बिन सतगुरु भेटे मुक्ति न होई। बिन सतगुरु भेटे नाम पाइआ न जाई। - श्री गुरु ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 946 गुरु जी की शरण बिना नाम नहीं मिल सकता। नाम बिना मुक्ति नहीं हो सकती।
कबीर साहेब जी कहते है कि 👇 यह मनुष्य जन्म आपको बहुत युगों के बाद प्राप्त होता है!! इसलिए आप तत्व दर्शी सन्त की शरण जाकर उनकी बताई भक्ति करके मोक्ष प्राप्ति प्राप्त करो| देखें👇👇 साधना चैनल शाम 7.30बजे से
"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर" पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद अधिक जानकारी के लिए देखिए नवग्रह चैनल पर रात्रि 09:00 बजे से 10:00 बजे तक
पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं। हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।। ‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721 नानक देव जी कहते हैं:- हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं "धाणक रूप रहा करतार" राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24 नानक देव जी कहते हैं :- मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
वर्तमान युग में पूर्ण संत रामपाल जी महाराज हैं जो शास्त्रों के अनुसार सद्भक्ति बता रहे हैं अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी 7:30 बजे प्रतिदिन शाम को
गुरु नानक,धर्मदास जी, गरीब दास जी महाराज,घीसा दास, दादू जी सभी ने सतलोक को देखा और सतलोक में विराजमान कबीर परमात्मा को देखा है।अधिक जानकारी के लिए साधना चैनल रात्रि 7:30 बजे
श्री गुरुग्रंथसाहिब जी पृष्ठ 1257, मलार महला 1, घरु 2 में नानकदेवजी ने साकार परमात्मा की महिमा में कहा है- बागे कापड़ बोले बैण लम्मा नकु काले तेरे नैण कबहु साहिबु देखिया भैण।
आदरणीय नानक साहिब जी अधिक समय तक उदास रहते थे क्योंकि उन्होंने सतलोक को आंखों से देख लिया था, और यह भी पता लग चुका था कि यह काल का लोक है, यहां किसी का कोई भरोसा नहीं कब मृत्यु हो जाए। गरीब दास साहिब ने कहा है शंखों लहर मिहिर की उपजे, कहर नहीं जहां कोई । दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर वोही ।।
कबीर साहिब जी ने गुरु नानक देव को भी उपदेश दिया था उससे सतलोक भी ले गए थे जो सृष्टि के रचने वाले हैं 6 दिन रचना की है सातवें दिन विश्राम किया अपने तक तखत पर विराजमान हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी हैं
Kabir_Is_Godपूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं। हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।। ‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721 नानक देव जी कहते हैं:- हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।
सत् साहेब,वाहे गुरु बंदी छोड़ सत् गुरु रामपाल जी महाराज की जय हो हे प्रभु हम पर दया करने को उतरे हैं इस धरती पर इस समय आप - आपकी जय हो आपका लाख-लाख सुक्रिया मालिक।
गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश - साहिब मेरा एको है। एको है भाई एको है। आपे रूप करे बहु भांती नानक बपुड़ा एव कह।। (प. 350) जो तिन कीआ सो सचु थीआ, अमत नाम सतगुरु दीआ।। (प. 352) गुरु पुरे ते गति मति पाई। (प. 353) बूडत जगु देखिआ तउ डरि भागे। सतिगुरु राखे से बड़ भागे, नानक गुरु की चरणों लागे।। (प. 414) मैं गुरु पूछिआ अपणा साचा बिचारी राम। (प. 439) उपरोक्त अमतवाणी में श्री नानक साहेब जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि साहिब (प्रभु) एक ही है तथा उनका (श्री नानक जी का) कोई मनुष्य रूप में वक्त गुरु भी था जिसके विषय में कहा है कि पूरे गुरु से तत्वज्ञान प्राप्त हुआ तथा मेरे गुरु जी ने मुझे (अमत नाम) अमर मन्त्रा अर्थात् पूर्ण मोक्ष करने वाला उपदेश नाम मन्त्रा दिया, वही मेरा गुरु नाना रूप धारण कर लेता है अर्थात् वही सतपुरुष है वही जिंदा रूप बना लेता है। वही धाणक रूप में भी काशी नगर में विराजमान होकर आम व्यक्ति अर्थात् भक्त की भूमिका कर रहा है। शास्त्रा विरुद्ध पूजा करके सारे जगत् को जन्म-मत्यु व कर्मफल की आग में जलते देखकर जीवन व्यर्थ होने के डर से भाग कर मैंने गुरु जी के चरणों में शरण ली।
परमात्मा कहते है चाहे गंगा किनारे घर करो , चाहे पियो निर्मल निर । मुक्ति नही हरि नाम बिन, कह गये साहेब कबीर ।। अगर गंगा नहाने से मुक्ति होती तो उसमें रहने वाले जीव जंतु व मछलियों की मुक्ति पहले होनी चाहिए थी ।
गुरु नानक देव जी को उदासी जब होती थी जब उनके भगत चले जाते थे और खुशी जब होती थी जब उनके सभी भगत सत्संग में आ जाते थे अधिक जानकारी के लिए देखें साधना चैनल 7:30 बजे शाम को
प्रथम उदासी (पहली प्रचार यात्रा) भाई लालो और मलिक भागो श्री गुरू नानक देव जी परमात्मिक ज्ञान बाँटने के लिए पहली प्रचार यात्रा (पहली उदासी)पर निकले, गुरू जी सुल्तान पुर लोधी से लम्बा सफर तय करके सैदपुर नगर में पहुँचे। वहाँ पर उनको बाजार में एक बढ़ई लकड़ी से तैयार की गई वस्तुएँ बेचता हुआ मिला जो कि साधू सँतों की सेवा किया करता था। जिसका नाम लालो था। उसने नानक जी को अपने यहाँ ठहरने का निमन्त्रण दिया। गुरू नानक देव जी ने यह निमन्ण स्वीकार करके भाई मरदाना सहित उसके घर जा पधारे। भाई लालो समाज के मध्य वर्ग का व्यक्ति था जिसकी आय कठोर परीश्रम करने पर भी बहुत निम्न स्तर की थी तथा उसे हिन्दू वर्ण-भेद के अनुसार शूद्र अर्थात नीच जाति का माना जाता था। इस गरीब व्यक्ति ने गुरुदेव की यथा शक्ति सेवा की जिसके अन्तर्गत बहुत साधारण मोटे अनाज, बाजरे की रोटी तथा साग इत्यादि का भोजन कराया। मरदाने को इस रूखे-सूखे पकवानों में स्वादिष्ट व्यँजनों जैसा आनन्द मिला। तब भाई मरदाना ने गुरुदेव से प्रश्न किया कि यह भोजन देखने में जितना नीरस जान पड़ता था सेवन में उतना ही स्वादिष्ट किस तरह हो गया है ? तब गुरुदेव ने उत्तर दिया,इस व्यक्ति के हृदय में प्रेम है, यह कठोर परीश्रम से उपजीविका अर्जित करता है। जिस कारण उसमें प्रभु कृपा की बरकत पड़ी हुई है। यह जानकर भाई मरदाना सन्तुष्ट हो गया। गुरू जी भाई लालो के यहाँ रहने लगे। उस समय किसी ऊँचें कुल के पुरूष का किसी शूद्र के घर में ठहरना और उसके घर में खाना खाना बहुत बुरा समझा जाता था। पर गुरू जी ने इस बात की कोई परवाह नहीं की। एक बार उसी नगर के बहुत बड़े धनवान जागीरदार मलिक भागो ने ब्रहम भोज नाम का बड़ा भारी यज्ञ किया और नगर के सब साधूओं और फकीरों को निमंत्रण दिया साथ ही गुरू नानक देव जी को भी निमंत्रण दिया गया। इस ब्रहम भोज (यज्ञ) में जबरदस्ती गरीब किसानों के घरों से गेहूँ, चावल आदि का सँग्रह किया गया था। इसी प्रकार और गरीब लोगों से भी नाना प्रकार की सामग्री इकटठी की गई थी। परन्तु नाम मलिक भागो का था,इसलिए गुरू जी ने यज्ञ में जाने से इन्कार कर दिया और सब साधु सन्त फकीर आदि खूब पेट भरकर यज्ञ का भोजन खा आये थे। इतिहास में लिखा है कि गुरू जी को जब मजबूर करके यज्ञ स्थान में ले गये। और अभिमानी मलिक भागो ने गुरू जी को कहाः ब्रहम भोज में क्यों नहीं आये? जबकि सब मतों के साधु भोजन खा कर गये हैं। यज्ञ का पूरी-हलवा छोड़कर एक शूद्र के सूखे टुकड़े चबा रहे हो। तब गुरू जी ने मलिक भागो को कहाः आप कुछ पूरी हलवा ला दो, मैं आपको इसका भाव बताऊं कि मैं क्यों नहीं आया ? उधर गुरू जी ने भाई लालो के घर का सूखा टुकड़ा मंगवा लिया। गुरू जी ने, एक मुटठी में मलिक भागो का पूरी हलवा लेकर और दूसरी मुटठी में लालो का सूखा टुकड़ा पकड़ कर निचोड़ा, तब "हलवा और पूरियों से खून की धार" बहने लगी और "सूखे रोटी के टुकड़े से दूध की धार" हजारों लोग इस दृश्य को द खकर दंग रह गये। तब गुरू जी ने कहा भाइयों यह है "धर्म की कमाई: दूध की धारें" और यह है "पाप की कमाई: खून की धारें" इसके बाद वह मलिक भागो गुरू जी के चरणों में लिपट गया और पहले किये गये पापों का प्रायश्चित करके, धर्म की कमाई करने लगा।
👑गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि हे सर्व सृष्टि रचनहार कबीर परमात्मा आप ही निर्विकार व दयालु परमात्मा हो - “हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।
कबीर हमारा राम है, वो है दीन दयाल। संकट मोचन कष्ट हरण, गुण गावै रामपाल।। अधिक जानकारी के लिए देखिये संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन साधना चैनल पर7:30pm
प्रथम उदासी (पहली प्रचार यात्रा) भाई लालो और मलिक भागो श्री गुरू नानक देव जी परमात्मिक ज्ञान बाँटने के लिए पहली प्रचार यात्रा (पहली उदासी)पर निकले, गुरू जी सुल्तान पुर लोधी से लम्बा सफर तय करके सैदपुर नगर में पहुँचे। वहाँ पर उनको बाजार में एक बढ़ई लकड़ी से तैयार की गई वस्तुएँ बेचता हुआ मिला जो कि साधू सँतों की सेवा किया करता था। जिसका नाम लालो था। उसने नानक जी को अपने यहाँ ठहरने का निमन्त्रण दिया। गुरू नानक देव जी ने यह निमन्ण स्वीकार करके भाई मरदाना सहित उसके घर जा पधारे। भाई लालो समाज के मध्य वर्ग का व्यक्ति था जिसकी आय कठोर परीश्रम करने पर भी बहुत निम्न स्तर की थी तथा उसे हिन्दू वर्ण-भेद के अनुसार शूद्र अर्थात नीच जाति का माना जाता था। इस गरीब व्यक्ति ने गुरुदेव की यथा शक्ति सेवा की जिसके अन्तर्गत बहुत साधारण मोटे अनाज, बाजरे की रोटी तथा साग इत्यादि का भोजन कराया। मरदाने को इस रूखे-सूखे पकवानों में स्वादिष्ट व्यँजनों जैसा आनन्द मिला। तब भाई मरदाना ने गुरुदेव से प्रश्न किया कि यह भोजन देखने में जितना नीरस जान पड़ता था सेवन में उतना ही स्वादिष्ट किस तरह हो गया है ? तब गुरुदेव ने उत्तर दिया,इस व्यक्ति के हृदय में प्रेम है, यह कठोर परीश्रम से उपजीविका अर्जित करता है। जिस कारण उसमें प्रभु कृपा की बरकत पड़ी हुई है। यह जानकर भाई मरदाना सन्तुष्ट हो गया। गुरू जी भाई लालो के यहाँ रहने लगे। उस समय किसी ऊँचें कुल के पुरूष का किसी शूद्र के घर में ठहरना और उसके घर में खाना खाना बहुत बुरा समझा जाता था। पर गुरू जी ने इस बात की कोई परवाह नहीं की। एक बार उसी नगर के बहुत बड़े धनवान जागीरदार मलिक भागो ने ब्रहम भोज नाम का बड़ा भारी यज्ञ किया और नगर के सब साधूओं और फकीरों को निमंत्रण दिया साथ ही गुरू नानक देव जी को भी निमंत्रण दिया गया। इस ब्रहम भोज (यज्ञ) में जबरदस्ती गरीब किसानों के घरों से गेहूँ, चावल आदि का सँग्रह किया गया था। इसी प्रकार और गरीब लोगों से भी नाना प्रकार की सामग्री इकटठी की गई थी। परन्तु नाम मलिक भागो का था,इसलिए गुरू जी ने यज्ञ में जाने से इन्कार कर दिया और सब साधु सन्त फकीर आदि खूब पेट भरकर यज्ञ का भोजन खा आये थे। इतिहास में लिखा है कि गुरू जी को जब मजबूर करके यज्ञ स्थान में ले गये। और अभिमानी मलिक भागो ने गुरू जी को कहाः ब्रहम भोज में क्यों नहीं आये? जबकि सब मतों के साधु भोजन खा कर गये हैं। यज्ञ का पूरी-हलवा छोड़कर एक शूद्र के सूखे टुकड़े चबा रहे हो। तब गुरू जी ने मलिक भागो को कहाः आप कुछ पूरी हलवा ला दो, मैं आपको इसका भाव बताऊं कि मैं क्यों नहीं आया ? उधर गुरू जी ने भाई लालो के घर का सूखा टुकड़ा मंगवा लिया। गुरू जी ने, एक मुटठी में मलिक भागो का पूरी हलवा लेकर और दूसरी मुटठी में लालो का सूखा टुकड़ा पकड़ कर निचोड़ा, तब "हलवा और पूरियों से खून की धार" बहने लगी और "सूखे रोटी के टुकड़े से दूध की धार" हजारों लोग इस दृश्य को द खकर दंग रह गये। तब गुरू जी ने कहा भाइयों यह है "धर्म की कमाई: दूध की धारें" और यह है "पाप की कमाई: खून की धारें" इसके बाद वह मलिक भागो गुरू जी के चरणों में लिपट गया और पहले किये गये पापों का प्रायश्चित करके, धर्म की कमाई करने लगा।
"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर" पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद अधिक जानकारी के लिए देखिए ईश्वर चैनल पर रात्रि 8:30pm पर सत्संग।
जिस परमात्मा ने सब ब्रह्मांड की रचना की उस परमात्मा का नाम है कवीरदेव पवित्र बाइबल उत्पत्ति ग्रंथ में जिसने 6 दिन में सर्व सृष्टि की रचना की तथा फिर विश्राम किया।। जानने के लिए देखें साधना चैनल पर रात 7:30 से ।
तीर्थ गए एक फल, संत मिलन फल चार।
सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार।।
Satguru rampal Ji mharaj ki Jay Ho
Jai ho bandi chhod ki
Kabir is a real god
जगत के लोगो।
जागो।
पूर्ण परमात्मा धरती पर आए हुए हैं।
सन्त रामपाल जी महाराज के रूप में।
जल्दी आओ।
Time कम है।
बिन सतगुरु भेटे मुक्ति न होई। बिन सतगुरु भेटे नाम पाइआ न जाई। - श्री गुरु ग्रन्थ साहिब पृष्ठ 946
गुरु जी की शरण बिना नाम नहीं मिल सकता। नाम बिना मुक्ति नहीं हो सकती।
ऊत्तर दक्षिण पूर्ब पश्चिम, क्यों फिरता दाने, दाने नू।
सर्व कला सत् गुरू साहेब की, हरि आये हरियाने नू।।
सोही गूरू पुरा कहावे जो दो अक्षर का भेद बताआ वे एक लखावे एक छुढ़ावे जब प्राणी निज घर को पावे
निज घर को पावे
कबीर साहेब जी कहते है कि 👇
यह मनुष्य जन्म आपको बहुत युगों के बाद प्राप्त होता है!!
इसलिए आप तत्व दर्शी सन्त की शरण जाकर उनकी बताई भक्ति करके मोक्ष प्राप्ति प्राप्त करो|
देखें👇👇
साधना चैनल शाम 7.30बजे से
Complete Spiritual Knowledge by Saint Rampal Ji Maharaj Ji
Sat guru rampal ji Maharaj ji ki Jai be ho
*Lord Kabir is suprime God*
"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद अधिक जानकारी के लिए देखिए नवग्रह चैनल पर रात्रि 09:00 बजे से 10:00 बजे तक
कबीर,सुख मे सुमिरण किया नही ,
दुःख मे करते याद ।कहे कबीर ता दास की ,कौन सुन्ने फरियाद ।।
@SaintRampalJiM
"आलम बडा कबीर"नानक देव"
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण फिरता दाने-दाने नू सर्व कला सतगुरु साहेब की, हरि आये हरियाणे नूँ
🙏🏻Bandhi Chhod Satguru Sant Rampal Ji Maharaj ki Jay Ho🙏🏻
झांकी देख कबीर की नानक कीती वाह।
वाह सिख्खों के गल पडी है कौन छुटावै ताह।।
पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
नानक देव जी कहते हैं:-
हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।
Amazing guru
कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
आए हैं सो जायेंगे राजा रंक फकीर एक सिंघासन चढ़ चले एक बंधे जात जंजीर
👏👏दाता, जी आपका ज्ञान ज्ञान अतिउत्तम हैं
गुरु नानक जी को कबीर परमात्मा के ज्ञान से कॉल के इस लोक को पहचान गया।अधिक जानकारी के लिये साधना टीवी7:30 शाम पर
Jai ho Rampal ji Bhagwan ki
उत्तर, दक्षिण, पूरब,पश्चिम फिरता दाणे-दाणे नू।
सर्व कला सतगुरु साहब की हरियाणा आये हरियाणे नू।
पूर्ण परमात्मा की सत भक्ति करने से ही मोक्ष प्राप्त हो सकता है इसके लिए जगतगुरु तत्वदर्शी संत संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष कराएं
पूर्व पक्षिम उत्तर दक्षिण फिरता दाने दाने नू।
सर्व कला सतगुरू साहेब की हरि आये हरियने नु।।
जगत् तारणहार सतगुरू रामपाल जी महराज जी की जय हो।।
वर्तमान युग में पूर्ण संत रामपाल जी महाराज हैं जो शास्त्रों के अनुसार सद्भक्ति बता रहे हैं अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी 7:30 बजे प्रतिदिन शाम को
आज पूरी विश्व मे पूर्ण गुरु संत रामपाल जी ही है
गुरु नानक जी की प्रथम उदासी काशी के लिए थी।
सतगुरु मिलै तो इच्छा मैटे पद मिलै पदै समाना।
चल हंसा उस लोक पठाऊं,जहां आदि अमर स्थाना।।
देखें साधना टीवी 7.30pm
Almighty kabir is the creator of whole universe-
Must watch everyone
Lord kabir is supreme god
Guru Nanak Dev Ji meet the real and supreme god Kabir dev ji.
He is also a real Saint.
✨ गुरु नानक देव जी की प्रथम उदासी।
जानने के लिए देखिए साधना टीवी पर 7:30pm
Guru nanak ji said that kabir is the almighty god
दादू जी समझाते है सतगुरूशब्द उल्घंकर जो कोइ शिष्य जाइ।
दादू पग पग काल है,जहा जाइ तहा खाइ।।
ਬੰਦੀਛੋੜ ਸਤਗੁਰੁ ਰਾਮਪਾਲ ਜੀ ਮਹਾਰਾਜ ਦੀ ਜਯ ਹੋ
True guru always leads his disciples to true spiritual path
गरीब नानक को निर्भय कीया , वाहेगुरु सत जान अदली पुरुष पछानिया, निर्गुण पद निर्माण।
गुरूवा गाम बीगाडे संतो गुरूवा गाम बीगाडे
एसे करम जिव के लादे अब जडे ना जाडे ॥
@@kihsorkumar6423 सही बात हैं आप की इन झूठे गुरुओ ने गांव गांव बिगाड़ दिये
झांकी देख कबीर की,नानक किती वाह।यही सीखो के गल पड़ी,इन्हे कौन छुड़ावे ता।
गुरु नानक,धर्मदास जी, गरीब दास जी महाराज,घीसा दास, दादू जी सभी ने सतलोक को देखा और सतलोक में विराजमान कबीर परमात्मा को देखा है।अधिक जानकारी के लिए साधना चैनल रात्रि 7:30 बजे
प्रमाणित ज्ञान
अद्भुत अलौकिक और सच्चा ग्यान
श्री गुरुग्रंथसाहिब जी पृष्ठ 1257, मलार महला 1, घरु 2 में नानकदेवजी ने साकार परमात्मा की महिमा में कहा है-
बागे कापड़ बोले बैण
लम्मा नकु काले तेरे नैण
कबहु साहिबु देखिया भैण।
बन्दी छोड परम संत सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो.
Ye sachcha gyan he.
Holy Vedas proves that Kabir is supreme God
आदरणीय नानक साहिब जी अधिक समय तक उदास रहते थे क्योंकि उन्होंने सतलोक को आंखों से देख लिया था, और यह भी पता लग चुका था कि यह काल का लोक है, यहां किसी का कोई भरोसा नहीं कब मृत्यु हो जाए।
गरीब दास साहिब ने कहा है
शंखों लहर मिहिर की उपजे, कहर नहीं जहां कोई ।
दास गरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर वोही ।।
संत शरण में आनेवाले से आई टले बल्ला जै मस्तक में सूली हो कांटे मे टल जा।
Sat sahib 🙏🙏
Sat sahib ji 🌺🙏🙏🌺
शरण पङे को गुरू सम्भाले जानके बालक भोला रे।कहे कबीर चरण चित राखों ज्यूं सूई में डोरा रे।
कबीर परमात्मा कहते हैं
याशोदा फिर नहीं संता योशोदा फिर नाही
लोहे जैसा ताब जात है काया दे ही देही ठेराती रे संतो योशोदा फिर नाही
It is true spiritual knowledge
कबीर,मानूश जन्म पाए कर,नहीं रटे हरि नाम।
जैसे कुंवा जल बिना,बनवाया क्या काम।।
@SaintRampalJiM
झांकी देख कबीर की नानक किन्हीं वाह।
वाह शिख्कों के गल पडी अब कौन छुटावे ताह।।
कबीर साहिब जी ने गुरु नानक देव को भी उपदेश दिया था उससे सतलोक भी ले गए थे जो सृष्टि के रचने वाले हैं 6 दिन रचना की है सातवें दिन विश्राम किया अपने तक तखत पर विराजमान हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी हैं
कबीर साहिब जी ने गुरु नानक देव को भी भी उपदेश दिया उसे सतरंगी ले गए जो सृष्टि के हंसने वाले शादी भेजना कि साथ ही दिन विश्राम किया
गुरुनानक जी के गुरु
कबीर् जी ही थे।।
अधिक जानकारी के लिए देखे साधना,चैनल प्रतिदिन शाम 7:30से
Kabir_Is_Godपूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
नानक देव जी कहते हैं:-
हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।
गुरु नानक देव ने सतलोक दर्शन के बाद परमात्मा की खोज मे पहली उदासी ( यात्रा ) काशी की थी ।
गुरु नानक देव जी को कबीर परमात्मा ने सतलोक दिखाया और नाम दिया।
Wandarful vedio
Kabir is supreme God
कबीर,ये संसार समझता नाही, कहदा शाम दोपहरे नु।
गरीब दास ये वक्त जात है, रोओ गे इस पहरे नु।।
कबीरा खड़ा बाजार में सब की मांगें खैर न काहु से दोस्ती न काहु से बैर बन्दी छोड़ कबीर साहेब की जय
Sat gyan
Must listen satsang
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਉਦਾਸੀ.
सत् साहेब,वाहे गुरु बंदी छोड़ सत् गुरु रामपाल जी महाराज की जय हो हे प्रभु हम पर दया करने को उतरे हैं इस धरती पर इस समय आप - आपकी जय हो आपका लाख-लाख सुक्रिया मालिक।
Sat saheb ji
गुरु नानक देव जी अनमोल सतसंग जय हो बंदिछोर की
गुरु ग्रन्थ साहेब, राग आसावरी, महला 1 के कुछ अंश -
साहिब मेरा एको है। एको है भाई एको है।
आपे रूप करे बहु भांती नानक बपुड़ा एव कह।। (प. 350)
जो तिन कीआ सो सचु थीआ, अमत नाम सतगुरु दीआ।। (प. 352)
गुरु पुरे ते गति मति पाई। (प. 353)
बूडत जगु देखिआ तउ डरि भागे।
सतिगुरु राखे से बड़ भागे, नानक गुरु की चरणों लागे।। (प. 414)
मैं गुरु पूछिआ अपणा साचा बिचारी राम। (प. 439)
उपरोक्त अमतवाणी में श्री नानक साहेब जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि साहिब (प्रभु) एक ही है तथा उनका (श्री नानक जी का) कोई मनुष्य रूप में वक्त गुरु भी था जिसके विषय में कहा है कि पूरे गुरु से तत्वज्ञान प्राप्त हुआ तथा मेरे गुरु जी ने मुझे (अमत नाम) अमर मन्त्रा अर्थात् पूर्ण मोक्ष करने वाला उपदेश नाम मन्त्रा दिया, वही मेरा गुरु नाना रूप धारण कर लेता है अर्थात् वही सतपुरुष है वही जिंदा रूप बना लेता है। वही धाणक रूप में भी काशी नगर में विराजमान होकर आम व्यक्ति अर्थात् भक्त की भूमिका कर रहा है। शास्त्रा विरुद्ध पूजा करके सारे जगत् को जन्म-मत्यु व कर्मफल की आग में जलते देखकर जीवन व्यर्थ होने के डर से भाग कर मैंने गुरु जी के चरणों में शरण ली।
परमात्मा कहते है
चाहे गंगा किनारे घर करो , चाहे पियो निर्मल
निर । मुक्ति नही हरि नाम बिन, कह गये साहेब कबीर ।।
अगर गंगा नहाने से मुक्ति होती तो उसमें रहने वाले जीव जंतु व मछलियों की मुक्ति पहले होनी चाहिए थी ।
गुरु नानक देव जी को उदासी जब होती थी जब उनके भगत चले जाते थे और खुशी जब होती थी जब उनके सभी भगत सत्संग में आ जाते थे अधिक जानकारी के लिए देखें साधना चैनल 7:30 बजे शाम को
प्रथम उदासी (पहली प्रचार यात्रा) भाई लालो और मलिक भागो
श्री गुरू नानक देव जी परमात्मिक ज्ञान बाँटने के लिए पहली प्रचार यात्रा (पहली उदासी)पर निकले, गुरू जी सुल्तान पुर लोधी से लम्बा सफर तय करके सैदपुर नगर में पहुँचे। वहाँ पर उनको बाजार में एक बढ़ई लकड़ी से तैयार की गई वस्तुएँ बेचता हुआ मिला जो कि साधू सँतों की सेवा किया करता था। जिसका नाम लालो था। उसने नानक जी को अपने यहाँ ठहरने का निमन्त्रण दिया। गुरू नानक देव जी ने यह निमन्ण स्वीकार करके भाई मरदाना सहित उसके घर जा पधारे।
भाई लालो समाज के मध्य वर्ग का व्यक्ति था जिसकी आय कठोर परीश्रम करने पर भी बहुत निम्न स्तर की थी तथा उसे हिन्दू वर्ण-भेद के अनुसार शूद्र अर्थात नीच जाति का माना जाता था। इस गरीब व्यक्ति ने गुरुदेव की यथा शक्ति सेवा की जिसके अन्तर्गत बहुत साधारण मोटे अनाज, बाजरे की रोटी तथा साग इत्यादि का भोजन कराया। मरदाने को इस रूखे-सूखे पकवानों में स्वादिष्ट व्यँजनों जैसा आनन्द मिला।
तब भाई मरदाना ने गुरुदेव से प्रश्न किया कि यह भोजन देखने में जितना नीरस जान पड़ता था सेवन में उतना ही स्वादिष्ट किस तरह हो गया है ? तब गुरुदेव ने उत्तर दिया,इस व्यक्ति के हृदय में प्रेम है, यह कठोर परीश्रम से उपजीविका अर्जित करता है। जिस कारण उसमें प्रभु कृपा की बरकत पड़ी हुई है। यह जानकर भाई मरदाना सन्तुष्ट हो गया। गुरू जी भाई लालो के यहाँ रहने लगे। उस समय किसी ऊँचें कुल के पुरूष का किसी शूद्र के घर में ठहरना और उसके घर में खाना खाना बहुत बुरा समझा जाता था। पर गुरू जी ने इस बात की कोई परवाह नहीं की।
एक बार उसी नगर के बहुत बड़े धनवान जागीरदार मलिक भागो ने ब्रहम भोज नाम का बड़ा भारी यज्ञ किया और नगर के सब साधूओं और फकीरों को निमंत्रण दिया साथ ही गुरू नानक देव जी को भी निमंत्रण दिया गया। इस ब्रहम भोज (यज्ञ) में जबरदस्ती गरीब किसानों के घरों से गेहूँ, चावल आदि का सँग्रह किया गया था। इसी प्रकार और गरीब लोगों से भी नाना प्रकार की सामग्री इकटठी की गई थी। परन्तु नाम मलिक भागो का था,इसलिए गुरू जी ने यज्ञ में जाने से इन्कार कर दिया और सब साधु सन्त फकीर आदि खूब पेट भरकर यज्ञ का भोजन खा आये थे।
इतिहास में लिखा है कि गुरू जी को जब मजबूर करके यज्ञ स्थान में ले गये।
और अभिमानी मलिक भागो ने गुरू जी को कहाः ब्रहम भोज में क्यों नहीं आये? जबकि सब मतों के साधु भोजन खा कर गये हैं। यज्ञ का पूरी-हलवा छोड़कर एक शूद्र के सूखे टुकड़े चबा रहे हो।
तब गुरू जी ने मलिक भागो को कहाः आप कुछ पूरी हलवा ला दो, मैं आपको इसका भाव बताऊं कि मैं क्यों नहीं आया ? उधर गुरू जी ने भाई लालो के घर का सूखा टुकड़ा मंगवा लिया।
गुरू जी ने, एक मुटठी में मलिक भागो का पूरी हलवा लेकर और दूसरी मुटठी में लालो का सूखा टुकड़ा पकड़ कर निचोड़ा, तब "हलवा और पूरियों से खून की धार" बहने लगी और "सूखे रोटी के टुकड़े से दूध की धार" हजारों लोग इस दृश्य को द खकर दंग रह गये। तब गुरू जी ने कहा भाइयों यह है "धर्म की कमाई: दूध की धारें" और यह है "पाप की कमाई: खून की धारें" इसके बाद वह मलिक भागो गुरू जी के चरणों में लिपट गया और पहले किये गये पापों का प्रायश्चित करके, धर्म की कमाई करने लगा।
परमात्मा का नाम कबीर (कविर देव) है। - पवित्र अथर्ववेद
कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शान्ति दायक है-
यजुर्वेद अध्याय 5मंत्र 32।
अवश्य पड़े अनमोल पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
कबीर परमात्मा पाप का शत्रु है, पाप विनाशक है।
यजुर्वेद 5:32
परमात्मा कविर्देव जी के लिए नानक देव जी की प्रथम वाणी
सभी धर्म के सदग्रंथो का पूर्ण ज्ञान संत रामपाल जी के पास है और शास्त्रों में छिपे गूढ रहस्य खोल कर बताते है इसलिए
Sant Rampal ji is the Real SatGuru
👑गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि हे सर्व सृष्टि रचनहार कबीर परमात्मा आप ही निर्विकार व दयालु परमात्मा हो -
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।
Awesome
नानकजी ने कबीर साहेब को सतलोक में देखा फिर काशी में देखा ।तो बोले
यक अर्श गुफ़्तम पेश तो दर कूंन करतार।
हक्काकबीर करीम तू,बे ऐब परवरदिगार।
अगर आपको पूर्ण मोक्ष चाहिए तो गीता जी के ज्ञान के अनुसार मोक्ष संभव है गीता जी का संपूर्ण ज्ञान जानने के लिए देखिए साधना टीवी 7:30 रात्रि
सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद
Amazing satsang
कबीर हमारा राम है, वो है दीन दयाल। संकट मोचन कष्ट हरण, गुण गावै रामपाल।। अधिक जानकारी के लिए देखिये संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन साधना चैनल पर7:30pm
कबीर परमात्मा जी कहते हैं
वेद पढ़े पर भेद ना जाने, ये बाचे पुराण अठारह !
पत्थर की ये पूजा करते,भूल गए सिर्जनहारा !
ਸਾਧ ਮਿਲੇ ਸਾਡੀ ਸ਼ਾਦੀ ਹੁੰਦੀ। ਵਿਛੜ ਜਾਏ ਦਿਲਗੀਰੀ ਵੇ।ਆਖਦੇ ਨਾਨਕ ਸੁਣੋ, ਜਹਾਨਾ ਮੁਸ਼ਕਲ ਹਾਲ ਫਕੀਰੀ ਵੇ।
प्रथम उदासी (पहली प्रचार यात्रा) भाई लालो और मलिक भागो
श्री गुरू नानक देव जी परमात्मिक ज्ञान बाँटने के लिए पहली प्रचार यात्रा (पहली उदासी)पर निकले, गुरू जी सुल्तान पुर लोधी से लम्बा सफर तय करके सैदपुर नगर में पहुँचे। वहाँ पर उनको बाजार में एक बढ़ई लकड़ी से तैयार की गई वस्तुएँ बेचता हुआ मिला जो कि साधू सँतों की सेवा किया करता था। जिसका नाम लालो था। उसने नानक जी को अपने यहाँ ठहरने का निमन्त्रण दिया। गुरू नानक देव जी ने यह निमन्ण स्वीकार करके भाई मरदाना सहित उसके घर जा पधारे।
भाई लालो समाज के मध्य वर्ग का व्यक्ति था जिसकी आय कठोर परीश्रम करने पर भी बहुत निम्न स्तर की थी तथा उसे हिन्दू वर्ण-भेद के अनुसार शूद्र अर्थात नीच जाति का माना जाता था। इस गरीब व्यक्ति ने गुरुदेव की यथा शक्ति सेवा की जिसके अन्तर्गत बहुत साधारण मोटे अनाज, बाजरे की रोटी तथा साग इत्यादि का भोजन कराया। मरदाने को इस रूखे-सूखे पकवानों में स्वादिष्ट व्यँजनों जैसा आनन्द मिला।
तब भाई मरदाना ने गुरुदेव से प्रश्न किया कि यह भोजन देखने में जितना नीरस जान पड़ता था सेवन में उतना ही स्वादिष्ट किस तरह हो गया है ? तब गुरुदेव ने उत्तर दिया,इस व्यक्ति के हृदय में प्रेम है, यह कठोर परीश्रम से उपजीविका अर्जित करता है। जिस कारण उसमें प्रभु कृपा की बरकत पड़ी हुई है। यह जानकर भाई मरदाना सन्तुष्ट हो गया। गुरू जी भाई लालो के यहाँ रहने लगे। उस समय किसी ऊँचें कुल के पुरूष का किसी शूद्र के घर में ठहरना और उसके घर में खाना खाना बहुत बुरा समझा जाता था। पर गुरू जी ने इस बात की कोई परवाह नहीं की।
एक बार उसी नगर के बहुत बड़े धनवान जागीरदार मलिक भागो ने ब्रहम भोज नाम का बड़ा भारी यज्ञ किया और नगर के सब साधूओं और फकीरों को निमंत्रण दिया साथ ही गुरू नानक देव जी को भी निमंत्रण दिया गया। इस ब्रहम भोज (यज्ञ) में जबरदस्ती गरीब किसानों के घरों से गेहूँ, चावल आदि का सँग्रह किया गया था। इसी प्रकार और गरीब लोगों से भी नाना प्रकार की सामग्री इकटठी की गई थी। परन्तु नाम मलिक भागो का था,इसलिए गुरू जी ने यज्ञ में जाने से इन्कार कर दिया और सब साधु सन्त फकीर आदि खूब पेट भरकर यज्ञ का भोजन खा आये थे।
इतिहास में लिखा है कि गुरू जी को जब मजबूर करके यज्ञ स्थान में ले गये।
और अभिमानी मलिक भागो ने गुरू जी को कहाः ब्रहम भोज में क्यों नहीं आये? जबकि सब मतों के साधु भोजन खा कर गये हैं। यज्ञ का पूरी-हलवा छोड़कर एक शूद्र के सूखे टुकड़े चबा रहे हो।
तब गुरू जी ने मलिक भागो को कहाः आप कुछ पूरी हलवा ला दो, मैं आपको इसका भाव बताऊं कि मैं क्यों नहीं आया ? उधर गुरू जी ने भाई लालो के घर का सूखा टुकड़ा मंगवा लिया।
गुरू जी ने, एक मुटठी में मलिक भागो का पूरी हलवा लेकर और दूसरी मुटठी में लालो का सूखा टुकड़ा पकड़ कर निचोड़ा, तब "हलवा और पूरियों से खून की धार" बहने लगी और "सूखे रोटी के टुकड़े से दूध की धार" हजारों लोग इस दृश्य को द खकर दंग रह गये। तब गुरू जी ने कहा भाइयों यह है "धर्म की कमाई: दूध की धारें" और यह है "पाप की कमाई: खून की धारें" इसके बाद वह मलिक भागो गुरू जी के चरणों में लिपट गया और पहले किये गये पापों का प्रायश्चित करके, धर्म की कमाई करने लगा।
पूरा गुरु धारण किए बिना मोक्ष नहीं हो सकता ।
अधिक जानकारी के लिए साधना चैनल पर सत्संग देखे 7:30 p.m.
🙏🙏
गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी समझे ना सार रहे अज्ञानी
बहुत ही अच्छी जानकारी दी आप ने गुरु जी
Sat sahib ji
सतभक्ति करने से ही मोक्ष संभव है
"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद
अधिक जानकारी के लिए देखिए ईश्वर चैनल पर रात्रि 8:30pm पर सत्संग।
True knowledge
Kavir is god पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी हैं।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवर दिगार
अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखिए साधना टी वी पर शाम 7: 30 बजे।
पूर्ण परमात्मा सत कबीर हैं
Wow
गुरु नानक देव जी का कथन है धानक रूप रहा करतार। यानी कबीर साहब इस सिरजनहार हैं
जिस परमात्मा ने सब ब्रह्मांड की रचना की उस परमात्मा का नाम है कवीरदेव
पवित्र बाइबल उत्पत्ति ग्रंथ में
जिसने 6 दिन में सर्व सृष्टि की रचना की तथा फिर विश्राम किया।।
जानने के लिए देखें साधना चैनल पर रात 7:30 से ।