Matlab kuch bhi hum allah ke wali pe kon tankid kar rha ye jo allah ke wali ke mazar pe ho rha hai na uspe etraz hai iss baat ka yaqeen jaano barelwi firqa ki awam jo hai na use quran se aur hadees se koi matlab nahi hota bas unko mza chahiye kufriya riwaz ka @@JafriSahab-zf3os
नहीं, सिर्फ अल्लाह ही बेड़ा पार लगाता है और सिर्फ उसी को मदद के लिए पुकारा जाता है। अल्लाह के रसूल saw ने कभी किसी मजार के वसीले से दुआ नहीं मांगी या किसी सहाबी या उनके बाद के लोगों ने किसी भी मजार के वसीले से दुआ नहीं की। ये सुन्नत के खिलाफ़ तरीका है दुआ करने का। और सबसे बड़ी बात रसूललाह ने किसी भी मजार को पक्का करना और उसपे इमारत बनाना सख़्त माना फरमाया है। कुरान और हदीस तो खुद पढ़ते नहीं बस इन्ही सब हरकतों से आज मुसलमान की हालत खराब है। नहीं देखा कोई वाली अपनी दरगाह तक नहीं बचा पाए।
हमारे मआशरे में एक शिर्क देखने को मिलती है जो एक खास तबके के अंदर कुछ ज़्यादा ही है और वो है ... मज़ार पे कसरत के साथ जाना, वहां रौशनी करना, वहां सजदे करना और फिर मजार वालों से मन्नतें मांगना, उनसे अपने हाजतें बयान करना और उनके सामने झोली फैला कर माँगना जैसा के वो ही अल्लाह हों, फिर ,मन्नत पूरी हो जाने की सूरत में उनकी क़ब्र पे चादर चढ़ाना, वहाँ उन मज़ार वालों की तारीफ़ में कौवालियां पढ़ना वगैरह वैगरह.. ये कहाँ तक सही है और क़ुरआन और हदीस में इसका क्या हुक्म है ? जब आप उन लोगों से सवाल करें के क्यों आप क़ब्र वालों से, मजार वालों से मांगते हो तो ये कहते हैं के हम उनसे नहीं मांगते,हम तो उनको वसीला बनाते हैं के वो (क़ब्र वाले ) अल्लाह के नज़दीकी हैं इसलिए वो हमारी बात उन तक पहुंचाएंगे तो अल्लाह हमारी दुआ कुबूल करेगा. मगर अल्लाह फरमाता है : देखो, इबादत खालिस अल्लाह ही के लिए हैं और जिन लोगों ने उसके सिवा औलिया बनाए हैं वो कहते हैं के हम इनको इसलिए पूजते हैं की ये हमको अल्लाह के नज़दीकी मर्तबा तक हमारी सिफारिश कर दें, तो जिन बातों में ये इख़्तेलाफ़ करते हैं अल्लाह उनमे इनका फैसला कर देगा, बेशक अल्लाह झूटे और नाशुक्रे लोगों को हिदायत नहीं देता. (सुरह जुमर, आयत नंबर 3) गौर करने की बात है की हमारी दुआओं को अल्लाह के सिवा कोई क़ुबूल करने वाला नहीं, बस अल्लाह ही हमारा माबूद है, फिर कुछ नाशुक्रे लोग अल्लाह को भूल कर उनके बनाए हुए इंसानो से फ़रियाद करते हैं और उनसे भी जो के क़ब्र के अंदर है अपनी हाजत बयान करते हैं जबकि अल्लाह फरमाता है: भला कौन बेक़रार की इल्तिजा क़ुबूल करता है, और कौन उसकी तकलीफ को दूर करता है,और कौन तुमको ज़मीन में जानशीन बनाता है, (ये सब कुछ अल्लाह करता है) तो क्या अल्लाह के सिवा कोई और भी माबूद है (हरगिज़ नहीं ) मगर तुम बहुत कम गौर करते हो. (सुरह अल-नमल , आयत नंबर 62) अल्लाह के सिवा कोई हमे नफा या नुक्सान पहुंचने वाला नहीं है, फिर क़बर वाले हमे क्या नफा पंहुचा सकते हैं, फिर कुछ नासमझ लोग क़ब्र वालों से ही उम्म्दी लगाए बैठे हैं और उन्ही से माँगना जायज़ समझते हैं जो की सरासर शिर्क है. अल्लाह फरमाता है: और ये के (ऐे मुहम्मद सब से) यकसू हो दीन-ए-इस्लाम की पैरवी किये जाओ, और मुशरिकों में से हरगिज़ न होना,और अल्लाह को छोड़ कर किसी ऐसी चीज़ को न पुकारना जो न तुम्हारा कुछ भला कर सके,और न कुछ बिगाड़ सके. अगर ऐसा करोगे तो ज़ालिमों में हो जाओगे. (सुरह युनूस, आयत 105-106) मरने के बाद सबका मामला अल्लाह के सुपुर्द होता है, वो हमे नहीं सुन सकते. उन तक जब हमारी आवाज़ ही नहीं पहुंच सकती तो फिर वो हमारी दुआओं के सिफारिशी कैसे बन जायेंगे. क़ुरआन में अल्लाह का फरमान है : और ये जिन्दे और मुर्दे बराबर नहीं हो सकते, अल्लाह जिसको चाहता है सुना देता है.और तुम इनको जो अपनी क़ब्रों में दफन हुए हैं इनको नहीं सुना सकते. (सुरह फातिर, आयत 22 ) ये क़ब्र वाले न तो हमे सुन सकते हैं और ही जवाब दे सकते हैं . गौर कीजिये क़ुरआन की इस आयत पे जिसमे अल्लाह फरमाता है: और उस शख्स से बढ़ कर कौन गुमराह हो सकता है जो ऐसे को पुकारे जो क़यामत तक उसे जवाब न दे, और उनको इनके पुकारने की ही खबर न हो. (सुरह अहकाफ, आयत नंबर 5) जो क़ब्रों में हैं, बेशक वो औलिया हों, पीर हों या पैगम्बर हों, ये भी हमारी तरह के ही मखलूक हैं जिन्हे अल्लाह ने पैदा किया. इन लोगों ने अपनी तरफ से किसी चीज़ की तख़लीक़ नहीं की फिर भी कुछ जाहिल लोग उनसे मदद की गुहार लगाते हैं . गौर कीजिये क़ुरआन की इस आयत पे जिसमे अल्लाह फरमाता है: और जिन लोगों को ये अल्लाह के सिवा पुकारते हैं वो कोई चीज़ भी तो पैदा नहीं कर सकते बल्कि खुद वो पैदा किये गए , बेजान लाशें हैं. इनको ये भी नहीं मालूम के ये कब उठाये जायेंगे. (सुरह नहल आयत नंबर 20-21) क़ब्रों पे मुजावर बन कर बैठने वाले वो लोग, जो क़ब्रों की पूजा करते हैं, क़ब्र वाले की इबादत करते हैं और ये समझते हैं की ये उनकी हाजते पूरी करेंगे, तो ये सच में अँधेरे में हैं और ये बदतरीन लोग हैं. और जिन लोगों ने क़ब्रों को सजदहगाह बन लिया है और उनपे माथा टेकते हैं और उनसे अक़ीदत रखते हैं ऐसे लोगों पे अल्लाह की फटकार है जैसा की अल्लाह के रसूल ﷺ की हदीस है के हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि० से रिवायत है के जब आप सल० अलैहि० मर्ज़-ए-वफ़ात में मुब्तिला हुए तो आप अपनी चादर को बार बार अपने चेहरे पे डालते और कुछ अफाका होता तो चादर अपने चेहरे से हटा लेते. आप सल० अलैहि० ने उस इज़्तिराब-ओ-परेशानी की हालत में फ़रमाया : "यहूद-ओ-नसारा पे अल्लाह की फटकार जिन्होंने अपने नबियों की क़बर को सजदहगाह बन लिया" आप सल० अलैहि० ये फरमा कर उम्मत को ऐसे कामों से डराते थे. (सही बुखारी, हदीस नंबर 435-436)
ALLAH hm sabko shirk se bachye or Hazrat Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam ki deen or ALLAH k hukum pe zindagi guzarne ki taufiq aata farmaye SUMMAH AAMEEN ❤️
@@WeLoveIslam Huzoor Garib Nawaz RA Ne Huzoor Zinda Shah Madar RA se mulaqat ki aur Faiz hasil kiya, Ye kis qitab main likha hai, Meherbani kar k hawala dijiye Sanad k sath. Jazak Allah.
@@nkapnablog589 Bhai Bhai Aap Jazbath me Aagaye Hu...SORRY 🙏 Aap Bhi Tu Zara Suchu Ek Insan 565 sal Tak Bina Khaye Piye Kaise Zinda Rehsakta Hai kiya Aapku Aise Kahaniyan illogical Mangharat Nahi Lagti...???
@@lightyears1045 aysi bate to kafir bhi nahi karta jesi ap kar rahe ho janab or ap jo keh rahe ho uska jawab ye he ki ALLAH ki marzi ho to 596 to kya 5000 sal jinda reh sakta he bina kuch khay piye ab is bat pe sawal mat uthana warna Deen se kharij ho jaoge
@@nkapnablog589 Qur'an Kareem me Sirf ek Waqia Milta Hai Ashab ul Kahaf ka ju 300sal Ek Gar me Soye Hue The... Babbu Buzargu k Saari Jhoote Kahaniyan Likhi gain Hai Aap Jaise Logun ku Bevakoof Banane k liye
हमारे मआशरे में एक शिर्क देखने को मिलती है जो एक खास तबके के अंदर कुछ ज़्यादा ही है और वो है ... मज़ार पे कसरत के साथ जाना, वहां रौशनी करना, वहां सजदे करना और फिर मजार वालों से मन्नतें मांगना, उनसे अपने हाजतें बयान करना और उनके सामने झोली फैला कर माँगना जैसा के वो ही अल्लाह हों, फिर ,मन्नत पूरी हो जाने की सूरत में उनकी क़ब्र पे चादर चढ़ाना, वहाँ उन मज़ार वालों की तारीफ़ में कौवालियां पढ़ना वगैरह वैगरह.. ये कहाँ तक सही है और क़ुरआन और हदीस में इसका क्या हुक्म है ? जब आप उन लोगों से सवाल करें के क्यों आप क़ब्र वालों से, मजार वालों से मांगते हो तो ये कहते हैं के हम उनसे नहीं मांगते,हम तो उनको वसीला बनाते हैं के वो (क़ब्र वाले ) अल्लाह के नज़दीकी हैं इसलिए वो हमारी बात उन तक पहुंचाएंगे तो अल्लाह हमारी दुआ कुबूल करेगा. मगर अल्लाह फरमाता है : देखो, इबादत खालिस अल्लाह ही के लिए हैं और जिन लोगों ने उसके सिवा औलिया बनाए हैं वो कहते हैं के हम इनको इसलिए पूजते हैं की ये हमको अल्लाह के नज़दीकी मर्तबा तक हमारी सिफारिश कर दें, तो जिन बातों में ये इख़्तेलाफ़ करते हैं अल्लाह उनमे इनका फैसला कर देगा, बेशक अल्लाह झूटे और नाशुक्रे लोगों को हिदायत नहीं देता. (सुरह जुमर, आयत नंबर 3) गौर करने की बात है की हमारी दुआओं को अल्लाह के सिवा कोई क़ुबूल करने वाला नहीं, बस अल्लाह ही हमारा माबूद है, फिर कुछ नाशुक्रे लोग अल्लाह को भूल कर उनके बनाए हुए इंसानो से फ़रियाद करते हैं और उनसे भी जो के क़ब्र के अंदर है अपनी हाजत बयान करते हैं जबकि अल्लाह फरमाता है: भला कौन बेक़रार की इल्तिजा क़ुबूल करता है, और कौन उसकी तकलीफ को दूर करता है,और कौन तुमको ज़मीन में जानशीन बनाता है, (ये सब कुछ अल्लाह करता है) तो क्या अल्लाह के सिवा कोई और भी माबूद है (हरगिज़ नहीं ) मगर तुम बहुत कम गौर करते हो. (सुरह अल-नमल , आयत नंबर 62) अल्लाह के सिवा कोई हमे नफा या नुक्सान पहुंचने वाला नहीं है, फिर क़बर वाले हमे क्या नफा पंहुचा सकते हैं, फिर कुछ नासमझ लोग क़ब्र वालों से ही उम्म्दी लगाए बैठे हैं और उन्ही से माँगना जायज़ समझते हैं जो की सरासर शिर्क है. अल्लाह फरमाता है: और ये के (ऐे मुहम्मद सब से) यकसू हो दीन-ए-इस्लाम की पैरवी किये जाओ, और मुशरिकों में से हरगिज़ न होना,और अल्लाह को छोड़ कर किसी ऐसी चीज़ को न पुकारना जो न तुम्हारा कुछ भला कर सके,और न कुछ बिगाड़ सके. अगर ऐसा करोगे तो ज़ालिमों में हो जाओगे. (सुरह युनूस, आयत 105-106) मरने के बाद सबका मामला अल्लाह के सुपुर्द होता है, वो हमे नहीं सुन सकते. उन तक जब हमारी आवाज़ ही नहीं पहुंच सकती तो फिर वो हमारी दुआओं के सिफारिशी कैसे बन जायेंगे. क़ुरआन में अल्लाह का फरमान है : और ये जिन्दे और मुर्दे बराबर नहीं हो सकते, अल्लाह जिसको चाहता है सुना देता है.और तुम इनको जो अपनी क़ब्रों में दफन हुए हैं इनको नहीं सुना सकते. (सुरह फातिर, आयत 22 ) ये क़ब्र वाले न तो हमे सुन सकते हैं और ही जवाब दे सकते हैं . गौर कीजिये क़ुरआन की इस आयत पे जिसमे अल्लाह फरमाता है: और उस शख्स से बढ़ कर कौन गुमराह हो सकता है जो ऐसे को पुकारे जो क़यामत तक उसे जवाब न दे, और उनको इनके पुकारने की ही खबर न हो. (सुरह अहकाफ, आयत नंबर 5) जो क़ब्रों में हैं, बेशक वो औलिया हों, पीर हों या पैगम्बर हों, ये भी हमारी तरह के ही मखलूक हैं जिन्हे अल्लाह ने पैदा किया. इन लोगों ने अपनी तरफ से किसी चीज़ की तख़लीक़ नहीं की फिर भी कुछ जाहिल लोग उनसे मदद की गुहार लगाते हैं . गौर कीजिये क़ुरआन की इस आयत पे जिसमे अल्लाह फरमाता है: और जिन लोगों को ये अल्लाह के सिवा पुकारते हैं वो कोई चीज़ भी तो पैदा नहीं कर सकते बल्कि खुद वो पैदा किये गए , बेजान लाशें हैं. इनको ये भी नहीं मालूम के ये कब उठाये जायेंगे. (सुरह नहल आयत नंबर 20-21) क़ब्रों पे मुजावर बन कर बैठने वाले वो लोग, जो क़ब्रों की पूजा करते हैं, क़ब्र वाले की इबादत करते हैं और ये समझते हैं की ये उनकी हाजते पूरी करेंगे, तो ये सच में अँधेरे में हैं और ये बदतरीन लोग हैं. और जिन लोगों ने क़ब्रों को सजदहगाह बन लिया है और उनपे माथा टेकते हैं और उनसे अक़ीदत रखते हैं ऐसे लोगों पे अल्लाह की फटकार है जैसा की अल्लाह के रसूल ﷺ की हदीस है के हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि० से रिवायत है के जब आप सल० अलैहि० मर्ज़-ए-वफ़ात में मुब्तिला हुए तो आप अपनी चादर को बार बार अपने चेहरे पे डालते और कुछ अफाका होता तो चादर अपने चेहरे से हटा लेते. आप सल० अलैहि० ने उस इज़्तिराब-ओ-परेशानी की हालत में फ़रमाया : "यहूद-ओ-नसारा पे अल्लाह की फटकार जिन्होंने अपने नबियों की क़बर को सजदहगाह बन लिया" आप सल० अलैहि० ये फरमा कर उम्मत को ऐसे कामों से डराते थे. (सही बुखारी, हदीस नंबर 435-436)
Aslkm ,Subhan Allah ,one of the best video, deep knowledge ,thanks for this ziyarat of hazreth qutbul madar, i heard abt this Vali from a buzurg from Pakistan but never expected ziyarath hogi ❤️❤️
Take a chance to ponder on the below Hadees. PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI. Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him: Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969 Narrated Jabir: I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225. Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai. QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD: Narrated Buraidah: The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235 Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai. QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI. Setting on a journey to visit a Grave is Haraam. Narrated Abu Huraira: The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189 QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR : Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
Ya rasuAllah unzur halna Ya habibAllah isma ' qalna Innani Fi behrehammim muzrakun Khuzyadi sah'hil Lana isqalana Wasle mola chahte ho to waseela dhund lo Be waseela najdiyo hargiz Khuda milta nahi Wahabi harami aatankvadi jamat Murdabad
@@jafarhusenpathan1975 Sirf Teen tarah ke waseele jayez hai Quran aur hadees ki Roshni me. 1. Allah ke Naamon ka waseela Aur sab pyare Naam Allah ke liye hai Uss ko unhi Naamon se pukaaro. Al-A'raf 7:180 2. Zinde nek logon ka waseela. Whenever drought threatened them, `Umar bin Al-Khattab, used to ask Al-Abbas bin `Abdul Muttalib to invoke Allah for rain. He used to say, "O Allah! We used to ask our Prophet to invoke You for rain, and You would bless us with rain, and now we ask his uncle to invoke You for rain. O Allah ! Bless us with rain."(1) And so it would rain. (Bukhari vol 2 - 1010). - Iss hadees se pata chala jo log duniya me nahi hai unn ke waseele se dua maangna jaayez nahi. 3. Nek Amaal ka waseela. The Prophet (ﷺ) said, "While three men were walking, It started raining and they took shelter (refuge) in a cave in a mountain. A big rock rolled down from the mountain and closed the mouth of the cave. They said to each other, "Think of good deeds which you did for Allah's sake only, and invoke Allah by giving reference to those deeds so that He may remove this rock from you." One of them said, 'O Allah! I had old parents and small children and I used to graze the sheep for them. On my return to them in the evening, I used to milk (the sheep) and start providing my parents first of all before my children. One day I was delayed and came late at night and found my parents sleeping. I milked (the sheep) as usual and stood by their heads. I hated to wake them up and disliked to give milk to my children before them, although my children were weeping (because of hunger) at my feet till the day dawned. O Allah! If I did this for Your sake only, kindly remove the rock so that we could see the sky through it.' So, Allah removed the rock a little and they saw the sky. The second man said, 'O Allah! I was in love with a cousin of mine like the deepest love a man may have for a woman. I wanted to outrage her chastity but she refused unless I gave her one hundred Dinars. So, I struggled to collect that amount. And when I sat between her legs, she said, 'O Allah's slave! Be afraid of Allah and do not deflower me except rightfully (by marriage).' So, I got up. O Allah! If I did it for Your sake only, please remove the rock.' The rock shifted a little more. Then the third man said, 'O Allah! I employed a laborer for a Faraq of rice and when he finished his job and demanded his right, I presented it to him, but he refused to take it. So, I sowed the rice many time till I gathered cows and their shepherd (from the yield). (Then after some time) He came and said to me, 'Fear Allah (and give me my right)." I said, 'Go and take those cows and the shepherd.' He said, 'Be afraid of Allah! Don't mock at me.' I said, 'I am not mocking at you. Take (all that).' So, he took all that. O Allah! If I did that for Your sake only, please remove the rest of the rock.' So, Allah removed the rock." (Bukhari 2333)
Allah shirk aur bidat se tamam muslim ki hifazat farmaye aur khaas karke shirk ki lanat se allah ki panah allah shirk se hazaro kilo mitra door rakhe aameen
आमीन! अल्लाह सब मुसलमानों को तौफीक़ दे कि समझ सकें कि हक़ीक़त में शिर्क क्या है, बदअत क्या है ना कि वह शिर्क बिदअत को गीत बना लें और हर जगह नाक घुंसा कर सिर्फ शिर्क बिदअत ढूंढने लगे। कुछ पता नहीं कि यह तबक़ा बीबी से खाना मांगने को शिर्क कह दे क्यूंकि रिज़्क़ देने वाला तो अल्लाह है।
Khwarij bhole bhale Musalmano par Shirk o Kufr ke Ilzamat lagaya karte Hazrat Abdullah bin Umar Raziallahu anh farmate hai ke Khwarij Battareen Maqlooq hai kyun ke Jo Ayat kuffar k haq me nazil hoti wahi Ayat Musalmano par chaspa kar dete....
Take a chance to ponder on the below Hadees. PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI. Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him: Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969 Narrated Jabir: I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225. Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai. QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD: Narrated Buraidah: The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235 Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai. QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI. Setting on a journey to visit a Grave is Haraam. Narrated Abu Huraira: The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189 QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR : Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
Nice channel. I'm watching from overseas. I don't understand everything. But I love watching all the places and people's resting place you take us. It's so lovely to see. Thank you.
Take a chance to ponder on the below Hadees. PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI. Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him: Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969 Narrated Jabir: I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225. Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai. QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD: Narrated Buraidah: The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235 Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai. QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI. Setting on a journey to visit a Grave is Haraam. Narrated Abu Huraira: The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189 QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR : Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
@@shaik1238 doubt full, may u need to study more by proper way, don't put wrong concept. We sunny muslim respect and follow which done by our Nabi Mohammed saw. Said by him in bukhari sharif as per reference Allah maf karyin hamari or aap ki galti ko. Salafi what doning in Libya, Egypt on beside arab spring, just try to know
@@SajjadAhmad_voc9388 The chaos in Muslim countries is because they don't follow Quran and sunnah, if you want to look at Salafi's, Saudi Arabia is the best example. Building Dargah is Haraam, invoking dead is Shirk. Don't lie on Islam.
Jab hmare Walid Zinda the to hm log har Sunday makanpur jate the...😔Allah mere Walid ki magfirat krde madar sahab k sadqe me...bht shukriya jo apne ye video dal k bchpn yd dila dia ❤
‘Atā' ibn Yasār and Abu Hurayrah (may Allah be pleased with both of them) reported that the Prophet (may Allah's peace and blessings be upon him) said: "O Allah, do not make my grave an idol that is worshiped. Allah's wrath was intense upon a people who took the graves of their prophets as places of worship."
Allah pak zinde madhar sha wali rehmatullah aleihi sarkar ke sadke aapko aor we love Islam channel ke team aapke dostoun ke darzath ku buland karee har hamesha khush o salamat rakkhe duniya aor aqhirat me aapke darjath ku buland karee aor aap jis auliya allah ke bargah me salami peash karne ke liyea jate ho uun tamam auliya allah aapke salami ku khadam boshi ku aapne bargah me khubul karee
Ishq mohbt ishq mhbt ala hazrat ala hazrat.... .. farmane e ala hazrat mazar se 4 hat door mard k lye 40 khadm dur aurto k lye ... or dargha k round ghmna b mana farmya hai ..
Take a chance to ponder on the below Hadees. PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI. Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him: Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969 Narrated Jabir: I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225. Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai. QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD: Narrated Buraidah: The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235 Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai. QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI. Setting on a journey to visit a Grave is Haraam. Narrated Abu Huraira: The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189 QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR : Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
Take a chance to ponder on the below Hadees. PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI. Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him: Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969 Narrated Jabir: I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225. Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai. QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD: Narrated Buraidah: The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235 Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai. QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI. Setting on a journey to visit a Grave is Haraam. Narrated Abu Huraira: The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189 QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR : Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
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दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
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@@shaik1238 bhai tum kisko samjhe raho jaahil hai sab jo 500 saal tak bina khaaye peeye ki baat par yakin Karle wo QURAN AUR HADEES ki baate kaha maanege…!!!
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
@@Memon.2048 wah re wah Teri soch ko salaam b nahi Pahoch raha hai…. hum to tumhe Musalman hi maante hai Aur maanege hamesha bas dua karuga k ALLAH HIDAYAT DEY TUMHE IN SHA ALLLAH…!!! Jao QURAN PADHO NAHI PADH SAKTE TO SUNO TARJUME K SAATH Aur uske baad apne buzurgu ki kitaab b padho jaise k AALA HAZRAT aur jitne b hai inke jaise fir tumhe akal aa jayegi IN SHA ALLLAH…!!!
Take a chance to ponder on the below Hadees. PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI. Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him: Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969 Narrated Jabir: I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225. Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai. QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD: Narrated Buraidah: The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235 Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai. QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI. Setting on a journey to visit a Grave is Haraam. Narrated Abu Huraira: The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189 QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR : Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
Tumko huggne ki jagah bhi pata nahi abhise shrik shuru hogaya jaoo beta pahele jindagi jioo fir batao..sari umar gujar jati hai wali allaha ko samjhne ke liye ....namaaz farz magar namaaz ke raste se kisi ko allaha nahi mila pucho koi 5 waqt ka namazi ho aur khudako paya ho didaar kiya ho ....usse hat ke bhi bahut kuch hai aaz se ahad karlo aap allaha ko dhundo fir pata chalega ki wali allaha aur allaha ke dost kon hai
Maasha Allah Subhan Allah Tabarak Allah Allahu Akbar Jallajalaalahu Shaanahu kullahu Allahumma Salli Alaa Muhammad Sallallahu Alaihi va Aalihi VA sallam yaa Zinda shah madar Vali saheb mujhpe rahemki darqwast kijiye Allah sey Aameen Allahumma Salli Alaa Muhammad Sallallahu Alaihi va Aalihi VA sallam
Naare Ku Poora Karye 👇
Dam Madaar 😍
Dam madaar Beda paar❤
Dam Madar Bera Paar, Panch Naraye Panjatan Ke Aik Nara Haideri Yaa Alii
Beda paar
Beda paar❤️
👌👌👌👌
अल्लाह इन बुजुर्गों के सदके में हमारी दुआ कुबूल करे आमीन
Eyshe kahoge to aur nhi hogee balki Allah laat jute khelayega gair kaum se aur India me abhee ye ho rahi hai
Summa Ameen ❤
Allah apne Rasool or in pyare waliyon ke sadke hmari har jayaj Duaon ko qubool farma Ameen
Aameen
Mashallah bohot achha laga Jaja kala ham log ko har dargah ki jiyarat karvane ki mashallah 😊
Masallhalla masallhalla Allah pak Zind shsh Madar k sadky ham sab ki duaa qabul karyee ❤ masallhalla masallhalla
Astaghfirullah
Allah pak deen ki sahi samjh ata fermaeen
Kya huwa
tere jaise jahil ko
पूत आपको इन्हीं बुजुर्गों से इस्लाम मिला है,,अब आप वहाबियत, के चक्रव्यूह में फंस गए,,,, अल्लाह आपको हिदायत दे,।।
@@JafriSahab-zf3osqur,an padhoge to pata chalega...ki kisko hidayat ki jarurat hai...
Matlab kuch bhi hum allah ke wali pe kon tankid kar rha ye jo allah ke wali ke mazar pe ho rha hai na uspe etraz hai iss baat ka yaqeen jaano barelwi firqa ki awam jo hai na use quran se aur hadees se koi matlab nahi hota bas unko mza chahiye kufriya riwaz ka @@JafriSahab-zf3os
Dum Madar Beda Paar !!!!!
Kya khoob bayaan kiya hai Mada Paak ka.. Allah aapko aafiyat de.
Aameen jazakallah
नहीं, सिर्फ अल्लाह ही बेड़ा पार लगाता है और सिर्फ उसी को मदद के लिए पुकारा जाता है। अल्लाह के रसूल saw ने कभी किसी मजार के वसीले से दुआ नहीं मांगी या किसी सहाबी या उनके बाद के लोगों ने किसी भी मजार के वसीले से दुआ नहीं की।
ये सुन्नत के खिलाफ़ तरीका है दुआ करने का। और सबसे बड़ी बात रसूललाह ने किसी भी मजार को पक्का करना और उसपे इमारत बनाना सख़्त माना फरमाया है। कुरान और हदीस तो खुद पढ़ते नहीं बस इन्ही सब हरकतों से आज मुसलमान की हालत खराब है। नहीं देखा कोई वाली अपनी दरगाह तक नहीं बचा पाए।
हमारे मआशरे में एक शिर्क देखने को मिलती है जो एक खास तबके के अंदर कुछ ज़्यादा ही है और वो है ... मज़ार पे कसरत के साथ जाना, वहां रौशनी करना, वहां सजदे करना और फिर मजार वालों से मन्नतें मांगना, उनसे अपने हाजतें बयान करना और उनके सामने झोली फैला कर माँगना जैसा के वो ही अल्लाह हों, फिर ,मन्नत पूरी हो जाने की सूरत में उनकी क़ब्र पे चादर चढ़ाना, वहाँ उन मज़ार वालों की तारीफ़ में कौवालियां पढ़ना वगैरह वैगरह..
ये कहाँ तक सही है और क़ुरआन और हदीस में इसका क्या हुक्म है ?
जब आप उन लोगों से सवाल करें के क्यों आप क़ब्र वालों से, मजार वालों से मांगते हो तो ये कहते हैं के हम उनसे नहीं मांगते,हम तो उनको वसीला बनाते हैं के वो (क़ब्र वाले ) अल्लाह के नज़दीकी हैं इसलिए वो हमारी बात उन तक पहुंचाएंगे तो अल्लाह हमारी दुआ कुबूल करेगा.
मगर अल्लाह फरमाता है :
देखो, इबादत खालिस अल्लाह ही के लिए हैं और जिन लोगों ने उसके सिवा औलिया बनाए हैं वो कहते हैं के हम इनको इसलिए पूजते हैं की ये हमको अल्लाह के नज़दीकी मर्तबा तक हमारी सिफारिश कर दें, तो जिन बातों में ये इख़्तेलाफ़ करते हैं अल्लाह उनमे इनका फैसला कर देगा, बेशक अल्लाह झूटे और नाशुक्रे लोगों को हिदायत नहीं देता.
(सुरह जुमर, आयत नंबर 3)
गौर करने की बात है की हमारी दुआओं को अल्लाह के सिवा कोई क़ुबूल करने वाला नहीं, बस अल्लाह ही हमारा माबूद है, फिर कुछ नाशुक्रे लोग अल्लाह को भूल कर उनके बनाए हुए इंसानो से फ़रियाद करते हैं और उनसे भी जो के क़ब्र के अंदर है अपनी हाजत बयान करते हैं जबकि अल्लाह फरमाता है:
भला कौन बेक़रार की इल्तिजा क़ुबूल करता है, और कौन उसकी तकलीफ को दूर करता है,और कौन तुमको ज़मीन में जानशीन बनाता है, (ये सब कुछ अल्लाह करता है) तो क्या अल्लाह के सिवा कोई और भी माबूद है (हरगिज़ नहीं ) मगर तुम बहुत कम गौर करते हो.
(सुरह अल-नमल , आयत नंबर 62)
अल्लाह के सिवा कोई हमे नफा या नुक्सान पहुंचने वाला नहीं है, फिर क़बर वाले हमे क्या नफा पंहुचा सकते हैं, फिर कुछ नासमझ लोग क़ब्र वालों से ही उम्म्दी लगाए बैठे हैं और उन्ही से माँगना जायज़ समझते हैं जो की सरासर शिर्क है.
अल्लाह फरमाता है:
और ये के (ऐे मुहम्मद सब से) यकसू हो दीन-ए-इस्लाम की पैरवी किये जाओ, और मुशरिकों में से हरगिज़ न होना,और अल्लाह को छोड़ कर किसी ऐसी चीज़ को न पुकारना जो न तुम्हारा कुछ भला कर सके,और न कुछ बिगाड़ सके. अगर ऐसा करोगे तो ज़ालिमों में हो जाओगे.
(सुरह युनूस, आयत 105-106)
मरने के बाद सबका मामला अल्लाह के सुपुर्द होता है, वो हमे नहीं सुन सकते. उन तक जब हमारी आवाज़ ही नहीं पहुंच सकती तो फिर वो हमारी दुआओं के सिफारिशी कैसे बन जायेंगे.
क़ुरआन में अल्लाह का फरमान है :
और ये जिन्दे और मुर्दे बराबर नहीं हो सकते, अल्लाह जिसको चाहता है सुना देता है.और तुम इनको जो अपनी क़ब्रों में दफन हुए हैं इनको नहीं सुना सकते.
(सुरह फातिर, आयत 22 )
ये क़ब्र वाले न तो हमे सुन सकते हैं और ही जवाब दे सकते हैं . गौर कीजिये क़ुरआन की इस आयत पे जिसमे अल्लाह फरमाता है:
और उस शख्स से बढ़ कर कौन गुमराह हो सकता है जो ऐसे को पुकारे जो क़यामत तक उसे जवाब न दे, और उनको इनके पुकारने की ही खबर न हो.
(सुरह अहकाफ, आयत नंबर 5)
जो क़ब्रों में हैं, बेशक वो औलिया हों, पीर हों या पैगम्बर हों, ये भी हमारी तरह के ही मखलूक हैं जिन्हे अल्लाह ने पैदा किया. इन लोगों ने अपनी तरफ से किसी चीज़ की तख़लीक़ नहीं की फिर भी कुछ जाहिल लोग उनसे मदद की गुहार लगाते हैं . गौर कीजिये क़ुरआन की इस आयत पे जिसमे अल्लाह फरमाता है:
और जिन लोगों को ये अल्लाह के सिवा पुकारते हैं वो कोई चीज़ भी तो पैदा नहीं कर सकते बल्कि खुद वो पैदा किये गए , बेजान लाशें हैं. इनको ये भी नहीं मालूम के ये कब उठाये जायेंगे.
(सुरह नहल आयत नंबर 20-21)
क़ब्रों पे मुजावर बन कर बैठने वाले वो लोग, जो क़ब्रों की पूजा करते हैं, क़ब्र वाले की इबादत करते हैं और ये समझते हैं की ये उनकी हाजते पूरी करेंगे, तो ये सच में अँधेरे में हैं और ये बदतरीन लोग हैं.
और जिन लोगों ने क़ब्रों को सजदहगाह बन लिया है और उनपे माथा टेकते हैं और उनसे अक़ीदत रखते हैं ऐसे लोगों पे अल्लाह की फटकार है जैसा की अल्लाह के रसूल ﷺ की हदीस है के
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि० से रिवायत है के जब आप सल० अलैहि० मर्ज़-ए-वफ़ात में मुब्तिला हुए तो आप अपनी चादर को बार बार अपने चेहरे पे डालते और कुछ अफाका होता तो चादर अपने चेहरे से हटा लेते. आप सल० अलैहि० ने उस इज़्तिराब-ओ-परेशानी की हालत में फ़रमाया :
"यहूद-ओ-नसारा पे अल्लाह की फटकार जिन्होंने अपने नबियों की क़बर को सजदहगाह बन लिया"
आप सल० अलैहि० ये फरमा कर उम्मत को ऐसे कामों से डराते थे.
(सही बुखारी, हदीस नंबर 435-436)
@@WeLoveIslamyeah beedat band kar do tum sab
dam madar hind ke bahar😅
😊Mashallah... Tq so much for showing like this dargah's . God bless you bhaiya
Aap ka bahut bahut shukriya aap ne Dargah shareef ki ziyarat karyi
Alhamdulillah
Mei bhi khawahish mand hon
Dargah ki zeyarat ki
ALLAH hm sabko shirk se bachye or Hazrat Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam ki deen or ALLAH k hukum pe zindagi guzarne ki taufiq aata farmaye SUMMAH AAMEEN ❤️
Ya Allah jinda sah madar ke sadke me ek nek olad de aameen🤲🤲🤲🤲🤲🤲
Masha Allah bohat khub Bhai Jaan Allah aapki umar daraz farmaye app hum jaise gunhagaron ko Allah ke waliyon ki Zi karwate hai 🤲
Aameen jazakallah
اور آپ کی عمر 600سال کرے ،ameen😋
Ya auliya ambiya s .a panjetan paak ke sadqe ma mere bache ko imtihaan ma kamyabi dena Aameen hamari izzat rakhna ❤️💖
Hai hi nahi too... kaha se rakhe😅😅😂😂
Aamin alhamdolilah Dua ki azizana darakhast ilteja e gariban Kabul ho
Insha Allah
ماشاء اللہ آپ بہت محنت کرکے جانکاری حاصل کرنے کیلئے ماہر ہیں ۔شکریہ
Nooh (A.S) ki umr 900 saal thi subhanallah
Ulamae Ahle Sunnat Hamesha Salamat Or Khush o Aabad Rahe
☝️🤲🤲🤲🤲🤲
Main bouddhist hu lekin aapke vedio sunna pasand karta hu or bohot intrest se sunta hu ....thank you ...
MashaAllah bahot badhiya malumaat diye hai aap ne Allah taala aapko jazaye khair ata farmaye
Aameen jazakallah
Aameen🌹❤️🌹
Well done brother this story should get oscar award.hadd khatam hogayi bhai.bus kardo bhai.allah ap ku aur tamam ummat ku sirate mustaqeem ata karey.
ماشاءاللہ جزاک اللہ خیرا حضرت مزید عطا فرمائے
Aameen jazakallah
@@WeLoveIslam
Huzoor Garib Nawaz RA
Ne Huzoor Zinda Shah Madar RA se mulaqat ki aur Faiz hasil kiya,
Ye kis qitab main likha hai,
Meherbani kar k hawala dijiye
Sanad k sath.
Jazak Allah.
Assalam alaikum wa rahmatullahi wa barakatuh MashaAllah 👌 subhanAllah 💐
Walekumussalam wa rahmatullahi wa barakatuh
Aapki umr 596 saal thi or 556 saal apne kuch na khaya piya yani 556 saal ka roza he apka MASHALLAH SUBHANALLAH 🌹♥️🌹
Jhoot
@@lightyears1045 dekho Bhai mujhse behas mat karna warna apki zindagi narg ban jayegi ok WALIYON se nafrat karne walo jahannum ka rasta mat apnao
@@nkapnablog589 Bhai Bhai Aap Jazbath me Aagaye Hu...SORRY 🙏
Aap Bhi Tu Zara Suchu Ek Insan 565 sal Tak Bina Khaye Piye Kaise Zinda Rehsakta Hai
kiya Aapku Aise Kahaniyan illogical Mangharat Nahi Lagti...???
@@lightyears1045 aysi bate to kafir bhi nahi karta jesi ap kar rahe ho janab or ap jo keh rahe ho uska jawab ye he ki ALLAH ki marzi ho to 596 to kya 5000 sal jinda reh sakta he bina kuch khay piye ab is bat pe sawal mat uthana warna Deen se kharij ho jaoge
@@nkapnablog589 Qur'an Kareem me Sirf ek Waqia Milta Hai Ashab ul Kahaf ka
ju 300sal Ek Gar me Soye Hue The...
Babbu Buzargu k Saari Jhoote Kahaniyan Likhi gain Hai Aap Jaise Logun ku Bevakoof Banane k liye
Masha Allah ❤ Har ghar par mere aaqa ke milad ka jhanda laga huva hai subhan Allah ❤
Be Shaq.....Mere Madaar Ka Dar Sunniyat Ka Marqaz Hai😘😘
@@iktidarjafri7499 masha Allah ❤
Allah paak aapko salamat rakhe Bhai Jaan ❤ se ❤ya Zinda Shah madar aap par lakho lakho karodo karodo bar Salam ❤ se
या बाबा जिन्दा शाह मदार मकनपुर,या रहमतुल्लाह मेरे भी ऊपर आपकी नज़र ए इनायत हो जाय। रायबरेली से।
SUBHANALLAH MASHALLAH ❤️DAM ADAR BEDA PAAR
💐
हमारे मआशरे में एक शिर्क देखने को मिलती है जो एक खास तबके के अंदर कुछ ज़्यादा ही है और वो है ... मज़ार पे कसरत के साथ जाना, वहां रौशनी करना, वहां सजदे करना और फिर मजार वालों से मन्नतें मांगना, उनसे अपने हाजतें बयान करना और उनके सामने झोली फैला कर माँगना जैसा के वो ही अल्लाह हों, फिर ,मन्नत पूरी हो जाने की सूरत में उनकी क़ब्र पे चादर चढ़ाना, वहाँ उन मज़ार वालों की तारीफ़ में कौवालियां पढ़ना वगैरह वैगरह..
ये कहाँ तक सही है और क़ुरआन और हदीस में इसका क्या हुक्म है ?
जब आप उन लोगों से सवाल करें के क्यों आप क़ब्र वालों से, मजार वालों से मांगते हो तो ये कहते हैं के हम उनसे नहीं मांगते,हम तो उनको वसीला बनाते हैं के वो (क़ब्र वाले ) अल्लाह के नज़दीकी हैं इसलिए वो हमारी बात उन तक पहुंचाएंगे तो अल्लाह हमारी दुआ कुबूल करेगा.
मगर अल्लाह फरमाता है :
देखो, इबादत खालिस अल्लाह ही के लिए हैं और जिन लोगों ने उसके सिवा औलिया बनाए हैं वो कहते हैं के हम इनको इसलिए पूजते हैं की ये हमको अल्लाह के नज़दीकी मर्तबा तक हमारी सिफारिश कर दें, तो जिन बातों में ये इख़्तेलाफ़ करते हैं अल्लाह उनमे इनका फैसला कर देगा, बेशक अल्लाह झूटे और नाशुक्रे लोगों को हिदायत नहीं देता.
(सुरह जुमर, आयत नंबर 3)
गौर करने की बात है की हमारी दुआओं को अल्लाह के सिवा कोई क़ुबूल करने वाला नहीं, बस अल्लाह ही हमारा माबूद है, फिर कुछ नाशुक्रे लोग अल्लाह को भूल कर उनके बनाए हुए इंसानो से फ़रियाद करते हैं और उनसे भी जो के क़ब्र के अंदर है अपनी हाजत बयान करते हैं जबकि अल्लाह फरमाता है:
भला कौन बेक़रार की इल्तिजा क़ुबूल करता है, और कौन उसकी तकलीफ को दूर करता है,और कौन तुमको ज़मीन में जानशीन बनाता है, (ये सब कुछ अल्लाह करता है) तो क्या अल्लाह के सिवा कोई और भी माबूद है (हरगिज़ नहीं ) मगर तुम बहुत कम गौर करते हो.
(सुरह अल-नमल , आयत नंबर 62)
अल्लाह के सिवा कोई हमे नफा या नुक्सान पहुंचने वाला नहीं है, फिर क़बर वाले हमे क्या नफा पंहुचा सकते हैं, फिर कुछ नासमझ लोग क़ब्र वालों से ही उम्म्दी लगाए बैठे हैं और उन्ही से माँगना जायज़ समझते हैं जो की सरासर शिर्क है.
अल्लाह फरमाता है:
और ये के (ऐे मुहम्मद सब से) यकसू हो दीन-ए-इस्लाम की पैरवी किये जाओ, और मुशरिकों में से हरगिज़ न होना,और अल्लाह को छोड़ कर किसी ऐसी चीज़ को न पुकारना जो न तुम्हारा कुछ भला कर सके,और न कुछ बिगाड़ सके. अगर ऐसा करोगे तो ज़ालिमों में हो जाओगे.
(सुरह युनूस, आयत 105-106)
मरने के बाद सबका मामला अल्लाह के सुपुर्द होता है, वो हमे नहीं सुन सकते. उन तक जब हमारी आवाज़ ही नहीं पहुंच सकती तो फिर वो हमारी दुआओं के सिफारिशी कैसे बन जायेंगे.
क़ुरआन में अल्लाह का फरमान है :
और ये जिन्दे और मुर्दे बराबर नहीं हो सकते, अल्लाह जिसको चाहता है सुना देता है.और तुम इनको जो अपनी क़ब्रों में दफन हुए हैं इनको नहीं सुना सकते.
(सुरह फातिर, आयत 22 )
ये क़ब्र वाले न तो हमे सुन सकते हैं और ही जवाब दे सकते हैं . गौर कीजिये क़ुरआन की इस आयत पे जिसमे अल्लाह फरमाता है:
और उस शख्स से बढ़ कर कौन गुमराह हो सकता है जो ऐसे को पुकारे जो क़यामत तक उसे जवाब न दे, और उनको इनके पुकारने की ही खबर न हो.
(सुरह अहकाफ, आयत नंबर 5)
जो क़ब्रों में हैं, बेशक वो औलिया हों, पीर हों या पैगम्बर हों, ये भी हमारी तरह के ही मखलूक हैं जिन्हे अल्लाह ने पैदा किया. इन लोगों ने अपनी तरफ से किसी चीज़ की तख़लीक़ नहीं की फिर भी कुछ जाहिल लोग उनसे मदद की गुहार लगाते हैं . गौर कीजिये क़ुरआन की इस आयत पे जिसमे अल्लाह फरमाता है:
और जिन लोगों को ये अल्लाह के सिवा पुकारते हैं वो कोई चीज़ भी तो पैदा नहीं कर सकते बल्कि खुद वो पैदा किये गए , बेजान लाशें हैं. इनको ये भी नहीं मालूम के ये कब उठाये जायेंगे.
(सुरह नहल आयत नंबर 20-21)
क़ब्रों पे मुजावर बन कर बैठने वाले वो लोग, जो क़ब्रों की पूजा करते हैं, क़ब्र वाले की इबादत करते हैं और ये समझते हैं की ये उनकी हाजते पूरी करेंगे, तो ये सच में अँधेरे में हैं और ये बदतरीन लोग हैं.
और जिन लोगों ने क़ब्रों को सजदहगाह बन लिया है और उनपे माथा टेकते हैं और उनसे अक़ीदत रखते हैं ऐसे लोगों पे अल्लाह की फटकार है जैसा की अल्लाह के रसूल ﷺ की हदीस है के
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि० से रिवायत है के जब आप सल० अलैहि० मर्ज़-ए-वफ़ात में मुब्तिला हुए तो आप अपनी चादर को बार बार अपने चेहरे पे डालते और कुछ अफाका होता तो चादर अपने चेहरे से हटा लेते. आप सल० अलैहि० ने उस इज़्तिराब-ओ-परेशानी की हालत में फ़रमाया :
"यहूद-ओ-नसारा पे अल्लाह की फटकार जिन्होंने अपने नबियों की क़बर को सजदहगाह बन लिया"
आप सल० अलैहि० ये फरमा कर उम्मत को ऐसे कामों से डराते थे.
(सही बुखारी, हदीस नंबर 435-436)
Assalam walekum bhai subhanallah mashallah dua mein yaad rakhna bhaiya 💚🕋🕋🤲🤲
Walekumussalam insha allah
Dil se Bulaya Allah Pak aaya Assalamu 🤲 alikum guys ❤️
Bhut bhut accha,dua me yaad rakhna
Allah en k sadqe ham se razi ho jaye ameen
Aslkm ,Subhan Allah ,one of the best video, deep knowledge ,thanks for this ziyarat of hazreth qutbul madar, i heard abt this Vali from a buzurg from Pakistan but never expected ziyarath hogi ❤️❤️
Jazakallah 💐
Masha Allah
Subhan Allah zinda Shah r.a 😊❤🙌🏼
15:23 15:24 15:24 15:24
Allah sabko sahi rasta dikha aur🤲 hame 5 wakt ki namaz ki hidayt de🤲 Allah sirf tu hi hai aur tujhise mangte hai (amin)🤲😔😔
Take a chance to ponder on the below Hadees.
PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI.
Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him:
Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969
Narrated Jabir:
I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225.
Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai.
QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD:
Narrated Buraidah:
The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235
Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai.
QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI.
Setting on a journey to visit a Grave is Haraam.
Narrated Abu Huraira:
The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189
QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR :
Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY
INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
Ya rasuAllah unzur halna
Ya habibAllah isma ' qalna
Innani Fi behrehammim muzrakun
Khuzyadi sah'hil Lana isqalana
Wasle mola chahte ho to waseela dhund lo
Be waseela najdiyo hargiz Khuda milta nahi
Wahabi harami aatankvadi jamat Murdabad
@@jafarhusenpathan1975
Sirf Teen tarah ke waseele jayez hai Quran aur hadees ki Roshni me.
1. Allah ke Naamon ka waseela
Aur sab pyare Naam Allah ke liye hai Uss ko unhi Naamon se pukaaro. Al-A'raf 7:180
2. Zinde nek logon ka waseela.
Whenever drought threatened them, `Umar bin Al-Khattab, used to ask Al-Abbas bin `Abdul Muttalib to invoke Allah for rain. He used to say, "O Allah! We used to ask our Prophet to invoke You for rain, and You would bless us with rain, and now we ask his uncle to invoke You for rain. O Allah ! Bless us with rain."(1) And so it would rain. (Bukhari vol 2 - 1010).
- Iss hadees se pata chala jo log duniya me nahi hai unn ke waseele se dua maangna jaayez nahi.
3. Nek Amaal ka waseela.
The Prophet (ﷺ) said, "While three men were walking, It started raining and they took shelter (refuge) in a cave in a mountain. A big rock rolled down from the mountain and closed the mouth of the cave. They said to each other, "Think of good deeds which you did for Allah's sake only, and invoke Allah by giving reference to those deeds so that He may remove this rock from you." One of them said, 'O Allah! I had old parents and small children and I used to graze the sheep for them. On my return to them in the evening, I used to milk (the sheep) and start providing my parents first of all before my children. One day I was delayed and came late at night and found my parents sleeping. I milked (the sheep) as usual and stood by their heads. I hated to wake them up and disliked to give milk to my children before them, although my children were weeping (because of hunger) at my feet till the day dawned. O Allah! If I did this for Your sake only, kindly remove the rock so that we could see the sky through it.' So, Allah removed the rock a little and they saw the sky. The second man said, 'O Allah! I was in love with a cousin of mine like the deepest love a man may have for a woman. I wanted to outrage her chastity but she refused unless I gave her one hundred Dinars. So, I struggled to collect that amount. And when I sat between her legs, she said, 'O Allah's slave! Be afraid of Allah and do not deflower me except rightfully (by marriage).' So, I got up. O Allah! If I did it for Your sake only, please remove the rock.' The rock shifted a little more. Then the third man said, 'O Allah! I employed a laborer for a Faraq of rice and when he finished his job and demanded his right, I presented it to him, but he refused to take it. So, I sowed the rice many time till I gathered cows and their shepherd (from the yield). (Then after some time) He came and said to me, 'Fear Allah (and give me my right)." I said, 'Go and take those cows and the shepherd.' He said, 'Be afraid of Allah! Don't mock at me.' I said, 'I am not mocking at you. Take (all that).' So, he took all that. O Allah! If I did that for Your sake only, please remove the rest of the rock.' So, Allah removed the rock."
(Bukhari 2333)
@@shaik1238my dear akhi no use these people are blind belief they won't follow what Quran and hathis tells they follow what their baba tells
Inh logo ko jutoon ki zaroorat hai,dalile ki nahain.
Assalamualaikum Dil bag bag ho gya bhai zzakall
MashaAllah ye tamam waqiyat batate haiñ k Zinda Shah Madar RA ka martaba paighambro aur rasoolo se bhi uncha tha. MashaAllah.
Subhaan Allah 🤍 massha Allah ❤️
Besahq 🌟🦋🤲🏻 Ameen 🤲🏻 JazakAllah khair 🤲🏻🌟🦋
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سبحان اللہ 🌷ماشاء اللہ 💚 اللہ اکبر
صلی اللہ علی حبیبِہ سیدنا و مولانا محمد و علٰی
آل محمد 💚🌼💫🌷🌹👑
Allah shirk aur bidat se tamam muslim ki hifazat farmaye aur khaas karke shirk ki lanat se allah ki panah allah shirk se hazaro kilo mitra door rakhe aameen
Khwarij bhole bhale Musalmano par Shirk o Kufr ke Fatwe lagaya karte
आमीन! अल्लाह सब मुसलमानों को तौफीक़ दे कि समझ सकें कि हक़ीक़त में शिर्क क्या है, बदअत क्या है ना कि वह शिर्क बिदअत को गीत बना लें और हर जगह नाक घुंसा कर सिर्फ शिर्क बिदअत ढूंढने लगे। कुछ पता नहीं कि यह तबक़ा बीबी से खाना मांगने को शिर्क कह दे क्यूंकि रिज़्क़ देने वाला तो अल्लाह है।
मरी हुई बीवी से कौन खाना मांगता है भाई ???
अपनी भी अकल इस्तेमाल करो । किधर की मिशाल किधर फीट कर रहे हो
Subhanallah aap bahot achhe videos banate ho jazakallah khair
WALAIKUMASSALAM wa rehmatullahi wa barakatuh ❤
Mashallah subhanallah Sarkar ki Hayat bahut bahut Khoobsurat
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استغفر اللہ
اللہ ہم سب کو شرک اور باطل سے بچائے۔آمین
Isme kya shirk hai najdi ki paidawar
Kis baat ka shrik ye wali alkaha .
Khwarij bhole bhale Musalmano par Shirk o Kufr ke Ilzamat lagaya karte
Hazrat Abdullah bin Umar Raziallahu anh farmate hai ke Khwarij Battareen Maqlooq hai kyun ke Jo Ayat kuffar k haq me nazil hoti wahi Ayat Musalmano par chaspa kar dete....
Allah pak in sabko islam pr chalne ki tareek ata farmaye
Bohat hi bhetareen video lagate h ap sare waliyon k darbar dikhate h Ap Allah apne nek bandon k sadke hamari dua QABOOL kare Ameen
Allah sirk se sabhi ko mahfooz rakhna 🤲🏻🤲🏻🤲🏻🤲🏻
Aameen
Ameen
Ameen
aameen
Subhanallah 💚❤️🙏 love from Kashmir
Dam Mader beda paar ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Bahot achchha ❤❤❤❤ MAASHA ALLAH 🌹🌹🌹🌹
Assalamualaikum wa rahmatullahi wa barakatuhu.
MaashAllah.
Shukriya bahut bahut aapka itni achi information share karne k liye.
Walekumussalam wa rahmatullahi wa barakatuh Jazakallah
Subhan allah Masha allah dam Madar beda paar ❤
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Subhanallah Subhanallah Dam madaar beda paar ❤️
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PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI.
Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him:
Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969
Narrated Jabir:
I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225.
Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai.
QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD:
Narrated Buraidah:
The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235
Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai.
QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI.
Setting on a journey to visit a Grave is Haraam.
Narrated Abu Huraira:
The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189
QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR :
Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY
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दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
Nice channel. I'm watching from overseas. I don't understand everything. But I love watching all the places and people's resting place you take us. It's so lovely to see. Thank you.
Welcome 💐
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PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI.
Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him:
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The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189
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Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
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दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
@@shaik1238 doubt full, may u need to study more by proper way, don't put wrong concept. We sunny muslim respect and follow which done by our Nabi Mohammed saw. Said by him in bukhari sharif as per reference
Allah maf karyin hamari or aap ki galti ko.
Salafi what doning in Libya, Egypt on beside arab spring, just try to know
@@SajjadAhmad_voc9388
The chaos in Muslim countries is because they don't follow Quran and sunnah, if you want to look at Salafi's, Saudi Arabia is the best example.
Building Dargah is Haraam, invoking dead is Shirk. Don't lie on Islam.
Jab hmare Walid Zinda the to hm log har Sunday makanpur jate the...😔Allah mere Walid ki magfirat krde madar sahab k sadqe me...bht shukriya jo apne ye video dal k bchpn yd dila dia ❤
Allah ke habib Sallallahu Alaihi Wa sallam ke sadqe mein mangte meri behen
Muhammad ke ghulami mein aao jese Sahaba Radiyallahu anhu k tarah
@@MyStory1987 Allah k wali ka b waseela lga skte h
@@shahnazbegum4943 nahi mere behen apko bura lage ga lekin yeh sahi aqeedai nhi hai
@@MyStory1987 bilkul sahi aqeeda h Allah ne khud faramaya h
Subhan Allah 🤲🌷🥀 Allah pak Apane mahabubu bando ke sadke me hamari magfirat farmayea Amin 🤲🌷🥀🌹🌹
SUBHANALLA ❤MASHAALLA ❤ALHAMDOLILLAH ❤AAMIN ❤AAMIN ❤SUBHANALLA ❤❤❤
‘Atā' ibn Yasār and Abu Hurayrah (may Allah be pleased with both of them) reported that the Prophet (may Allah's peace and blessings be upon him) said: "O Allah, do not make my grave an idol that is worshiped. Allah's wrath was intense upon a people who took the graves of their prophets as places of worship."
So was prophets duaa accepted or rejected
Allah apke sadke me meri dua qubul kare ameen summa amee .❤❤❤❤❤❤
Masha Allah
Dam Madaar Beda Paar🌹🌹
Mashallah
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Marhaba Marhaba Marhaba Subahanallah Masha Allah 🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
Allah hum sb ko sunni rkhy
Allah pak zinde madhar sha wali rehmatullah aleihi sarkar ke sadke aapko aor we love Islam channel ke team aapke dostoun ke darzath ku buland karee har hamesha khush o salamat rakkhe duniya aor aqhirat me aapke darjath ku buland karee aor aap jis auliya allah ke bargah me salami peash karne ke liyea jate ho uun tamam auliya allah aapke salami ku khadam boshi ku aapne bargah me khubul karee
maslak e ala hazrat zindabad
Ishq mohbt ishq mhbt ala hazrat ala hazrat.... .. farmane e ala hazrat mazar se 4 hat door mard k lye 40 khadm dur aurto k lye ... or dargha k round ghmna b mana farmya hai ..
@@simranshaikh4144 kyu bo kya allha hai jo kahege bhi khi Ripley jarur dena
@@sahilalvi5807 kya tu chutiya hai
Allah o Akber ☝️
G beshak Allah pak ki khass khass rhmt hoo Aameen ya rublallmeen 🌹🕋❤️
बहुत अच्छे से समझाया भाई आप ने कोई सुन्नी पर उंगली न उठा पाए
SubhanAllah MashaAllah
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Masha Allah ❤️❤️
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Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai.
QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD:
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The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235
Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai.
QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI.
Setting on a journey to visit a Grave is Haraam.
Narrated Abu Huraira:
The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189
QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR :
Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
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दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
Bhut acha laga hajrat Allah apko salamat rakhe
Aameen jazakallah
Allah ap ko salamat rakhe
Subhan Allah Masha Allah Subhan Allah Masha Allah Subhan Allah Masha Allah 👍👍👍👍👍👍👍👍
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👑Dam madar Beda paar 👑🤲
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Beda garak
SU BHAN'ALLAH ! SUBHAN'ALLAH!
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PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI.
Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him:
Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969
Narrated Jabir:
I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225.
Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai.
QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD:
Narrated Buraidah:
The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235
Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai.
QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI.
Setting on a journey to visit a Grave is Haraam.
Narrated Abu Huraira:
The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189
QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR :
Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY
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दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
سبحان الله 🤲❤️ ما شاء الله 🤲🏼💖
Subhanallah Mere gaau me bhi ye hi dargah hai ☺️💚💚💚🤩
Masha Allah ♥️♥️♥️♥️♥️♥️
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SubhanAllah ❤️🌹💐🤲🏻
इस्लाम की अनोखी बातें जानने के लिए यूट्यूब चैनल देखें जिसका नाम है.👉 Sachwala
Mashaallah
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Marhaba Marhaba Marhaba Subahanollah Masha Allah Moslokay Alah Hozorat Zindabad Ahalay Sunnot Olzomat Zindabad Assalamualaikum Waramotullah Hay Tala Waborokhatoho 💓💞💞💕🥰🥰😭🥰😭🥰
MUSTAFA JAANE RAEHMAT PR LAAKHO SALAAM
Subhanallah alhamdulillah ❤❤❤❤
Subhanallah ❤️
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Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him:
Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969
Narrated Jabir:
I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225.
Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai.
QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD:
Narrated Buraidah:
The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235
Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai.
QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI.
Setting on a journey to visit a Grave is Haraam.
Narrated Abu Huraira:
The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189
QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR :
Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY
INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
Subhanallah 💚💚💚💚💚💚💚💚💚💚
Allah tala piyare wali madar shah ke sadke me hm sbki taklif aur bimariyo ko dur frmaye 🤲🤲🤲🤲
My banglore se hu meira naam syed Mubarak mujhe 3000000 kharz hai a jaldi phit ja a duwa ki darkhast
Unbelievable stories attached to this Saint.
Maasha Allah ❤️❤️❤️❤️❤️❤️
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Take a chance to ponder on the below Hadees.
PAKKI QABR ( DARGAH) HARAAM HAI.
Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him:
Should I not send you on the same mission as Allah's Messenger (ﷺ) sent me? Do not leave an image without obliterating it, or a high grave without levelling It. This hadith has been reported by Habib with the same chain of transmitters and he said: (Do not leave) a picture without obliterating it. -Muslim 969
Narrated Jabir:
I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225.
Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai.
QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD:
Narrated Buraidah:
The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235
Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai.
QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI.
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Narrated Abu Huraira:
The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189
QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR :
Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY
INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
Masha Allah 🥰💚🌹💚🤲🇮🇳🥰🥰🥰
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The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189
QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR :
Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
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दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
Allha in wali yo ka sdkha Hamare har parashani dur far mai Ameen Summa ameen🤲🤲🤲🤲🤲
Aswlk Ma Sha Allah Subhanallah Alhamdulillah ❤❤❤🌹🌹🌹🤲🏻🤲🏻🤲🏻
Masha Allah SubhanAllah 🤲
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Narrated Jabir:
I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225.
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QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR :
Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
MY DUTY WAS ONLY TO CONVEY
INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
@@shaik1238 bhai tum kisko samjhe raho jaahil hai sab jo 500 saal tak bina khaaye peeye ki baat par yakin Karle wo QURAN AUR HADEES ki baate kaha maanege…!!!
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
@@Memon.2048 wah re wah Teri soch ko salaam b nahi Pahoch raha hai…. hum to tumhe Musalman hi maante hai Aur maanege hamesha bas dua karuga k ALLAH HIDAYAT DEY TUMHE IN SHA ALLLAH…!!!
Jao QURAN PADHO NAHI PADH SAKTE TO SUNO TARJUME K SAATH Aur uske baad apne buzurgu ki kitaab b padho jaise k AALA HAZRAT aur jitne b hai inke jaise fir tumhe akal aa jayegi IN SHA ALLLAH…!!!
🌹🌹👌
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Abu'l-Hayyaj al-Asadi told that 'Ali (b. Abu Talib) said to him:
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Narrated Jabir:
I heard the Prophet (ﷺ) forbid to sit on the grave, to plaster it with gypsum, and to build any structure over it. Dawud (funerals) 3225.
Iss hadees se pata chala qabron ko pakka karna, Dargah banana haraam hai.
QABR KI ZIYARAT KA MAQSAD:
Narrated Buraidah:
The Messenger of Allah (ﷺ) as saying: I forbade you to visit graves, but you may now visit them, for in visiting them there is a reminder (of death). Abi Dawud 3235
Qabar ki Ziyarat ka maqsad mout ko yaad karna hai, naki Chadar chadhana, urs manana, Niaz , ye sab haraam hai, Kufr , Shirk aur bidat ke darje me aate hai.
QABR KI ZIYARAT KE LIYE SAFAR KARNA HARAAM HAI.
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The Prophet (ﷺ) said, "Do not set out on a journey except for three Mosques i.e. Al-Masjid-AI-Haram, the Mosque of Allah's Messenger (ﷺ) , and the Mosque of Al-Aqsa, (Mosque of Jerusalem)." Bukhari - 1189
QABAR (DARGAH) KA MUJAAWAR :
Abu Huraira reported Messenger of Allah ﷺ as saying: It is better that one of you should sit on live coals which would burn his clothing and come in contact with his skin than that he should sit on a grave. Sahih Muslim, 971a
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INDIAN MUSLIM SALAFI SCHOOL OF THOUGHT.
दीन ए इस्लाम के गद्दार HARAAM खोरो की बात भी सुन्ना हमारे लिए HARAAM है इन बुजुर्गो की वज़ह से हम ईमान वाले बनें है और जिनके दिमाग में गोबर भरा है हों क्या जाने, HARAAM HARAAM HARAAM.
Masha Allah subhan allah bhut bhut shukriya apka.ameen
Alhamdulillah.
Assalam Ya WaliAllah.
Khola shirk hai yee allah pak humen hadait day 😢😢
Tumko samajh me na aaye to is raste se hat jao
Tumko huggne ki jagah bhi pata nahi abhise shrik shuru hogaya jaoo beta pahele jindagi jioo fir batao..sari umar gujar jati hai wali allaha ko samjhne ke liye ....namaaz farz magar namaaz ke raste se kisi ko allaha nahi mila pucho koi 5 waqt ka namazi ho aur khudako paya ho didaar kiya ho ....usse hat ke bhi bahut kuch hai aaz se ahad karlo aap allaha ko dhundo fir pata chalega ki wali allaha aur allaha ke dost kon hai
Shirk ki definition pta h tujhe😂
Thankyou so much 🎉🎉
Hamari qoum ko shirk aur biddath se hifazat farma
जो जरूरत के पीछे भागे उसे मोमिन कहते हे । और जरूरत जिसके पीछे भागे उसे दादा मदार कहते हे❤
Maasha Allah Subhan Allah Tabarak Allah Allahu Akbar Jallajalaalahu Shaanahu kullahu Allahumma Salli Alaa Muhammad Sallallahu Alaihi va Aalihi VA sallam yaa Zinda shah madar Vali saheb mujhpe rahemki darqwast kijiye Allah sey Aameen Allahumma Salli Alaa Muhammad Sallallahu Alaihi va Aalihi VA sallam