयोग किए जा रहे हैं), जगत का सारा कामकाज इन (लिपियों के) अक्षरों से चल रहा है। पर ये अक्षर नाश हो जाएंगे (भाव, जैसे जगत नाशवान है, जगत में बरती जाने वाली हरेक चीज भी नाशवान है, और बोलियों, भाषाओं में बरते जाने वाले अक्षर भी नाशवान हैं)। अकाल-पुरख से मिलाप जिस शकल में अनुभव होता है, उसके बयान करने के लिए कोई अक्षर ऐसे नहीं हैं जो इन अक्षरों में आ सकें।1।
भाव: जगत के मेल मिलाप के बरतारे को तो अक्षरों के माध्यम से बयान किया जा सकता है, पर अकाल पुरख का मिलाप वर्णन से परे है।
जहा बोल तह अछर आवा ॥ जह अबोल तह मनु न रहावा ॥ बोल अबोल मधि है सोई ॥ जस ओहु है तस लखै न कोई ॥२॥
पद्अर्थ: आवा = आते हैं, बरते जाते हैं। जहा बोल = जहाँ वचन हैं, जो अवस्था बयान की जा सकती है। तह = उस अवस्था में। अबोल = (अ+बोल) वह अवस्था जो बयान नहीं हो सकती। न रहावा = नहीं रहता, हस्ती मिट जाती है। मधि = में। सोई = वही अकाल पुरख। जस = जैसा। तस = तैसा। लखै = बयान करता है। ओहु = परमात्मा।2।
अर्थ: जो वरतारा बयान किया जा सकता है, अक्षर (केवल) वहीं (ही) बरते जाते हैं; जो अवस्था बयान से परे है (भाव, जब अकाल-पुरख में लीनता होती है) वहाँ (बयान करने वाला) मन (खुद ही) नहीं रह जाता। जहाँ अक्षर प्रयोग किए जा सकते हैं (भाव, जो अवस्था बयान की जा सकती है) और जिस हालत का बयान नहीं हो सकता (भाव, परमात्मा में लीनता की अवस्था) - इन (दोनों) जगह परमात्मा खुद ही है और जैसा वह (परमात्मा) है वैसा (हू-ब-हू) कोई बयान नहीं कर सकता।2।
अलह लहउ तउ किआ कहउ कहउ त को उपकार ॥ बटक बीज महि रवि रहिओ जा को तीनि लोक बिसथार ॥३॥
पद्अर्थ: अलह = दुर्लभ, जो देखा नहीं जा सकता। लहउ = (अगर) मैं ढूँढ लूं। किआ कहउ = मैं क्या कहूँ? मुझसे बयान नहीं हो सकता। को = क्या? उपकार = भलाई। बटक = बोहड़, बरगद। जा को = जिस (अकाल-पुरख) का।3।
अर्थ: अगर वह दुर्लभ (परमात्मा) मैं ढूँढ भी लूँ तो मैं (उसका सही स्वरूप) बयान नहीं कर सकता; अगर (बयान) करूँ भी तो उसका किसी को लाभ नहीं हो सकता। (वैसे) जिस परमात्मा के ये तीनों लोक (भाव, सारा जगत) पसारा हैं, वह इसमें ऐसे व्यापक है जैसे बरगद (का पेड़) बीज में (और बीज, बोहड़ में) है।3।
अलह लहंता भेद छै कछु कछु पाइओ भेद ॥ उलटि भेद मनु बेधिओ पाइओ अभंग अछेद ॥४॥
पद्अर्थ: अलह लहंता = दुर्लभ, ना मिलने वाले (अकाल
Bole se nhi kuch hota tumhare us agyani Kala kar se ye puch lo bas vani kya bol rhi hai
Visv guru nitin das gi maharaj ki sdahi Jay ho mere malik
nitan Baba tum to Bera gark karna 😢rahe ho
तंत्र मंत्र सब झूठ है, मत भरमो जग कोय । सार शब्द जाने बिना, कागा हँस ना होय ।। ye bta do bas tera beda paar hai
Bhai ji itne dino se ek hi swal puch rha hu
Puri sangat me kisi ko nitin Dass ji ke guru ka naam pata h to kripya bataye
Agar kisi ko nhi pata to koi baat nhi
To un ke guru ke pas jao bhai aap guru se kam hai aapko ya nitin das saheb se Barag das ji hai
साहेब अकल बोहूने आप ने ये तो बताया नही हम कहा से आए है और कहा जायेंगे और आप शब्द को बोल रहे हो जबकि आप शब्द ही नहीं जानते शब्द का मतलब है बोल आबाज नाद तो जब आप बानी का सारांश ही नही समझ लगे मूर्ख बताने
Next video me Sun lena bhai pura bed
क्यों अपना व लोगों का समय नष्ट कर रहे हो। तुम्हारे ज्ञान का कोई आधार नहीं है।
Hamara to sab kuch hai bhai aap apna socho mantro ko jaap kar ke kuch nhi mile ga इसे सुनें
तंत्र मंत्र सब झूठ है, मत भरमो जग कोय । सार शब्द जाने बिना, कागा हँस ना होय ।। Ye puch bas apke head ko fir batana kya hai ye
Nitan Baba parmatma kon hai lagta hai ki Baba har din Sant Rampal Ji Maharaj ka sat sang dekhte hai sat guru Rampal Ji Maharaj ke Gyan ko ulta pulta kar reha hai 😅😅😅😅😅😅
Rampal ka kon sa gyan hai bhai Sab pehle hi likha hai ,ye nasade to bang pi ke bta gya ulta pulta usko samj to aaya nha tantrik manter tum logo ko chep gya ek bani bta to jo Rampal ne likhi ho or shi ho तंत्र मंत्र सब झूठ है, मत भरमो जग कोय । सार शब्द जाने बिना, कागा हँस ना होय es vani ka jbab tum me se kisi p nhi hai or bhagt bne gumte ho
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