विशेष शास्त्री की आवाज मे ~ कुंती कर्ण संवाद ~ Kunti Karan Samwad ~ महाभारत किस्सा ~Kalyani Cassette

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  • Опубликовано: 31 мар 2023
  • Video Title :- Kunti Karan Samvad
    Album Name :- Kunti Karan Sanvad
    Singer :- Vishesh Shastri
    Music :- Ailani And Party
    Label :- Kalyani Cassette
    Presented By :- Kalyani Cassette
    KLCD-11 / KLC-35
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    महाभारत का युद्ध निश्‍चित हो जाने पर कुन्ती व्याकुल हो उठीं। वे नहीं चाहती थीं कि कर्ण का अन्य पाण्डवों के साथ युद्ध हो। वे कर्ण को समझाने के उद्‍देश्य से उनके पास पहुँची। कुन्ती का आया देखकर कर्ण उनके सम्मान में उठ खड़े हुये और झुक कर बोले, “आप प्रथम बार मेरे यहाँ आई हैं अतः आप इस ‘राधेय’ का प्रणाम स्वीकार कीजिये।” कर्ण के इन वचनों को सुनकर कुन्ती का हृदय व्यथित हो गया और उन्होंने कहा, “पुत्र! तुम ‘राधेय’ नहीं ‘कौन्तेय’ हो। मुझ अभागन ने ही तुम्हें जन्म दिया था किन्तु लोकाचार के भय से मुझे तुमको त्यागना पड़ गया था। तुम पाण्डवों के ज्येष्ठ भ्राता हो। इसलिये इस युद्ध में तुम्हें कौरवों का साथ छोड़कर अपने भाइयों का साथ देना चाहिये। मेरी इच्छा है कि युद्ध जीतकर तुम इस राज्य के राजा बनो।” कर्ण ने उत्तर दिया, “हे माता! आपने शैशवास्था में ही मेरा त्याग कर दिया था। इसलिये क्षत्रियों के उत्तम कुल में जन्म लेने के बाद भी मैं सूतपुत्र कहलाता हूँ। क्षत्रिय होते हुये भी सूतपुत्र कहलाने के कारण द्रोणाचार्य ने मेरा गुरु बनना स्वीकार नहीं किया। युवराज दुर्योधन के सिवाय अन्य किसी ने मेरा साथ नहीं दिया। वे मेरे सच्चे मित्र हैं और मैं उनके द्वारा किये गये उपकार को भूल कर कृतघ्न कदापि नहीं बन सकता। इतने पर भी आपका मेरे पास आना व्यर्थ नहीं जायेगा क्योंकि आज तक कर्ण के पास से बिना कुछ पाये खाली हाथ कभी कोई वापस नहीं गया है। मैं आपको वचन देता हूँ कि मैं अर्जुन के सिवाय आपके किसी पुत्र पर अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग नहीं करूँगा। मेरा और अर्जुन का युद्ध अवश्यम्भावी है और उस युद्ध में हम दोनों में से एक की मृत्यु निश्‍चित है। मेरी यह प्रतिज्ञा है कि आप पाँच पुत्रों की ही माता बनी रहेंगी।” कर्ण की बात सुनकर तथा उन्हें आशीर्वाद देकर कुन्ती व्यथित हृदय लेकर लौट आईं।)
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