जाप मरे, अजपा मरे, अनहद हू मर जाय, सुरति समाए शब्द में, ताहि न काल खाय।।

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  • Опубликовано: 29 сен 2024
  • #साक्षीभाव क्या है,
    #आत्मबोध क्या है,
    #आत्मबोध क्या है,
    #ब्रह्म बोध क्या है,
    #परमात्मा क्या है
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    #ब्रह्म बोध का अर्थ,
    #साधना में साधक की स्थिति
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    #आत्मज्ञान क्या है
    #अनहद नाद,
    #नाद ब्रह्म और शब्द ब्रह्म
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    #स्थूल से सूक्ष्मदर्शी की यात्रा
    #परमात्मा किसे कहते हैं,
    #मन को शांति कैसी करे
    बाबा जय गुरुदेव
    श्री अभिलाष साहब
    स्वामी सच्चिदानंद जी
    स्वामी परमानंद जी
    #आचार्य पवित्र नाथ जी
    निजी मित्र
    रतीशानंद भैया
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    #अनहद नाद

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