सर आपकी बात सही है नए कानून भारतीय नहीं है सिर्फ आईपीसी सीआरपीसी के कॉपी पेस्ट है नाम बदलकर जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है इन कानूनों पर न संसद में चर्चा हुई न जनता कानून के जानकारों की राय ली गई हैं बस थोप दिए गए है
बात ये भी है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा ने पुलिस को फ्री हैंड देने से मना कर दिया है और आज 1 जुलाई से सरकार ने पुलिस को और पावरफुल बना दिया है जिसमें भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा
न्यायिक कानून व्यवस्था आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक धर्मगुरु जो उपनिषद वेद न्यायिक दर्शन के माध्यम से ऐसे कानून का निर्माण कर सके जिससे लोगों के अंतःकरण में कर्तव्य परायणता संवेदना त्याग बलिदान प्रकृति पर्यावरण की सामाजिक विकसित हो सके
नये कानून में झूठ और फर्जी खबर को भी संगीन अपराध घोषित कर कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए। शिक्षा व्यवस्था और न्याय संहिता भारतीय वैदिक परम्परा के अनुसार होना चाहिए।
जी आपने सही कहा पर मोदी सरकार का इस विषय पर जिस उद्देश्य से किया गया था उसका उद्देश्य नए कानून के आने से भी पूरा नहीं होगा क्योंकि नया कानून बस पुराना सामान नए पैकेट में है
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के टी थामस ने न्याय करने का आधार भागवत गीता से श्री कृष्ण के उपदेशो को मानकर न्याय करने के सिद्धांत को प्रतिपादित किया है अपने एक निर्णय में, परन्तु आज के न्यायाधीश सिर्फ लकीर के फ़क़ीर हो कर रह गए है, न्याय के सम्बन्ध में गीता के उपदेश आज भी न्याय करने के लिए पूर्ण रूप से प्रासंगिक है, 🙏🏼
वाह आज की चर्चा बहुत ही रोचक है। अब इस बात की चिंता नहीं, मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक सनातनी होने के नाते, मुझे इस बात का ज्ञान है दुनिया क्यूं बनी, दुनिया किसने बनाई, दुनिया किसलिए बनी।
मुश्किल है... अब सुधार मुश्किल है, बीजेपी भी अब कांग्रेस बन चुकी है, दस साल पूर्ण बहुमत था तब इन्होने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई तो अब अल्पमत में क्या उखाड लेंगे, मोदी जी को अब दिख रहा है नोबेल शांति पुरस्कार, देश हित कहीं पीछे छूट गया है 🥴
जब तक दलालों का बोलबाला रहेगा,तब तक कोई सुधार नहीं हो सकता है,आज न्याय मिलता नहीं है,खरीदा जा रहा है,,आज सरकारी नौकरी में,ऊपरी कमाई के बिना पेट नहीं भरता है,ये सब बंद होना चाहिए,कौन करेगा???
इनकी उपरी कमाई छुट्टियाँ और सुविधाएं ही इतनी है कि इनको अहंकारी हो ही जाना है!वैसे भी कम्युनिस्ट और छद्म सोशलिस्ट न्याय व्यवस्था और सिस्टम में सेंधमारी कर चुके हैं 😢
मिलावटखोरी में धाराओं को हल्का कर दिया है ये बहुत बुरा काम हुआ है नए कानून में। जबकि जमाखोरी और मिलावटखोरी को लोगों के जीवन से खिलवाड़ मानते हुए बहुत कठोर बनाना चाहिए था
सही कहा आपने, एक बार गलत हो जाए तो वह जज तो सुधारेगा नहीं। अपील मे ही जाना पडेगा। अपील मे भी अगर उसका भाई मिल गया तो गए काम से। इसलिए निर्णय लेने से पहले अहंकार अलग रखकर गहन मंथन के बाद निर्णय लेना चाहिए।
दुबे जी मौके के हालात को देखते हुए जो हुआ अच्छा हुआ। अभी शुरूआत है। इतना भी पच जाए तो अच्छा है। बाकी आने वाले समय पर छोड़िये। कानून का मतलब अपराध को रोकना ही नहीं होता बल्कि अपराध के बारे में सोचने की नौबत ही न आए इसका प्रभाव पैदा करना होना चाहिए। इसके लिए मानवीय सोच और माहौल सिरजना पड़ेगा। मतलब कि जन्म से मौत तक मानवीयता की सोच पैदा करनी पड़ेगी। फिर किसी कानून की किताब से डरना नहीं पड़ेगा।
सबसे पहले अल्प संख्यकौं के तुष्टिकरण के लिए बनाये गये कानून और समानान्तर पंथ पक्ष के लिए अलग बोर्ड स्वतंत्र व्यवस्था समाप्त करने हौंगे वरना संविधान और कानून तभी तक सम्मान पायेंगे जब तक सनातनी शांति प्रिय लोग इस देश में बहु संख्यक हैं , भीड़ तंत्र न कोई संविधान का सम्मान करता है न कानून का , सीरिया व अफगानिस्तान जैसे देश इसके उदाहरण हैं
दुबे जी , आप बहुत ही बुद्धिमान व ज्ञानी हैं ।अतएव सही - सही बात बताइये । पूरी दुनिया बेंच हो जाय केवल चार लोगों को छोड़ कर यानि वादी , प्रतिवादी और दोनों के वकील । परिणाम --- निर्णय उलटा - पलटा होता रहेगा । अंत में जो कमजोर पड़ेगा वही गलत निर्णय को सही मानकर चुप हो जायेगा ।
नमस्कार दुबे जी।बहुत सही विश्लेषण।सबसे अधिक आवश्यकता कानून में सुधार व शिक्षा व्यवस्था में सुधार की थी,जो दस सालों में हो जानी चाहिए थी।अभी नहीं बदली गईं तो कभी नहीं बदल पाएंगी।भारत में अथाह ज्ञान भरा पड़ा है,जिसका कोई सदुपयोग नहीं हो रहा।भारत जब अपने ज्ञान का उपयोग अपने देश में नहीं करेगा तो विश्वगुरु कैसे बनेगा।चाहे जैसे हो अब भारत में हर स्थान पर भारतीयता परिलक्षित होनी ही चाहिए।जय भारत वन्देमातरम।जय श्री राम।
सत्य मेव जयते शिवसंकल्प शिवशक्ति सनातन संस्कृति की जय💖💖 आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई🎉🎊 जी जय हिंद जय भीम जय भारत वंदे मातरम हर हर🙏🌎🙏 महादेव🙏🙏
अद्भुत विचार विश्लेषण जो सत्य है और आपके वक्तव्य सम्पूर्ण भारतीय को सुना जाना चाहिए जो प्रेरणादायक है इसके लिए आपको सादर आभार धन्यवाद प्रेषित है. आप के विचार अत्यंत महत्वपूर्ण सराहनीय है. जय हो. जय हिंद.
संसद और न्याय व्यवस्था दोनो ही क्या बंदरबांट नहीं लगतीं? संसद जहां से देश चलता है वहां कुछ भी कहो, खासकर झूठ बोलकर। कोई जिम्मेदार नहीं और अदालत में जज कुछ भी कर दे कोई जिम्मेदारी नहीं।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को सर्वोच्च नहीं कह सकते,, क्योंकि पांच पांच विद्वान माननीय जज साहब निर्णय करते हैं और अपने ही निर्णय बदल देते हैं ,,,अब पीड़ित कहां जाये,,,उसका जो समय बर्बाद हुआ उसका निर्णय किस कोर्ट में होगा,,, मंथन
मोदी सरकार की इस पहल की हम सब स्वागतयोग्य है जी🙏🙏 सत्य मेव जयते शिवसंकल्प💐 शिवशक्ति💐 सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु जय हिंद जय भीम जय भारत❤❤हर हर महादेव🙏🙏
दूबे जी सोसायटी बिगड़ी नहीं न्यायालय, न्यायधीशों के गलत फैसलों ने बिगाड़ दी है। प्रशासन मेहनत करे,,, अपराधियों पर लगाम लगाने की कोशिश करे,,,,,तब अपराधियों का हौसला अफजाई के लिए न्यायालय आगे आता है। कानून का भय खत्म कर कमाई बढ़ाने में लगे हैं,,,न्याय बिंदू 😂
अभी भी समय है कि मोदी सरकार की बनाईं हुई भारतीय न्याय संहिता को एनडीए सरकार भारतीय न्याय दर्शन के अनुसार सच्चे अर्थों में परिभाषित करे। कोर्ट फिक्सरों का खेल भी समाप्त होना चाहिए।
अरे साहब जैसे तैसे इस सरकार ने कानून को संशोधन किया है विपक्ष पूरा का पूरा विदेशी लोगों से मिला हुआ है वह भारत माता की जाए तो बोल नहीं रहे राष्ट्रगान गा नहीं रहे संसद में नाटक कर रहे हैं इन सब चीजों के लिए आप भारतीय दर्शन के अनुसार कानून बनाएंगे पूरा विपक्ष ब्लैकमेलकरेगा
पंडित जी, आप के श्रोता वकिल और जज नहीं बल्कि आम आदमी है ं। इस लिए मुद्दे पर आइए, बेकार में समय बर्बाद मत कीजिये । वैसे भी पब्लिक भारतीय न्याय तंत्र (बार+बेंच) को बहुत दिनों तक अब झेल नहीं पाएगा।
अंग्रेजी मानसिकता के अधिकारी शासन में बैठें हैं कैसे वेद , पुराण, उपनिषदों की बात कैसे करेंगे। भारतीय कानूनों की बात इनको कैसे अच्छी लग सकती है जो अंग्रेजों की गुलामी छोड़ने को तैयार नहीं। सरकार को चाहिए कि भारतीय परम्पराओं पर आधारित कानुनों का निर्माण करे।
सर हमारे देश की न्याय व्यवस्था के मुख्य स्तम्भ "न्यायालय" छोटी मछलियों(केजरीवाल, सोरेन) के विरुद्ध निर्णय देकर वाहवाही लुट लेता है,।लेकिन बड़े मगरमच्छ(सोनिया, राहुल) को छुट दिये रखता है🤔क्योंकि ये मगरमच्छ source of income है।जबकि इन मगरमच्छों का अपराध केजरीवाल से छोटा नहीं है।
Bahut hi Saadhuwaad Sr ji..koti koti Naman 😊😊🎉painted a very true picture...of current Scenario...Shreemad Bhagwad Geeta ji ko ..Educational curriculum ka Essential part bana dena chaahiye 😊😊🎉🎉🎉
हम सभी को भारतीय दर्शन को समझना होगा...मुख्य रूप से तीन प्रश्न... 1. मैं कौन हूँ? एक चैतन्य इकाई 2. मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? 3. इस अस्तित्व में मेरी क्या भूमिका है?
I BLAME BJP PLAYING IN THE HANDS OF CONGRESS. WHY THE HELL - BJP IS NOT MAKING AN ISSUE “ MAKE PUBLIC CPC AGREEMENT WITH GANDHI” . I blame BJP for defensive
मोदी सरकार को हर कोर्ट के बाहर न्याय की देवी की जगह न्याय का देवता शनी महाराज की प्रतिमा लगाये जिससे क्राइम करने वाला क्राइम करने से पहले डरेगा और सोचेगा कि मैंने ग़लत नहीं करना है और क्राइम करने से बच जायेगा ।
बदलाव की बहुत जरूरत है न्याय व्यवस्था मजाक बन गयी है.
रोज केजरीवाल या सिसोदिया को सुनने के अलावा कोई काम नही रह गया
😢
🎉Very Good Baat 😅 Dushta girgit bhi special bna hua h 😂😂😂
सर आपकी बात सही है नए कानून भारतीय नहीं है सिर्फ आईपीसी सीआरपीसी के कॉपी पेस्ट है नाम बदलकर जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है इन कानूनों पर न संसद में चर्चा हुई न जनता कानून के जानकारों की राय ली गई हैं बस थोप दिए गए है
आज कल जो विवादित और संदिग्ध फैसले आ रहे हैं उससे न्यायालय पर ऊंगली उठ रही है। सरकार को सबसे पहले न्यायिक सुधार हरहाल में करना होगा।
पर दुष्ट तो सरकार को काम करने नहीं दे रहे हैं हम आप को भी सक्रीय रहने की आवश्यकता है.
Sarkar ko pehale toh khud sudhar Jana chahiye 😂😂😂😂😂
एक मुद्दे पर 10 लोगो का 10 विचार हो सकता है
न्यायिक सुधार न्यायालयाचे मैनेजमेंट बजट आदि कि हालत पर कोई भी पोलिटिकल पार्टी अपने मॅनिफेस्टो मे कुछ भी नही लिखता यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण।
बात ये भी है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा ने पुलिस को फ्री हैंड देने से मना कर दिया है और आज 1 जुलाई से सरकार ने पुलिस को और पावरफुल बना दिया है जिसमें भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा
न्यायव्यवस्था में सुधार होना बहुत जरूरी है।
न्यायिक कानून व्यवस्था आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक धर्मगुरु जो उपनिषद वेद न्यायिक दर्शन के माध्यम से ऐसे कानून का निर्माण कर सके जिससे लोगों के अंतःकरण में कर्तव्य परायणता संवेदना त्याग बलिदान प्रकृति पर्यावरण की सामाजिक विकसित हो सके
शासन-प्रशासन, सुनिश्चित हो तो न्यायालय की क्या आवश्यकता है।
नये कानून में झूठ और फर्जी खबर को भी संगीन अपराध घोषित कर कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए।
शिक्षा व्यवस्था और न्याय संहिता भारतीय वैदिक परम्परा के अनुसार होना चाहिए।
Bhartrahari ke kaal me na koi chor,juari tha unke sasan me kya vyawastha rahi hogi usi prakar ka kanun hona chahiye
जानकारी के लिए बता दूं नए कानूनों में यह व्यवस्था की हुई हैं
जी आपने सही कहा पर मोदी सरकार का इस विषय पर जिस उद्देश्य से किया गया था उसका उद्देश्य नए कानून के आने से भी पूरा नहीं होगा क्योंकि नया कानून बस पुराना सामान नए पैकेट में है
वैदिक परंपरा यानी जाति आधारित न्याय ब्यवस्था यानी मनुस्मृति होनी चाहिए? कहां सो रहे हो
@@RamNewaj-db6uy जाति को छोड़कर बाकी कानून लागू हो सकते हैं।
अधिकांश अधिवक्ता कभी नहीं चाहते कि जनता को शीघ्र न्याय मिले ।
कोर्ट और judges का डर नही है मगर कानून का डर होना चाहिए.गुनाह करने की हिंमत नही होनी चाहिये
सर्वप्रथम तो न्यायाधीशों को भी नैतिकता के दायरे में रहना चाहिए।
मिलावटखोरी की एक ही सजा या तो फांसी या फिर उम्र कैद। यह बात केंद्र सरकार तक पहुंचा दो।
आध्यात्मिक सोच ही एकमात्र हमारे न्याय व्यवस्था को सुधार सकती है
इतनी मूल बात किसी को समझ नही आ रही।
RSS सरकार पर UCC और अल्पसंख्यक को परिभाषित करने के लिए क्यों दबाब नहीं बना रहा?
who is lisning RSS , if you knows then please suggest the name
Fekuji don't care for RSS. He kas started losing and will be out of power very soon, will be replaced by some RSS person.
नये कानूनों से तारीख़ पर तारीख की व्यवस्था खत्म होगी वकीलों की मनमानी पर अंकुश लगेगा विरोध तो हर चीज का होगा😅😅😅😅😊😊😊😊
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के टी थामस ने न्याय करने का आधार भागवत गीता से श्री कृष्ण के उपदेशो को मानकर न्याय करने के सिद्धांत को प्रतिपादित किया है अपने एक निर्णय में, परन्तु आज के न्यायाधीश सिर्फ लकीर के फ़क़ीर हो कर रह गए है, न्याय के सम्बन्ध में गीता के उपदेश आज भी न्याय करने के लिए पूर्ण रूप से प्रासंगिक है, 🙏🏼
कानूनों में कितना ही भी बदलाव कर दिया जाय गरीब इंसान पहले भी पिसता था अब भी पिसेगा और भारतीय कानून सिर्फ और सिर्फ पैसे वालों के लिए ही है और रहेगा ।
वाह आज की चर्चा बहुत ही रोचक है। अब इस बात की चिंता नहीं,
मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक सनातनी होने के नाते,
मुझे इस बात का ज्ञान है
दुनिया क्यूं बनी,
दुनिया किसने बनाई,
दुनिया किसलिए बनी।
कहावत है टकै शेर भाजी टकैशेर खाजा क्योकि सबको सत्तारूढ रहना है हिन्दुत्व और हिन्दुराष्ट् भाँरमैं जाऐ 🙏🚩
मुश्किल है... अब सुधार मुश्किल है, बीजेपी भी अब कांग्रेस बन चुकी है, दस साल पूर्ण बहुमत था तब इन्होने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई तो अब अल्पमत में क्या उखाड लेंगे, मोदी जी को अब दिख रहा है नोबेल शांति पुरस्कार, देश हित कहीं पीछे छूट गया है 🥴
जब तक दलालों का बोलबाला रहेगा,तब तक कोई सुधार नहीं हो सकता है,आज न्याय मिलता नहीं है,खरीदा जा रहा है,,आज सरकारी नौकरी में,ऊपरी कमाई के बिना पेट नहीं भरता है,ये सब बंद होना चाहिए,कौन करेगा???
Bhai ji jaruraton ki purti ho sakti hai ichhaon ki kabhi bhi nahi.
अदालतें आज कोठा बन चुकी है जहां गरीब आदमी न कीमत दे सकता है न न्याय पा सकता है ।
आज सुखी आदमी वो है जिसने कोर्ट या पुलिस स्टेशन में कदम नहीं रखा
इनकी उपरी कमाई छुट्टियाँ और सुविधाएं ही इतनी है कि इनको अहंकारी हो ही जाना है!वैसे भी कम्युनिस्ट और छद्म सोशलिस्ट न्याय व्यवस्था और सिस्टम में सेंधमारी कर चुके हैं 😢
जजेज का कमी है तो केजरी का केश रोज कैसे सुना जाता है बहाना मत बनाइए
अभी भी कमियाँ है तो तुरंत ठीक करना आवश्यक है। जानकार लोगों को सुझाव देना चाहिए ।
भारत में BCI(#अधिवक्ता और उसकी संस्था) #सुधर जाए तो देश की #जनता सुधर जाएगा । 🤔
आप सही कह रहे है
इतना अहंकार हैं कि कहा नहीं जा सकता
सब कुछ सामने सही होने पर अहंकार के कारण मानते नहीं
आपकी सोच बहुत उच्च स्तरीय है।।।। पूरा अध्यात्म है।।।।।। अध्यात्म पर हमको आना ही पड़ेगा।।।
जय श्री राम जय मां भारती हिंदू राष्ट्र प्रथम
शांतिदूत और प्रेमदूतो से कब मुक्ति मिलेगी क्या इनकी घर वापसी नही कराना चाहिए 🙏🙏🙏🙏🙏😞😞😞😞😞😞
सनातन आध्यात्मिक शिक्षा भारतीय शास्त्रों से समाज पढ़कर ही तमाम समस्याएं हल हो जाएगी
न्यायिक/पुलिस/प्रशासनिक सुधार की नितांत आवश्यकता है और ऐसा करने का साहस सिर्फ नरेन्द्र मोदी में ही है।
मिलावटखोरी में धाराओं को हल्का कर दिया है ये बहुत बुरा काम हुआ है नए कानून में। जबकि जमाखोरी और मिलावटखोरी को लोगों के जीवन से खिलवाड़ मानते हुए बहुत कठोर बनाना चाहिए था
सही कहा आपने, एक बार गलत हो जाए तो वह जज तो सुधारेगा नहीं। अपील मे ही जाना पडेगा। अपील मे भी अगर उसका भाई मिल गया तो गए काम से। इसलिए निर्णय लेने से पहले अहंकार अलग रखकर गहन मंथन के बाद निर्णय लेना चाहिए।
जयश्रीरामजी बड़े भाईजी🌹🙏🏻🙏🏻🌹
I trust support actions policies of PM Modi ji government
Thank you 🙏 PM Modi ji government
Thank you Dubey sir ji
चुंकि उस समय ऐसे लोग नहीं थे यहां,१५वीं शताब्दी से एक ऐसा समाज यहां रह गया जिसे इन सब बातों से मतलब ही नहीं था। बड़े कोर्ट-कचहरी भी वैसे ही हो गये।
आप सही है श्री मान जी, कानून में भारतीयता दिखाई ही नहीं देनी चाहिए बल्कि उस पर आधारित होने चाहिए। वन्देमातरम भारत माता कि जय 🙏 जय जय सियाराम जी 🙏
कानून सख्त होने चाहिए समय-समय पर बदलाव जरूरी है। परिवर्तन ही जीवन है
दुबे जी मौके के हालात को देखते हुए जो हुआ अच्छा हुआ। अभी शुरूआत है। इतना भी पच जाए तो अच्छा है। बाकी आने वाले समय पर छोड़िये। कानून का मतलब अपराध को रोकना ही नहीं होता बल्कि अपराध के बारे में सोचने की नौबत ही न आए इसका प्रभाव पैदा करना होना चाहिए।
इसके लिए मानवीय सोच और माहौल सिरजना पड़ेगा। मतलब कि जन्म से मौत तक मानवीयता की सोच पैदा करनी पड़ेगी।
फिर किसी कानून की किताब से डरना नहीं पड़ेगा।
नया परिवर्तन नहीं होगा तो देश के अंदर जो चल रहा है इसको कैसे रोका जा सकता है
सबसे पहले अल्प संख्यकौं के तुष्टिकरण के लिए बनाये गये कानून और समानान्तर पंथ पक्ष के लिए अलग बोर्ड स्वतंत्र व्यवस्था समाप्त करने हौंगे वरना संविधान और कानून तभी तक सम्मान पायेंगे जब तक सनातनी शांति प्रिय लोग इस देश में बहु संख्यक हैं , भीड़ तंत्र न कोई संविधान का सम्मान करता है न कानून का , सीरिया व अफगानिस्तान जैसे देश इसके उदाहरण हैं
दुबेजी निचली अदालतों मे हड़ताल और डेट लेने के रोग का अध्ययन कर मुकदमों के निस्तारण मे देर पर भी एक प्रवचन देने की कृपा करें ।
यह सरकार भी औरों से भिन्न नहीं है। जिस कानून और शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव की उम्मीद थी वह नहीं हुआ।
दुबे जी , आप बहुत ही बुद्धिमान व ज्ञानी हैं ।अतएव सही - सही बात बताइये ।
पूरी दुनिया बेंच हो जाय केवल चार लोगों को छोड़ कर यानि वादी , प्रतिवादी और दोनों के वकील ।
परिणाम ---
निर्णय उलटा - पलटा होता रहेगा ।
अंत में जो कमजोर पड़ेगा वही गलत निर्णय को सही मानकर चुप हो जायेगा ।
आप की बात एकदम सही है
नमस्कार दुबे जी।बहुत सही विश्लेषण।सबसे अधिक आवश्यकता कानून में सुधार व शिक्षा व्यवस्था में सुधार की थी,जो दस सालों में हो जानी चाहिए थी।अभी नहीं बदली गईं तो कभी नहीं बदल पाएंगी।भारत में अथाह ज्ञान भरा पड़ा है,जिसका कोई सदुपयोग नहीं हो रहा।भारत जब अपने ज्ञान का उपयोग अपने देश में नहीं करेगा तो विश्वगुरु कैसे बनेगा।चाहे जैसे हो अब भारत में हर स्थान पर भारतीयता परिलक्षित होनी ही चाहिए।जय भारत वन्देमातरम।जय श्री राम।
सत्य मेव जयते शिवसंकल्प शिवशक्ति सनातन संस्कृति की जय💖💖 आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई🎉🎊 जी जय हिंद जय भीम जय भारत वंदे मातरम हर हर🙏🌎🙏 महादेव🙏🙏
अद्भुत विचार विश्लेषण जो सत्य है और आपके वक्तव्य सम्पूर्ण भारतीय को सुना जाना चाहिए जो प्रेरणादायक है इसके लिए आपको सादर आभार धन्यवाद प्रेषित है.
आप के विचार अत्यंत महत्वपूर्ण सराहनीय है. जय हो. जय हिंद.
You are completely right sir.
One of the best lecture
आप इतने ज्ञान का भंडार है तो क्यों नही सरकार को सलाहकार समीति में अपनी बात पुरजोर तरीके से समझाते हैं
Sarkar ke salshkar ke pad par niyukti kya aap karenge ya ksrvayenge
संसद और न्याय व्यवस्था दोनो ही क्या बंदरबांट नहीं लगतीं? संसद जहां से देश चलता है वहां कुछ भी कहो, खासकर झूठ बोलकर। कोई जिम्मेदार नहीं और अदालत में जज कुछ भी कर दे कोई जिम्मेदारी नहीं।
इनको सिर्फ केजरीवाल ke लिए समय है इसीलिए केस इतने बढ़कर पूरे सिस्टम को जाम कर चुके हैं.
वास्तव में हमलोग अभी भी जागरुक नहीं हो पाए हैं, वरन् ऐसी बातों पर तो लोगों को सड़कों पर आ जाना चाहिए था।
जी हां सभी कानूनों में आमूलचूल परिवर्तन अति आवश्यक है सरकार को करना चाहिए
जय श्री कृष्ण धन्यवाद
बहुत सुंदर बिश्लेसण धन्यावाद सर
भारत की न्याय पालिका ऐसा नही होने देंगी ।
जिस देश में आधी से ज्यादा आबादी ...…......... आप खुद सोच लीजिए कैसी है उस देश की सासन व्यवस्था ऐसी ही होगी
दुबे जी , तीनों को आपने सही पहचाना है ।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को सर्वोच्च नहीं कह सकते,, क्योंकि पांच पांच विद्वान माननीय जज साहब निर्णय करते हैं और अपने ही निर्णय बदल देते हैं ,,,अब पीड़ित कहां जाये,,,उसका जो समय बर्बाद हुआ उसका निर्णय किस कोर्ट में होगा,,, मंथन
Awesome 🙏🙏👍आप की व्याख्या अदभुत आप के ज्ञान को कोटि कोटि नम्मन
D.K DUBEY SIR KO koti koti 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
आप बिल्कुल सही कह रहे हैं, " न्याय का दर्शन (philosophy) " नहीं बदला और वही असल चेंज है।
दूबे जी आप ने जितनी सुंदर वर्णन किया, शायद जज साहब को उचित न्याय व्यवस्था का ज्ञान हो।
जब इतने परिवर्तन का ही विरोध हो रहा है, अगर शास्त्र के अनुसार होता तो लागू ही नहीं करने देते,,,,
मोदी सरकार की इस पहल की हम सब स्वागतयोग्य है जी🙏🙏 सत्य मेव जयते शिवसंकल्प💐 शिवशक्ति💐 सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु जय हिंद जय भीम जय भारत❤❤हर हर महादेव🙏🙏
हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो विश्वमार्यम 🚩 चरैवेति चरैवेति... । जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड 🚩
वन्दे मातरम् दुबे जी 🙏🏻
जय श्री राम 🏹🚩
दूबे जी सोसायटी बिगड़ी नहीं न्यायालय, न्यायधीशों के गलत फैसलों ने बिगाड़ दी है। प्रशासन मेहनत करे,,, अपराधियों पर लगाम लगाने की कोशिश करे,,,,,तब अपराधियों का हौसला अफजाई के लिए न्यायालय आगे आता है। कानून का भय खत्म कर कमाई बढ़ाने में लगे हैं,,,न्याय बिंदू 😂
रीयल एस्टेट ही एक सबसे बड़ा क्राइम का मूल कारण है
हर हर महादेव 🙏🙏💪💪
Jai shree Ram
अभी भी समय है कि मोदी सरकार की बनाईं हुई भारतीय न्याय संहिता को एनडीए सरकार भारतीय न्याय दर्शन के अनुसार सच्चे अर्थों में परिभाषित करे। कोर्ट फिक्सरों का खेल भी समाप्त होना चाहिए।
Sc st act bhi khtm hona chahiye.. aur maar peet ko bhi gambheer apradh me laya jaye.
Hindutva ko aage karo
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ❤🙏🚩🇮🇳🇮🇳🇮🇳
अरे साहब जैसे तैसे इस सरकार ने कानून को संशोधन किया है विपक्ष पूरा का पूरा विदेशी लोगों से मिला हुआ है वह भारत माता की जाए तो बोल नहीं रहे राष्ट्रगान गा नहीं रहे संसद में नाटक कर रहे हैं इन सब चीजों के लिए आप भारतीय दर्शन के अनुसार कानून बनाएंगे पूरा विपक्ष ब्लैकमेलकरेगा
बील पास करने के समय विरोधी कहा थे?
D.K.साहब,हमने पूरी शंकराचार्य निश्चलानंद की बात सुनी है।
पंडित जी, आप के श्रोता वकिल और जज नहीं बल्कि आम आदमी है ं। इस लिए मुद्दे पर आइए, बेकार में समय बर्बाद मत कीजिये । वैसे भी पब्लिक भारतीय न्याय तंत्र (बार+बेंच) को बहुत दिनों तक अब झेल नहीं पाएगा।
आपने बहुत ही गहरी बातें कही हैं
नहीं जी! सबसे अधिक अहंकार चंद्रचूड़ में है!
वाह। आपने बिल्कुल खरी खरी कह दिया ❤❤❤
अंग्रेजी मानसिकता के अधिकारी शासन में बैठें हैं कैसे वेद , पुराण, उपनिषदों की बात कैसे करेंगे। भारतीय कानूनों की बात इनको कैसे अच्छी लग सकती है जो अंग्रेजों की गुलामी छोड़ने को तैयार नहीं। सरकार को चाहिए कि भारतीय परम्पराओं पर आधारित कानुनों का निर्माण करे।
Best analysis of present Indian society.
आपका सत्य कह रहे हैं।
न्याय पालिका सुधरेगी सब सुधरेगा,,जय श्रीराम
कुछेक उदाहरण देकर आप बताते तो अच्छे से समझ में आता कि भारतीय दर्शन के अनुसार तीनों नए कानून कैसे होने चाहिए थे।
Modi ji to aaram se , gracefully keh dete hn ki ham kisano ke liye hmari tapasya me koi kami reh gayi hogi , himmat chahiye
जब सारे बिगड़ चुके हैं तो आटोक्रेसी आ जाती है,यही तो हमारे पड़ोसियों के साथ हुआ है।
न्यायव्यवस्था मे आमूलाग्र परिवर्तन होना आवश्यक है।
ओशो ने स्पष्ट कहा कि न्यायाधीशों को तो ध्यानी होना अतिआवश्यक है।
जो स्वयं ही अपने केंद्र पर नहीं है, निर्लिप्त नहीं है.. वह न्याय कैसे कर सकता है !
सर हमारे देश की न्याय व्यवस्था के मुख्य स्तम्भ "न्यायालय" छोटी मछलियों(केजरीवाल, सोरेन) के विरुद्ध निर्णय देकर वाहवाही लुट लेता है,।लेकिन बड़े मगरमच्छ(सोनिया, राहुल) को छुट दिये रखता है🤔क्योंकि ये मगरमच्छ source of income है।जबकि इन मगरमच्छों का अपराध केजरीवाल से छोटा नहीं है।
कुछ धाराओं में आजीवन कारावास १०या २० साल के साथ साथ प्राकृत जीवन लिखा है और फांसी ये ग़लत है इसका दुरुपयोग सत्ता पक्ष पैसे वाला उठाएगा
Apke sath Ekmat hu.Sampurna Bharatiya hona chahiye
Bahut hi Saadhuwaad Sr ji..koti koti Naman 😊😊🎉painted a very true picture...of current Scenario...Shreemad Bhagwad Geeta ji ko ..Educational curriculum ka Essential part bana dena chaahiye 😊😊🎉🎉🎉
मिलावटखोरों और नकली दवाईयां बनानेपर और नकल रोकने पर सख्त कानून (उम्रकैद+भारी जुर्माना) हो।
हम सभी को भारतीय दर्शन को समझना होगा...मुख्य रूप से तीन प्रश्न...
1. मैं कौन हूँ? एक चैतन्य इकाई
2. मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?
3. इस अस्तित्व में मेरी क्या भूमिका है?
हैदराबादी जोकर ने जो जुर्म संसद के अंदर लोकसभा में किया उसकी पृष्ठभूमि बताइए क्या उसे वह सजा होगी वह बताइए🕉➕✡️🚩🙏🇮🇳🔱
बहुत-बहुत अतिमहत्वपूर्ण अति आवश्यक, अति सुंदर
I BLAME BJP PLAYING IN THE HANDS OF CONGRESS. WHY THE HELL - BJP IS NOT MAKING AN ISSUE “ MAKE PUBLIC CPC AGREEMENT WITH GANDHI” . I blame BJP for defensive
दुबे जी , इन सभी प्रश्नों के उत्तर यदि किसी के पास हैं तो वह केवल और केवल वेद एवम् वेदान्त हैं ।
भगवान, अल्लाह, गौड आदि के उपासक क़ायम में लिप्त व्यक्ति को सशक्त सजा होनी चाहिए।
मोदी सरकार को हर कोर्ट के बाहर न्याय की देवी की जगह न्याय का देवता शनी महाराज की प्रतिमा लगाये जिससे क्राइम करने वाला क्राइम करने से पहले डरेगा और सोचेगा कि मैंने ग़लत नहीं करना है और क्राइम करने से बच जायेगा ।