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  • Опубликовано: 28 ноя 2024
  • -दिनांक 27 अप्रैल शनिवार"भव्य ध्वजा महोत्सव और भूमि पूजन "
    👏👏👏👏👏👏 (दो दिवसीय) महोत्सव मंगलमय परिपूर्ण हुआ !
    जिस तीर्थ स्थल पर हर धर्म का व्यक्ति आकर सर झुकाता है ,भोपाल के करीब अमोनी भोपाल में अलौकिक सुंदर उसी का नाम है तीर्थ श्री घंटाकर्ण महावीर साधना केंद्र एवं जिसकी आज दिनांक 27 अप्रैल ध्वजारोहण मंगलमय परिपूर्ण हुआ आज से 1 वर्ष पहले प.पू.शासन प्रभाविका ,मालवा महक मातृहृदय श्री अमितगुणा श्री जी व प. पूज्य श्री अमीझरा जी म.सा. व आदि ठाणा की निश्रा में 07 अप्रैल 2023 को तीर्थ श्री घंटाकर्ण महावीर मंदिर साधना केंद्र अमोनी भोपाल का गौरवपूर्ण प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी !
    आज दिनांक 27 अप्रैल शनिवार ध्वजा का भक्तिपूर्ण भव्य आयजन परिपूर्ण हुआ साथ "श्री घंटाकर्ण परिसर " (भोजनशाला,उपाश्रय ,यात्री निवास ) का भूमि पूजन और भारत की पहेली "श्री घंटाकर्ण महावीर जी की स्वर्ण प्रतिमा " का अनावरण भी हुआ ! इस अवसर के संगीतकार विधिकारक श्री संजय जी छाजेड़ सुवासरा द्वारा ध्वज महोत्सव मंगलमय परिपूर्ण कराया ! मुख्य ध्वजा के लाभार्थी संजय लोढ़ा परिवार हैं !
    -----Friday 26th april को शाम 6 to 9pm को "श्री घंटाकर्ण महावीर जी की स्वर्ण प्रतिमा " अनावरण कर विशेष संध्या पूजा -आरती भक्ति का आयोजन हुआ आप सभी से भी निवेदन की एक बार इस तीर्थ में दर्शन वंदन के लिए जरूर पधारे !
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    The words and alphabets of mantra travel through phone into the listener's ears…
    They go inside their body and into that organ for which that specific mantra is meant to heal.
    Jainism, traditionally known as Jain Dharma, is an ancient Indian religion. Followers of Jainism are called "Jains", a word derived from the Sanskrit word jina (victory) and connoting the path of victory in crossing over life's stream of rebirths through an ethical and spiritual life. Jains trace their history through a succession of twenty-four victorious saviours and teachers known as tirthankaras, with the first being Rishabhanatha, who is believed to have lived millions of years ago in Jain tradition, and twenty-fourth being the Mahāvīra around 500 BCE. Jains believe that Jainism is an eternal dharma with the tirthankaras guiding every cycle of the Jain cosmology.

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