Jai shri Ram 🙏 हर हर महादेव Jai shri Ram Jai shri Ram 🙏 ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram 🙏 Jai shri Ram 🙏 हर हर महादेव Jai shri Ram 🙏 हर हर महादेव Jai shri Ram 🙏
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राम नाम का जप क्यों? 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ र+आ+म=राम मधुर, मनोहर, मनोरंजक, विलक्षण, चमत्कारी जिसकी महिमा तीन लोक से न्यारी है। रामचरितमानस के बालकांड के वंदना प्रसंग में कहा गया है - नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू। मतलब यह है कि कलियुग में न तो कर्म का भरोसा है, न भक्ति का और न ज्ञान का ही, बल्कि केवल राम नाम ही एक सहारा है। पद्मपुराण में कहा गया है रामेति नाम यच्छोत्रे विश्रम्भादागतं यदि। करोति पापसंदाहं तूलं वहिकणो यवा ॥ -पद्मपुराण पातालखंड 20/80 अर्थात् जिसके कानों में राम यह नाम अकस्मात् भी पड़ जाता है, उसके पापों वह वैसे ही को जला देता है, जैसे अग्नि की चिंगारी रुई को। पद्मपुराण में यह भी लिखा राम रामेति रामेति रामेति च पुनर्जपन् । स चाण्डालोऽपि पूतात्मा जायते नात्र संशयः ॥ कुरुक्षेत्रं तवा काशी गया वे द्वारका तथा। सर्वतीर्य कृतं तेन नामोच्चारणमात्रतः ॥ पद्मपुराण उत्तराखंड 71 20-21 अर्थात् राम, राम, राम, राम-इस प्रकार बार-बार जप करने वाला चाण्डाल हो तो भी वह पवित्रात्मा हो जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है। उसने केवल नाम का उच्चारण करते ही कुरुक्षेत्र, काशी, गया और द्वारका आदि संपूर्ण तीर्थों का सेवन कर लिया। स्कंदपुराण में भगवान् शंकर देवी पार्वती से कहते हैं। रामेति द्वयक्षरजपः सर्वपापापनोदकः। गच्छन्तिष्ठन् शयनो वा मनुजो रामकीर्तनात् ॥ इड निर्वर्तितो याति चान्ते हरिगणो भवेत् । -स्कंदपुराण/नागरखंड अर्थात् 'राम-यह दो अक्षरों का मंत्र जपे जाने पर समस्त पापों का नाश करता है। चलते, बैठते, सोते (जब कभी भी) जो मनुष्य राम-नाम का कीर्तन करता है, वह यहां कृतकार्य होकर जाता है और अंत में भगवान् हरि का पार्षद बनता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जो शक्ति भगवान् की है, उससे भी अधिक शक्ति भगवान् के नाम की है। नाम जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहराई तक उतरती हैं। इससे मन और प्राण पवित्र हो जाते हैं, शक्ति-सामर्थ्य प्रकट होने लगती है, बुद्धि का विकास होने लगता है, सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, मनोवांछित फल मिलता है, सारे कष्ट दूर होते हैं, संकट मिट जाते हैं, मुक्ति मिलती है, भगवत्प्राप्ति होती है, भय दूर होते हैं, लेकिन जरूरत है, तो बस सच्चे हृदय और पवित्र मन से भगवान नाम लेने की। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
राम जय श्री राम जय श्री राम राम-राम जय माता की राम राम जय माता की राम-राम जय माता राम राम जय माता की राम राम जय माता की जय श्री राम जय श्री राम राम राम जय माता की राम राम राम राम
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हमारा धर्म पहले संपूर्ण धरती पर व्याप्त था। पहले धरती के सात द्वीप थे- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। इसमें से जम्बूद्वीप सभी के बीचोबीच स्थित है। राजा प्रियव्रत संपूर्ण धरती के और राजा अग्नीन्ध्र सिर्फ जम्बूद्वीप के राजा थे। जम्बूद्वीप में नौ खंड हैं- इलावृत, भद्राश्व, किंपुरुष, भारत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरु और हिरण्यमय। इसमें से भारतखंड को भारत वर्ष कहा जाता था। भारतवर्ष के 9 खंड हैं- इसमें इन्द्रद्वीप, कसेरु, ताम्रपर्ण, गभस्तिमान, नागद्वीप, सौम्य, गन्धर्व और वारुण तथा यह समुद्र से घिरा हुआ द्वीप उनमें नौवां है। भारतवर्ष के इतिहास को ही हिन्दू धर्म का इतिहास नहीं समझना चाहिए। ईस्वी सदी की शुरुआत में जब अखंड भारत से अलग दुनिया के अन्य हिस्सों में लोग पढ़ना-लिखना और सभ्य होना सीख रहे थे, तो दूसरी ओर भारत में विक्रमादित्य, पाणीनी, चाणक्य जैसे विद्वान व्याकरण और अर्थशास्त्र की नई इमारत खड़ी कर रहे थे। इसके बाद आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे विद्वान अंतरिक्ष की खाक छान रहे थे। वसुबंधु, धर्मपाल, सुविष्णु, असंग, धर्मकीर्ति, शांतारक्षिता, नागार्जुन, आर्यदेव, पद्मसंभव जैसे लोग उन विश्वविद्यालय में पढ़ते थे जो सिर्फ भारत में ही थे। तक्षशिला, विक्रमशिला, नालंदा आदि अनेक विश्व विद्यालयों में देश विदेश के लोग पढ़ने आते थे। तो यदि आप हिन्दू हैं तो गर्व कीजिए कि आप एक महान विरासत का हिस्सा हैं, अपने धर्मग्रंथो का अध्ययन कीजिये और उनके ज्ञान से स्वयं को उन्नत और श्रेष्ठ बनाइयेI और यदि आप हिन्दू नहीं भी हैं तब भी हर मनुष्य को स्वयं को अच्छाई की और ले जाने का जन्मजात हक हैI आइये और हिंदुत्व की महान विरासत से, अद्भुत ज्ञान से अपने जीवन का निर्माण कीजियेI जय श्री राम
महादेव के भक्त 🔸🔸🔹🔸🔸 जगत−जननी पार्वती ने एक भूखे भक्त को श्मशान में चिता के अंगारों पर रोटी सेंकते देखा तो उनका कलेजा मुँह को आ गया। वह दौड़ी−दौड़ी ओघड़दानी शंकर के पास गयीं और कहने लगीं−”भगवन्! मुझे ऐसा लगता है कि आपका कठोर हृदय अपने अनन्य भक्तों की दुर्दशा देखकर भी नहीं पसीजता। कम−से−कम उनके लिए भोजन की उचित व्यवस्था तो कर ही देनी चाहिए। देखते नहीं वह बेचारा भर्तृहरि अपनी कई दिन की भूख मृतक को पिण्ड के दिये गये आटे की रोटियाँ बनाकर शान्त कर रहा है।” महादेव ने हँसते हुए कहा- “शुभे! ऐसे भक्तों के लिए मेरा द्वार सदैव खुला रहता है। पर वह आना ही कहाँ चाहते हैं यदि कोई वस्तु दी भी जाये तो उसे स्वीकार नहीं करते। कष्ट उठाते रहते हैं फिर ऐसी स्थिति में तुम्हीं बताओ मैं क्या करूं?” माँ भवानी अचरज से बोलीं- “तो क्या आपके भक्तों को उद्रपूर्ति के लिए भोजन को आवश्यकता भी अनुभव नहीं होती?” श्री शिव जी ने कहा- “परीक्षा लेने की तो तुम्हारी पुरानी आदत है यदि विश्वास न हो तो तुम स्वयं ही जाकर क्यों न पूछ लो। परन्तु परीक्षा में सावधानी रखने की आवश्यकता है।” भगवान शंकर के आदेश को देर थी कि माँ पार्वती भिखारिन का छद्मवेश बनाकर भर्तृहरि के पास पहुँचीं और बोली- ”बेटा! मैं पिछले कई दिन से भूखी हूँ। क्या मुझे भी कुछ खाने को देगा?” “अवश्य" भर्तृहरि ने केवल चार रोटियाँ सेंकी थीं उनमें से दो बुढ़िया माता के हाथ पर रख दीं। शेष दो रोटियों को खाने के लिए आसन लगा कर उपक्रम करने लगे। भिखारिन ने दीन भाव से निवेदन किया- "बेटा! इन दो रोटियों से कैसे काम चलेगा? मैं अपने परिवार में अकेली नहीं हूँ एक बुड्ढा पति भी है उसे भी कई दिन से खाने को नहीं मिला है।” भर्तृहरि ने वे दोनों रोटियाँ भी भिखारिन के हाथ पर रख दीं। उन्हें बड़ा सन्तोष था कि इस भोजन से मुझसे से भी अधिक भूखे प्राणियों का निर्वाह हो सकेगा। उन्होंने कमण्डल उठाकर पानी पिया। सन्तोष की साँस ली और वहाँ से उठकर जाने लगे। तभी आवाज सुनाई दी- "वत्स! तुम कहाँ जा रहे हो?" भर्तृहरि ने पीछे मुड़ कर देखा। माता पार्वती दर्शन देने के लिए पधारी हैं। माता बोलीं- "मैं तुम्हारी साधना से बहुत प्रसन्न हूँ। तुम्हें जो वरदान माँगना हो माँगो।" प्रणाम करते हुए भर्तृहरि ने कहा- "अभी तो अपनी और अपने पति की क्षुधा शाँत करने हेतु मुझसे रोटियाँ माँगकर ले गई थीं। जो स्वयं दूसरों के सम्मुख हाथ फैला कर अपना पेट भरता है वह क्या दे सकेगा। ऐसे भिखारी से मैं क्या माँगू।" पार्वती जी ने अपना असली स्वरूप दिखाया और कहा- "मैं सर्वशक्ति मान हूँ। तुम्हारी परदुःख कातरता से बहुत प्रसन्न हूँ जो चाहो सो वर माँगो।" भर्तृहरि ने श्रद्धा पूर्वक जगदम्बा के चरणों में शिर झुकाया और कहा- "यदि आप प्रसन्न हैं तो यह वर दें कि जो कुछ मुझे मिले उसे दीन−दुखियों के लिए लगाता रहे और अभावग्रस्त स्थिति में बिना मन को विचलित किये शान्त पूर्वक रह सकूँ।" पार्वती जी 'एवमस्तु' कहकर भगवान् शिव के पास लौट गई। त्रिकालदर्शी शम्भु यह सब देख रहे थे उन्होंने मुसकराते हुए कहा- "भद्रे, मेरे भक्त इसलिए दरिद्र नहीं रहते कि उन्हें कुछ मिलता नहीं है। परंतु भक्ति के साथ जुड़ी उदारता उनसे अधिकाधिक दान कराती रहती हैं और वे खाली हाथ रहकर भी विपुल सम्पत्तिवानों से अधिक सन्तुष्ट बने रहते है।" हर-हर महादेव..!! 🔸🔸🔹🔸🔸
In this video in 1 minute approx 280 time ram name 280 X 62 minutes = 17360 . So I think here not 20,000 times ram name . So pls verify 🙏. May be I'm wrong.
आप शायद एक गुजराती परिवार से हो इसलिए ऐसा कह रहे हो। मैने अक्सर यह महसूस किया है कि गुजराती लोगो का गणित बहुत अच्छा होता है और साथ में अगर वह इंजीनियरिंग प्रोफेशन से हो तब तो कहना ही क्या। आप एक पवित्र आत्मा हैं और आपके लिए 17360 नाम जाप भी बहुत मायने रखता है। राम राम जपते रहिए.. आपका कल्याण हो..
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
ये जप अच्छा है,,मन को शांति प्रदान करताहै,,, इसमें वाद्यों का शोर नहीं,,सीधा दिल को छू लेने वाला,राम नाम का जप है,,,बहुत सुंदर ❤
Naam hi madhur hai , log music lagake karab karte hai
राम नाम की लूट है लुटा सके तो लुटा अंत काल पछताएगा जब प्राण जाएंगे छूट राम राम रटते रहो जब तक घट मे प्राण कभी तो दीन दयाल के झनक पडेंगे कान
Jai shri Ram 🙏 हर हर महादेव Jai shri Ram Jai shri Ram 🙏 ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram ram Ram 🙏 Jai shri Ram 🙏 हर हर महादेव Jai shri Ram 🙏 हर हर महादेव Jai shri Ram 🙏
राम जी राम ।
बहुत ही अच्छा Video है ।
मैं इसे रोज सुबह उठकर घर मैं बजाऊँगी ||
बोहोत सारा धन्यवाद ||
Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
राम राम राम राम राम राम सुप्रभात प्रणाम भाई साहब ।
अद्भुद जय श्री राम 🙏❤️
❤वाह, सुंदर जाप, जय श्रीराम
🌻🙏Sree Seetha Rama Chandra Murthy ki Jayamu Jayamu. 🔱🙏🪔🍊🙏🐚🙏🥥🥥🙏🥭🐿🙏🌾🐦🙏🌿🦌🙏🍒🐇🍇🦚🙏🍑🦢🙏🌾🙏🦋🍂🙏🍑🐇🙏🫒🦜🙏🌷🙏🌼❄🏵🙏🌴🦣🙏🌸🍁🙏🥀🙏☘⚘🙏🙏🌻.
Dhanyavadamulu Guruvugariki. 🌹🙏🙏🙏🙏🙏🌹.
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम।
Jai shri shyam jai shri krishna🍎🍎🍎
राम नाम का जप क्यों?
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र+आ+म=राम मधुर, मनोहर, मनोरंजक, विलक्षण, चमत्कारी जिसकी महिमा तीन लोक से न्यारी है। रामचरितमानस के बालकांड के वंदना प्रसंग में कहा गया है - नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू। मतलब यह है कि कलियुग में न तो कर्म का भरोसा है, न भक्ति का और न ज्ञान का ही, बल्कि केवल राम नाम ही एक सहारा है।
पद्मपुराण में कहा गया है
रामेति नाम यच्छोत्रे विश्रम्भादागतं यदि। करोति पापसंदाहं तूलं वहिकणो यवा ॥
-पद्मपुराण पातालखंड 20/80
अर्थात् जिसके कानों में राम यह नाम अकस्मात् भी पड़ जाता है, उसके पापों वह वैसे ही को जला देता है, जैसे अग्नि की चिंगारी रुई को।
पद्मपुराण में यह भी लिखा
राम रामेति रामेति रामेति च पुनर्जपन् ।
स चाण्डालोऽपि पूतात्मा जायते नात्र संशयः ॥
कुरुक्षेत्रं तवा काशी गया वे द्वारका तथा।
सर्वतीर्य कृतं तेन नामोच्चारणमात्रतः ॥
पद्मपुराण उत्तराखंड 71 20-21
अर्थात् राम, राम, राम, राम-इस प्रकार बार-बार जप करने वाला चाण्डाल हो तो भी वह पवित्रात्मा हो जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है। उसने केवल नाम का उच्चारण करते ही कुरुक्षेत्र, काशी, गया और द्वारका आदि संपूर्ण तीर्थों का सेवन कर लिया।
स्कंदपुराण में भगवान् शंकर देवी पार्वती से कहते हैं।
रामेति द्वयक्षरजपः सर्वपापापनोदकः। गच्छन्तिष्ठन् शयनो वा मनुजो रामकीर्तनात् ॥
इड निर्वर्तितो याति चान्ते हरिगणो भवेत् ।
-स्कंदपुराण/नागरखंड
अर्थात् 'राम-यह दो अक्षरों का मंत्र जपे जाने पर समस्त पापों का नाश करता है। चलते, बैठते, सोते (जब कभी भी) जो मनुष्य राम-नाम का कीर्तन करता है, वह यहां कृतकार्य होकर जाता है और अंत में भगवान् हरि का पार्षद बनता है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि जो शक्ति भगवान् की है, उससे भी अधिक शक्ति भगवान् के नाम की है। नाम जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहराई तक उतरती हैं। इससे मन और प्राण पवित्र हो जाते हैं, शक्ति-सामर्थ्य प्रकट होने लगती है, बुद्धि का विकास होने लगता है, सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, मनोवांछित फल मिलता है, सारे कष्ट दूर होते हैं, संकट मिट जाते हैं, मुक्ति मिलती है, भगवत्प्राप्ति होती है, भय दूर होते हैं, लेकिन जरूरत है, तो बस सच्चे हृदय और पवित्र मन से भगवान नाम लेने की।
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Ji Shri Ram
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Jay shree ram jai hanuman ji ki thanks
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Shree Ram jai Ram Jai jai Ram ...
बहुत सुंदर है जप
राम नाम् मन को शांति प्रदान करता है जय श्री राम ❤❤❤❤❤❤❤
Jivansafal
Jivan satal banjayega gurudev.
Jai Shri ram
JAI JAI SHRII SITARAM HANUMAN OM RAM RAM RAM RAM RAM JAI BALAJII 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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Vah
Jai Shree SitaRam Ji 🙏🙏🙏
Saba lakh ram jap video aur ham logo ke liye taiyar kijite Jo fast ho
Jai jai shri Ram Prabhu
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श्री राम जय राम जय जय राम🙏🙏🙏🙏🙏
Dhanywad Jai shree Ram 🙏🙏
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जय श्री हनुमान जी
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Om jay shree ram jay hunaman
हमारा धर्म पहले संपूर्ण धरती पर व्याप्त था।
पहले धरती के सात द्वीप थे- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। इसमें से जम्बूद्वीप सभी के बीचोबीच स्थित है। राजा प्रियव्रत संपूर्ण धरती के और राजा अग्नीन्ध्र सिर्फ जम्बूद्वीप के राजा थे।
जम्बूद्वीप में नौ खंड हैं- इलावृत, भद्राश्व, किंपुरुष, भारत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरु और हिरण्यमय। इसमें से भारतखंड को भारत वर्ष कहा जाता था। भारतवर्ष के 9 खंड हैं- इसमें इन्द्रद्वीप, कसेरु, ताम्रपर्ण, गभस्तिमान, नागद्वीप, सौम्य, गन्धर्व और वारुण तथा यह समुद्र से घिरा हुआ द्वीप उनमें नौवां है। भारतवर्ष के इतिहास को ही हिन्दू धर्म का इतिहास नहीं समझना चाहिए।
ईस्वी सदी की शुरुआत में जब अखंड भारत से अलग दुनिया के अन्य हिस्सों में लोग पढ़ना-लिखना और सभ्य होना सीख रहे थे, तो दूसरी ओर भारत में विक्रमादित्य, पाणीनी, चाणक्य जैसे विद्वान व्याकरण और अर्थशास्त्र की नई इमारत खड़ी कर रहे थे। इसके बाद आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे विद्वान अंतरिक्ष की खाक छान रहे थे। वसुबंधु, धर्मपाल, सुविष्णु, असंग, धर्मकीर्ति, शांतारक्षिता, नागार्जुन, आर्यदेव, पद्मसंभव जैसे लोग उन विश्वविद्यालय में पढ़ते थे जो सिर्फ भारत में ही थे। तक्षशिला, विक्रमशिला, नालंदा आदि अनेक विश्व विद्यालयों में देश विदेश के लोग पढ़ने आते थे।
तो यदि आप हिन्दू हैं तो गर्व कीजिए कि आप एक महान विरासत का हिस्सा हैं, अपने धर्मग्रंथो का अध्ययन कीजिये और उनके ज्ञान से स्वयं को उन्नत और श्रेष्ठ बनाइयेI और यदि आप हिन्दू नहीं भी हैं तब भी हर मनुष्य को स्वयं को अच्छाई की और ले जाने का जन्मजात हक हैI आइये और हिंदुत्व की महान विरासत से, अद्भुत ज्ञान से अपने जीवन का निर्माण कीजियेI
जय श्री राम
अच्छी जानकारी दी आपने,,,❤
राम राम धन्यवाद
Jai. ❤❤❤. Shree. ❤❤❤. Ram. ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Jai sri ram 🙏
Ram ram ram ram ram....
Ram Ram
Jai Shree ram ♥️ JAI BAJRANGBALI
Ram ram
राम राम राम राम राम राम राम राम रामराम
🚩🙏जय श्री राम🙏🚩
Jay shree ram 🙏🙏🙏
बहुत सुंदर,राम नाम का जाप❤
Dhanya ho ap
Ram ram ji
Jay Siyaram Jay Sri Ram, 🪔🌹👏
Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram 3
Guru kripa
राम राम जी
Jay Shri Ram Jay Shri Hanuman Ji
Jay Shree ram jay Shree ram jay Shree ram jay Shree ram
Jay Ho
।।श्री राम जय राम जय जय राम।।
🚩🚩🙏🙏
JaisiyaRam
জয় শ্রী রাম
रामराम रामराम रामराम राम20000
महादेव के भक्त
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जगत−जननी पार्वती ने एक भूखे भक्त को श्मशान में चिता के अंगारों पर रोटी सेंकते देखा तो उनका कलेजा मुँह को आ गया।
वह दौड़ी−दौड़ी ओघड़दानी शंकर के पास गयीं और कहने लगीं−”भगवन्! मुझे ऐसा लगता है कि आपका कठोर हृदय अपने अनन्य भक्तों की दुर्दशा देखकर भी नहीं पसीजता। कम−से−कम उनके लिए भोजन की उचित व्यवस्था तो कर ही देनी चाहिए। देखते नहीं वह बेचारा भर्तृहरि अपनी कई दिन की भूख मृतक को पिण्ड के दिये गये आटे की रोटियाँ बनाकर शान्त कर रहा है।”
महादेव ने हँसते हुए कहा- “शुभे! ऐसे भक्तों के लिए मेरा द्वार सदैव खुला रहता है। पर वह आना ही कहाँ चाहते हैं यदि कोई वस्तु दी भी जाये तो उसे स्वीकार नहीं करते। कष्ट उठाते रहते हैं फिर ऐसी स्थिति में तुम्हीं बताओ मैं क्या करूं?”
माँ भवानी अचरज से बोलीं- “तो क्या आपके भक्तों को उद्रपूर्ति के लिए भोजन को आवश्यकता भी अनुभव नहीं होती?”
श्री शिव जी ने कहा- “परीक्षा लेने की तो तुम्हारी पुरानी आदत है यदि विश्वास न हो तो तुम स्वयं ही जाकर क्यों न पूछ लो। परन्तु परीक्षा में सावधानी रखने की आवश्यकता है।”
भगवान शंकर के आदेश को देर थी कि माँ पार्वती भिखारिन का छद्मवेश बनाकर भर्तृहरि के पास पहुँचीं और बोली- ”बेटा! मैं पिछले कई दिन से भूखी हूँ। क्या मुझे भी कुछ खाने को देगा?”
“अवश्य" भर्तृहरि ने केवल चार रोटियाँ सेंकी थीं उनमें से दो बुढ़िया माता के हाथ पर रख दीं। शेष दो रोटियों को खाने के लिए आसन लगा कर उपक्रम करने लगे।
भिखारिन ने दीन भाव से निवेदन किया- "बेटा! इन दो रोटियों से कैसे काम चलेगा? मैं अपने परिवार में अकेली नहीं हूँ एक बुड्ढा पति भी है उसे भी कई दिन से खाने को नहीं मिला है।”
भर्तृहरि ने वे दोनों रोटियाँ भी भिखारिन के हाथ पर रख दीं। उन्हें बड़ा सन्तोष था कि इस भोजन से मुझसे से भी अधिक भूखे प्राणियों का निर्वाह हो सकेगा। उन्होंने कमण्डल उठाकर पानी पिया। सन्तोष की साँस ली और वहाँ से उठकर जाने लगे।
तभी आवाज सुनाई दी- "वत्स! तुम कहाँ जा रहे हो?"
भर्तृहरि ने पीछे मुड़ कर देखा। माता पार्वती दर्शन देने के लिए पधारी हैं।
माता बोलीं- "मैं तुम्हारी साधना से बहुत प्रसन्न हूँ। तुम्हें जो वरदान माँगना हो माँगो।"
प्रणाम करते हुए भर्तृहरि ने कहा- "अभी तो अपनी और अपने पति की क्षुधा शाँत करने हेतु मुझसे रोटियाँ माँगकर ले गई थीं। जो स्वयं दूसरों के सम्मुख हाथ फैला कर अपना पेट भरता है वह क्या दे सकेगा। ऐसे भिखारी से मैं क्या माँगू।"
पार्वती जी ने अपना असली स्वरूप दिखाया और कहा- "मैं सर्वशक्ति मान हूँ। तुम्हारी परदुःख कातरता से बहुत प्रसन्न हूँ जो चाहो सो वर माँगो।"
भर्तृहरि ने श्रद्धा पूर्वक जगदम्बा के चरणों में शिर झुकाया और कहा- "यदि आप प्रसन्न हैं तो यह वर दें कि जो कुछ मुझे मिले उसे दीन−दुखियों के लिए लगाता रहे और अभावग्रस्त स्थिति में बिना मन को विचलित किये शान्त पूर्वक रह सकूँ।"
पार्वती जी 'एवमस्तु' कहकर भगवान् शिव के पास लौट गई।
त्रिकालदर्शी शम्भु यह सब देख रहे थे उन्होंने मुसकराते हुए कहा- "भद्रे, मेरे भक्त इसलिए दरिद्र नहीं रहते कि उन्हें कुछ मिलता नहीं है। परंतु भक्ति के साथ जुड़ी उदारता उनसे अधिकाधिक दान कराती रहती हैं और वे खाली हाथ रहकर भी विपुल सम्पत्तिवानों से अधिक सन्तुष्ट बने रहते है।"
हर-हर महादेव..!!
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jai SRIRAM
Prabhu ni tamara par krupa
Ram.ram.ram.ram.ram.ram
Jai Shri Ram 🙇♀️🙇♀️
SHRI RAM🙏
Thanks ji
🙏🙏
Shita ram
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Sooo Devine voice 🙏
Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram
Mazdooron ka pesa badha digiye Ram ji please 🙏🥲
Itni mehngai me survive krna bahut mushkil hai
राम 214, 214 214. 214 राम.
Om sai ram
साईं फकीर है, राम नहीं,,,भ्रमित मतहो,यदि हिंदू होतो,,
Jay Sitaram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Tu antaryami sab ka swami
Tere charno me charo dham
देखें नही केवल सुने वह भी आँखें वंद करके
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏
Ram ji ka eeeee ka nam ee to Google meet e jay mahakal siya Ram ji ko ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram the the yy
|| राम ||
Beautiful
We w
Ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram
👌👌👌👌👌👌🥭🥭🥭🙏🙏🙏
Counting kaise karte hai aap mala se ya kaise
Ye mala pe kaise krein?
1,00,000ka bhi Ram Ram jap hay kaya
Bhai itna jaldi mein kyuo ho
Kyoki jindagi na milegi dobara mere bhai....samay bita ja raha hai....namjap ki loot loot lo.....bar bar manushya janm NAHI milata.....Ram Ram Ram
Vishnu ke hajar nam ke brabar ek ram ka nam hota hai
P
In this video in 1 minute approx 280 time ram name 280 X 62 minutes = 17360 .
So I think here not 20,000 times ram name .
So pls verify 🙏. May be I'm wrong.
आप शायद एक गुजराती परिवार से हो इसलिए ऐसा कह रहे हो। मैने अक्सर यह महसूस किया है कि गुजराती लोगो का गणित बहुत अच्छा होता है और साथ में अगर वह इंजीनियरिंग प्रोफेशन से हो तब तो कहना ही क्या। आप एक पवित्र आत्मा हैं और आपके लिए 17360 नाम जाप भी बहुत मायने रखता है। राम राम जपते रहिए.. आपका कल्याण हो..
Safal banajayega given gurudev.
आपने लिखा है, इसमें,,,20,000जाप तो नहीं हो सकते,इस स्पीड में,,,7000जाप से अधिक नहीं होते है
Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram
Jai Shree ram ♥️ JAI BAJRANGBALI
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
जय श्रीराम,,,,जय बालाजी सरकार,,❤