सायन ,निरयन राशी पद्धति

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  • Опубликовано: 11 окт 2024
  • नमस्ते ,
    आज चर्चा करेंगे सायन ,निरयन राशी पद्धति की
    ये संकल्पना अन्य तीन संकल्पनाओं पर आधारित है
    नक्षत्र,
    सम्पात और अयन बिंदु
    अयन चलन
    नक्षत्र
    आज हम जानते है की पृथ्वी सूरज का चक्कर लगाती है
    प्राचीन खगोल शास्त्र में पृथ्वी को केंद्र मानकर सूरज, चन्द्रमा और सभी ग्रह उसके चक्कर लगा रहे है ऐसा माना गया है
    यह डायल चन्द्रमा और सूरज के भ्रमणपथ को दर्शायेगा
    इसे क्रांति वृत्त या एक्लिप्टिक भी कहते है
    इस डायल पर २७ नक्षत्र के नाम लिखे है
    सूरज की तरह चाँद भी पृथ्वी के चक्कर चक्कर लगाता है
    सूरज और चन्द्रमा का पथ आसमान में लगभग साथ साथ है
    प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्र नक्षत्र पद्धति पर आधारित था |
    नक्षत्रों के बारे में हमने इसके पहले चर्चा की है
    ग्रहोंको दर्शाने के लिए नक्षत्रोंका सन्दर्भ लेते थे
    वैदिक काल से पूर्व वार का क्रम नहीं था जैसे रविवार , सोमवार , मंगलवार।
    इसके स्थान पर नक्षत्र दिवस ये शब्द का प्रचलन था
    जीस दिन चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता था उस दिन का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर होता था
    जब तिष्य / या पुष्य नक्षत्र में हो तो तिष्य दिवस , मघा नक्षत्र में हो तो मघा दिवस ऐसे
    सम्पूर्ण आकाश को सूर्यपथ या क्रांतिवृत्त के सहारे पश्चिम से पूर्व विभागोंमे बाटा गया
    इसका आधार चन्द्रमा का अपनी कक्षा में एक दिन का चलन था
    जैसाकि आप जानते है चन्द्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग २७ दिन और कुछ घंटे में पूरी करता है.
    इसी कारण २७ विभागोंमे पथ को बांटा गया
    वृत्त में बसे हुए नक्षत्रोंकी गिनती करने के लिए शुरुवात कहासे करे ?
    इसलिए जानना होगा सम्पात बिंदु और अयन बिंदु के बारे में
    सम्पात और अयन बिंदु
    छोटी पृथ्वी को हटाकर ये बड़ी पृथ्वी रखते है
    और चन्द्रमा की जगह सूरज
    ये काल्पनिक रेखा विषुववृत्त है और ये प्रतल विषुवत प्रतल या equatorial plane.
    पृथ्वी की काल्पनिक धुरी लगभग २३ दशमलग 5 अंश ज़ुकी हुई है
    इस झुकाव के कारण सूर्यपथ या क्रांति पथ पृथ्वी के साथ २३ १/२ अंश का झुकाव बनाये रखता है
    मॉडल को थोड़ा टेढ़ा रखते है २३.५ अंश से। अब पृथ्वी सीधी है और क्रांतिवृत्त टेढ़ा
    क्रांतिवृत्त विषुवत रेखा को दो बिन्दुओ पर काटता है |
    जिस बिंदु से सूरज उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करता है उसे वसंत सम्पात बिंदु कहते है - Vernal Equinox
    जिस बिंदु से सूरज दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश करता है उसे शरद सम्पात बिंदु कहते है - Autumnal Equinox
    इस बिंदु से सूरज का दक्षिणायन शुरू होता है और इस बिंदु से उत्तरायण
    इन्ही चारो बिन्दुओमे से एक को सन्दर्भ मानकर प्राचीन काल में प्रथम नक्षत्र का निर्धारण होता था
    सम्पात बिंदु या आयन बिंदु के पास जो नक्षत्र है उसीको प्रथम नक्षत्र कहते थें
    जैसे वसंत या शरद सम्पात , उत्तरायण और दक्षिणायन बिंदु

Комментарии • 9

  • @sudheervaishampayan2643
    @sudheervaishampayan2643 3 месяца назад +1

    Excellent model and very nice explanation

  • @thakarharish924
    @thakarharish924 3 месяца назад +1

    धन्यवाद ।। मैं एस्ट्रोलॉजर हूं, मुझे टेक्निकल आज पता चला

  • @aniketgolhar8565
    @aniketgolhar8565 3 месяца назад +1

    धन्यवाद । आपके इस विडियो से बहोत संकल्पनाए स्पष्ट हुए है । बहोत पौराणिक एवम् भारतीय ऐतिहासिक ग्रंथो मे वर्णित वसंत संपात के नक्षत्र का उल्लेख से उनकी कालगणना करना आसान काम हुआ है ।।

  • @danny8093
    @danny8093 3 месяца назад

    Excellent video and demo Sir!!!

  • @subhashlata4184
    @subhashlata4184 3 месяца назад +1

    Namaskaar 🙏
    Bahut Gyaanvardhak video.
    Dhanyawaad

  • @कावेरी
    @कावेरी 3 месяца назад +1

    Abhi tak ye channel kha tha?
    Thanks a lot.❤

  • @manohardhabekar1203
    @manohardhabekar1203 17 дней назад +1

    Best can yoy provide these chart machin or is is avalable anywhere plese

  • @mohitgupta7932
    @mohitgupta7932 3 месяца назад +1

    जब भी गोडबोले गुरुजी कोई वीडियो बनाते है, हर बार सोच में पड़ जाता हु की ये सब शास्त्र हजारों साल पहले कैसे रचे गए।
    गुरुजी वो ज्ञान बहोत आसान बना देते है।

  • @VishalMotwani9
    @VishalMotwani9 3 месяца назад +1

    Namaste
    Vedic kaal ke baad , graho ke naam anusar din ke naam rakhe ye transition pe ek video banaye 🙏 aur difference bhi btayega 🙏