संन्यास कैसे लिया जाता है और कौन संन्यास ले सकता है ?-Swami Karun Dass Ji
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- Опубликовано: 21 окт 2024
- संन्यास कैसे लिया जाता है और कौन संन्यास ले सकता है ?-Swami Karun Dass Ji
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Radhe Radhe
Jai ho
JAi siya Ram ❤
Radhe radhe gurujii🙏
Gurudev ki charanan pe koti koti dandvat🙏🏻🙏🏻kripiya twins flame ke bareme kuch bataye 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
अब महाराज जी कृपा करके ये भी बता दीजिये कि सन्यास लेने के बाद भी बालों को कलर करने की जरूरत क्यों पड़ती है ?
Please help me .. Mjhe sanyas lena hai mera koi ni h is duniya me . ek ghar mila h rehne k liye lekin nokar banke reh rhi hu
sanyas chati ho yeah chutkara
आज से रामजी के ही नौकर बनकर रहो। मौज हो जाएगी
हम चाकर रघुबीर के पटो लिखो दरबार।
तुलसी अब का होंइंगे नर के मनसबदार।।
आपको कुछ नहीं छोड़ना कहीं नहीं जाना । जहां रामजी ने रखा वहीं रहो जो काम दे दें उनका ही समझकर काम करो। इतने भर से सब ठीक हो जाएगा बहन।
राम राम
Please guruji bta dijiye ...apka bhagwan bhala karega please guruji bta dijiye me kya kru me bhut jada pareshani me hu please guru g suicide krna ka man krta hai mera ...rasta bta dijiye ...
Radhey radhey ...koi contact nmbr to dijiye kisse contact ke sanyas lene k liye
राम।।🍁
🍁 *विचार संजीवनी* 🍁
..यह असम्भव जैसी बात है..
श्रोता-- आजके युगमें भगवत्प्राप्तिके लिये क्या लड़कियाँ कुँआरी रहकर, घर छोड़कर साधन-भजनमें लग सकती हैं?
*स्वामीजी--* अच्छा संग मिले तो ऐसा कर सकती हैं, पर आजके जमानेमें कहीं भी अच्छा संग मिल जाय-ऐसा हमें दीखता नहीं है। वे अविवाहित रहकर आध्यात्मिक उन्नति कर सकें - ऐसा आजकल होना कठिन है। इसलिये स्त्रियोंको विवाह न करनेकी सम्मति मैं नहीं देता हूँ। घरसे बाहर जाकर वे ठीक कर लेंगी-यह असम्भव-जैसी बात है। उन्हें घरमें रहते हुए ही साधन करना चाहिये। वे माँ-बापके पासमें, भाईके पासमें उनकी देख-रेखमें रहें और भजन करें तो कर सकती हैं।
आजकल व्याख्यानमें, सत्संगमें भी जीवके कल्याणकी ऐसी वास्तविक बातें बहुत कम मिलती हैं। लोग बिना जाने दूसरोंको उपदेश देने लग जाते हैं! असली बातें मिलती नहीं। व्याख्यान देना एक पेशा बन गया है! सच्ची बात बतानेवाले, तत्त्वको जाननेवाले बहुत कम हो गये। परमात्माकी प्राप्ति बहुत सुगमतासे हो जाय, ऐसी बातें हैं। पर सच्चे हृदयसे परमात्मप्राप्ति चाहते ही नहीं! न स्त्रियाँ चाहती हैं, न पुरुष चाहते हैं! सच्चाई बहुत कम हो गयी !
*राम !....................राम!!....................राम !!!*
परम् श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदास जी महाराज, *नये रास्ते, नयी दिशाएँ* पृ०-१५७
राम।।🍁
🍁 *विचार संजीवनी* 🍁
..यह असम्भव जैसी बात है..
*श्रोता--* आजके युगमें भगवत्प्राप्तिके लिये क्या लड़कियाँ कुँआरी रहकर, घर छोड़कर साधन-भजनमें लग सकती हैं?
*स्वामीजी--* अच्छा संग मिले तो ऐसा कर सकती हैं, पर आजके जमानेमें कहीं भी अच्छा संग मिल जाय-ऐसा हमें दीखता नहीं है। वे अविवाहित रहकर आध्यात्मिक उन्नति कर सकें - ऐसा आजकल होना कठिन है। इसलिये स्त्रियोंको विवाह न करनेकी सम्मति मैं नहीं देता हूँ। घरसे बाहर जाकर वे ठीक कर लेंगी-यह असम्भव-जैसी बात है। उन्हें घरमें रहते हुए ही साधन करना चाहिये। वे माँ-बापके पासमें, भाईके पासमें उनकी देख-रेखमें रहें और भजन करें तो कर सकती हैं।
आजकल व्याख्यानमें, सत्संगमें भी जीवके कल्याणकी ऐसी वास्तविक बातें बहुत कम मिलती हैं। लोग बिना जाने दूसरोंको उपदेश देने लग जाते हैं! असली बातें मिलती नहीं। व्याख्यान देना एक पेशा बन गया है! सच्ची बात बतानेवाले, तत्त्वको जाननेवाले बहुत कम हो गये। परमात्माकी प्राप्ति बहुत सुगमतासे हो जाय, ऐसी बातें हैं। पर सच्चे हृदयसे परमात्मप्राप्ति चाहते ही नहीं! न स्त्रियाँ चाहती हैं, न पुरुष चाहते हैं! सच्चाई बहुत कम हो गयी !
*राम !....................राम!!....................राम !!!*
परम् श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदास जी महाराज, *नये रास्ते, नयी दिशाएँ* पृ०-१५७
राम।।🍁
🍁 *विचार संजीवनी* 🍁
*..यह असम्भव जैसी बात है..*
*श्रोता--* आजके युगमें भगवत्प्राप्तिके लिये क्या लड़कियाँ कुँआरी रहकर, घर छोड़कर साधन-भजनमें लग सकती हैं?
*स्वामीजी--* अच्छा संग मिले तो ऐसा कर सकती हैं, पर आजके जमानेमें कहीं भी अच्छा संग मिल जाय-ऐसा हमें दीखता नहीं है। वे अविवाहित रहकर आध्यात्मिक उन्नति कर सकें - ऐसा आजकल होना कठिन है। इसलिये स्त्रियोंको विवाह न करनेकी सम्मति मैं नहीं देता हूँ। घरसे बाहर जाकर वे ठीक कर लेंगी-यह असम्भव-जैसी बात है। उन्हें घरमें रहते हुए ही साधन करना चाहिये। वे माँ-बापके पासमें, भाईके पासमें उनकी देख-रेखमें रहें और भजन करें तो कर सकती हैं।
आजकल व्याख्यानमें, सत्संगमें भी जीवके कल्याणकी ऐसी वास्तविक बातें बहुत कम मिलती हैं। लोग बिना जाने दूसरोंको उपदेश देने लग जाते हैं! असली बातें मिलती नहीं। व्याख्यान देना एक पेशा बन गया है! सच्ची बात बतानेवाले, तत्त्वको जाननेवाले बहुत कम हो गये। परमात्माकी प्राप्ति बहुत सुगमतासे हो जाय, ऐसी बातें हैं। पर सच्चे हृदयसे परमात्मप्राप्ति चाहते ही नहीं! न स्त्रियाँ चाहती हैं, न पुरुष चाहते हैं! सच्चाई बहुत कम हो गयी !
*राम !....................राम!!....................राम !!!*
परम् श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदास जी महाराज, *नये रास्ते, नयी दिशाएँ* पृ०-१५७